01-07-2019, 04:24 PM
देवर
मैं जेठानी जी के पास पहुंची और और मिली अपनी एक सहेली के साथ , अपने जीजू के पास।
जेठानी ने मुझे अपने पास बुला लिया और मेरे देवर सभी वहीँ मंडरा रहे थे , ... खाना पीना शुरू हो गया था ,..
" तम सब नयी भाभी बेचारी भूखी बैठी है और तुम सब ,... "
जेठानी ने देवरों को हड़काया , और मुझसे सासु जी वाली बात बताई ,
" जल्दी से कुछ खा पी लो ,... और आज तुझे आज सारी ननदों की फाड़ के रख देनी है , ठीक आठ बजे गाना शुरू हो जाएगा ,... अबतक मैं अकेली थी आज मैं और तुम मिल के , एक और एक मिल के ग्यारह हो गएँ हैं ,... "
" एकदम दीदी ,... "
और अनुज डोसा की एक प्लेट लेकर खड़ा था , मैंने उसी के प्लेट से दोसे का एक टुकड़ा लेकर खा लिया और चिढ़ाया ,
" क्यों अकेले अकेले , ... "
जेठानी तब तक कुछ दूर निकल गयी थीं , हलके से मैंने अनुज को छेड़ा ,...
" सुना है आज किसी की दिन दहाड़े , ... लाटरी निकल आयी ,... "
वो शरमाया और मुस्कराया भी , फिर हलके से बोला , ...
" भाभी कल आप ने सेटिंग न करवाई होती न , तो बस अब तक मैं लार टपकाता रहा , ... "
" टपका तो तूने दिया ही , हाँ लार की जगह कुछ और ही ,... फिर यार भाभियाँ होती किस लिए हैं ,
बस भाभी को पटा के रखो , फ़ायदा ही फायदा। "
वैसे तो मेरे पांच छह देवर थे , हाँ सगा कोई नहीं , ये लोग दो भाई थे , कोई न छोटा भाई थी न कोई बहन ,...
पर जैसे मेरे घर में था , घनघोर ज्वाइंट फेमली , लेकिन सब लोग अलग अलग आस पास के शहर में रहते थे ,
सिर्फ अनुज , इनका ममेरा भाई उसी शहर में ,... तो मेरा रोज का देवर तो वही होना था , ..
एलवल , मुहल्ला ,... जहाँ मेरी ससुराल थी बस वहां से आधे किलोमीटर भी नहीं होगा , पास का ही मुहल्ला ,...
उफ़ मैने पहले अपने बारे में तो बताया ही नहीं की मेरा गाँव ,... इनके घर से मुश्किल से दो ढाई घंटे का रास्ता ,...
मेरा गाँव बनारस से जुड़ा अब तो ऑलमोस्ट शहर की सीमा पर ,... बनारस से आजमगढ़ जो सड़क जाती ही , वहीँ पर पांडेपुर पड़ता है , जहां का गुलाब जामुन बहुत मशहूर है , एक सड़क आजमगढ़ ,गोरखपुर की ओर ,... जो पूर्वांचल के भूगोल से परिचित हैं वो समझ जाएंगे ,... वहीँ से सड़क लमही की ओर जाती है , जी प्रेमचंद जी का गाँव ,... उसी सड़क पर ,... मेन रोड से मुश्किल से चार पांच किलोमीटर अंदर , ..एक खड़ंजे वाली सड़क गाँव के पास तक जाती है , बस वही गाँव ,... है अभी भी गाँव ही ,...
हम लोगों का घर भी एकदम पुराने जमाने की तरह दो खंद का एक पक्का , एक आधा कच्चा आधा पक्का , सामने बहुत बड़ी सी खुली जमीन उसमें दो बड़े बड़े पुराने कुंवे , एक तालाब , ... उसी कुंवे से अब तो पाइप का कनेक्शन था घर में लकिन तब भी कभी कभी सीधे कुंवे के पानी से नहाने का मन हो तो कहारिन भर के ले आती थी ,
... लाइट भी थी , ... पर जितना आती थी उससे ज्यादा जाती थी ,...
घर से सटी ही एक बहुत बड़ी हम लोगों की एक आम की बाग़ , दो ढाई सौ पेड़ तो होंगे ही , ...
खूब गझिन ,... जी तो ये मेरा मायका था , ... घंटे भर से कम समय में बनारस पहुँच जाते थे
और इनका शहर ,... जी बताया नहीं क्या ,... बस सड़क से बरात आयी थी और मैं विदा होकर , ....
तीन दिन की बरात के बाद ,...
जी आजमगढ़ ,...
बस वहीँ , ... और इनके घर के पास की ही मोहल्ला था एलवल जहाँ वो मेरा ममेरा देवर अनुज और
मेरी ममेरी ननद , गुड्डी ,.. ननदों में सबसे छोटी ,... मेरी सबसे छोटी बहन छुटकी से भी आठ नौ महीने छोटी होगी , अभी आठवें में पढ़ती थी , ... लेकिन ऐसी बच्ची भी नहीं थी , चौदहवां लग रहा था ,
और फिर जब भौजाइयां ननद को छेड़ती हैं तो उमर का लिहाज कहाँ करती हैं ,... और वो गारी वारी से चिढ़ती भी थी बहुत , मुंह फुला लेती थी एकदम ,...इसलिए सब उस के पीछे भी ,... हम लोगों के घर के पास ही एक गवर्मेंट गर्ल्स कालेज था , वहीँ पढ़ती थी , छत पर दिखता था , बस सड़क के पार ,...
अनुज के डोसा खाते देख , मेरे बाकी देवर भी भी ,...
" भाभी , पिज्जा लीजिये न एकदम गरम है ,... " एक ने बोला तो दूसरा चाइनीज ले कर ,...
पर तबतक मंझली ननद , वही नन्दोई जी वाली आगयी और उन्होंने अपने भाइयों को उकसाया ,
" अरे भाभी से पूछते नहीं है डाल देते हैं , कैसे देवर हो तुम सब ,... "
मैं जेठानी जी के पास पहुंची और और मिली अपनी एक सहेली के साथ , अपने जीजू के पास।
जेठानी ने मुझे अपने पास बुला लिया और मेरे देवर सभी वहीँ मंडरा रहे थे , ... खाना पीना शुरू हो गया था ,..
" तम सब नयी भाभी बेचारी भूखी बैठी है और तुम सब ,... "
जेठानी ने देवरों को हड़काया , और मुझसे सासु जी वाली बात बताई ,
" जल्दी से कुछ खा पी लो ,... और आज तुझे आज सारी ननदों की फाड़ के रख देनी है , ठीक आठ बजे गाना शुरू हो जाएगा ,... अबतक मैं अकेली थी आज मैं और तुम मिल के , एक और एक मिल के ग्यारह हो गएँ हैं ,... "
" एकदम दीदी ,... "
और अनुज डोसा की एक प्लेट लेकर खड़ा था , मैंने उसी के प्लेट से दोसे का एक टुकड़ा लेकर खा लिया और चिढ़ाया ,
" क्यों अकेले अकेले , ... "
जेठानी तब तक कुछ दूर निकल गयी थीं , हलके से मैंने अनुज को छेड़ा ,...
" सुना है आज किसी की दिन दहाड़े , ... लाटरी निकल आयी ,... "
वो शरमाया और मुस्कराया भी , फिर हलके से बोला , ...
" भाभी कल आप ने सेटिंग न करवाई होती न , तो बस अब तक मैं लार टपकाता रहा , ... "
" टपका तो तूने दिया ही , हाँ लार की जगह कुछ और ही ,... फिर यार भाभियाँ होती किस लिए हैं ,
बस भाभी को पटा के रखो , फ़ायदा ही फायदा। "
वैसे तो मेरे पांच छह देवर थे , हाँ सगा कोई नहीं , ये लोग दो भाई थे , कोई न छोटा भाई थी न कोई बहन ,...
पर जैसे मेरे घर में था , घनघोर ज्वाइंट फेमली , लेकिन सब लोग अलग अलग आस पास के शहर में रहते थे ,
सिर्फ अनुज , इनका ममेरा भाई उसी शहर में ,... तो मेरा रोज का देवर तो वही होना था , ..
एलवल , मुहल्ला ,... जहाँ मेरी ससुराल थी बस वहां से आधे किलोमीटर भी नहीं होगा , पास का ही मुहल्ला ,...
उफ़ मैने पहले अपने बारे में तो बताया ही नहीं की मेरा गाँव ,... इनके घर से मुश्किल से दो ढाई घंटे का रास्ता ,...
मेरा गाँव बनारस से जुड़ा अब तो ऑलमोस्ट शहर की सीमा पर ,... बनारस से आजमगढ़ जो सड़क जाती ही , वहीँ पर पांडेपुर पड़ता है , जहां का गुलाब जामुन बहुत मशहूर है , एक सड़क आजमगढ़ ,गोरखपुर की ओर ,... जो पूर्वांचल के भूगोल से परिचित हैं वो समझ जाएंगे ,... वहीँ से सड़क लमही की ओर जाती है , जी प्रेमचंद जी का गाँव ,... उसी सड़क पर ,... मेन रोड से मुश्किल से चार पांच किलोमीटर अंदर , ..एक खड़ंजे वाली सड़क गाँव के पास तक जाती है , बस वही गाँव ,... है अभी भी गाँव ही ,...
हम लोगों का घर भी एकदम पुराने जमाने की तरह दो खंद का एक पक्का , एक आधा कच्चा आधा पक्का , सामने बहुत बड़ी सी खुली जमीन उसमें दो बड़े बड़े पुराने कुंवे , एक तालाब , ... उसी कुंवे से अब तो पाइप का कनेक्शन था घर में लकिन तब भी कभी कभी सीधे कुंवे के पानी से नहाने का मन हो तो कहारिन भर के ले आती थी ,
... लाइट भी थी , ... पर जितना आती थी उससे ज्यादा जाती थी ,...
घर से सटी ही एक बहुत बड़ी हम लोगों की एक आम की बाग़ , दो ढाई सौ पेड़ तो होंगे ही , ...
खूब गझिन ,... जी तो ये मेरा मायका था , ... घंटे भर से कम समय में बनारस पहुँच जाते थे
और इनका शहर ,... जी बताया नहीं क्या ,... बस सड़क से बरात आयी थी और मैं विदा होकर , ....
तीन दिन की बरात के बाद ,...
जी आजमगढ़ ,...
बस वहीँ , ... और इनके घर के पास की ही मोहल्ला था एलवल जहाँ वो मेरा ममेरा देवर अनुज और
मेरी ममेरी ननद , गुड्डी ,.. ननदों में सबसे छोटी ,... मेरी सबसे छोटी बहन छुटकी से भी आठ नौ महीने छोटी होगी , अभी आठवें में पढ़ती थी , ... लेकिन ऐसी बच्ची भी नहीं थी , चौदहवां लग रहा था ,
और फिर जब भौजाइयां ननद को छेड़ती हैं तो उमर का लिहाज कहाँ करती हैं ,... और वो गारी वारी से चिढ़ती भी थी बहुत , मुंह फुला लेती थी एकदम ,...इसलिए सब उस के पीछे भी ,... हम लोगों के घर के पास ही एक गवर्मेंट गर्ल्स कालेज था , वहीँ पढ़ती थी , छत पर दिखता था , बस सड़क के पार ,...
अनुज के डोसा खाते देख , मेरे बाकी देवर भी भी ,...
" भाभी , पिज्जा लीजिये न एकदम गरम है ,... " एक ने बोला तो दूसरा चाइनीज ले कर ,...
पर तबतक मंझली ननद , वही नन्दोई जी वाली आगयी और उन्होंने अपने भाइयों को उकसाया ,
" अरे भाभी से पूछते नहीं है डाल देते हैं , कैसे देवर हो तुम सब ,... "