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Gay/Lesb - LGBT अंधेरी गली का निषिद्ध संसार
#9
अचानक, रीता, जिसका छह इंच का लिंग अभी भी चिकने वीर्य से चमक रहा था, बिस्तर से उठी, उसकी आँखें आग से दहक रही थीं, उसका शरीर शादी की रात की अपमान की चुभन से काँप रहा था। उसके भरे उरोज हिल रहे थे, गहरे चुचूक सख्त थे, उसके गोल नितंब पसीने से चिकने थे। वह रतन की ओर बढ़ी, उसके हाथ झूलते हुए, उसके चेहरे पर तेज़, चुभने वाले थप्पड़ जड़ते हुए। प्रत्येक थप्पड़ ने उसके गालों पर लाल निशान छोड़े, आवाज़ गर्म हवा में गूँज रही थी। “तूने मेरे लिंग को नकारने की हिम्मत की, रतन! अब तू मेरी ताकत महसूस करेगा!” रीता चीखी, उसकी आवाज़ क्रोध और वासना का कच्चा मिश्रण थी।
रतन, हैरान, उसकी आँखें आश्चर्य और गुस्से से चमक रही थीं, उसने जवाब में हाथ उठाया, लेकिन रीता तेज़ थी। उसने उसकी कलाई पकड़ ली, उसे ज़ोर से मोड़ा, उसकी ताकत ने उसे चौंका दिया। फिर, एक तेज़ टांग उठाकर, उसने उसके पेट में एक शक्तिशाली लात मारी। रतन चीखा, “आह!” पीछे की ओर लड़खड़ाता हुआ, बिस्तर के किनारे से टकराया। उसका शरीर काँप रहा था, लेकिन उसकी आँखें अभी भी विद्रोह से जल रही थीं।
फरीदा और पगली, यह दृश्य देखकर, हँसते हुए खड़ी हो गईं। फरीदा की योनि अभी भी रतन के वीर्य से गीली थी, उसके भरे उरोज हिल रहे थे। पगली की तांबे जैसी त्वचा पसीने से चमक रही थी, उसकी फुली हुई योनि उत्तेजना से धड़क रही थी। “रीता, तू हमारी रानी है! रतन को सजा दे!” फरीदा चीखी, उसकी आँखें शरारती खुशी से चमक रही थीं। पगली हँसी, उसकी आवाज़ शरारत से टपक रही थी, “रतन, अब तेरे नितंबों का काम तमाम है!”
फरीदा और पगली ने मिलकर रतन को पकड़ लिया, उसे बिस्तर पर औंधे मुँह पिन कर दिया। वह छटपटाया, उसकी मांसपेशियाँ तनीं, लेकिन उनके मजबूत हाथों ने उसकी कलाइयों को जकड़ लिया, उसे नीचे दबाए रखा। रीता बिस्तर पर चढ़ी, उसका छह इंच का लिंग सख्त था, नसें उभरी हुई थीं, गुलाबी सिरा प्रीकम से चिकना, कच्ची ज़रूरत से धड़क रहा था।
रीता ने रतन के पैर चौड़े किए, उसके गोल नितंबों को ऊँचा उठाया। उसका तंग छेद पसीने से चमक रहा था, जैसे रीता के वीर्य की भीख माँग रहा हो। “तूने कहा था मेरा लिंग तेरे नितंबों में कभी नहीं जाएगा, रतन। अब देख, ये तुझे चीर देगा!” रीता गुर्राई, अपने लिंग को उसके छेद पर रगड़ते हुए। उसने सिरे को धीरे-धीरे अंदर धकेला, उसका तंग, गर्म छेद उसे ज़ोर से जकड़ रहा था। रतन ने एक तेज़ सिसकारी भरी, “आह… रीता… तू मेरे नितंबों में आग लगा रही है!”
एक शक्तिशाली धक्के के साथ, रीता ने अपना पूरा लिंग उसके अंदर दफन कर दिया, उसकी गति तीव्र और बेरहम थी। प्रत्येक धक्का रतन के शरीर को हिला रहा था, उसके नितंब उसकी पाशविक लय के साथ काँप रहे थे। फरीदा और पगली ने उसे दबाए रखा, उनके हाथ चादर से उसके शरीर पर कोड़े मार रहे थे, उसके नितंबों और पीठ पर थप्पड़ जड़ रहे थे। “रतन, अब तू हमारा गुलाम है!” फरीदा चीखी, उसका हाथ उसके गाल पर एक तेज़ थप्पड़ मार रहा था। पगली, जंगली ढंग से हँसते हुए, उसके सीने पर चढ़ गई, अपनी गीली योनि को उसके चेहरे पर रगड़ने लगी। “चूस, रतन! मेरी योनि चूस!” उसने माँग की, अपने फुले हुए होंठों को उसके मुँह पर दबा दिया। रतन की जीभ उसके टपकते सिलवटों पर लपकी, उसके रस पी रही थी, उसकी सिसकारियाँ दबी हुई थीं।
रीता, फरीदा, और पगली एक स्वर में नारा लगाने लगीं, “रतन! रतन! रतन!” उनकी आवाज़ें कमरे में गूँज रही थीं, एक पाशविक, राक्षसी मेलोडी। रीता के धक्के और तीव्र हो गए, उसका लिंग रतन के नितंबों में गहराई तक जा रहा था, उसकी नसों वाला शाफ्ट उसकी तंग दीवारों को रगड़ रहा था। रतन का शरीर काँप रहा था, उसका सात इंच का लिंग सख्त और प्रीकम से टपक रहा था। “रीता… तू मेरे नितंबों को बर्बाद कर रही है!” रतन चीखा, उसकी आवाज़ दर्द और उन्माद का मिश्रण थी।
रीता के धक्के उन्मत्त गति तक पहुँच गए, उसका लिंग रतन के नितंबों में फट पड़ा, गर्म, चिपचिपा वीर्य उड़ेलते हुए जो उसकी जांघों से टपक रहा था। उसका विस्फोट अंतहीन था, जैसे उसका सारा क्रोध और वासना इस बाढ़ में उड़ेल दी गई हो, बिस्तर को भिगोते हुए, नीचे बिखरी गुलाब की पंखुड़ियों पर टपकते हुए। कमरा उसके वीर्य में डूब गया—बिस्तर, दीवारें, फर्श, सब उसके गर्म, नमकीन सार से चिकने। फरीदा और पगली, हँसते हुए, रीता के वीर्य को उछाला, उसे एक-दूसरे के शरीर पर मल लिया, उनकी योनि और उरोज चमक रहे थे। “रीता, तूने रतन को खत्म कर दिया! देख उसे, रतन, रतन, रतन!” फरीदा चीखी, उसके हाथ रतन और रीता के लिंगों को सहलाने लगे।

रतन बिस्तर पर पड़ा था, थका हुआ, उसके नितंब रीता के वीर्य से तर। उनकी नारों की आवाज़—रतन… रतन… रतन…—उसके कानों में धीमी पड़ रही थी। अचानक, “रतन! रतन! रतन!” की एक तेज़ चीख ने उसे झकझोर दिया। उसकी आँखें खुलीं, और चिपचिपा बिस्तर, गुलाब की पंखुड़ियाँ, अगरबत्ती का धुआँ, और पसीने, वीर्य, और रसों की मादक गंध गायब हो गई। केवल उसका लिंग बचा था, गीले सपने के चिपचिपे अवशेष से तर, उसकी लुंगी उसकी त्वचा से चिपकी हुई थी।
कमरे के बाहर से उसकी माँ फरीदा की आवाज़ आई, “रतन! रतन! रतन!”
“आ रहा हूँ, माँ!” रतन ने जवाब दिया, उसकी आवाज़ नींद से भारी थी।
फरीदा का लहजा चिढ़ से तीखा था। “कब से बुला रही हूँ! क्या मर गया है सोते हुए? कल रात भोज में ज़्यादा खा लिया क्या? उठ, दुकान खोलनी है!” उसकी पदचाप धीमी पड़ गई क्योंकि रतन उठकर बैठ गया, उसका शरीर पसीने से तर, उसका दिमाग अपराधबोध और वासना से बेचैन। उसने अपने वीर्य से सने लिंग को छुआ, उसके विचार उस ज्वलंत, गंदे सपने में डूब गए। उसने ऐसा सपना क्यों देखा?

यादें उमड़ पड़ीं:
कुछ दिन पहले, रतन ने एक पागल औरत, पगली, को अपनी दुकान में ले जाकर चोदा था, अपनी वासना को शांत करने का मौका लपक लिया था, यह सोचकर कि कोई नहीं जान पाएगा इस निषिद्ध, रसीले मिलन को। लेकिन रीता, एक ट्रांसजेंडर औरत, ने सब देख लिया था। इस घटना ने रतन में एक गुप्त अपराधबोध और डर जगा दिया था, जो उसके सपने में पगली की जंगली, वासना भरी छवि के रूप में प्रकट हुआ। उसकी योनि, उसकी चीखें, और फरीदा के साथ मिलन उसके अवचेतन की इच्छाओं का प्रकटीकरण था, निषिद्ध के रोमांच में डूबा हुआ।
लेकिन रीता, रतन और पगली के मिलन को जानकर, उसे ब्लैकमेल कर रही थी। उसने अपने छह इंच के लिंग से उसके नितंबों को चोदा था, बदला लेते हुए और उसकी प्रभुता को चुनौती देते हुए। इससे रतन में गहरी अपमान और शर्मिंदगी की भावना पैदा हुई, जो सपने में रीता के थप्पड़ों, लातों, और उसके नितंबों के तीव्र चोदन के रूप में झलकी। उसके शब्द, “मेरा लिंग तेरे नितंबों का राजा है,” उसके अवचेतन के हार के डर को गूँजते हैं। उसके वीर्य का “कमरे को डुबो देना” उसकी अपराधबोध और रीता की प्रभुता का अतिशयोक्तिपूर्ण प्रकटीकरण था।
सपने में, फरीदा उसकी प्यारी माँ और यौन साथी दोनों के रूप में प्रकट होती है, जो रतन के आंतरिक द्वंद्व को दर्शाती है—माँ के लिए प्यार और निषिद्ध आकर्षण का मिश्रण। वास्तव में, फरीदा देखभाल करने वाली है, उसे दुकान खोलने के लिए प्रेरित करती है, लेकिन सपने में, रीता और पगली के साथ उसका तीव्र मिलन उसके परित्याग और वर्जित इच्छाओं के डर को उजागर करता है। पिछली रात का भोज, उसकी गुलाब की पंखुड़ियों, अगरबत्ती, और उत्सव के साथ, उसकी अवचेतन वासना के साथ मिल गया, जिसने सपने के ज्वलंत दृश्यों को आकार दिया। भोजन और पेय की अधिकता ने उसके शरीर और दिमाग को उत्तेजित किया, जिसका परिणाम गीला सपना था।
रतन की पगली के लिए भूख और रीता के अपमान की चुभन बरकरार थी। यह नहीं जानना कि पगली या रीता कहाँ हैं, उसकी बेचैनी को बढ़ा रहा था। वह फिर से पगली को चोदना चाहता था, अपनी प्रभुता को पुनः प्राप्त करना चाहता था, लेकिन रीता का ब्लैकमेल और उसके नितंबों में उसके लिंग की स्मृति ने उसका आत्मविश्वास चकनाचूर कर दिया था, जो सपने में उसकी समर्पण के रूप में प्रकट हुआ। अंधेरी, गंदी गली, वासना की सांझ में डूबी हुई, कच्ची वासना की गंध से धड़क रही थी।
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RE: अंधेरी गली का निषिद्ध संसार - by Abirkkz - 16-08-2025, 09:12 AM



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