01-07-2019, 05:38 PM
(This post was last modified: 25-11-2020, 01:15 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैंने बोल ही दिया , आओ न। इन्तजार करना बहुत मुश्किल हो रहा था।
और वो आ गए ,मेरे साथ हलकी सी रजाई जो मैंने ओढ़ रखी थी उसके अंदर।
एसी फुल ब्लास्ट पर चल रहा था।
वो आये और मैंने उन्हें दबोच लिया ,आज मैं शिकारी थी और वो शिकार ,...मम्मी से तो वो बच गए लेकिन मुझसे नहीं बचने वाले थे।
मैंने उन्हें गपूच लिया और हलके सहलाती रही , कभी गालों को कभी होंठों को।
फिर हलके से दबा लिया।
जल्दी नहीं थी मुझे रात अभी जवान थी , और मुझे धीमे धीमे मजा लेना था।
वह चुपचाप लेटे , बस थोड़ा लजाते कुनमुनाते ,
जो करना था मैं कर रही थी , उनकी लंबी लंबी गहरी साँसे बस उनकी उत्सुकता ,उत्तेजना का राज खोल रही थीं।
और मुझे पता चल रहा था की उन्हें कितना मजा आ रहा था।
बाहर रात धीरे धीरे झर रही थी ,
हलकी सी खुली खिड़की सी रात रानी की भीनी भीनी खुशबू अंदर आ रही थी और साथ साथ में थोड़ी थोड़ी मीठी मीठी चांदनी भी।
और फिर हलकी सी खट खट की आवाज हुयी ,
हम दोनों ने उसे अनसुनी कर दिया।
हम दोनों आपस में ही खोये थे ,लेकिन आवाज तेज हो गयी फिर और फिर बार बार,
और फिर मम्मी की आवाज सुनाई पड़ी ,
"तुम लोग सो गए हो क्या" ?
जब तक ये अपना हाथ मेरे मुंह पे लाकर मेरा मुंह भींचते ,मेरे मुंह से निकल ही गया
" हाँ मम्मी "
और उसी समय मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया लेकिन अब हो क्या सकता था।
" दरवाजा खोलो न " मम्मी की टिपकिकल डिमांडिंग आवाज सुनाई पड़ी।
और वो आ गए ,मेरे साथ हलकी सी रजाई जो मैंने ओढ़ रखी थी उसके अंदर।
एसी फुल ब्लास्ट पर चल रहा था।
वो आये और मैंने उन्हें दबोच लिया ,आज मैं शिकारी थी और वो शिकार ,...मम्मी से तो वो बच गए लेकिन मुझसे नहीं बचने वाले थे।
मैंने उन्हें गपूच लिया और हलके सहलाती रही , कभी गालों को कभी होंठों को।
फिर हलके से दबा लिया।
जल्दी नहीं थी मुझे रात अभी जवान थी , और मुझे धीमे धीमे मजा लेना था।
वह चुपचाप लेटे , बस थोड़ा लजाते कुनमुनाते ,
जो करना था मैं कर रही थी , उनकी लंबी लंबी गहरी साँसे बस उनकी उत्सुकता ,उत्तेजना का राज खोल रही थीं।
और मुझे पता चल रहा था की उन्हें कितना मजा आ रहा था।
बाहर रात धीरे धीरे झर रही थी ,
हलकी सी खुली खिड़की सी रात रानी की भीनी भीनी खुशबू अंदर आ रही थी और साथ साथ में थोड़ी थोड़ी मीठी मीठी चांदनी भी।
और फिर हलकी सी खट खट की आवाज हुयी ,
हम दोनों ने उसे अनसुनी कर दिया।
हम दोनों आपस में ही खोये थे ,लेकिन आवाज तेज हो गयी फिर और फिर बार बार,
और फिर मम्मी की आवाज सुनाई पड़ी ,
"तुम लोग सो गए हो क्या" ?
जब तक ये अपना हाथ मेरे मुंह पे लाकर मेरा मुंह भींचते ,मेरे मुंह से निकल ही गया
" हाँ मम्मी "
और उसी समय मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया लेकिन अब हो क्या सकता था।
" दरवाजा खोलो न " मम्मी की टिपकिकल डिमांडिंग आवाज सुनाई पड़ी।