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Incest राहुल का कामुक सफर - गरीबी की छाया से शहर की चमक तक
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भाग 5: मोना की जलन और अलगाव (शरारती दोस्ती का अंत और भावनात्मक दूरी)

रामपुर गाँव में अगली सुबह की शुरुआत हमेशा की तरह हुई, लेकिन राहुल के लिए सब कुछ बदल चुका था। सूरज की किरणें उसके छोटे से कमरे की खिड़की से अंदर आ रही थीं, दीवारों पर हल्की धूप फैल रही थी, और बाहर से पक्षियों की चहचहाहट सुनाई दे रही थी। राहुल बिस्तर पर लेटा रहा, आँखें बंद लेकिन नींद नहीं आ रही। कल शाम नदी किनारे मीना के साथ बिताए पल उसे याद आ रहे थे – मीना की नरम त्वचा, उसकी कराहें, और वो पहला अंतरंग अनुभव जो प्यार और उत्तेजना से भरा था। "मीना मेरा पहला प्यार है, वो मेरी है," राहुल सोचता, और उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आ जाती। लेकिन साथ ही guilt भी थी – माँ सुमन के साथ की रात, ठाकुर का राज, और अब मीना के साथ ये सब। "क्या मैं सही कर रहा हूँ? गरीबी ने मुझे क्या बना दिया?" वो खुद से सवाल करता, लेकिन जवाब नहीं मिलता। वो उठा, ठंडे पानी से मुँह धोया, और आईने में खुद को देखा – आँखों के नीचे हल्के काले घेरे, लेकिन चेहरे पर एक नई चमक। राहुल अब 18 साल का जवान लड़का था, गरीबी की मार ने उसे समय से पहले परिपक्व बना दिया था, लेकिन मीना का प्यार उसे जीने की वजह दे रहा था।
सुमन रसोई में काम कर रही थी, चूल्हे पर रोटियाँ सेंक रही। उसकी साड़ी आज नीली थी, जो उसके शरीर की आउटलाइन को हल्का उभार रही थी। सुमन का मन अभी भी भारी था – राहुल के साथ की वो रात उसे सता रही थी। "बेटा बड़ा हो गया है, लेकिन मैंने उसे गलत रास्ते पर धकेल दिया," वो सोचती, और आँखें नम हो जातीं। ठाकुर से वो अब दूर रहने की कोशिश कर रही थी, लेकिन हवेली का काम छोड़ना मुश्कil था। "बेटा, नाश्ता कर ले। कॉलेज जाना है," सुमन ने कहा, उसकी आवाज में ममता लेकिन एक दूरी। राहुल ने प्लेट ली, रोटी और सब्जी खाई, लेकिन माँ से आँखें नहीं मिलाईं। घर की हवा में अब एक अजीब सा तनाव था – पहले जहाँ सिर्फ प्यार था, अब राज़ और शर्म की परतें जुड़ गई थीं। राहुल ने बैग उठाया, साइकिल पर सवार हुआ, और कॉलेज की ओर चला गया। रास्ते में खेतों की हरी-भरी फसलें देखकर वो सोचता, "मीना के साथ सब ठीक हो जाएगा। वो मेरी ताकत है।"
कॉलेज पहुँचकर राहुल अपनी सीट पर बैठा। क्लासरूम में बच्चे शोर मचा रहे थे, लेकिन उसका ध्यान सिर्फ मीना पर था। मीना आज थोड़ी देर से आई, उसके चेहरे पर कल रात की थकान लेकिन खुशी की चमक। वो राहुल के बगल में बैठी, "राहुल, कल रात नींद नहीं आई। तेरी याद आ रही थी," मीना फुसफुसाई, उसकी आँखें चमक रही थीं। मीना का दिल अब पूरी तरह राहुल का हो चुका था – कल का सेक्स उसके लिए सिर्फ शारीरिक नहीं, भावनात्मक बंधन था। वो घर पर लेटकर सोचती, "राहुल मेरा सबकुछ है। उसके बिना जीवन सूना है।" लेकिन मोना पीछे की बेंच से सब देख रही थी। मोना का चेहरा आज उदास था – उसके लाल होंठ मुड़े हुए, आँखें जलन से भरी। मोना गाँव के दुकानदार की बेटी थी, घर में पैसे थे लेकिन भावनाओं की कमी। उसके पिता सख्त थे, माँ बीमार, और मोना अकेली महसूस करती। राहुल को वो बचपन से पसंद करती थी – उसकी गंभीर आँखें, मजबूत शरीर। लेकिन कल ब्रेक में जब मीना ने उसे अलग किया, तो जलन शुरू हो गई। "मीना क्यों बीच में आ गई? राहुल मेरा था," मोना सोचती, और उसके दिल में दर्द उठता। मोना शरारती थी, लेकिन अंदर से संवेदनशील – वो किताबों में छिपकर रोमांटिक कहानियाँ पढ़ती, कल्पना करती कि राहुल उसे छुए, प्यार करे। लेकिन अब लगता कि सब खो गया।
क्लास शुरू हुई। टीचर हिंदी की किताब पढ़ा रहे थे – एक कहानी प्यार और विश्वासघात की। राहुल नोट्स ले रहा था, लेकिन मोना ने एक कागज फेंका: "राहुल, ब्रेक में मिलना। अकेले।" राहुल ने देखा, मीना ने भी नोटिस किया लेकिन कुछ नहीं कहा। ब्रेक की घंटी बजी, और राहुल पेड़ के नीचे गया। मीना उसके साथ जाने लगी, लेकिन मोना ने रोका, "मीना, आज नहीं। मैं राहुल से अकेले बात करूँगी।" मीना हैरान, लेकिन चली गई। अब सिर्फ राहुल और मोना थे। हवा में ठंडक थी, पत्ते हिल रहे थे, और दूर से बच्चों की हँसी सुनाई दे रही। मोना ने शुरू किया, "राहुल, तू मीना के साथ क्या कर रहा है? कल ब्रेक में मुझे क्यों अलग किया? मैं भी तेरी दोस्त हूँ।" उसकी आवाज में जलन साफ थी, आँखें नम। राहुल ने समझाया, "मोना, मीना मेरा प्यार है। तू अच्छी दोस्त है, लेकिन..." मोना रो पड़ी, "दोस्त? बस दोस्त? मैं तुझे कितना पसंद करती हूँ राहुल। मीना से पहले मैं थी। तू मुझे भूल गया?" मोना का दिल टूट रहा था – वो राहुल को अपना मानती थी, कल्पना करती कि वो उसका पहला प्यार बनेगा। लेकिन अब मीना की एंट्री ने सब बदल दिया।
राहुल ने मोना को सांत्वना दी, "मोना, तू मेरी अच्छी दोस्त है। लेकिन मीना अलग है।" लेकिन मोना का गुस्सा फूट पड़ा, "मीना मासूम बनती है, लेकिन मैं जानती हूँ वो क्या चाहती है। तू अंधा है राहुल।" मोना करीब आई, उसका हाथ राहुल की छाती पर रखा। "मुझे छू, जैसे मीना को छूता है। मैं बेहतर हूँ।" राहुल पीछे हटा, लेकिन मोना ने किस करने की कोशिश की। राहुल ने रोका, "नहीं मोना, ये गलत है।" मोना की आँखों में आँसू थे, "तू मुझे रिजेक्ट कर रहा है? मीना के लिए?" वो रोती हुई चली गई। राहुल का मन भारी हो गया – वो मोना को दुख नहीं पहुँचाना चाहता था, लेकिन मीना उसका प्यार थी। ब्रेक खत्म हुआ, और क्लास में मोना चुप बैठी रही, राहुल की तरफ देखती भी नहीं। मीना ने पूछा, "क्या हुआ?" राहुल ने बताया, मीना ने कहा, "मोना जल रही है। लेकिन हमारा प्यार मजबूत है।"
शाम को कॉलेज खत्म हुआ। राहुल घर की ओर जा रहा था, लेकिन मोना ने रास्ते में रोका। गाँव की पगडंडी पर, जहाँ खेतों के बीच से रास्ता था, मोना इंतजार कर रही थी। उसकी ड्रेस आज काली थी, जैसे उसके मन का रंग। "राहुल, एक बार सुन," मोना बोली, उसकी आवाज काँप रही। राहुल रुका, "मोना, क्या है?" मोना ने अपना दिल खोला – कैसे वो राहुल को पसंद करती, कैसे मीना की दोस्ती ने उसे अलग कर दिया। "मैं अकेली हूँ राहुल। घर पर कोई नहीं समझता। तू मेरा सहारा था।" मोना रो रही थी, उसके आँसू गालों पर बह रहे। राहुल का दिल पिघला – वो मोना को दोस्त मानता था, उसकी शरारतें उसे पसंद थीं। "मोना, मैं तेरी दोस्ती नहीं तोड़ना चाहता। लेकिन मीना..." मोना ने काटा, "मीना! हमेशा मीना। मैं क्या हूँ तेरे लिए?" वो करीब आई, राहुल को गले लगा लिया। उसके स्तन राहुल के सीने से दबे, मोना की साँसें तेज। "मुझे एक मौका दे राहुल। मुझे महसूस कर।" राहुल हिचकिचाया, लेकिन मोना ने उसके होंठ चूम लिए। किस गहरा था, मोना की जीभ राहुल के मुँह में। राहुल का शरीर प्रतिक्रिया दे रहा था, उसका लंड खड़ा हो गया। मोना ने महसूस किया, "देख, तुझे भी अच्छा लग रहा।"
दोनों एक पेड़ के पीछे गए। मोना ने अपनी शर्ट उतारी, उसके गोल-मटोल स्तन बाहर – निप्पल कड़े। "चूस न राहुल," मोना बोली। राहुल ने चूसा, मोना कराही, "आह... जोर से... मीना से बेहतर हूँ न?" राहुल का मन भटका, वो मोना की स्कर्ट ऊपर कर चूत छुआ – गीली थी। मोना ने राहुल की पैंट खोली, लंड चूसा। "तेरा कितना बड़ा... मीना को मत देना," मोना बोली। राहुल ने मोना को घोड़ी बनाया, चूत में डाला। मोना चिल्लाई, "उफ्फ... चोद मुझे जोर से... मैं तेरी हूँ..." धक्के तेज, मोना कमर हिला रही, "आह... फाड़ दे मेरी चूत... मीना से बेहतर..." दोनों झड़े, लेकिन राहुल को guilt हुई। "ये गलत था मोना। मीना को पता चलेगा तो..." मोना हँसी, "पता चल जाए। वो जल जाएगी।" लेकिन राहुल ने कहा, "नहीं, अब से दूर रह।" मोना रो पड़ी, "तू मुझे इस्तेमाल कर फेंक दिया?" वो चली गई, दिल टूटा हुआ।
रात को राहुल घर लौटा, मन भारी। मीना को फोन किया (गाँव में एक पुराना फोन था), लेकिन मोना ने पहले ही मीना को बता दिया – "राहुल ने मुझे चोदा। वो धोखेबाज है।" मीना रो रही थी, "राहुल, क्यों?" राहुल ने माफी मांगी, लेकिन मीना ने कहा, "अब अलग हो जाएँ।" मोना की जलन ने सब बर्बाद कर दिया। राहुल टूट गया – दोस्ती खो दी, प्यार में दरार। मोना अब कॉलेज नहीं आती, घर पर बंद। राहुल सोचता, "जलन कितना नुकसान करती है।" गाँव की जिंदगी अब और जटिल हो गई।
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RE: राहुल का कामुक सफर - गरीबी की छाया से शहर की चमक तक - by Fuckuguy - 07-09-2025, 04:26 AM



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