15-07-2025, 04:45 PM
आगे,
ऐसे ही दो िदन िनकल गए। मजद ू र न होने की वजह से काम का बहुत लोड आ रहा था। इसिलए पापा बहुत िचढ़
िचढ़ कर रहे थे। मॉम और मैं उनसे बहुत परेशान हो गए।
तीसरे िदन दुकान में पापा और मैं दुकान में बैठे थे तभी 2 लोग आए और पापा से बात करने लगे।
उसमे से एक की उम्र 65 के आसपास थी और द ू सरा मेरी उम्र लड़का लग रहा था।
सलाम साब मैने पढ़ा की आपको मजद ू रों की जरूरत है। इसिलए आया हु।
पापा - हा चािहए। क्या नाम है तुम्हारा
मेरा नाम सुलेमान है मािलक
पापा - क्या तुम बोिरयां उठाने का काम कर लोगे। तुम्हारी उम्र देखकर तो नहीं लगता िक तुमसे वजनदार काम हो
पाएगा
अरे मािलक उम्र में क्या रखा है। यही काम तो करते आ रहे हैं। और ये मेरा पोता है फारूक इसको मैं छोट ू बुलाता हूं
प्यार से। ये भी काम कर लेगा।
पापा - ये तुम्हारा पोता है। ये बच्चा क्या काम करेगा। इससे नही होगा।
कोई टेंशन मत लो मािलक छोटा मोटा काम तो कर ही लेगा। बाकी का इसके िहस्से का काम भी मैं ही कर लूंगा।
आपका घर इतना बड़ा है तो झाड़ ू पोछा भी कर लेगा। और दुकान का भी काम देख लेगा। ये मेरा सगा पोता नही है।
ये मुझे छोटा था तब रास्ते पर िमला था। मैंने इसे पाल पोस के बड़ा िकया है।पापा ने बहुत सोचा उनको भी मजद ू रों की जरूरत थी इसिलए िफर दोनो को हा कह िदया। िफर पैसे की बात हुई
और उनकी पूछ ताछ करके पापा ने उन्हें कल से आने को बोल िदया।
और नही मािलक उनको हम आज से ही काम शुरू करेंगे। हमारा तो आज कमाएं गे तो आज खायेंगे ऐसी हालत है।
पापा बहुत खुश हो गए क्योंिक उनको भी ऐसे ही जरूरत मंद लोग चािहए थे िजनसे वो ज्यादा काम िनकल सके ।
आिखर वो गुजराती व्यापारी ही थे।
मजद ू रों का पिरचय
पहलेवाले वाले का नाम सुलेमान लगभग 65 साल का। उसके चेहरे पर झुिरया आ गई थी।उम्र होने बावजूद हटा
कट्टा शरीर था, ऊं ची कद काठी, काले दांत, चेहरा पूरा काला। कपड़े भी पूरे मैले थे। उसने बड़ा सा कु तार् और धोती
पहन रखी थी।
द ू सरे का नाम फारूक (छोट ू ) । मेरी ही उम्र का था। लेिकन चेहरा िकसी शैतान की तरह था। ये बहुत ही पतला था।
उसकी हाइट मेरे िजतनी थी।दोनो ही उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे
इसिलए पापा ने उनको सब काम समझा िदया। िजस िहसाब से सुबह के 9 बजे से 11 तक छोट ू ऊपर के घर को
झाड़ ू द ू पोछा करेगा और वहा का जो भी छोटा मोटा काम करेगा। और बाद में पूरा िदन दुकान का काम संभालेगा।
और सुलेमान पूरा िदन दुकान का ही काम देखेगा।
िफर दोनो काम पर लग गए।रघु और गंगू को वो दोनो ज्यादा पसंद नही आए ऐसा उनका चेहरा देख कर लग रहा था।
िफर मैं ऊपर घर में चला गया िदन ऐसे ही िनकल गया शाम को सात बजे मैं दुकान मैं आया। दुकान में पापा और
दोनो दादाजी थे। वो नए आए दोनो मुझे कही िदख नही रहे थे। इसिलए मैं पीछे गोडाउन की तरफ गया । वो दोनो
एक जगह पर बैठे थे। उनकी पीठ मेरी तरफ थी। मेरे आने की उनको खबर नहीं हुई। वो कु छ बात कर रहे थे इसिलए
मैं वही ruk गया।
छोट ू - दाद ू ये मािलक तो बहुत harami है। साले ने िकतना काम करवाया हमसे। साले ये गुज्जू बड़े नीच होते है।
मेरा तो मन नही लग रहा यहां। Madarchod पहले ही िदन िकतना िचल्लाता है बेवजह। साला पूरा बदन दुख रहा
है मेरा काम करके ।
सुलेमान - छोड़ ना छोट ू साली अपनी िकस्मत ही खराब है। लेिकन देखना अपनी िकस्मत जरूर बदलेगी। साले इस
मािलक की अकड़ िनकलेंगे अपुन। अब हमे काम की जरूरत है इसिलए हम छोड़ nhi सकते। साला बहुत भड़वा
मािलक है। चल दुकान में चलते हैं अंधेरा हो रहा है नही तो िचल्लाएगा साला।
उनके उठने से पहले मैं वहा से दुकान मे ऊपर घर में आकर सोफे पर बैठ गया।
हे भगवान ये दोनो तो पापा को गािलयां दे रहे थे। मुझे उन दोनो पर बहुत गुस्सा आ रहा था। मन तो कर रहा था िक
अभी जाकर पापा को सब बाते बोल द ू । लेिकन तभी खयाल आया की अगर पापा ने इनको िनकल िदया तो िफर
उनको आदमी ढ ू ंढने पड़ेंगे । इसिलए मैं रुक गया।
लेिकन उनके प्रित मेरे मन मे नफरत पैदा हो चुकी थी। ना जाने क्यों उनकी बाते सुन कर मुझे ऐसा लगने लगा था िक
इन पर हमेशा नजर रखनी चािहए। दोनो ही शकल से बदमाश लग रहे थे और गंदे भी। दोनो बहुत गाली देते थे।रात हो गई और पापा दुकान बंद करके ऊपर आ गए। वो काफी खुश नजर आ रहे थे।
मॉम - क्या हुआ काफी खुश लग रहे हो।
पापा - हा दो बकरे िमले है काम के िलए। काफी जरूरत मंद लगते है। अपना काम हो गया। अब सब काम करुं गा
उनसे। काफी कम पैसों में भी िमल गए हैं। और वो बच्चा कल से झाड़ ू पोछा भी कर जायेगा घर मैं कल से ।
मॉम - लेिकन मुझे नहीं है इसकी। वैसे भी ज्यादा काम नही रहता घर में।
पापा - तो क्या हुआ रहने दो अच्छा है तुम्हे और आराम िमलेगा।
Us िदन मुझे सच में लगा की पापा बड़े ही चालू आदमी है। और बहुत काम करवाते हैं लोगो से। पर िजस तरह से
उन दोनो ने पापा को गािलयां दी थी मुझे वो िबलकु ल पसंद नहीं थे।
िफर खाना खाकर हम सो गए।
ऐसे ही दो िदन िनकल गए। मजद ू र न होने की वजह से काम का बहुत लोड आ रहा था। इसिलए पापा बहुत िचढ़
िचढ़ कर रहे थे। मॉम और मैं उनसे बहुत परेशान हो गए।
तीसरे िदन दुकान में पापा और मैं दुकान में बैठे थे तभी 2 लोग आए और पापा से बात करने लगे।
उसमे से एक की उम्र 65 के आसपास थी और द ू सरा मेरी उम्र लड़का लग रहा था।
सलाम साब मैने पढ़ा की आपको मजद ू रों की जरूरत है। इसिलए आया हु।
पापा - हा चािहए। क्या नाम है तुम्हारा
मेरा नाम सुलेमान है मािलक
पापा - क्या तुम बोिरयां उठाने का काम कर लोगे। तुम्हारी उम्र देखकर तो नहीं लगता िक तुमसे वजनदार काम हो
पाएगा
अरे मािलक उम्र में क्या रखा है। यही काम तो करते आ रहे हैं। और ये मेरा पोता है फारूक इसको मैं छोट ू बुलाता हूं
प्यार से। ये भी काम कर लेगा।
पापा - ये तुम्हारा पोता है। ये बच्चा क्या काम करेगा। इससे नही होगा।
कोई टेंशन मत लो मािलक छोटा मोटा काम तो कर ही लेगा। बाकी का इसके िहस्से का काम भी मैं ही कर लूंगा।
आपका घर इतना बड़ा है तो झाड़ ू पोछा भी कर लेगा। और दुकान का भी काम देख लेगा। ये मेरा सगा पोता नही है।
ये मुझे छोटा था तब रास्ते पर िमला था। मैंने इसे पाल पोस के बड़ा िकया है।पापा ने बहुत सोचा उनको भी मजद ू रों की जरूरत थी इसिलए िफर दोनो को हा कह िदया। िफर पैसे की बात हुई
और उनकी पूछ ताछ करके पापा ने उन्हें कल से आने को बोल िदया।
और नही मािलक उनको हम आज से ही काम शुरू करेंगे। हमारा तो आज कमाएं गे तो आज खायेंगे ऐसी हालत है।
पापा बहुत खुश हो गए क्योंिक उनको भी ऐसे ही जरूरत मंद लोग चािहए थे िजनसे वो ज्यादा काम िनकल सके ।
आिखर वो गुजराती व्यापारी ही थे।
मजद ू रों का पिरचय
पहलेवाले वाले का नाम सुलेमान लगभग 65 साल का। उसके चेहरे पर झुिरया आ गई थी।उम्र होने बावजूद हटा
कट्टा शरीर था, ऊं ची कद काठी, काले दांत, चेहरा पूरा काला। कपड़े भी पूरे मैले थे। उसने बड़ा सा कु तार् और धोती
पहन रखी थी।
द ू सरे का नाम फारूक (छोट ू ) । मेरी ही उम्र का था। लेिकन चेहरा िकसी शैतान की तरह था। ये बहुत ही पतला था।
उसकी हाइट मेरे िजतनी थी।दोनो ही उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे
इसिलए पापा ने उनको सब काम समझा िदया। िजस िहसाब से सुबह के 9 बजे से 11 तक छोट ू ऊपर के घर को
झाड़ ू द ू पोछा करेगा और वहा का जो भी छोटा मोटा काम करेगा। और बाद में पूरा िदन दुकान का काम संभालेगा।
और सुलेमान पूरा िदन दुकान का ही काम देखेगा।
िफर दोनो काम पर लग गए।रघु और गंगू को वो दोनो ज्यादा पसंद नही आए ऐसा उनका चेहरा देख कर लग रहा था।
िफर मैं ऊपर घर में चला गया िदन ऐसे ही िनकल गया शाम को सात बजे मैं दुकान मैं आया। दुकान में पापा और
दोनो दादाजी थे। वो नए आए दोनो मुझे कही िदख नही रहे थे। इसिलए मैं पीछे गोडाउन की तरफ गया । वो दोनो
एक जगह पर बैठे थे। उनकी पीठ मेरी तरफ थी। मेरे आने की उनको खबर नहीं हुई। वो कु छ बात कर रहे थे इसिलए
मैं वही ruk गया।
छोट ू - दाद ू ये मािलक तो बहुत harami है। साले ने िकतना काम करवाया हमसे। साले ये गुज्जू बड़े नीच होते है।
मेरा तो मन नही लग रहा यहां। Madarchod पहले ही िदन िकतना िचल्लाता है बेवजह। साला पूरा बदन दुख रहा
है मेरा काम करके ।
सुलेमान - छोड़ ना छोट ू साली अपनी िकस्मत ही खराब है। लेिकन देखना अपनी िकस्मत जरूर बदलेगी। साले इस
मािलक की अकड़ िनकलेंगे अपुन। अब हमे काम की जरूरत है इसिलए हम छोड़ nhi सकते। साला बहुत भड़वा
मािलक है। चल दुकान में चलते हैं अंधेरा हो रहा है नही तो िचल्लाएगा साला।
उनके उठने से पहले मैं वहा से दुकान मे ऊपर घर में आकर सोफे पर बैठ गया।
हे भगवान ये दोनो तो पापा को गािलयां दे रहे थे। मुझे उन दोनो पर बहुत गुस्सा आ रहा था। मन तो कर रहा था िक
अभी जाकर पापा को सब बाते बोल द ू । लेिकन तभी खयाल आया की अगर पापा ने इनको िनकल िदया तो िफर
उनको आदमी ढ ू ंढने पड़ेंगे । इसिलए मैं रुक गया।
लेिकन उनके प्रित मेरे मन मे नफरत पैदा हो चुकी थी। ना जाने क्यों उनकी बाते सुन कर मुझे ऐसा लगने लगा था िक
इन पर हमेशा नजर रखनी चािहए। दोनो ही शकल से बदमाश लग रहे थे और गंदे भी। दोनो बहुत गाली देते थे।रात हो गई और पापा दुकान बंद करके ऊपर आ गए। वो काफी खुश नजर आ रहे थे।
मॉम - क्या हुआ काफी खुश लग रहे हो।
पापा - हा दो बकरे िमले है काम के िलए। काफी जरूरत मंद लगते है। अपना काम हो गया। अब सब काम करुं गा
उनसे। काफी कम पैसों में भी िमल गए हैं। और वो बच्चा कल से झाड़ ू पोछा भी कर जायेगा घर मैं कल से ।
मॉम - लेिकन मुझे नहीं है इसकी। वैसे भी ज्यादा काम नही रहता घर में।
पापा - तो क्या हुआ रहने दो अच्छा है तुम्हे और आराम िमलेगा।
Us िदन मुझे सच में लगा की पापा बड़े ही चालू आदमी है। और बहुत काम करवाते हैं लोगो से। पर िजस तरह से
उन दोनो ने पापा को गािलयां दी थी मुझे वो िबलकु ल पसंद नहीं थे।
िफर खाना खाकर हम सो गए।


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