10-09-2025, 03:50 PM
(This post was last modified: 10-09-2025, 03:51 PM by Fuckuguy. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
D:) शक की लहरें और छिपे मिलन D:)
(सीन ओपन होता है। गोकुलधाम सोसाइटी का कंपाउंड, सुबह के 8 बजे। सूरज की पहली किरणें बालकनियों पर पड़ रही हैं, पक्षी चहचहा रहे हैं, लेकिन आज हवा में एक भारीपन है। बच्चे कॉलेज के लिए तैयार हो रहे हैं, औरतें चाय की प्यालियां थामे बालकनी में खड़ी बातें कर रही हैं। लेकिन उनकी बातों में एक अजीब सी सतर्कता है - जैसे कोई राज छिपा हो। तारक मेहता, अपनी खिड़की से कंपाउंड को देखते हुए, कैमरे की तरफ मुड़कर बोलते हैं। उनकी आवाज में वही पुरानी मजाकिया ठिठोली है, लेकिन अब इसमें एक गहरा सस्पेंस भी घुला हुआ है, जैसे कहानी धीरे-धीरे एक बड़े तूफान की ओर बढ़ रही हो।)
तारक मेहता (वॉइसओवर): नमस्कार दोस्तों! पिछली बार हमने देखा कि अफेयर्स का तूफान आ गया था। चरम उत्तेजना ने सोसाइटी के हर कोने को छू लिया, शक की लहरें उठने लगीं। लेकिन गोकुलधाम में कहानी कभी तेज भागती नहीं - ये तो धीरे-धीरे उलझती है, जैसे कोई जाल बुनता चला जाए। आज हम देखेंगे कि शक की ये लहरें कैसे फैलती हैं, छिपे मिलन कैसे होते हैं, और रिश्तों में छोटी-छोटी दरारें कैसे गहरी हो जाती हैं। जेठालाल का मन भटक रहा है, दया की आंखें कुछ छिपा रही हैं, भिड़े की स्ट्रिक्टनेस अब शक में बदल गई है। चलिए, धीरे-धीरे इस एपिसोड में उतरते हैं। जय श्री कृष्ण!
(कट टू: जेठालाल का घर। सुबह के 8:30 बजे। जेठालाल बिस्तर पर लेटे हैं, आंखें खुली हुईं, लेकिन नींद दूर। कल रात का सीन उनके मन में घूम रहा है - दया के साथ का वो इंटेंस मोमेंट, जहां दया ने अनजाने में "अब्दुल भाई" का नाम ले लिया था। जेठालाल का मन भटक रहा है, एक तरफ बबीता का अफेयर, दूसरी तरफ रोशन के साथ नया मिलन, और अब दया पर शक। वो उठते हैं, आईने के सामने खड़े होकर खुद को देखते हैं - थोड़े थके चेहरे, लेकिन आंखों में एक चमक। बाहर से दया की आवाज आती है, जो किचन में नाश्ता तैयार कर रही है। दया की साड़ी आज हल्के नीले रंग की है, जो उसकी गोरी स्किन पर चमक रही है। साड़ी थोड़ी लूज है, लेकिन उसके कर्व्स - पतली कमर, उभरे ब्रेस्ट और स्विंग करते हिप्स - साफ दिख रहे हैं। वो तेज गुजराती स्टाइल में गुनगुनाती है, लेकिन उसके मन में भी उथल-पुथल है: हाथी, पोपटलाल, अब्दुल - ट्रिपल अफेयर्स का बोझ।)
जेठालाल (खुद से मन ही मन): अरे बाप रे बापूजी, ये क्या हो गया है? दया... वो अब्दुल का नाम क्यों ले रही थी? और मैं... बबीता जी, रोशन... हे भगवान, सोसाइटी में सब कुछ उल्टा हो गया। दुकान जाना है, लेकिन मन नहीं लग रहा।
(जेठालाल बाहर आते हैं। दया पराठे तवे पर रख रही है, बापूजी अखबार पढ़ रहे हैं, टपू कॉलेज बैग पैक कर रहा है। टपू, सोसाइटी का शरारती बच्चा, आज भी मासूम लग रहा है, लेकिन जेठालाल की नजरें दया पर टिकी हैं।)
दया (मुस्कुराते हुए, लेकिन थोड़ी नर्वस): टपू के पापा, उठ गए? चाय पीजिए, पराठे तैयार हैं। हे माता जी, आज क्लास में देर से जाना पड़ेगा।
जेठालाल (बैठते हुए, लेकिन आवाज में शक): हां दया... कल रात तूने कुछ बोला था। अब्दुल भाई? क्या मतलब था वो?
दया (हाथ कांपते हुए, पराठा सर्व करते हुए): अरे टपू के पापा, कुछ नहीं। सपने में कुछ देखा होगा। आप भी ना, शक मत करो। बापूजी, आप कहिए ना।
बापूजी (अखबार से नजर हटाकर, गंभीर स्वर में): बेटा जेठालाल, शादीशुदा जिंदगी में विश्वास जरूरी है। लेकिन अगर कुछ है तो खुलकर बोलो। सोसाइटी में सब एक परिवार हैं, राज छिपाने से क्या फायदा?
(जेठालाल चुप हो जाता है, चाय पीते हुए मन ही मन सोचता है। टपू बीच में कूद पड़ता है।)
टपू: पापा, आज टपू सेना की मीटिंग है। सोनू भी आएगी।
जेठालाल (मुस्कुराने की कोशिश करते): हां बेटा, लेकिन शरारत मत करना। दया, तू क्लास जा रही है ना? मैं दुकान से सीधा आऊंगा।
(दया हां कहती है, लेकिन उसकी आंखों में एक चमक है - आज क्लास के बाद अब्दुल से मिलने का प्लान। ब्रेकफास्ट खत्म होता है, सब अपने-अपने काम पर लग जाते हैं। जेठालाल दुकान के लिए निकलते हैं, लेकिन रास्ते में मन भटकता है। वो बबीता के घर के पास से गुजरते हैं, बालकनी में बबीता दिखती है - टाइट साड़ी में, बाल खुले, मुस्कुराती हुई। जेठालाल की नजरें ठहर जाती हैं, मन में कल्पना शुरू हो जाती है: बबीता उसे बुलाती है, साड़ी सरकाती, ब्रेस्ट एक्सपोज्ड... लेकिन वो खुद को संभालते हैं और दुकान की ओर बढ़ जाते हैं।)
(कट टू: भिड़े का घर। सुबह के 9 बजे। भिड़े, सोसाइटी के स्ट्रिक्ट सेक्रेटरी और ट्यूशन टीचर, अपनी स्टडी में बैठे हैं। वो कल की क्लास में माधवी की स्लिप को याद कर रहे हैं - "अब्दुल भाई"। माधवी आचार पैक कर रही है, सोनू कॉलेज के लिए तैयार। माधवी की साड़ी आज पीली, जो उसके स्लिम फिगर को हाइलाइट करती है - ब्रेस्ट मीडियम, लेकिन आकर्षक, कमर पतली, हिप्स हल्के कर्वी। भिड़े का मन शक से भरा है, लेकिन वो स्ट्रिक्ट रहने की कोशिश करता है।)
भिड़े (कॉपी चेक करते हुए, लेकिन नजर माधवी पर): माधवी, कल क्लास में तूने अब्दुल का नाम क्यों लिया? और बापूजी का भी? सोसाइटी में नियम हैं, लेकिन घर में भी ट्रस्ट जरूरी।
माधवी (आचार के जार बंद करते हुए, थोड़ा घबराकर लेकिन मुस्कुराते): अरे सोनू के पापा, आप भी ना। गलती से निकल गया। आचार का बिजनेस संभाल रही हूं, मन भटक जाता है। सोनू, बैग ले लो।
सोनू (मासूमियत से): पापा, आज टपू सेना में गेम खेलेंगे। आप क्लास में आओगे?
भिड़े (सोनू को देखकर नरम हो जाते): हां बेटी, आऊंगा। लेकिन नियमों का पालन करो। माधवी, शाम को मीटिंग है। समय पर आना।
(माधवी हां कहती है, लेकिन मन में प्लान है - मीटिंग के बाद बापूजी से मिलने का, और अब्दुल से भी। सोनू कॉलेज चली जाती है। भिड़े माधवी को देखते हैं, मन में शक लेकिन कुछ कह नहीं पाते। माधवी बाहर निकलती है, बालकनी में कोमल से बात करती है। कोमल, हाथी की पत्नी, अपनी बालकनी से झांक रही है - उसकी साड़ी लाल, प्लम्प फिगर साफ दिख रहा।)
माधवी: कोमल भाभी, आज क्लास में क्या पहनोगी? तारक भाई और सोढ़ी भाई की नजरें तो हमेशा घूमती रहती हैं।
कोमल (हंसते हुए, लेकिन आंखों में चमक): अरे माधवी, तू भी ना। मैं तो बस फिटनेस के लिए जाती हूं। लेकिन हां, सोसाइटी में मर्दों की नजरें... उफ्फ!
(दोनों हंसती हैं, लेकिन बातों में राज छिपा है। कोमल का मन तारक, सोढ़ी और पोपटलाल के अफेयर्स में अटका है। माधवी भी अब्दुल और बापूजी को सोच रही है। ये छोटी बातें धीरे-धीरे शक की लहरें फैला रही हैं।)
(कट टू: हाथी का घर। सुबह के 9:30 बजे। डॉक्टर हाथी क्लिनिक के लिए तैयार हो रहे हैं, कोमल उन्हें चाय दे रही है। गOLI कॉलेज जा चुका है। हाथी का मन बबीता के साथ कल के मिलन में है - वो इंटेंस सीन, बबीता की चीखें। लेकिन कोमल की स्लिप "पोपटलाल" सुनकर शक भी है। कोमल की साड़ी आज हरी, हैवी ब्रेस्ट और वाइड हिप्स साफ दिख रहे।)
हाथी (चाय पीते हुए): कोमल, कल क्लास में तूने पोपटलाल का नाम लिया। क्या चल रहा है? मैं डॉक्टर हूं, लेकिन घर के राज भी जानना चाहता हूं।
कोमल (घबराकर, लेकिन मुस्कुराते): हाथी जी, कुछ नहीं। सपने में देखा होगा। आप क्लिनिक जाओ, पेशेंट वेट कर रहे होंगे।
हाथी (गंभीर होकर): कोमल, सोसाइटी छोटी है। सब कुछ पता चल जाता है। लेकिन विश्वास टूटा तो... ठीक है, शाम को क्लास में बात करेंगे।
(हाथी निकल जाते हैं। कोमल अकेली रह जाती है, मन में ट्रिपल अफेयर्स का बोझ। वो आईने में खुद को देखती है, साड़ी ठीक करती है, लेकिन आंखों में एक शरारत है - आज क्लास के बाद पोपटलाल से मिलने का प्लान।)
(कट टू: दुकान - गड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स। सुबह के 10 बजे। जेठालाल काउंटर पर बैठे हैं, नट्टू काका और बाघा माल अरेंज कर रहे हैं। जेठालाल का मन दुकान पर नहीं, सोसाइटी के अफेयर्स पर है। अचानक बबीता आती है - टाइट टॉप और जींस में, ब्रेस्ट की आउटलाइन साफ, हिप्स टाइट। जेठालाल की आंखें चमक जाती हैं।)
बबीता (मुस्कुराते): जेठालाल जी, गुड मॉर्निंग! मेरा फैन खराब हो गया। देख लो ना।
जेठालाल (हड़बड़ाते, लेकिन उत्साहित): हां बबीता जी, बिल्कुल। बाघा, देख। (मन ही मन: उफ्फ, कल का सीन... बबीता जी की वो चीखें... लेकिन दया का शक भी।)
(बबीता इंतजार में बात करती है। जेठालाल की कल्पना शुरू: ग्राफिकल - बबीता दुकान बंद करवाती, टॉप उतारती, ब्रेस्ट एक्सपोज्ड - फुल, निपल्स हार्ड। जेठालाल चूसता, बबीता मोअन "ओओओओह्ह्ह... जेठालाल जी... आआआह्ह्ह... मेरे मम्मे दबाओ!"। लेकिन रियल में नट्टू काका की आवाज से टूटती।)
नट्टू काका: सेठ जी, फैन ठीक।
बबीता: थैंक यू। शाम क्लास में मिलते हैं। (मुस्कुराकर जाती है, लेकिन आंखों में इशारा - हाथी का राज।)
(जेठालाल सांस लेते हैं, लेकिन मन में और उलझन।)
(कट टू: क्लब हाउस। दोपहर के 12 बजे। एरोबिक्स क्लास का समय। बबीता और रिया मैट्स बिछा रही हैं। बबीता का लुक - स्पोर्ट्स ब्रा और लेगिंग्स, ब्रेस्ट बाउंस करने लायक, हिप्स टाइट। रिया का भी हॉट लुक। सब धीरे-धीरे आते हैं: दया, माधवी, कोमल, अंजली, रोशन। मर्द: जेठालाल, भिड़े, हाथी, तारक, सोढ़ी, पोपटलाल। बच्चे बाहर खेल रहे हैं। लेकिन आज माहौल भारी है - सब एक-दूसरे को शक की नजर से देख रहे।)
बबीता (क्लास शुरू करते): गुड आफ्टरनून एवरीवन! आज स्लो पेस योगा। स्ट्रेस रिलीज के लिए। सब रिलैक्स करो।
(क्लास शुरू। पार्टनर स्ट्रेच। जेठालाल बबीता के साथ, लेकिन दया देखती है। धीरे-धीरे टच बढ़ता है। ग्राफिकल और लंबा सीन: स्ट्रेच के बहाने बबीता जेठालाल का हाथ अपनी कमर पर, लेगिंग्स के अंदर सरकाता। जेठालाल उंगलियां पुसी पर - गीली, दो उंगलियां इन-आउट स्लो। बबीता मोअन व्हिस्पर "ओओओओह्ह्ह... जेठालाल जी... आआआह्ह्ह... धीरे... फाड़ दो मेरी चूत... फफफफाााा!"। लेकिन सबके सामने रुकते। हाथी दया के पास, टच। माधवी भिड़े के साथ, लेकिन आंखें बापूजी पर। कोमल तारक के पास, सोढ़ी अंजली को देखता। रिया सबको गाइड करती।)
रिया: सांस लो... एक्सहेल... रिलैक्स।
(क्लास के बीच में ब्रेक। सब पानी पीते। बातें शुरू: भिड़े माधवी से पूछता।)
भिड़े: माधवी, अब्दुल से क्या बात?
माधवी: सोनू के पापा, कुछ नहीं।
(शक बढ़ता। क्लास खत्म। लेकिन छिपे मिलन: क्लब हाउस के बैक रूम में दया और अब्दुल। ग्राफिकल लंबा सीन: अब्दुल दया को किस, साड़ी उतार, ब्रेस्ट चूस "ओओओओह्ह्ह... दया भाभी... आआआह्ह्ह!"। दया "फफफफााा... फाड़ दो मेरी चूत अब्दुल भाई... ओओओओह्ह्ह... लंड डालो!"। ब्लोजॉब, डॉगी हार्ड, कम इनसाइड। 18 मिनट डिटेल्ड।)
(शाम की मीटिंग: कंपाउंड में। शक फूटता। जेठालाल दया से, भिड़े माधवी से। बापूजी बीच में।)
बापूजी: सब शांत। बातचीत से सॉल्व करो।
(रात: घरों में सेक्स। जेठालाल दया का - लंबा, एंग्री, मोअन "ओओओओह्ह्ह... फाड़ दो... आआआह्ह्ह!"। अन्य जोड़ों में भी।)
तारक मेहता (क्लोजिंग): तो दोस्तों, शक की लहरें धीरे-धीरे बढ़ रही हैं। अगले एपिसोड में। जय श्री कृष्ण