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देवर भाभी की असली कहानी — हिंदी फ़ॉंट में
#12
ज्यादातर ऐसे साथ में बैठना होता नहीं था क्यूंकि सबके सामने अजीब लगता । पर आज कोई नी था घर में --  प्रिया ने भी ज़्यादा नी सोचा और उसके बराबर में जाके बैठ गई ।रवि कंबल ओढ़ कर बैठा था क्यूंकि ठंड थी । वो बोला - लो आप भी ओढ़ लो ना कंबल । प्रिया ने थोड़ा सोचा की अजीब तो नहीं ऐसे देवर के साथ एक कंबल में - पर फिर लगा वैसे भी अभी तो कोई है ही नहीं घर में तो फिर कंबल में आ गई  ।और दोनों टीवी देखने लगे । थोड़ी देर बाद प्रिया को लगा की जैसे दोनों के पैर टच हो रहे ! पहले तो उसे लगा शायद गलती से पर जब ध्यान दिया तो लगातार ही टच हो रहे थे । बल्कि हल्का हल्का सहला रहा था रवि उसे पैर को अपने पैर की उँगलियों से ! प्रिया के दिल की धड़कन थोड़ी बढ़ने लगी । पर उसने सोचा कुछ देर इग्नोर करना चाहिए ।

पर जब वो नहीं रुका तो पूछ ही लिया धीरे से । 
"ये क्या कर रहे हो " 
"कुछ भी तो नहीं " 
"कुछ नहीं तो .." वो कंबल से निकालने लगती है ये कहते हुए 
तब वो प्रिया का हाथ पकड़ कर रोकता है । 
"बताओ फिर ये क्या कर रहे हो, होली पर भी ऐसे ही "
"क्यों मजा नी आया था होली पर "
अब प्रिया क्या बोलती - वो कुछ देर चुप रही 
तब उसने हाथ पकड़ के पास खींचा तो दोनों के चेहरे पास आ गए और दोनों की सांसें टकराने लगी । प्रिया फिर बोली हल्के से -- "बोलो ना क्यों ..." इससे आगे कुछ बोलती उससे पहले ही रवि ने हल्के से बोला "क्यूँकि ... " और बस अपने होठ प्रिया के होठों से मिला दिए ।
प्रिया को कुछ समझ नी आया पहले तो - पर वो हटी भी नहीं वहाँ से । शायद उसे अंदर से पता ही था की रवि के मन में ऐसा कुछ है - और बस यही सोचते सोचते उसे लगा की अब वो होठ चूसने लगा है -- और ख़ुद पर यकीन नी हुआ क्यों अब वो भी साथ देने लगी थी किस में ।
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RE: देवर भाभी की असली कहानी — हिंदी फ़ॉंट में - by IndianUSA - 09-08-2025, 03:46 PM



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