06-05-2025, 09:05 PM
UPDATE 6.2 A
मैं धीरे से चलते हुए पैसेज वाली जगह पहुंचा. मैने पैसेज का गुप्त द्वारा धीरे से खोल दिया... इस पैसेज में भी वही वाली सुविधा थी जैसे कि पूरे कमरे में क्या हो रहा है यह सब ठीक तरीके से दिखे.. पर मेरे लिए एक नई समस्या खड़ी हो गई थी कि पूजा घर के कमरे में पूरा अंधेरा समाया दिख रहा था... और अब मैं इस अंधेरे में क्या हो रहा है यह कैसे देखूं...? हा दोस्तो... पूजा घर में पूरा अंधेरा था... पर इस अंधेरे को चीरते हुए मां की तेज सांसे पूरे कमरे में गूंज रही थी... क्या कर रहा था असुर उनके साथ... ? दोनों चुप क्यों थे...? तभी मेरी ये अभिलाषा भी उसी पल पूरी हो गई... उस शांत अंधेरे में मुझे मां की आवाज सुनाई पड़ी...
" आपने मुझे पुरी तरह नंगी तो कर ही लिया हैं... अब आप अपनी हवस भी मुझ अभागी पर उतार लीजिए... मैं किसी भी चीज के लिए मना नहीं करूंगी.... पर आप और आपके परिवार ने बाहर अभी जो गंदी योजना बनाई थी... उससे में पूरी तरह टूट चुकी हूं... आप मेरे शरीर को जैसे चाहे भोग सकते हैं... पर अब मैं मन से आपको कभी नहीं अपना पाऊंगी..."
मां की बात से यह तय था कि अब मां असुर के साथ इस अंधेरे कमरे में पूरी तरह नंगी खड़ी थीं... उनकी पैंटी तो असुर ने पहले ही बाहर फाड़ दी थी... अब शायद उनकी ब्रा भी असुर ने निकाल दी थी.. कुछ देर के लिए कमरे में पूरा सन्नाटा था.. फिर असुर की कड़क आवाज उसके जवाब को लेकर हाजिर हो गई..
" पूनम मेरी जान... यह सब तो प्रताप दादा और मां का करा धरा हैं... मुझे तो कुछ, पता ही नहीं था.. मैने तो सिर्फ तुम्हे कंडोम पहनकर चोदने के लिए ना कहा था... मैं तो तुम्हारी चूत को मेरे लंड के चमड़ी को महसूस कराता हुआ उसे अंदर तक पहुंचाना चाहता था.. में तुम्हारी मर्जी से ही तुम्हारे जिस्म का रस चखना चाहता था...
.... मेरी बात को समझो मेरी जान. "
असुर के ऐसा कहते ही मुझे यह पता चल चुका था कि यह उसकी कोई नई चाल थी... पर मां इसमें फंसेगी या नहीं यह देखना अभी बाकी था.
" मुझे कुछ सुनना नहीं है... आ जाईए... और मिटाइए अपनी हवस... आप ही ने कहा था ना कि मैं आपकी दासी हूं... तो आइए रौंद दीजिए मुझे अपने वहशीपन से..."
मां की बातों से यह जाहिर था कि अभी भी वो असुर की चालबाजी की शिकार नई हुई थीं.. पर मेरे लिए यह बात जानना जरूरी था कि इस वक्त अंदर का दृश्य क्या हैं... अंधेरे में कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था... मेरे दिमाग में यह भी खयाल आया कि कई अगर अंधेरे में ही सब हो गया तो... ? कई जबरदस्ती...? नहीं... नहीं... स्वामीजी... अब आप ही कुछ कीजिए... मुझे मेरी मां का... खुशी खुशी सब करते हुए देखना मंजूर हैं... पर ऐसा कुछ ना होने दीजिए, जिसे में जीतें जी बरदाश्त भी ना कर सकूं. अंदर अभी भी बिलकुल शांति थीं... मां की बात शायद असुर पर कुछ असर कर गई होगी ऐसा मुझे लगने लगा.. पर तभी फिर से असुर की भारी आवाज ने वो सन्नाटा खत्म कर दिया.
" पूनम, तू तो मुझे एकदम गयागुजरा समझ रही हैं रे... में तुझे कितना प्यार करने लगा हूं यह तू जानती भी नहीं हैं... रुख... तूने बाहर वो दो फूलों के हार देखे थे...? मैने वह वरमाला हम दोनो के मिलन के पल को यादगार मनाने के लिए मंगवाई थी... मैं चाहता था कि स्वामीजी के प्रतिमा के सामने हम दोनों एकदूसरे को वरमाला पहनाए और हम दोनों को एक करने के लिए उनका शुक्रिया करे... तुझे यकीन नहीं हैं तो, अभी मैं स्वामीजी के प्रतिमा के पास जो दिया रखा हैं..वो जलाता हूं... मां (पारो) ने वह दोनों हार यह लाकर रखें हैं... तू देख... और फिर तू मेरे बारे में क्या सोचती है वो देखते हैं. "
असुर ने फिर अपना कुटिल दाव खेला था... कुछ ही पल के लिए अंदर कुछ आवाज हो रही हैं ऐसा मुझे अंदेशा हुआ... शायद असुर वहां पर माचिस ढूंढ रहा था... फिर तभी माचिस की तीली जलने की आवाज सुनाई पड़ी ...उस अंधेरे को चीरती हुई उस माचिस की तिली ने उसे कमरे के अंधेरे को धीरे-धीरे कम करना शुरू किया.. पल ही भर में दिए की बात भी जल पड़ी... अब वो पूजाघर दिए के धीमे उजाले से रौशन होने लगा था...
उस रोशनी में मुझे पहली बार एक अप्सरा दिखाई दी... हा अप्सरा.. मां..
कामसूत्र के किताब में जैसे परिपूर्ण स्त्री का रेखाचित्र होता है... वैसे ही बदन की अप्सरा उस कमरे में खड़ी थीं... मेरी मां... उस उजाले में उनके अंग अंग का कटाव कहर ढा रहा था... उनके सीने के बीच पर्वतों के घाटी के बीच चमकने वाला मंगलसूत्र... हाथों की चूड़ियां... और वो छोटा पेंडेंट वाला मंगलसूत्र... उनको और भी विलोबनीय बना रहे थे... अभी फिर से उस कम उजाले की वजह से मेरी आंखों को मां की चूत के दर्शन नहीं हो पाए थे...वो अपने एक पैर को आगे किए खड़े होने की वजह से... फैशन टीवी की मिडनाइट हॉट वाली मॉडल्स को भी टक्कर दे ऐसे मेरी मां.. पूनम दिख रही थी... पर अभी और भी रोमांचित करने वाला दृश्य उस उजाले में नजर आने लगा था.... मां अपनी आंखे फाड़ कर अपने आगे की ओर देख रही थीं.... नीचे जमीन पर वही थाली थी जिस में दोनों वरमाला रखी थी और एक टैबलेट की स्ट्रिप, और ट्यूब रखा था जो मैने असलम के मेडिकल से लाया था.. पर मां वह सारी चीजें देख ही नहीं रही थीं.... वह देख रही थी अपने पति असुर को... जो इस समय टॉवल उतारे पूरा नंगा खड़ा था... किसी पुराने समय वाले हब्शी योद्धा का पुनरजन्म था यह असुर... उसका बलवान शरीर वैसा ही दिख रहा था.... और....उसका काला लंड फिलहाल किसी रबर की पाइप की तरह उछल रहा था... उसका साइज मै आपको बताऊं तो बस सुनने से ही आप की गांड़ फट जाएगी... मां की तो हालत क्या हुई होगी वह तो आप लोग ही अनुमान लगा लीजिए... अब असुर और मां एक दूसरे के सामने अपने शरीर पर बिना एक भी कपड़ा पहने खड़े थे.
मां इस वक्त असुर को ही देखे जा रही थी... उनके सांसों की गति में कमाल का इजाफा हो गया था.. हर एक सांस के साथ मां के स्तन , गुब्बारे की तरह पंप हो रहे हो ऐसा दिख रहा था...
" पूनम बस एक बार मान जाओ... मैं तुम्हें कभी भी दुखी नहीं करूंगा... मैं तुम्हारा जीवन सुख और सुख के साथ ही भरूंगा.. अगर तूझे मेरी बात पर विश्वास है तो.. बस अपनी पलके झुकाकर मुझे इशारा दे देना.. आगे का सबकुछ में कर लूंगा... तुझे स्वामी जी कामसुंदरी की तरह सबकुछ दिया हैं.. इसे मुझे निचोड़ना है पर प्यार से.... सिर्फ एक बार पूनम सिर्फ एक बार. "
असुर ने मां से मिन्नते करते हुए कहा... असुर शायद यह जानता था कि मां उसके लंड को देखकर इंप्रेस हो रही हैं.. और असुर का लंड किसी को भी रुझा सकता था यह भी सच ही था.... अब....असुर की चीनी मिश्रित बाते क्या मां पर असर करेगी..? यह सवाल अब किसी सायरन की तरह मेरे दिमाग में बज रहा था.. मां का चेहरा मुझे कुछ भी अनुमान लगाने नहीं दे रहा था... उन्होंने क्या सोचा हैं यह अगले ही पल असुर और मेरे सामने आने वाला था... असुर ने जैसे उन्हें बताया ही था कि अगर वो प्यार से उसकी नहीं होगी तो असुर उन्हें विरोध से ही सही पर पूरा निचोड़ कर रख ही देगा.. और फिर... जो हुआ उसका अंदाजा मैने पहले ही लगा लिया था... मां ने हल्के से अपनी पलके झुकाई... लो हो गया काम तमाम... असुर फिर अपनी चाल में कामयाब हो चुका था... असुर का चेहरा यह साफ बता रहा था कि उसने अपनी जिंदगी में सबसे बड़ी चीज हासिल कर लीं हैं... मां ने उसे स्वीकार किया था और मैं अब पहले था वैसे ही दर्शक की भूमिका में था... सच कहूं तो मेरा मन... किसी भी चीज के लिए कुछ भी कह ही नहीं रहा था... बस मां अब किसी और की हो गई थी... और में अब उसकी जिंदगी में दूसरे स्थान पर था... इसी की मुझे तकलीफ हो रही थीं.
असुर आगे बढ़ा और उस थाली में से एक हार उठाया और मां को आवाज दे कर उन्हें वह आने को कहा... अब असुर का लंड और भी सीधा होने लगा था... मां शर्माते हुए आगे आई और उन्होंने असुर को पलके उठाकर देखा... असुर के लंबे कद के कारण मां असुर के चौड़े सीने तक ही पहुंच पा रही थी... मां की हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि वो असुर को देखे... असुर का लंड अब 75% अपना असली रूप दिखा चुका था. बस कुछ इंच और... फिर मां के पेट को टकराने ही वाला था... असुर भी यह जान चुका था...
" पूनम... यह मेरा पहला उपहार हैं.."
ऐसा कहकर असुर ने मां के गले में वरमाला डाला दी.... वो वरमाला मध्यम आकार की थी... मां के मम्मे जो कि गुब्बारे बन चुके थे... उनपर वो वरमाला झूलने लगी थीं... मां की हर एक अदा अब पूरी कयामत लगने लगी थीं.. असुर उन्हें ताकते जा रहा था. अब मां ने भी दूसरी वरमाला उठाई और असुर की आंखों में देखा. असुर समझ गया कि उसका कद ज्यादा होने की वजह से मां वो वरमाला उसके गले में नहीं डाल पाएगी...
" आज तो में झुक रहा हूं पूनम... पर ये पहली और आखरी बार होगा.. आज के बाद... "
मां ने बीच में ही अपनी आंखे बड़ी करके असुर को चुप कराया... असुर भी चुप हो गया.. उसने बिना कुछ कहें अपनी गर्दन झुकाई... मां ने असुर के गले में वो वरमाला पहनाई.... वरमाला पहनाते वक्त असुर मां की आंखों में गहराई से देखे जा रहा था... मां भी यह समझ गई और उन्होंने कहा...
" आज के बाद सिर्फ में आपके आगे झुकूंगी... और आपका सम्मान हमेशा ही मेरे ऊपर रहेगा.. आज से मरते दम तक आप मेरे लिए मेरे स्वामी पति होंगे... और में आपकी दासी... मैं स्वामी जी के प्रतिमा को साक्षी मान कर यह आपको वचन देती हूं "
मां के समर्पण को देखकर में भी अचंभित रह गया... अब तो पूरा ओपचारिक कार्यक्रम ऑलमोस्ट खत्म ही था... अब इस पूजाघर में मां और असुर के सुहागरात की गाथा लिखने जाने वाली थी... इस गाथा का शीर्षक भी तय हो ही चुका था... " मां का दर्दनाक कौमार्य भंग "
असुर ने यह सुनते ही मां को गले लगा लिया... जिससे उसके खड़े लंड का दबाव मां के पेट पर पड़ने लगा.. असुर के लंड से मां का पेट फुल्के की तरह अंदर होने लगा... पर मां असुर के सच्चे प्रेम में इतनी दंग हो चुकी थी कि उन्हें यह एक हूर परियों की कथा सी लग रही थी... वह अपनी पति के आलिंगन में जो समाई थीं... और वह भी पूरी नग्न हो कर...असुर मां के बालों को सहलाते हुए बाजू में रखी हुई मेज पर जो दूध का ग्लास रखा था उसे देखने लगा... उसका चेहरा किसी खुराफात का अंदेशा मुझे दिला रहा था... मां तो असुर की बांहों में खोई थी... असुर ने उसी का फायदा उठाते हुए थाली में रखीं हुई फीमेल सेक्स पावर बूस्टर टेबलेट्स की स्ट्रिप उठाई और उसमें से एक एक करके सारी गोलियां बाहर निकलकर सभी गोलियां दूध में मिला दी... मुझे समझने में देरी नहीं लगी यह क्या हो रहा था... असलम ने मुझे बताया था कि केवल एक गोली से ही औरत सेक्स की भूखी बन जाएगी... लेकिन यहां असुर ने पूरी की पूरी स्ट्रिप दूध में मिलाई थीं... अब मां भूखी औरत नहीं.... बल्कि भूखी कुतियां बनने वाली थीं... और असुर अपने लंड से उनका शिकार करने वाला था... तभी असुर ने मां को अपने बाहों से आजाद किया..
" पूनम हमारे कुल के रिवाज को ध्यान में रखकर तुम्हे यह मेज पर रक्खा दूध पूरा पीना होगा... तुम आराम से दूध पी लो... तबतक मैं बाकी के दिए जलाता हूं.... "
ऐसा कहकर वह बाजू में चला गया और बाकी के दिए जलाने लगा... वह दूध का ग्लास काफी बड़ा था... पर मां ने रिवाज समझकर उसे पीना ठीक समझा... इधर असुर ने जैसे ही देखा कि मां दूध पीने मै मशगूल हैं .... तब उसने वो लंड पर लगाने वाला ट्यूब लिया... और फुर्ती से उसे अपने लंड पर मल लिया... मां का ध्यान अभी भी दूध पीने पर ही था... असुर ने इसका फायदा उठाकर बड़ी अच्छी तरह वह ट्यूब अपने पूरे के पूरे लंड पर लगा लिया. अब कमरे में बहुत दिए जल रहे थे.. पूरा कमरा जगमगा रहा था.
दियो के उजाले के साथ-साथ.. अंदर पूजा घर में मां और असुर के कामाग्नी की गरमाहट भी पूरी तरह महसूस हो रही थी.
दूध का सेवन करते ही मां ने दूध का ग्लास फिर से टेबल पर रख दिया. उसके बाद उन्होंने असुर की और देखा असुर स्वामी जी के प्रतिमा के पास खड़ा होकर अपने हाथ जोड़कर खड़ा था... लेकिन उसके साथ-साथ... उसका महा विक्राल लंड भी अपने पूरे आकार में स्वामी जी की प्रतिमा को वंदन कर रहा था. यहां पहली दफा था जब मां ने असुर के लंड को पहली बार पूरा का पूरा देखा था. असुर का काला लंड बिल्कुल ऑयल से सने रोड की तरह दिखाई दे रहा था. मां ने एक गहरी सांस ले ली... उनके गले को देख ऐसा लग रहा था जैसे उनका गला सूखने लगा था. तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना ही मैं नहीं की थी. मां के जिस्म में हल्का सा कम्पन मुझे दिखने लगा. कुछ ही पल में यहां हल्का सा कंपन एक कपकपाहट में बदलने लगा. मैं पूरी तरह डर गया... लेकिन जब मेरी नजर असुर पर पड़ी तब मैंने देखा की असुर अपनी नजर तिरछी किए हुए यह सब कुछ देखकर हल्का सा मुस्कुरा रहा था. यह देखकर मेरे दिमाग ने भी मुझे सिग्नल दिया कि यह सब क्या हो रहा था. वह दवा... असलम ने जैसे कहा था कि उस दबाव के हल्के से मात्रा के प्रभाव से भी औरत पूरी रंडी बन जाती है... और यहां तो... पूरी की पूरी स्ट्रिप ही मां दूध के साथ गटक चुकी थी... हे स्वामी जी... अब इस कंपन का रूपांतरण एक भूकंप में बदलने वाला था... और मां की चूत की दरार पूरी फटने वाली थीं यह में समझ चुका था.
पहले ही इस पूजा घर में अंधेरा था...यहां पर एक पंखा भी नहीं था और जो छोटा सा वेंटीलेशन था वहां पर तो मैं बैठा था... तो फिर आप सोच ही सकते हैं कि अंदर कितनी गर्मी होगी. असुर और मां पसीने ने से भीग चुके थे... ऊपर से मां किसी भूखी रंडी की तरह असुर यानी उसके सामने खड़े मर्द को देखे जा रही थीं... अब असुर भी मां की तरफ मुंह करके खड़ा था.
" पूनम... आओ और मेरे लिंग का भोग लगाओ " असुर ने मां से कहा.
मां बस अपनी हाथ की मुट्ठियां भींचकर असुर के लंड को देखकर अपनी लार गला रही थीं... उन्हें तो यह भी पता नहीं था कि वह उस दवा की वजह से सेक्स के लिए पागल होती जा रही थी... लेकिन अब यह पागलपन और भी बढ़ने वाला था...
to be continued:
मैं धीरे से चलते हुए पैसेज वाली जगह पहुंचा. मैने पैसेज का गुप्त द्वारा धीरे से खोल दिया... इस पैसेज में भी वही वाली सुविधा थी जैसे कि पूरे कमरे में क्या हो रहा है यह सब ठीक तरीके से दिखे.. पर मेरे लिए एक नई समस्या खड़ी हो गई थी कि पूजा घर के कमरे में पूरा अंधेरा समाया दिख रहा था... और अब मैं इस अंधेरे में क्या हो रहा है यह कैसे देखूं...? हा दोस्तो... पूजा घर में पूरा अंधेरा था... पर इस अंधेरे को चीरते हुए मां की तेज सांसे पूरे कमरे में गूंज रही थी... क्या कर रहा था असुर उनके साथ... ? दोनों चुप क्यों थे...? तभी मेरी ये अभिलाषा भी उसी पल पूरी हो गई... उस शांत अंधेरे में मुझे मां की आवाज सुनाई पड़ी...
" आपने मुझे पुरी तरह नंगी तो कर ही लिया हैं... अब आप अपनी हवस भी मुझ अभागी पर उतार लीजिए... मैं किसी भी चीज के लिए मना नहीं करूंगी.... पर आप और आपके परिवार ने बाहर अभी जो गंदी योजना बनाई थी... उससे में पूरी तरह टूट चुकी हूं... आप मेरे शरीर को जैसे चाहे भोग सकते हैं... पर अब मैं मन से आपको कभी नहीं अपना पाऊंगी..."
मां की बात से यह तय था कि अब मां असुर के साथ इस अंधेरे कमरे में पूरी तरह नंगी खड़ी थीं... उनकी पैंटी तो असुर ने पहले ही बाहर फाड़ दी थी... अब शायद उनकी ब्रा भी असुर ने निकाल दी थी.. कुछ देर के लिए कमरे में पूरा सन्नाटा था.. फिर असुर की कड़क आवाज उसके जवाब को लेकर हाजिर हो गई..
" पूनम मेरी जान... यह सब तो प्रताप दादा और मां का करा धरा हैं... मुझे तो कुछ, पता ही नहीं था.. मैने तो सिर्फ तुम्हे कंडोम पहनकर चोदने के लिए ना कहा था... मैं तो तुम्हारी चूत को मेरे लंड के चमड़ी को महसूस कराता हुआ उसे अंदर तक पहुंचाना चाहता था.. में तुम्हारी मर्जी से ही तुम्हारे जिस्म का रस चखना चाहता था...
.... मेरी बात को समझो मेरी जान. "
असुर के ऐसा कहते ही मुझे यह पता चल चुका था कि यह उसकी कोई नई चाल थी... पर मां इसमें फंसेगी या नहीं यह देखना अभी बाकी था.
" मुझे कुछ सुनना नहीं है... आ जाईए... और मिटाइए अपनी हवस... आप ही ने कहा था ना कि मैं आपकी दासी हूं... तो आइए रौंद दीजिए मुझे अपने वहशीपन से..."
मां की बातों से यह जाहिर था कि अभी भी वो असुर की चालबाजी की शिकार नई हुई थीं.. पर मेरे लिए यह बात जानना जरूरी था कि इस वक्त अंदर का दृश्य क्या हैं... अंधेरे में कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था... मेरे दिमाग में यह भी खयाल आया कि कई अगर अंधेरे में ही सब हो गया तो... ? कई जबरदस्ती...? नहीं... नहीं... स्वामीजी... अब आप ही कुछ कीजिए... मुझे मेरी मां का... खुशी खुशी सब करते हुए देखना मंजूर हैं... पर ऐसा कुछ ना होने दीजिए, जिसे में जीतें जी बरदाश्त भी ना कर सकूं. अंदर अभी भी बिलकुल शांति थीं... मां की बात शायद असुर पर कुछ असर कर गई होगी ऐसा मुझे लगने लगा.. पर तभी फिर से असुर की भारी आवाज ने वो सन्नाटा खत्म कर दिया.
" पूनम, तू तो मुझे एकदम गयागुजरा समझ रही हैं रे... में तुझे कितना प्यार करने लगा हूं यह तू जानती भी नहीं हैं... रुख... तूने बाहर वो दो फूलों के हार देखे थे...? मैने वह वरमाला हम दोनो के मिलन के पल को यादगार मनाने के लिए मंगवाई थी... मैं चाहता था कि स्वामीजी के प्रतिमा के सामने हम दोनों एकदूसरे को वरमाला पहनाए और हम दोनों को एक करने के लिए उनका शुक्रिया करे... तुझे यकीन नहीं हैं तो, अभी मैं स्वामीजी के प्रतिमा के पास जो दिया रखा हैं..वो जलाता हूं... मां (पारो) ने वह दोनों हार यह लाकर रखें हैं... तू देख... और फिर तू मेरे बारे में क्या सोचती है वो देखते हैं. "
असुर ने फिर अपना कुटिल दाव खेला था... कुछ ही पल के लिए अंदर कुछ आवाज हो रही हैं ऐसा मुझे अंदेशा हुआ... शायद असुर वहां पर माचिस ढूंढ रहा था... फिर तभी माचिस की तीली जलने की आवाज सुनाई पड़ी ...उस अंधेरे को चीरती हुई उस माचिस की तिली ने उसे कमरे के अंधेरे को धीरे-धीरे कम करना शुरू किया.. पल ही भर में दिए की बात भी जल पड़ी... अब वो पूजाघर दिए के धीमे उजाले से रौशन होने लगा था...
उस रोशनी में मुझे पहली बार एक अप्सरा दिखाई दी... हा अप्सरा.. मां..
कामसूत्र के किताब में जैसे परिपूर्ण स्त्री का रेखाचित्र होता है... वैसे ही बदन की अप्सरा उस कमरे में खड़ी थीं... मेरी मां... उस उजाले में उनके अंग अंग का कटाव कहर ढा रहा था... उनके सीने के बीच पर्वतों के घाटी के बीच चमकने वाला मंगलसूत्र... हाथों की चूड़ियां... और वो छोटा पेंडेंट वाला मंगलसूत्र... उनको और भी विलोबनीय बना रहे थे... अभी फिर से उस कम उजाले की वजह से मेरी आंखों को मां की चूत के दर्शन नहीं हो पाए थे...वो अपने एक पैर को आगे किए खड़े होने की वजह से... फैशन टीवी की मिडनाइट हॉट वाली मॉडल्स को भी टक्कर दे ऐसे मेरी मां.. पूनम दिख रही थी... पर अभी और भी रोमांचित करने वाला दृश्य उस उजाले में नजर आने लगा था.... मां अपनी आंखे फाड़ कर अपने आगे की ओर देख रही थीं.... नीचे जमीन पर वही थाली थी जिस में दोनों वरमाला रखी थी और एक टैबलेट की स्ट्रिप, और ट्यूब रखा था जो मैने असलम के मेडिकल से लाया था.. पर मां वह सारी चीजें देख ही नहीं रही थीं.... वह देख रही थी अपने पति असुर को... जो इस समय टॉवल उतारे पूरा नंगा खड़ा था... किसी पुराने समय वाले हब्शी योद्धा का पुनरजन्म था यह असुर... उसका बलवान शरीर वैसा ही दिख रहा था.... और....उसका काला लंड फिलहाल किसी रबर की पाइप की तरह उछल रहा था... उसका साइज मै आपको बताऊं तो बस सुनने से ही आप की गांड़ फट जाएगी... मां की तो हालत क्या हुई होगी वह तो आप लोग ही अनुमान लगा लीजिए... अब असुर और मां एक दूसरे के सामने अपने शरीर पर बिना एक भी कपड़ा पहने खड़े थे.
मां इस वक्त असुर को ही देखे जा रही थी... उनके सांसों की गति में कमाल का इजाफा हो गया था.. हर एक सांस के साथ मां के स्तन , गुब्बारे की तरह पंप हो रहे हो ऐसा दिख रहा था...
" पूनम बस एक बार मान जाओ... मैं तुम्हें कभी भी दुखी नहीं करूंगा... मैं तुम्हारा जीवन सुख और सुख के साथ ही भरूंगा.. अगर तूझे मेरी बात पर विश्वास है तो.. बस अपनी पलके झुकाकर मुझे इशारा दे देना.. आगे का सबकुछ में कर लूंगा... तुझे स्वामी जी कामसुंदरी की तरह सबकुछ दिया हैं.. इसे मुझे निचोड़ना है पर प्यार से.... सिर्फ एक बार पूनम सिर्फ एक बार. "
असुर ने मां से मिन्नते करते हुए कहा... असुर शायद यह जानता था कि मां उसके लंड को देखकर इंप्रेस हो रही हैं.. और असुर का लंड किसी को भी रुझा सकता था यह भी सच ही था.... अब....असुर की चीनी मिश्रित बाते क्या मां पर असर करेगी..? यह सवाल अब किसी सायरन की तरह मेरे दिमाग में बज रहा था.. मां का चेहरा मुझे कुछ भी अनुमान लगाने नहीं दे रहा था... उन्होंने क्या सोचा हैं यह अगले ही पल असुर और मेरे सामने आने वाला था... असुर ने जैसे उन्हें बताया ही था कि अगर वो प्यार से उसकी नहीं होगी तो असुर उन्हें विरोध से ही सही पर पूरा निचोड़ कर रख ही देगा.. और फिर... जो हुआ उसका अंदाजा मैने पहले ही लगा लिया था... मां ने हल्के से अपनी पलके झुकाई... लो हो गया काम तमाम... असुर फिर अपनी चाल में कामयाब हो चुका था... असुर का चेहरा यह साफ बता रहा था कि उसने अपनी जिंदगी में सबसे बड़ी चीज हासिल कर लीं हैं... मां ने उसे स्वीकार किया था और मैं अब पहले था वैसे ही दर्शक की भूमिका में था... सच कहूं तो मेरा मन... किसी भी चीज के लिए कुछ भी कह ही नहीं रहा था... बस मां अब किसी और की हो गई थी... और में अब उसकी जिंदगी में दूसरे स्थान पर था... इसी की मुझे तकलीफ हो रही थीं.
असुर आगे बढ़ा और उस थाली में से एक हार उठाया और मां को आवाज दे कर उन्हें वह आने को कहा... अब असुर का लंड और भी सीधा होने लगा था... मां शर्माते हुए आगे आई और उन्होंने असुर को पलके उठाकर देखा... असुर के लंबे कद के कारण मां असुर के चौड़े सीने तक ही पहुंच पा रही थी... मां की हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि वो असुर को देखे... असुर का लंड अब 75% अपना असली रूप दिखा चुका था. बस कुछ इंच और... फिर मां के पेट को टकराने ही वाला था... असुर भी यह जान चुका था...
" पूनम... यह मेरा पहला उपहार हैं.."
ऐसा कहकर असुर ने मां के गले में वरमाला डाला दी.... वो वरमाला मध्यम आकार की थी... मां के मम्मे जो कि गुब्बारे बन चुके थे... उनपर वो वरमाला झूलने लगी थीं... मां की हर एक अदा अब पूरी कयामत लगने लगी थीं.. असुर उन्हें ताकते जा रहा था. अब मां ने भी दूसरी वरमाला उठाई और असुर की आंखों में देखा. असुर समझ गया कि उसका कद ज्यादा होने की वजह से मां वो वरमाला उसके गले में नहीं डाल पाएगी...
" आज तो में झुक रहा हूं पूनम... पर ये पहली और आखरी बार होगा.. आज के बाद... "
मां ने बीच में ही अपनी आंखे बड़ी करके असुर को चुप कराया... असुर भी चुप हो गया.. उसने बिना कुछ कहें अपनी गर्दन झुकाई... मां ने असुर के गले में वो वरमाला पहनाई.... वरमाला पहनाते वक्त असुर मां की आंखों में गहराई से देखे जा रहा था... मां भी यह समझ गई और उन्होंने कहा...
" आज के बाद सिर्फ में आपके आगे झुकूंगी... और आपका सम्मान हमेशा ही मेरे ऊपर रहेगा.. आज से मरते दम तक आप मेरे लिए मेरे स्वामी पति होंगे... और में आपकी दासी... मैं स्वामी जी के प्रतिमा को साक्षी मान कर यह आपको वचन देती हूं "
मां के समर्पण को देखकर में भी अचंभित रह गया... अब तो पूरा ओपचारिक कार्यक्रम ऑलमोस्ट खत्म ही था... अब इस पूजाघर में मां और असुर के सुहागरात की गाथा लिखने जाने वाली थी... इस गाथा का शीर्षक भी तय हो ही चुका था... " मां का दर्दनाक कौमार्य भंग "
असुर ने यह सुनते ही मां को गले लगा लिया... जिससे उसके खड़े लंड का दबाव मां के पेट पर पड़ने लगा.. असुर के लंड से मां का पेट फुल्के की तरह अंदर होने लगा... पर मां असुर के सच्चे प्रेम में इतनी दंग हो चुकी थी कि उन्हें यह एक हूर परियों की कथा सी लग रही थी... वह अपनी पति के आलिंगन में जो समाई थीं... और वह भी पूरी नग्न हो कर...असुर मां के बालों को सहलाते हुए बाजू में रखी हुई मेज पर जो दूध का ग्लास रखा था उसे देखने लगा... उसका चेहरा किसी खुराफात का अंदेशा मुझे दिला रहा था... मां तो असुर की बांहों में खोई थी... असुर ने उसी का फायदा उठाते हुए थाली में रखीं हुई फीमेल सेक्स पावर बूस्टर टेबलेट्स की स्ट्रिप उठाई और उसमें से एक एक करके सारी गोलियां बाहर निकलकर सभी गोलियां दूध में मिला दी... मुझे समझने में देरी नहीं लगी यह क्या हो रहा था... असलम ने मुझे बताया था कि केवल एक गोली से ही औरत सेक्स की भूखी बन जाएगी... लेकिन यहां असुर ने पूरी की पूरी स्ट्रिप दूध में मिलाई थीं... अब मां भूखी औरत नहीं.... बल्कि भूखी कुतियां बनने वाली थीं... और असुर अपने लंड से उनका शिकार करने वाला था... तभी असुर ने मां को अपने बाहों से आजाद किया..
" पूनम हमारे कुल के रिवाज को ध्यान में रखकर तुम्हे यह मेज पर रक्खा दूध पूरा पीना होगा... तुम आराम से दूध पी लो... तबतक मैं बाकी के दिए जलाता हूं.... "
ऐसा कहकर वह बाजू में चला गया और बाकी के दिए जलाने लगा... वह दूध का ग्लास काफी बड़ा था... पर मां ने रिवाज समझकर उसे पीना ठीक समझा... इधर असुर ने जैसे ही देखा कि मां दूध पीने मै मशगूल हैं .... तब उसने वो लंड पर लगाने वाला ट्यूब लिया... और फुर्ती से उसे अपने लंड पर मल लिया... मां का ध्यान अभी भी दूध पीने पर ही था... असुर ने इसका फायदा उठाकर बड़ी अच्छी तरह वह ट्यूब अपने पूरे के पूरे लंड पर लगा लिया. अब कमरे में बहुत दिए जल रहे थे.. पूरा कमरा जगमगा रहा था.
दियो के उजाले के साथ-साथ.. अंदर पूजा घर में मां और असुर के कामाग्नी की गरमाहट भी पूरी तरह महसूस हो रही थी.
दूध का सेवन करते ही मां ने दूध का ग्लास फिर से टेबल पर रख दिया. उसके बाद उन्होंने असुर की और देखा असुर स्वामी जी के प्रतिमा के पास खड़ा होकर अपने हाथ जोड़कर खड़ा था... लेकिन उसके साथ-साथ... उसका महा विक्राल लंड भी अपने पूरे आकार में स्वामी जी की प्रतिमा को वंदन कर रहा था. यहां पहली दफा था जब मां ने असुर के लंड को पहली बार पूरा का पूरा देखा था. असुर का काला लंड बिल्कुल ऑयल से सने रोड की तरह दिखाई दे रहा था. मां ने एक गहरी सांस ले ली... उनके गले को देख ऐसा लग रहा था जैसे उनका गला सूखने लगा था. तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना ही मैं नहीं की थी. मां के जिस्म में हल्का सा कम्पन मुझे दिखने लगा. कुछ ही पल में यहां हल्का सा कंपन एक कपकपाहट में बदलने लगा. मैं पूरी तरह डर गया... लेकिन जब मेरी नजर असुर पर पड़ी तब मैंने देखा की असुर अपनी नजर तिरछी किए हुए यह सब कुछ देखकर हल्का सा मुस्कुरा रहा था. यह देखकर मेरे दिमाग ने भी मुझे सिग्नल दिया कि यह सब क्या हो रहा था. वह दवा... असलम ने जैसे कहा था कि उस दबाव के हल्के से मात्रा के प्रभाव से भी औरत पूरी रंडी बन जाती है... और यहां तो... पूरी की पूरी स्ट्रिप ही मां दूध के साथ गटक चुकी थी... हे स्वामी जी... अब इस कंपन का रूपांतरण एक भूकंप में बदलने वाला था... और मां की चूत की दरार पूरी फटने वाली थीं यह में समझ चुका था.
पहले ही इस पूजा घर में अंधेरा था...यहां पर एक पंखा भी नहीं था और जो छोटा सा वेंटीलेशन था वहां पर तो मैं बैठा था... तो फिर आप सोच ही सकते हैं कि अंदर कितनी गर्मी होगी. असुर और मां पसीने ने से भीग चुके थे... ऊपर से मां किसी भूखी रंडी की तरह असुर यानी उसके सामने खड़े मर्द को देखे जा रही थीं... अब असुर भी मां की तरफ मुंह करके खड़ा था.
" पूनम... आओ और मेरे लिंग का भोग लगाओ " असुर ने मां से कहा.
मां बस अपनी हाथ की मुट्ठियां भींचकर असुर के लंड को देखकर अपनी लार गला रही थीं... उन्हें तो यह भी पता नहीं था कि वह उस दवा की वजह से सेक्स के लिए पागल होती जा रही थी... लेकिन अब यह पागलपन और भी बढ़ने वाला था...
to be continued: