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Thriller Drugs Ka Dhanda (Pulp Fiction, Crime, Suspense, Triller Story - Hardcore BF)
#8
Part 3: Sex Education Class by Desh ki Sabse Garam Aurat!! - Par Kiske Liye?? Har mard ki fantasy puri hone waali hai!!! - PEECHLE PART SE EK HAFTE BAAD.

स्थान: सनप्रीत का बंगला, दिल्ली के पॉश इलाके में। रात के 10 बजे। लिविंग रूम में डिम लाइट्स, एक बड़ा सा सोफा, जिस पर सनप्रीत अकेली बैठी है। वो एक पतली सी सिल्क की नाइटी पहने है, जो उसकी गोरी चमड़ी से चिपकी हुई है। नाइटी इतनी छोटी कि उसकी मांसल जांघें पूरी नंगी, और मम्मे उभरे हुए। टेबल पर एक ग्लास वाइन, आधा खाली। बाहर बारिश की हल्की फुहार, और खिड़की से ठंडी हवा आ रही है। सनप्रीत का फोन टेबल पर वाइब्रेट करता है। स्क्रीन पर नाम—कृतिका।

सनप्रीत ग्लास को टेबल पर रखती है, और फोन उठाती है। उसकी उंगलियाँ स्क्रीन पर हल्के से फिसलती हैं, जैसे वो सोच रही हो कि कॉल उठाए या नहीं।हीं आखिरकार, वो फोन कान से लगाती है, और वो सोफे पर और पीछे झुकती है।

सनप्रीत: (आवाज़ में मखमली खनक, लेकिन थोड़ा चौकन्ना) हेलो, कृतिका। रात को कॉल? सब ठीक? कृतिका की आवाज़ फोन से आती है, शांत, लेकिन उसमें एक गहरी ताकत।

कृतिका: (आवाज़ मखमली, लेकिन भारी) हाय, सनप्रीत। तुझसे एक रिक्वेस्ट थी। डिस्टर्ब तो नहीं किया? सनप्रीत: (हल्के से हँसती है, लेकिन सतर्क) डिस्टर्ब? अरे, नहीं।हीं बस, यहाँ अकेली, वाइन पी रही हूँ। बोल, क्या रिक्वेस्ट है? वो सोफे पर और फैलकर बैठती है, एक टांग दूसरी पर चढ़ाती है। नाइटी और ऊपर सरकती है, उसकी गोरी, मांसल जांघ पूरी नंगी। वो फोन को और कसकर पकड़ती है, जैसे कृतिका की अगली बात का इंतज़ार कर रही हो।

कृतिका: (आवाज़ में अब हल्की सी शैतानी, धीमी) तू तो हमेशा सोशल वर्क की बात करती है, ना? मेरे NGO के लिए एक वॉलंटियर चाहिए। कुछ... खास काम। तू करेगी? सनप्रीत का दिल एक धड़कन छोड़ता है। वो ग्लास टेबल पर रखती है, अपनी उंगलियाँ नाइटी के किनारे पर फेरती है। उसकी आँखें सिकुड़ती हैं, जैसे वो कृतिका की बात को तौल रही हो। वो बाहर से शांत रहती है।

सनप्रीत: (आवाज़ में हल्का सा टेंशन, लेकिन उत्साह दिखाते हुए) वॉलंटियर? हाँ, क्यों नहीं।हीं लेकिन कैसा काम? कुछ डिटेल्स तो दे, कृतिका। उसकी साँसें थोड़ी तेज, लेकिन वो कंट्रो ल करती है। कृतिका की आवाज़ अब और धीमी, जैसे कोई सीक्रेट शेयर करने वाली हो।

कृतिका: (रुककर, आवाज़ में शैतानी बढ़ती है) सेक्स एजुकेशन। कुछ खास लोगों को...। तू परफेक्ट है इसके लिए, सनप्रीत। सनप्रीत की साँस रुकती है। वो सोफे पर सीधी होकर बैठती है, फोन को और कसकर पकड़ती है। उसकी आँखें कमरे में इधर-उधर, जैसे कोई उसे देख रहा हो।

सनप्रीत: (थोड़ा रुककर, आवाज़ में बनावटी उत्साह) सेक्स एजुकेशन? ठीक है, ये तो अच्छा है। (हल्के से हँसती है) मतलब, ज़रूरी है ना, आजकल। लेकिन... किन लोगों को? कृतिका की आवाज़ अब और धीमी, जैसे वो सनप्रीत को जाल में फँसाने की कोशिश कर रही हो।

कृतिका: (आवाज़ में गहरी शैतानी, हर शब्द धीरे-धीरे) नीच लोग। चार मर्द। (रुकती है) लोड़ू , चोदू, गांडू, मुठ्ठल। सब 45-50 के, सड़कछाप, घिनौने गटर साफ करने वाले, कचरा बीनने वाले, मांस बाज़ार के पब्लिक टॉयलेट में झाड़ू लगाने वाले। तू इनके लिए परफेक्ट है, सनप्रीत। सनप्रीत चुप। उसकी साँसें तेज, लेकिन वो कुछ नहीं बोलती। उसका दिमाग चीख रहा है—“कृतिका को कैसे पता? साली को मेरे बारे में क्या-क्या मालूम है?”—लेकिन वो पूछना नहीं चाहती। और वो कृतिका की बात को हजम करने की कोशिश करती है।

सनप्रीत: (आवाज़ में हल्का सा कंपन, लेकिन कंट्रो ल करती है) नीच लोग? (हल्के से हँसती है, जैसे मज़ाक कर रही हो) मतलब, सेक्स एजुकेशन इनके लिए? ठीक है, कृतिका, ये तो... (रुकती है, जैसे शब्द तलाश रही हो) इंट्रेस्टिंग है।

कृतिका: (आवाज़ में गहरी शैतानी, धीरे-धीरे, जैसे हर शब्द सनप्रीत को टटोल रहा हो) तू देश की सबसे गर्म औरत का खिताब जीती है, सनप्रीत। जैसा मैंने पाँच साल पहले जीता था। मुझे पता है, तुझे नीच मर्दों के सामने नंगा होने में गंदा मज़ा मिलता है। (हल्के से हँसती है) वैसे ही, जैसे मुझे मिलता है।

सनप्रीत: (आवाज़ धीमी, कांपती) तुझे... तुझे कैसे पता?

कृतिका: (आवाज़ में शैतानी, लेकिन ठंडी) मुझे पता है, सनप्रीत। मुझे पता है। (रुकती है, जैसे मज़ा ले रही हो) मुझे पता चल जाता है, कौन मेरी तरह है। याद है, रात को वो तेरे सोसाइटी के पीछे वाले स्लम का गंदा पब्लिक टॉयलेट?

सनप्रीत का चेहरा सख्त। वो फोन को और कसकर पकड़ती है, साँसें तेज़। वो कृतिका को बीच में रोकती है, उसकी गोरी कमर अब पसीने से चमक रही है।

सनप्रीत: (आवाज़ में घबराहट, लेकिन कंट्रोल) रुक, कृतिका। (हल्के से साँस लेती है) तूने... तूने कुछ रिकॉर्ड कर लिया है क्या?

कृतिका: (आवाज़ में चालाकी) अरे, नहीं रे! रिकॉर्ड? (हल्के से तंज) तेरी असलियत सामने आ गई, तो मेरा काम कैसे होगा?

सनप्रीत की आँखें सिकुड़ती हैं। वो कुछ पूछना चाहती है, लेकिन रुक जाती है।

सनप्रीत: (आवाज़ में उलझन, धीमी) क... क... कैसा काम?

कृतिका: (आवाज़ अब और शैतानी, जैसे सनप्रीत को जाल में फँसा रही हो) तू उतना मत सोच, सनप्रीत। तुझे जो चाहिए, वो मैं तुझे दे रही हूँ। मुझे जो चाहिए, वो मैं ले लूँगी। सनप्रीत चुप। वो सोचती है, “ये साली क्या चाहती है?” लेकिन बाहर से कुछ नहीं कहती। उसकी उंगलियाँ जांघों पर फिसलती हैं, जैसे खुजली मिटाने की कोशिश।

सनप्रीत: (आवाज़ में बनावटी शराफ़त, लेकिन कांपन) ठीक है, कृतिका। (रुकती है, साँस लेती है) करना क्या है?

कृतिका: (आवाज़ में शैतानी, धीमी, जैसे सनप्रीत को जाल में फँसाए रख रही हो) इन चारों नीच मर्दों को देश की सबसे गर्म, गुदाज़, गोरी औरत का नंगा मज़ा दिलवाना है। तुझे एक हफ्ते बाद, रात 10 बजे, मीट मार्केट की गली नंबर 9, देसी ट्रेडर्स की दूसरी मंजिल पर वो क्लासरूम है, वहाँ जाना है।

सनप्रीत: (आवाज़ में उलझन, लेकिन थरक छुपाती हुई) वो क्लासरूम? (रुकती है, साँस लेती है) जहाँ काम के बाद मज़दूर लिखना-पढ़ना सीखने आते हैं?

कृतिका: (आवाज़ में हल्की हँसी, जैसे मज़ा ले रही हो) हाँ, वही! संडे रात को मीट मार्केट बंद रहता है, तुझे पता होगा। वहाँ मेरा NGO क्लासेस चलाता है। तुझे सेक्स एजुकेशन देना है—पूरी तरह नंगी होकर, उनको कसके रंडाना मज़ा देना है। तुझे तो पता है, क्या और कैसे करना है। (हल्के से तंज) तुझे सब पता है, सनप्रीत।

सनप्रीत: (आवाज़ में बनावटी शराफ़त, लेकिन कांपन) हम्म... लेकिन कुछ खास पहनना होगा क्या?

कृतिका: (आवाज़ में शैतानी, जैसे हर शब्द तौल रही हो) अरे हाँ, बताना भूल गई। सनप्रीत, तुझे हर जगह से नंगा दिखना है। स्लीवलेस, डीप नेक, बैकलेस ब्लाउज पहनना। कंधों पर दो पतली डोरियाँ, पीठ पर दो पतली डोरियाँ। तेरे हद से ज्यादा गोरे, मलाईदार कंधे पूरे नंगे होने चाहिए। तेरी गोरी-गोरी बाहें पूरी नंगी। पीछे से तेरी हद से ज्यादा गोरी पीठ पूरी सपाट नंगी। सामने से ब्लाउज का कट इतना गहरा कि तेरे भयंकर तरीके से फूले हुए, हद से ज्यादा गोरे, तने हुए मम्मे आधे नंगे हों।

सनप्रीत ठरक में दाँत पीसती है, होंठ कांपते हैं

कृतिका: (जारी, आवाज़ और शैतानी) साड़ी को कमर के एकदम नीचे बाँधना, गांड की दरार के ठीक ऊपर। पूरा पेट, कमर सपाट नंगे। पूरे गहने पहनना—पायल, झुमके—क्योंकि किसी और की बीवी नीच, घिनौने, घुप्प काले-कलूटे मर्दों की नंगी औरत बनने जा रही है। और अंदर ना चड्डी ना ब्रा, ताकि जब तुम अपनी ब्लाउज और पेटीकोट फाड़ो तो तेरे वो गुदाज़, भयंकर तरीके से फूले हुए, हद से ज़्याद गोरे मम्मे और गांड एकदम से नंगे हो जाए.

सनप्रीत फिर ठरक में दाँत पीसती है, जैसे कृतिका की बातें उसकी चूत में आग लगा रही हों।

सनप्रीत: (आवाज़ में ठरक, लेकिन बाहर से शरीफ) ठीक है... (रुकती है, साँस लेती है) ठीक है।

कृतिका: (आवाज़ में चालाकी, जैसे जाल पूरा बिछ गया) और हाँ! क्लब में आते रहना। एक स्पेशल हर्बल तेल और क्रीम मँगवाया है—तेरी चमड़ी को और गुदाज़, और हद से ज्यादा गोरा बनाएगा।

कृतिका: (आवाज़ अब सख्त, लेकिन शैतानी) और हाँ, सनप्रीत! तेरी नई दोस्त अजंता को खबर मत दे देना। वरना तेरे जिंदगी भर के मज़े में फुल स्टॉप लग जाएगा।

सनप्रीत: (आवाज़ में कंट्रोल, लेकिन उलझन) ठीक है... मैं तैयारी करती हूँ। बाय।
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RE: Drugs Ka Dhanda (Pulp Fiction, Crime, Suspense, Triller Story - Hardcore BF) - by mike_kite56 - 06-09-2025, 04:25 PM



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