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Adultery वासना का नशा
#35
शर्मिला ने जब पहली बार कालू का लंड देखा था तब वे उसके साइज से डर गयी थीं पर अब उनकी कामोत्तेजना इतनी तीव्र हो चुकी थी कि वे चुदने के लिए अधीर थीं. उन्होंने अपनी आँखों से कालू को मौन निमन्त्रण दिया. कालू ने उन्हें पीठ के बल लिटा दिया. वो उनकी जाँघों को फैला कर उनके बीच आ गया. उसने अपना लंड हाथ में ले कर उसे शर्मिला की जांघों के बीच फिराया. लंड चूत की फांकों को सहलाते हुए चूत के मुहाने पर आया पर वहां थोड़ी छेड़खानी करने के बाद क्लाइटोरिस पर पहुँच गया. कालू ने थोड़ी देर सुपाडे से क्लाइटोरिस को मसला और फिर उसे चूत के द्वार पर पहुंचा दिया. इस बार उसकी चूत के साथ छेड़छाड़ कुछ लम्बी चली. चूत अनवरत पानी छोड़ कर लंड का प्रवेश सुगम बना रही थी पर लंड था कि टालमटोल किये जा रहा था. अनुभवी कालू अपनी चेष्टा से शर्मिला को कामावेग के शिखर पर ले गया था. इस बार जब उसने लंड को चूत से हटाया तो शर्मिला बेसाख्ता बोल उठीं, “ऐसे क्यों तरसा रहे हो? अब घुसा भी दो.


चालाक कालू ने लंड को उनकी गांड से सटा कर पूछा, “कहाँ, मेमसाहब?”

शर्मिला को अपनी गांड पर चिकने और गीले लंड का स्पर्श सुहावना लग रहा था पर वे कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थीं. उन्होंने फ़ौरन उत्तर दिया, “मेरी चूत में!और यह कह कर वे शर्मा गईं.

चुदाई में उस्ताद कालू ने भांप लिया था कि गीली होने के बावजूद शर्मिला की संकड़ी चूत उसका लंड आसानी से नहीं ले पाएगी. उसने अपने हाथ से लंड पर अच्छी तरह थूक लगाया. फिर उसने झुक कर अपने मुंह से सीधे चूत पर थूक टपकाया. एक ऊँगली से थूक को चूत के अन्दर तक पहुँचा कर वो शर्मिला के ऊपर लेट गया. उसने अपनी उँगलियों से उनकी जांघों को टटोल कर अपना निशाना ढूंढा और अपने लंड को निशाने पर रख दिया. उसने अपने कूल्हों को हौले से आगे धकेला. शर्मिला के मुँह से एक सिसकारी निकल गई पर लंड को अभी प्रवेश नहीं मिला था. कालू ने कहा, “मेमसाहब, आपकी चूत बड़ी संकड़ी है! आपको थोडा दर्द हो सकता है.

कोई बात नहीं,” शर्मिला ने हौसला दिखाया. तुम घुसाओ.

कालू ने अपना मुँह उनके होठों पर रख दिया. कुछ देर वो उनके होंठों को चूमता रहा और फिर अचानक उसने पूरी ताक़त से एक धक्का मारा. उसका फौलादी लंड अपना निशाना भेदता हुआ पूरा अंदर घुस गया. शर्मिला का मुंह कालू के मुंह से छिटका और उससे एक लम्बी उईई…!’ निकल गई. साथ ही उनका शरीर बेसाख्ता लरज़ उठा. कमली ने कालू को लताड़ा, “ये क्या कर दिया, ज़ालिम! बीबीजी को दर्द हो रहा है!

कालू अपना लंड बाहर खींच पाता उससे पहले शर्मिला ने उसकी कमर को अपने हाथों से थामा और कहा, “नहीं कालू, बाहर मत निकालना. मैं ठीक हूँ.उन्हें थोड़ी तकलीफ हुई थी पर वे हार मानने को तैयार नहीं थी. उन्हें लगा कि जिस लंड को कमली रोज़ झेलती थी उसे वे नहीं झेल पायीं तो उनकी हार हो जाएगी.

कालू बहुत खुश था. जिस चूत को हासिल करने के सपने वो कई दिन से देख रहा था वो अब उसके कब्जे में थी. और अपने लंड पर उस टाईट चूत की कसावट उसे बहुत मज़ेदार लग रही थी. अब उसे कोई जल्दी नहीं थी. कुछ देर वो बिना हिले शर्मिला के होंठों का रस पीता रहा. जब शर्मिला का दर्द दूर हो गया तब उन्होंने अपनी कमर को हरक़त दी. कालू उनके इशारे को समझ गया. चुदाई-कला में एक्सपर्ट तो वो था ही. अब वो उन्हें पूरी महारत से चोदने लगा. उसके मोटे लंड ने शर्मिला की कसी हुई चूत को फैला दिया था और अब लंड का आवागमन बेरोकटोक हो रहा था. कालू ने धीरे-धीरे अपने धक्कों की ताक़त बढ़ा दी. शर्मिला ने अपनी टांगों से कालू की कमर को भींच रखा था. दर्द की जगह अब मस्ती ने ले ली थी और वे अब कालू के धक्कों का लुत्फ़ ले रही थीं. उनकी आँखें बंद थीं. कुछ देर बाद उनकी साँसें बेतरतीब हो गईं. चुदते हुए उन के मुँह से बराबर ऊंsssऊं…! ओह...! आहsss...!’ की ध्वनि निकल रही थीं.

कमली जान गई थी कि शर्मिला चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थीं पर उन्हें छेड़ने के लिए उसने पूछा, “दर्द हो रहा है क्या, बीवीजी? इसे निकालने के लिए कहूं?”

नहीं,” शर्मिला ने सिसकारियों के बीच जवाब दिया.

कैसा लग रहा है अब?” कमली ने फिर पूछा.

बहुत अच्छा लग रहा है,” शर्मिला ने कहा. अब उतेजनावश उनके नितम्ब उछलने लगे थे. उनकी सक्रिय भागीदारी से कालू और भी खुश हो गया. वो पूरी तबीयत से धक्के लगाने लगा. शर्मिला उसकी ताल से ताल मिला कर उसके पुरजोर धक्कों का जवाब दे रही थीं.

कमली को अखिल बाबू की एक बात याद आई. उन्होंने कहा था कि बीवीजी सिर्फ नीचे लेटती हैं, बाकी सब उन्हें ही करना पड़ता है. उसने सोचा कि क्यों न आज इनसे कुछ नया करवाया जाए! उसने कालू से कहा, “ज़रा रुक तो. तू ही ऊपर चढ़ा रहेगा या बीवीजी को भी ऊपर आने देगा?”

ओह, मैं तो भूल ही गया था,” कालू ने रुक कर अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश की.

नहीं,” शर्मिला ने अपनी चूत को भींचते हुए कहा. ऐसे ही ठीक है.

चूत की पकड़ मजबूत होने के कारण कालू का लंड अंदर ही फंसा रहा पर वो कमली की बात से सहमत था. वो जानता था कि जब शर्मिला उसके ऊपर होंगी तो वो चुदाई का मज़ा लेने के साथ-साथ उनके हुस्न का पूरा नज़ारा भी देख सकेगा. वो बोला, “कमली ठीक कहती है, मेमसाहब. आपको भी तो अपने सेवक की सवारी करनी चाहिए.

वो उनके ऊपर से उतर कर पलंग पर लेट गया. उसने शर्मिला का हाथ पकड़ कर उन्हें अपने ऊपर खींचा. शर्मिला लजाते हुए उसके ऊपर आ गईं. उन्होंने उसके लंड को हाथ में पकड़ा और अपनी चूत को उस पर टिकाया. उन्होंने अपनी चूत को धीरे-धीरे नीचे धकेला. कुछ ही पलों में उन्होंने पूरा लंड अपने अंदर ले लिया. उन्होंने विजयी दृष्टि से कमली की ओर देखा तो कमली ने कहा, “बीवीजी, अब आपको जैसे धक्के पसंद हैं, वैसे लगा सकती हैं.

ज़िन्दगी में पहली बार चुदाई की कमान शर्मिला के हाथ में आई थी. उन्होंने हलके धक्कों से शुरुआत की. जब उनका आत्मविश्वास बढा तो उनके धक्कों में और ताक़त आने लगी. कालू ने उनकी कमर को अपने हाथों से थामा और वो भी उनका साथ देने लगा. उसकी नज़रें उनके फुदकते जिस्म पर जमी हुई थी. वो अपनी किस्मत पर इतरा रहा था कि आज उसे ऐसी हसीन औरत को चोदने का मौका मिला था. साथ ही वो उनकी कसी हुई चूत का पूरा लुत्फ़ उठा रहा था. लुत्फ़ शर्मिला भी उठा रही थीं. वे जान गयी थीं कि चुदाई का मज़ा पुरुष की शक्ल-सूरत पर नहीं बल्कि उसके काम-कौशल और उसके लंड की शक्ति और क्षमता पर निर्भर करता है. और कालू इन सब का स्वामी था. वे एक बार तो चुदने से पहले ही झड़ चुकी थीं और अब दूसरी बार झड़ने के कगार पर थीं.

कालू नीचे से अपनी ताक़तवर रानों से शर्मिला की चूत में पुरजोर धक्के मार रहा था. उसने उनकी कमर को कस के पकड़ लिया था ताकि लंड चूत से बाहर न निकल जाए. शर्मिला के गले से अजीब आवाजें निकल रही थीं. कालू उनके चेहरे के बदलते नक्श देख कर भांप गया था कि वे अब अपनी मंजिल के नज़दीक थीं. उसने उन्हे चोदने में अपनी पूरी ताक़त लगा दी.

शर्मिला अब पूरी दुनिया से बेखबर थीं. उनकी आँखें बंद थी, सांसें उखड रही थीं और जिस्म बेकाबू था. उनका पूरा ध्यान अब उन मदमस्त तरंगों पर केन्द्रित था जो एक के बाद एक उनकी चूत से उठ रही थीं. कमली ने उनसे पूछा, ‘बीवीजी, ये ठीक तरह से चोद रहा है कि नहीं?’

शर्मिला बरबस बोल उठीं, “बहुत अच्छी तरह चोद रहा है, कमली ... बहुत अच्छी तरह!

और इन शब्दों के साथ ही उनका शरीर अकड़ने लगा. उनकी तनावग्रस्त चूत फड़कने लगी. कालू उनको चोदते हुए बोला, “निकाल दीजिये, मेमसाहब! निकाल दीजिये अपनी चूत का पानी!

और वही हुआ. शर्मिला बड़े जोर से उसके लंड पर झड़ीं. और ऐसे झड़ीं कि वे अपनी सुधबुध खो बैठीं. उन्हें ब्रह्माण्ड अपने चारों तरफ घूमता हुआ प्रतीत हुआ. उन्हें पता ही नहीं चला कि वे कब आनन्द के अतिरेक में कालू के ऊपर गिर गईं.
 
क्रमशः
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RE: वासना का नशा - by momass - 06-09-2025, 07:49 AM
RE: वासना का नशा - by rangeeladesi - 09-09-2025, 08:46 PM
RE: वासना का नशा - by momass - 07-10-2025, 07:02 AM



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