26-03-2025, 01:11 PM
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मैंने कहा- तुम्हें जैसे डालना है डालो, पर डालो।
अजय ने अपने लंड की खाल को पीछे खींचा और उसका अंदर वाला चिकना लंड मेरी चूत पे रख के हल्का सा अंदर को दबाने लगा।
चूत चिकनी होने से उसका लंड आसानी से अंदर घुसने लगा।
पर जैसे ही वो थोड़ा सा और अंदर गया मुझे दर्द की एक लहर सी महसूस हुई और मेरे मुंह से सीईईई … निकल गयी।
अजय ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं … तुम डालो।
अजय थोड़ा और अंदर डालने लगा तो और तेज़ दर्द सा हुआ और मेरे मुंह से ऊई … निकल गयी और मैं ऊपर को खिसक गयी जिससे उसका लंड बाहर निकल गया।
अजय अब थोड़ा और पास आया और दुबारा लंड डालने लगा.
पर मुझे दर्द होने लगा था तो मैं उसे स्सी … स्सी … करते हुए रोकने लगी।
अजय बोला- यार, थोड़ा दर्द तो बर्दाश्त करना पड़ेगा, वरना आगे का मजा कैसे आयेगा।
मैंने उसकी बात समझते हुए थोड़ा स्थिर रहने का निश्चय किया और कहा- ठीक है, अब नहीं हिलूंगी. पर धीरे धीरे डालना।
अब मैंने अपने घुटने मोड़ रखे थे. अजय ने उन्हें हाथ से पकड़ लिया और लंड को मेरी चूत पे सटाया।
फिर उसने एक हाथ से हल्का सा अंदर सरकाया और फिर से मेरे घुटनों को पकड़ लिया।
अजय बोला- तैयार हो?
मैंने कहा- हाँ, पर धीरे धीरे!
अजय बोला- ठीक है.
और बहुत धीरे धीरे लंड को अंदर सरकाने लगा।
उसका मोटा लंड मेरी चूत के छोटे से छेद को जबर्दस्ती खोलता हुआ अंदर घुसने लगा।
मेरे मुंह से दर्द की हल्की हल्की स्सस्सी … स्सस्सी … स्सस्सी … स्सस्सी … निकल रही थी।
जैसे ही अजय ने लंड थोड़ा और अंदर डाला मुझे और तेज़ दर्द होने लगा और मेरी आँखों से आँसू भी आने लगे.
पर मैंने उसे नहीं रोका।
वो दबाव डालता जा रहा था और मेरी सील टूटती जा रही थी और अचानक से पूरी फट गयी.
मेरे पूरे शरीर में दर्द की लहर दौड़ गयी और मेरे मुंह से आहह … ऊई … स्सस्सी … स्सस्सी … निकल गयी।
इधर अजय का लंड अभी आधा भी अंदर नहीं गया था और मैं दर्द से तड़प रही थी और ज़ोर ज़ोर से उम्महह … उम्महह सांस ले रही थी।
अजय ने अपना लंड अंदर डालना जारी रखा और मैं भी आहह … आहह … स्सस्सी … स्सस्सी … करते हुए उसका साथ दे रही थी।
उसका सख्त लंड मेरी छोटी सी गर्म चूत में समाता जा रहा था।
आखिरकार थोड़ी देर में उसने पूरा लंड अंदर तक पहुंचा के अटका के ही दम लिया।
लंड आखिर तक पहुंचने से मुझे ऊपर को हल्का सा झटका लगा।
मैं अब भी उम्महह … उम्महह … कर रही थी और अजय भी उफ़्फ़ … फ्फ़ … कर रहा था.
मेरी आँखों से आँसू बह रह थे।
कुछ देर तक अजय ऐसे हो रुका रहा और थोड़ी देर में मेरा दर्द भी कम सा होने लगा।
अजय ने पूछा- अब ठीक है?
मैंने कहा- हाँ, धीरे धीरे कर लो अब।
अजय के चेहरे पे मुस्कान आ गयी और फिर उसने धीरे धीरे लंड निकाला और फिर दुबारा डाला।
मुझे अब हल्का हल्का दर्द हो रहा था पर मेरी धीरे धीरे चुदाई हो रही थी।
मैंने अजय से कहा- अब चोदना तेज़ कर सकते हो।
अजय बोला- ठीक है.
और उसने चुदाई की गति बढ़ा दी।
वो धीरे धीरे आधे से ज्यादा लंड निकालता और फिर झटके से पूरा अंदर तक डाल देता।
उसका हर झटका मुझे ऊपर को हिला देता और मेरे मुंह से आहह … अहह … आहह … आई … आई … स्सस्सी … स्सस्सी … स्सस्सी … आहह … अजय निकलने लगी।
ऐसे ही वो मुझे 4-5 मिनट तक चोदता रहा और फिर थोड़ी देर बाद रुक गया और हांफते हुए सांस भरने लगा।
अब तक मेरा दर्द भी काफी कम हो गया था और हल्का हल्का मजा भी आने लगा था.
मैं सीधी लेट कर आराम कर रही थी।
कुछ देर सुस्ता के अजय बिल्कुल मेरे ऊपर आ गया और मेरी आँखों में देखते हुए बोला- अब फिर से शुरू करता हूँ।
मैंने ‘हम्म’ कहते हुए सिर हिलाया और अजय ने मेरे ऊपर झुके हुए ही अपना लंड मेरी चूत पे लगाया और मेरे ऊपर पूरा लेट गया और उसका आधे से ज्यादा वजन मेरे ऊपर आ गया।
फिर उसने लेटे हुए ही मेरे ऊपर सरक के अपना लंड अंदर डाल दिया धीरे धीरे।
मेरी आँखें बंद हो गयी और मेरी मुंह से स्सस्सी … स्सस्सी … आहह आह … निकलने लगी।
इस बार अजय मुझे ऐसे लेटे लेटे ही ऊपर नीचे सरक के चोदने लगा.
पर इस बार मुझे भी मजा आने लगा और मैं सेक्स का आनंद लेते हुए स्सस्सी … स्सस्सी … करते हुए चुदवाने लगी।
धीरे धीरे उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और हमारे बदन एक दूसरे पे रगड़ते रहे और मेरी चुदाई चलती रही।
अजय भी हम्म … हम्म … हम्म … करते हुए ऊपर नीचे सरक के मुझे चोद रहा था और 5-6 मिनट तक चोदता ही चला गया।
जब वो थक गया तो लंड अंदर ही डाल के रुक गया और मेरे ऊपर लेटा रहा और हम दोनों सुस्ताने लगे।
कुछ देर सुस्ता के वो साइड में उतर गया और कुछ वक़्त हम ऐसे ही पड़े रहे।
अब मुझे चुदवा के मजा आ रह था तो मैंने ही पहल करते हुए कहा- वाह यार, कमाल का चोदते हो तुम तो!
अजय बोला- सालों का अनुभव है नेहा चुदाई में तो, पता नहीं कितनी सील तोड़ी होंगी।
मैंने कहा- मुझे क्या पता अनुभव का … शुरू करो दुबारा तभी तो पता चलेगा।
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
