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?अन्छुआ प्यार का एहसास स्पर्श? By ?Nitya?
जब दो प्रेमियों के बीच सच्चा प्रेम होता है, तो स्त्री अपने साथी को लेकर बेहद भावनात्मक हो जाती है। वह अपने प्रेमी को किसी और के करीब जाते देख बेचैन हो उठती है, क्योंकि उसके लिए प्रेम सिर्फ एक भावना नहीं, बल्कि जीवनभर का संबल होता है। एक स्त्री अपने प्रेमी से केवल सहारा नहीं, बल्कि समर्पण भी चाहती है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वह अकेले जीवन जीने में असमर्थ है।

अगर कोई स्त्री अपने प्रेमी से कोई उपहार चाहती है या प्रेमी उसे कुछ भेंट करता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह खुद उसे नहीं खरीद सकती। उसके लिए उस उपहार की कीमत पैसों में नहीं, बल्कि प्रेम, अपनापन और भावनाओं में होती है। वह सिर्फ अपने प्रेमी की आँखों में अपने लिए सच्चा प्रेम देखना चाहती है।

स्त्री किसी को इसलिए नहीं चाहती क्योंकि उसे चाहने वालों की कमी होती है, बल्कि इसलिए कि उसका प्रेम निस्वार्थ और गहरा होता है। लाखों आँखें उसे पाने के लिए लालायित हो सकती हैं, लेकिन उसे बस एक जोड़ी आँखों में अपने लिए जगह चाहिए। उसके लिए प्रेम बाहरी सुंदरता से अधिक, आत्मा की गहराई में बसने वाली अनुभूति है।

जब स्त्री प्रेम करती है, तो उसका आधार तर्क या परिस्थिति नहीं होता। प्रेम ही वह शक्ति है, जो किसी भी साधारण चीज़ को भी अनमोल बना देती है। जब हम किसी को सच्चे दिल से चाहते हैं, तो वही इंसान हमें दुनिया में सबसे सुंदर लगने लगता है। प्रेम की सच्ची शक्ति यही होती है—यह सब कुछ खूबसूरत बना देती है।

[Image: FB-IMG-1604592951138.jpg]
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RE: ?अन्छुआ प्यार का एहसास स्पर्श? By ?Nitya? - by nitya.bansal3 - 26-04-2025, 01:52 PM



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