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Adultery वासनापूर्ण इच्छाओं का कांड
#28
अध्याय - 6













आज पूनम ने वो साड़ी और ब्लाउज पहना था जो वो काफी समय से पहनना चाहती थी पर अपने सास ससुर की वजह से पहन नहीं रही थी। पूनम ने आज एक येलो कलर की साड़ी पहनीं जिसमें ऑरेंज कलर का बैकलेस और स्लीवलेस ब्लाउज पहना। जिसमे वो बहुत हॉट और सेक्सी लग रही थी। उसका भरा हुआ बदन और हल्का सा पेट निकली हुई कमर । दिखने में क्या मादक लग रही थी। किसी भी हवसी आदमी का उसको देख कर ही उसका मुठ निकल जाए पूनम के बूब्स क्या दिख रहे थे एक दम अपनी शेप में। पूनम के बूब्स की साइज ज्यादा नहीं थी पर जितनी थी उतनी ही काफी थी किसी को भी हवस में पागल करने के लिए। पूनम के ऊपर ऑरेंज कलर स्लीवलेस और बैकलेस वाला ब्लाउज क्या ही हॉट दिख रहा था उसमें उसका बैक वाव एक दम मादक लग रहा था। पूनम ने सोचा नहीं था कि उस पर कम कपड़े का छोटा ब्लाउज इतना अच्छा लगेगा। क्योंकि पूनम हमेशा नॉर्मल ब्लाउज हे पहनती थी। ये उसने पहली बार ट्राई कर था।





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अब पूनम साड़ी पहन कर और तैयार होते होते खुद को शीशे में देखती है और खुद को देख कर यह सोचती है कि कितना टाइम हो गया वो कही बाहर नहीं गई और ना ही किसी पार्टी में गई है। आज के भी पूरे दिन में पूनम का कोई भी प्लान नहीं था। तभी उसको कल के दिन की घटना याद आती है कि कल कैसे वो कुबड़ा भिखारी उसको स्कर्ट में देख कर पागल हो रहा था और अपना प्राइवेट पार्ट हिला रहा था।





पूनम अपने दोनों हथेलियों को अपने पूरे हाथों पर घूमती है और उस कुबड़े भिखारी की हरकतों के बारे में सोचती है कि कल वो कैसे बेशर्मी की तरह उसकी ओर देख कर अपना प्राइवेट पार्ट हिला रहा था। किस निगाह से उसको देख रहा था। फिर तभी यह सब सोचते हुए पूनम को ध्यान आता है कि रोहन के अलावा ओर भी किसी ने देख लिया होता तो अनर्थ हो जाता।



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यही सब सोचते सोचते पूनम के रोंगटे खड़े हो जाते है पर कही न कही उसको अंदर से कल वाला इंसीडेंट सोच कर मजा और एक अलग अनुभव जैसा महसूस हो रहा था। तभी पूनम के फोन पर एक लेडीज का कॉल आता है और पूनम अपना फोन उठाती है ओर थोड़ा हस्ते हुए बोलती है



पूनम - ओ हो आज कैसे याद किया ?



कॉल के सामने वाली - बोल भी कौन रहा है।



कुछ सेकण्ड ऐसे ही मजाक मस्ती में बात करने के बाद और हालचाल पूछने के फिर दोनों हस्ती है। दरसल पूनम के फोन पर जो कॉल आया है वो उसकी बचपन की सहेली और दूर की रिश्तेदार गीतांजलि मिश्रा का है। गीतांजलि मिश्रा अपने सिक्युरिटी स्टेशन में बैठ कर वर्दी में पूनम से बात कर रही थी।



चलो यहां हम यह गीतांजलि मिश्रा के बारे में जान लेते है। गीतांजलि मिश्रा एक वर्किंग वुमन है जो सिक्युरिटी में थ्री स्टार इंस्पेक्टर है और खास बात तो यह है कि उसका थाना जो उसके कंट्रोल में आता है वो पूनम जिस एरिया में रहती है उसमें ही आता है। गीतांजलि मिश्रा 36 साल की एक शादी शुदा महिला है। जिसका एक 8 साल का बेटा है। गीतांजलि अपने काम के प्रति ईमानदार और एक सजक सिक्युरिटी अफसर है।





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गीतांजलि मिश्रा का बदन दिखने में एकदम परफेक्ट है जैसा कि एक फिट सिक्युरिटीवाली का होना चाहिए ओर साथ ही गीतांजलि की बैक ओहो। सिक्युरिटी यूनिफॉर्म में तो गीतांजलि कहर ढाती है। गीतांजलि हमेशा यूनिफॉर्म को अपने बॉडी मेजरमेंट के हिसाब से एक दम बॉडी फिट स्टाइल में सिलवाती थी। गीतांजलि खुद को परफेक्ट डाइट और योगा करके फिट रखती है। गीतांजलि वैसे तो नर्म स्वभाव की थी पर सिक्युरिटी में होने की वजह से उसको अपना स्वभाव हालातों के साथ सख्त करना पड़ता था। गीतांजलि मिश्रा के पति नारकोटिक्स डिपार्टमेंट में एक अफसर है।





अब आते वापस पूनम और गीतांजलि की फोन की बातों पर......





पूनम - अच्छा चल बाते तो बहुत हो गई अब बता तूने फोन क्यों किया? तुम सिक्युरिटी वाले बिना काम के तो कभी कॉल करते हो नहीं किसी को भी।



गीतांजलि - ऐसा कुछ नहीं है बहन। क्या करूं टाइम ही नहीं मिलता है सोचती तो ही की तुम सभी फ्रेंड्स के साथ में भी किट्टी में आऊ बट स्टेशन से घर और घर स्टेशन अभी टोह यही चल रहा है।



पूनम - ओके बहन। फिर बता मिल कब रही है।



गीतांजलि - अरे में सोच रही थी मिलने का दरसल तेरी सोसाइटी में एक दूसरे स्टेट से भागे हुए क्रिमिनल को देखा गया है। ये मुझको मेरे खबरियों से पता चला है।



पूनम - क्या? ओह नो। यार ये सब कब हुआ।



गीतांजलि - अरे वही तो नहीं पता बहन। वही तो आइडेंटिफाई करना है। इसलिए तो तुझसे मिलने का बोल रही हु।



अब पूनम थोड़ा हस्ती है और टॉन्ट में बोलती है - हा मुझको तो पता ही था कि तुझको कुछ तेरे स्टेशन का काम ही होगा वरना तू ड्यूटी पर कहा कॉल करे।



गीतांजलि - अरे बहन ऐसा नहीं है। चल ये सब छोड़ तू बता कैसा चल रहा है पति और सास ससुर कैसे है



पूनम - सब बढ़िया है पर अभी टोह कुछ दिन तक में अकेली हु फिलहाल।



गीतांजलि - क्यों? क्या हुआ



पूनम - सब यार अपने काम से गए है। मैं भी सोच रही हु क्या करूं?



गीतांजलि - ओके। एक काम कर तू भी कही जा आ।



पूनम - कहा जाऊ यार। अभी टोह कही भी जाने का मन नहीं है। अपनी सभी फ्रेंड्स के साथ ही कुछ प्लान करती हु। पर तू भी आयेगी।





गीतांजलि - श्योर। मैं पूरी ट्राई करूंगी। फिर भी कुछ कह नहीं सकते।







फिर दोनों ऐसे ही कुछ देर इधर उधर की बाते करके कॉल काट देती है। अब पूनम अपने लिए खाना बना कर दूसरे कामों में लग जाती है।







इधर रोहन मिश्रा आज अपने कॉलेज में बैठ कर चलते लेक्चर में उसकी चाची यानि पूनम के बारे में सोच रहा होता है। कल जो उसने पूनम की कर्वी गांड़ देखी तिब्तब से ही उसका मन कही लग नहीं रहा था। वो सोच रहा था कि आज किस बहाने अपनी चाची से मिलने जाऊ।





रोहन को ये डर भी था अगर वो चाची की घर तरफ भी गया तो उसको देख कर कही चाची उसकी मम्मी से शिकायत ना कर दे या कल वाली बात ना बता दे। कही चाची मुझ शक ना करे। पर रोहन था एक नंबर ढीठ लड़का। वो सिर्फ इन सब चीजों के बारे में सोचता था पर डरता नहीं था। रोहन बचपन से ही अपनी चाची के नाम की मुट्ठी मारता आ रहा था। रोहन सभी उल्टी चीजें करने के भी उसमें एक बात थी कि रोहन का गठीला और जिम वाला मजबूत बदन होने की वजह से उसकी कभी पिटाई नहीं हुई उल्टा उसने सभी को पीटा है। अब कॉलेज में घंटी बजती है और रोहन का लेक्चर खत्म होता है और वो अपने जिगरी दोस्त यश के साथ बाइक पर राइड मारने निकल जाता है। पर आगे क्या करना था और कहा जाना था ये रोहन के दिमाग में चल रहा था।









यहां एक फटी जुग्गी में वही कुबड़ा भिखारी एक एक पुरानी मैगजीन के एक फैट पत्ते को देख कर अपना गंदे बालों से भरा हुआ और ऊपर से हल्का सा @# लन्ड को हिला रहा था। उस फटे पत्ते पर एक अभिनेत्री (हीरोइन) का फोटो था जिसे देख वो भिखारी पागलों की तरह अपना लन्ड हिला रहा था। उस मैग्जीन के पत्ते में उस हीरोइन ने एक साड़ी पहन रखी थी और उस हीरोइन के आगे झुका होने से उसका क्लीवेज दिख रहा था। उस देख भिखारी पागल हो रहा था। पर इधर ये कुबड़ा भिखारी भी अपना लन्ड मलते मलते कल वाला इंसीडेंट याद कर रहा था। और वो इस पत्ते पर उस हीरोइन की जगह बालकनी वाली माल यानी पूनम को याद कर रहा था। पर उसको पूनम का नाम याद नहीं आ रहा था। इसलिए वो उस फोटो को देख कर जोर जोर पूनम को अपने मन में याद करते हुए चिल्ला रहा था - ओहो भैन चोद बालकनी वाली माल औरत .... साली रण्डी .... साली कल वो चूतियां नहीं आया होता तो कल ही में मेरा खेल शुरू कर देता। पर वो चूतियां था कौन जो बीच में टपक पड़ा? कही उस बालकनी वाली का बॉयफ्रेंड तो नहीं था या उसका पड़ोसी। पता नहीं जो भी था उसको में छोडूंगा नहीं। साली मादरचोद रण्डी की औलाद ने मुझको गाली दी और मारा।







रोहन को गालियां देते देते और पूनम के बारे में सोचते हुए वो भिखारी अब कही जाने की तैयारी में था। वो अपनी लूंगी पहन कर और जोला लेकर अपनी जुग्गी से निकल जाता है।
Written By Mohik
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RE: वासनापूर्ण इच्छाओं का कांड - by Mohik - 23-05-2025, 04:40 PM



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