08-08-2025, 08:20 PM
अब कमरे का माहौल धीरे धीरे गरम हो रहा था।
अंकल: बेटा अब कल खेलेंगे अभी तो एक महीने रहना है।
मैं: ठीक है अंकल
अंकल: बेटा तूने हमारी दोस्ती कराई है तो मैं आज से तुम्हारी मम्मी को क्या बोल के बुलाऊं?
मैं: जो आपको ठीक लगे अंकल
मम्मी: क्यों नाम में क्या बुराई है
अंकल: नाम में क्या बुराई है? कौन सा दोस्त नाम लेके बुलाता है
अंकल: बेटा तेरी मम्मी में घोड़ी जैसी फुर्ती है मैं तेरी मम्मी को घोड़ी बुलाऊंगा तुम्हे दिक्कत नहीं ना
मैं: क्या अंकल दोस्त तो क्या कुछ नहीं कहते आप तो घोड़ी ही बोल रहे।
अंकल: देखा वर्षा हमारे बेटे को भी कोई प्रॉब्लम नहीं है तो आज से तू मेरी गदराई घोड़ी है।
मम्मी शर्मा जाती है।
मम्मी: क्या क्या करते हो आप दोनों।
अंकल: बेटा अब तेरी मम्मी को कंप्यूटर सीखना है तू टीवी देख
अंकल इतना कह के रूम में चले जाते हैं लेकिन मम्मी को नहीं बोलते तो मम्मी shock हो जाती है
रूम में गेट पे एक पन्नी का पर्दा लगा था जिससे अंदर अगर लाइट जल रही हो तो परछाई जैसा बन के आता था जो साफ साफ पता चलता था अंदर क्या हो रहा है
अंदर जाते ही अंकल अपना टॉवेल निकाल के फेक देते है और अपने लंड को पकड़ के हिलाने लगते हैं जो मैं और मम्मी साफ देख रहे थे एक साया के रूप में लेकिन मम्मी ना मुझे कुछ बोली ना मैं मम्मी को।
अंकल: कहां हो मेरी घोड़ी जल्दी आओ
मम्मी मुझे देखते हुए: बेटा तेरे अंकल बुला रहे
मैं: तो जाओ ना मम्मी
मम्मी रम में चली गई लेकिन गेट नहीं लगाया
अंकल: आ गई मेरी घोड़ी देख क्या हाल कर दिया है तूने मेरा लंड का मेरी रण्डी
मम्मी: अंकुश बाहर ही है सुन लेगा
अंकल: उफ्फ सुनने दे उसे पता है कि आज से 1 महीना उसकी मम्मी सुबह शाम चुदेगी
मम्मी: आंख ऊपर करते हुए। : मैं कुछ नहीं करने वाली
अंकल: ज्यादा नखरे दिखाएगी तो तेरे बेटे के सामने तुझे चोदूंगा तब समझ आएगा
दोनों एक दम खुल के बात कर रहे थे बिना आवाज दबाए जरा सा भी
मम्मी: क्या अंकुश सुन रहा होगा
अंकल: रुक डेमो दिखता हूं: अंकल : बेटा अंकुश
अंकल ने बहुत धीरे कहा कि मुश्किल से मैं सुन पाया
मैं: हा अंकल
अंकल: बेटा क्या कर रहा
मैं: कुछ नहीं अंकल
अंकल: ठीक है
अंकल: देखा इतने धीरे भी सुन किया उसने और हम दोनों तो चिल्ला चिल्ला के बात कर रहे
मम्मी: पागल हो गया है वो
अंकल: वो सब छोड़ और इधर आ जल्दी
अंकल: बेटा अब कल खेलेंगे अभी तो एक महीने रहना है।
मैं: ठीक है अंकल
अंकल: बेटा तूने हमारी दोस्ती कराई है तो मैं आज से तुम्हारी मम्मी को क्या बोल के बुलाऊं?
मैं: जो आपको ठीक लगे अंकल
मम्मी: क्यों नाम में क्या बुराई है
अंकल: नाम में क्या बुराई है? कौन सा दोस्त नाम लेके बुलाता है
अंकल: बेटा तेरी मम्मी में घोड़ी जैसी फुर्ती है मैं तेरी मम्मी को घोड़ी बुलाऊंगा तुम्हे दिक्कत नहीं ना
मैं: क्या अंकल दोस्त तो क्या कुछ नहीं कहते आप तो घोड़ी ही बोल रहे।
अंकल: देखा वर्षा हमारे बेटे को भी कोई प्रॉब्लम नहीं है तो आज से तू मेरी गदराई घोड़ी है।
मम्मी शर्मा जाती है।
मम्मी: क्या क्या करते हो आप दोनों।
अंकल: बेटा अब तेरी मम्मी को कंप्यूटर सीखना है तू टीवी देख
अंकल इतना कह के रूम में चले जाते हैं लेकिन मम्मी को नहीं बोलते तो मम्मी shock हो जाती है
रूम में गेट पे एक पन्नी का पर्दा लगा था जिससे अंदर अगर लाइट जल रही हो तो परछाई जैसा बन के आता था जो साफ साफ पता चलता था अंदर क्या हो रहा है
अंदर जाते ही अंकल अपना टॉवेल निकाल के फेक देते है और अपने लंड को पकड़ के हिलाने लगते हैं जो मैं और मम्मी साफ देख रहे थे एक साया के रूप में लेकिन मम्मी ना मुझे कुछ बोली ना मैं मम्मी को।
अंकल: कहां हो मेरी घोड़ी जल्दी आओ
मम्मी मुझे देखते हुए: बेटा तेरे अंकल बुला रहे
मैं: तो जाओ ना मम्मी
मम्मी रम में चली गई लेकिन गेट नहीं लगाया
अंकल: आ गई मेरी घोड़ी देख क्या हाल कर दिया है तूने मेरा लंड का मेरी रण्डी
मम्मी: अंकुश बाहर ही है सुन लेगा
अंकल: उफ्फ सुनने दे उसे पता है कि आज से 1 महीना उसकी मम्मी सुबह शाम चुदेगी
मम्मी: आंख ऊपर करते हुए। : मैं कुछ नहीं करने वाली
अंकल: ज्यादा नखरे दिखाएगी तो तेरे बेटे के सामने तुझे चोदूंगा तब समझ आएगा
दोनों एक दम खुल के बात कर रहे थे बिना आवाज दबाए जरा सा भी
मम्मी: क्या अंकुश सुन रहा होगा
अंकल: रुक डेमो दिखता हूं: अंकल : बेटा अंकुश
अंकल ने बहुत धीरे कहा कि मुश्किल से मैं सुन पाया
मैं: हा अंकल
अंकल: बेटा क्या कर रहा
मैं: कुछ नहीं अंकल
अंकल: ठीक है
अंकल: देखा इतने धीरे भी सुन किया उसने और हम दोनों तो चिल्ला चिल्ला के बात कर रहे
मम्मी: पागल हो गया है वो
अंकल: वो सब छोड़ और इधर आ जल्दी