27-06-2025, 07:19 AM
साल 1994
खादर गांव आज किलकारियों से गूंज उठा।सुप्रिया और अनुप्रिया ने एक एक बच्चे को जन्म दिया। घर में जैसे खुशियों के लम्हे आ गए। सुप्रिया ने लड़की को तो अनुप्रिया ने लड़के को जन्म दिया। वैसे आपको बता दूं कि गांव में दो जवान बहन कीर्ति और सुकीर्ति आ गई। दोनों बहने काफी गुणवान है। दोनों बहने के आने से सुप्रिया और अनुप्रिया काफी खुश रहने लगी। चारों सखी साथ में हंसते और काम करते। कीर्ति और सुकीर्ति बच्चों को संभालती और घर का काम करती। दो महीने बीत गए और अब सुप्रिया और अनुप्रिया काम करने के लायक हो गए। तो बस दोनों अपने अपने बच्चे संभालती और कोटि सुकीर्ति खाना बनाती। जग्गा माली के साथ खेती करता और पैसे कमाता। सुप्रिया और अनुप्रिया सरकारी कॉलेज में पढ़ाती। सुप्रिया वहां प्रिंसिपलाल थी।
रही बात अंतू और हरिया की तो वो दोनों 15 गाय के तबेला बनाया। वहां उन्होंने 2 नौकर रखे। तबेला गांव से 5 किलोमीटर दूर था। रोज है का दूध निकलता और रोज के पैसे जमा होते। हर महीने की पहली तारीख अंतू हरिया के पास पैसे आ जाता। दोनों बूढ़े पूरे दिन घर में रहते और पैसे कमा लेते। और रही बात दूध को तो एक गाय दोनों बूढ़े ने घर पर भी रखा था।
(दोस्तो यह पार्ट सिर्फ कीर्ति सुकीर्ति, अंतू और हरिया के इर्द गिर्द ज्यादा रहेगी।)
कीर्ति सुकीर्ति ने अपने घर के पैसों से छोटी सी दुकान बनाई और उसमें एक आदमी को काम पर रखा। सभी लोग घर पर एक दूसरे के साथ ज्यादा वक्त बिताते। कीर्ति और सुकीर्ति दोनों अंतू और हरिया के घर में रहते। वैसे गांव में दो घर है। हर घर में 4 कमरे है। हरिया रोज सुबह उठाता और गाय से दूध निकालकर दोनों घर में पहुंचता। अंतू का काम कुछ खास नहीं। सुबह उठाता और हुक्का पीता। कीर्ति घर साफ करती और सुकीर्ति दोनों घर के लिए खाना बनाती। सुबह के वक्त सुप्रिया और अनुप्रिया कॉलेज जाते पढ़ाने। जग्गा और माली सुबह उठकर पास के खेत में खेती का काम करते। बच्चे अभी छोटे है इसलिए वह कीर्ति सुकीर्ति के साथ रहते। कीर्ति तीनों बच्चों को नहलाती। और दूध पिलाकर सुलाती। कौशिक के साथ अंतू हरिया रहते। सुकीर्ति खाना बनाती। दोपहर को कीर्ति अंतू और हरिया को खाना खिलाती और सुकीर्ति कहना लेकर माली और जाग के खेत में जाती। दोपहर तीन बजे माली और जग्गा घर वापिस आ जाते। सुप्रिया और अनुप्रिया 1 बजे घर आकर कहना खाकर आराम करते। जग्गा और हरिया काम के बाद अपनी अपनी पत्नी के साथ कमरे में आराम करते। दोपहर एक घंटे के लिए कीर्ति 3 किलोमीटर दूर दुकान जाती और हिसाब किताब देखकर आ जाती। सुकीर्ति अपने कमरे आराम करती। शाम को चारों संख्या साथ में बातें करती सब्जियां काटती और खाना बनाती। कहने के बाद सभी अपने अपने घर।
सभी लोग अपने अपने जिंदगी में खुश थे ऐसे अंतू और हरिया के। दोनों सबके साथ रहकर भी अकेले थे। दोनों बूढों को जिंदगी में एक ही चीज चाहिए था और वो था किसी खूबसूरत और जवान औरत से शादी करके परिवार बढ़ाना। सुप्रिया में वो उम्मीद दिखी लेकिन वो शुरू होते ही खत्म हो गया। जग्गा सब कुछ समझता था। कीर्ति सुकीर्ति को उन दोनों बूढों का सच्चा प्यार बनाना चाहता था जग्गा। और उसकी शुरुआत जग्गा ने कर भी दी।
एक दिन की बात है कीर्ति रोज की तरह सुबह उठ गई और घर की सफाई करने लगी। बारिश का मौसम था। बारिश हो रही थी। कीर्ति को पता था कि आज बरसात की वजह से सुप्रिया और अनुप्रिया कहीं नहीं जायेंगे। सब लोग ठंडी हवा और बारिश से अलसी हो गए। बच्चे गहरी नींद में थे। जग्गा और माली को sex का मूड चढ़ गया। हरिया तुरंत अनुप्रिया के बदन से साड़ी हटाने लगा।
"Ummmm हरियाजी क्या कर रहे है आप ?" अनुप्रिया ने अंगड़ाई लेते हुए पूछा।
माली अनुप्रिया के बदन से कपड़े उतरते हुए कहा "अब इस मौसम में क्यों न एक दूसरे से प्यार कर ले।"
अनुप्रिया माली को बाहों में भरकर होठ को चूमते हुए बोली "अब की न काम की बात।"
माली मुस्कुराते हुए अनुप्रिया की योनि पर टूट पड़ा। और लिंग योनि में डालकर धक्का मारने लगा।
"Aaahhh मालीजी आप तो चालू हो गए।"
"तो फिर ऐसी कमसिन जवान बीवी के साथ यही होना चाहिए। पूरे शरीर को निचोड़कर उसका रस पीना चाहिए।"
अनामिका जुबान बाहर निकलकर बोली "तो पी लीजिए न रस। आपको आज जाम पिलाने का मन है मेरा।"
माली ने बिलकुल भी देरी न की अनुप्रिया के जुबान को चूसने में। दोनों पति पत्नी काम वासना में खोए थे तो फिर सुप्रिया और जग्गा भी कम नहीं। उनके कमरे से बिस्तर के हिलने और सुप्रिया के चिल्लाने की आवाज बाहर तक आ रही थीं। सुकीर्ति वहां एक काम से आई लेकिन जब दोनों कमरे से आवाज सुनी तो मुस्कुराते हुए वापिस घर चली गई। वो चारों को बीच में परेशान नहीं करना चाहती थी।
सुप्रिया के ऊपर जग्गा सवार था और जग्गा सुप्रिया के नर्म बदन पर अपनी मजबूत पकड़ बनकर योनि में लिंग का धक्का दे रहा था। कुछ देर अच्छे से संभोग करने के बाद जग्गा योनि में झड़कर सुप्रिया के बाहों में शंकर सो गया।
ये दोनों जोड़ी तो पता नहीं कब पुराने होंगे ? हर दम दोनों जोड़ी में प्यार का तूफान चलता है खत्म हो नहीं होता। इन दोनों जोड़ी को देख अंतू और बैचेन होता है। वो भी एक जवान स्त्री को अपने पास रखकर रात भर संभोग करना चाहता है। उस जवान स्त्री के बदन के हर हिस्से को बेतहाशा चूमे। उसके मीठे दर्द को सुनें। हद से इतना गुजरे कि वो पूरे दिन उसे अपने बिस्तर पर प्रेम करे। प्रेम वर्ष उसकी में डालकर बच्चे को पैदा कर अपने परिवार आगे बढ़ाएं।
अंतू कीर्ति में कई दिनों से वो स्त्री को ढूंढ रहा था। कीर्ति के जवान देह को देखता अब रोज अंतू उसे पाना चाहता था। अब वो कीर्ति से शादी करना चाहता था।
रही बात कीर्ति की तो जब से वो यहां आई है तब से दो शादीशुदा जोड़ी को खुश देख रही हैं। दोनों के बीच चल रहे संभोग को कई दफा कानों से सुनकर महसूस किया। उत्तेजना में अब वो बहने लगी। उसे भी ऐसा साथी चाहिए जिसको अपने बाहों में भर ले और सीने से लगाकर अपनी तमाम राते उसके नाम कर दे। चाहे वो कोई जवान हो या बूढ़ा। काम की आग के वो जलने लगी।
बारिश जो की थामने का नाम नहीं ले रहा था। कीर्ति से रहा नहीं गया और वो छत पर चली गई नहाने। बारिश बहुत तेज थी और कीर्ति ठंडे पानी में नहाने गई। साडी में कीर्ति रोज की तरह खूबसूरत पर लग रही थीं बारिश में पूरा बदन भीगा और शादी के चिपकने से पूरे बदन की बनावट का पता लग रहा था। घर में कोई न था। माली तबेले के काम से कल शाम को चल गया था। सुकीर्ति दुकान के काम से बाहर थी। वैसे दुकान के पास सुकीर्ति ने एक कमरा रखा था ताकि जब काम ज्यादा हो तो वो वहां रह सकती थी। तबेला और दुकान नजदीक था इसीलिए सुकीर्ति और हरिया ने वहां कुछ दिन रहने का फैसला किया। दोनों साथ में वहां रह रहे थे।
तो अब आते है वापिस घर की तरफ। सुकीर्ति बारिश के आनंद में खोई थी। अंतू को चाय पीना था। वो चिल्लाते हुए बोला "कीर्ति अरे ओ कीर्ति। चाय लेकर आ।"
कीर्ति की तरफ से कोई जवाब न आया। चिढ़कर अंतू बोला "सुनती है कि नहीं। बुला रहा हूं। मेरे पास आ।"
उसे पता नहीं था कि कीर्ति बारिश में नहा रही थी।। अंतू चिल्लाते हुए बोला "कहां गई ?"
अंतू का मूड खराब हो गया और वो कीर्ति को ढूंढने निकला। कीर्ति कहीं नहीं मिली तो आंगन में देखा। फिर छतरी लेकर छत पर आ गया। छत पर उसने देखा कि कीर्ति बारिश के था दे पानी में आंखें बंद किए जमीन पर लेटी थी और दोनों हाथ ऊपर की तरफ फैलाकर बारिश का आनंद ले रही थी। उसका गिरा पेट पूरी तरह से दिख रहा था। गोल गोल नाभि और बदन से चिपकी हुई साड़ी। बाल बिखरे और पायल से सजे गोरे पैर। अंतू की जैसे जान जाने लगी। वो कीर्ति को छुपकर देखता रहा। अचानक से अंतू ने अपने लिंग पर हाथ रखा और सहलाने लगा।
वो बोल पड़ा "भीगे बदन में कमसिन और जवान औरत को देख मेरा दिल धड़क रहा है। ओह कीर्ति तुमने मुझपर कैसा जादू किया। आज कुछ भी हो जाए। तुम्हे पाकर रहूंगा। आज घर पर कोई नहीं और तुम्हे मेरे लिए आज मेरे साथ मेरे कमरे में दिन बिताना होगा। तुम मेरी हो और जल्द ही तुम्हे पाकर वो सब कुछ करूंगा जिसका सपना मैने देखा।आज ही मुझे तुम्हारे साथ शारीरिक संबंध बना है। अभी नहीं तो कभी नहीं। तुम्हे कई दफा काम की आग में जलते हुए देखा है। उन दो जोड़ियों को वो दूसरे से प्यार करता देख तुम क्या महसूस करती हो मुझे पता है। आज तुम्हे मेरे पास लाकर तुम्हारी काम की आग बुझाऊंगा।"
बारिश में कीर्ति को नहाता देख अंतू अपने लिंग को हिला रहा था। कुछ देर बाद वो झड़ गया। अंतू वहां से चल गया। कीर्ति भी कुछ देर बाद घर की तरफ चल दी। सीडी से उतरकर आंगन में पहुंची तो अंतू को सामने देखा। अंतू उस वक्त हुक्का पी रहा था। कीर्ति अंतू के सामने से दौड़ते हुए गुजरी। आंगन के पास नहाने की जगह थी। पहले के हमने दरवाजा नहीं पड़ा होता था नहाने की जगह पर। कीर्ति नहाने गई। अंतू चुपचाप हुक्का खत्म करके कीर्ति के कमरे चला गया। कीर्ति नहाकर दबे पांव अपने कमरे में गई। उस वक्त उसके बदन पर सिर्फ तौलिया ही था। कमरे में उसके बिस्तर पर कपड़े थे। कमरे में अंधेरा था और कमरा थोड़ा बड़ा था। खुद को आइने में देख कीर्ति अपने बाल सुख रही थीं। तौलिए में खड़ी कीर्ति ने तौलिया उतर दिया। अंतू उस वक्त थोड़े दूर कीर्ति के बिस्तर पर राजा की तरह बैठा सब कुछ अंधेरे से देख रहा था। गोरा दूध सा सफेद रंग और बड़े बड़े स्तन के साथ पतली कमर और सपाट पेट। अंतू का पूरा इरादा था कीर्ति के साथ सेक्स करने का। कीर्ति ने खुद को ठीक किया और आइने के पास पड़े लाल रंगे के ब्लाउज पेटीकोट पहना। थोड़े से दूर गई तो लालटेन को पास के टेबल पर रख और माचिस जलाकर लालटेन जलाएं अंधेरे कमरे में रोशनी भर गई। कीर्ति की साड़ी बिस्तर पर थी। ब्लाउज पेटीकोट में कीर्ति काम वासना की रानी पग रही थीं। कीर्ति अंजान थी कि अंतू आज उसको भोगने वाला है। कीर्ति ने जब ऊपर देखा तो अंतू को बिस्तर पर बैठा देख चौक गई और तुरंत अपने दोनों हाथों से खुद को ढाकने लगी।
"आप यहां क्या कर रहे है ?" कीर्ति ने हैरानी से पूछा।
"वहीं जो मुझे पहले करना चाहिए था।" अंतू बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया।
"देखिए आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। जाइए यहां से।"
अंतू उठकर दरवाजे के पास गया और दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया।
"ये क्या कर रहे है आप ?"
बिजली जोर से गर्जी और कीर्ति डर गई। अंतू ने लालटेन बुझा दिया और खिड़की को हल्के से खोल दिया जिससे थोड़ी सी रोशनी कमरे में रहे।
"आप क्या कर रहे है ?" कीर्ति ने पूछा।
अंतू कीर्ति के करीब आया और उसके कमर पर हाथ रखकर अपने करीब खींचा और बोला "माफ करना कीर्ति लेकिन मोहब्बत की आग में बदन जल रहा है। नजाने क्यों बारिश में भीगा तुम्हारा कमसिन बदन देख फैसला कर लिया कि आज तुम्हे अपना बनाऊंगा।"
कीर्ति ने हल्के से दूरी बनाते हुए कहा "आप ऐसा न करे। मर्यादा को भंग न करे वरना मैं मुंह दिखने लायक नहीं रहूंगी।"
"यहां सब अपने है और पूरा गांव वीरान है। कीर्ति आज नहीं अब से हमेशा के लिए तुम्हे अपना बनाने आया हूं।" अंतू ने कीर्ति को पीछे से बाहों में भर लिया।
कीर्ति ने बहुत विरोध किया लेकिन अंतू नहीं माना। अंतू कीर्ति को कसके बाहों में भरकर प्यार देने की कोशिश कर रहा था। कीर्ति ने आखिर में विरोध करना बंद कर दिया। अंतू को इस बात से खुशी मिली। अंतू ने हल्के से कीर्ति के नंगे पीठ को चुना। उस चुम्बन से कीर्ति को जैसे जोर से बिजली का झटका लगा। उसकी सांसें ऊपर नीचे होने लगी। उसके बड़े स्तन भी ऊपर नीचे होने लगे। अंतू ने फिर दोनों हाथ कीर्ति के कमर पर रखा और एक उंगली उसकी नाभि में घुमाया।
"तुम बहुत खूबसूरत हो मेरी रानी। आज तुम्हे अपना बनाऊंगा।" इतना कहकर अंतू ने कसकर कीर्ति को जकड़ लिया।
"Aaahh आराम से कीजिए मै कहां भागे जा रही हूं।"
कीर्ति की ये बात सुनकर अंतू के खुशी का ठिकाना न रहा।
"बस एक बार कह दो कि तुम आज अपना जिस्म मेरे हवाले करोगी।"
कीर्ति शर्माते हुए बोली "अब जो करना है आप करिए। मेरे ना कहने से आप नहीं मानेंगे।"
अंतू कीर्ति को अपनी तरफ किया और उसके हाथ को चूमने की कोशिश की। अंतू कीर्ति से छोटा था ऊंचाई में वो कीर्ति के3 कंधे तक मुश्किल से आता था।
"कीर्ति जरा होठ का जाम पीने दो।"
कीर्ति थोड़ा सा झुकी। अंतू तुरंत उसके होठ पर अपना होठ रखा और चूमने लगा। सिर्फ चूम नहीं रहा था। उसके मुंह में जीभ डालकर चूसने लगा। कीर्ति को जैसे अंदर से अच्छा महसूस होने लगा। कुछ देर चुम्बन के बाद अंतू कीर्ति का हाथ पकड़ा और अपने कमरे में ले गया। दरवाजा अन्दर से करके कीर्ति को बिस्तर पर लेटाया। कीर्ति बिस्तर पर लेट गई। अंतू थोड़ा दूर हुआ और अपने कपड़े उतरने लगा। उसके काला और झुर्रियां आ शरीर था।
पूरी तरह से नंगा होने के बाद अंतू बिस्तर पर आया और कीर्ति के पेटीकोट को ऊपर किया। उसके गोरे पैरों को चूमते हुए कहा "आज तुम्हारे जिस्म को जोड़कर तुम्हे अपना बनाऊंगा। अब तुम्हारे बदन पर मेरा हक। आज के बाद तुम मेरी हो जाओगी।"
अंतू की चुंबन से कीर्ति हल्के से मुस्कुराई।
"तुम्हारी मुस्कुराहट कहती है कि तुम मेरी होना चाहती हो। "
अंतू ने लिंग कीर्ति की योनि में डाला और धक्का देने की कोशिश की। कीर्ति अब तक वर्जिन थी तो वो दर्द से कांपने लगी।
"नहीं। छोड़ो मुझे मै मर जाऊंगी।"
"थोड़ा सा दर्द और उसके बाद तुम औरत बन जाओगी।"
कीर्ति जोर जोर से चिल्लाने लगी। पूरा उसकी चीखों से गूंज गया। अंतू का ढक्का रफ्तार पकड़ने लगा। कीर्ति कुछ समय तक दर्द से चिल्लाई और तड़पी लेकिन ये दर्द आधे घंटे बाद आनंद में बदल गया। अब कीर्ति के स्तन को अंतू हाथों से मसलकर बोला "तुम मेरे लिए बनी हो। तुम्हारा कौमार्य छीनकर मैंने आज तुमने औरत बनाया।"
"हां लेकिन आप इतने बूढ़े होकर मुझे जवान मर्द की तरह प्यार कर रहे है " कीर्ति मुस्कुराते हुए बोली।
"कीर्ति aaahh मैं झंडेवाला हूं।" अंतू कीर्ति की योनि में झड़ गया। कीर्ति की आंखों ने संतोष था। वो अब नग्न अवस्था में अंतू को बाहों ने लेकर सो गई।
लेकिन अंतू आधे घंटे बाद फिर जाग गया और फिर से कीर्ति से संभोग किया और तीन बात उसकी योनि में वीर्य की दर भर दी। वो इतना समझ गया कि ऐसा चलता रहा तो कीर्ति गर्भवती हो जाएगी और वहीं तो अंतू चाहता था।
अजीब बात ये थी कि दोपहर से शाम और शाम से पूरी रात यानी 14 घंटे से ज्यादा करीब पांच बार अंतू ने सेक्स किया। सुबह से 5 बजे लेकिन बारिश वापिस आ गई। कीर्ति की हालत बहुत खराब थी। थकान बहुत ज्यादा थी। लेकिन वो संतुष्टि महसूस कर रही थी। बगल में पड़े अंतू को देखा तो वो खर्राटे मारकर गहरी नींद में था।
कीर्ति मुस्कुराके बोली "मेरी जवानी को लूट कर बूढ़ा सो रहा है।" फिर अगले पल बोली "लेकिन इस बूढ़े से दिल लग गया। ओह अंतू क्यों मेरे साथ ये सब किया। अब तो मेरे हर बदन पर तुम्हारा निशान लग गया। ये तुमने क्या किया। मुझे रोगी बना दिया प्यार का। अब नजाने क्या मोड़ लगी मेरी जिंदगी। प्यार हो न जाए तुमसे। क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो फिर सौंप दूंगी अपना जिस्म तुम्हे। जी कर रहा है तुम्हे अपने सीने से लगाकर खो जाओ मोहब्बत की दुनिया में। मेरे होठों को चूमते हुए तुमने अपने मुख का रस मुझे पिलाया। अंतू उठाकर ले जाओ मुझे अपने साथ और जो चाहे करो। अब ये जवान खूबसूरत औरत तुम्हारी दीवानी हो गई।"
लड़खड़ाते हुए कीर्ति नहाने गई और फिर तैयार होकर काम में लग गई। अंतू नींद से उठा और वो भी नहाकर बाहर आया। आंगन में हुक्का पीने लगा। हुक पीते पीते कीर्ति को घर में आते देख। घर में आते ही कीर्ति को तुरंत बाहों में भरकर चूमने लगा।
"आ गई मेरी जान। आओ वापिस चलो कमरे में और दोनों फिर से प्यार की आग में जल जाएं।"
कीर्ति का हाथ पकड़कर अंतू फिर से उसे कमरे में लाकर दरवाजा बंद किया। इस बार कीर्ति सामने से अपने कपड़े उतारकर बिस्तर पर लेट गई और बोली "बहुत ज़ालिम हो तुम। मेरे बदन को लूटकर मुझे दीवाना बनाया।"
अंतू कीर्ति के योनि को चूमने लगा। चुम्बन से कीर्ति मचल गई और बोली "अंतू मुझपर ऐसा जुल्म न करो।"
अंतू ने कीर्ति के साथ जमकर घंटों तक संभोग किया। सुबह सुबह से शाम कब हो गई पता न चला। दोनों नंगे एक दूसरे की बाहों में थे। अंतू का चेहरा बड़े बड़े स्तनों के बीच था।
"सुनो कीर्ति मुझे तुमसे कुछ कहना है।"
"पहले मैं कहूंगी फिर तुम कहो।"
"बोलो।" अंतू ने कहा।
"हमें शादी कर लेनी चाहिए।"
"करेंगे लेकिन कुछ शर्त है मेरी।"
"क्या ?"
"तुम्हारी बहन सुकीर्ति और हरिया की शादी होगी उसके साथ ही हमारी होगी।"
"क्या ? ये तुम क्या कह रहे हो ?" कीर्ति थोड़ा हैरान होकर पूछी।
"मैं चाहता हूं कि मेरा भाई भी बुढ़ापे में संसार बसाए। वो भी खूबसूरत जवान औरत के साथ परिवार बनाए।"
"लेकिन क्या सुकीर्ति मानेगी ?"
"अगर नहीं मानी तो फिर हमारा रिश्ता भी टूट जाएगा। मैं तुमसे शादी नहीं करूंगा।"
"ये क्या बात हुई ? जब करनी नहीं थी तो मेरे साथ बिस्तर पर इतना वक्त क्यों बिताया ?"
"देखो कीर्ति मैं तुम्हे चाहता हूं लेकिन अगर तुम मुझे चाहती हो तो मेरे भाई की शादी अपने बहन से करवाना ही होगा। वरना भूल जाओ इस रिश्ते को।"
"आप जबरजस्ती कर रहे है।"
"तुम्हे लगता है तो यही सही लेकिन मेरे भाई का भी घर बसना चाहिए। अगर मेरे साथ जिंदगी गुजारनी है तो अपनी बहन को मेरे भाई के हवाले करो।"
कीर्ति काफी देर तक सोच में पड़ी लेकिन आखिर में उसने फैसला कर लिया कि वो अंतू को पाने के लिए अपनी बहन की शादी बूढ़े हरिया से करवाएगी।
अंतू खुश होकर बोला "तो आज ही सुकीर्ति से बात करो और उसकी शादी कुछ ही दिन में मेरे भाई के साथ करवाओ।"
सुकीर्ति जब वापिस आई तब कीर्ति ने उसे सब कुछ बताया अपने और अंतू के संबंध के बारे में। सुकीर्ति खुश हुई लेकिन उसके अगले देर बाद कीर्ति ने सुकीर्ति को हरिया से शादी करने का हुक्म दिया। सुकीर्ति छोटी बहन थी इसीलिए वो न नहीं कह सकी। एक बुड्ढे से शादी करना और सारी जिंदगी उसके साथ गुजरना मुश्किल तो है लेकिन सुप्रिया और अनुप्रिया भी तो बूढ़े लोगों के साथ जिंदगी गुजरी देखो कितना खुश है वो दोनों। सुकीर्ति ने हां कह दिया।
अगले हफ्ते पूरा घर खुशी से फूला न समाया। कीर्ति की शादी अंतू से और सुप्रिया की शादी हरिया से हुई। सुप्रिया बहुत खुश थी अंतू और हरिया के लिए। शादी हो गई और अब दोनों जोड़ी अपने अपने घर चले गए। कीर्ति अब से अंतू के कमरे में और सुप्रिया अब से हरिया के कमरे के रहेगी। अब देखना ये है कि कितनी जल्दी सुप्रिया हरिया की हो जाएगी।
खादर गांव आज किलकारियों से गूंज उठा।सुप्रिया और अनुप्रिया ने एक एक बच्चे को जन्म दिया। घर में जैसे खुशियों के लम्हे आ गए। सुप्रिया ने लड़की को तो अनुप्रिया ने लड़के को जन्म दिया। वैसे आपको बता दूं कि गांव में दो जवान बहन कीर्ति और सुकीर्ति आ गई। दोनों बहने काफी गुणवान है। दोनों बहने के आने से सुप्रिया और अनुप्रिया काफी खुश रहने लगी। चारों सखी साथ में हंसते और काम करते। कीर्ति और सुकीर्ति बच्चों को संभालती और घर का काम करती। दो महीने बीत गए और अब सुप्रिया और अनुप्रिया काम करने के लायक हो गए। तो बस दोनों अपने अपने बच्चे संभालती और कोटि सुकीर्ति खाना बनाती। जग्गा माली के साथ खेती करता और पैसे कमाता। सुप्रिया और अनुप्रिया सरकारी कॉलेज में पढ़ाती। सुप्रिया वहां प्रिंसिपलाल थी।
रही बात अंतू और हरिया की तो वो दोनों 15 गाय के तबेला बनाया। वहां उन्होंने 2 नौकर रखे। तबेला गांव से 5 किलोमीटर दूर था। रोज है का दूध निकलता और रोज के पैसे जमा होते। हर महीने की पहली तारीख अंतू हरिया के पास पैसे आ जाता। दोनों बूढ़े पूरे दिन घर में रहते और पैसे कमा लेते। और रही बात दूध को तो एक गाय दोनों बूढ़े ने घर पर भी रखा था।
(दोस्तो यह पार्ट सिर्फ कीर्ति सुकीर्ति, अंतू और हरिया के इर्द गिर्द ज्यादा रहेगी।)
कीर्ति सुकीर्ति ने अपने घर के पैसों से छोटी सी दुकान बनाई और उसमें एक आदमी को काम पर रखा। सभी लोग घर पर एक दूसरे के साथ ज्यादा वक्त बिताते। कीर्ति और सुकीर्ति दोनों अंतू और हरिया के घर में रहते। वैसे गांव में दो घर है। हर घर में 4 कमरे है। हरिया रोज सुबह उठाता और गाय से दूध निकालकर दोनों घर में पहुंचता। अंतू का काम कुछ खास नहीं। सुबह उठाता और हुक्का पीता। कीर्ति घर साफ करती और सुकीर्ति दोनों घर के लिए खाना बनाती। सुबह के वक्त सुप्रिया और अनुप्रिया कॉलेज जाते पढ़ाने। जग्गा और माली सुबह उठकर पास के खेत में खेती का काम करते। बच्चे अभी छोटे है इसलिए वह कीर्ति सुकीर्ति के साथ रहते। कीर्ति तीनों बच्चों को नहलाती। और दूध पिलाकर सुलाती। कौशिक के साथ अंतू हरिया रहते। सुकीर्ति खाना बनाती। दोपहर को कीर्ति अंतू और हरिया को खाना खिलाती और सुकीर्ति कहना लेकर माली और जाग के खेत में जाती। दोपहर तीन बजे माली और जग्गा घर वापिस आ जाते। सुप्रिया और अनुप्रिया 1 बजे घर आकर कहना खाकर आराम करते। जग्गा और हरिया काम के बाद अपनी अपनी पत्नी के साथ कमरे में आराम करते। दोपहर एक घंटे के लिए कीर्ति 3 किलोमीटर दूर दुकान जाती और हिसाब किताब देखकर आ जाती। सुकीर्ति अपने कमरे आराम करती। शाम को चारों संख्या साथ में बातें करती सब्जियां काटती और खाना बनाती। कहने के बाद सभी अपने अपने घर।
सभी लोग अपने अपने जिंदगी में खुश थे ऐसे अंतू और हरिया के। दोनों सबके साथ रहकर भी अकेले थे। दोनों बूढों को जिंदगी में एक ही चीज चाहिए था और वो था किसी खूबसूरत और जवान औरत से शादी करके परिवार बढ़ाना। सुप्रिया में वो उम्मीद दिखी लेकिन वो शुरू होते ही खत्म हो गया। जग्गा सब कुछ समझता था। कीर्ति सुकीर्ति को उन दोनों बूढों का सच्चा प्यार बनाना चाहता था जग्गा। और उसकी शुरुआत जग्गा ने कर भी दी।
एक दिन की बात है कीर्ति रोज की तरह सुबह उठ गई और घर की सफाई करने लगी। बारिश का मौसम था। बारिश हो रही थी। कीर्ति को पता था कि आज बरसात की वजह से सुप्रिया और अनुप्रिया कहीं नहीं जायेंगे। सब लोग ठंडी हवा और बारिश से अलसी हो गए। बच्चे गहरी नींद में थे। जग्गा और माली को sex का मूड चढ़ गया। हरिया तुरंत अनुप्रिया के बदन से साड़ी हटाने लगा।
"Ummmm हरियाजी क्या कर रहे है आप ?" अनुप्रिया ने अंगड़ाई लेते हुए पूछा।
माली अनुप्रिया के बदन से कपड़े उतरते हुए कहा "अब इस मौसम में क्यों न एक दूसरे से प्यार कर ले।"
अनुप्रिया माली को बाहों में भरकर होठ को चूमते हुए बोली "अब की न काम की बात।"
माली मुस्कुराते हुए अनुप्रिया की योनि पर टूट पड़ा। और लिंग योनि में डालकर धक्का मारने लगा।
"Aaahhh मालीजी आप तो चालू हो गए।"
"तो फिर ऐसी कमसिन जवान बीवी के साथ यही होना चाहिए। पूरे शरीर को निचोड़कर उसका रस पीना चाहिए।"
अनामिका जुबान बाहर निकलकर बोली "तो पी लीजिए न रस। आपको आज जाम पिलाने का मन है मेरा।"
माली ने बिलकुल भी देरी न की अनुप्रिया के जुबान को चूसने में। दोनों पति पत्नी काम वासना में खोए थे तो फिर सुप्रिया और जग्गा भी कम नहीं। उनके कमरे से बिस्तर के हिलने और सुप्रिया के चिल्लाने की आवाज बाहर तक आ रही थीं। सुकीर्ति वहां एक काम से आई लेकिन जब दोनों कमरे से आवाज सुनी तो मुस्कुराते हुए वापिस घर चली गई। वो चारों को बीच में परेशान नहीं करना चाहती थी।
सुप्रिया के ऊपर जग्गा सवार था और जग्गा सुप्रिया के नर्म बदन पर अपनी मजबूत पकड़ बनकर योनि में लिंग का धक्का दे रहा था। कुछ देर अच्छे से संभोग करने के बाद जग्गा योनि में झड़कर सुप्रिया के बाहों में शंकर सो गया।
ये दोनों जोड़ी तो पता नहीं कब पुराने होंगे ? हर दम दोनों जोड़ी में प्यार का तूफान चलता है खत्म हो नहीं होता। इन दोनों जोड़ी को देख अंतू और बैचेन होता है। वो भी एक जवान स्त्री को अपने पास रखकर रात भर संभोग करना चाहता है। उस जवान स्त्री के बदन के हर हिस्से को बेतहाशा चूमे। उसके मीठे दर्द को सुनें। हद से इतना गुजरे कि वो पूरे दिन उसे अपने बिस्तर पर प्रेम करे। प्रेम वर्ष उसकी में डालकर बच्चे को पैदा कर अपने परिवार आगे बढ़ाएं।
अंतू कीर्ति में कई दिनों से वो स्त्री को ढूंढ रहा था। कीर्ति के जवान देह को देखता अब रोज अंतू उसे पाना चाहता था। अब वो कीर्ति से शादी करना चाहता था।
रही बात कीर्ति की तो जब से वो यहां आई है तब से दो शादीशुदा जोड़ी को खुश देख रही हैं। दोनों के बीच चल रहे संभोग को कई दफा कानों से सुनकर महसूस किया। उत्तेजना में अब वो बहने लगी। उसे भी ऐसा साथी चाहिए जिसको अपने बाहों में भर ले और सीने से लगाकर अपनी तमाम राते उसके नाम कर दे। चाहे वो कोई जवान हो या बूढ़ा। काम की आग के वो जलने लगी।
बारिश जो की थामने का नाम नहीं ले रहा था। कीर्ति से रहा नहीं गया और वो छत पर चली गई नहाने। बारिश बहुत तेज थी और कीर्ति ठंडे पानी में नहाने गई। साडी में कीर्ति रोज की तरह खूबसूरत पर लग रही थीं बारिश में पूरा बदन भीगा और शादी के चिपकने से पूरे बदन की बनावट का पता लग रहा था। घर में कोई न था। माली तबेले के काम से कल शाम को चल गया था। सुकीर्ति दुकान के काम से बाहर थी। वैसे दुकान के पास सुकीर्ति ने एक कमरा रखा था ताकि जब काम ज्यादा हो तो वो वहां रह सकती थी। तबेला और दुकान नजदीक था इसीलिए सुकीर्ति और हरिया ने वहां कुछ दिन रहने का फैसला किया। दोनों साथ में वहां रह रहे थे।
तो अब आते है वापिस घर की तरफ। सुकीर्ति बारिश के आनंद में खोई थी। अंतू को चाय पीना था। वो चिल्लाते हुए बोला "कीर्ति अरे ओ कीर्ति। चाय लेकर आ।"
कीर्ति की तरफ से कोई जवाब न आया। चिढ़कर अंतू बोला "सुनती है कि नहीं। बुला रहा हूं। मेरे पास आ।"
उसे पता नहीं था कि कीर्ति बारिश में नहा रही थी।। अंतू चिल्लाते हुए बोला "कहां गई ?"
अंतू का मूड खराब हो गया और वो कीर्ति को ढूंढने निकला। कीर्ति कहीं नहीं मिली तो आंगन में देखा। फिर छतरी लेकर छत पर आ गया। छत पर उसने देखा कि कीर्ति बारिश के था दे पानी में आंखें बंद किए जमीन पर लेटी थी और दोनों हाथ ऊपर की तरफ फैलाकर बारिश का आनंद ले रही थी। उसका गिरा पेट पूरी तरह से दिख रहा था। गोल गोल नाभि और बदन से चिपकी हुई साड़ी। बाल बिखरे और पायल से सजे गोरे पैर। अंतू की जैसे जान जाने लगी। वो कीर्ति को छुपकर देखता रहा। अचानक से अंतू ने अपने लिंग पर हाथ रखा और सहलाने लगा।
वो बोल पड़ा "भीगे बदन में कमसिन और जवान औरत को देख मेरा दिल धड़क रहा है। ओह कीर्ति तुमने मुझपर कैसा जादू किया। आज कुछ भी हो जाए। तुम्हे पाकर रहूंगा। आज घर पर कोई नहीं और तुम्हे मेरे लिए आज मेरे साथ मेरे कमरे में दिन बिताना होगा। तुम मेरी हो और जल्द ही तुम्हे पाकर वो सब कुछ करूंगा जिसका सपना मैने देखा।आज ही मुझे तुम्हारे साथ शारीरिक संबंध बना है। अभी नहीं तो कभी नहीं। तुम्हे कई दफा काम की आग में जलते हुए देखा है। उन दो जोड़ियों को वो दूसरे से प्यार करता देख तुम क्या महसूस करती हो मुझे पता है। आज तुम्हे मेरे पास लाकर तुम्हारी काम की आग बुझाऊंगा।"
बारिश में कीर्ति को नहाता देख अंतू अपने लिंग को हिला रहा था। कुछ देर बाद वो झड़ गया। अंतू वहां से चल गया। कीर्ति भी कुछ देर बाद घर की तरफ चल दी। सीडी से उतरकर आंगन में पहुंची तो अंतू को सामने देखा। अंतू उस वक्त हुक्का पी रहा था। कीर्ति अंतू के सामने से दौड़ते हुए गुजरी। आंगन के पास नहाने की जगह थी। पहले के हमने दरवाजा नहीं पड़ा होता था नहाने की जगह पर। कीर्ति नहाने गई। अंतू चुपचाप हुक्का खत्म करके कीर्ति के कमरे चला गया। कीर्ति नहाकर दबे पांव अपने कमरे में गई। उस वक्त उसके बदन पर सिर्फ तौलिया ही था। कमरे में उसके बिस्तर पर कपड़े थे। कमरे में अंधेरा था और कमरा थोड़ा बड़ा था। खुद को आइने में देख कीर्ति अपने बाल सुख रही थीं। तौलिए में खड़ी कीर्ति ने तौलिया उतर दिया। अंतू उस वक्त थोड़े दूर कीर्ति के बिस्तर पर राजा की तरह बैठा सब कुछ अंधेरे से देख रहा था। गोरा दूध सा सफेद रंग और बड़े बड़े स्तन के साथ पतली कमर और सपाट पेट। अंतू का पूरा इरादा था कीर्ति के साथ सेक्स करने का। कीर्ति ने खुद को ठीक किया और आइने के पास पड़े लाल रंगे के ब्लाउज पेटीकोट पहना। थोड़े से दूर गई तो लालटेन को पास के टेबल पर रख और माचिस जलाकर लालटेन जलाएं अंधेरे कमरे में रोशनी भर गई। कीर्ति की साड़ी बिस्तर पर थी। ब्लाउज पेटीकोट में कीर्ति काम वासना की रानी पग रही थीं। कीर्ति अंजान थी कि अंतू आज उसको भोगने वाला है। कीर्ति ने जब ऊपर देखा तो अंतू को बिस्तर पर बैठा देख चौक गई और तुरंत अपने दोनों हाथों से खुद को ढाकने लगी।
"आप यहां क्या कर रहे है ?" कीर्ति ने हैरानी से पूछा।
"वहीं जो मुझे पहले करना चाहिए था।" अंतू बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया।
"देखिए आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। जाइए यहां से।"
अंतू उठकर दरवाजे के पास गया और दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया।
"ये क्या कर रहे है आप ?"
बिजली जोर से गर्जी और कीर्ति डर गई। अंतू ने लालटेन बुझा दिया और खिड़की को हल्के से खोल दिया जिससे थोड़ी सी रोशनी कमरे में रहे।
"आप क्या कर रहे है ?" कीर्ति ने पूछा।
अंतू कीर्ति के करीब आया और उसके कमर पर हाथ रखकर अपने करीब खींचा और बोला "माफ करना कीर्ति लेकिन मोहब्बत की आग में बदन जल रहा है। नजाने क्यों बारिश में भीगा तुम्हारा कमसिन बदन देख फैसला कर लिया कि आज तुम्हे अपना बनाऊंगा।"
कीर्ति ने हल्के से दूरी बनाते हुए कहा "आप ऐसा न करे। मर्यादा को भंग न करे वरना मैं मुंह दिखने लायक नहीं रहूंगी।"
"यहां सब अपने है और पूरा गांव वीरान है। कीर्ति आज नहीं अब से हमेशा के लिए तुम्हे अपना बनाने आया हूं।" अंतू ने कीर्ति को पीछे से बाहों में भर लिया।
कीर्ति ने बहुत विरोध किया लेकिन अंतू नहीं माना। अंतू कीर्ति को कसके बाहों में भरकर प्यार देने की कोशिश कर रहा था। कीर्ति ने आखिर में विरोध करना बंद कर दिया। अंतू को इस बात से खुशी मिली। अंतू ने हल्के से कीर्ति के नंगे पीठ को चुना। उस चुम्बन से कीर्ति को जैसे जोर से बिजली का झटका लगा। उसकी सांसें ऊपर नीचे होने लगी। उसके बड़े स्तन भी ऊपर नीचे होने लगे। अंतू ने फिर दोनों हाथ कीर्ति के कमर पर रखा और एक उंगली उसकी नाभि में घुमाया।
"तुम बहुत खूबसूरत हो मेरी रानी। आज तुम्हे अपना बनाऊंगा।" इतना कहकर अंतू ने कसकर कीर्ति को जकड़ लिया।
"Aaahh आराम से कीजिए मै कहां भागे जा रही हूं।"
कीर्ति की ये बात सुनकर अंतू के खुशी का ठिकाना न रहा।
"बस एक बार कह दो कि तुम आज अपना जिस्म मेरे हवाले करोगी।"
कीर्ति शर्माते हुए बोली "अब जो करना है आप करिए। मेरे ना कहने से आप नहीं मानेंगे।"
अंतू कीर्ति को अपनी तरफ किया और उसके हाथ को चूमने की कोशिश की। अंतू कीर्ति से छोटा था ऊंचाई में वो कीर्ति के3 कंधे तक मुश्किल से आता था।
"कीर्ति जरा होठ का जाम पीने दो।"
कीर्ति थोड़ा सा झुकी। अंतू तुरंत उसके होठ पर अपना होठ रखा और चूमने लगा। सिर्फ चूम नहीं रहा था। उसके मुंह में जीभ डालकर चूसने लगा। कीर्ति को जैसे अंदर से अच्छा महसूस होने लगा। कुछ देर चुम्बन के बाद अंतू कीर्ति का हाथ पकड़ा और अपने कमरे में ले गया। दरवाजा अन्दर से करके कीर्ति को बिस्तर पर लेटाया। कीर्ति बिस्तर पर लेट गई। अंतू थोड़ा दूर हुआ और अपने कपड़े उतरने लगा। उसके काला और झुर्रियां आ शरीर था।
पूरी तरह से नंगा होने के बाद अंतू बिस्तर पर आया और कीर्ति के पेटीकोट को ऊपर किया। उसके गोरे पैरों को चूमते हुए कहा "आज तुम्हारे जिस्म को जोड़कर तुम्हे अपना बनाऊंगा। अब तुम्हारे बदन पर मेरा हक। आज के बाद तुम मेरी हो जाओगी।"
अंतू की चुंबन से कीर्ति हल्के से मुस्कुराई।
"तुम्हारी मुस्कुराहट कहती है कि तुम मेरी होना चाहती हो। "
अंतू ने लिंग कीर्ति की योनि में डाला और धक्का देने की कोशिश की। कीर्ति अब तक वर्जिन थी तो वो दर्द से कांपने लगी।
"नहीं। छोड़ो मुझे मै मर जाऊंगी।"
"थोड़ा सा दर्द और उसके बाद तुम औरत बन जाओगी।"
कीर्ति जोर जोर से चिल्लाने लगी। पूरा उसकी चीखों से गूंज गया। अंतू का ढक्का रफ्तार पकड़ने लगा। कीर्ति कुछ समय तक दर्द से चिल्लाई और तड़पी लेकिन ये दर्द आधे घंटे बाद आनंद में बदल गया। अब कीर्ति के स्तन को अंतू हाथों से मसलकर बोला "तुम मेरे लिए बनी हो। तुम्हारा कौमार्य छीनकर मैंने आज तुमने औरत बनाया।"
"हां लेकिन आप इतने बूढ़े होकर मुझे जवान मर्द की तरह प्यार कर रहे है " कीर्ति मुस्कुराते हुए बोली।
"कीर्ति aaahh मैं झंडेवाला हूं।" अंतू कीर्ति की योनि में झड़ गया। कीर्ति की आंखों ने संतोष था। वो अब नग्न अवस्था में अंतू को बाहों ने लेकर सो गई।
लेकिन अंतू आधे घंटे बाद फिर जाग गया और फिर से कीर्ति से संभोग किया और तीन बात उसकी योनि में वीर्य की दर भर दी। वो इतना समझ गया कि ऐसा चलता रहा तो कीर्ति गर्भवती हो जाएगी और वहीं तो अंतू चाहता था।
अजीब बात ये थी कि दोपहर से शाम और शाम से पूरी रात यानी 14 घंटे से ज्यादा करीब पांच बार अंतू ने सेक्स किया। सुबह से 5 बजे लेकिन बारिश वापिस आ गई। कीर्ति की हालत बहुत खराब थी। थकान बहुत ज्यादा थी। लेकिन वो संतुष्टि महसूस कर रही थी। बगल में पड़े अंतू को देखा तो वो खर्राटे मारकर गहरी नींद में था।
कीर्ति मुस्कुराके बोली "मेरी जवानी को लूट कर बूढ़ा सो रहा है।" फिर अगले पल बोली "लेकिन इस बूढ़े से दिल लग गया। ओह अंतू क्यों मेरे साथ ये सब किया। अब तो मेरे हर बदन पर तुम्हारा निशान लग गया। ये तुमने क्या किया। मुझे रोगी बना दिया प्यार का। अब नजाने क्या मोड़ लगी मेरी जिंदगी। प्यार हो न जाए तुमसे। क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो फिर सौंप दूंगी अपना जिस्म तुम्हे। जी कर रहा है तुम्हे अपने सीने से लगाकर खो जाओ मोहब्बत की दुनिया में। मेरे होठों को चूमते हुए तुमने अपने मुख का रस मुझे पिलाया। अंतू उठाकर ले जाओ मुझे अपने साथ और जो चाहे करो। अब ये जवान खूबसूरत औरत तुम्हारी दीवानी हो गई।"
लड़खड़ाते हुए कीर्ति नहाने गई और फिर तैयार होकर काम में लग गई। अंतू नींद से उठा और वो भी नहाकर बाहर आया। आंगन में हुक्का पीने लगा। हुक पीते पीते कीर्ति को घर में आते देख। घर में आते ही कीर्ति को तुरंत बाहों में भरकर चूमने लगा।
"आ गई मेरी जान। आओ वापिस चलो कमरे में और दोनों फिर से प्यार की आग में जल जाएं।"
कीर्ति का हाथ पकड़कर अंतू फिर से उसे कमरे में लाकर दरवाजा बंद किया। इस बार कीर्ति सामने से अपने कपड़े उतारकर बिस्तर पर लेट गई और बोली "बहुत ज़ालिम हो तुम। मेरे बदन को लूटकर मुझे दीवाना बनाया।"
अंतू कीर्ति के योनि को चूमने लगा। चुम्बन से कीर्ति मचल गई और बोली "अंतू मुझपर ऐसा जुल्म न करो।"
अंतू ने कीर्ति के साथ जमकर घंटों तक संभोग किया। सुबह सुबह से शाम कब हो गई पता न चला। दोनों नंगे एक दूसरे की बाहों में थे। अंतू का चेहरा बड़े बड़े स्तनों के बीच था।
"सुनो कीर्ति मुझे तुमसे कुछ कहना है।"
"पहले मैं कहूंगी फिर तुम कहो।"
"बोलो।" अंतू ने कहा।
"हमें शादी कर लेनी चाहिए।"
"करेंगे लेकिन कुछ शर्त है मेरी।"
"क्या ?"
"तुम्हारी बहन सुकीर्ति और हरिया की शादी होगी उसके साथ ही हमारी होगी।"
"क्या ? ये तुम क्या कह रहे हो ?" कीर्ति थोड़ा हैरान होकर पूछी।
"मैं चाहता हूं कि मेरा भाई भी बुढ़ापे में संसार बसाए। वो भी खूबसूरत जवान औरत के साथ परिवार बनाए।"
"लेकिन क्या सुकीर्ति मानेगी ?"
"अगर नहीं मानी तो फिर हमारा रिश्ता भी टूट जाएगा। मैं तुमसे शादी नहीं करूंगा।"
"ये क्या बात हुई ? जब करनी नहीं थी तो मेरे साथ बिस्तर पर इतना वक्त क्यों बिताया ?"
"देखो कीर्ति मैं तुम्हे चाहता हूं लेकिन अगर तुम मुझे चाहती हो तो मेरे भाई की शादी अपने बहन से करवाना ही होगा। वरना भूल जाओ इस रिश्ते को।"
"आप जबरजस्ती कर रहे है।"
"तुम्हे लगता है तो यही सही लेकिन मेरे भाई का भी घर बसना चाहिए। अगर मेरे साथ जिंदगी गुजारनी है तो अपनी बहन को मेरे भाई के हवाले करो।"
कीर्ति काफी देर तक सोच में पड़ी लेकिन आखिर में उसने फैसला कर लिया कि वो अंतू को पाने के लिए अपनी बहन की शादी बूढ़े हरिया से करवाएगी।
अंतू खुश होकर बोला "तो आज ही सुकीर्ति से बात करो और उसकी शादी कुछ ही दिन में मेरे भाई के साथ करवाओ।"
सुकीर्ति जब वापिस आई तब कीर्ति ने उसे सब कुछ बताया अपने और अंतू के संबंध के बारे में। सुकीर्ति खुश हुई लेकिन उसके अगले देर बाद कीर्ति ने सुकीर्ति को हरिया से शादी करने का हुक्म दिया। सुकीर्ति छोटी बहन थी इसीलिए वो न नहीं कह सकी। एक बुड्ढे से शादी करना और सारी जिंदगी उसके साथ गुजरना मुश्किल तो है लेकिन सुप्रिया और अनुप्रिया भी तो बूढ़े लोगों के साथ जिंदगी गुजरी देखो कितना खुश है वो दोनों। सुकीर्ति ने हां कह दिया।
अगले हफ्ते पूरा घर खुशी से फूला न समाया। कीर्ति की शादी अंतू से और सुप्रिया की शादी हरिया से हुई। सुप्रिया बहुत खुश थी अंतू और हरिया के लिए। शादी हो गई और अब दोनों जोड़ी अपने अपने घर चले गए। कीर्ति अब से अंतू के कमरे में और सुप्रिया अब से हरिया के कमरे के रहेगी। अब देखना ये है कि कितनी जल्दी सुप्रिया हरिया की हो जाएगी।


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