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Adultery वासना का नशा
#7
“यह तो धोखाधड़ी है! तुमने यह पहले क्यों नहीं बताया?” अखिल ने तमतमा कर पूछा.
“बाबूजी, मैंने तो कहा था कि मेरी एक शर्त है,” कमली ने कहा. “पर आपने उसे सुने बिना ही कह दिया कि आपको मेरी हर शर्त मंजूर है.”
अखिल को याद आया कि कमली की बात सच थी. पर वो अब भी अपने आपे से बाहर थे. वे गुस्से से बोले, “एक हज़ार कम हैं तो दो हज़ार ले लो.”
अब कमली भी उसी लहज़े में बोली, “बाबूजी, आप बीवीजी को मेरे मरद के पास भेज देना, मैं आपको दो हज़ार रुपये दे दूंगी!”
अखिल अब गुस्से से पागल हो गए.  वे बोले, ‘‘तू अपनी औकात भूल गई है! अपने पैसे ले और जा. ... और हां, कल से काम पर नहीं आना.’’
कमली को उन पर गुस्सा भी आया और दया भी. वो सहज स्वर में बोली, ‘‘मैं तो आपकी औकात देख रही हूँ, बाबूजी! आपकी बीवी सती सावित्री और गरीब की बीवी रंडी! ... यह है बड़े लोगों की औकात! ... ठीक है, जाती हूं अब.’’
कमली जाने के लिए मुड़ी. अखिल का वासना का नशा अब पूरी तरह से उतर चुका था. कमली को जाती हुई देख कर वे सोच रहे थे कि आज वे बाल-बाल बचे हैं. तभी कमली फिर मुड़ी. उसने अपना मोबाइल ऑन किया और उसे अखिल के सामने कर दिया. उसे देख कर अखिल का सर घूमने लगा. उन्हें लगा कि वे गश खा कर गिरने वाले हैं. ... मोबाइल में उनकी और कमली की चुदाई का वीडियो था. वे किसी तरह संभले और उनके मुंह से निकला, “ ये...! ये कैसे...!!!”
कमली को उनकी हालत देख कर मज़ा आ रहा था. उसने उनकी दुविधा दूर करते हुए कहा, “आपको याद है कि जब आपने पहली बार मुझे दबोचा था, तब मैने क्या कहा था? ... ‘आज नहीं, कल इतवार है. कल आप जो चाहो कर लेना.’ ... अगले दिन आपके कमरे में आ कर मैंने खिड़की से बाहर देखा था और पर्दों को खिसकाया था. मैंने पर्दों के बीच थोड़ी जगह छोड़ दी थी. ... बस, बाकी काम बाहर से मेरे मरद ने कर दिया.”
अब अखिल की हालत ऐसी थी कि काटो तो खून नहीं. वे अवाक् थे कि यह क्या हो गया? हुआ भी है या नहीं? एक पल उन्हें यह सपना लगता पर दूसरे पल सामने खड़ी कमली उन्हें हकीकत लगती. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें?
कमली ने मोबाइल बंद कर के कहा, “आप ठीक तो हैं, बाबूजी? आपकी तबियत कुछ बिगड़ी हुई सी लग रही है!”
अखिल जैसे नींद से जागे, “हूं? ... मैं! ... हां, ... ठीक हूं ... तुम ... तुम क्या करोगी? ... मतलब अब ...?”
अब स्थिति पूरी तरह कमली के काबू में थी. वह खुश हो कर बोली, “अब तो तीन ही रास्ते हैं. ... आप आराम से बैठ जाइए ना. ... पहला रास्ता यह है कि मैं बीवीजी को यह वीडियो दिखा दूं और आगे क्या करना है यह उन्ही पर छोड़ दें. ... दूसरा रास्ता यह है यह वीडियो बाज़ार में बिके और इसे हर कोई देखे. ...”
अखिल अब एक हारे-पिटे जुआरी की तरह दिख रहे थे. अगर उनकी पत्नी ने यह वीडियो देख लिया तो न जाने वो उनके साथ क्या करेगी! और यह बाज़ार में बिकने लगा तो उनके सामने आत्महत्या करने के सिवा कोई चारा नहीं बचेगा! वे डरे हुए स्वर में बोले, “और तीसरा रास्ता?”
“वो तो मैंने पहले ही बता दिया था. आप बीवीजी को राज़ी करके मेरे मरद के पास भेज दें. वो उन्हें चोद लेगा तो यह किस्सा ही ख़तम हो जाएगा. ... और हां, आप चाहें तो यह अदला-बदली आगे भी चल सकती है. ...अब चलती हूँ मैं. कल आऊंगी. तब तक आप सोच लीजिये कि आपको क्या करना है!”
~·~·~·~·~·~
कमली चली गई और अखिल गहरे सोच में डूब गए. सोच क्या, वे तो एक गहरे गर्त में थे जिससे निकलना असंभव सा लग रहा था. कमली के बताये पहले दो रास्तों का तो एक ही अंजाम था – उनकी निश्चित बर्बादी! तीसरा रास्ता उन्हें बचा सकता था पर ... अपनी संभ्रांत पत्नी को एक नौकरानी के पति को सौंपना!!!
उनके दिल से आवाज आई, “तुम्हारे जैसा इज्ज़तदार आदमी यह घटिया काम करेगा?”
तभी दिल के दूसरे कोने ने कहा, “बड़ा इज्ज़तदार बनता है! अगर अपनी बीवी को उसके पास नहीं भेजा तो तेरी इज्ज़त बचेगी?”
पहले कोने ने जवाब दिया, “क्या करूँ फिर? एक तरफ कुआँ है और दूसरी तरफ खाई! अगर शर्मिला को भेजा तो भी इज्ज़त जायेगी और नहीं भेजा तो भी!”
दूसरे कोने ने समझाया, “तू यह क्यों नहीं सोचता कि उस घटिया आदमी ने शर्मिला को चोद भी लिया तो बात सिर्फ चार लोगों तक ही सीमित रहेगी. दुनिया के सामने तो इज्ज़त बनी रहेगी.”
पहले कोने ने कहा, “हां, यह तो है. मुझे कमली को सख्ती से कहना होगा कि यह बात हम चार लोगों तक ही सीमित रहनी चाहिए.”
दूसरे कोने ने कहा, “अब हिम्मत रख और शर्मिला के आने पर उसको तैयार कर.”
पहला कोना अब भी शंकित था, “पर शर्मिला मानेगी? उसने इंकार कर दिया तो?”
दूसरे कोने ने उसकी शंका दूर की, “मूर्ख, शर्मिला एक भारतीय पत्नी है. रोज़ तो अखबारों में पढता है कि पति अगर बलात्कार भी कर आये तो पत्नी उसे बचाने की कोशिश करती है, यहाँ तक कि उसे निर्दोष साबित करने के लिए उसे नपुंसक भी बता देती है!”
‘ठीक है,” पहले कोने ने थोडा आश्वस्त हो कर कहा. “शर्मिला के आने पर उससे बात करता हूं.”
अखिल ने मन ही मन तय तो कर लिया था कि शर्मिला के लौटने पर वे उससे बात करेंगे पर ऐसी बात करना कोई आसान काम नहीं था. वे अच्छी तरह जानते थे कि स्थिति उस के सामने रखने में उन्होंने ज़रा भी गलती कर दी तो परिणाम भयानक हो सकता है. वे शर्मिला को खो भी सकते हैं. वैसे शर्मिला क्रोधी स्वाभाव की नहीं थीं पर अपने पति की बेवफाई कौन स्त्री बरदाश्त करेगी. अखिल समझते थे कि उनको एक-एक शब्द तौल कर बोलना होगा और साथ ही उन्हें अच्छी खासी एक्टिंग भी करनी होगी. उन्हें अपने कॉलेज के दिन याद आ गए जब वे नाटकों में अभिनय किया करते थे. गनीमत थी कि शर्मिला के लौटने में तीन दिन थे. इन तीन दिनों में उन्हें पूरा रिहर्सल करना था. लेकिन मुश्किल यह थी कि यहाँ कोई संवाद लेखक और निर्देशक नहीं था. सब कुछ उन्हें स्वयं करना था. अखिल दिन-रात सोचते रहते थे कि उन्हें क्या और कैसे बोलना है.
कमली रोज़ काम करने आती थी और अखिल से पूछती रहती थी कि बीवीजी कब आएँगी. कमली और उसके पति ने उनका वासना का भूत ऐसा उतारा था कि कमली को देख कर अब उन्हें रोमांच के बजाय वितृष्णा होती थी. उन्होंने तय कर लिया था कि इस बार वे बच जाएँ तो भविष्य में किसी परायी स्त्री कि तरफ आँख उठा कर भी नहीं देखेंगे.
बार-बार सोचने पर भी अखिल के समझ में नहीं आ रहा था कि वे शर्मिला को क्या कहें. उन्होंने मन ही मन कई तरह के वाक्य बनाए पर हरेक में कुछ न कुछ कमी नज़र आ जाती थी. अंत में उन्होंने सोचा कि शर्मिला को कोई गहरा शॉक देना ही एक मात्र रास्ता था जो उन्हें उसके गुस्से से बचा सकता था. शॉक कैसा हो यह भी उन्होंने सोच लिया. रिहर्सल का तो वक़्त ही नहीं मिला क्योंकि शर्मिला के लौटने का दिन आ गया था. ट्रेन पहुँचने से पहले उन्होंने शर्मिला को फ़ोन से बताया कि तबियत ख़राब होने के कारण वे स्टेशन नहीं आ सकेंगे. शर्मिला ने उनको कहा कि वे ओटो रिक्शा ले कर आ जायेंगी. वे अपनी तबियत का ध्यान रखें.
छुट्टी का दिन था. कमली काम करके जा चुकी थी. शर्मिला घर पहुंचीं तो उन्होंने देखा कि ड्राइंग रूम का दरवाजा खुला हुआ था. उन्हें लगा कि अखिल की तबियत जितना उन्होंने सोचा था उससे ज्यादा ख़राब है. वे सूटकेस नीचे रखने के लिए झुकीं तो उन्हें मेज पर पेपर वेट से दबा एक बड़ा कागज़ दिखा जो हवा से फडफडा रहा था. मेज पर और कुछ नहीं था. उन्होंने आगे बढ़ कर वो कागज़ उठाया. जैसे ही उन्होंने उसे पढना शुरू किया, उनकी आँखों के आगे अँधेरा छा गया.
किसी तरह मेज़ पर अपने हाथ रख कर वे गिरने से बचीं. उन्होंने बड़ी हिम्मत कर के खुद को संभाला और वे बिजली की तेज़ी से अन्दर की ओर दौड़ पडीं. बैडरूम के दरवाजे पर पहुँचते ही वे एक पल के लिए ठिठकीं और फिर चिल्ला उठीं, “नहीं. रुको.”

क्रमशः
 
 
 
 
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RE: वासना का नशा - by rangeeladesi - 03-09-2025, 09:59 PM
RE: वासना का नशा - by momass - 06-09-2025, 07:49 AM



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