08-09-2025, 03:31 PM
(07-09-2025, 08:23 PM)rangeeladesi Wrote: कालू एक कुर्सी पर लुंगी और बनियान पहने बैठा था. जैसे ही कमली ने दरवाजा बंद किया, कालू लपक कर शर्मिला के पास गया और उसने अपने दोनों हाथ उनकी कमर पर रख दिए. उसकी भूखी नज़रें उनके चेहरे पर जमी हुई थीं. लगता था कि वो उन्हें अपनी आँखों से ही खा जाना चाहता हो. वो उन्हें लम्पटता से घूरते हुए कमली से बोला, “कमली, बाबूजी के पास ऐसा जबरदस्त माल था फिर भी तू उनकी नज़रों में चढ़ गई! पर जो भी हो, इसके कारण मेरी किस्मत खुल गई. अब मैं इस चकाचक माल की दावत उड़ाऊंगा.”
उसने अपना मुंह शर्मिला के होंठों की ओर बढाया पर वे अपनी गर्दन पीछे कर के बोलीं, “नहीं, यहाँ कमली है.”
“तो क्या हुआ, मेमसाहब?” कालू ने कहा. “इसके साथ बाबूजी ने जो किया, वो मैंने देखा. अब मैं आपके साथ जो करूंगा, वो इसे देखने दीजिये. हिसाब बराबर हो जाएगा.”
कमली ने अपने पति का परोक्ष समर्थन करते हुए कहा, “अरे, हिसाब की बात तो अलग है. पर अब मैं जाऊं भी तो कहाँ? इस घर में तो जगह है नहीं और मैं किसी पडोसी के घर गई तो वो सोचेगा कि यह रात को अपनी भाभी को अपने मरद के पास छोड़ कर हमारे घर क्यों आई है? ... बीवीजी, आपको तकलीफ तो होगी पर मेरा यहाँ रहना ही ठीक है.”
अब शर्मिला के पास कोई चारा न था. और कमली जो कह रही थी वह ठीक भी था. उन्होंने हलके से गर्दन हिला कर हामी भरी. अब कालू को जैसे हरी झंडी मिल गई थी. उसने उनके होंठों पर ऊँगली फिराते हुए कहा, “ओह, कितने नर्म हैं, फूल जैसे! ... और गाल भी इतने चिकने!”
उसका हाथ उनके पूरे चेहरे का जुगराफिया जानने की कोशिश कर रहा था. पूरे चेहरे का जायजा लेने के बाद उसका हाथ उनके गले और कंधे पर फिसलता हुआ उनके सीने पर पहुँच गया. उसने आगे झुक कर अपने होंठ उनके गाल से चिपका दिए. वो अपनी जीभ से पूरे गाल को चाटने लगा. साथ ही उसकी मुट्ठी उनके उरोज पर भिंच गई. शर्मिला डर रही थी कि वो उनके स्तन को बेदर्दी से दबाएगा पर उसकी मुट्ठी का दबाव न बहुत ज्यादा था और न बहुत कम.
कालू ने अपने होंठों से उनके निचले होंठ पर कब्ज़ा कर लिया और वो उसे नरमी से चूसने लगा. कुछ देर उनके निचले होंठ को चूसने के बाद उसने अपने होंठ उनके दोनों होठों पर जमा दिये. उनके होंठों को चूमते हुए वो कपड़ों के ऊपर से ही उनके स्तन को भी मसल रहा था. शर्मिला ने सोचा था कि कालू जो करेगा, वे उसे करने देंगी पर वे स्वयं कुछ नहीं करेंगीं. वैसे भी काम-क्रीडा में ज्यादा सक्रिय होना उनके स्वभाव में नहीं था.
उनके होंठों का रसपान करने के बाद कालू ने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी. जब जीभ से जीभ का मिलन हुआ तो शर्मिला को कुछ-कुछ होने लगा. वे निष्काम नहीं रह पायीं. वे भी कालू की जीभ से जीभ लड़ाने लगीं. उनके स्तन पर कालू के हाथ का मादक दबाव भी उनमे उत्तेजना भर रहा था. उन्हें लगा जैसे वे तन्द्रा में पहुंच गयी हों. उसी तन्द्रा में वे अपनी प्रकृति के विपरीत कालू को सहयोग करने लगीं. उनकी तन्द्रा कमली के शब्दों ने तोड़ी जब वो कालू से बोली, “अरे, ऊपर-ऊपर से ही दबाएगा क्या? चूंची को बाहर निकाल ना. पता नहीं ऐसी चूंची फिर देखने को मिलेगी या नहीं!”
कमली के शब्दों और उसकी भाषा से शर्मिला यथार्थ में वापस लौटीं. उन्हें पता था कि निचले तबके के मर्दों द्वारा ऐसी भाषा का प्रयोग असामान्य नहीं था पर एक स्त्री के मुंह से ‘चूंची’ जैसा शब्द सुनना उन्हें विस्मित भी कर गया और रोमान्चित भी. कालू ने उनकी साड़ी का पल्लू गिराया और वो कमली से बोला, “आ जा, तू ही बाहर निकाल दे. फिर दोनों देखेंगे.”
कमली ने उनके पीछे आ कर पहले उनका ब्लाउज उतारा और फिर उनकी ब्रा. जैसे ही उनके उरोज अनावृत हुए, कालू बोल उठा, “ओ मां! कमली देख तो सही, क्या मस्त चून्चियां हैं, रस से भरी हुई!”
अब कमली भी उनके सामने आ गई और मियां-बीवी दोनों उनके उरोजों को निहारने लगे. दोनों मंत्रमुग्ध से लग रहे थे. उनकी दशा देख कर शर्मिला को अपने स्तनों पर गर्व हो रहा था. उनकी नज़र अपने वक्षस्थल पर गई तो उन्हें भी लगा कि उनकी ‘चून्चियां’ वास्तव में चित्ताकर्षक हैं. फिर उन्होंने तुरंत मन ही मन कहा, ‘यह क्या? मैं भी इन लोगों की भाषा में सोचने लगी!’ पर उन्हें यह बुरा नहीं लगा.
कालू ने उनकी साड़ी उतार कर उन्हें पलंग पर लिटा दिया. उसने कहा, “मेमसाहब, अब तो मैं जी भर कर इन मम्मों का रस पीऊंगा.”
यह नया शब्द सुन कर शर्मिला की उत्तेजना और बढ़ गई. कालू ने उनका एक मम्मा अपने हाथ में पकड़ा और दूसरे पर अपना मुँह रख दिया. अब वह एक मम्मे को अपने हाथ से सहला रहा था और दूसरे को अपनी जीभ से. कमरे में लपड़-लपड़ की आवाजें गूंजने लगीं. शर्मिला की साँसें तेज़ होने लगीं. उनका चेहरा लाल हो गया. जब कालू की जीभ उनके निप्पल को सहलाती, उनका पूरा शरीर कामोत्तेजना से तड़प उठता. उन्हें लग रहा था कि कालू इस खेल का मंजा हुआ खिलाडी है. उनकी आँखें बंद थीं और वे कामविव्हल हो कर मम्मे दबवाने और चुसवाने का आनंद ले रही थीं.
कमली एक बार फिर उन्हें यथार्थ के धरातल पर ले आई. उसने पूछा, “बीवीजी, आपको तकलीफ तो नहीं हो रही है? यह ठीक तरह से दबा रहा है?”
शर्मिला ने आँखें खोल कर सिर्फ इशारे से जवाब दिया. कमली समझ गई कि वे खुश हैं. उसने कालू से पूछा, “और तुझे कैसा लग रहा है रे? ऐसे चूस रहा है जैसे खाली कर देगा!”
“तेरी कसम कमली, ऐसी रसीली चून्चिया भगवान किसी किसी को ही देता है. तू चूस के देख. तू भी मान जायेगी.”
“सच?” कमली के कहा. “चल, एक तू चूस और एक मुझे चूसने दे.”क्रमशः
Oh, threesome hone wala hai!