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Adultery वासना का नशा
#18
 
शर्मिला ने चौंक कर खुद को संभाला. उन्हें डर था कि कहीं कमली अन्दर आ कर उनका हाल न देख ले. तभी उन्हें अखिल की आवाज सुनाई दी, “नहीं नहीं, ... मैं ठीक हो जाऊंगा.”

“अन्दर से बीवीजी को बुलाऊं?” कमली ने हमदर्दी दिखाते हुए कहा. उसकी बात सुन कर शर्मिला तेज़ी से बेडरूम में चली गयीं.

अखिल ने कहा, “नहीं, कोई जरूरत नहीं है. मुझे अब थोडा ठीक लग रहा है.”

“पर फिर भी आपको उनसे बात तो करनी होगी न!” कमली उनका पीछा नहीं छोड़ रही थी.

“बात? ... हां, मैं बात करूंगा. ... कमली, क्या तुम अभी जा सकती हो? कल तक के लिए?”

“ठीक है बाबूजी, इतने दिन बीत गए तो एक दिन और सही! मैं चलती हूँ.” कमली उठ कर दरवाजे की ओर चल दी. बाहर निकलने से पहले उसने कहा, “जो भी तय हो वो आप कल मुझे बता देना.”

उसके जाने के बाद अखिल किंकर्तव्यविमूढ से बैठे रहे. वे जानते थे कि अब कमली के पति की बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था. पर उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वे यह बात शर्मिला को कैसे बताएं. ... शर्मिला को भी भान हो गया था कि कमली जा चुकी थी. उन्हें यह भी ज्ञात हो गया था कि पति की इज्ज़त और जान बचाने के लिए उन्हें उस घटिया आदमी की इच्छा पूरी करनी ही पड़ेगी. वे जानती थीं कि अखिल के लिए उनसे यह बात कहना कितना कठिन होगा. उन्होंने अपना जी कड़ा किया और ड्राइंग रूम में पहुँच गयीं. उन्होंने देखा कि अखिल की सर उठाने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी.

शर्मिला ने उनके कंधे पर हाथ रख कर दृढता से कहा, “तुम चिंता छोडो. मैं कर लूंगी.”

“कर लोगी?” अखिल ने आश्चर्य से कहा. “... क्या कर लोगी?”

“वही जो कमली की शर्त है और जो उसका पति चाहता है,” शर्मिला ने कहा.

यह सुन कर अखिल को अपनी पत्नी की इज्ज़त लुटने का दुःख कम और अपना पिंड छूटने की ख़ुशी ज्यादा हुई. उन्हें पता था कि वो फिल्म इन्टरनेट पर आ जाये तो वे किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे. पर उन्होंने अपने चेहरे पर संताप और ग्लानि की मुद्रा लाते हुए कहा, “मैं कितना मूर्ख हूं! मैंने यह भी नहीं सोचा कि मेरी मूर्खता की कीमत तुम्हे चुकानी पड़ेगी. अगर मैं अपनी जान दे कर...”

“मैंने कहा था न कि तुम ऐसी बात सोचना भी नहीं,” शर्मिला ने उनकी बात काटते हुए कहा. “सब ठीक हो जाएगा. ... मुझे तो बस एक ही बात का डर है.”

अखिल ने थोड़े शंकित हो कर पूछा, “डर? ... कैसा डर?”

“यही कि इसके बाद मैं तुम्हारी नज़रों में गिर न जाऊं!” शर्मिला ने कहा. “कहीं तुम मुझे अपवित्र न समझने लगो!”

यह सुन कर अखिल की चिंता दूर हो गई. उन्होंने शर्मिला को गले लगा कर कहा, “कैसी बात करती हो तुम! इस त्याग के बाद तो तुम मेरी नज़रों इतनी ऊपर उठ जाओगी कि तुम्हारे सामने मैं बौना लगने लगूंगा.”

अब यह तय हो गया था कि शर्मिला को क्या करना था. दोनों कुछ हद तक सामान्य हो गए थे. अब अगला सवाल था कि यह काम कहाँ, कब और कैसे हो? कमली का पति कालू (उसका नाम कालीचरण था पर सब उसे कालू ही कहते थे) एक-दो बार इनके घर आया था, यह बताने के लिए कि कमली आज काम पर नहीं आ सकेगी. दोनों को याद था कि वो एक मजबूत कद-काठी वाला पर काला-कलूटा और उजड्ड टाइप का आदमी था. उसकी सूरत कुछ कांइयां किस्म की थी. उसका ज्यादा देर घर के अन्दर रुकना पड़ोसियों के मन में शंका पैदा कर सकता था क्योंकि वो किसी को भी उनका रिश्तेदार या दोस्त नहीं लगता.

दूसरा रास्ता था कि शर्मिला उनके घर जाये. पर इसमें भी जोखिम था. उस मोहल्ले में शर्मिला का कमली के घर एक-दो घन्टे रुकना भी शक पैदा कर सकता था. काफी सोच-विचार के बाद उन्हें लगा कि यदि शर्मिला रात के अँधेरे में वहां जाएँ और भोर होते ही वापस आ जाएँ तो किसी के द्वारा उन्हें देखे जाने की संभावना बहुत कम हो जायेगी. साथ ही वे साधारण कपडे पहनें और थोडा सा घूंघट निकाल लें तो वे कमली और कालू की रिश्तेदार लगेंगी. यह भी तय हुआ कि रात होने के बाद शर्मिला एक निर्दिष्ट स्थान पर पहुँच जायेंगी और वहां से कमली उन्हें ले जायेगी. अगली सुबह तडके कमली उन्हें वापस पंहुचा देगी. अखिल ने कमली से एक दिन का समय मांगा था इसलिए यह काम अगली रात को करना तय हुआ.

खाना खाने के बाद पति-पत्नी सोने के लिए चले गए पर नींद उनकी आँखों से कोसों दूर थी. शर्मिला की आँखों के सामने बार-बार कालू का चेहरा घूम रहा था. उन्हें याद था कि वो जब-जब यहाँ आया, उन्हें लम्पट दृष्टि से देखता था. उन्हें ऐसा लगता था जैसे वो अपनी आँखों से उन्हें निर्वस्त्र करने की कोशिश कर रहा हो. उन्हें यह सोच कर झुरझुरी हो रही थी कि कहीं उसने वास्तव में उन्हें नग्न कर दिया तो उन्हें कैसा लगेगा! उसकी बोलचाल भी गंवार किस्म की थी. न जाने वो उनके साथ कैसे पेश आएगा! शर्मिला को उससे अखिल जैसे सभ्य व्यवहार की आशा नहीं थी. और वो बिस्तर पर उनके साथ जो करेगा ... उसकी तो वे कल्पना भी नहीं करना चाहती थीं.

उधर अखिल का भी यही हाल था. शुरू में तो उन्हें भय और तनाव से मुक्त होने की ख़ुशी हुई थी पर बाद में उनका मन न जाने कहाँ-कहाँ भटकने लगा. उन्हें लग रहा था कि उनका कमली को भोगना तो एक सामान्य बात थी पर कालू जैसा आदमी उनकी पत्नी को भोगे ... यह सोच कर उन्हें वितृष्णा हो रही थी. फिर उन्हें महसूस हुआ कि कालू ही क्यों, किसी भी पर-पुरुष को अपनी पत्नी सौंपनी पड़े तो उन्हें इतना ही बुरा लगेगा. उन्हें यह सर्वमान्य पुरुष स्वभाव लगा कि अपनी पत्नी को दूसरों से बचा कर रखो पर दूसरों की पत्नी मिल जाए तो बेझिझक उसका उपभोग करो. ... फिर अखिल के मन में विचार आया कि कालू भी तो यही कर रहा है. दूसरे की पत्नी मिल सकती है तो वो उसे क्यों छोड़ेगा. ... पर वे वे हैं और कालू कालू!

एक और डर अखिल को सताने लगा. कालू कहीं शर्मिला को शारीरिक नुकसान न पहुंचा दे! वो ठहरा एक हट्टा-कट्टा कड़ियल मर्द जबकि शर्मिला एक कोमलान्गी नारी थीं. उन दोनों में कोई समानता न थी. शारीरिक समानता तो दूर, उनके मानसिक स्तर में भी जमीन आसमान का फर्क था. शर्मिला एक सुसंस्कृत और संभ्रांत स्त्री थीं. रतिक्रिया के समय पर भी उनका व्यवहार शालीन और सभ्य रहता था. जबकि कालू से सभ्य आचरण की अपेक्षा करना ही निरर्थक था. अखिल कमली का यौनाचरण देख चुके थे. कहीं कालू ने भी शर्मिला के साथ वैसा ही व्यवहार किया तो?

अपने-अपने विचारों में डूबते-तरते पता नहीं कब वे दोनों निद्रा की गोद में चले गए.
 
~·~· अगली रात को  ~·~·
 
शर्मिला एक पूर्व-निर्धारित स्थान पर पहुँच गयीं जो उनके घर से थोड़ी ही दूर था. कमली वहां उनका इंतजार कर रही थी. जब वे दोनों कमली के घर की ओर चल पडीं तो रास्ते में कमली ने शर्मिला को कहा, “बीवीजी, मैने अपने एक-दो पड़ोसियों को बताया है कि रात को मेरी भाभी इस शहर से गुज़र रही है. वो हम लोगों से मिलने कुछ घंटों के लिये हमारे घर आएगी. उसे जल्दी ही वापस जाना है इसलिए वो अपना सामान स्टेशन पर जमा करवा के आयेगी. अब आप बेफिक्र हो जाइये. किसी को कोई शक नहीं होगा. कल सुबह आप सही-सलामत अपने घर पहुँच जायेंगी और मेरे मरद की इच्छा भी पूरी हो जाएगी.”

आखिरी वाक्य सुन कर शर्मिला को फिर झुरझुरी सी हुई. लेकिन अब वे लौट नहीं सकती थीं! उन्होंने स्वीकार कर लिया कि जो होना है वो तो हो कर रहेगा. और वो होने में ज्यादा देर भी नहीं थी क्योंकि बातों-बातों में वे कमली के घर पहुँच गए थे. घर के अन्दर पहुँच कर शर्मिला एक और समस्या से रूबरू हुईं. उस घर में एक कमरा, एक छोटा सा किचन और एक बाथरूम था. सवाल था कि कमली कहाँ रहेगी!
 
क्रमशः
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RE: वासना का नशा - by rangeeladesi - 06-09-2025, 07:35 PM



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