22-04-2025, 11:35 AM
मैंने घबरा कर शुभम की तरफ देखी , वह अभी तक फिल्म देखने मैं व्यस्त था, मैंने जल्दी से उनके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और उन्हें जोर से दबाया, जब तक उनका हाथ मेरी चूत को छू चुका था, मैंने जल्दी से उनके हाथ को पकड़ लिया और वहां से हटाना चाहा मगर हटा नहीं सकी और उनसे कहीं “प्लीज बस करें कोई देख लेगा” उन्होंने
जवाब दिया “कोई नहीं देखेगा सब फिल्म देखने में लगे हुए हैं ” और ये कहते हुए उन्होंने दोबारा मेरी चूत को साड़ी के अंदर से ही छुआ । इस बार मैंने हिम्मत करके उनके हाथ वहां से हटा दिया और बोली कृपा " सवर से काम लीजिए इतनी जल्दी क्या है “
सवर ही तो आखिरी नहीं होता अब……
जब मैंने उनका हाथ अपनी टांगों से हटाया तो उन्होंने मेरे हाथ को पकड़कर लिया और अपनी टांगों पर रख लिया, मैंने कोई आपत्ति जाहिर नहीं की और अपने हाथ उनकी टैगों के ऊपरी रखी रही, वो मेरे हाथ से अपनी जांघ को सहलाते रहे, एक बार उन्होंने मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर अपनी टांगों के बीच में अपने पैंट के ऊपर से टच करवाया मुझे लगा कि पैंट के अंदर कोई बहुत हार्ड सी चीज़ महसूस हुई और मैंने अपना हाथ जल्दी से उनके हाथ से अलग किया मगर उन्होंने ने दोबारा मेरे हाथ को पाकर कर अपने पैंट के पास लाया और ऊपर से ही सहलाने लगे ।
लंड पर हाथ लगते ही जैसे मेरे बदन मैं ऐक बार दोबारा करंट दौड़ गया उन्होंने ने मेरे हाथ को अपने लंड पर लगाया और उन्हें सहलाने लगे पहले तो मैं थोरा घबराई ऐसा लगा कि कोई बहुत बड़ी चीज है उनकी पैंट के अंदर हरकत हो रही है जब मैंने उसकी लंबाई और मोटाई पर ध्यान दिया तो लगा कि वह तो बहुत बड़ा और बहुत ज्यादा मोटा भी है मैं और भी कुछ कर सकी थी तभी फिल्म में इंटरवल हो गया और हॉल की सभी लाइट जल गई मैंने जल्दी से अपना हाथ पैंट पर से हटा लिया और ठीक से हो के बैठ गई ..
इंटरवल में शुभम हमारे पास आया और हम बहार निकल आया और पॉपकॉर्न खरीद कर खाने लगे और पेप्सी पीते समय शुभम बोला “ये फिल्म तो बहुत बोर है…….आप लोगों को फिल्म कैसी लग रही है” ,मैंने कोई जवाब नहीं दिया और मिस्टर इरफान ने शुभम से कहां अगर तुमको पसंद नहीं आ रही तो चलो घर चलते हैं मुझे भी फिल्म अच्छा नहीं लग रही है ”और फिर दोनों से फैसला किया कि फिल्म देखने के बजह किसी रेस्टोरेंट में चल कर अच्छा सा खाना खाते हैं और हम सब सिनेमा हॉल से बाहर निकल कर टहलते हुए एक रेस्टोरेंट में पहुंच गये , ये एक अच्छा रेस्टोरेंट था हम एक टेबल पर बैठ गए और मिस्टर इरफान ने पहले 3 बीयर का ऑर्डर दिया ।
मुझे कई बार शुभम और मिस्टर इरफान दोनों के जिद किया तो मैं राजी हो गया और मैं बीयर पीने के लिए , हमें बहुत मज़ा आया और हम तीनो आपस में बात करते थे और मजाक करते रहे और डिनर के बाद बाहर निकले तो शुभम ने एक टैक्सी रोकी और हम सब उसमें बैठ गए शुभम अगली सीट पर ड्राइवर के बगल वाली और मैं और मिस्टर इरफान पीछे वाली सीट पर साथ में बैठ गए और टैक्सी चलने लगी उस रात का मौसम बहुत अच्छा था हल्की सी ठंड हो रही थी मिस्टर इरफान मुझसे बिल्कुल करीब होकर कर बैठे थे और मेरा हाथ अपने हाथों में पड़कर रखा था सारी रास्ते वो मेरे हाथ को सहलाते रहे मुझे एक अजीब सी सनसनी हो रही थी एक तो बीयर का नशा ऊपर से सिनेमा हॉल मैं जो कुछ हुआ मैंने भी उनके हाथ पर अपना दूसरा हाथ रख दिया और अपने सर को सीट के पीछे टीका दिया और अपनी आंखे बंद कर लीं मैं चाहती थी कि यह रास्ता कभी खतम ही ना हो और हम दोनों इसी तरह एक दूसरे का हाथ पकड़े बैठे रहैं मगर थोरी देर के बाद टैक्सी रुक गई मैंने आंख खोली तो घर आ चुका था और हम सब अपने फ्लैट की तरफ जाने लगे ।
हम फ़्लैट पर पहुंचाकर मिस्टर इरफान वापस जाने लगे तभी शुभम बोला “मिस्टर इरफान अंदर आये मॉम कॉफ़ी बहुत अच्छे बनती हैं पीकर जाईं ना……”
मनदीप ने मेरी तरफ़ देखा और मैंने आँख के इशारे से " हाँ " तभी वो बोले “कॉफी तो मैं ज़रूर पीना है और वो भी तुम्हारी माँ के हाथ की,….. अगर वो पिलाये तो मजा आ जायेगा
मैंने तुरंत ही कहीं “क्यों नहीं जी जरूर आप आये तो…..” मुझे उनका साथ रहना अच्छा लग रहा था और मैं चाहती थी कि वो कुछ देर और साथ रहें इस लिया मैंने मौक्के को जाने नहीं दिया।
और हम सब हंसते हुए अंदर गए, मैंने किचन में जाकर कॉफी बनाई और वह टीवी रूम में बैठ गए और हम तीनों ने कॉफी पीने लगे और बातें भी कर रहे थे, लेकिन मेरे अंदर एक बैचनी सी पता नहीं किस लिये लग रही थी मेरा दिल जोर से धरक रहा था और मन मैं ऐक अजीब से हलचल मची हुई थी
शुभम कॉफ़ी ख़त्म करके वह उठा और बोला “माँ मैं अभी अपने एक दोस्त के पास जा रहा हूं आप आराम से सो जाना मैं देर से आओं गा” ……. और ये कहता है वो बाहर चला गया शुभम का इस वक्त इस तरह जाना मुझे अजीब सा लगा और मैंने भी उसे कुछ बोले नहीं बस खामोश रही ।
शुभम के जाते ही मिस्टर इरफान मेरे पास सोफा पर आकर बैठ गए और मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे गालों पर चूमने लगा मैंने पहले तो अपने को उनसे छुड़ाने की कोशिश की मगर उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं अपने को छुड़ा नहीं सकी और वो मुझे गालों को चूमते रहे कभी वो मेरे माथे को चूमते कभी वो मेरे कंधों को प्यार करते हुए उनका यह तरीका मुझे भी अच्छा लग रहा था और मैंने आंखें बंद कर लीं और अपने होठों को चुराने की कोशिश की तो उन्होंने अपने होठों को मेरे होठों पर रखा और उन्हें चूमने लगे मेरे जिस्म में एक करंट सा लगा और मेरे शरीर में निराशा सी होने लगी मैंने भी अपने मुंह को खोल कर उनके चुंबन का जवाब देने लगी मुझे उनके होठों का स्वाद बहुत अच्छा लगा और मैं उनके होठों को चूमने लगी आज बहुत दिनों के बाद किसी मर्द को इस तरह चुंबन कर रही थी मैंने अपनी बाहों को उनके गले में डाल दिया और हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे और चुंबन कर रहे थे उन्होंने अपने जीभ मेरे मुंह मैं डाल दीया और मैं उसे चुसने लगी मुझे बुहत मजा आ रहा था मुझे उनके होंठों का स्वाद अपने मुंह में महसूस हो रहा था जिससे मेरे बदन मैं और कामवासना बढ़ती जा रही थी और मैं मदहोश होती जा रही थी।
मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ रहा था और मैं आनंद ले रही थी दूसरी तरफ मेरा दिल भी घबरा रहा था मेरा दिमाग मुझे यह सब करने से रोक रहा था मगर मुझे यह सब अच्छा भी लग रहा था मैं इस कश्मकश में थी तभी मिस्टर इरफान ने साड़ी का पल्लू एक तरफ करके मेरे गाल पर और गर्दन पर प्यार करने लगे और उनके हाथ मेरे स्तन के ऊपरी हिस्से में अपना हाथ लगाया और ब्लाउज के ऊपरी हिस्से से ही उन्होने हल्का सा दबाया, जिस के कारण मेरे पुरे जिस्म में एक सनसनी दौड़ गई और इससे पहले मैं कुछ प्रतिक्रिया देती , उनका हाथ पूरी तरह से बाएं स्तन को पकड़कर चुका था और वह हमें आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगे ।
जवाब दिया “कोई नहीं देखेगा सब फिल्म देखने में लगे हुए हैं ” और ये कहते हुए उन्होंने दोबारा मेरी चूत को साड़ी के अंदर से ही छुआ । इस बार मैंने हिम्मत करके उनके हाथ वहां से हटा दिया और बोली कृपा " सवर से काम लीजिए इतनी जल्दी क्या है “
सवर ही तो आखिरी नहीं होता अब……
जब मैंने उनका हाथ अपनी टांगों से हटाया तो उन्होंने मेरे हाथ को पकड़कर लिया और अपनी टांगों पर रख लिया, मैंने कोई आपत्ति जाहिर नहीं की और अपने हाथ उनकी टैगों के ऊपरी रखी रही, वो मेरे हाथ से अपनी जांघ को सहलाते रहे, एक बार उन्होंने मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर अपनी टांगों के बीच में अपने पैंट के ऊपर से टच करवाया मुझे लगा कि पैंट के अंदर कोई बहुत हार्ड सी चीज़ महसूस हुई और मैंने अपना हाथ जल्दी से उनके हाथ से अलग किया मगर उन्होंने ने दोबारा मेरे हाथ को पाकर कर अपने पैंट के पास लाया और ऊपर से ही सहलाने लगे ।
लंड पर हाथ लगते ही जैसे मेरे बदन मैं ऐक बार दोबारा करंट दौड़ गया उन्होंने ने मेरे हाथ को अपने लंड पर लगाया और उन्हें सहलाने लगे पहले तो मैं थोरा घबराई ऐसा लगा कि कोई बहुत बड़ी चीज है उनकी पैंट के अंदर हरकत हो रही है जब मैंने उसकी लंबाई और मोटाई पर ध्यान दिया तो लगा कि वह तो बहुत बड़ा और बहुत ज्यादा मोटा भी है मैं और भी कुछ कर सकी थी तभी फिल्म में इंटरवल हो गया और हॉल की सभी लाइट जल गई मैंने जल्दी से अपना हाथ पैंट पर से हटा लिया और ठीक से हो के बैठ गई ..
इंटरवल में शुभम हमारे पास आया और हम बहार निकल आया और पॉपकॉर्न खरीद कर खाने लगे और पेप्सी पीते समय शुभम बोला “ये फिल्म तो बहुत बोर है…….आप लोगों को फिल्म कैसी लग रही है” ,मैंने कोई जवाब नहीं दिया और मिस्टर इरफान ने शुभम से कहां अगर तुमको पसंद नहीं आ रही तो चलो घर चलते हैं मुझे भी फिल्म अच्छा नहीं लग रही है ”और फिर दोनों से फैसला किया कि फिल्म देखने के बजह किसी रेस्टोरेंट में चल कर अच्छा सा खाना खाते हैं और हम सब सिनेमा हॉल से बाहर निकल कर टहलते हुए एक रेस्टोरेंट में पहुंच गये , ये एक अच्छा रेस्टोरेंट था हम एक टेबल पर बैठ गए और मिस्टर इरफान ने पहले 3 बीयर का ऑर्डर दिया ।
मुझे कई बार शुभम और मिस्टर इरफान दोनों के जिद किया तो मैं राजी हो गया और मैं बीयर पीने के लिए , हमें बहुत मज़ा आया और हम तीनो आपस में बात करते थे और मजाक करते रहे और डिनर के बाद बाहर निकले तो शुभम ने एक टैक्सी रोकी और हम सब उसमें बैठ गए शुभम अगली सीट पर ड्राइवर के बगल वाली और मैं और मिस्टर इरफान पीछे वाली सीट पर साथ में बैठ गए और टैक्सी चलने लगी उस रात का मौसम बहुत अच्छा था हल्की सी ठंड हो रही थी मिस्टर इरफान मुझसे बिल्कुल करीब होकर कर बैठे थे और मेरा हाथ अपने हाथों में पड़कर रखा था सारी रास्ते वो मेरे हाथ को सहलाते रहे मुझे एक अजीब सी सनसनी हो रही थी एक तो बीयर का नशा ऊपर से सिनेमा हॉल मैं जो कुछ हुआ मैंने भी उनके हाथ पर अपना दूसरा हाथ रख दिया और अपने सर को सीट के पीछे टीका दिया और अपनी आंखे बंद कर लीं मैं चाहती थी कि यह रास्ता कभी खतम ही ना हो और हम दोनों इसी तरह एक दूसरे का हाथ पकड़े बैठे रहैं मगर थोरी देर के बाद टैक्सी रुक गई मैंने आंख खोली तो घर आ चुका था और हम सब अपने फ्लैट की तरफ जाने लगे ।
हम फ़्लैट पर पहुंचाकर मिस्टर इरफान वापस जाने लगे तभी शुभम बोला “मिस्टर इरफान अंदर आये मॉम कॉफ़ी बहुत अच्छे बनती हैं पीकर जाईं ना……”
मनदीप ने मेरी तरफ़ देखा और मैंने आँख के इशारे से " हाँ " तभी वो बोले “कॉफी तो मैं ज़रूर पीना है और वो भी तुम्हारी माँ के हाथ की,….. अगर वो पिलाये तो मजा आ जायेगा
मैंने तुरंत ही कहीं “क्यों नहीं जी जरूर आप आये तो…..” मुझे उनका साथ रहना अच्छा लग रहा था और मैं चाहती थी कि वो कुछ देर और साथ रहें इस लिया मैंने मौक्के को जाने नहीं दिया।
और हम सब हंसते हुए अंदर गए, मैंने किचन में जाकर कॉफी बनाई और वह टीवी रूम में बैठ गए और हम तीनों ने कॉफी पीने लगे और बातें भी कर रहे थे, लेकिन मेरे अंदर एक बैचनी सी पता नहीं किस लिये लग रही थी मेरा दिल जोर से धरक रहा था और मन मैं ऐक अजीब से हलचल मची हुई थी
शुभम कॉफ़ी ख़त्म करके वह उठा और बोला “माँ मैं अभी अपने एक दोस्त के पास जा रहा हूं आप आराम से सो जाना मैं देर से आओं गा” ……. और ये कहता है वो बाहर चला गया शुभम का इस वक्त इस तरह जाना मुझे अजीब सा लगा और मैंने भी उसे कुछ बोले नहीं बस खामोश रही ।
शुभम के जाते ही मिस्टर इरफान मेरे पास सोफा पर आकर बैठ गए और मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे गालों पर चूमने लगा मैंने पहले तो अपने को उनसे छुड़ाने की कोशिश की मगर उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं अपने को छुड़ा नहीं सकी और वो मुझे गालों को चूमते रहे कभी वो मेरे माथे को चूमते कभी वो मेरे कंधों को प्यार करते हुए उनका यह तरीका मुझे भी अच्छा लग रहा था और मैंने आंखें बंद कर लीं और अपने होठों को चुराने की कोशिश की तो उन्होंने अपने होठों को मेरे होठों पर रखा और उन्हें चूमने लगे मेरे जिस्म में एक करंट सा लगा और मेरे शरीर में निराशा सी होने लगी मैंने भी अपने मुंह को खोल कर उनके चुंबन का जवाब देने लगी मुझे उनके होठों का स्वाद बहुत अच्छा लगा और मैं उनके होठों को चूमने लगी आज बहुत दिनों के बाद किसी मर्द को इस तरह चुंबन कर रही थी मैंने अपनी बाहों को उनके गले में डाल दिया और हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे और चुंबन कर रहे थे उन्होंने अपने जीभ मेरे मुंह मैं डाल दीया और मैं उसे चुसने लगी मुझे बुहत मजा आ रहा था मुझे उनके होंठों का स्वाद अपने मुंह में महसूस हो रहा था जिससे मेरे बदन मैं और कामवासना बढ़ती जा रही थी और मैं मदहोश होती जा रही थी।
मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ रहा था और मैं आनंद ले रही थी दूसरी तरफ मेरा दिल भी घबरा रहा था मेरा दिमाग मुझे यह सब करने से रोक रहा था मगर मुझे यह सब अच्छा भी लग रहा था मैं इस कश्मकश में थी तभी मिस्टर इरफान ने साड़ी का पल्लू एक तरफ करके मेरे गाल पर और गर्दन पर प्यार करने लगे और उनके हाथ मेरे स्तन के ऊपरी हिस्से में अपना हाथ लगाया और ब्लाउज के ऊपरी हिस्से से ही उन्होने हल्का सा दबाया, जिस के कारण मेरे पुरे जिस्म में एक सनसनी दौड़ गई और इससे पहले मैं कुछ प्रतिक्रिया देती , उनका हाथ पूरी तरह से बाएं स्तन को पकड़कर चुका था और वह हमें आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगे ।


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