08-06-2025, 12:34 AM
(This post was last modified: 18-11-2025, 12:08 AM by Hot_randi_rishita. Edited 4 times in total. Edited 4 times in total.)
Update -13 -
वीकेंड यानी शनिवार का दिन तय किया था हमने । प्लान ये था कि हम कॉलेज से बंक मार के जाएंगे । क्योंकि दिन में जाना था और शाम को आना था इसीलिए कोई प्रॉब्लम भी नहीं थी यानी की पापा से परमिशन लेने की जरूरत भी नहीं थी । फिर भी एथियात के तौर पर स्मिता ने पिताजी से बोला कि वह और निमी छुट्टी के बाद उसकी सहेली के बर्थडे में जायेंगी । पापा ने थोड़ा बहुत पूछा कि कौन है, कहां हैं , मोनू घर किसके साथ आएगा वगैहरा - वगैरहा । स्मिता ने भी एक सहेली कोमल का नाम ले लिया जिसे पापा जानते थे। वो अक्सर हमारे घर आती जाती रहती थी । उसको हमने समझा दिया था कि अगर पापा का फोन आए तो कह देना कि हम उसके यहां हैं । और अगर बात करवाने के लिए बोले तो कह देना कि वो अभी बाहर गई है। मोनू को भी हमने समझा बुझा के उसका कॉलेज ऑफ करवा दिया था । हमने बताया कि मोनू आज छुट्टी पर है । क्योंकि हमने शाम तक आ जाना था इसलिए पापा ने भी ज्यादा कुछ नहीं कहा ।
सुबह हम कॉलेज के लिए तैयार होने लगे । मैंने देखा कि स्मिता बैग में कुछ सामान रख रही है । पास आकर देखा तो वह लिपस्टिक , छोटा आईना और कुछ बाहर के कपड़े रख रही थी । जिसमें उसने एक डेनिम शॉर्ट और एक स्लीवलेस टाप रखा था।
दूसरा ड्रेस उसने एक मिनी स्कर्ट रखी थी मैंने पूछा की इनको क्यों रख रही है तू । तो उसने कहा की कॉलेज ड्रेस में जाएंगे क्या पार्क । यह कपड़े वहां के लिए हैं ।
मैं - तू यह इतने छोटे कपड़े पहनेगी क्या वहां, पागल है क्या
स्मिता - हां तो क्या हुआ , शॉर्ट बनाते टाइम भी तो पहनते हैं हम, यह एक तेरे लिए भी तो है रखा हुआ मेरी जान
मैं ये वाला पहनूंगी वहां, और तू ये
मैं - लेकिन... घर में पहनने की बात अलग है, पापा ने बाहर पहनने के लिए मना किया है
स्मिता - हम घर से पहन के नहीं जा रहे हैं,
मैं - लेकिन
स्मिता - अरे लेकिन - वेकिन कुछ नहीं, तुझे पहनना पड़ेगा
मैं – लेकिन वहां पापा का कोई जान पहचान का मिल गया हमें तो
स्मिता – अरे वहां सिर्फ उस टाइप के लोग जाते हैं। कोई अंकल संकल नहीं मिलेगा ।
मैं – लेकिन लोग तो होंगे ।
स्मिता - हां तो क्या हुआ वहां कौन देख रहा है । अरे वहां सब ऐसे ही आते हैं , तू चिंता मत कर ,पापा थोड़ी ना देखेंगे हमें वहां
मैं - लेकिन हम यह पहनेंगे कहां
स्मिता- अरे और कहां उनकी कार में
मैं - हम कार में जाएंगे
स्मिता - हां राशिद ने कहा कि वह कार लेकर आएगा।
मैं - लेकिन कार में कैसे चेंज करेंगे हम, उनके सामने पहनेंगे क्या
स्मिता - हां उनके सामने पहनेंगे
मैं – क्या ...
स्मिता –अरे उन्हें बाहर भेज देंगे ना और क्या । उनके सामने क्यों पहनेंगे, तू भी बच्चों जैसी बातें करती है।
मैं - ठीक है
स्मिता - अब तो कोई प्रॉब्लम नहीं है ना तुझे
मैं - ठीक है, लेकिन मैं ये डेनिम वाला नहीं पहनूंगी।
स्मिता - अरे ये तो मैं पहनूंगी , तेरे लिए तो ये मिनी स्कर्ट रखी थी
मैं - दूसरी नहीं है तेरे पास,
स्मिता - चल ये नहीं तो जींस पहनेगी ?, ऊपर से क्रॉप टॉप है लेकिन
मैं - ठीक है, वही पहन लूंगी
स्मिता - दूसरी शॉर्ट भी है मेरे पास, वो फ्रॉक की तरह खुली हुई
Mai- वो, न बाबा , वो वह तो बहुत छोटी है,
स्मिता - तो कौन सा कोई उसके अंदर हाथ डालेगा
मैं - साली बेशर्म, हाथ डलवाने तो तू जा रही है वहां
स्मिता - अरे यार तू तो इतना शर्मा रही है, कुछ तो दिखा लड़कों को भी, तभी तो तेरा कोई ढंग का बॉय फ्रेंड नहीं है, और एक जो है वो भी मैने सेटिंग करवाई , अरे कुछ नहीं होता। कड़क माल लगेगी एकदम ।
हीहीही
मैं - मुझे नहीं बनना ’कड़क’ माल तू ही बनके जा ’कड़क’ माल
उसके बाद उसने एक जींस और एक क्रॉप टॉप बैग में रख लिया ।
उसके बाद हम कॉलेज के लिए निकल गए । सुबह की 2 घंटियां पढ़ने के बाद हम चोरी छुपे कॉलेज से बाहर निकल गए । बाहर रशीद , सलीम और साबिर हमारा इंतजार कर रहे थे । उन्होंने एक 7 सीटर कार ला रखी थी । हम दोनों गेट के बाहर आए तो उन्होंने हमको देखकर हाथ हिलाया । मैने स्मिता से पूछा यह कार किसकी है । उसने बताया कि उसके चाचा के लड़के की है ।
हम दोनों उनके पास गए ।
राशिद - हेलो
स्मिता - हाय गाइस
साबिर- हेलो मिस स्मिता जी, कैसी हो
स्मिता - ठीक हूं , आप सुनाओ
राशिद - और निमी जी आप कैसी हो, आप तो मना कर रही थी , अरे बहुत अच्छी जगह है आप चलो तो सही
मैं - मैं ठीक हूं, ऐसी कोई बात नहीं है , वह मैं आज तक कभी गई नहीं हूं ना वहां इसीलिए ।
मैं रशीद को भैया कहकर बुलाती थी । हालांकि मैं यह भी जानती थी कि उसकी भी मुझ पर गंदी नजर है ।
राशिद - अरे तभी तो ले जा रहे हैं आपको वहां घुमाने।
उसके बाद हम पांचो कर में बैठते हैं । रशीद और साबिर आगे बैठते हैं । राशिद ड्राइविंग सीट पर और साबिर उसके बगल में बैठा होता है जबकि हम दोनों बीच वाली सीट पर होते हैं। सबसे पीछे सलीम बैठा रहता है ।
उसके बाद हम पार्क के लिए निकल पड़े । तभी एक अंकल ने हमें जाते हुए देखा जो हमारे पड़ोस में ही रहते थे । मैंने स्मिता को बताया तो उसने कहा कि उनकी बातचीत नहीं है पिताजी से तो फिक्र मत कर ।
आधे घंटे के बाद हम पार्क में पहुंच गए । कार रोकने के बाद तीनों लड़के कार से उतर गए। हम दोनों गाड़ी में ही रहे । साबिर ने पूछा कि वो क्यों नहीं उतर रहे तो राशिद ने उन्हें कहा - कॉलेज ड्रेस चेंज कर रही हैं, अभी गेट अप में आएंगी दोनों बाहर । तीनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे । स्मिता ने रशीद को पहले ही बता दिया था कि हम दोनों कार में कपड़े चेंज करेंगे । राशिद ने कहा चलो तुम चेंज कर लो और जल्दी आओ ।
वह तीनों कुछ दूर चले गए। फिर हमने अपने कपड़े उतारने शुरू किये । उसके बाद हमने अपनी-अपनी घर से लाई हुई वह सेक्सी ड्रेस पहनीं । हम दोनों ने काजल लगाया । स्मिता ने फिर लिपिस्टिक निकाली और अपने होठों पर लगाने लगी । उसने मेरी तरफ मुस्कुराके देखा और फिर मेरे होठों पर भी लिपिस्टिक लगा दी । लाल लाल होंठों में हम दोनों की खूबसूरती बढ़ गई थी । सारा मेक अप तो उसने कार में ही कर लिया था । मैने देखा कि वह क्रॉप टॉप काफी छोटा था उसमें मेरा हल्का हल्का क्लीवेज भी दिख रहा था । पीछे से सिर्फ एक डोर गर्दन पर बंधी थी और दूसरी पीठ पर बंधी थी बाकी मेरी पूरी पीठ नंगी थी । यह क्रॉप टॉप मैंने एक बार घर में भी पहना था लेकिन इस तरह बाहर पहली बार पहना था । जींस भी काफी टाइट थी जो मेरे अंगों के कर्व्स को अच्छे से उभार रही थी ।
उसके बाद हम बाहर निकलते हैं तो तीनों हमें आंखें फाड़ फाड़ कर देख रहे थे । उन्हें देख कर स्मिता अपने बाल खोल देती है । उसे देख कर मै भी अपने बाल खोल लेती हूं । तीनों हमारे पास आते हैं ।
पास आने पर -
राशिद - वाउ ! सेक्सी लग रही हो दोनों और निमी तो बहुत बड़ी लग रही है , जैसे 18 साल की लड़की हो, इस ड्रेस में
स्मिता - बस बस आराम से देखो हमें कहीं आंखें ना गिर जाए तुम्हारी ..... है है है ....आज बहुत टाइम है तुम्हारे पास
साबिर - वाकई में कयामत लग रही हो तुम दोनों तो
स्मिता - हमे पता है, साबिर जी, चलो चलो अब चलते हैं
साबिर - निमी तुम मेरे साथ चलो ।
थोड़ी देर हम यहां वहां घूमने लगे । पार्क बहुत सुंदर था। काफी अंदर जाने के बाद हमने देखा कि वहां जोड़े घूम रहे हैं . कुछ और अंदर जाने पर हमने देखा की कुछ जोड़े पेड़ों के नीचे बैठे हुए हैं। स्मिता रशीद के साथ आगे आगे चल रही थी और मैं साबिर के साथ थी । पीछे-पीछे सलीम आ रहा था ।
वहां कुछ बड़े लड़के भी ग्रुप में घूम रहे थे जो हम दोनों को आंखें फाड़ फाड़ कर देख रहे थे । ज्यादातर की नजर स्मिता पर थी लेकिन कुछ मुझे भी देख रहे थे । आज तो मैं भी कुछ कम कयामत नहीं लग रही थी । हालांकि यह हम दोनों के लिए कुछ नया नहीं था , जबसे हमारा बदन खिल गया था , ये एक्सपीरियंस हमें अक्सर होते रहते थे । रस्ते के किनारे खड़े लड़के लगातार मुझे घूरे जा रहे थे । आगे बढ़ने के बाद जब भी मैं पीछे मुड़कर देखती तो हरामी लौंडो की नजर अपनी बट पर पाती । स्मिता को मैंने देखा तो पाया कि बहुत चहक रही थी और इठलाते हुए हमारे आगे चल रही थी । अचानक उसे एक पेड़ पर एक बड़ी सी रंग बिरंगी तितली दिखी तो वह बहुत तेजी से उस ओर अपने कूल्हे मटकाती हुई भागने लगी । जिससे वहां खड़े लोगों का ध्यान उसकी ओर चला गया । वैसे ज्यादातर तो उसे लगातार ही देख रहे थे और कुछ रुक रुक के । उसके इस तरह चंचल हिरणी की तरह बलखाते हुए चलने के कारण वहां खड़े लड़के उसे आंख फाड़ फाड़ के देखने लगे । उसकी अदाएं सबको घायल कर रहीं थीं । मैंने देखा कि वह कुछ जरूरत से ज्यादा स्टाइल दिखा रही थी । सबकी नजर उसके बूब्स और गान्ड पर थी । ये स्मिता को भी मालूम था । वो इससे अंजान नहीं थी ।
साबिर मुझसे बात कर रहा था ।
साबिर- और उस दिन तो आपने कुछ बताया नहीं
मैं - क्या बताऊं, आप भी तो क्या पूछ रहे थे
साबिर - अरे तो क्या हुआ इसमें बुरा मानने की क्या बात है अब गर्लफ्रेंड से नहीं कहूंगा तो किस से कहूंगा
मैं - मैंने कहा ना, अभी मैं आपकी गर्लफ्रेंड नहीं हूं।
साबिर - गर्लफ्रेंड बनने में क्या बुराई है । इतनी बातें कर ली आपने फिर भी यह दूरी क्यों ।
मैं - अभी मैं छोटी हूं
साबिर - छोटी कहां हो कभी मेरी नजर से देखो तो पता चले ।
मैं- अच्छा जी
साबिर- नहीं तो क्या कभी आईने के सामने खड़े होकर देखा है आपने अपने आप को।
मैं - देखा है, बहुत बार देखा है, रोज देखती हूं
साबिर - तो कभी लगा नहीं कि ...
मैं - क्या नहीं लगा
साबिर - की आप बहुत सुंदर हो,
मैं - वह तो मैं हूं
साबिर - और अब बच्ची भी नहीं हो
( मैं शर्माते हुए नीचे देखने लगी । )
साबिर - क्यों सलीम तुझे कैसी
लगती है निमी , बच्ची है क्या , ये बता जरा
मैं - अब उसको क्यों बिगाड़ रहे हो अपनी तरह , बेचारा कितना शरीफ है
सलीम - भाभी जी तो कयामत हैं, और आज तो शोला लग रही हैं
,,(मैने पीछे मुड़कर सलीम को मुस्कुराते हुए देखा )
मैं- मैं कहां से भाभी हुई आपकी, अब आप भी इन्हीं की तरह बातें कर रहे हो-
सलीम - तो हो जाओगी एक दिन, और आप अपने को बच्ची क्यों समझती हो ।
मैं - 18 से नीचे सब माइनर होती हैं, तो बच्ची ही तो हूं मैं
साबिर - इस टॉप और जींस में तो तुम बच्ची तो बिल्कुल ही नहीं लग रही हो
मैं - तो और क्या लग रही हूं
साबिर - कयामत, माल , कच्ची कली जो जो फूल बनने को बेताब है ।
( कली को फूल बनाने का मतलब मै अच्छे से समझती थी, यानी कि किसी कमसिन लड़की की सील तोड़के उसे जवान करना )
मैं - अच्छा आपसे किसने कहा कि मैं बेताब हूं फूल बनने को
साबिर - मेरे कहने या आपके कहने से क्या होता है कली की तो किस्मत में ही है फूल बनाना । और...
मैं – और क्या
साबिर – और किसी कच्ची कली को फूल कोई भंवरा ही बनाता है ।
मैं - अच्छा .. हा..हा.. और वो भंवरे तुम हो, जो मुझ कच्ची कली को फूल बनाओगे
साबिर – बिल्कुल , वो मैं ही होऊंगा
मैं – अच्छा, लेकिन मुझे नहीं बनाना कोई फूल- वूल
साबिर - क्यों, ये सब जो यहां दिख रही हैं वो भी तो यही कहती थीं पहले लेकिन अब देखो, कैसे पार्क में अपने हुस्न और अदाओं की खुशबू बिखेर रही हैं । और कई तो आपकी तरह पहली बार इस चमन में आईं हैं । वो देखो -
उसने मुझे हाथ से इशारा करते हुए दिखाया ।
देखा की दूर पर एक मेरी ही उम्र की एक लड़की एक लड़के के साथ बैठी हुई थी । लड़के की उम्र उससे ज्यादा की लग रही थी । दोनों एक दूसरे के साथ चिपक कर बैठे हुए थे और एक दूसरे की आंखो में आंखें डाल बातें कर रहे थे । मैं यह देखकर मुस्कुराने लगी ।
साबिर - क्यों सही कहा ना ।
थोड़ी देर बाद स्मिता मेरे पास आई कुछ पूछने के लिए, हमे उसने देखा बातें करते हुए तो मुझ से कहने लगी – तो क्या बातें चल रही हैं तुम्हारी
साबिर – कुछ नहीं , मैं तो बस आपकी बहन की खूबसूरती की बात कर रहा था ।
मैं - ये कह रहे हैं कि मैं एक कच्ची कली हूं , और ये मुझे कली से फूल बनाएंगे।
स्मिता - अच्छा, ये बात है
साबिर – बिल्कुल
मैं हंसती हूं
स्मिता- अच्छा और मुझे .... मुझे कौन बनाएगा फूल
साबिर - आपको ... आपको बनाने वालों की कमी है क्या । वैसे आप तो कब की फूल बन चुकी हो ।
स्मिता एक हाथ अपनी कमर पे रखते हुए अदा से कहती है –
अरे अभी कहां, मुझे तो अभी और निखरना है।
साबिर और सलीम की नजर उसके डेनिम शॉर्ट में उभरी हुई उसकी योनि पर थी । उनका लन्ड खड़ा होने लगा था उसे ऐसे देख कर कुछ पल के लिए।
तभी पार्क में खड़ा एक लड़का जो हमारी बात सुन रहा था, कहता है – एक बार हमें भी मौका देकर देखो मैडम जी ।
उसके साथ दो और खड़े थे ।
साबिर और सलीम भी उन्हें कुछ नहीं कहते ।
साबिर- देखा, कहा था न, कमी नहीं है
स्मिता –( धीरे से उनकी तरफ गुस्से से देख कर कहती है ) स्टूपिड बॉयज, ओके दोस्तो, तुम बात करो मैं चलती हूं ।
स्मिता राशिद के पास चली जाती है। साबिर और सलीम उसकी मटकाती गान्ड को जाते हुए देख रहे थे । मैं समझ रही थी कि लड़कों को लड़कियों की गान्ड बहुत आकर्षित करती है । तभी मेरे बम पर सबकी नजर जा रही थी ।
सलीम– साले लड़के बड़े बदतमीज हैं यहां । जरा कोई माल देखा नहीं कि बस ।
(मैं उसकी बात सुनकर चुपचाप मुस्कुराने लगी।)
पार्क में और अंदर जाने पर हमें कुछ कपल्स चुम्मा चाटी करते हुए दिखे । सलीम मेरे पीछे-पीछे ही आ रहा था । उसका मुझे ध्यान ही नहीं था । मैंने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि उसकी नजर भी मेरी गांड पर ही थी । अभी थोड़ी देर पहले वो मुझे भाभी कह रहा था यानी कि मुझे अपने दोस्त की गर्लफ्रेंड मान रहा था और अब मुझे ऐसे देख रहा था। मैं हैरान थी । मेरे उसे देखने पर अब वह मेरे चेहरे पर देखने लगा , जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो । मुझे देख वो मुस्कुराने लगा । मैं भी उसको देखकर मुस्कुराई और फिर आगे चलने लगी । अब मैं समझ गई थी कि वो आस पास न देख कर मुझे ही देख रहा था । मैं इमैजिन कर रही थी कि वो मेरे हिप्स और नंगी कमर देख रहा होगा । मुझे शरम आने की बजाय एक्साइटमेंट होने लगा । पता नहीं क्यों मेरी चाल में भी बदलाव आ गया था । टाइट जींस पहनने का एहसास ही कुछ और होता है । तभी हमने देखा की एक लड़की पेड़ के नीचे बैठकर अपने बॉयफ्रेंड को किस कर रही थी। उसका टॉप उतरा हुआ था। ब्रा का पीछे वाला हक खुला हुआ था और वो उसके उनको मसल रहा था। वहां पर थोड़ी झाड़ी भी थी जिससे वह छुपे हुए थे लेकिन हमारे वहां जाने पर वह एकदम हमें दिख गए ।
वह हमें देखकर रुक गए । लड़के ने हमारी ओर गुस्से से देखकर बोला– क्या है भाई, जब पता है कि कोई बैठा कर रहा है तो आना जरूरी है। लड़की अपना फेस लड़के की छाती में छुपानी लगी ।
राशिद - सॉरी यार , कैरी ऑन
उसके बाद हम आगे निकल गए । स्मिता उन्हे देखकर मुस्कुरा रही थी। आगे चल के हम एक जगह पर रुक गए।
स्मिता- क्या यार तुम बार-बार ऐसी जगह पर क्यों ले जा रहे हो । दूसरों को भी डिस्टर्ब हो रहा है ।
राशिद - अरे अब यहां यही होता है तो हम क्या करें । यह तो हर जगह मिलेंगे ।
स्मिता - ऐसा बोलो न कि साबिर और सलीम को नजारे दिखाने के लिए ला रहे हो यहाँ । बेचारों की कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं, यही देख कर मन को तस्सली पहुंचा रहे । क्यों सलीम, सही बोला न मैने , हीहीही
वीकेंड यानी शनिवार का दिन तय किया था हमने । प्लान ये था कि हम कॉलेज से बंक मार के जाएंगे । क्योंकि दिन में जाना था और शाम को आना था इसीलिए कोई प्रॉब्लम भी नहीं थी यानी की पापा से परमिशन लेने की जरूरत भी नहीं थी । फिर भी एथियात के तौर पर स्मिता ने पिताजी से बोला कि वह और निमी छुट्टी के बाद उसकी सहेली के बर्थडे में जायेंगी । पापा ने थोड़ा बहुत पूछा कि कौन है, कहां हैं , मोनू घर किसके साथ आएगा वगैहरा - वगैरहा । स्मिता ने भी एक सहेली कोमल का नाम ले लिया जिसे पापा जानते थे। वो अक्सर हमारे घर आती जाती रहती थी । उसको हमने समझा दिया था कि अगर पापा का फोन आए तो कह देना कि हम उसके यहां हैं । और अगर बात करवाने के लिए बोले तो कह देना कि वो अभी बाहर गई है। मोनू को भी हमने समझा बुझा के उसका कॉलेज ऑफ करवा दिया था । हमने बताया कि मोनू आज छुट्टी पर है । क्योंकि हमने शाम तक आ जाना था इसलिए पापा ने भी ज्यादा कुछ नहीं कहा ।
सुबह हम कॉलेज के लिए तैयार होने लगे । मैंने देखा कि स्मिता बैग में कुछ सामान रख रही है । पास आकर देखा तो वह लिपस्टिक , छोटा आईना और कुछ बाहर के कपड़े रख रही थी । जिसमें उसने एक डेनिम शॉर्ट और एक स्लीवलेस टाप रखा था।
दूसरा ड्रेस उसने एक मिनी स्कर्ट रखी थी मैंने पूछा की इनको क्यों रख रही है तू । तो उसने कहा की कॉलेज ड्रेस में जाएंगे क्या पार्क । यह कपड़े वहां के लिए हैं ।
मैं - तू यह इतने छोटे कपड़े पहनेगी क्या वहां, पागल है क्या
स्मिता - हां तो क्या हुआ , शॉर्ट बनाते टाइम भी तो पहनते हैं हम, यह एक तेरे लिए भी तो है रखा हुआ मेरी जान
मैं ये वाला पहनूंगी वहां, और तू ये
मैं - लेकिन... घर में पहनने की बात अलग है, पापा ने बाहर पहनने के लिए मना किया है
स्मिता - हम घर से पहन के नहीं जा रहे हैं,
मैं - लेकिन
स्मिता - अरे लेकिन - वेकिन कुछ नहीं, तुझे पहनना पड़ेगा
मैं – लेकिन वहां पापा का कोई जान पहचान का मिल गया हमें तो
स्मिता – अरे वहां सिर्फ उस टाइप के लोग जाते हैं। कोई अंकल संकल नहीं मिलेगा ।
मैं – लेकिन लोग तो होंगे ।
स्मिता - हां तो क्या हुआ वहां कौन देख रहा है । अरे वहां सब ऐसे ही आते हैं , तू चिंता मत कर ,पापा थोड़ी ना देखेंगे हमें वहां
मैं - लेकिन हम यह पहनेंगे कहां
स्मिता- अरे और कहां उनकी कार में
मैं - हम कार में जाएंगे
स्मिता - हां राशिद ने कहा कि वह कार लेकर आएगा।
मैं - लेकिन कार में कैसे चेंज करेंगे हम, उनके सामने पहनेंगे क्या
स्मिता - हां उनके सामने पहनेंगे
मैं – क्या ...
स्मिता –अरे उन्हें बाहर भेज देंगे ना और क्या । उनके सामने क्यों पहनेंगे, तू भी बच्चों जैसी बातें करती है।
मैं - ठीक है
स्मिता - अब तो कोई प्रॉब्लम नहीं है ना तुझे
मैं - ठीक है, लेकिन मैं ये डेनिम वाला नहीं पहनूंगी।
स्मिता - अरे ये तो मैं पहनूंगी , तेरे लिए तो ये मिनी स्कर्ट रखी थी
मैं - दूसरी नहीं है तेरे पास,
स्मिता - चल ये नहीं तो जींस पहनेगी ?, ऊपर से क्रॉप टॉप है लेकिन
मैं - ठीक है, वही पहन लूंगी
स्मिता - दूसरी शॉर्ट भी है मेरे पास, वो फ्रॉक की तरह खुली हुई
Mai- वो, न बाबा , वो वह तो बहुत छोटी है,
स्मिता - तो कौन सा कोई उसके अंदर हाथ डालेगा
मैं - साली बेशर्म, हाथ डलवाने तो तू जा रही है वहां
स्मिता - अरे यार तू तो इतना शर्मा रही है, कुछ तो दिखा लड़कों को भी, तभी तो तेरा कोई ढंग का बॉय फ्रेंड नहीं है, और एक जो है वो भी मैने सेटिंग करवाई , अरे कुछ नहीं होता। कड़क माल लगेगी एकदम ।
हीहीही
मैं - मुझे नहीं बनना ’कड़क’ माल तू ही बनके जा ’कड़क’ माल
उसके बाद उसने एक जींस और एक क्रॉप टॉप बैग में रख लिया ।
उसके बाद हम कॉलेज के लिए निकल गए । सुबह की 2 घंटियां पढ़ने के बाद हम चोरी छुपे कॉलेज से बाहर निकल गए । बाहर रशीद , सलीम और साबिर हमारा इंतजार कर रहे थे । उन्होंने एक 7 सीटर कार ला रखी थी । हम दोनों गेट के बाहर आए तो उन्होंने हमको देखकर हाथ हिलाया । मैने स्मिता से पूछा यह कार किसकी है । उसने बताया कि उसके चाचा के लड़के की है ।
हम दोनों उनके पास गए ।
राशिद - हेलो
स्मिता - हाय गाइस
साबिर- हेलो मिस स्मिता जी, कैसी हो
स्मिता - ठीक हूं , आप सुनाओ
राशिद - और निमी जी आप कैसी हो, आप तो मना कर रही थी , अरे बहुत अच्छी जगह है आप चलो तो सही
मैं - मैं ठीक हूं, ऐसी कोई बात नहीं है , वह मैं आज तक कभी गई नहीं हूं ना वहां इसीलिए ।
मैं रशीद को भैया कहकर बुलाती थी । हालांकि मैं यह भी जानती थी कि उसकी भी मुझ पर गंदी नजर है ।
राशिद - अरे तभी तो ले जा रहे हैं आपको वहां घुमाने।
उसके बाद हम पांचो कर में बैठते हैं । रशीद और साबिर आगे बैठते हैं । राशिद ड्राइविंग सीट पर और साबिर उसके बगल में बैठा होता है जबकि हम दोनों बीच वाली सीट पर होते हैं। सबसे पीछे सलीम बैठा रहता है ।
उसके बाद हम पार्क के लिए निकल पड़े । तभी एक अंकल ने हमें जाते हुए देखा जो हमारे पड़ोस में ही रहते थे । मैंने स्मिता को बताया तो उसने कहा कि उनकी बातचीत नहीं है पिताजी से तो फिक्र मत कर ।
आधे घंटे के बाद हम पार्क में पहुंच गए । कार रोकने के बाद तीनों लड़के कार से उतर गए। हम दोनों गाड़ी में ही रहे । साबिर ने पूछा कि वो क्यों नहीं उतर रहे तो राशिद ने उन्हें कहा - कॉलेज ड्रेस चेंज कर रही हैं, अभी गेट अप में आएंगी दोनों बाहर । तीनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे । स्मिता ने रशीद को पहले ही बता दिया था कि हम दोनों कार में कपड़े चेंज करेंगे । राशिद ने कहा चलो तुम चेंज कर लो और जल्दी आओ ।
वह तीनों कुछ दूर चले गए। फिर हमने अपने कपड़े उतारने शुरू किये । उसके बाद हमने अपनी-अपनी घर से लाई हुई वह सेक्सी ड्रेस पहनीं । हम दोनों ने काजल लगाया । स्मिता ने फिर लिपिस्टिक निकाली और अपने होठों पर लगाने लगी । उसने मेरी तरफ मुस्कुराके देखा और फिर मेरे होठों पर भी लिपिस्टिक लगा दी । लाल लाल होंठों में हम दोनों की खूबसूरती बढ़ गई थी । सारा मेक अप तो उसने कार में ही कर लिया था । मैने देखा कि वह क्रॉप टॉप काफी छोटा था उसमें मेरा हल्का हल्का क्लीवेज भी दिख रहा था । पीछे से सिर्फ एक डोर गर्दन पर बंधी थी और दूसरी पीठ पर बंधी थी बाकी मेरी पूरी पीठ नंगी थी । यह क्रॉप टॉप मैंने एक बार घर में भी पहना था लेकिन इस तरह बाहर पहली बार पहना था । जींस भी काफी टाइट थी जो मेरे अंगों के कर्व्स को अच्छे से उभार रही थी ।
उसके बाद हम बाहर निकलते हैं तो तीनों हमें आंखें फाड़ फाड़ कर देख रहे थे । उन्हें देख कर स्मिता अपने बाल खोल देती है । उसे देख कर मै भी अपने बाल खोल लेती हूं । तीनों हमारे पास आते हैं ।
पास आने पर -
राशिद - वाउ ! सेक्सी लग रही हो दोनों और निमी तो बहुत बड़ी लग रही है , जैसे 18 साल की लड़की हो, इस ड्रेस में
स्मिता - बस बस आराम से देखो हमें कहीं आंखें ना गिर जाए तुम्हारी ..... है है है ....आज बहुत टाइम है तुम्हारे पास
साबिर - वाकई में कयामत लग रही हो तुम दोनों तो
स्मिता - हमे पता है, साबिर जी, चलो चलो अब चलते हैं
साबिर - निमी तुम मेरे साथ चलो ।
थोड़ी देर हम यहां वहां घूमने लगे । पार्क बहुत सुंदर था। काफी अंदर जाने के बाद हमने देखा कि वहां जोड़े घूम रहे हैं . कुछ और अंदर जाने पर हमने देखा की कुछ जोड़े पेड़ों के नीचे बैठे हुए हैं। स्मिता रशीद के साथ आगे आगे चल रही थी और मैं साबिर के साथ थी । पीछे-पीछे सलीम आ रहा था ।
वहां कुछ बड़े लड़के भी ग्रुप में घूम रहे थे जो हम दोनों को आंखें फाड़ फाड़ कर देख रहे थे । ज्यादातर की नजर स्मिता पर थी लेकिन कुछ मुझे भी देख रहे थे । आज तो मैं भी कुछ कम कयामत नहीं लग रही थी । हालांकि यह हम दोनों के लिए कुछ नया नहीं था , जबसे हमारा बदन खिल गया था , ये एक्सपीरियंस हमें अक्सर होते रहते थे । रस्ते के किनारे खड़े लड़के लगातार मुझे घूरे जा रहे थे । आगे बढ़ने के बाद जब भी मैं पीछे मुड़कर देखती तो हरामी लौंडो की नजर अपनी बट पर पाती । स्मिता को मैंने देखा तो पाया कि बहुत चहक रही थी और इठलाते हुए हमारे आगे चल रही थी । अचानक उसे एक पेड़ पर एक बड़ी सी रंग बिरंगी तितली दिखी तो वह बहुत तेजी से उस ओर अपने कूल्हे मटकाती हुई भागने लगी । जिससे वहां खड़े लोगों का ध्यान उसकी ओर चला गया । वैसे ज्यादातर तो उसे लगातार ही देख रहे थे और कुछ रुक रुक के । उसके इस तरह चंचल हिरणी की तरह बलखाते हुए चलने के कारण वहां खड़े लड़के उसे आंख फाड़ फाड़ के देखने लगे । उसकी अदाएं सबको घायल कर रहीं थीं । मैंने देखा कि वह कुछ जरूरत से ज्यादा स्टाइल दिखा रही थी । सबकी नजर उसके बूब्स और गान्ड पर थी । ये स्मिता को भी मालूम था । वो इससे अंजान नहीं थी ।
साबिर मुझसे बात कर रहा था ।
साबिर- और उस दिन तो आपने कुछ बताया नहीं
मैं - क्या बताऊं, आप भी तो क्या पूछ रहे थे
साबिर - अरे तो क्या हुआ इसमें बुरा मानने की क्या बात है अब गर्लफ्रेंड से नहीं कहूंगा तो किस से कहूंगा
मैं - मैंने कहा ना, अभी मैं आपकी गर्लफ्रेंड नहीं हूं।
साबिर - गर्लफ्रेंड बनने में क्या बुराई है । इतनी बातें कर ली आपने फिर भी यह दूरी क्यों ।
मैं - अभी मैं छोटी हूं
साबिर - छोटी कहां हो कभी मेरी नजर से देखो तो पता चले ।
मैं- अच्छा जी
साबिर- नहीं तो क्या कभी आईने के सामने खड़े होकर देखा है आपने अपने आप को।
मैं - देखा है, बहुत बार देखा है, रोज देखती हूं
साबिर - तो कभी लगा नहीं कि ...
मैं - क्या नहीं लगा
साबिर - की आप बहुत सुंदर हो,
मैं - वह तो मैं हूं
साबिर - और अब बच्ची भी नहीं हो
( मैं शर्माते हुए नीचे देखने लगी । )
साबिर - क्यों सलीम तुझे कैसी
लगती है निमी , बच्ची है क्या , ये बता जरा
मैं - अब उसको क्यों बिगाड़ रहे हो अपनी तरह , बेचारा कितना शरीफ है
सलीम - भाभी जी तो कयामत हैं, और आज तो शोला लग रही हैं
,,(मैने पीछे मुड़कर सलीम को मुस्कुराते हुए देखा )
मैं- मैं कहां से भाभी हुई आपकी, अब आप भी इन्हीं की तरह बातें कर रहे हो-
सलीम - तो हो जाओगी एक दिन, और आप अपने को बच्ची क्यों समझती हो ।
मैं - 18 से नीचे सब माइनर होती हैं, तो बच्ची ही तो हूं मैं
साबिर - इस टॉप और जींस में तो तुम बच्ची तो बिल्कुल ही नहीं लग रही हो
मैं - तो और क्या लग रही हूं
साबिर - कयामत, माल , कच्ची कली जो जो फूल बनने को बेताब है ।
( कली को फूल बनाने का मतलब मै अच्छे से समझती थी, यानी कि किसी कमसिन लड़की की सील तोड़के उसे जवान करना )
मैं - अच्छा आपसे किसने कहा कि मैं बेताब हूं फूल बनने को
साबिर - मेरे कहने या आपके कहने से क्या होता है कली की तो किस्मत में ही है फूल बनाना । और...
मैं – और क्या
साबिर – और किसी कच्ची कली को फूल कोई भंवरा ही बनाता है ।
मैं - अच्छा .. हा..हा.. और वो भंवरे तुम हो, जो मुझ कच्ची कली को फूल बनाओगे
साबिर – बिल्कुल , वो मैं ही होऊंगा
मैं – अच्छा, लेकिन मुझे नहीं बनाना कोई फूल- वूल
साबिर - क्यों, ये सब जो यहां दिख रही हैं वो भी तो यही कहती थीं पहले लेकिन अब देखो, कैसे पार्क में अपने हुस्न और अदाओं की खुशबू बिखेर रही हैं । और कई तो आपकी तरह पहली बार इस चमन में आईं हैं । वो देखो -
उसने मुझे हाथ से इशारा करते हुए दिखाया ।
देखा की दूर पर एक मेरी ही उम्र की एक लड़की एक लड़के के साथ बैठी हुई थी । लड़के की उम्र उससे ज्यादा की लग रही थी । दोनों एक दूसरे के साथ चिपक कर बैठे हुए थे और एक दूसरे की आंखो में आंखें डाल बातें कर रहे थे । मैं यह देखकर मुस्कुराने लगी ।
साबिर - क्यों सही कहा ना ।
थोड़ी देर बाद स्मिता मेरे पास आई कुछ पूछने के लिए, हमे उसने देखा बातें करते हुए तो मुझ से कहने लगी – तो क्या बातें चल रही हैं तुम्हारी
साबिर – कुछ नहीं , मैं तो बस आपकी बहन की खूबसूरती की बात कर रहा था ।
मैं - ये कह रहे हैं कि मैं एक कच्ची कली हूं , और ये मुझे कली से फूल बनाएंगे।
स्मिता - अच्छा, ये बात है
साबिर – बिल्कुल
मैं हंसती हूं
स्मिता- अच्छा और मुझे .... मुझे कौन बनाएगा फूल
साबिर - आपको ... आपको बनाने वालों की कमी है क्या । वैसे आप तो कब की फूल बन चुकी हो ।
स्मिता एक हाथ अपनी कमर पे रखते हुए अदा से कहती है –
अरे अभी कहां, मुझे तो अभी और निखरना है।
साबिर और सलीम की नजर उसके डेनिम शॉर्ट में उभरी हुई उसकी योनि पर थी । उनका लन्ड खड़ा होने लगा था उसे ऐसे देख कर कुछ पल के लिए।
तभी पार्क में खड़ा एक लड़का जो हमारी बात सुन रहा था, कहता है – एक बार हमें भी मौका देकर देखो मैडम जी ।
उसके साथ दो और खड़े थे ।
साबिर और सलीम भी उन्हें कुछ नहीं कहते ।
साबिर- देखा, कहा था न, कमी नहीं है
स्मिता –( धीरे से उनकी तरफ गुस्से से देख कर कहती है ) स्टूपिड बॉयज, ओके दोस्तो, तुम बात करो मैं चलती हूं ।
स्मिता राशिद के पास चली जाती है। साबिर और सलीम उसकी मटकाती गान्ड को जाते हुए देख रहे थे । मैं समझ रही थी कि लड़कों को लड़कियों की गान्ड बहुत आकर्षित करती है । तभी मेरे बम पर सबकी नजर जा रही थी ।
सलीम– साले लड़के बड़े बदतमीज हैं यहां । जरा कोई माल देखा नहीं कि बस ।
(मैं उसकी बात सुनकर चुपचाप मुस्कुराने लगी।)
पार्क में और अंदर जाने पर हमें कुछ कपल्स चुम्मा चाटी करते हुए दिखे । सलीम मेरे पीछे-पीछे ही आ रहा था । उसका मुझे ध्यान ही नहीं था । मैंने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि उसकी नजर भी मेरी गांड पर ही थी । अभी थोड़ी देर पहले वो मुझे भाभी कह रहा था यानी कि मुझे अपने दोस्त की गर्लफ्रेंड मान रहा था और अब मुझे ऐसे देख रहा था। मैं हैरान थी । मेरे उसे देखने पर अब वह मेरे चेहरे पर देखने लगा , जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो । मुझे देख वो मुस्कुराने लगा । मैं भी उसको देखकर मुस्कुराई और फिर आगे चलने लगी । अब मैं समझ गई थी कि वो आस पास न देख कर मुझे ही देख रहा था । मैं इमैजिन कर रही थी कि वो मेरे हिप्स और नंगी कमर देख रहा होगा । मुझे शरम आने की बजाय एक्साइटमेंट होने लगा । पता नहीं क्यों मेरी चाल में भी बदलाव आ गया था । टाइट जींस पहनने का एहसास ही कुछ और होता है । तभी हमने देखा की एक लड़की पेड़ के नीचे बैठकर अपने बॉयफ्रेंड को किस कर रही थी। उसका टॉप उतरा हुआ था। ब्रा का पीछे वाला हक खुला हुआ था और वो उसके उनको मसल रहा था। वहां पर थोड़ी झाड़ी भी थी जिससे वह छुपे हुए थे लेकिन हमारे वहां जाने पर वह एकदम हमें दिख गए ।
वह हमें देखकर रुक गए । लड़के ने हमारी ओर गुस्से से देखकर बोला– क्या है भाई, जब पता है कि कोई बैठा कर रहा है तो आना जरूरी है। लड़की अपना फेस लड़के की छाती में छुपानी लगी ।
राशिद - सॉरी यार , कैरी ऑन
उसके बाद हम आगे निकल गए । स्मिता उन्हे देखकर मुस्कुरा रही थी। आगे चल के हम एक जगह पर रुक गए।
स्मिता- क्या यार तुम बार-बार ऐसी जगह पर क्यों ले जा रहे हो । दूसरों को भी डिस्टर्ब हो रहा है ।
राशिद - अरे अब यहां यही होता है तो हम क्या करें । यह तो हर जगह मिलेंगे ।
स्मिता - ऐसा बोलो न कि साबिर और सलीम को नजारे दिखाने के लिए ला रहे हो यहाँ । बेचारों की कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं, यही देख कर मन को तस्सली पहुंचा रहे । क्यों सलीम, सही बोला न मैने , हीहीही


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