07-09-2025, 04:44 PM
(This post was last modified: 08-09-2025, 04:09 AM by Fuckuguy. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
भाग 9: मेले में शरारतें और ठाकुर की हवेली का काम (मानसिक मजबूती का विकास और नई जिम्मेदारियों की शुरुआत)
रामपुर गाँव में दिवाली का मेला अब पूरे शबाब पर था, लेकिन राहुल के लिए ये सिर्फ एक बहाना था खुद को व्यस्त रखने का। सुबह की पहली किरणें अभी-अभी निकली थीं, हवा में हल्की ठंडक थी, और दूर से मेले की आवाज़ें – झूलों की चरचराहट, पटाखों की गूँज, और बच्चों की हँसी – गाँव को जीवंत बना रही थीं। राहुल का छोटा सा कच्चा घर आज थोड़ा चमकदार लग रहा था – आँगन में रंगोली के रंग बिखरे हुए, दरवाज़े पर टंगी झालरें हवा में हिल रही थीं, और रसोई से माँ सुमन के हाथों की बनी मिठाइयों की महक फैल रही थी। राहुल बिस्तर से उठा, उसके शरीर में एक नई ऊर्जा थी – कल रात cousins रीता और सीमा के साथ बिताए पलों की यादें अभी ताज़ा थीं, लेकिन आज वो खुद को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा था। "कल का मजा अच्छा था, लेकिन अब बस। सेक्स हर समस्या का हल नहीं। मुझे mentally मजबूत बनना है," राहुल सोचता, और खिड़की से बाहर देखा। गाँव की पगडंडी पर लोग मेले की ओर जा रहे थे, खेतों में हरी फसलें लहरा रही थीं, और आकाश साफ नीला था। राहुल ने फैसला किया – आज सुबह दौड़ लगाऊँगा। physically मजबूत बनना उसके लिए अब एक लक्ष्य था; रोज़ की दौड़ से उसके पैर मजबूत हो रहे थे, साँसें नियंत्रित, और शरीर में स्टैमिना बढ़ रहा था। वो बाहर निकला, गाँव की सड़कों पर दौड़ने लगा – हवा उसके चेहरे से टकरा रही थी, पसीना बह रहा था, लेकिन मन शांत हो रहा था। "शहर में
करने के लिए body और mind दोनों मजबूत चाहिए," वो खुद से कहता, और दौड़ते हुए किताब "सपनों की उड़ान" की बातें याद करता। किताब में हीरो गरीबी से लड़ता है, छोटी-छोटी जीत से बड़ा बनता है। राहुल emotionally grow कर रहा था – guilt कम हो रही थी, सपने साफ हो रहे थे। "मीना, मोना, रेखा, सरला – सब अतीत है। अब माँ और खुद के लिए जिऊँगा।"
करने के लिए body और mind दोनों मजबूत चाहिए," वो खुद से कहता, और दौड़ते हुए किताब "सपनों की उड़ान" की बातें याद करता। किताब में हीरो गरीबी से लड़ता है, छोटी-छोटी जीत से बड़ा बनता है। राहुल emotionally grow कर रहा था – guilt कम हो रही थी, सपने साफ हो रहे थे। "मीना, मोना, रेखा, सरला – सब अतीत है। अब माँ और खुद के लिए जिऊँगा।"दौड़ से लौटकर राहुल ने नहाया, ठंडे पानी से शरीर को तरोताज़ा किया। सुमन ने नाश्ता परोसा – गर्म रोटियाँ, दही, और घर की बनी चटनी। "बेटा, आज मेला घूम आए। cousins इंतज़ार कर रही हैं," सुमन ने कहा, उसके चेहरे पर मुस्कान लेकिन आँखों में चिंता। सुमन का मन आज हल्का था – मेले की वजह से गाँव में खुशी थी, और राहुल की उदासी कम लग रही थी। लेकिन ठाकुर की हवेली का काम उसे सता रहा था; कल ठाकुर ने फिर बुलाया था, लेकिन वो मना कर आई थी। "अब पैसे की व्यवस्था कैसे करूँ? राहुल की पढ़ाई..." सुमन सोचती, लेकिन राहुल से कुछ नहीं कहा। राहुल ने खाते हुए माँ से बात की, "माँ, मैं ठाकुर की हवेली में पार्ट-टाइम काम करने लगा हूँ। बगीचे का काम, पैसे मिलेंगे।" सुमन चौंकी, "बेटा, ठाकुर... वो..." लेकिन राहुल ने काटा, "माँ, मैं संभाल लूँगा। तुम चिंता मत करो।" emotionally राहुल मजबूत हो रहा था – माँ की जिम्मेदारी अब वो उठा रहा था, guilt से निकलकर responsibility ले रहा था। सुमन की आँखें नम हो गईं, "तू बड़ा हो गया बेटा। लेकिन सावधान रहना।" राहुल ने माँ को गले लगाया, "सब ठीक होगा माँ।"
सुबह बीती, राहुल cousins के साथ मेला घूमने निकला। रीता और सीमा तैयार थीं – रीता छोटी स्कर्ट में, सीमा सलवार सूट में। मेला अब दिन की रोशनी में और चमकदार लग रहा था – स्टॉलों पर मिठाइयाँ, खिलौने, और झूले घूम रहे थे। राहुल ने उन्हें घुमाया – पहले चाट का स्टॉल, जहाँ तीनों ने तीखी चाट खाई। रीता हँसती, "राहुल भाई, शहर में ऐसी चाट नहीं मिलती। तू साथ होता तो मजा आता।" सीमा शर्मा कर बोली, "भाई, कल रात की याद आ रही है।" राहुल मुस्कुराया लेकिन टॉपिक बदल दिया, "चलो, नाच देखें।" स्टेज पर लोक नृत्य हो रहा था – लड़कियाँ रंग-बिरंगी साड़ियों में घूम रही थीं, ढोल की थाप पर कमर हिला रही थीं। राहुल देखता रहा, लेकिन मन में सेक्स की बजाय संगीत का मजा ले रहा था। "पहले तो ऐसी चीज़ें उत्तेजित करतीं, लेकिन अब है," वो सोचा। mentally वो grow कर रहा था – किताब पढ़कर, डायरी लिखकर, खुद को समझकर। cousins के साथ हँसना-बोलना उसे अपनापन दे रहा था; रीता की bold बातें, सीमा की शर्म – सब परिवार जैसा लगता। emotionally राहुल heal हो रहा था – बचपन की यादें ताज़ा हो रही थीं, गरीबी की कड़वाहट कम हो रही थी।
दोपहर हुई, राहुल ठाकुर की हवेली जाने लगा। "काम है, शाम को मिलते हैं," वो cousins से बोला। हवेली बड़ी थी – ऊँची दीवारें, बड़ा बगीचा, और अंदर ठाकुर का राज। राहुल बगीचे में काम करने लगा – पौधों को पानी देना, घास काटना। physically ये काम उसे मजबूत बना रहा था – पसीना बहता, मसल्स दर्द करते, लेकिन संतुष्टि मिलती। ठाकुर बाहर आया, उसका मोटा शरीर, दाढ़ी वाला चेहरा, और आँखों में लालच। "राहुल, अच्छा काम कर रहा है। तेरी माँ को बोल, आज शाम आए।" राहुल का गुस्सा भड़का, लेकिन शांत रहा, "साहब, माँ अब नहीं आएगी। मैं हूँ न काम के लिए।" ठाकुर हँसा, "बड़ा हो गया रे। लेकिन याद रख, गाँव मेरा है।" राहुल चुप रहा, लेकिन अंदर से मजबूत महसूस कर रहा था – "अब ठाकुर से नहीं डरूँगा। पैसे कमाऊँगा, माँ को बचाऊँगा।" काम करते हुए वो सोचता रहा – शहर जाने का प्लान, कॉलेज पास करना, और नई जिंदगी। mentally वो प्लान बना रहा था – किताब से इंस्पिरेशन लेकर, छोटे लक्ष्य सेट कर। emotionally, माँ की चिंता उसे motivate कर रही थी।
शाम हुई, राहुल घर लौटा। cousins इंतज़ार कर रही थीं। रीता ने कहा, "चल, फिर मेला घूमें। रात का मजा अलग है।" तीनों निकले – मेला अब लाइटों से जगमगा रहा था, पटाखे फूट रहे थे, और भीड़ में हँसी-ठिठोली। राहुल ने आइसक्रीम खरीदी, तीनों ने खाई। सीमा ने कहा, "भाई, शहर आना। वहाँ पढ़ाई कर।" राहुल ने हाँ कहा, "जल्दी आऊँगा।" रात गहराती गई, cousins के साथ बातें – रीता की शहर की कहानियाँ, सीमा की शरारतें। राहुल हँसता रहा, अपनापन महसूस करता। "परिवार ही ताकत है," वो सोचा। सेक्स की बजाय, आज का दिन विकास का था – physically काम से, mentally प्लानिंग से, emotionally बॉन्डिंग से। राहुल की story आगे बढ़ रही थी, वो अब सिर्फ गरीब लड़का नहीं, एक महत्वाकांक्षी युवा बन रहा था।


![[Image: RDT-20250907-2057284853412015800746607.jpg]](https://i.ibb.co/7xVV9fwV/RDT-20250907-2057284853412015800746607.jpg)
![[+]](https://xossipy.com/themes/sharepoint/collapse_collapsed.png)