07-09-2025, 04:03 PM
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भाग 8: गाँव के मेले की तैयारी और cousins का आना (भावनात्मक विकास और नई उम्मीदों की शुरुआत)
रामपुर गाँव में दिवाली का मेला आने वाला था, और पूरा गाँव उत्साह से भरा हुआ था। सुबह की धुंध अभी छँटी नहीं थी, लेकिन हवा में मिठाइयों की महक और झालरों की चमक पहले से ही महसूस हो रही थी। राहुल का छोटा सा घर आज थोड़ा अलग लग रहा था – आँगन में सुमन ने रंगोली बनाई थी, दीवारों पर पुरानी लाइटें टांगी थीं, और रसोई से गुड़ की मिठाई की खुशबू आ रही थी। राहुल बिस्तर से उठा, उसके मन में कल शाम रेखा के साथ बिताए पलों की यादें ताज़ा थीं – रेखा की गर्म चूत, उसकी कराहें, और वो मजा जो guilt के साथ मिला था। लेकिन आज वो खुद को संभालने की कोशिश कर रहा था। "बस, अब पढ़ाई पर फोकस करूँगा। मेला आएगा, शायद मन बहल जाएगा," राहुल सोचता, और आईने में खुद को देखा। उसका शरीर अब मजबूत हो रहा था – रोज़ की साइकिलिंग और घर के काम से मसल्स उभर आए थे, चेहरा गंभीर लेकिन आकर्षक। गरीबी ने उसे physically strong बनाया था, लेकिन emotionally वो अभी भी कमज़ोर था। मीना की दूरी, मोना का अलगाव, सरला काकी और रेखा के साथ के राज़ – सब उसे सताते। "मैं क्यों हर बार गिर जाता हूँ? सेक्स मजा देता है, लेकिन बाद में खालीपन क्यों?" वो खुद से सवाल करता, और फैसला करता – "अब mentally मजबूत बनूँगा। किताबें पढ़ूँगा, सपनों पर फोकस करूँगा। शहर जाना है, माँ को खुश रखना है।"
सुमन रसोई में थी, उसके हाथों में आटा गूंथा हुआ था। वो राहुल को देखकर मुस्कुराई, "बेटा, आज मेला की तैयारी है। शहर से तेरी cousins आ रही हैं – रीता और सीमा। तू उन्हें घुमाना।" सुमन का दिल आज हल्का था – मेले की वजह से गाँव में खुशी थी, और राहुल की उदासी कम लग रही थी। लेकिन अंदर से वो चिंतित थी, ठाकुर ने कल फिर बुलाया था, लेकिन वो मना कर आई थी। "अब बस, राहुल के लिए जीऊँगी," सुमन सोचती। राहुल ने नाश्ता किया – रोटी और दाल, और बोला, "माँ, मैं बाज़ार जाकर मेले की चीज़ें लाता हूँ।" सुमन ने पैसे दिए, "जल्दी लौटना बेटा।" राहुल साइकिल पर निकला, गाँव की सड़कों से गुजरते हुए वो सोचता रहा। बाज़ार में भीड़ थी – मिठाइयाँ, पटाखे, झालरें। राहुल ने कुछ मिठाई खरीदी, और एक किताब स्टॉल पर रुका। वहाँ एक किताब मिली – "सपनों की उड़ान" नाम की, जो महत्वाकांक्षा और संघर्ष की कहानी थी। "ये पढ़ूँगा," राहुल ने सोचा, और खरीद ली। किताब पढ़कर वो emotionally grow कर रहा था – किताब में हीरो गरीबी से निकलता है, राहुल को लगा, "मैं भी कर सकता हूँ। सेक्स से दूर रहूँगा, फोकस पढ़ाई पर।" physically वो रोज़ सुबह दौड़ने लगा था, शरीर मजबूत बनाने के लिए। mentally, वो डायरी लिखने लगा – अपनी भावनाएँ, guilt, और सपने। "मीना, मोना, सब भूल जाऊँगा। अब खुद के लिए जिऊँगा," वो लिखता।
दोपहर हुई, स्टेशन से cousins आईं – रीता और सीमा। रीता 19 साल की, शहर की लड़की, bold और आकर्षक – छोटी ड्रेस, लंबे बाल, और मुस्कान जो किसी को भी लुभा ले। सीमा 17 साल की, शर्मीली लेकिन प्यारी – सलवार सूट में, गोरी चमड़ी, और बड़ी आँखें। दोनों राहुल की मौसी की बेटियाँ थीं, बचपन में साथ खेलते थे। राहुल उन्हें लेने गया, "रीता दी, सीमा, कैसे हो?" रीता ने गले लगाया, "राहुल भाई, तू कितना बड़ा हो गया! शहर जैसा लग रहा है।" सीमा शर्मा कर मुस्कुराई, "भाई, गाँव अभी भी वैसा ही है?" राहुल हँसा, "हाँ, लेकिन मेला आएगा, मजा आएगा।" घर लौटते हुए बातें हुईं – रीता ने शहर की कहानियाँ सुनाईं, कॉलेज की पार्टीज़, बॉयफ्रेंड्स। राहुल सुनता, लेकिन अंदर से सोचता, "शहर ऐसा है? मैं भी जाऊँगा।" सीमा चुप थी, लेकिन राहुल को देखकर शर्मा रही। घर पहुँचकर सुमन ने स्वागत किया, मिठाई दी। शाम को मेला शुरू होने वाला था – गाँव में स्टेज सजा, नाच-गाना, झूले। राहुल cousins को घुमाने ले गया। मेला में रंग-बिरंगी लाइटें, पटाखों की आवाज़, और भीड़। रीता उत्साहित, "चल, झूला झूलें!" तीनों झूले पर चढ़े, हवा में उड़ते हुए हँसे। राहुल को लगा, "कितने से हँसा नहीं था। cousins के साथ अच्छा लग रहा।" emotionally वो heal हो रहा था – परिवार का साथ उसे अपनापन दे रहा था।
रात हुई, मेला और चमकदार। रीता ने कहा, "राहुल, चल पीछे घूमें। भीड़ से दूर।" तीनों मेला के पीछे गए, जहाँ अंधेरा था लेकिन सितारे चमक रहे। रीता bold थी, राहुल को चिढ़ाया, "भाई, girlfriend है? शहर में तो लड़कियाँ लाइन लगाती होंगी तेरे जैसे के लिए।" राहुल हँसा, "नहीं दी, पढ़ाई पर फोकस है।" लेकिन रीता करीब आई, "झूठ मत बोल। तू इतना handsome है।" सीमा देख रही थी, शर्मा रही। रीता ने राहुल का हाथ पकड़ा, "चल, मस्ती करें। cousins हैं, कोई प्रॉब्लम नहीं।" राहुल हिचकिचाया, लेकिन रीता ने किस कर लिया। "दी..." राहुल बोला। रीता हँसी, "चुप। मुझे अच्छा लग रहा।" सीमा हैरान, "दी, ये क्या?" लेकिन रीता ने सीमा को भी खींचा, "जॉइन कर न।" राहुल का मन भटका – cousins के साथ? लेकिन शरीर प्रतिक्रिया दे रहा था। रीता ने अपनी ड्रेस ऊपर की, पैंटी दिखाई। "छू न राहुल।" राहुल ने छुआ, रीता गीली थी। "आह... राहुल... उँगली डाल..." रीता कराही। राहुल ने डाली, रीता सिसकारी, "उफ्फ... जोर से... ओoooooooohhhhhhh... कितना अच्छा... तू expert है रे..."
सीमा देख रही थी, डरती लेकिन उत्सुक। रीता wild थी – शहर की लड़की, अनुभवी। वो राहुल की पैंट खोली, लंड निकाला। "वाह... कितना बड़ा... Aaaaahhhhh... चूसूँगी..." रीता चूसने लगी, तेज़। राहुल कराहा, "दी... आह..." रीता wild हो गई, "Mmmmaaaaaaaaaaa... कya लंड है तेरा... चोद मुझे राहुल... मेरी चूत फाड़ दे..." राहुल ने रीता को घोड़ी बनाया, चूत में डाला। रीता चिल्लाई लेकिन मजा लेते हुए, "Ooooooooohhhhhhh... हाँ... जोर से... मेरी चूत फट गई... कितना बड़ा है रे तेरा... Aaaaahhhhh... रोज़ चुदवाऊँगी तुझसे..." धक्के तेज़, रीता कमर हिला रही, wild कराहें – "फाड़ दे... उफ्फ... मैं झड़ रही... Aaaaahhhhh..." रीता झड़ी, राहुल ने बाहर झाड़ा।
सीमा अब डर रही थी, "भाई... मैं कुंवारी हूँ..." लेकिन रीता ने कहा, "ट्राई कर न।" राहुल धीरे से सीमा के पास गया, किस किया। सीमा शर्मा कर बोली, "भाई... धीरे..." राहुल ने उसके सूट उतारे, छोटे स्तन चूसे। सीमा सिसकारी, "उफ्फ... दर्द... लेकिन अच्छा..." राहुल नीचे गया, चूत चाटी। सीमा चिल्लाई, "निकालो... बहुत बड़ा लग रहा... दर्द हो रहा..." लेकिन राहुल धीरे से उँगली डाली, सीमा धीरे-धीरे मजा लेने लगी, "आह... अब अच्छा... सिसकारी... उफ्फ..." फिर राहुल ने लंड रखा, धीरे डाला। सीमा चिल्लाई, "Aaaaahhhhh... निकालो... बहुत बड़ा है... दर्द हो रहा... चूत फट जाएगी..." लेकिन राहुल रुका, चूमता रहा। धीरे-धीरे सीमा को मजा आया, सिसकारियाँ लेने लगी, "उफ्फ... अब अच्छा... धीरे चोद... आह..." फिर वो wild हुई, "जोर से... Ooooooooohhhhhhh... राहुल... चोद मुझे... मेरी चूत तेरी... Aaaaahhhhh... कितना मजा..." धक्के तेज़, सीमा झड़ी, "Mmmmaaaaaaaaaaa... मैं गई..." राहुल ने बाहर झाड़ा।
तीनों लेटे रहे, सितारे देखते। रीता बोली, "राहुल, तू कमाल है।" सीमा शर्मा कर, "भाई, फिर करेंगे।" राहुल को मजा आया, लेकिन guilt नहीं – "ये परिवार है, अपनापन है।" emotionally वो मजबूत हो रहा था, cousins के साथ हँसकर। मेले की रात बीती, राहुल ने सोचा, "अब शहर की तैयारी करूँगा।" physically वो दौड़ता रहा, किताब पढ़ता रहा। story आगे बढ़ रही थी, राहुल grow कर रहा था – mentally सपनों से, emotionally परिवार से।


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