Thread Rating:
  • 11 Vote(s) - 2.09 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery खुशबू : गोल्ड डिगर हाउसवाइफ
दयाराम की उस दिन की छेड़छाड़ के बाद ससुराल का माहौल और गर्म हो गया। खुशबू सास मीना के सामने तो सभ्य बनी रहती, मगर उनकी गैरमौजूदगी में खूब इठलाती। उसकी चाल में एक अलग ही लचक आ गई थी। उसने अब टाइट कपड़े पहनने शुरू कर दिए—कुरता और स्किन-टाइट पजामी, जिसमें उसका गठीला जिस्म चमक उठता। वो जानती थी कि ससुर उसकी गांड का दीवाना है। वो जानबूझकर ऐसे खड़ी होती कि उसकी गांड ससुर की नजरों में चुभ जाए। कभी झुककर कुछ उठाती, तो उसकी पजामी में उसकी गांड का उभार साफ दिखता। दयाराम की हालत किसी कॉलेज के लौंडे जैसी हो गई थी। उसका मूसल हर दो घंटे में खड़ा हो जाता।

दोनों की ये आँख-मिचौली करीब एक हफ्ते तक चली। दयाराम उम्रदराज था, मगर शातिर था। उसने अपनी खुमारी को हावी नहीं होने दिया। वो जानता था कि खुशबू जवान है, पति से दूर है, और अपनी भावनाओं को ज्यादा देर नहीं संभाल पाएगी। वो इंतजार कर रहा था कि खुशबू खुद पहल करे, ताकि कल को कोई इल्जाम न लगे। उसका अनुमान सही निकला। दस दिन तक जब दयाराम ने सिर्फ घूरने तक सीमित रखा, तो खुशबू बेचैन हो उठी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ससुर इतना कंट्रोल कैसे कर रहा है। मगर वो भी औरत थी, और अपनी जवानी की ताकत जानती थी। उसने सोचा, जिस जवानी के आगे बड़े-बड़े तपस्वी हार गए, दयाराम क्या चीज है? उसने दयाराम को तड़पाने वाला तरीका फिर से आजमाने का फैसला किया। उसके चेहरे पर एक विजयी मुस्कान तैर गई।

खुशबू कोई चालू लड़की नहीं थी। उसे मर्दों को तड़पाने में मजा नहीं आता था। मगर दयाराम का उसे इग्नोर करना उसके अहं को चोट पहुँचा रहा था। उसका वो कातिल जिस्म, जिसके पीछे कॉलेज के टीचर तक पागल थे, उसका एक बूढ़े पर असर न हो, ये उसे बर्दाश्त नहीं था। उसने ठान लिया कि भले ही पहला कदम दयाराम ने उठाया, मगर आखिरी कदम उसका होगा। वो नहीं जानती थी कि ऐसे रिश्तों का दलदल कितना खतरनाक होता है। खासकर जब सामने दयाराम जैसा शातिर लुगाईबाज हो। मौका दो दिन बाद आया

होली का दिन। .......................

होली के दिन दयाराम पड़ोसियों से मिलने गया। वहाँ थोड़ी-बहुत भांग और शराब पी ली। जब लौटा, तो घर में मीना , खुशबू और मोहल्ले की कुछ औरतें थीं। होली का धूम-धड़ाका चल रहा था। खुशबू रंगों में पूरी तरह भीग चुकी थी। उसकी पतली साड़ी उसके जिस्म से चिपक गई थी, और उसकी चूचियाँ, कमर और जाँघें साफ दिख रही थीं। दयाराम का लंड फनफनाने लगा। वो खुशबू के पूरे जिस्म को रंग से भर देना चाहता था, मगर रिश्तों की मर्यादा आड़े आ रही थी। थोड़ी देर बाद औरतों की टोली निकल गई, और मीना भी उनके साथ चली गई। जाते-जाते उसने खुशबू से कहा, “मुझे एक-दो घंटे लगेंगे। ससुर जी के लिए खाना बना देना।”

खुशबू को यही मौका चाहिए था। वो बाथरूम गई, अच्छे से नहाई, और अपने कमरे में चली गई। उसने दरवाजा बंद किया और सारे कपड़े उतार दिए। नंगी होकर उसने खुद को आईने में देखा। उसका चेहरा, गोल-गोल चूचियाँ, पतली कमर, मांसल जाँघें और सबसे ऊपर उसकी गदराई गांड—वो रति का अवतार लग रही थी। “अब देखती हूँ, ससुर जी कैसे कंट्रोल करते हैं,” उसने बुदबुदाया। उसने एक स्किन-टाइट लेगिंग पहनी, जो उसकी जाँघों और चूत के उभार को साफ दिखा रही थी। ऊपर एक राउंड-नेक टी-शर्ट, जो उसकी चूचियों को और उभार रही थी। वो पूरी तरह तैयार थी।

खुशबू किचन में गई, चाय बनाई और दयाराम के पास पहुँची। उसे लेगिंग में देखकर दयाराम का दिल धक से रह गया। उसकी जाँघें लेगिंग में कैद थीं, मगर हर मूवमेंट साफ दिख रहा था। उसकी गांड का उभार ऐसा था कि मानो लेगिंग फट जाएगी। दयाराम मुँह फाड़े उसे देखने लगा। खुशबू ने उसकी हालत देखकर मन ही मन खुशी से झूम उठी। “ससुर जी, चाय,” उसने हल्के से खाँसते हुए कहा।
दयाराम ने चाय ली, और खुशबू चली गई। थोड़ी देर बाद वो कप लेने आई, तो देखा कि दयाराम आँखें मूँदे बैठे हैं। असल में, उसे खुशबू के आने का अहसास हो गया था, मगर वो नाटक कर रहा था।

खुशबू : ससुर जी, क्या सोच रहे हैं?
दयाराम : कुछ नहीं, बहू।
खुशबू : नहीं, जरूर कुछ सोच रहे हैं। बताइए ना।
दयाराम : रहने दो, तुझे बुरा लग जाएगा।
खुशबू : प्लीज, बताइए ना।
दयाराम : नहीं, बहू, तू नाराज हो जाएगी।
खुशबू : अरे, हमने कब आपकी बात का बुरा माना? बोलिए ना।
दयाराम : वो… तुझे लेगिंग में देखकर उस दिन की याद आ गई।
खुशबू : कौन सा दिन?
दयाराम : वो बाथरूम वाला दिन।

ये सुनते ही खुशबू का चेहरा शरम से लाल हो गया। “हाय भगवान, ससुर जी, आप तो बिल्कुल बेशरम हैं! अभी तक वो बात नहीं भूले?” वो दौड़कर किचन की ओर भागी। उसकी गांड इतनी तेजी से थिरक रही थी कि दयाराम की आँखें फटी रह गईं। “हाय, ये हाहाकारी गांड कुछ भूलने नहीं देगी,” उसने बुदबुदाया।

खुशबू किचन में पहुँची, तो वो हाँफ रही थी। उसने प्लेटफॉर्म पकड़ा और झुककर खड़ी हो गई। उसकी गांड पीछे को उभर गई। तभी दयाराम किचन में आया। खुशबू की उभरी गांड देखकर उसका लंड टनटना गया। उसने लुंगी में अपने मूसल को सीधा किया और सीधे खुशबू की गांड से भिड़ा दिया। फिर उसकी कमर पकड़ ली। खुशबू के बदन में करंट दौड़ गया। “आआह…” उसकी सिसकारी निकल गई।

दयाराम ने उसके कान के पास मुँह लाकर कहा, “गुस्सा हो गई, बहू?”
खुशबू कुछ नहीं बोली। उसका बदन काँप रहा था।
दयाराम : गुस्सा हो गई? इसलिए बार-बार कह रहा था, मत पूछ।
खुशबू : हम गुस्सा नहीं हैं। —उसकी आवाज धीमी थी।
दयाराम : तो भागकर क्यों आई? —कहते हुए उसने अपना हाथ टी-शर्ट के नीचे डाला और खुशबू के चिकने पेट को सहलाने लगा।
खुशबू : आप ऐसी बातें करेंगे, तो हम और क्या करें?
दयाराम : तूने ही तो जिद की थी, सो मन की बात कह दी। —उसने खुशबू की गर्दन पर अपने होंठ रख दिए।
खुशबू की गर्दन उसका सबसे कमजोर हिस्सा थी। ससुर के होंठ लगते ही “उउह…” उसकी सिसकारी निकल गई।
खुशबू : ससुर जी , ये क्या कर रहे हैं?
दयाराम : आज होली है, बहू। सुबह से सबके साथ होली खेली, हमसे नहीं खेलेगी? —कहते हुए उसने हाथ ऊपर सरकाया और खुशबू की चूचियों को पकड़ लिया।
चूचियों पर ससुर का हाथ पड़ते ही खुशबू का बदन झनझना गया। उसकी साँसें तेज हो गईं। “आआह…” एक और सिसकारी निकली। दयाराम की उंगलियाँ उसकी निप्पल्स को टटोलने लगीं। वो धीरे-धीरे उन्हें मसलने लगा। खुशबू की चूत में गीलापन बढ़ने लगा। उसका बदन गर्म हो रहा था, मगर वो संस्कारी थी। मन में उत्तेजना के बावजूद, उसका दिल इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं था।
खुशबू : ससुर जी, प्लीज, छोड़ दीजिए।

दयाराम : अरे, बहू, त्योहार में जिद नहीं करते। बस, थोड़ा होली खेल लेने दे। —वो जानता था कि खुशबू गर्म हो रही है। उसने अब खुशबू के कंधे और गर्दन को चाटना शुरू किया।

खुशबू अब तीन तरफा हमले में फंस चुकी थी। नीचे उसकी गांड में ससुर का तना हुआ लंड धक्के मार रहा था। चूचियाँ ससुर के हाथों में थीं, और उसकी जीभ उसकी गर्दन पर हलचल मचा रही थी। “उउह… आआह…” उसकी सिसकारियाँ तेज होने लगीं। उसकी आँखें बंद होने लगीं। उसकी चूत पूरी तरह भीग चुकी थी। वो अब विरोध नहीं कर पा रही थी। उसका बदन ससुर के स्पर्श का गुलाम हो चुका था।

[Image: muskaan-agarwal-full-nude-6.jpg]
[Image: muskaan-agarwal-full-nude-731x411.jpg]
[Image: 1749503-1726948477796-040302.webp]
[Image: Snap-Twitter-io-GIFBABA28-d40-035640.jpg]
[+] 1 user Likes Dhamakaindia108's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: खुशबू : गोल्ड डिगर हाउसवाइफ - by Dhamakaindia108 - 10-09-2025, 10:43 AM



Users browsing this thread: 4 Guest(s)