06-05-2025, 10:40 PM
अंदर कमरे मे चाचाजी बेडपर आरामसे लोटकर अपने हतियार को सहला रहेथे, तभी ऊन्होने दोखा की नेहा मुस्कुराते हुए दरवाजा खोल कर अंदर आ रही है। तो ऊन्होने नेहा को दोख कर कहा, "अरो बहु, तुमने तो आनोमे बडी दोर लगादी, मै कब सो तुम्हारो आनेका ईंतजार कर रहा था"। तो नेहा ने कहा, "तो चाचाजी आप को यकीन था की मै आजाऊंगी"। तो चाचाजी ने नेहा से कहा, "बहु मैतो ऊसी दीन समझ गया था जीस दीन मै यहा आया था की तुम कीसी बात सो दुखी हो। पर जब मैने यहा कुच्छ दीन बिताया तो पत चला की तुम सिर्फ दुखी नही बलकी भुकी भी हो कीसी को प्यार के लीऐ, जो अमीत तुम्हो पुरी तरहा नही दो पा रहा है"। चाचाजी की ऐ बात सुनकर नेहा दंग रह गयी ओर कहा, "हां चाचाजी मै प्यार के लीऐ भुकी तो हु, मगर बच्चो के प्यार के लीऐ। अमीत तो मुझसे बहुत प्यार करता है। मगर चाचाजी आप को यो सब कैसे पता चला"। तो चाचाजी ने कहा, "बहु मैने दुनिया देखी है ओर तुम्हारी जैसी खुबसुरत जवान ओरत क्या चाहती है मै एक नजर मे जान सकता हु। सच बताना बहु तुम्हो बच्चो के प्यार की भुक ज्यादा है या सोक्स की?" तो नेहा अपनी आंख झुकाते हुए चाचाजी से कहा, "जी दोने"। नेहा के मुह से ऐ बात सुनकर चाचाजी बहुत खुश हो गये ओर ऊसके करिब जाकर कहा, "तुमने सही फेसला कीया है बहु मै तुम्हे ढेड सार प्यार भी दुंगा ओर तुम्हारी बरसो की सोक्स की भुक भी मीटाऊंगा ओर यंहा से जाने से पहले पहले तुम्हारी सुनी गोद भी भर दुंगा"। चाचाजी की ऐसी बाते सुनकर नेहा भाऊक हो गयी ओर ओ चाचाजी से लीपट गई ओर कहने लगी, "लेकीन चाचाजी मै अमीत से बहुत प्यार करती हु ओर ऊसे धोका नही दोना चाहती"। तो चाचाजी ने भी नेहा को कसकर गले लगा लीया ओर नेहा से कहाने लगे, "बहु तुम चींता मत करो मै तुम्हारे ओर अमीत के प्यार के बीच कभी नही आऊंगा, हम दोने का रीश्ता सिर्फ दोस्ती का होगा। ओर तो ओर मै तो कुछ हफ्तो बाद यहां से वापीस दुबई चला जाऊंगा। फीर कभी हमारी मुलाकात हो न हो। तो जब तक मै यहा हु, तब तक्क क्युना हम दोने ईस मैकोका फायदा ऊठाकर थोडो दिने तक्क मजा कर्ले?" चाचाजी की ऐ बात सुनकर नेहा मुस्कुरायी। तब चाचाजी नो अपने कालो मोटे होंठ नेहा का गुलाबी होठों पे रख कर ऊसे कीस करने लगो। चाचाजी नेहा के रसीले गुलाबी होठों को अपने कालो मोटे होठों मे दबाकर उन्हे चूसने लगे, तो नेहा भी उनका पुरा साथ दो रही थी। अब दोनो एक दूसरे के बदन पर हाथ फिराते हुए होठों का चुंबन लेने ल्गो। नेहा चाचाजी के किस्स करने से इतनी ज़्यादा सेक्सुअली एग्ज़ाइटेड हो गई की ऊसके बंद मुह से आहह….....ऊऊहह …......उन्न्ञंगंह की आवाज आ रही थी। मै हैरानी से देखता रहा था, चाचाजी अब नेहा के होठों को अपने मुँह के अंदर पकडकर किस्स करने लगे। तब नेहा अपना मुँह पीछे हटाने की कोशिश कर रही थी, पर चाचाजी ने उसके चेहरे को कस कर पकड़ा हुआ था, और ऊसे जोर सो किस्स कर रहे थे। अब चाचाजी ने नेहा के रसीले होठों को अपने दाँतों से काटने लगो, नेहा सिसकने लगी। फिर चाचाजी ने नेहा की बडी बड़ी चूचियों को ऊसके नायटी के बाहर से ही पकडकर मसलने लगो। चाचाजी चूचियों को दबाते हुए नेहा के होठों को भी चूसतो रहे, अब नेहा गरम होने लगी थी। चाचाजी के ज़ोर से चूचियों को मसलने से वो सिसकारियाँ लेने लगी……ओह्ह……ऊऊहह ……आआअहह…… उनन्ं…… आआआहह……। फिर मैने देखा कि अब चाचाजी नेहा के मुँह में अपनी जीभ घुसानेकी को कोशिश कर रहे थे, तब मैने दोखा की नेहा अब अपने को छुड़ाने की कोशिश नही कर रही है, ओर चाचाजी की जीभ के लिए उसने अपने होंठ खोल दिए है। अब चाचाजी ने नेहा के मुँह में अपनी जीभ घुसा दी, चाचाजी अब नेहा कि चूचियों को छोड़ दिया और अपनी जीभ ऊसके मुँह में घुमाते हुऐ ऊसका चुंबन लेने लगे। अब चाचाजी ने नेहा का चुंबन लोते हुए ही एक हाथ से उसकी गर्दन सहला रहा थे और दूसरे हाथ से उसके बाल पकड कर ऊसो अपनी ओर खींच रहे है। तभी अचानक चाचाजी ने नेहा को छोड़ दिया और पीछे हो गये। अब नेहा अस्त व्यस्त हालत में थी, उसकी साँसें उखड़ी हुई थी, उसका मुँह खुला हुआ था, होंठ चाचाजी की लार से गीले हो रखे थे। उसकी नाइटी के ऊपर का हीसा खुल गया था ओर नाइटी के बीच मैसे ऊसकि चूची के बीच की दरार ऊसके तंग ब्रा से बाहर दिख रही थी। नेहा की आँखें मदहोश हो रखी थी, ओर वो हल्की हल्की सिसकारियाँ लो रही थी। जब चाचाजी ऊसे छोड़ पीछे हो गये तब नेहा ने अपनी आंखो खोल दिए ओर जोर जोर से साँसें लेते हुए सीधे चाचाजी की तरफ देख लगी। ओर मानो उनसे पुच्छ रही हो की रुक क्यो गये? जब चाचाजी की ओर से कोई हरकत नही हुयि तो नेहा खुद से आगे बढकर चाचाजी को वापीस किस्स करने की कोशिश करने लगी। तब चाचाजी ने नेहा को रोकते हुऐ कहा, "अरे बहु थोडा सब्र करो इतनी भी क्या जल्दी है, अभी ते हमारे पास पुरा दीन है मजो करनेके लीए"। तो नेहा ने कहा, "चाचाजी मै पिछले दो साल से ईस पल के इंतजार मे तडप रही हु अब मुझसे ओर सब्र नही होता"। ते चाचाजी ने नेहा से कहने लगे, "बहु मै जानता हु की अमीत ने तुम्हे असली सुखसे वंचीत रखकर तुम्हे बहुत तडपाय है। मगर बहु जल्दबाजि का काम शैतान का होता है, ओर सोक्स मे तो जल्दबाजि बीलकुल अच्छी नही होती जीससे सोक्स करने वाले लोगोंको सहीसे पुरी संतुश्टी नही मिल पाती है। ईस लीए जभी सोक्स करे तो अराम से इतमीनान्से करना चाहीये तभी तुम सोक्स का आनंद लोपावेगी ओर तुम्हे पुरी संतुश्टी मिलोगी, समझी बहु"। नेहा ने कहा, "ठीक है चाचाजी मै समझ गई अब आप जैसे कहोंगे मै वैसाही करुंगी"। चाचाजी को मुंह से ऐ बातो सुनकर मुझो यकीन हो गया की मैने नेहा के लीऐ सही मर्द चुना है, जो अच्छी तरसो जानता है कि एक औरत को कैसे खुश करके अच्छी तरह से ऊसे चोदकर ऊसे पुरी संतुश्टी दे सके। अब चाचाजी निहा की बात सुनकर ओर भी खुश हो गये ओर उन्होने नेहासे कहा, "बहुत बडीया बहु अगर तुम मेरी कही सारी बात मानेगी तो दोखना मै तुम्हे कैसे मै तुम्हे पुरी तरहा खुश करदुंगा। चलो अब पेहले तुम चाचाजी को अपने चूची दीखावे, मै जबसे यंहा आयाहु तुम्हारे चूचीयेंको देखनेके लीऐ तडप रहाहुं"। तब नेहा शरमागयी ओर चाचाजी से कहा, "मै जानतीहु चाचाजी की मैने आप को हमेशा मुझे घुरते हुवे कयी बार देखा है, ओर जब मै आपके पैर की मालीश कर रही थी तब मैने देखाता की कैसे मेरे चूचीयेंको देखकर आपके बंबुने आपके धेति मे ही तंबु बना लीया था। तो चाचाजी ने कहा, "बहु वोतो आज वैसेभी पहलेसेही मेरे धेति मे तंबु बनाकर बैठा है", ये कहते हुऐ चाचाजी ने अपने ऊभारपर हात फीराने लगे, तो ऐ देखकर नेहा ओर ज्यादा शरमागयी। तब चाचाजी ने नेहा से कहा, "बहु तुम अब शरमाना छोडदो सेक्स का पहला ऊसुल है की बेडरुम मे आनेसे पहले ईनसान को अपनी लाज, शरमा, भय, चींता सबकुछ बाहर छोडकर आना चाहीऐ, ओर सेक्स के दोरान दोने लोगोंको मुखर होके एक दुसरेसे बात करनी चाहीऐ ताकी दुसरा ईंन्सान सहीसे समझ सके की ऊसके पाटर्नको क्या चाहीये ओर वे क्या करना चाहते है। तभी वे दोने एक दुसरेसे पुरी संतुश्टी पासकतो है"। तब नेहा ने कहा, "ठीक है चाचाजी फीर दोख लो अपने बहु की चूचीयेंको जी भरकर", ऐसा बोलते हुऐ नेहा ने अपनी नाइटी को खोल दिया, अब नेहा सीर्फ एक पारदर्शी ब्रा प्यांटी वाली लांन्जरी मे चाचाजी को सामने खडी थी। ऊसे पारदर्शी लांन्जरी मे दोखकर चाचाजी का मुंह खुला का खुला ही रह गया। चाचाजी अपने तंबु बने ऊभारपर हात फीराते हुऐ नेहा को दोखने लगे, उस पतले पारदर्शी ब्रा से नेहा की बड़ी बड़ी चूचियां बाहर आने को मचल रही थी। फीर चाचाजी ने अपना एक हात नेहा को चूचीयें पर रखकर ऊसे सहलाते हुऐ बोले, "व्हा बहु तुम्हरे चूचीया तो बहुत खुबसुरत है एक दम रसीले आंम की तरहा, मै कबसे इन्हे टेस्ट करना चाहता हूँ"। ये बोलकर चाचाजी ने ब्रा के बाहर से ही ऊसके निपल को मुँह में भर लिया और चूसने लगो, फिर ऐसे ही उन्होने दूसरे निपल को भी चूसा. चाचाजी के मुँह की लार से वो पतला ब्रा पारदर्शी हो गया और ब्रा के बाहर से ही चूचियि को निपल साफ दिखने लगी। फिर चाचाजी ने नेहा की गुलाबी रंग की लेसी ब्रा से एक चूची बाहर निकालकर उसके बड़े से निप्पल को मुँह में भर लिया ओर चूसने लगो। बिना ब्रा उतारे बड़ी चूची बाहर निकालने से नेहा की ब्रा कस गयी थी तो उसने चाचाजी को एक तरफ हटा दिया और अपनी ब्रा उतार दी। अब नेहा की दूध जैसी गोरी बड़ी बड़ी चूचियाँ अब नग्न खुली हवा में लटकने लगी। नेहा की कामुकता देखकर चाचाजी अब और बर्दाश्त ना कर सको ओर चाचाजी उन पर टूट पडो और उन्हे अपने हाथ और मुँह में भरने लगो। अपनी चूचियों की चूसाईसे अब नेहा को उत्तेजना आने लगी, उसकी चूचियों के निपल तन के खड़े हो गये और उसको अपनी चूत में रस निकलता महसूस हुआ। और इससे नेहा की हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी, नेहा सिसक रही थी, “ आहह……आहह…. ….उईईईईईई….”। तब चाचाजी ऊसके निप्पल को चूसना छोडकर नेहा से पूछा, अच्छा लग रह है तुमको ?”। तो नेहा ने ज़ोर से सिसकारियाँ भरते हुए जवाब दिया, “आ…हाँ….बहुत अच्छा लग रहा है चाचाजी…..उन्न्ञन्नाआहह…”। तब चाचाजी ने नेहा की चूची को अपने हाथ से पकड़कर निपल के चारो और अपना अंगूठा घुमाने लगे, नेहा के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। चाचाजी के चूचियों को ज़ोर से मसलने से नेहा के मुँह से एक चीख निकली, उसका रिएक्शन देखकर चाचाजी हंसे और बोला,” बहु दर्द हुआ क्या ? लगता है अमीत ने ज्यादा मसला नही है इन्हे..”। ऐसे कहते हुए चाचाजी ने फिर नेहा की चूचियों को अपने हाथ से ऐसे पकड़ा जैसे वे उनका वजन तौल रहे हो, और फिर से उसके निपल्स को मुँह में भरकर चूसने लगे। चाचाजी उसकी चूचियों और निपल को चूसते और मसलते रहे और नेहा के मुँह से आह निकलती रही। चाचाजी ने ऐसे ही नेहा की निपल्स को मुँह में भरकर खुब चूसा तब तबतक जबतक ऊनका जी नही भर। चाचाजी ने नेहा की दूध जैसी गोरी बड़ी बड़ी चूचियों को चूस कर और मसलकर पुरा लाल कर दीया था। अब चाचाजी ने नेहा को उठाया और बेड पर पटक दिया। नेहा चाचाजी की ताक़त देखकर हैरान रह गयी, चाचाजी नेहा को एक बच्चे के जैसे उठा लिया और बेड पर फेंक दिया। नेहा की हाइट ५’५” थी और वेट ६० किलो था, पर चाचाजी ने बिना किसी परेशानी के उसे उठा के नरम बिस्तर पर पटक दिया था। नेहा ऐ सब देखकर चाचाजी से इंप्रेस होकर उनसे चोदने का इंतज़ार करने लगी। नेहा को बेड पर पड़े हुए अपना इंतज़ार करते देखकर चाचाजी मुस्कुराया और बोले, “बहु तुम्हारा दुध तो बडीया था, मै अब तुम्हारी खीर चखुंगा दोखतो है ऊसका स्वाद कैसा है?"। जवाब में नेहा सिर्फ़ सिसकारियाँ लेती रही, अब चाचाजी ने नेहा की पैंटी पर अपना हात फीराया तो उन्हे नेहा की पैंटी गीली महसुस हुई। तो चाचाजी ने नेहा से कहा, "अरे बहु मैने अभी सुरुभी नही किया ओर तुम्हारि मुनी तो अभी से रोने लगी है"। ओर यह कहतो हुये उन्हेने नेहा की गीली लेस वाली पैंटी को साईडसे पकडकर ऊसे खींचकर उतारने लगे, तो नेहा ने भी अपनी कमर उपर ऊठाकर उसे उतारने मे मदत की। चाचाजी ने नेहा की पैंटी उतारकर फेंक दिया, उसकी बिना बालों की चिकनी चूत देखकर चाचाजी के मुँह में पानी आ गया। चाचाजी ने देखा की नेहा को चूत के होंठ उत्तेजना से फूल गये हैं और क्लाइटॉरिस बिल्कुल तन चुका है। नेहा की चूत के उपर बालेंका नमो नीशान नही था, शायद उसने आज ही अपनी चूत के बाल साफ़ किए होंगे। तब मुझो याद आया की उस दीन नेहा जल्दी उठगयी थी, शायद उसने मेरे रेज़र से अपने चूत के सारे बाल साफ किए होंगे। क्युकी जाब मैने शेव करने के लीए उस दीन अपना रेज़र लीयाथा तब मुझो उसमे कुछ काले घने बाल मीले थे, मगर मैने उसपर उतना ध्यान नही दीया था। नेहा की गोरी गोरी मक्खन जैसी जांघें और फूली हुई चूत के गुलाबी होंठ देखकर चाचाजी उत्तेजना से पागल हो गयो ओर नेहा की चूत पर टूट पडो। नेहा की गुलाबी चूत के फूले होठों को देखकर चाचाजी कामवसना से पागल हो उठे, और ऊन्हेने नेहा की चूत में जीभ लगाकर चाटने लगे वो उसकी क्लिट को जीभ से छेड़ने लगे। “....उनन्नज्ग्घह... …...आअहह.......आअहह…...आअहह.....” चाचाजी की जीभ अपनी चूत पर रगड़ने से नेहा सिसकारियाँ लेने लगी। नेहा को अपनी चूत चटवाना बहुत पसंद था, चाचाजी के चूत चाटने से नेहा बहुत उत्तेजित हो गयी ओर उसकी चूत से रस निकलने लगा। नेहा उत्तेजना से भरकर अपने नितंबों को चाचाजी के मुँह पर उछालने लगी। चाचाजी नेहा की ईस कामुकता से हैरान रह गया और सोचने लगा ये तो बहुत ही मज़े ले रही है, उन्हेने अपनी जीभ लगाकर नेहा की चूत से बहते रस को चाटने लगो। फिर चाचाजी ने नेहा की दोने टाँगें खींचकर अलग कर दी और फिर उसकी फड़कती चूत में मुँह लगाकर चूत के अंदर जीभ डाल दी और उसे अंदर घुमाने लगे और अपने जीभ से चाटने लगे। नेहा लेटे हुए सिसकारियाँ लेने लगी और बडबडाने लगी “उहह….चाचाजी…. उन्न्नह…उननग्ज्ग……एसस्स्सस्स….ज़ोर से चाचाजी और ज़ोर से….” ऐसे बोलते हुऐ उसने अपने बड़े नितंबों को उछालकर चाचाजी के मुँह में झटका देने लगी। तब चाचाजी ने उसकी क्लिट को जीभ से छेड़ा और गीली चूत में अपनी एक उंगली घुसाकर अंदर बाहर करने लगे। नेहा इतनी ज़्यादा सेक्सुअली एग्ज़ाइटेड हो रखी थी की ऊसे जबरदस्त ओर्गास्म आ गया और वो "आहह….....ऊऊहह…......... उन्न्ञंफफ..... ऊऊहह....फ़फ़गगगघह....." करती हुई चाचाजी के मुँह में चूतरस बहाते हुए झड़ गयी। नेहा ने चाचाजी को सीर को अपने टाँगें के बीच आलिंगन में जकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी। चाचाजी भी अपना मुँह नेहा की चुत मे दबाये हुऐ उसकी बहाते हुऐ सारा चूतरस पीगये। फिर चाचाजी उठकर बैठगये और उन्हेने नेहा को भी गुड़िया के जैसे उठाया और अपनी गोद में बैठा लिया। फिर वो नेहा के खूबसूरत चेहरे को चूमने, चाटने लहे और उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को मसलते हुए चाचाजी बोले, “बहु तुम्हारा चूतरस तो तुम्हारे आमरसेभी मीठा है, मेरा तुम्हारी बोरको चाटना तुम्हे अच्छा लगा ?”। तब नेहा ने सर झुकाकर जवाब दिया, “जी चाचाजी बहुत अच्छा लगा, मै शादी के बाद पहली बार झडी हु"। तब चाचाजी ने फिरसे अपनी एक उंगली उसकी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगे, जब नेहा कुछ नही बोली तो चाचाजी ने कुछ देर बाद उसके चूत में दो उंगली डाल दी और नेहा को अपनी गोद में मनमर्ज़ी से उंगलीयोसे चोद रहे थे, और नेहा सिसकारियाँ ले रही थी। चाचाजी ने पुछा, “बहु मज़ा आ रहा है ना तुमको”। तो सिसकारियाँ लेते हुए नेहा बोली, "चाचाजी मै अमीतसे यही माँग रही थी"। चाचाजी द्वारा डॉमिनेट किए जाने से उसको बहुत कामतृप्ति मिलरही थी। फिर चाचाजी अपनी उंगलियाँ नेहा की चूत से बाहर निकाली और उसके मुँह में डाल दीया और कहा, “बहु चाटो मेरी उंगलियाँ और दोखो तुम्हारा चूतरस कीतना मीठा है", और नेहासे अपनी उंगलियाँ चटवाकर साफ़ करवाई। फिर गोद में बिठाये हुए ही उसकी चूचियां अपने मुँह में डालते हुऐ बोलो,”तू यही चाहरही थिना बहु ?", और फीर उसकी चूचियों को मुँह में भर लिया और चूसने लगो। फिर थेडी दिर बाद नेहा की चूचियों को चूस कर चाचाजी ने नेहा से पुछा, "बहु तुमको लंड चुसना पसंद है?", तो नेहाने मुस्कुराते हुए हा मे अपना सर हीलाया।
तब चाचाजी उठकर खडे हो गये और अपने कपड़े उतारने लगे। चाचाजी कद काठी में कोई खास नही थे, जैसे की मैने पहलेही पताया था उनकी ऊन्चाई करिब ५ फिट १० इंच थी और शरिर मोटा था, उनका वजन करिब १०० किलो से भी ज्याद का था और वे थेडे मोटे थे। नेहा को उनका शरीर देखकर थोड़ी निराशा हुई थी, लेकिन जब उन्हेने अपना पैंट और अंडरवियर उतारा तो उनका बड़े और मोटे तने हुए लंड को देखकर नेहा का मुँह खुला का खुला रह गया, उसकी आँखे चाचाजी के लंड पर ही जम गयी। चाचाजी का लंड बहुत लंबा और मोटा था, बो करिब १२ इंच लंबा और ४ इंच मोटा था। जीसके सामने मेरा ४ इंच लंबा और २ इंच मोटा लंड तो नुनी लगता था। उनका लंड मानो चाचाजी को भगवान का दिया हुवा वरदान हो, ताकी वो नेहा की तरहा दुनीयाकी सभी दुखीयारि औरतेंको खुशकर सके। उनका मोटा लंड अब खुली हवा में कीसी पोड के मोटे तनेकी तरहा नेहा के आंखोके सामने हुवा मे झटके खा रहा था। चाचाजी ने नेहा के चेहरे के भाव देखे उन्हे पहलेसेही इसकी आदत थी, जो भी औरत पहलीबार उनके लंड को देखती थी ऐसा ही रिएक्शन देती थी। चाचाजी बहुत अनुभवी चोदू था, कुछ औरतें उनके बड़े लंड को देखकर घबरा जाती थी और घबराहट से उनकी चूत बिल्कुल सूख जाती थी। तब चाचाजी उनको धैर्य से बहला फुसलाकर धीरे धीरे चोदतो थे, और जब औरत की चूत से रस निकलना शुरू हो जाता था तब वो उनको अच्छी तरह से चोदता थे। नेहा को देखकर चाचाजी समझ गयो की इसकी हालत भी वैसी ही हो रही है, उन्हेने आगे बढ़कर नेहा का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। अपने हाथ से बड़े लंड को दोखकर और महसूस करके नेहा डर गयी, ”नही नही….चाचाजी….मैं मर जाऊंगी, आपकाते इतना बड़ा है…”। पर चाचाजी भी कोयी कच्चा कीलाडी नही था वो बहुत अनुभवी और शातीर चोदू था। नेहा के कुछ और कहने से पहले ही चाचाजी ने अपने लंड के सुपाड़े को उसके होठों के बीच रख दिया, और धीमे धीमे नेहा के गाल और बाल सहलाते हुए बोले, ”घबराओ नही बहु मै तुम्हारे मज्री के बीना तुम्हासे साथ कुछ नही करुंगा। अभी तुम बस इसे थेडा चूसो.... सिर्फ़ चूसो कर दोखो और कुछ मत सोचो”। तब नेहा भी थेडी शांत हुई और चाचाजी को सुपाड़े को चूसने लगी, और चाचाजी भी धीरे धीरे करके कुछी दोर मे अपना आधो से ज़्यादा लंड उसके मुँह में घुसाने मे दिया। कुछ पल बाद चाचाजी को लगा की नेहा का दम घुट रहा है तो उसने लंड नेहा के मुँह से बाहर निकाल लिया और लार से सने हुए लंड को नेहा के चेहरे पर रगड़ने लगा। कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने फिर से लंड नेहा के मुँह में घुसा दिया, धीरे धीरे नेहा को चाचाजी को मोटे लंड की आदत हो जाने के बाद नेहा मज़े से चाचाजी का लंड चूसने लगी। कुछ देर बाद नेहा को भी अब मज़ा आ रहा था वो मन लगाकर लंड चूसने लगी, उसने तो चाचाजी की गोलियों को भी चूसने लगी, तब चाचाजी को लगा की मछली जाल मे फस रही है। चाचाजी को भी अब नेहा से अपना लंड चूसाकर मजा आनेलगा था, नेहा ने इतनी अच्छी तरह से मज़े ले लेके उनका लंड चूसा की उन्हे लगा की वो अब झड़ जाएगे। तब चाचाजी ने नेहा को रोक दिया और उससे पूछा की उसे लंड चूसने में मज़ा आ रहा है ? तो नेहा मुँह में लंड होने की वजह से कुछ नही बोल पाई, बस हाँ में सर हिला दिया। अपनी नयी शीकार नेहा को कोई विरोध ना करते देख चाचाजी बहुत खुश थे। फिर चाचाजी ने नेहा के सर को दोनो हाथ से पकड़कर उसका मुँह चोदना शुरू कर दिया, पहले तो धीरे धीरे फिर तेज तेज स्ट्रोक्स लगाए। कुछ देर बाद उसने नेहा का मुँह वीर्य से भर दिया, उसका दम ना घुट जाए इसलिए चाचाजी ने अपना लंड मुँह से बाहर निकाल लिया। इससे नेहा के चेहरे, बाल, कंधे, चूचियां सब जगह वीर्य की बूंदे गिर गयी। चाचाजी ने बहुतसारा वीर्य नेहा के मुँह में भरदीया था, तकरीबन ३० एम एल जितना वीर्य, नेहा जीतना निगल सकती थी उतना उसने निगल लिया फिर भी कुछ उसके होठों से बाहर बहने लगा। तब चाचाजी ने नेहा का मुँह, चेहरा चूसने लगे, उन्हेने नेहा के चेहरे और मुँह से अपना ही वीर्य चाट लिया। नेहा को पहली बार वीर्य का स्वाद चखने को मिला था, और उसे चाचाजी के वीर्य की हर एक बूँद बहुत अच्छी लगी थी। नेहा की चुत अब चूतरस से पूरी गीली हो चुकी थी, थोड़ा रस जांघों को भी गीला कर चुका था। जब चाचाजी उसको किस करने लगे तो उसकी सिसकारियाँ निकलने लगी, और नेहा ने हात बडाकर चाचाजी के बडे लंड को पकडकर उसे सहलाने लगी। नेहा ने जब चाचाजी के लंड को पकडा तब उसे हैरानी हुई की अभि अभि इतना वीर्य निकालने के बादभि उनका लंड अभिबी लोहे जैसे तनाहुआ है। ऐ दोखकर वो खुश हो गयी की उसे असली मर्द मीला है, क्युकी उसके पती अमीत का लंड तो वीर्य निकालने के बाद वापीस खडा भि नही होता था। नेहा की कामुकता देखकर चाचाजी अब और देर बर्दाश्त ना कर सके, वो समझ गये थे की नेहा अभी चुदाने को बिल्कुल रेडी है। चाचाजी ने नेहा को पीठ के बल लिटा दिया और उसकी दोने टाँगें खींचकर अलग कर दी, उसकी गोरी गोरी मक्खन जैसी जांघें और फूली हुई चूत के गुलाबी होंठ देखकर चाचाजी फिर उसकी फड़कती चूत में मुँह लगाकर चूत के अंदर जीभ लगाकर चाटने लगे। अब नेहा उत्तेजना से तड़प रही थी और वो चुदाई के लिए तरस रही थी उसने कहा, “ मुझे चोदो….हाँ मुझे चोदो चाचाजी…..प्लीज़….चोदोमुझे....”। तब चाचाजी ने कमरे में लगे CCTV कैमरा की तरफ दिखते हुऐ मुस्कुराने लगे, मुझे पताथा लगा की ये वो मुझे दीखनेके लीए कर रहे थे की दोखो कैसे तुम्हारी पतनी नेहा मुझसे चुदनेके लीए तडप रही है। लेकिन नेहा को ईस बात का पता नही था की कमरे में CCTV कैमरा लगे हुए है ओर से ये सब रेकॉर्ड हो रहा है। फिर की चाचाजी ने नेहा की टांगों को उठा कर अपने कंधों पों रख लिया और नेहा की टाइट चूत के छेद पर अपने स्खंत लंड का सूपाड़ा रगडने लगे। नेहा बेड पर पड़े हुए चाचाजी को अपने अंदर लंड धुसानेका इंतज़ार करते देखकर चाचाजी मुस्कुराया और बोला, “बहु तुम्हारा पति तुम्हें बच्चा नही दे सकता, कोई बात नही……….मैं तुम्हें बच्चा दूँगा जीसे तुम्हारी बंजर गोद हरीभरी हो जायेगी और तुम्हासे सुनसान खमोंश जींदगी मे बच्चो की कीलकारी सुनाई दोगी”, तब जवाब में नेहा सिर्फ़ सिसकारियाँ लेती रही। चाचाजी ने अपना स्खंत लंड नेहा की प्यासी परंतु गीली चूत पर लगाया और उत्तेजना से फूले हुए चूत के होठों के भीतर डालकर एक झटके में सुपाड़ा अंदर घुसा दिया। चाचाजी को लंड का सुपाड़ा नेहा की टाइट चूत की दीवारों को फैलाते हुए जैसे ही अंदर घुसा, नेहा के मुँह से चीख निकल गयी। नेहा दर्द से चिल्लाई , “ओइईई…. माआआ…. प्लीज़ चाचाजी बाहर निकालो.... मैं इतना मोटा नही ले सकती”। उसके माथे पर पसीना आकर उसके चेहरे पर बहने लगा, नेहा बहुत घबरा गयी वो चिल्लाई , “आआआअहह..…ओइईईईईईईईईईईईईई…..म्म्म्माआआआआआआ….. तुम मेरी फाड़ दोगे चाचाजी …….उईईईईई……..माआआअ..….”। वैसे तो नेहा की शादी को दो साल हो गये थे लेकिन उसकी चूत इतना स्ट्रेच कभी नही हुई थी, क्युकी नेहा की चुत को अबतक सीर्फ अमीत के ४ इंच की नुनी से चुदईकी आदत थी, और अब्ब अचानक वो चाचाजी का १२ इंच का मुहसल झोल नही पारही थी। वो चाचाजी से हाथ जोड़ने लगी प्लीज़ मुझे छोड़ दो, पर चाचाजी को ऐसा लग रहा था जैसी वो किसी कुँवारी लड़की की टाइट चूत को चोद रहा है, इससे उसकी उत्तेजना और भी बढ़ गयी और उनका जोश दुगना हो गया। पर अब घबराहट से नेहा की गीली चूत भी सूख चुकी थी और चाचाजी को डर था की बिना ल्यूब्रिकेशन के सूखी चूत में मोटे लंड से चुदईमें दर्द और भी बढ़ जाएगा। तो चाचाजी ने अपने लंड का सुपाड़ा बाहर निकाल लिया और नेहा से कहने लगे, "बहु बस थेडीदोरके लीए ऐ दर्द सहलो अपने हिनेवाले बच्चोके लीए ऐ दर्द सहलो, फिर तुम्हे कभी कीसी चीजसे दर्द नही हिगा", ऐसे बोलकर चाचाजी ने नेहा को ईमोंशनल ब्लाकमेंल करनेलगे। फिर जब नेहाका दर्द कुछ कम हुआ तो उसने खुदसे चाचाजी को फिरसे उसे चोदनेके कहा। तब चाचाजी ने अपने लंडके सुपाडोपर थोड़ा थूक लगाया और फिर से नेहा की चूत में डाल दिया, थोड़ी देर तक वो ऐसा ही करते रहे। वो सिर्फ़ सुपाड़ा घुसातो फिर निकाल लेतो और फिर उसपर थोड़ा थूक लगाते और फिर सुपाड़ा घुसा दोते। थोड़ी देर बाद नेहा को सुपाड़ा घुसाने से दर्द होना बंद हो गया, अब चाचाजी ने धीरे धीरे लंड को और अंदर डालना शुरू किया। चाचाजी बड़ी मुश्किल से नेहा की चूत में आधा लंड ही घुसा पायो थे, अब आगे को लंड घुस ही नही पा रहा था। पर वो धीरे धीरे और ज़्यादा लंड अंदर घुसाने की कोशिश करतो रहे, जब चाचाजी का आधा लंड अंदर घुस गया तो फिर उतने को ही वो धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगो। कुछ पल बाद नेहा भी उत्तेजना से अपने नितंबों को ऊपर को उछालने लगी, अब फिर से उस की चुत अपना चूतरस निकलने लगी थी। जब चाचाजी को अपने लंड पे नेहा की चुत का गीलापन महसुस हुवा तो वो उत्तेजना से फूले हुए चूत के भीतर अपने बाकीका लंड एक झटके में अंदर घुसा दिया। नेहा की टाइट चूत की दीवारों को फैलाते हुए जैसे ही लंड अंदर घुसा, नेहा के मुँह से चीख निकल गयी, “आह…उन्न्ञन्…..ओइईईईईईईई…..माआआ….चाचाजी मैं मर गई आपने मेरी फाड़ दी...."। ऐसा करके चाचाजी ने अपना पूरा लंड जड़ तक चूत के अंदर घुसाने में सफल हो गये थे, नेहा ने दर्द के मारे चाचाजी की पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा दिए थे और उसकी आंख सफेद होगई वो तेज तेज सिसकारियाँ ले रही थी। अब चाचाजी नेहा से कहने लगे, "बस होगया बहु, यो आखरी दर्द सहलो अब ईसके बाद दर्द नही होगा, देखो तुंम्हारी मुनीने मेरा पुरा लंड जड़ तक खालीया है"। जब चाचाजी ने यो बात कही तो नेहा को यकीन नही हुवा तो उसने अपना एक हात ऊन दोनेके बीच धुसाकर अपने चुत और चाचाजी के लंड को टटोलकर दोखा। सचमें चाचाजी का लंड पुरा जड़ तक उसकी चुतमें धुसा गया था और नेहा को हात सीर्फ चाचाजी को गोटीया लग रही थी। जब चाचाजी ने नेहा से पुछा, “नेहा, तुम्हें अब कैसा लग रहा है ? ” तो नेहा सिसकारियों के बीच बोली, “ ऊ...आअहह….इट फील्स सो गुड….”। फिर चाचाजी ने अपने पूरे लंड को नेहा की चूत में गहराई तक घुसाकर लम्बे लेकिन धीमे स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए, चाचाजी के ताकतवर धक्कों से नेहा का जिस्म हिल गया उत्तेजना में अब वो भी अपनी गांड ऊपर को उछालकर चाचाजी के धक्कों का जवाब देने लगी। “आआहाआंन्न…..बहुत मज़ा आ रहा है…..चोदो…चोदो…उईईई माआ....और चोदो.…” उत्तेजना में अपने नितंबों को ऊपर उछालती हुई नेहा बोली। अब चाचाजी ने तेज़ी से स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए उसकी गोटींयाँ नेहा की उठी हुई गांड से टकराने लगी और ठप... ठप... ठप... की आवाज़ पूरे बेडरूम में गूंजने लगी। दोनो के बदन पसीने से लथपथ हो गये, नेहा की सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूंजने लगी। नेहा चाचाजी के जबरदस्त स्ट्रोक्स से रोमांचित हो गयी और अपनी जिंदगी में पहली बार उसको चुदाई का भरपूर आनंद मिल रहा था। चाचाजी के बडे लंड के चूत की दीवारों में रगड़ खाने से नेहा की चीखें अब सिसकारियों में बदल गयी थी। चाचाजी नेहा की चूत की टाइटनेस से बड़ा खुश हुये की इस शादीशुदा औरत की चूत तो कुँवारी लड़की जैसी टाइट है। ज़रूर इसके पति का लंड पतला होगा जिससे चूत फैल ना पाने से यो टाइट ही रह गयी है। चाचाजी ने नेहा से पुछा, “मज़ा आ रहा है ना बहु ? तेरी चूत तो बहुत टाइट और मस्त है”, नेहा की टाइट चूत के मज़े लेते हुए चाचाजी बोलो। मादक नेहा को अपने से चुदते हुए और सिसकारियाँ लेते हुए देखकर बुड्ढा अपने पहलवान लंड की तरह खुदको भी जवान महसूस कर रहा था। “उंगग्घह….अहह……और ज़ोर से चोदो ……अहह”, नेहा ने चाचाजी से आग्रह किया और अपनी गांड ऊपर उछालने लगी। नेहा को मज़े में अपनी गांड ऊपर उछालते देखकर चाचाजी भी जोश में आ गया और उसने नेहा की चूत में ताबड़तोड़ स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए। उसकी बडी मजबुत जांधें तेज़ी से नेहा की गांड से टकराने से पठ...पठ...पठ...पठ की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी। चाचाजी ने नेहा के आग्रह करने पर फटाफट तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए, तेज तेज धक्कों से नेहा की बड़ी बड़ी गोरी चूचियाँ धक्कों के साथ ही तेज़ी से हिलने लगी। इस मादक दृश्य को देखकर चाचाजी कामाआनंद से पागल हो उठे और उन्हेने अपने दोनो हाथ नेहा की बड़ी बड़ी चूचियों पर रख दिए और उन्हे बेरहमीसे मसलते हुये तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए। चाचाजी तेज तेज धक्के लगाए जा रहा था और नेहा को ओर्गास्म आने ही वाला था, ये देखकर चाचाजी ने उसे तड़पाने के लिए अचानक धक्के लगाना बंद कर दिया। नेहा चिल्लाई , “यू बास्टर्ड... धक्के बंद क्यों कर दिए, प्लीज़ धक्के लगाओ ना चाचाजी, आई ऍम कमिंगम्मींगगगग….. फक मी…….चोदो मुझे...…कमीने बुड्ढो..... तुम शुरू से मुझे चोदना चाहते थे ना...… पहलो दीन से तुम्हारी मेरे ऊपर बुरी नजर थी मै जानती हु, अब रुक क्यूँ गये बुड्ढो……. चोदो मुझे..... ओइईईईई.....आह……ओइइ….. माआअ…..” कहते हुऐ वो खुद ही अपनी कमर ऊछालने लगी। नेहा को मुहसे ऐसी गंदी गालीया सुनकर मैतो हैरान होगया, पर चाचाजी ने मुस्कुराते हुए फिर जोरदार धक्के लगाने चालू किए, जैसे उनके पहलोसिही पता हो नेहा के इस रुप को बारेमें। नेहा ने मदहोशी में देखा, बुड्ढा चाचाजी पसीने से भीगा हुआ धक्के पर धक्के लगाए जा रहा है, चाचाजी नेहा की बड़ी बड़ी दूध जैसी गोरी गोरी चूचियों को दोनो हाथ से बुरी तरह से मसलते हुए धक्के लगाते रहे। कुछ पलों बाद नेहा को ओर्गास्म आ गया और वो झड़ने लगी….. ” ओइइ….माआआ…अहह….ओह…. माआआ….”। पर चाचाजी ने धक्कों की रफ़्तार कम नही की उसके साथ ही नेहा की सिसकारियाँ भी बढ़ती चली गयी "……..ह…………अन्णन्न्……….…उगगगगगगग….." कुछ देर बाद उसको एक और जबरदस्त ओर्गास्म आया और पूरा कमरा उसकी चीखों से गूंजने लगा "आई ऍम कमिंगम्मींगगगग..…." और वो फिरसे झड़ने लगी……। इस मादक दृश्य को देखकर चाचाजी भी ज़्यादा देर रुक नही पाया और कुछ देर तक धक्के लगाने के बाद खूबसूरत नेहा की टाइट चूत को उसने अपने गरम वीर्य से पूरा भर दिया और नीडाल होकर नेहाके उपर ही लोट गाऐ। नेहा ने अपनी चूत में चाचाजी के गरम वीर्य को महसूस किया, और इस बात का शुक्र मनाया की इतना सारा वीर्य अपनी चूत की गहराई में घुसने से वो अब ज़रूर प्रेग्नेंट हो जायेगी। कुछ देर बाद चाचाजी अपने सारा गरम वीर्य नेहा की चूत की गहराई में ऊतारने को बाद, नेहा की चूत से लंड बाहर निकालकर वो नेहा के बगल में लेट गये। दोनो के बदन पसीने से भीग गये थे और साँसे रुक रुक कर चल रही थी।
तब चाचाजी उठकर खडे हो गये और अपने कपड़े उतारने लगे। चाचाजी कद काठी में कोई खास नही थे, जैसे की मैने पहलेही पताया था उनकी ऊन्चाई करिब ५ फिट १० इंच थी और शरिर मोटा था, उनका वजन करिब १०० किलो से भी ज्याद का था और वे थेडे मोटे थे। नेहा को उनका शरीर देखकर थोड़ी निराशा हुई थी, लेकिन जब उन्हेने अपना पैंट और अंडरवियर उतारा तो उनका बड़े और मोटे तने हुए लंड को देखकर नेहा का मुँह खुला का खुला रह गया, उसकी आँखे चाचाजी के लंड पर ही जम गयी। चाचाजी का लंड बहुत लंबा और मोटा था, बो करिब १२ इंच लंबा और ४ इंच मोटा था। जीसके सामने मेरा ४ इंच लंबा और २ इंच मोटा लंड तो नुनी लगता था। उनका लंड मानो चाचाजी को भगवान का दिया हुवा वरदान हो, ताकी वो नेहा की तरहा दुनीयाकी सभी दुखीयारि औरतेंको खुशकर सके। उनका मोटा लंड अब खुली हवा में कीसी पोड के मोटे तनेकी तरहा नेहा के आंखोके सामने हुवा मे झटके खा रहा था। चाचाजी ने नेहा के चेहरे के भाव देखे उन्हे पहलेसेही इसकी आदत थी, जो भी औरत पहलीबार उनके लंड को देखती थी ऐसा ही रिएक्शन देती थी। चाचाजी बहुत अनुभवी चोदू था, कुछ औरतें उनके बड़े लंड को देखकर घबरा जाती थी और घबराहट से उनकी चूत बिल्कुल सूख जाती थी। तब चाचाजी उनको धैर्य से बहला फुसलाकर धीरे धीरे चोदतो थे, और जब औरत की चूत से रस निकलना शुरू हो जाता था तब वो उनको अच्छी तरह से चोदता थे। नेहा को देखकर चाचाजी समझ गयो की इसकी हालत भी वैसी ही हो रही है, उन्हेने आगे बढ़कर नेहा का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। अपने हाथ से बड़े लंड को दोखकर और महसूस करके नेहा डर गयी, ”नही नही….चाचाजी….मैं मर जाऊंगी, आपकाते इतना बड़ा है…”। पर चाचाजी भी कोयी कच्चा कीलाडी नही था वो बहुत अनुभवी और शातीर चोदू था। नेहा के कुछ और कहने से पहले ही चाचाजी ने अपने लंड के सुपाड़े को उसके होठों के बीच रख दिया, और धीमे धीमे नेहा के गाल और बाल सहलाते हुए बोले, ”घबराओ नही बहु मै तुम्हारे मज्री के बीना तुम्हासे साथ कुछ नही करुंगा। अभी तुम बस इसे थेडा चूसो.... सिर्फ़ चूसो कर दोखो और कुछ मत सोचो”। तब नेहा भी थेडी शांत हुई और चाचाजी को सुपाड़े को चूसने लगी, और चाचाजी भी धीरे धीरे करके कुछी दोर मे अपना आधो से ज़्यादा लंड उसके मुँह में घुसाने मे दिया। कुछ पल बाद चाचाजी को लगा की नेहा का दम घुट रहा है तो उसने लंड नेहा के मुँह से बाहर निकाल लिया और लार से सने हुए लंड को नेहा के चेहरे पर रगड़ने लगा। कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने फिर से लंड नेहा के मुँह में घुसा दिया, धीरे धीरे नेहा को चाचाजी को मोटे लंड की आदत हो जाने के बाद नेहा मज़े से चाचाजी का लंड चूसने लगी। कुछ देर बाद नेहा को भी अब मज़ा आ रहा था वो मन लगाकर लंड चूसने लगी, उसने तो चाचाजी की गोलियों को भी चूसने लगी, तब चाचाजी को लगा की मछली जाल मे फस रही है। चाचाजी को भी अब नेहा से अपना लंड चूसाकर मजा आनेलगा था, नेहा ने इतनी अच्छी तरह से मज़े ले लेके उनका लंड चूसा की उन्हे लगा की वो अब झड़ जाएगे। तब चाचाजी ने नेहा को रोक दिया और उससे पूछा की उसे लंड चूसने में मज़ा आ रहा है ? तो नेहा मुँह में लंड होने की वजह से कुछ नही बोल पाई, बस हाँ में सर हिला दिया। अपनी नयी शीकार नेहा को कोई विरोध ना करते देख चाचाजी बहुत खुश थे। फिर चाचाजी ने नेहा के सर को दोनो हाथ से पकड़कर उसका मुँह चोदना शुरू कर दिया, पहले तो धीरे धीरे फिर तेज तेज स्ट्रोक्स लगाए। कुछ देर बाद उसने नेहा का मुँह वीर्य से भर दिया, उसका दम ना घुट जाए इसलिए चाचाजी ने अपना लंड मुँह से बाहर निकाल लिया। इससे नेहा के चेहरे, बाल, कंधे, चूचियां सब जगह वीर्य की बूंदे गिर गयी। चाचाजी ने बहुतसारा वीर्य नेहा के मुँह में भरदीया था, तकरीबन ३० एम एल जितना वीर्य, नेहा जीतना निगल सकती थी उतना उसने निगल लिया फिर भी कुछ उसके होठों से बाहर बहने लगा। तब चाचाजी ने नेहा का मुँह, चेहरा चूसने लगे, उन्हेने नेहा के चेहरे और मुँह से अपना ही वीर्य चाट लिया। नेहा को पहली बार वीर्य का स्वाद चखने को मिला था, और उसे चाचाजी के वीर्य की हर एक बूँद बहुत अच्छी लगी थी। नेहा की चुत अब चूतरस से पूरी गीली हो चुकी थी, थोड़ा रस जांघों को भी गीला कर चुका था। जब चाचाजी उसको किस करने लगे तो उसकी सिसकारियाँ निकलने लगी, और नेहा ने हात बडाकर चाचाजी के बडे लंड को पकडकर उसे सहलाने लगी। नेहा ने जब चाचाजी के लंड को पकडा तब उसे हैरानी हुई की अभि अभि इतना वीर्य निकालने के बादभि उनका लंड अभिबी लोहे जैसे तनाहुआ है। ऐ दोखकर वो खुश हो गयी की उसे असली मर्द मीला है, क्युकी उसके पती अमीत का लंड तो वीर्य निकालने के बाद वापीस खडा भि नही होता था। नेहा की कामुकता देखकर चाचाजी अब और देर बर्दाश्त ना कर सके, वो समझ गये थे की नेहा अभी चुदाने को बिल्कुल रेडी है। चाचाजी ने नेहा को पीठ के बल लिटा दिया और उसकी दोने टाँगें खींचकर अलग कर दी, उसकी गोरी गोरी मक्खन जैसी जांघें और फूली हुई चूत के गुलाबी होंठ देखकर चाचाजी फिर उसकी फड़कती चूत में मुँह लगाकर चूत के अंदर जीभ लगाकर चाटने लगे। अब नेहा उत्तेजना से तड़प रही थी और वो चुदाई के लिए तरस रही थी उसने कहा, “ मुझे चोदो….हाँ मुझे चोदो चाचाजी…..प्लीज़….चोदोमुझे....”। तब चाचाजी ने कमरे में लगे CCTV कैमरा की तरफ दिखते हुऐ मुस्कुराने लगे, मुझे पताथा लगा की ये वो मुझे दीखनेके लीए कर रहे थे की दोखो कैसे तुम्हारी पतनी नेहा मुझसे चुदनेके लीए तडप रही है। लेकिन नेहा को ईस बात का पता नही था की कमरे में CCTV कैमरा लगे हुए है ओर से ये सब रेकॉर्ड हो रहा है। फिर की चाचाजी ने नेहा की टांगों को उठा कर अपने कंधों पों रख लिया और नेहा की टाइट चूत के छेद पर अपने स्खंत लंड का सूपाड़ा रगडने लगे। नेहा बेड पर पड़े हुए चाचाजी को अपने अंदर लंड धुसानेका इंतज़ार करते देखकर चाचाजी मुस्कुराया और बोला, “बहु तुम्हारा पति तुम्हें बच्चा नही दे सकता, कोई बात नही……….मैं तुम्हें बच्चा दूँगा जीसे तुम्हारी बंजर गोद हरीभरी हो जायेगी और तुम्हासे सुनसान खमोंश जींदगी मे बच्चो की कीलकारी सुनाई दोगी”, तब जवाब में नेहा सिर्फ़ सिसकारियाँ लेती रही। चाचाजी ने अपना स्खंत लंड नेहा की प्यासी परंतु गीली चूत पर लगाया और उत्तेजना से फूले हुए चूत के होठों के भीतर डालकर एक झटके में सुपाड़ा अंदर घुसा दिया। चाचाजी को लंड का सुपाड़ा नेहा की टाइट चूत की दीवारों को फैलाते हुए जैसे ही अंदर घुसा, नेहा के मुँह से चीख निकल गयी। नेहा दर्द से चिल्लाई , “ओइईई…. माआआ…. प्लीज़ चाचाजी बाहर निकालो.... मैं इतना मोटा नही ले सकती”। उसके माथे पर पसीना आकर उसके चेहरे पर बहने लगा, नेहा बहुत घबरा गयी वो चिल्लाई , “आआआअहह..…ओइईईईईईईईईईईईईई…..म्म्म्माआआआआआआ….. तुम मेरी फाड़ दोगे चाचाजी …….उईईईईई……..माआआअ..….”। वैसे तो नेहा की शादी को दो साल हो गये थे लेकिन उसकी चूत इतना स्ट्रेच कभी नही हुई थी, क्युकी नेहा की चुत को अबतक सीर्फ अमीत के ४ इंच की नुनी से चुदईकी आदत थी, और अब्ब अचानक वो चाचाजी का १२ इंच का मुहसल झोल नही पारही थी। वो चाचाजी से हाथ जोड़ने लगी प्लीज़ मुझे छोड़ दो, पर चाचाजी को ऐसा लग रहा था जैसी वो किसी कुँवारी लड़की की टाइट चूत को चोद रहा है, इससे उसकी उत्तेजना और भी बढ़ गयी और उनका जोश दुगना हो गया। पर अब घबराहट से नेहा की गीली चूत भी सूख चुकी थी और चाचाजी को डर था की बिना ल्यूब्रिकेशन के सूखी चूत में मोटे लंड से चुदईमें दर्द और भी बढ़ जाएगा। तो चाचाजी ने अपने लंड का सुपाड़ा बाहर निकाल लिया और नेहा से कहने लगे, "बहु बस थेडीदोरके लीए ऐ दर्द सहलो अपने हिनेवाले बच्चोके लीए ऐ दर्द सहलो, फिर तुम्हे कभी कीसी चीजसे दर्द नही हिगा", ऐसे बोलकर चाचाजी ने नेहा को ईमोंशनल ब्लाकमेंल करनेलगे। फिर जब नेहाका दर्द कुछ कम हुआ तो उसने खुदसे चाचाजी को फिरसे उसे चोदनेके कहा। तब चाचाजी ने अपने लंडके सुपाडोपर थोड़ा थूक लगाया और फिर से नेहा की चूत में डाल दिया, थोड़ी देर तक वो ऐसा ही करते रहे। वो सिर्फ़ सुपाड़ा घुसातो फिर निकाल लेतो और फिर उसपर थोड़ा थूक लगाते और फिर सुपाड़ा घुसा दोते। थोड़ी देर बाद नेहा को सुपाड़ा घुसाने से दर्द होना बंद हो गया, अब चाचाजी ने धीरे धीरे लंड को और अंदर डालना शुरू किया। चाचाजी बड़ी मुश्किल से नेहा की चूत में आधा लंड ही घुसा पायो थे, अब आगे को लंड घुस ही नही पा रहा था। पर वो धीरे धीरे और ज़्यादा लंड अंदर घुसाने की कोशिश करतो रहे, जब चाचाजी का आधा लंड अंदर घुस गया तो फिर उतने को ही वो धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगो। कुछ पल बाद नेहा भी उत्तेजना से अपने नितंबों को ऊपर को उछालने लगी, अब फिर से उस की चुत अपना चूतरस निकलने लगी थी। जब चाचाजी को अपने लंड पे नेहा की चुत का गीलापन महसुस हुवा तो वो उत्तेजना से फूले हुए चूत के भीतर अपने बाकीका लंड एक झटके में अंदर घुसा दिया। नेहा की टाइट चूत की दीवारों को फैलाते हुए जैसे ही लंड अंदर घुसा, नेहा के मुँह से चीख निकल गयी, “आह…उन्न्ञन्…..ओइईईईईईईई…..माआआ….चाचाजी मैं मर गई आपने मेरी फाड़ दी...."। ऐसा करके चाचाजी ने अपना पूरा लंड जड़ तक चूत के अंदर घुसाने में सफल हो गये थे, नेहा ने दर्द के मारे चाचाजी की पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा दिए थे और उसकी आंख सफेद होगई वो तेज तेज सिसकारियाँ ले रही थी। अब चाचाजी नेहा से कहने लगे, "बस होगया बहु, यो आखरी दर्द सहलो अब ईसके बाद दर्द नही होगा, देखो तुंम्हारी मुनीने मेरा पुरा लंड जड़ तक खालीया है"। जब चाचाजी ने यो बात कही तो नेहा को यकीन नही हुवा तो उसने अपना एक हात ऊन दोनेके बीच धुसाकर अपने चुत और चाचाजी के लंड को टटोलकर दोखा। सचमें चाचाजी का लंड पुरा जड़ तक उसकी चुतमें धुसा गया था और नेहा को हात सीर्फ चाचाजी को गोटीया लग रही थी। जब चाचाजी ने नेहा से पुछा, “नेहा, तुम्हें अब कैसा लग रहा है ? ” तो नेहा सिसकारियों के बीच बोली, “ ऊ...आअहह….इट फील्स सो गुड….”। फिर चाचाजी ने अपने पूरे लंड को नेहा की चूत में गहराई तक घुसाकर लम्बे लेकिन धीमे स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए, चाचाजी के ताकतवर धक्कों से नेहा का जिस्म हिल गया उत्तेजना में अब वो भी अपनी गांड ऊपर को उछालकर चाचाजी के धक्कों का जवाब देने लगी। “आआहाआंन्न…..बहुत मज़ा आ रहा है…..चोदो…चोदो…उईईई माआ....और चोदो.…” उत्तेजना में अपने नितंबों को ऊपर उछालती हुई नेहा बोली। अब चाचाजी ने तेज़ी से स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए उसकी गोटींयाँ नेहा की उठी हुई गांड से टकराने लगी और ठप... ठप... ठप... की आवाज़ पूरे बेडरूम में गूंजने लगी। दोनो के बदन पसीने से लथपथ हो गये, नेहा की सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूंजने लगी। नेहा चाचाजी के जबरदस्त स्ट्रोक्स से रोमांचित हो गयी और अपनी जिंदगी में पहली बार उसको चुदाई का भरपूर आनंद मिल रहा था। चाचाजी के बडे लंड के चूत की दीवारों में रगड़ खाने से नेहा की चीखें अब सिसकारियों में बदल गयी थी। चाचाजी नेहा की चूत की टाइटनेस से बड़ा खुश हुये की इस शादीशुदा औरत की चूत तो कुँवारी लड़की जैसी टाइट है। ज़रूर इसके पति का लंड पतला होगा जिससे चूत फैल ना पाने से यो टाइट ही रह गयी है। चाचाजी ने नेहा से पुछा, “मज़ा आ रहा है ना बहु ? तेरी चूत तो बहुत टाइट और मस्त है”, नेहा की टाइट चूत के मज़े लेते हुए चाचाजी बोलो। मादक नेहा को अपने से चुदते हुए और सिसकारियाँ लेते हुए देखकर बुड्ढा अपने पहलवान लंड की तरह खुदको भी जवान महसूस कर रहा था। “उंगग्घह….अहह……और ज़ोर से चोदो ……अहह”, नेहा ने चाचाजी से आग्रह किया और अपनी गांड ऊपर उछालने लगी। नेहा को मज़े में अपनी गांड ऊपर उछालते देखकर चाचाजी भी जोश में आ गया और उसने नेहा की चूत में ताबड़तोड़ स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए। उसकी बडी मजबुत जांधें तेज़ी से नेहा की गांड से टकराने से पठ...पठ...पठ...पठ की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी। चाचाजी ने नेहा के आग्रह करने पर फटाफट तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए, तेज तेज धक्कों से नेहा की बड़ी बड़ी गोरी चूचियाँ धक्कों के साथ ही तेज़ी से हिलने लगी। इस मादक दृश्य को देखकर चाचाजी कामाआनंद से पागल हो उठे और उन्हेने अपने दोनो हाथ नेहा की बड़ी बड़ी चूचियों पर रख दिए और उन्हे बेरहमीसे मसलते हुये तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए। चाचाजी तेज तेज धक्के लगाए जा रहा था और नेहा को ओर्गास्म आने ही वाला था, ये देखकर चाचाजी ने उसे तड़पाने के लिए अचानक धक्के लगाना बंद कर दिया। नेहा चिल्लाई , “यू बास्टर्ड... धक्के बंद क्यों कर दिए, प्लीज़ धक्के लगाओ ना चाचाजी, आई ऍम कमिंगम्मींगगगग….. फक मी…….चोदो मुझे...…कमीने बुड्ढो..... तुम शुरू से मुझे चोदना चाहते थे ना...… पहलो दीन से तुम्हारी मेरे ऊपर बुरी नजर थी मै जानती हु, अब रुक क्यूँ गये बुड्ढो……. चोदो मुझे..... ओइईईईई.....आह……ओइइ….. माआअ…..” कहते हुऐ वो खुद ही अपनी कमर ऊछालने लगी। नेहा को मुहसे ऐसी गंदी गालीया सुनकर मैतो हैरान होगया, पर चाचाजी ने मुस्कुराते हुए फिर जोरदार धक्के लगाने चालू किए, जैसे उनके पहलोसिही पता हो नेहा के इस रुप को बारेमें। नेहा ने मदहोशी में देखा, बुड्ढा चाचाजी पसीने से भीगा हुआ धक्के पर धक्के लगाए जा रहा है, चाचाजी नेहा की बड़ी बड़ी दूध जैसी गोरी गोरी चूचियों को दोनो हाथ से बुरी तरह से मसलते हुए धक्के लगाते रहे। कुछ पलों बाद नेहा को ओर्गास्म आ गया और वो झड़ने लगी….. ” ओइइ….माआआ…अहह….ओह…. माआआ….”। पर चाचाजी ने धक्कों की रफ़्तार कम नही की उसके साथ ही नेहा की सिसकारियाँ भी बढ़ती चली गयी "……..ह…………अन्णन्न्……….…उगगगगगगग….." कुछ देर बाद उसको एक और जबरदस्त ओर्गास्म आया और पूरा कमरा उसकी चीखों से गूंजने लगा "आई ऍम कमिंगम्मींगगगग..…." और वो फिरसे झड़ने लगी……। इस मादक दृश्य को देखकर चाचाजी भी ज़्यादा देर रुक नही पाया और कुछ देर तक धक्के लगाने के बाद खूबसूरत नेहा की टाइट चूत को उसने अपने गरम वीर्य से पूरा भर दिया और नीडाल होकर नेहाके उपर ही लोट गाऐ। नेहा ने अपनी चूत में चाचाजी के गरम वीर्य को महसूस किया, और इस बात का शुक्र मनाया की इतना सारा वीर्य अपनी चूत की गहराई में घुसने से वो अब ज़रूर प्रेग्नेंट हो जायेगी। कुछ देर बाद चाचाजी अपने सारा गरम वीर्य नेहा की चूत की गहराई में ऊतारने को बाद, नेहा की चूत से लंड बाहर निकालकर वो नेहा के बगल में लेट गये। दोनो के बदन पसीने से भीग गये थे और साँसे रुक रुक कर चल रही थी।
ಇ೦ತಿ ನಿಮ್ಮ,
ಕಾಮರಾಜ
ಕಾಮರಾಜ