04-07-2025, 02:52 PM
सुप्रिया की जिंदगी सच में कितनी अजीब है। कहां एक रहीस अमीर बिगड़े इंसान से शादी की, जेल में रही फिर सरजू के गांव आई उससे प्यार किया फिर गंगू से शादी की जो उसकी दूसरी थी। जग्गा से तीसरी शादी को और फिर अंतू और हरिया के साथ जिस्मानी संबंध। जग्गा की मौत के बाद सुप्रिया घर में वैसे ही रहती जैसे पहले रहती। दुख था लेकिन अंतू हरिया ने उसे इतना प्यास दिया कि वो पहले जैसे ही है। 30 साल की उम्र में वो पहले से ज्यादा खूबसूरत और कामुख लगती थी। बच्चों का खूब ख्याला रखती। खंडार गांव में 12 लोग रहते थे। जिसमें 6 बच्चे थे। 6 बच्चे को कीर्ति सुकीर्ति के लिए संभालना थोड़ा मुश्किल था इसीलिए एक कामवाली को घर में रहने के लिए बुलाया। उसका नाम पद्म था। पद्मा की उम्र 50 साल की थी।
पद्मा स्वभाव की बहुत अच्छी और बच्चों से तो जैसे वो जान से भी ज्यादा प्यार करती। बच्चे पूरे दिन उनके साथ रहते। अब कीर्ति सुकीर्ति भी थोड़ा वक्त आराम से रहते। रोज को तरह सुप्रिया और अनुप्रिया कॉलेज गए। उन्हें लेने चोदने का काम लल्लन करता। लल्लन स्वभाव का अच्छा और शरीफ थम लल्लन अपने पिता कल्लू और चाचा हल्दी के साथ रहता।
रोज की तरह वो दोनों बहनों को लेने आया। लेकिन आज उसका मूड कुछ ठीक नहीं था। वो थोड़ा मायूस था। लल्लन और सुप्रिया 2 साल से एक दूसरे को जानते थे। दोनों के बीच परिवार वाला रिश्ता था। सुप्रिया अपने ऑफिस गई और अनुप्रिया पढ़ने गई। सुप्रिया लल्लन को चिंतित में देखी तो उसे अपने ऑफिस बुलाया।
"नमस्ते सुप्रियाजी।" लल्लन ने हाथ जोड़कर कहा।
"बैठो लल्लन।"
लल्लन सामने वाली कुर्सी पर बैठा।
"बोलो लल्लन क्या हुआ ? तुम इतने परेशान क्यों हो ?"
"सुप्रियाजी वो क्या है न मेरी एक जगह नौकरी लगी है। एक सरकारी गेस्ट हाउस में चौकीदारी की नौकरी लगी और तनख्वाह बहुत अच्छी है। वहां ही रहने का बंदोबस्त भी हो गया। अब से रोज सुबह आपको छोड़कर फिर दोपहर घर छोड़कर वहां चला जाऊंगा नौकरी करने। घर पर अपने नहीं रह सकूंगा।"
"तुम इसीलिए चिंतित हो कि तुम्हारे चाचा और पिता का ख्याल कौन रखेगा ?"
"हां। पिताजी बिस्तर पर पड़े और चाचा मेरे कुबड़े। भला दोनों कैसे रहेंगे। कौन खाना बनाएगा और ख्याल रखेगा उनका ?
"यह तो थोड़ा चिंता का विषय है।"
तभी लल्लन थोड़ा हिम्मत दिखाते हुए बोला "आप क्या उन्हें देख सकती है ?"
"यह कैसे हो सकता है ?" सुप्रिया ने हैरानी से पूछा।
"देखिए आपके बच्चों का ख्याल वैसे भी सब रख रहे है। और दूसरी वजह है कॉलेज से 400 मीटर दूर मेरा घर है। आप कुछ दिन वहां रहकर उनका ख्याल रखिए न। वैसे भी आप उनको जानती है और वो आपको। अगर आप उनके साथ रहकर उनका ख्याल रखेंगी तो बड़ी मेहरबानी होगी।"
लल्लन बार बार मानने लगा और आखिर में सुप्रिया को मानना पड़ा। वो वहां कल्लू और हल्दी के साथ रहेगी और उनका ख्याल रखेंगी। सुप्रिया ने पूरे घर को ये बात बताई। सभी मान गए। फिर क्या सुप्रिया समान बांधकर चली गई लल्लन से घर रहने। वैसे आपको बता दूं कि लल्लन का घर घने जंगल में है। वहां एक मिट्टी का घर है और कमरे दो। वहां चूल्हा और कीच है। छोटा सा आंगन और नहाने की सुविधा अच्छी न थी। वहां आंगन में ही नहाने की जगह थी। खुले में नहाना। सुप्रिया को बहुत अजीब लग रहा था।
कल्लू दिखने में पतला और बहुत काला। कमजोरी शरीर में रहती और रही बात हल्दी की तो वो कुबड़ा। थोड़ा पेट निकला हुआ और ऊंचाई के वो सुप्रिया के कंधे से थोड़ा नीचे आता। चेहरा थोड़ा सा घाव के निशान से बना।
सुप्रिया का हल्दी ने स्वागत किया।
"आप सुप्रिया आओ। इस घर में तुम्हारा स्वागत है।"
हल्दी कल्लू के कमरे अप्रिय को ले गया। कल्लू सुप्रिया को देखकर कुछ न बोला क्योंकि कमजोरी और बीमारी मुख्य कारण था। हल्दी ने सुप्रिया को घर दिखाया। घर बहुत ज्यादा पुराना था और उसकी दुर्गंध भी पुराने जैसा था। घर के बाहर एक कुआं था जो कई सालों से इस्तमाल में नहीं आया। अब से सुप्रिया को रोज कुआं से पानी निकालकर घर में भरना होगा। सुप्रिया का काम होगा खाना बनाना और फिर रात को कल्लू और हल्दी के पैर दबाकर सुलाना।
सुप्रिया की एक आदत थी और वो था sleveless साड़ी पहनना। गर्मी के कारण वो रोज sleveless साड़ी पहनती है। उसका मुलायम और गोरा कंधा निखरकर दिखता। दोनों बूढों को आदत नहीं थी औरत के साथ रहने की ऊपर से सुप्रिया जवान और बेहद खूबसूरत। सुप्रिया ने बड़े श्रद्धा से उनकी सेवा करनी शुरू कर दी। रोज सुबह उठना कुआं से पानी भरना और नहा धोकर दोनों के लिए नाश्ता बनाना और कॉलेज चले जाना। दोपहर एक बजे घर आती सब्जी बनती और हल्दी रोटी बनाता। हल्दी पहले से सब्जी काटकर रखता। चावल डाल सुप्रिया देख लेती। हल्दी और सुप्रिया साथ में खाना बनाते। सुप्रिया एक चूल्हे पर सब्जी पकाती तो दूसरे चूल्हे पर रोटी सकती। हल्दी बेलता और सुप्रिया सकती। डाल चावला सब्जी के बाद बन जाता। 1 घंटे में खाना बनता और तीन बजे तक सब खा लेते। सुप्रिया का साथ हल्दी बर्तन धोने में भी देता। सुप्रिया और हल्दी ज्यादातर साथ रहते। सुप्रिया दोपहर 2 घंटे सो जाती। शाम के वक्त सुप्रिया बाहर खुले जंगल में खटिया रखती और कल्लू के साथ रहती। कल्लू को चलने में समस्या थी तो वो एक खटिया पर लेटता। दूसरे खटिया पर हल्दी लेटता। सुप्रिया सब्जी काटती और दोनों के साथ बातें करती। रात के वक्त कल्लू के कमरे जाती और उसके पैर दबाती। कल्लू जब तक सो न जाता तब तक वहां रहती। दोनों रात में अकेले बातें करते। कल्लू सोता तो सुप्रिया हल्दी के कमरे जातीआर पैर दबाती। दोनों बूढ़े से जाते तब सुप्रिया आंगन में खटिया लगाकर सो जाती। कल्लू के कमरे का दरवाजा खुला रहता। आंगन से उसका कमरा साफ साफ दिखता। रात के बीच बिस्तर से लगे खिड़की से कल्लू सुप्रिया को देखता और यह निश्चित करता कि सुप्रिया सो गई या नहीं।
सुप्रिया हर बुधवार और गुरुवार को घर जाती अपने और बच्चों और परिवार के साथ रहती। सुप्रिया को हर शनिवार और रविवार को छुट्टी मिलती। शनिवार को वो कल्लू और हल्दी के कपड़े धोती और घर की सफाई करती। उसके आने से दोनों बूढ़े की तबियत में सुधार आया। सुप्रिया को हल्दी के कुबड़ा और घनी बदसूरत शरीर से कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसको हल्दी के साथ बात करना अच्छा लगता। सुप्रिया की वजह से सालों से कम बात करनेवाले कल्लू अब बहुत बातें करने लगे। कल्लू को सख्त आदेश था कि वो सुप्रिया से पैर दबवाएं और वो भी अपने कमरे में। सुप्रिया के साथ रात को अकेले में खूब बातें करता।
एक दिन की बात है जब शुक्रवार की रात थी और अगले दो दिन छुट्टी थी कॉलेज में। सुप्रिया रात को कल्लू का पैर दबा रही थी। कल्लू से बात कर रही थी। बात करते करते सुप्रिया को आँखें बंद होने लगी। कल्लू ने ध्यान से देखा तो सुप्रिया नींद में झील रही थी और अगले ही पल वो गिर गई नींद में। कल्लू उठकर सुप्रिया को उठाने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखा लेकिन सुप्रिया को छूते ही उसे पता चला कि सुप्रिया का शरीरी बहुत गरम है। कल्लू ने सुप्रिया पे पेट और गले पर हाथ घुमाया तो शरीर तप रहा था। कल्लू बोला बैठा "अरे ये तो बीमार है। इसे तो बुखार है। एक काम करता हूं इसे यहां ही सुला देता हूं।"
गहरी नींद में पड़ी सुप्रिया को ठीक से अपने बिस्तर लेटाया कल्लू ने और उसके शरीर पर चादर रखकर उसके बगल बिस्तर पर लेट गया कल्लू। फिर कल्लू वापिस उठा और कमरे को अंदर से बंद कर दिया। दोनों एक हो बिस्तर पर सो गए। कल्लू बार बार सुप्रिया को छूकर देखता की बुखार बढ़ा तो नहीं। लेकिन कल्लू से रहा नहीं गया और वो उठकर बगल के कमरे में पड़े हल्दी को उठाया और सुप्रिया के तबियत के बारे में बताया। हल्दी तुरंत सुप्रिया के पास आया और उसे सोता हुआ देख। हल्दी सुप्रिया के पैर दबाने लगा। कल्लू सुप्रिया के तपते सिर पर हल्के से मसाज किया और कंधे का मसाज किया। हल्दी सुप्रिया के बगल एक खटिया डाला और सो गया। सुप्रिया दोनों के बीच सोई हुई थी।
अगले दिन सुप्रिया की नींद उड़ी तो दोनों बूढ़े के बीच खुद को पाया। सुप्रिया ने तुरंत उठाने की कोशिश को लेकिन शरीर ने साथ न दिया। उसे कमजोरी महसूस होने लगी। तभी दोनों बुड्ढे उठ गए।
कल्लू ने सुप्रिया को कल रात के बारे में बताया। हल्दी बोला "बहुत हमारी सेवा की अब हमारी बारी।"
सुप्रिया बोली "लेकिन मैं कैसे आपसे काम करवाऊं ?"
कल्लू ने सख्त आवाज में बोला "जो बोला है वो करो। चलो आज पूरे दिन आराम करो। हल्दी तुम आज नाश्ता बनाओ।"
दोनों के फिक्र को देख सुप्रिया मन ही मन खुद से बोली "दोनों कितने अच्छे है। मेरे लिए कितनी तकलीफ उठाई रातभर। सच में मैं कितनी खुश नसीब हूं जो इनके साथ रहती हूं। काश मैं कुछ महीनों तकनीकें साथ हो रहूं।"
सुप्रिया को नहलाने के लिए हल्दी ने पानी लाया और फिर सुप्रिया को नहाने के लिए भेजा। सुप्रिया नहाकर आई और कल्लू के कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गई। कल्लू गरम पानी से सुप्रिया का ताप उतर रहा था। हल्दी पैर दबा रहा था। ऐसे ही दोनों सुप्रिया को सेवा करने लगे। लेकिन सुप्रिया को ये नहीं पता था कि दोनों बूढ़े उसे प्यार करने लगे है। दोनों सुप्रिया को अपना बना चाहते थे। खास करके कल्लू। सुप्रिया जब रोज नहाती थी तब कल्लू उसके जवान और नग्न शरीर को देखता। दरअसल आंगन से सता कल्लू का कमरा था और कमरे का दरवाजे पर हल्का सा छेद था। कल्लू उसी छेद से सुप्रिया को नहाने देखता। कल्लू कभी कभी सुप्रिया को खिड़की से भी नहाते हुए देखता। हल्दी आकर रात के समय सुप्रिया को देखने आंगन में आता। सुप्रिया तो आंगन में सोती थी।
अब दोनों बूढ़े भाइयों में प्रेम को अग्नि भड़कने लगी। दोनों ने एक दूसरे से सुप्रिया के प्रति काम अग्नि के भड़कने के बारे में बात की। हल्दी ने कल्लू से कहा कि वो कैसे भी करके सुप्रिया को हमारे साथ प्रेमभरे रात बिताने को कहे। कुछ दिन बीते और एक रात रोज को तरह सुप्रिया कल्लू का पैर दबा रही थी। कल्लू सुप्रिया को लगातार देख रहा था।
"क्या हुआ कल्लूजी आज आप इतना क्यों मुझे घूर रहे है ?" सुप्रिया ने पूछा।
पीछे से हल्दी आकर बोला "सुप्रिया हमे तुमसे कुछ बात करनी है।"
सुप्रिया बोली "बताइए क्या बात करनी है ?"
हल्दी पूछा "तुम्हे यहां कैसा लगता है ?"
सुप्रिया मुस्कुराकर बोली "ये भी कोई पूछनेवाली है ? आप दोनों के साथ यहां रहने में मुझे कितना अच्छा लग रहा है। आप दोनों के साथ मेरा दिन कितना अच्छा बीतता है। मेरा बस चले को कुछ महीनों तक यहां से जाऊं ही नहीं।"
"हम दोनों तुम्हे कैसे लगते है ?"
"आप दोनों तो बहुत अच्छे है। आपके साथ तो मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लगता है। पता है जब छुट्टी होती है तो आप लोगों के साथ हर लम्हा बिताना अच्छा लगता है। लेकिन ये सवाल आप क्यों पूछ रहे है ?"
हल्दी चुप रह गया। कल्लू थोड़े सख्त आवाज में बोला "मैं मुद्दे की बात करूंगा सुप्रिया। हम दोनों तुम खूबसूरत और अच्छी लगती हो। हमें तुम्हारे साथ प्यार का रिश्ता बना है।"
सुप्रिया हैरान होकर पूछी "ये क्या कह रहे है आप ?"
कल्लू बोला "देखो सुप्रिया हम दोनों भाई अकेले और तुम भी। क्यों न हम तीनों प्रेम और काम की अग्नि में खो जाए। तुम हम दोनों को शारीरिक सुख दे सकती हो और हम तुम्हे पूरी जी जान से शारीरिक सुख देंगे। तुम्हारे साथ हमें इसी बिस्तर पर सहवास करना है। और तुम्हे पूरी तरह से अपना बना चाहते है। तुम्हारे जिस्म की मिठास हमे चाहिए। तू।हे चूमना चाहते है तुम्हारे अंदर खुद को सामना चाहते है। तुम्हारे प्यार का रस हमें चाहिए। तुम्हारे सौंदर्य भरे शरीर को भोगकर हम दोनों तुम्हारे साथ सोना चाहते है। बस एक बार अपना यौवन और जवान भरा हम हम दोनों के हवाले कर दो। हम तुम्हारे जिस्म को प्यार करना चाहते है।"
"मुझे मुश्किल लग रहा है।"
हल्दी सुप्रिया के हाथ में एक बक्सा रखता है और कहता है "तुम्हे सोचने का कल तक वक्त देते है। अगर तुम्हारी जान है तो कल रात पास के पड़े झोपडी में आ जाना। हम तुम्हारे इंतजार करेंगे। तुम्हारी हां ही होनी चाहिए।"
तभी कल्लू बोला "कल इस कपड़े को पहन हमारे हाथों अपने आप को सौंप दो। तुम्हारी हां हम तीनों को खुशी से भर देगा।"
सुप्रिया जल्दी से उठकर बाहर चली गई। उस बक्से को खोला तो देख उसमें लाल रंग को sleveless ब्लाउज और सिर्फ लाल रंग का पेटीकोट है और उसमें एक चिट्ठी थी जिसमें लिखा था "कल हमारे पास आना ही होगा तुम्हे।"
पद्मा स्वभाव की बहुत अच्छी और बच्चों से तो जैसे वो जान से भी ज्यादा प्यार करती। बच्चे पूरे दिन उनके साथ रहते। अब कीर्ति सुकीर्ति भी थोड़ा वक्त आराम से रहते। रोज को तरह सुप्रिया और अनुप्रिया कॉलेज गए। उन्हें लेने चोदने का काम लल्लन करता। लल्लन स्वभाव का अच्छा और शरीफ थम लल्लन अपने पिता कल्लू और चाचा हल्दी के साथ रहता।
रोज की तरह वो दोनों बहनों को लेने आया। लेकिन आज उसका मूड कुछ ठीक नहीं था। वो थोड़ा मायूस था। लल्लन और सुप्रिया 2 साल से एक दूसरे को जानते थे। दोनों के बीच परिवार वाला रिश्ता था। सुप्रिया अपने ऑफिस गई और अनुप्रिया पढ़ने गई। सुप्रिया लल्लन को चिंतित में देखी तो उसे अपने ऑफिस बुलाया।
"नमस्ते सुप्रियाजी।" लल्लन ने हाथ जोड़कर कहा।
"बैठो लल्लन।"
लल्लन सामने वाली कुर्सी पर बैठा।
"बोलो लल्लन क्या हुआ ? तुम इतने परेशान क्यों हो ?"
"सुप्रियाजी वो क्या है न मेरी एक जगह नौकरी लगी है। एक सरकारी गेस्ट हाउस में चौकीदारी की नौकरी लगी और तनख्वाह बहुत अच्छी है। वहां ही रहने का बंदोबस्त भी हो गया। अब से रोज सुबह आपको छोड़कर फिर दोपहर घर छोड़कर वहां चला जाऊंगा नौकरी करने। घर पर अपने नहीं रह सकूंगा।"
"तुम इसीलिए चिंतित हो कि तुम्हारे चाचा और पिता का ख्याल कौन रखेगा ?"
"हां। पिताजी बिस्तर पर पड़े और चाचा मेरे कुबड़े। भला दोनों कैसे रहेंगे। कौन खाना बनाएगा और ख्याल रखेगा उनका ?
"यह तो थोड़ा चिंता का विषय है।"
तभी लल्लन थोड़ा हिम्मत दिखाते हुए बोला "आप क्या उन्हें देख सकती है ?"
"यह कैसे हो सकता है ?" सुप्रिया ने हैरानी से पूछा।
"देखिए आपके बच्चों का ख्याल वैसे भी सब रख रहे है। और दूसरी वजह है कॉलेज से 400 मीटर दूर मेरा घर है। आप कुछ दिन वहां रहकर उनका ख्याल रखिए न। वैसे भी आप उनको जानती है और वो आपको। अगर आप उनके साथ रहकर उनका ख्याल रखेंगी तो बड़ी मेहरबानी होगी।"
लल्लन बार बार मानने लगा और आखिर में सुप्रिया को मानना पड़ा। वो वहां कल्लू और हल्दी के साथ रहेगी और उनका ख्याल रखेंगी। सुप्रिया ने पूरे घर को ये बात बताई। सभी मान गए। फिर क्या सुप्रिया समान बांधकर चली गई लल्लन से घर रहने। वैसे आपको बता दूं कि लल्लन का घर घने जंगल में है। वहां एक मिट्टी का घर है और कमरे दो। वहां चूल्हा और कीच है। छोटा सा आंगन और नहाने की सुविधा अच्छी न थी। वहां आंगन में ही नहाने की जगह थी। खुले में नहाना। सुप्रिया को बहुत अजीब लग रहा था।
कल्लू दिखने में पतला और बहुत काला। कमजोरी शरीर में रहती और रही बात हल्दी की तो वो कुबड़ा। थोड़ा पेट निकला हुआ और ऊंचाई के वो सुप्रिया के कंधे से थोड़ा नीचे आता। चेहरा थोड़ा सा घाव के निशान से बना।
सुप्रिया का हल्दी ने स्वागत किया।
"आप सुप्रिया आओ। इस घर में तुम्हारा स्वागत है।"
हल्दी कल्लू के कमरे अप्रिय को ले गया। कल्लू सुप्रिया को देखकर कुछ न बोला क्योंकि कमजोरी और बीमारी मुख्य कारण था। हल्दी ने सुप्रिया को घर दिखाया। घर बहुत ज्यादा पुराना था और उसकी दुर्गंध भी पुराने जैसा था। घर के बाहर एक कुआं था जो कई सालों से इस्तमाल में नहीं आया। अब से सुप्रिया को रोज कुआं से पानी निकालकर घर में भरना होगा। सुप्रिया का काम होगा खाना बनाना और फिर रात को कल्लू और हल्दी के पैर दबाकर सुलाना।
सुप्रिया की एक आदत थी और वो था sleveless साड़ी पहनना। गर्मी के कारण वो रोज sleveless साड़ी पहनती है। उसका मुलायम और गोरा कंधा निखरकर दिखता। दोनों बूढों को आदत नहीं थी औरत के साथ रहने की ऊपर से सुप्रिया जवान और बेहद खूबसूरत। सुप्रिया ने बड़े श्रद्धा से उनकी सेवा करनी शुरू कर दी। रोज सुबह उठना कुआं से पानी भरना और नहा धोकर दोनों के लिए नाश्ता बनाना और कॉलेज चले जाना। दोपहर एक बजे घर आती सब्जी बनती और हल्दी रोटी बनाता। हल्दी पहले से सब्जी काटकर रखता। चावल डाल सुप्रिया देख लेती। हल्दी और सुप्रिया साथ में खाना बनाते। सुप्रिया एक चूल्हे पर सब्जी पकाती तो दूसरे चूल्हे पर रोटी सकती। हल्दी बेलता और सुप्रिया सकती। डाल चावला सब्जी के बाद बन जाता। 1 घंटे में खाना बनता और तीन बजे तक सब खा लेते। सुप्रिया का साथ हल्दी बर्तन धोने में भी देता। सुप्रिया और हल्दी ज्यादातर साथ रहते। सुप्रिया दोपहर 2 घंटे सो जाती। शाम के वक्त सुप्रिया बाहर खुले जंगल में खटिया रखती और कल्लू के साथ रहती। कल्लू को चलने में समस्या थी तो वो एक खटिया पर लेटता। दूसरे खटिया पर हल्दी लेटता। सुप्रिया सब्जी काटती और दोनों के साथ बातें करती। रात के वक्त कल्लू के कमरे जाती और उसके पैर दबाती। कल्लू जब तक सो न जाता तब तक वहां रहती। दोनों रात में अकेले बातें करते। कल्लू सोता तो सुप्रिया हल्दी के कमरे जातीआर पैर दबाती। दोनों बूढ़े से जाते तब सुप्रिया आंगन में खटिया लगाकर सो जाती। कल्लू के कमरे का दरवाजा खुला रहता। आंगन से उसका कमरा साफ साफ दिखता। रात के बीच बिस्तर से लगे खिड़की से कल्लू सुप्रिया को देखता और यह निश्चित करता कि सुप्रिया सो गई या नहीं।
सुप्रिया हर बुधवार और गुरुवार को घर जाती अपने और बच्चों और परिवार के साथ रहती। सुप्रिया को हर शनिवार और रविवार को छुट्टी मिलती। शनिवार को वो कल्लू और हल्दी के कपड़े धोती और घर की सफाई करती। उसके आने से दोनों बूढ़े की तबियत में सुधार आया। सुप्रिया को हल्दी के कुबड़ा और घनी बदसूरत शरीर से कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसको हल्दी के साथ बात करना अच्छा लगता। सुप्रिया की वजह से सालों से कम बात करनेवाले कल्लू अब बहुत बातें करने लगे। कल्लू को सख्त आदेश था कि वो सुप्रिया से पैर दबवाएं और वो भी अपने कमरे में। सुप्रिया के साथ रात को अकेले में खूब बातें करता।
एक दिन की बात है जब शुक्रवार की रात थी और अगले दो दिन छुट्टी थी कॉलेज में। सुप्रिया रात को कल्लू का पैर दबा रही थी। कल्लू से बात कर रही थी। बात करते करते सुप्रिया को आँखें बंद होने लगी। कल्लू ने ध्यान से देखा तो सुप्रिया नींद में झील रही थी और अगले ही पल वो गिर गई नींद में। कल्लू उठकर सुप्रिया को उठाने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखा लेकिन सुप्रिया को छूते ही उसे पता चला कि सुप्रिया का शरीरी बहुत गरम है। कल्लू ने सुप्रिया पे पेट और गले पर हाथ घुमाया तो शरीर तप रहा था। कल्लू बोला बैठा "अरे ये तो बीमार है। इसे तो बुखार है। एक काम करता हूं इसे यहां ही सुला देता हूं।"
गहरी नींद में पड़ी सुप्रिया को ठीक से अपने बिस्तर लेटाया कल्लू ने और उसके शरीर पर चादर रखकर उसके बगल बिस्तर पर लेट गया कल्लू। फिर कल्लू वापिस उठा और कमरे को अंदर से बंद कर दिया। दोनों एक हो बिस्तर पर सो गए। कल्लू बार बार सुप्रिया को छूकर देखता की बुखार बढ़ा तो नहीं। लेकिन कल्लू से रहा नहीं गया और वो उठकर बगल के कमरे में पड़े हल्दी को उठाया और सुप्रिया के तबियत के बारे में बताया। हल्दी तुरंत सुप्रिया के पास आया और उसे सोता हुआ देख। हल्दी सुप्रिया के पैर दबाने लगा। कल्लू सुप्रिया के तपते सिर पर हल्के से मसाज किया और कंधे का मसाज किया। हल्दी सुप्रिया के बगल एक खटिया डाला और सो गया। सुप्रिया दोनों के बीच सोई हुई थी।
अगले दिन सुप्रिया की नींद उड़ी तो दोनों बूढ़े के बीच खुद को पाया। सुप्रिया ने तुरंत उठाने की कोशिश को लेकिन शरीर ने साथ न दिया। उसे कमजोरी महसूस होने लगी। तभी दोनों बुड्ढे उठ गए।
कल्लू ने सुप्रिया को कल रात के बारे में बताया। हल्दी बोला "बहुत हमारी सेवा की अब हमारी बारी।"
सुप्रिया बोली "लेकिन मैं कैसे आपसे काम करवाऊं ?"
कल्लू ने सख्त आवाज में बोला "जो बोला है वो करो। चलो आज पूरे दिन आराम करो। हल्दी तुम आज नाश्ता बनाओ।"
दोनों के फिक्र को देख सुप्रिया मन ही मन खुद से बोली "दोनों कितने अच्छे है। मेरे लिए कितनी तकलीफ उठाई रातभर। सच में मैं कितनी खुश नसीब हूं जो इनके साथ रहती हूं। काश मैं कुछ महीनों तकनीकें साथ हो रहूं।"
सुप्रिया को नहलाने के लिए हल्दी ने पानी लाया और फिर सुप्रिया को नहाने के लिए भेजा। सुप्रिया नहाकर आई और कल्लू के कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गई। कल्लू गरम पानी से सुप्रिया का ताप उतर रहा था। हल्दी पैर दबा रहा था। ऐसे ही दोनों सुप्रिया को सेवा करने लगे। लेकिन सुप्रिया को ये नहीं पता था कि दोनों बूढ़े उसे प्यार करने लगे है। दोनों सुप्रिया को अपना बना चाहते थे। खास करके कल्लू। सुप्रिया जब रोज नहाती थी तब कल्लू उसके जवान और नग्न शरीर को देखता। दरअसल आंगन से सता कल्लू का कमरा था और कमरे का दरवाजे पर हल्का सा छेद था। कल्लू उसी छेद से सुप्रिया को नहाने देखता। कल्लू कभी कभी सुप्रिया को खिड़की से भी नहाते हुए देखता। हल्दी आकर रात के समय सुप्रिया को देखने आंगन में आता। सुप्रिया तो आंगन में सोती थी।
अब दोनों बूढ़े भाइयों में प्रेम को अग्नि भड़कने लगी। दोनों ने एक दूसरे से सुप्रिया के प्रति काम अग्नि के भड़कने के बारे में बात की। हल्दी ने कल्लू से कहा कि वो कैसे भी करके सुप्रिया को हमारे साथ प्रेमभरे रात बिताने को कहे। कुछ दिन बीते और एक रात रोज को तरह सुप्रिया कल्लू का पैर दबा रही थी। कल्लू सुप्रिया को लगातार देख रहा था।
"क्या हुआ कल्लूजी आज आप इतना क्यों मुझे घूर रहे है ?" सुप्रिया ने पूछा।
पीछे से हल्दी आकर बोला "सुप्रिया हमे तुमसे कुछ बात करनी है।"
सुप्रिया बोली "बताइए क्या बात करनी है ?"
हल्दी पूछा "तुम्हे यहां कैसा लगता है ?"
सुप्रिया मुस्कुराकर बोली "ये भी कोई पूछनेवाली है ? आप दोनों के साथ यहां रहने में मुझे कितना अच्छा लग रहा है। आप दोनों के साथ मेरा दिन कितना अच्छा बीतता है। मेरा बस चले को कुछ महीनों तक यहां से जाऊं ही नहीं।"
"हम दोनों तुम्हे कैसे लगते है ?"
"आप दोनों तो बहुत अच्छे है। आपके साथ तो मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लगता है। पता है जब छुट्टी होती है तो आप लोगों के साथ हर लम्हा बिताना अच्छा लगता है। लेकिन ये सवाल आप क्यों पूछ रहे है ?"
हल्दी चुप रह गया। कल्लू थोड़े सख्त आवाज में बोला "मैं मुद्दे की बात करूंगा सुप्रिया। हम दोनों तुम खूबसूरत और अच्छी लगती हो। हमें तुम्हारे साथ प्यार का रिश्ता बना है।"
सुप्रिया हैरान होकर पूछी "ये क्या कह रहे है आप ?"
कल्लू बोला "देखो सुप्रिया हम दोनों भाई अकेले और तुम भी। क्यों न हम तीनों प्रेम और काम की अग्नि में खो जाए। तुम हम दोनों को शारीरिक सुख दे सकती हो और हम तुम्हे पूरी जी जान से शारीरिक सुख देंगे। तुम्हारे साथ हमें इसी बिस्तर पर सहवास करना है। और तुम्हे पूरी तरह से अपना बना चाहते है। तुम्हारे जिस्म की मिठास हमे चाहिए। तू।हे चूमना चाहते है तुम्हारे अंदर खुद को सामना चाहते है। तुम्हारे प्यार का रस हमें चाहिए। तुम्हारे सौंदर्य भरे शरीर को भोगकर हम दोनों तुम्हारे साथ सोना चाहते है। बस एक बार अपना यौवन और जवान भरा हम हम दोनों के हवाले कर दो। हम तुम्हारे जिस्म को प्यार करना चाहते है।"
"मुझे मुश्किल लग रहा है।"
हल्दी सुप्रिया के हाथ में एक बक्सा रखता है और कहता है "तुम्हे सोचने का कल तक वक्त देते है। अगर तुम्हारी जान है तो कल रात पास के पड़े झोपडी में आ जाना। हम तुम्हारे इंतजार करेंगे। तुम्हारी हां ही होनी चाहिए।"
तभी कल्लू बोला "कल इस कपड़े को पहन हमारे हाथों अपने आप को सौंप दो। तुम्हारी हां हम तीनों को खुशी से भर देगा।"
सुप्रिया जल्दी से उठकर बाहर चली गई। उस बक्से को खोला तो देख उसमें लाल रंग को sleveless ब्लाउज और सिर्फ लाल रंग का पेटीकोट है और उसमें एक चिट्ठी थी जिसमें लिखा था "कल हमारे पास आना ही होगा तुम्हे।"


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