02-04-2025, 11:09 PM
(This post was last modified: 03-04-2025, 08:45 AM by RonitLoveker. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
UPDATE 6.1
अब मां ओर असुर के शादी के विधि का आखरी पड़ाव आ चुका था. उस समय प्रताप दादा ने एक घोषणा की.." आज से पूनम और असुर पति पत्नी का दर्जा पा चुके है... मेरे और पारो के पैर छूकर आशीर्वाद लेने के बाद, असुर मेरी सहमती के साथ आज से इस घर का मुख्य पुरुष बन जाएगा... और हमारी बहु पूनम उसकी पत्नी के साथ साथ उसकी दासी बन जाएगी... "
असुर और मां ने इतना सुनते ही प्रताप दादा और पारो आंटी के पैर खुशी खुशी से छू लिए. मां के चेहरे पर मुझे इतनी खुशी दिख रही थी.. की... उतनी खुशी शायद ही मैंने कभी उनके चेहरे पर देखी थीं. आशीर्वाद लेकर असुर बाजू में खड़ा हो गया और उसने मां को अपने बिल्कुल करीब खींच लिया. मां ने अपनी आंखे गोल गोल घुमाते हुए उसकी और देखा.. असुर बस इस बात से मुस्कुराया
सिर्फ एक पतला टॉवल बांधे हुए असुर... और.... नाम मात्र के लिए अपने स्तन... और....चूत कपड़े से ढकी हुई मेरी मां किसी पोर्न फिल्म की अदाकारा से भी मादक और कामुक दिख रहे थे... सच कहूं तो मुझे यह सब बिलकुल रास नहीं आ रहा था.. आज मुझे पहली बार मेरी मां पर गुस्सा आने लगा था.. क्या मजबूरी थी उनकी...? क्या जादू किया था असुर ने उनपर..? मां ने मेरे कंधे पर बंदूक रखके अपने अरमान तो पूरे करने की चाल नहीं चली थीं ना..? जो औरत इतनी संस्कारी थी... जो किसी मर्द के आस पास भी नहीं भटकती थी.... वह आज किसी बदचलन औरत की तरह हंसते हंसते किसी गंदे राक्षस को चिपक कर कैसे खड़ी हो सकती थी...? क्या यह सपना था...? या कड़वा सच..? मेरे दिमाग में सवालों का ट्रैफिक जाम हो गया था...
" नमन "
तभी प्रताप दादा के मुंह से मुझे मेरा नाम सुनाई दिया... मैने दादा की ओर गौर से देखा... में अभी भी काफी गुस्से में था.. मै वैसे ही चिढ़ते हुए उनकी बात सुनने लगा
" नमन, असुर अब तुम्हारे पिता की जगह पर हैं... अगर तुम चाहो तो उसे अपना पिता मान सकते हो... पर तुम्हें जबरदस्ती यह मानने के लिए दबाव नहीं डाला जाएगा... पर हम तुम्हे एक जिम्मेदारी सौंप रहे हैं... जो शायद तुम्हे थोड़ी अटपटी लगे... पर यह बात मैंने पारो ने सोची है और, हमें तो ठीक ही लगी "
इतना कहकर दादा ने पारो आंटी को कुछ इशारा किया... पारो आंटी मुस्कुराते हुए अंदर कमरे में गई और तुरंत अपने हाथ में कुछ लेकर वापस लौटी... " हे स्वामीजी... यह तो वही गर्भनिरोधक दवाइयों का बॉक्स था... पर पारो आंटी वो मेरे पास क्यों लेकर आ रही थी...? मां को भी इस बॉक्स के बारे में कुछ भी पता नहीं था.. इसीलिए उनके चेहरे पर भी सवालिया निशान साफ दिखाई दे रहे थे.
पारो आंटी ने वो बॉक्स मेरे हाथ में दिया और पलट कर दादा के पास जाकर खड़ी हो गई. प्रताप दादा ने उस बॉक्स को देखते हुए मुझसे कहा..
" नमन, पूनम और असुर के हर संभोग उपरांत यह गर्भनिरोधक दवा पूनम को देने की जिम्मेदारी में तुम पर सौंपता हु... हर संभोग के बाद एक घंटे के अंदर पूनम को यह दवा लेनी होगी... पर असुर और पूनम के हर संभोग के बाद शायद ही पूनम की हालत ऐसी होगी कि वो उठकर ये गोली ले सके... असुर ने भी कहा है कि वो संभोग करते समय कंडोम नहीं पहनेगा...और अगर गलती से भी पूनम गर्भवती हो गई तो पूनम और तुम पर कहर ढा जायेगा..."
अब मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था.. " यह दादा पागल हो गया है क्या...? एक बेटा अपनी ही मां को किसी पराए मर्द से चूदने के बाद गर्भनिरोधक दवा देगा...? और कोई नहीं है क्या इस घर में...? मेरा गुस्सा उफान पर था... मैने अपनी आंखे गुस्से से लाल करते हुए मां की और देखा.... पर इस वक्त मां के चेहरे को देखकर में समझ गया कि कुछ तो गलत था... उनका दुखियारा चेहरा अब उनकी व्यथा बताने लगा था..." मां जैसे टूट चुकी थी... वो सुबक सुबक कर रो रही थी.... यह सब सुनकर उनकी खुशी जैसे गायब हो गई थी... वो वैसे ही रोते हुए दादा के पैरों पर आ गिर गई... उन्के मन के सवाल अब उजागर हो चुके थे...एक मां अपने बेटे से हर चूदाई के बात गर्भनिरोधक दवा कैसे ले सकती थी..? उनका चेहरा इस क्रूर बात से बिल्कुल शर्मसार हो चुका था.. मां को ऐसा गिड़गिड़ाते हुए देखकर ना चाहते हुए भी मेरा दिल पिघल गया. मां को अर्धनग्न हालत में ऐसे दादा के पैर पर गिरा देख में उन्हें उठा भी नहीं सकता था... पर यह क्या हुआ था...? प्रताप दादा के गर्भनिरोधक दवा की बात ने तो एक ही पल में वक्त बदल दिया था... मां के जज्बात ही बदल दिये था.... मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था... तभी....मां रोते हुऐ दादा और सबसे कहने लगी...
" मुझ पर ऐसा जुलुम मत कीजिए दादाजी... ऐसा कैसे हो सकता है...? यह तो पूरी तरह गलत है... इन्होंने (असुरने) पारो मांजी से कहकर भेजा था कि अगर में राजी खुशी विवाह के लिए तैयार हुई तो वो नमन को अपना बेटा मानकर उसे खुशीसे अपना लेंगे... बेटा नमन.. में तो बस तेरे भले के लिए यह सब कर रही हूं.... और आप भी सुनिए जी (असुरको)... मैं आपकी दासी ही नहीं बल्कि पालतू गुलाम बनके रहूंगी.. पर नमन मेरा बेटा हैं.. उसके सामने में वो सब करने के बाद, उसी से यह दवा ले लू...? यह मुझे मंजूर नहीं हैं... मैं खुद दवा कैसे लेनी हैं देख लूंगी... मैने आपको अपना पति स्वीकार कर दिया है...आप मेरे अंदर जितनी बार चाहे छोड़ सकते हैं.. में पूरी खबरदारी बरकुंगी..आप लोगों को स्वामीजी का वास्ता "
इतना कहते ही मां फिर से फूट-फूट कर रोने लगी... मेरे भी आंसू बह रहे थे... मैं मां के बारे में कितना गलत सोच रहा था, यह मुझे मालूम पड़ते ही मुझे और भी दुख हुआ...प्रताप दादा और सब उन्हें देख रहे थे तभी दादा फिर से बोल पड़े.
" अब तुमने स्वामी जी का वास्ता दे ही दिया है तो... आज के लिए इस बात को टाल देते हैं. लेकिन कल इसका निर्णय सभी के समक्ष होगा.... मैं इस कुल के लिए और कोई खतरा नहीं ले सकता हूं... इस कुल की जिम्मेदारी मुझपर हैं....और वैसे भी अभी जो सबसे जरूरी बात है वह तुम दोनों पति पत्नी को बताने का समय हैं... एक तरह से यह तुम दोनों के लिए उपहार ही है... क्यों कि ऐसा मौका कही पीढ़ियों के बाद हमारे कुल में सिर्फ तुम दोनों को ही मिला है... आज की काली रात काफी फलदाई होने वाली हैं. तो आज रात असुर और पूनम तुम दोनों स्वामीजी के पूजा घर को खोलकर...स्वामीजी के प्रतिमा के सामने पहली बार संभोग करोगे... पूनम के कुंवारे पन के टूटते ही जो खून असुर के लिंग पर लगेगा, उस खून को असुर स्वामीजी के प्रतिमा को अर्पित करेगा... उसके पश्चात असुर पहली बार अपना वीर्य पूनम के अंदर गर्भ में छोड़ेगा...आज की रात तुम दोनों की सुहागरात उसी कमरे में होगी... स्वामीजी के आशीर्वाद से तुम्हारी सुहागरात काममय होगी "
मां ने पूरी बात सुन ली थी पर उनके चेहरे पर उत्सुकता के कोई भाव नहीं थे.... उल्टा मां किसे पुतले की तरह स्तब्ध हो चुकी थी... वह मेरे पास आई और मुझसे कुछ कहने के लिए आगे बढ़ी... पर.... उन्हें जैसे ही एहसास हुआ कि वह पूरी तरह अर्धनग्न मेरे सामने खड़ी है..
वो वहीं पर खड़े होकर मुझे देखने लगी... असुर समझ चुका था कि उसकी चाल फैल हो चुकी हैं पर वो यह भी जानता था कि मां उसकी पत्नी हैं... क्यों कि मां ने ही उसे यह मान्यता दी थी...और वैसे भी मां को असुर के साथ वो सब (संभोग ) करने में कोई दिक्कत नहीं थी... उन्हें सिर्फ इस बात की शर्म थी कि मुझे उन्हें हर चूदाई के बाद गर्भनिरोधक दवा देनी पड़ने वाली थी.... पर असुर कोई चांस लेना नहीं चाहता था.... असुर ने पीछे से गुर्राते हुए कहा कि...
" पूनम, तू मेरी बात पर यकीन नहीं करती... इसीलिए तुझे फुसलाकर तुझे यह सब यकीन दिलाना पड़ा... मैं तेरी खुशी से तुझे अपनी पत्नी बनाना चाहता था... और सच मानो मैं मेरी बात पर अटल रहूंगा... पर अभी तेरे इस हुस्न को देखकर मेरे सब्र का बांध टूटने लगा हैं... अब तू तैयार हो जा "
मां बस लज्जापूर्वक यह सब सुन ही रही थी, तभी ... असुर अपनी बात खत्म करते ही मां के पीछे से आया.... उसने मां के गले को पीछे से पकड़ा... उनकी वो सफेद पेंटी फाड़ दी.... मां काफी... काफी..शॉक हो गई जैसे उन्हें कोई हल्का करंट सा लगा हो.... फिर उसने अपने दूसरे हाथ से मां की पतली कमर को पकड़कर उन्हें ऊपर हवा में उठाया.. और मेरे सामने हो मेरी मां को वैसे ही उठाकर स्वामीजी के पूजा घर की ओर चल पड़ा... पूजा घर का दरवाजा पारो आंटी ने आगे बढ़कर पहले ही खोल रखा था... कुछ ही पल में असुर मां को उस बिना उजाले वाले कमरे में लेकर चला गया..... धड़ाम ....! और पारो आंटी ने बाहर से दरवाजा बंद कर लिया... यह सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि मेरे आंखों के सामने किसी फिल्म का सीन फास्फोरवर्ड चल रहा हैं ऐसा ही दृश्य दिखाई पड़ा था... और में बस देखे जा रहा था... पर में करता भी तो क्या....?
तभी पारो आंटी मेरी तरफ आई और उन्होंने वह गर्भनिरोधक दवा का पैक मुझसे ले लिया और मुझसे कहने लगी... " तू सो जा बेटा... आज रात तेरी मां की ईट से इट बजेगी... तू भी जगेगा तेरी मां भी जगेगी... यह अच्छा नहीं लगेगा "
इतना कहकर पारो आंटी वहां से दादा के पास चली आई... और उनसे दबी आवाज में कुछ बात करने लगी. मुझे पहले जो लगा था वहीं सच था... यह असुर और उसका परिवार एकदम षड्यंत्रकारी ही था... नहीं तो मेरी मां ऐसे कैसे खुशी से उसको अपनाती...? पर अभी भी असुर का कुछ बिगड़ा नहीं था... उसने इतना सबकुछ करने के बाद भी अपने आप को वो बस थोड़ा सा अड़ियल है यही दिखाया था... और वह मां को हमारे सामने ऐसी नंगी करकर भी इसलिए अंदर पूजा घर में ले गया था... क्योंकि वो खुद कैसा है यह मां को अनुमान ना लगे... बिल्कुल अन्प्रेडिक्टेबल.... वह खुद को प्यारा भी और कठोर भी जताना चाहता था... उसे यह अच्छे से पता था कि... " औरत को ना ही प्यार करने वाले मर्द पसंद हैं... ना ही रफ मर्द... उन्हें तो दोनों का कॉम्बिनेशन वाले विथ एक्स्ट्रा टफ मर्द ही पसंद होते हैं " ......पर मैं असुर की नब्ज़ नब्ज से परिचित था... वो सच में असुर था... वो प्यार भी करेगा तो वहशीपन से यह में अच्छी तरह जानता था....
अब उस स्वामीजीके पूजाघर में मां की सुहागरात मनने वाली थी... यह सोचकर ही मेरे पेट में गोला बन चुका था... असुर का लंबा लंड... ओर मां की आठ साल वाली कुंवारी छोटी सी चूत... उसका जब मिलन होगा तो... मां के लिए तो संकट की स्थिति आने वाली थी यह तय था... पर अब असुर का भी मां को फुसलाने का अगला प्लान क्या होगा यह भी देखना मेरे लिए बाकी था... दादा और पारो आंटी कुछ बातचीत में मशरूफ थे यह देखकर मै उनके सामने से नज़रे चुराकर ऊपर पैसेज वाली जगह पर पूजाघर में क्या हो रहा हैं यह देखने चला आया... अंदर क्या हो रहा है यह देखने से पहले मेरा दिल धूम फिल्म की बाइक की स्पीड में धड़क रहा था..
यह सब प्लॉन असुर ही बना रहा था या उसका परिवार भी उसे आइडिया देने में शामिल था?
मां की सुहागरात कैसे होने वाली थीं?
मां असुर के लंड को देखकर कैसा रिएक्ट करेगी?
स्वामी जी के प्रतिमा के साथ वो विधि कैसे और कितनी कामुक होगी?
सुबह मां की हालत क्या होगी?
असलम की पेन्किलर दवा उन्हें देने पड़ेगी?
आगे की कहानी में नया मोड भी आएगा. वह क्या होगा?
गर्भनिरोधक दवा का बहाना, मेरे लिए कोई नई मुसीबत तो नहीं ला
ने वाली थी ना?
पढ़िए अगले भाग में.
अब मां ओर असुर के शादी के विधि का आखरी पड़ाव आ चुका था. उस समय प्रताप दादा ने एक घोषणा की.." आज से पूनम और असुर पति पत्नी का दर्जा पा चुके है... मेरे और पारो के पैर छूकर आशीर्वाद लेने के बाद, असुर मेरी सहमती के साथ आज से इस घर का मुख्य पुरुष बन जाएगा... और हमारी बहु पूनम उसकी पत्नी के साथ साथ उसकी दासी बन जाएगी... "
असुर और मां ने इतना सुनते ही प्रताप दादा और पारो आंटी के पैर खुशी खुशी से छू लिए. मां के चेहरे पर मुझे इतनी खुशी दिख रही थी.. की... उतनी खुशी शायद ही मैंने कभी उनके चेहरे पर देखी थीं. आशीर्वाद लेकर असुर बाजू में खड़ा हो गया और उसने मां को अपने बिल्कुल करीब खींच लिया. मां ने अपनी आंखे गोल गोल घुमाते हुए उसकी और देखा.. असुर बस इस बात से मुस्कुराया
सिर्फ एक पतला टॉवल बांधे हुए असुर... और.... नाम मात्र के लिए अपने स्तन... और....चूत कपड़े से ढकी हुई मेरी मां किसी पोर्न फिल्म की अदाकारा से भी मादक और कामुक दिख रहे थे... सच कहूं तो मुझे यह सब बिलकुल रास नहीं आ रहा था.. आज मुझे पहली बार मेरी मां पर गुस्सा आने लगा था.. क्या मजबूरी थी उनकी...? क्या जादू किया था असुर ने उनपर..? मां ने मेरे कंधे पर बंदूक रखके अपने अरमान तो पूरे करने की चाल नहीं चली थीं ना..? जो औरत इतनी संस्कारी थी... जो किसी मर्द के आस पास भी नहीं भटकती थी.... वह आज किसी बदचलन औरत की तरह हंसते हंसते किसी गंदे राक्षस को चिपक कर कैसे खड़ी हो सकती थी...? क्या यह सपना था...? या कड़वा सच..? मेरे दिमाग में सवालों का ट्रैफिक जाम हो गया था...
" नमन "
तभी प्रताप दादा के मुंह से मुझे मेरा नाम सुनाई दिया... मैने दादा की ओर गौर से देखा... में अभी भी काफी गुस्से में था.. मै वैसे ही चिढ़ते हुए उनकी बात सुनने लगा
" नमन, असुर अब तुम्हारे पिता की जगह पर हैं... अगर तुम चाहो तो उसे अपना पिता मान सकते हो... पर तुम्हें जबरदस्ती यह मानने के लिए दबाव नहीं डाला जाएगा... पर हम तुम्हे एक जिम्मेदारी सौंप रहे हैं... जो शायद तुम्हे थोड़ी अटपटी लगे... पर यह बात मैंने पारो ने सोची है और, हमें तो ठीक ही लगी "
इतना कहकर दादा ने पारो आंटी को कुछ इशारा किया... पारो आंटी मुस्कुराते हुए अंदर कमरे में गई और तुरंत अपने हाथ में कुछ लेकर वापस लौटी... " हे स्वामीजी... यह तो वही गर्भनिरोधक दवाइयों का बॉक्स था... पर पारो आंटी वो मेरे पास क्यों लेकर आ रही थी...? मां को भी इस बॉक्स के बारे में कुछ भी पता नहीं था.. इसीलिए उनके चेहरे पर भी सवालिया निशान साफ दिखाई दे रहे थे.
पारो आंटी ने वो बॉक्स मेरे हाथ में दिया और पलट कर दादा के पास जाकर खड़ी हो गई. प्रताप दादा ने उस बॉक्स को देखते हुए मुझसे कहा..
" नमन, पूनम और असुर के हर संभोग उपरांत यह गर्भनिरोधक दवा पूनम को देने की जिम्मेदारी में तुम पर सौंपता हु... हर संभोग के बाद एक घंटे के अंदर पूनम को यह दवा लेनी होगी... पर असुर और पूनम के हर संभोग के बाद शायद ही पूनम की हालत ऐसी होगी कि वो उठकर ये गोली ले सके... असुर ने भी कहा है कि वो संभोग करते समय कंडोम नहीं पहनेगा...और अगर गलती से भी पूनम गर्भवती हो गई तो पूनम और तुम पर कहर ढा जायेगा..."
अब मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था.. " यह दादा पागल हो गया है क्या...? एक बेटा अपनी ही मां को किसी पराए मर्द से चूदने के बाद गर्भनिरोधक दवा देगा...? और कोई नहीं है क्या इस घर में...? मेरा गुस्सा उफान पर था... मैने अपनी आंखे गुस्से से लाल करते हुए मां की और देखा.... पर इस वक्त मां के चेहरे को देखकर में समझ गया कि कुछ तो गलत था... उनका दुखियारा चेहरा अब उनकी व्यथा बताने लगा था..." मां जैसे टूट चुकी थी... वो सुबक सुबक कर रो रही थी.... यह सब सुनकर उनकी खुशी जैसे गायब हो गई थी... वो वैसे ही रोते हुए दादा के पैरों पर आ गिर गई... उन्के मन के सवाल अब उजागर हो चुके थे...एक मां अपने बेटे से हर चूदाई के बात गर्भनिरोधक दवा कैसे ले सकती थी..? उनका चेहरा इस क्रूर बात से बिल्कुल शर्मसार हो चुका था.. मां को ऐसा गिड़गिड़ाते हुए देखकर ना चाहते हुए भी मेरा दिल पिघल गया. मां को अर्धनग्न हालत में ऐसे दादा के पैर पर गिरा देख में उन्हें उठा भी नहीं सकता था... पर यह क्या हुआ था...? प्रताप दादा के गर्भनिरोधक दवा की बात ने तो एक ही पल में वक्त बदल दिया था... मां के जज्बात ही बदल दिये था.... मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था... तभी....मां रोते हुऐ दादा और सबसे कहने लगी...
" मुझ पर ऐसा जुलुम मत कीजिए दादाजी... ऐसा कैसे हो सकता है...? यह तो पूरी तरह गलत है... इन्होंने (असुरने) पारो मांजी से कहकर भेजा था कि अगर में राजी खुशी विवाह के लिए तैयार हुई तो वो नमन को अपना बेटा मानकर उसे खुशीसे अपना लेंगे... बेटा नमन.. में तो बस तेरे भले के लिए यह सब कर रही हूं.... और आप भी सुनिए जी (असुरको)... मैं आपकी दासी ही नहीं बल्कि पालतू गुलाम बनके रहूंगी.. पर नमन मेरा बेटा हैं.. उसके सामने में वो सब करने के बाद, उसी से यह दवा ले लू...? यह मुझे मंजूर नहीं हैं... मैं खुद दवा कैसे लेनी हैं देख लूंगी... मैने आपको अपना पति स्वीकार कर दिया है...आप मेरे अंदर जितनी बार चाहे छोड़ सकते हैं.. में पूरी खबरदारी बरकुंगी..आप लोगों को स्वामीजी का वास्ता "
इतना कहते ही मां फिर से फूट-फूट कर रोने लगी... मेरे भी आंसू बह रहे थे... मैं मां के बारे में कितना गलत सोच रहा था, यह मुझे मालूम पड़ते ही मुझे और भी दुख हुआ...प्रताप दादा और सब उन्हें देख रहे थे तभी दादा फिर से बोल पड़े.
" अब तुमने स्वामी जी का वास्ता दे ही दिया है तो... आज के लिए इस बात को टाल देते हैं. लेकिन कल इसका निर्णय सभी के समक्ष होगा.... मैं इस कुल के लिए और कोई खतरा नहीं ले सकता हूं... इस कुल की जिम्मेदारी मुझपर हैं....और वैसे भी अभी जो सबसे जरूरी बात है वह तुम दोनों पति पत्नी को बताने का समय हैं... एक तरह से यह तुम दोनों के लिए उपहार ही है... क्यों कि ऐसा मौका कही पीढ़ियों के बाद हमारे कुल में सिर्फ तुम दोनों को ही मिला है... आज की काली रात काफी फलदाई होने वाली हैं. तो आज रात असुर और पूनम तुम दोनों स्वामीजी के पूजा घर को खोलकर...स्वामीजी के प्रतिमा के सामने पहली बार संभोग करोगे... पूनम के कुंवारे पन के टूटते ही जो खून असुर के लिंग पर लगेगा, उस खून को असुर स्वामीजी के प्रतिमा को अर्पित करेगा... उसके पश्चात असुर पहली बार अपना वीर्य पूनम के अंदर गर्भ में छोड़ेगा...आज की रात तुम दोनों की सुहागरात उसी कमरे में होगी... स्वामीजी के आशीर्वाद से तुम्हारी सुहागरात काममय होगी "
मां ने पूरी बात सुन ली थी पर उनके चेहरे पर उत्सुकता के कोई भाव नहीं थे.... उल्टा मां किसे पुतले की तरह स्तब्ध हो चुकी थी... वह मेरे पास आई और मुझसे कुछ कहने के लिए आगे बढ़ी... पर.... उन्हें जैसे ही एहसास हुआ कि वह पूरी तरह अर्धनग्न मेरे सामने खड़ी है..
वो वहीं पर खड़े होकर मुझे देखने लगी... असुर समझ चुका था कि उसकी चाल फैल हो चुकी हैं पर वो यह भी जानता था कि मां उसकी पत्नी हैं... क्यों कि मां ने ही उसे यह मान्यता दी थी...और वैसे भी मां को असुर के साथ वो सब (संभोग ) करने में कोई दिक्कत नहीं थी... उन्हें सिर्फ इस बात की शर्म थी कि मुझे उन्हें हर चूदाई के बाद गर्भनिरोधक दवा देनी पड़ने वाली थी.... पर असुर कोई चांस लेना नहीं चाहता था.... असुर ने पीछे से गुर्राते हुए कहा कि...
" पूनम, तू मेरी बात पर यकीन नहीं करती... इसीलिए तुझे फुसलाकर तुझे यह सब यकीन दिलाना पड़ा... मैं तेरी खुशी से तुझे अपनी पत्नी बनाना चाहता था... और सच मानो मैं मेरी बात पर अटल रहूंगा... पर अभी तेरे इस हुस्न को देखकर मेरे सब्र का बांध टूटने लगा हैं... अब तू तैयार हो जा "
मां बस लज्जापूर्वक यह सब सुन ही रही थी, तभी ... असुर अपनी बात खत्म करते ही मां के पीछे से आया.... उसने मां के गले को पीछे से पकड़ा... उनकी वो सफेद पेंटी फाड़ दी.... मां काफी... काफी..शॉक हो गई जैसे उन्हें कोई हल्का करंट सा लगा हो.... फिर उसने अपने दूसरे हाथ से मां की पतली कमर को पकड़कर उन्हें ऊपर हवा में उठाया.. और मेरे सामने हो मेरी मां को वैसे ही उठाकर स्वामीजी के पूजा घर की ओर चल पड़ा... पूजा घर का दरवाजा पारो आंटी ने आगे बढ़कर पहले ही खोल रखा था... कुछ ही पल में असुर मां को उस बिना उजाले वाले कमरे में लेकर चला गया..... धड़ाम ....! और पारो आंटी ने बाहर से दरवाजा बंद कर लिया... यह सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि मेरे आंखों के सामने किसी फिल्म का सीन फास्फोरवर्ड चल रहा हैं ऐसा ही दृश्य दिखाई पड़ा था... और में बस देखे जा रहा था... पर में करता भी तो क्या....?
तभी पारो आंटी मेरी तरफ आई और उन्होंने वह गर्भनिरोधक दवा का पैक मुझसे ले लिया और मुझसे कहने लगी... " तू सो जा बेटा... आज रात तेरी मां की ईट से इट बजेगी... तू भी जगेगा तेरी मां भी जगेगी... यह अच्छा नहीं लगेगा "
इतना कहकर पारो आंटी वहां से दादा के पास चली आई... और उनसे दबी आवाज में कुछ बात करने लगी. मुझे पहले जो लगा था वहीं सच था... यह असुर और उसका परिवार एकदम षड्यंत्रकारी ही था... नहीं तो मेरी मां ऐसे कैसे खुशी से उसको अपनाती...? पर अभी भी असुर का कुछ बिगड़ा नहीं था... उसने इतना सबकुछ करने के बाद भी अपने आप को वो बस थोड़ा सा अड़ियल है यही दिखाया था... और वह मां को हमारे सामने ऐसी नंगी करकर भी इसलिए अंदर पूजा घर में ले गया था... क्योंकि वो खुद कैसा है यह मां को अनुमान ना लगे... बिल्कुल अन्प्रेडिक्टेबल.... वह खुद को प्यारा भी और कठोर भी जताना चाहता था... उसे यह अच्छे से पता था कि... " औरत को ना ही प्यार करने वाले मर्द पसंद हैं... ना ही रफ मर्द... उन्हें तो दोनों का कॉम्बिनेशन वाले विथ एक्स्ट्रा टफ मर्द ही पसंद होते हैं " ......पर मैं असुर की नब्ज़ नब्ज से परिचित था... वो सच में असुर था... वो प्यार भी करेगा तो वहशीपन से यह में अच्छी तरह जानता था....
अब उस स्वामीजीके पूजाघर में मां की सुहागरात मनने वाली थी... यह सोचकर ही मेरे पेट में गोला बन चुका था... असुर का लंबा लंड... ओर मां की आठ साल वाली कुंवारी छोटी सी चूत... उसका जब मिलन होगा तो... मां के लिए तो संकट की स्थिति आने वाली थी यह तय था... पर अब असुर का भी मां को फुसलाने का अगला प्लान क्या होगा यह भी देखना मेरे लिए बाकी था... दादा और पारो आंटी कुछ बातचीत में मशरूफ थे यह देखकर मै उनके सामने से नज़रे चुराकर ऊपर पैसेज वाली जगह पर पूजाघर में क्या हो रहा हैं यह देखने चला आया... अंदर क्या हो रहा है यह देखने से पहले मेरा दिल धूम फिल्म की बाइक की स्पीड में धड़क रहा था..
यह सब प्लॉन असुर ही बना रहा था या उसका परिवार भी उसे आइडिया देने में शामिल था?
मां की सुहागरात कैसे होने वाली थीं?
मां असुर के लंड को देखकर कैसा रिएक्ट करेगी?
स्वामी जी के प्रतिमा के साथ वो विधि कैसे और कितनी कामुक होगी?
सुबह मां की हालत क्या होगी?
असलम की पेन्किलर दवा उन्हें देने पड़ेगी?
आगे की कहानी में नया मोड भी आएगा. वह क्या होगा?
गर्भनिरोधक दवा का बहाना, मेरे लिए कोई नई मुसीबत तो नहीं ला
ने वाली थी ना?
पढ़िए अगले भाग में.