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Gay/Lesb - LGBT अंधेरी गली का निषिद्ध संसार
#8
रीता के जाने के बाद दुकान में सन्नाटा छा गया। चैत्र की तपती दोपहर का सूरज शटर की दरारों से चीरता हुआ अंदर आ रहा था, तेज़ किरणें बिखेरता हुआ, लेकिन रतन के शरीर में इससे भी गर्म आग सुलग रही थी। उसका दिमाग पगली की जंगली हँसी, उसके स्पर्श की नरमी, और रीता की प्रभुत्व भरी, मादक उपस्थिति में उलझा हुआ था। उसका आधा सख्त लिंग लुंगी के नीचे धड़क रहा था, अतृप्त, जैसे उसकी शरीर की भूख शांत होने से इंकार कर रही हो।
रतन काउंटर पर टिका, एक ठंडी पेप्सी की बोतल पकड़े हुए। उसने उसे गटक लिया, लेकिन उसके गले की सूखापन बरकरार था। रीता के आखिरी शब्द उसके दिमाग में गूँज रहे थे: “अगर और सुख चाहिए, तो तुझे पता है मुझे कहाँ ढूंढना है।” वह जानता था कि इस रास्ते पर आगे बढ़ना उसकी ज़िंदगी को उलझा सकता है, फिर भी उसके अंदर की पाशविक तड़प उसे रुकने नहीं दे रही थी।
दुकान के दरवाज़े पर एक हल्की सी खटखट ने उसे चौंका दिया, उसका दिल धड़कने लगा। इस वक्त कौन हो सकता है? सावधानी से उसने दरार से झाँका। रीता बाहर खड़ी थी, उसकी आँखें शिकारी जैसी, होंठों पर शरारती मुस्कान। उसके बगल में पगली थी, उसकी फटी साड़ी मुश्किल से उसके शरीर पर टिकी थी, उसका चेहरा गंदगी से सना था, लेकिन उसकी आँखें कच्ची, आमंत्रित वासना से चमक रही थीं। रीता का हाथ पगली के कंधे पर था, जैसे वह उसे एक तोहफे की तरह पेश कर रही हो।
“दरवाज़ा खोल, रतन,” रीता ने नरम स्वर में कहा, उसकी आवाज़ में अधिकार की छाया थी। रतन के हाथ काँप रहे थे, डर और उत्तेजना का तूफान उसके अंदर उमड़ रहा था। उसने दरवाज़ा खोल दिया।
रीता और पगली अंदर घुसीं। पगली फर्श पर ढह गई, हँसते हुए, उसकी साड़ी सरककर उसके भरे उरोज और गोल नितंबों की आकृति उजागर कर रही थी। रीता ने दरवाज़ा लॉक किया, धातु की खटक गूँज उठी। उसकी नज़र रतन पर टिकी, उसकी आँखें शैतानी आग से दहक रही थीं।
“तू पगली के लिए तरस रहा था, ना?” रीता ने फुसफुसाते हुए कहा, उसका हाथ रतन के सीने पर फिसल रहा था। “आज तेरा भाग्यशाली दिन है, रतन। मैं उसे तेरे लिए लाई हूँ। हम तीनों एक ऐसा खेल खेलेंगे, जिसका तूने सपने में भी नहीं सोचा।”
रतन की साँसें भारी हो गईं, उसकी नज़रें पगली की ओर गईं। वह हँस रही थी, अपनी साड़ी कंधे से सरका रही थी, मद्धम रोशनी में अपने नंगे उरोज उजागर कर रही थी—सख्त चुचूक, तांबे जैसी त्वचा, और गंदगी के बावजूद एक जंगली आकर्षण। उसकी घनी जघन रेखा उसकी चमकती योनि को घेर रही थी, उसे पुकार रही थी। रतन का लिंग लुंगी के नीचे पूरी तरह सख्त हो गया, उसका शरीर आग की लपटों में था।
रीता करीब आई, उसकी उंगलियाँ रतन की लुंगी खोल रही थीं। उसका सात इंच का लिंग बाहर उछला, सख्त और प्रीकम से चमकता हुआ। रीता घुटनों पर बैठ गई, उसकी जीभ उसके फुले हुए सिरे पर फिरी। “कमबख्त, तेरा लिंग अभी भी इतना गर्म है,” उसने बुदबुदाया, उसकी जीभ उसकी धड़कती नसों पर फिसल रही थी। रतन सिसका, उसके हाथ रीता के बालों में जकड़े, क्योंकि वह उसे अपने मुँह में ले रही थी, उसके होंठ आधार पर सख्ती से बंद थे, उसकी जीभ तीखी सटीकता के साथ चक्कर काट रही थी।
पगली उठी, अपनी साड़ी पूरी तरह उतार फेंकी। उसका नग्न शरीर मद्धम रोशनी में चमक रहा था—पतली कमर, भरे नितंब, और उसकी उत्तेजना की मादक गंध। वह रतन से सट गई, उसकी जीभ उसके चुचूक को छेड़ रही थी। “रतन… तू मुझे चोदेगा, ना?” उसने फुसफुसाया, उसकी आवाज़ वासना से टपक रही थी। उसकी उंगलियाँ रतन के नितंबों तक फिसलीं, उसके तंग छेद को छेड़ रही थीं। रतन का शरीर काँप उठा, उसकी सिसकारियाँ दुकान में गूँज रही थीं।
रीता ने उसका लिंग छोड़ा और खड़ी हो गई, अपनी साड़ी उतार फेंकी। उसका निर्दोष शरीर उजागर हुआ—भरे उरोज हिल रहे थे, गहरे चुचूक सख्त थे, उसका छह इंच का लिंग सख्त और प्रीकम से चमकता हुआ था। “आज रात, हम सब पागल हो जाएंगे,” उसने कहा, उसकी आवाज़ पाशविक भूख से भरी थी।

उसने पगली को काउंटर पर धकेला, उसके पैर चौड़े किए। पगली की योनि उजागर थी, गीली और गहरे बालों से घिरी। रीता घुटनों पर बैठ गई, उसकी जीभ पगली की सिलवटों में गोता लगाई, लालच से चाट रही थी। पगली चीखी, उसका शरीर काँप उठा क्योंकि रीता की जीभ और गहराई तक टटोल रही थी, उसके हाथ पगली के चुचूक को चुटकी में ले रहे थे। “ओह, रीता… तू मुझे बर्बाद कर रही है!” पगली हाँफते हुए बोली, उसके हाथ रीता के बालों में जकड़े।
रतन, अब और रोक नहीं पाया, पगली के चेहरे के पास गया, अपना लिंग उसके होंठों पर रगड़ा। उसने उत्सुकता से अपना मुँह खोला, उसे गहराई तक चूस लिया, उसकी जीभ संवेदनशील सिरे पर चक्कर काट रही थी। रतन सिसका, उसके हाथ उसके उरोजों को मसल रहे थे, उसके चुचूक को ज़ोर से चुटकी में ले रहे थे। उसका मुँह उसे और गहराई तक ले गया, उसके होंठ आधार पर सख्ती से बंद थे।
रीता खड़ी हुई, अपने लिंग को पगली की योनि पर सेट किया। एक शक्तिशाली धक्के के साथ, उसने प्रवेश किया, जिससे पगली चीख पड़ी, उसका शरीर काँप उठा। रीता ने बेरहम गति से उसे चोदना शुरू किया, उसका लिंग गहराई तक जा रहा था, प्रत्येक धक्का पगली के शरीर को हिला रहा था। उसके हाथ पगली के नितंबों पर थप्पड़ मार रहे थे, लाल निशान छोड़ रहे थे। “तेरी योनि मेरा लिंग निगल रही है,” रीता गुर्राई।
रतन ने अपना लिंग पगली के मुँह से खींचा, उसका शरीर ज़रूरत से जल रहा था। वह रीता के पीछे गया, उसके हाथ उसके गोल नितंबों को सहलाने लगे। रीता ने पीछे मुड़कर देखा, एक शैतानी मुस्कान के साथ। “क्या, मेरे नितंबों को टटोल रहा है? मुझे चोद, रतन!” उसने आदेश दिया।
बिना झिझक, रतन ने अपने लिंग को उसके तंग छेद पर सेट किया और धीरे-धीरे अंदर धकेला। रीता सिसकी, उसका शरीर काँप उठा क्योंकि वह अंदर गया। उसने धक्के देने शुरू किए, उसका लिंग उसके तंग, गर्म नितंबों में गहराई तक फिसल रहा था। रीता ने पगली को चोदना फिर से शुरू किया, और रतन ने उसकी लय से ताल मिलाया, उनके शरीर एक पाशविक नृत्य में एकजुट हो गए। उनकी सिसकारियाँ दुकान में गूँज रही थीं, वासना का एक सिम्फनी।
रीता ने पगली के चुचूक को काटा, उसकी जीभ उसके उरोजों पर लपकी। पगली की योनि रीता के लिंग को जकड़ रही थी, उसका शरीर ऐंठ रहा था। “रीता… मैं खत्म हो गई… ओह कमबख्त!” पगली चीखी, उसकी योनि फट पड़ी, रीता के लिंग को भिगोते हुए।
रतन के धक्के तेज़ हो गए, उसका लिंग रीता के नितंबों में गहराई तक धंसा हुआ था। रीता चीखी, “रतन… तेरा लिंग… मेरे नितंबों में… चोद!” उसका लिंग धड़कने लगा, पगली की योनि में गर्म वीर्य उड़ेल दिया। रतन अब और रोक नहीं पाया, उसका लिंग फट पड़ा, रीता के नितंबों में गर्म, चिपचिपा वीर्य भर दिया। उनके शरीर एक साथ काँपे, उनकी चीखें एक पाशविक दहाड़ में मिल गईं।
वे काउंटर पर ढह गए, हाँफते हुए, उनके शरीर पसीने से तर। पगली हँसी, उसकी आँखें संतुष्टि से चमक रही थीं। “तू अच्छा है, रतन,” उसने फुसफुसाया, उसकी उंगलियाँ उसके नरम पड़ते लिंग पर फिसलीं। रीता मुस्कुराई, उसका हाथ पगली के उरोजों को सहलाने लगा। “हम और खेलेंगे, रतन। यह तो बस शुरुआत है।”
दुकान फिर से शांत हो गई क्योंकि रीता और पगली चली गईं, चैत्र का सूरज अभी भी शटर के बीच से तप रहा था। रतन का शरीर बची हुई गर्मी से गूँज रहा था, उसका लिंग नरम लेकिन वीर्य और प्रीकम से चिपचिपा। पगली की मादक गंध, रीता का प्रभुत्व भरा स्पर्श, और उनका पाशविक मिलन उसके दिमाग में बार-बार घूम रहा था। काउंटर पसीने, वीर्य, और पगली के रसों से तर था, दुकान उनकी वासना की गंध से भारी थी।

रतन ने पेप्सी का घूंट लिया, लेकिन उसकी प्यास बरकरार थी। रीता के शब्द उसे सता रहे थे: “यह गंदा खेल रुकेगा नहीं।” पगली की शरारती मुस्कान और उसकी गीली योनि की छवि उसकी आँखों में बनी रही। वह जानता था कि यह निषिद्ध खेल उसकी आत्मा में गहराई तक समा गया है, फिर भी अपराधबोध की एक चिंगारी उसे कुरेद रही थी—अगर वह इस रास्ते पर और आगे गया तो उसकी ज़िंदगी का क्या होगा?
अचानक एक ज़ोरदार खटखट ने उसे चौंका दिया, उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। अब कौन हो सकता है? पड़ोसी? सिक्युरिटी? या रीता और पगली, फिर से वापस? वह धीरे से दरवाज़े तक गया और झाँका। रीता अकेली खड़ी थी, उसकी टाइट लाल साड़ी उसके कर्व्स से चिपकी थी—भरे उरोज, पतली कमर, गोल नितंब। उसकी शिकारी आँखें और शरारती मुस्कान ने उसके शरीर में सिहरन दौड़ा दी।
“दरवाज़ा खोल, रतन,” उसने कहा, उसकी आवाज़ नरम लेकिन प्रभुत्व भरी। रतन के हाथ काँपते हुए आज्ञा मान गए।
रीता अंदर घुसी, उसकी साड़ी फर्श पर फिसल रही थी, उसकी पायल हल्के से खनक रही थी। गुलाब और पसीने की गंध उससे उठ रही थी। उसने दरवाज़ा लॉक किया, धातु की खटक गूँज उठी। उसकी आँखें शैतानी इरादों से दहक रही थीं।
“पगली कहाँ है?” रतन ने फुसफुसाया, उसका गला सूख रहा था।
रीता हँसी, उसकी मुस्कान शरारती थी। “पगली आराम कर रही है। उसकी योनि और नितंब हमसे थक गए हैं। अब बस तू और मैं। मैं तुझे एक ऐसा गंदा खेल सिखाऊँगी, जो तू कभी नहीं भूलेगा।”
वह करीब आई, उसकी लुंगी खींच दी। उसका सात इंच का लिंग बाहर उछला, पहले से सख्त, प्रीकम से चमकता हुआ। रीता घुटनों पर बैठ गई, उसकी जीभ सिरे को छेड़ रही थी। “तेरा लिंग अभी भी जल रहा है,” उसने बुदबुदाया, धड़कती नसों को चाटते हुए। रतन सिसका, उसके बालों को जकड़ते हुए क्योंकि वह उसे गहराई तक ले रही थी, उसके होंठ सख्ती से बंद थे, उसकी जीभ बेरहम थी। उसकी उंगलियाँ उसके अंडकोषों को छेड़ रही थीं, हल्का दबाव दे रही थीं। “रीता… तू मेरा लिंग बर्बाद कर रही है!” वह हाँफते हुए बोला।
रीता खड़ी हुई, अपनी साड़ी उतार फेंकी। उसका निर्दोष शरीर चमक रहा था—भरे उरोज हिल रहे थे, गहरे चुचूक सख्त थे, उसका छह इंच का लिंग सख्त और टपक रहा था। “आज, मैं तुझे अपना गुलाम बनाऊँगी,” उसने कहा, उसकी आवाज़ वासना से टपक रही थी।
उसने रतन को काउंटर पर धकेला, उसके पैर चौड़े किए। उसका नितंब उजागर था, तंग और पसीने से चिकना। रीता ने अपने लिंग को उसके छेद पर रगड़ा, हल्के से छेड़ते हुए। “रीता… धीरे… मुझे डर लग रहा है,” रतन ने फुसफुसाया। उसने उसे गहराई से चूमा, उसकी जीभ उसके मुँह में नाच रही थी। “डर मत, रतन। मेरा लिंग तुझे सुख देगा,” उसने फुसफुसाया।
रीता ने उसके छेद पर थूका, अपनी उंगलियों से उसे ढीला किया, फिर अपने लिंग को सेट किया। उसने धीरे-धीरे प्रवेश किया, और रतन चीखा, “रीता… दर्द हो रहा है!” वह झुकी, उसकी गर्दन चाटते हुए। “शांत हो, रतन। सुख आने वाला है।” उसने धक्के देने शुरू किए, उसका लिंग गहराई तक फिसल रहा था, उसकी नसों वाला शाफ्ट उसकी तंग दीवारों को रगड़ रहा था। दर्द सुख में बदल गया, और रतन की सिसकारियाँ तेज़ हो गईं। “रीता… तेरा लिंग… कमाल का है!”
उसके धक्के तेज़ हो गए, उसकी मांसल जांघें उसके नितंबों से टकरा रही थीं, काउंटर चरमरा रहा था। उसका हाथ रतन के सात इंच के लिंग को जकड़ लिया, ज़ोर से सहलाने लगा। “तेरा लिंग मेरे हाथ में पागल हो रहा है,” वह गुर्राई, उसकी उंगलियाँ उसके प्रीकम से चिकनी थीं। रतन सिसका, “रीता… तू मुझे बर्बाद कर रही है!”
वह उसके चुचूक को काटने लगी, उसकी जीभ उसके सीने पर लपकी। उसके धक्के गहरे हो गए, उसका नितंब उसके लिंग को जकड़ रहा था। “तेरे नितंब मेरे लिंग को चूस रहे हैं, रतन!” वह हाँफते हुए बोली। रतन का शरीर किनारे पर था, उसका लिंग उसके हाथ में धड़क रहा था। “रीता… मैं और नहीं रोक सकता!” वह चीखा।

उसका शरीर झटका खा गया, उसका सिर पीछे झुका। “रतन… मेरा लिंग… फट रहा है!” वह चीखी, उसका छह इंच का लिंग उसके नितंबों में गर्म, चिपचिपा वीर्य उड़ेल रहा था। उसकी गर्मी ने रतन को किनारे पर धकेल दिया, उसका लिंग उसके हाथ में फट पड़ा, वीर्य उसकी पेट और उरोजों पर छलक गया। उनके शरीर काँपे, उनकी सिसकारियाँ एक पाशविक सिम्फनी में मिल गईं।
वे ढह गए, पसीने से तर और हाँफते हुए। रीता का लिंग नरम पड़ गया, अभी भी वीर्य और प्रीकम से चमक रहा था। वह मुस्कुराई, उसके सीने को सहलाते हुए। “तू मेरा है, रतन। यह खेल कभी खत्म नहीं होगा।”
अचानक एक खटखट ने उन्हें चौंका दिया। रीता हँसी। “वो पगली है। वह वापस आ गई। हम फिर खेलेंगे।” उसने दरवाज़ा खोला, और पगली अंदर घुसी, उसकी फटी साड़ी सरककर उसके भरे उरोज और चमकती योनि को उजागर कर रही थी। “रतन, तू मेरी योनि से दूर नहीं रह सकता, ना?” उसने छेड़ा, उसका हाथ उसके लिंग पर फिसला।
रीता ने पगली को काउंटर पर खींचा, उसे नंगा कर दिया। पगली का शरीर चमक रहा था—उसकी योनि गीली, होंठ फुले हुए, गहरे बालों से घिरी; उसके उरोज भरे हुए, चुचूक सख्त। रीता ने उसे कुत्ते की मुद्रा में झुकाया, उसके गोल नितंब उठे हुए। उसने अपने लिंग को पगली के तंग छेद पर रगड़ा, धीरे-धीरे प्रवेश किया। पगली सिसकी, “रीता… तेरा लिंग… मेरे नितंबों को पागल कर रहा है!”
रतन का लिंग फिर से सख्त हो गया। वह पगली के चेहरे के पास गया, अपने लिंग को उसके मुँह में ठेल दिया। वह लालच से चूसने लगी, उसकी जीभ सिरे पर चक्कर काट रही थी। रतन सिसका, उसके हाथ उसके चुचूक को चुटकी में ले रहे थे। रीता ने पगली के नितंबों को तीव्र धक्कों से चोदा, उसकी उंगलियाँ पगली की भगनासा को रगड़ रही थीं। उनके शरीर एक पाशविक लय में तालमेल बिठा रहे थे, उनकी सिसकारियाँ दुकान में गूँज रही थीं।
पगली की योनि फट पड़ी, रीता की उंगलियों को भिगोते हुए। “रीता… रतन… तुम मुझे बर्बाद कर रहे हो!” वह चीखी, उसका शरीर ऐंठ रहा था। रीता का लिंग फट पड़ा, पगली के नितंबों में वीर्य भर दिया। रतन का लिंग उसके मुँह में फट पड़ा, वीर्य उसके होंठों से टपक रहा था। वे ढह गए, थके हुए लेकिन तृप्त।
रीता और पगली ने कपड़े पहने और चली गईं, और वादा किया कि फिर आएँगी। रतन अकेला पड़ा रहा, उसका शरीर थका हुआ, उसका दिमाग वासना और अपराधबोध के तूफान में। वह जानता था कि यह गंदा खेल उसे जकड़ चुका है, और कोई बचाव नहीं था।


घर में निषिद्ध आग
रतन रीता और पगली के साथ घर लौटा, उसका इरादा पक्का था। रीता का नरम, गोल नितंब उसके हाथ से रगड़ रहा था, उसके भरे उरोज उसके सीने से दब रहे थे। पगली की फटी साड़ी उसके गहरे जघन बाल और फुले हुए योनि के होंठों को उजागर कर रही थी। दरवाज़े पर, रतन की माँ, फरीदा, हैरानी से देख रही थी। उसकी परिपक्व सुंदरता अभी भी मोहक थी—भरे उरोज, पतली कमर, और उसकी आँखों में एक कामुक चमक।
“रतन, ये कौन हैं?” फरीदा ने उत्सुकता से पूछा।
गहरी साँस लेते हुए, रतन ने कहा, “माँ, ये रीता और पगली हैं। मैं इन दोनों से शादी करने जा रहा हूँ।”
रीता मुस्कुराई। “माँ, मैं रतन के लिंग की गुलाम हूँ। मैं उसकी पत्नी बनना चाहती हूँ,” उसने नरम स्वर में कहा। पगली हँसी, “मेरी योनि रतन के लिए बनी है। मैं भी उसकी पत्नी बनूँगी।”
फरीदा, पहले तो हैरान, फिर मुस्कुराई। “ठीक है, रतन। तेरी खुशी मेरी खुशी है। मैं सहमति देती हूँ। यह शादी धूमधाम से होगी!”


गाँव के मैदान में शादी का उत्सव
शादी गाँव के मैदान में एक जीवंत उत्सव में हुई। चैत्र का सूरज सुनहरी रोशनी बिखेर रहा था, हवा में फूलों, अगरबत्ती, और उत्सव की गंध थी। लाल, पीले, और हरे रंग के शामियाने लहरा रहे थे, गेंदे, ट्यूबरोज़, और चमेली की मालाओं से सजे हुए। मंच लाल कालीन से ढका था, फूलों की पंखुड़ियाँ बिखरी हुई थीं, और रतन, रीता, और पगली के लिए तीन सुनहरे सिंहासन जैसे कुर्सियाँ थीं।
रतन सुनहरे कुर्ते और धोती में देवता जैसा लग रहा था, उसका मांसल शरीर चमक रहा था, उसकी आँखें पाशविक वासना से जल रही थीं। रीता, लाल बनारसी साड़ी में, एक देवी थी—उसके भरे उरोज झलक रहे थे, गहरे चुचूक टाइट ब्लाउज़ के पार दिख रहे थे, उसके गोल नितंब हर कदम पर हिल रहे थे। उसकी सोने की कमरबंद, पायल, और बिंदी ने उसकी कामुक आकर्षण को बढ़ा दिया था। पगली की लाल साड़ी, फटी हुई फिर भी मोहक, उसकी तांबे जैसी त्वचा और घने जघन बालों को उजागर कर रही थी। उसके भरे उरोज उछल रहे थे, उसकी जंगली मुस्कान भीड़ को मोह रही थी।
गाँव वाले इकट्ठा हुए, ढोल बज रहे थे, शंख बज रहे थे, औरतें उलूलु कर रही थीं। अगरबत्ती का धुआँ नाच रहा था, रीता और पगली की शरीर की मादक गंध के साथ मिलकर एक मादक माहौल बना रहा था। पंडित मंत्र पढ़ रहा था, उसकी आवाज़ उनके दिलों में गूँज रही थी।
रतन ने रीता की ओर देखा, उसकी आँखें प्यार और वासना का मिश्रण थीं। “रीता, तू मेरी पत्नी है। तेरी योनि और नितंब मेरे हैं,” उसने फुसफुसाया। रीता मुस्कुराई, “रतन, मेरे पति, मेरा लिंग और योनि तेरे लिए तरस रहे हैं।” पगली ने उसका हाथ पकड़ा, उसके उरोज उसके हाथ से रगड़ रहे थे। “तेरा लिंग मेरी योनि का राजा है, रतन। मैं तेरी जंगली पत्नी हूँ,” वह हँसी।
सिंदूर की रस्म के दौरान, रतन ने रीता की मांग में सिंदूर भरा, उसकी उंगलियाँ उसकी त्वचा पर रुकीं। वह सुख से काँप उठी। फिर उसने पगली की मांग भरी, जिसने उसे चूमा, फुसफुसाते हुए, “मेरी योनि तेरी है।” उन्होंने मालाएँ बदलीं, सात बार चक्कर लगाए, उनके शरीर एक-दूसरे से रगड़ रहे थे, दिल धड़क रहे थे।
भीड़ ने तालियाँ बजाईं, आश्चर्यचकित। भोज शामियाने के नीचे हुआ, टेबल सफेद कपड़े से ढके थे, केले के पत्तों से लदे हुए। हवा में मछली करी, पुलाव, और मिठाइयों की खुशबू थी।
मेन्यू:
  • हिल्सा मछली करी: ताज़ा हिल्सा, तलकर हल्दी, जीरा, और धनिया में पकाया गया, तैलीय शोरबा मादक।
  • मटन काशा: नरम बकरी का मांस, प्याज़, अदरक, और लहसुन के साथ धीरे-धीरे पकाया गया, मसालों से भरा।
  • बासमती पुलाव: इलायची, दालचीनी, और लौंग की खुशबू, किशमिश और काजू से सजा।
  • आलू-पटोल करी: नरम आलू और कोमल पटोल, हल्की मसालेदार ग्रेवी में।
  • मिठाइयाँ: रसगुल्ला, नरम और सिरप से भरा; संदेश, नारियल और इलायची से युक्त; मालपुआ, कुरकुरा और खजूर के सिरप में डूबा।
  • लुची: फूली हुई, गर्म, मटन काशा के साथ परफेक्ट।
  • चटनी और पापड़: तीखी आम की चटनी और कुरकुरा पापड़।
फरीदा ने रतन, रीता, और पगली को अपने हाथों से खिलाया। उसने रतन को मटन के साथ लुची का टुकड़ा खिलाया, मुस्कुराते हुए, “खा, मेरे बेटे। तू मेरा गर्व है।” उसने रीता को रसगुल्ला खिलाया, सिरप उसके होंठों पर टपक रहा था। रीता ने उसे चाट लिया, नरम स्वर में कहा, “माँ, तुम इस मिठास जितनी प्यारी हो।” फरीदा हँसी, पगली को मछली करी में डूबा चावल खिलाया। पगली हँसी, “माँ, ये करी मेरी योनि जितनी गर्म है!” फरीदा ने चंचलता से उसका गाल चुटकी में लिया।
खाते समय, उनके हाथ एक-दूसरे की जांघों को रगड़ रहे थे, रीता की योनि की गंध उसकी साड़ी से उठ रही थी, पगली के उरोज रतन से दब रहे थे। फरीदा देख रही थी, उसका अपना शरीर वासना से हिल रहा था। भोज के बाद, वे दुल्हन के कक्ष में गए, उनकी आँखें रात के जुनून का वादा कर रही थीं।



दुल्हन के कक्ष में जुनून
दुल्हन का कक्ष गुलाबों से सजा था, बिस्तर पर पंखुड़ियाँ बिखरी हुई थीं, अगरबत्ती का धुआँ एक कामुक धुंध बना रहा था। रतन ने दरवाज़ा लॉक किया, उसकी आँखें शिकारी जैसी थीं। रीता और पगली बिस्तर पर बैठी थीं, उनकी साड़ियाँ सरक रही थीं। रीता के भरे उरोज चमक रहे थे, उसके गहरे चुचूक सख्त थे, उसका छह इंच का लिंग उसकी साड़ी के नीचे धड़क रहा था, उसके नितंब चिकने और गर्म। पगली की तांबे जैसी त्वचा पसीने से चमक रही थी, उसकी घनी योनि फुली हुई थी, उसकी भगनासा रतन के लिंग के लिए धड़क रही थी।
रतन ने अपनी धोती उतारी, उसका सात इंच का लिंग सख्त था, नसें धड़क रही थीं, सिरा प्रीकम से चिकना। “तुम मेरी पत्नियाँ हो। मैं तुम दोनों को बेकार कर दूंगा,” वह गुर्राया। पगली ने अपनी साड़ी फेंक दी, उसकी योनि उजागर थी। “रतन, मेरी योनि तेरे लिंग के लिए रो रही है। मुझे चोद!” वह चीखी।
रतन घुटनों पर बैठ गया, उसकी जीभ पगली के फुले हुए होंठों पर लपकी, उसकी भगनासा को छेड़ रही थी। वह चीखी, “रतन… तेरी जीभ मेरी योनि में आग लगा रही है!” उसके हाथ उसके बालों में जकड़े, उसकी योनि को उसके मुँह में दबा रही थी। उसने अपने लिंग को उसमें ठेल दिया, उसकी तंग, गर्म योनि उसे जकड़ रही थी। “तेरा लिंग मेरी योनि को चीर रहा है!” वह सिसकी, उसका शरीर हर धक्के के साथ हिल रहा था। उसके हाथ उसके चुचूक को चुटकी में ले रहे थे, नाखून उसकी त्वचा में धंस रहे थे।
रीता देख रही थी, उसका लिंग धड़क रहा था, प्रीकम टपक रहा था। उसने अपनी साड़ी उतार दी, उसका लिंग चमक रहा था। “रतन, मैं तेरे नितंबों को चोदना चाहती हूँ,” उसने फुसफुसाया, उसके गालों को सहलाते हुए। रतन रुका, उसकी आँखें सख्त थीं। “नहीं, रीता। मैं तेरा पति हूँ। मैं तुझे चोदता हूँ। तेरा लिंग मेरे नितंबों से बाहर रहेगा। तू मेरे लिंग की गुलाम है,” उसने दृढ़ता से कहा। रीता का चेहरा लटक गया, उसका लिंग अतृप्त वासना से काँप रहा था।
रतन ने पगली से बाहर निकाला और रीता की ओर गया, उसे बिस्तर पर धकेल दिया। उसने उसके तंग, पसीने से चिकने नितंबों को चाटा, उसकी जीभ उसके छेद पर चक्कर काट रही थी। “रतन… तेरी जीभ मेरे नितंबों को पागल कर रही है!” रीता सिसकी, उसका लिंग चादर पर टपक रहा था। रतन ने उसके नितंबों में ठेल दिया, उसका तंग छेद उसे जकड़ रहा था। “तेरा लिंग मेरे नितंबों को चीर रहा है!” वह चीखी। वह उसे ज़ोर से चोदने लगा, उसके चुचूक को काटते हुए, नाखून उसकी त्वचा पर खरोंच रहे थे।
पगली ने रीता के लिंग को अपने मुँह में लिया, सिरे को चूस रही थी, उसकी जीभ चक्कर काट रही थी। “पगली… तेरा मुँह मेरे लिंग को बर्बाद कर रहा है!” रीता चीखी। पगली की जीभ आधार को छेड़ रही थी, क्योंकि रतन का लिंग उसके नितंबों को पीट रहा था। रतन का लिंग फट पड़ा, रीता के नितंबों में वीर्य भर दिया, जो उसकी जांघों से टपक रहा था। रीता का लिंग पगली के मुँह में फट पड़ा, वीर्य उसके होंठों पर चिपक गया। पगली ने उसे चाट लिया, हर बूंद का स्वाद लिया।
रतन पगली की ओर लौटा, उसकी योनि में ठेल दिया। “तू मेरी योनि को बर्बाद कर रहा है!” वह चीखी, उसकी योनि फट पड़ी, बिस्तर को भिगोते हुए। उसका लिंग फट पड़ा, उसे वीर्य से भर दिया। वे ढह गए, उनके शरीर चिकने और तृप्त, बिस्तर पसीने, वीर्य, और रसों से तर।
लेकिन रीता का दिल दुख रहा था—उसका लिंग, हालांकि सुख पा चुका था, प्रवेश की चाहत रखता था, एक इच्छा जो रतन के नियम ने नकार दी थी। उसका शरीर अतृप्त ज़रूरत से जल रहा था, एक यातना जो उसकी आत्मा को कुरेद रही थी।


रसोई में निषिद्ध जुनून
अगली सुबह, रीता, भारी मन से, रसोई में फरीदा के पास गई। फरीदा की परिपक्व देह उसकी टाइट साड़ी में आश्चर्यजनक थी—भरे उरोज झलक रहे थे, गहरे चुचूक दिख रहे थे, उसके गोल नितंब हर कदम पर हिल रहे थे। “माँ, मुझे दर्द हो रहा है। मैं संतुष्ट नहीं हूँ,” रीता ने फुसफुसाया, उसकी आँखों में आंसू लेकिन शरीर में वासना।
फरीदा ने भौंहें सिकोड़ीं। “रतन ने तुझे चोदा नहीं?” उसने चिंता से पूछा।
रीता ने सिर हिलाया, अपनी साड़ी उठाकर अपना छह इंच का लिंग दिखाया, सख्त और टपकता हुआ, उसकी फुली हुई, घनी योनि के बगल में। फरीदा हाँफी, उसकी आँखें आश्चर्य और वासना से चौड़ी हो गईं। “ये क्या है, रीता!” उसने फुसफुसाया, उसका हाथ सहज रूप से रीता के लिंग को छूने लगा, चिकने सिरे को सहलाने लगा। “इतना बड़ा और सख्त… और ये योनि… ओह!” फरीदा की आवाज़ वासना से टपक रही थी।
रीता का लिंग धड़क रहा था। “माँ, मेरा लिंग चोदने के लिए तरस रहा है। रतन मुझे नहीं करने देता,” उसने कहा, उसकी आवाज़ टूट रही थी।
फरीदा शरारती ढंग से मुस्कुराई। “तो मैं तेरे लिंग को संतुष्ट करूँगी। मेरी योनि को सालों से लिंग का स्वाद नहीं मिला। और मैं तेरी योनि का स्वाद भी लूँगी,” उसने नरम स्वर में कहा। वह घुटनों पर बैठ गई, उसके होंठ रीता के लिंग को छू रहे थे, प्रीकम को चाट रहे थे। उसने उसे गहराई तक लिया, उसके होंठ सख्ती से बंद, उसकी जीभ चक्कर काट रही थी। “माँ… तेरा मुँह मेरे लिंग को पागल कर रहा है!” रीता सिसकी। फरीदा की उंगलियाँ रीता की योनि को छेड़ रही थीं, उसकी भगनासा को रगड़ रही थीं। रीता का शरीर काँप उठा, उसकी योनि फट पड़ी।
फरीदा ने रीता की योनि को चाटा, उसकी भगनासा को चूसा, फिर उसके लिंग पर लौटी। “तेरा लिंग और योनि मेरे लिए बने हैं,” उसने बुदबुदाया, उसका चेहरा रसों से चिकना था।
रीता, अभिभूत, फरीदा को उठाकर रतन के कमरे में ले गई। वहाँ, रतन पगली की योनि को खा रहा था, उसकी जीभ उसकी गीली सिलवटों में डूबी थी, उसका सात इंच का लिंग सख्त और टपक रहा था। रीता ने फरीदा को बिस्तर पर लिटाया, उसकी साड़ी फाड़ दी। फरीदा का शरीर उजागर हुआ—भरे उरोज उछल रहे थे, गहरे चुचूक सख्त थे, उसकी परिपक्व योनि घनी और गीली थी।
रीता ने अपने लिंग को फरीदा की योनि पर रगड़ा, उसकी भगनासा को छेड़ा। “माँ, तेरी योनि मेरा लिंग निगल लेगी,” वह गुर्राई, ज़ोर से प्रवेश किया। फरीदा चीखी, “रीता… तेरा लिंग मेरी योनि को चीर रहा है!” रीता ने उसे बेरहमी से चोदा, उसके चुचूक को काटते हुए, नाखून उसकी त्वचा में धंस रहे थे।

पगली शामिल हुई, फरीदा की भगनासा को चूस रही थी, उसकी जीभ रीता के लिंग को छू रही थी। “पगली… तेरी जीभ मेरी योनि में आग लगा रही है!” फरीदा चीखी। पगली ने रीता के लिंग को चाटा क्योंकि वह फरीदा की योनि में धक्के दे रहा था।
रतन देख रहा था, उसका लिंग धड़क रहा था। वह रीता के पीछे गया, उसके नितंबों को सहलाने लगा। “मेरी माँ को चोद रही है, रीता? मैं तेरे नितंबों को बर्बाद कर दूंगा!” वह गुर्राया, उसके तंग, चिकने छेद में ठेल दिया। रीता चीखी, “रतन… तेरा लिंग मेरे नितंबों को जला रहा है!” उसके धक्के उसकी लय से तालमेल बिठा रहे थे, उसे फरीदा में और गहराई तक धकेल रहे थे।
पगली ने फरीदा के चुचूक को चूसा, उसकी जीभ रीता के लिंग को छेड़ रही थी। फरीदा की योनि जकड़ गई, रस छलक रहे थे। “रीता… पगली… तुम मुझे बर्बाद कर रहे हो!” वह चीखी, उसके नाखून रीता की पीठ पर खरोंच रहे थे।
रीता का लिंग फट पड़ा, फरीदा की योनि में गर्म वीर्य उड़ेल दिया, जो उसकी जांघों से टपक रहा था। रतन का लिंग रीता के नितंबों में फट पड़ा, वीर्य उसे भर रहा था। पगली की जीभ ने फरीदा को चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया, उसकी योनि बिस्तर को भिगो रही थी।
रतन घुटनों पर बैठ गया, फरीदा की योनि को चाटने लगा, रीता के वीर्य और उसके रसों का स्वाद ले रहा था। “माँ, तेरी योनि और रीता का वीर्य… स्वर्ग है,” वह गुर्राया, उसकी जीभ गहराई तक टटोल रही थी। फरीदा सिसकी, “रतन… तू मेरी योनि को बर्बाद कर रहा है!” उसकी योनि फट पड़ी, उसका चेहरा भिगो दिया।
पगली ने रतन के लिंग को अपने मुँह में लिया, लालच से चूस रही थी। “तेरा लिंग मेरे मुँह में फटेगा,” उसने नरम स्वर में कहा। रीता, देख रही थी, उसका लिंग फिर से सख्त हो गया। उसने फरीदा के चुचूक को चूसा, उसकी उंगलियाँ रतन की जीभ के साथ उसकी योनि को छेड़ रही थीं। फरीदा चीखी, “रीता… रतन… तुम मुझे तबाह कर रहे हो!”
रतन ने रीता के नितंबों में फिर से ठेल दिया, उसका लिंग बेरहम था। पगली ने फरीदा की योनि को चाटा, उसे एक और चरमोत्कर्ष पर ले गई। रीता का लिंग दुख रहा था, प्रवेश से वंचित। रतन का लिंग उसके नितंबों में फट पड़ा, फरीदा की योनि फट पड़ी, और वे ढह गए, तृप्त लेकिन थके हुए।
फरीदा ने पगली को अपने पास खींचा, उनकी योनि एक-दूसरे से रगड़ रही थीं, भगनासाएँ टकरा रही थीं, रस मिल रहे थे। “पगली, तेरी योनि मेरी योनि के लिए बनी है,” फरीदा सिसकी, उसके चुचूक को काटते हुए। पगली चीखी, “माँ… हमारी योनि एक हैं!” उनके शरीर ऐंठे, बिस्तर को भिगोते हुए।
रतन देख रहा था, उसका लिंग सख्त हो रहा था। “माँ, मैं तेरी योनि को तीन तरह से चोदूंगा,” वह गुर्राया। फरीदा ने अपने पैर चौड़े किए, उसकी योनि चमक रही थी। रतन ने उसमें ठेल दिया, उसे ज़ोर से चोदा, फिर उसके मुँह में गया, उसके होंठ उसके लिंग से उसके अपने रस चूस रहे थे। उसने उसकी योनि को फिर से चोदा, फिर पीछे से, उसके नितंबों पर थप्पड़ मारते हुए। अंत में, फरीदा ने उसे सवार किया, उसकी योनि उसके लिंग को जकड़ रही थी जब तक कि दोनों फट नहीं पड़े, वीर्य और रस बिस्तर को भिगो रहे थे।

जैसे ही वे एक साथ लेटे, फरीदा ने फुसफुसाया, “रतन, तेरा लिंग मेरी योनि का राजा है।” रतन ने जवाब दिया, “माँ, तेरी योनि मेरे लिए बनी है। यह खेल कभी खत्म नहीं होगा।”
लेकिन अचानक, रीता उठी, उसकी आँखें निराशा से दहक रही थीं। उसने रतन को ज़ोर से थप्पड़ मारा, उसकी आवाज़ काँप रही थी। “तू मेरे लिंग को नकारता है, रतन! तुझे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी!” कमरा शांत हो गया, हवा में तनाव भारी था, क्योंकि उनका निषिद्ध खेल एक खतरनाक मोड़ ले रहा था।
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RE: अंधेरी गली का निषिद्ध संसार - by Abirkkz - 16-08-2025, 08:51 AM



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