26-03-2025, 01:09 PM
फेक दी।
मेरी सफ़ेद ब्रा में फसे मेरे बूब्स सख्त हो चुके थे और बाहर निकलने को तड़प रहे थे।
मैंने भी देर ना करते हुए अपनी ब्रा उतार दी।
उधर अजय ने भी अपने कपड़े उतार दिये और सिर्फ कच्छा छोड़ दिया; उसमें उसका लंड पूरा सख्त हो चुका था।
यह देख के मैंने भी अपने लहंगे का नाड़ा खोला और उसे भी उतार दिया और पैंटी छोड़ दी।
अजय बोला- रुक क्यूँ गयी, ये भी उतारो ना!
मैंने कहा- पहले तुम उतारो।
अजय बोला- नहीं, पहले तुम दिखाओ चूत।
मैंने कहा- पहले तुम दिखाओ अपना लंड।
लेकिन ‘एक मिनट’ बोलकर मैंने खुद ही अजय का कच्छा नीचे खींच दिया और हंसने लगी.
पर जैसे ही उसका लंड उछल के खड़ा हो गया मेरी हंसी आश्चर्य में बदल गयी।
मेरे मुंह से निकला- इतना बड़ा है तुम्हारा!
सच में अजय का लंड बड़ा था, लगभग मेरी हथेली के बराबर तो होगा ही।
अजय ने उसे लहराते हुए पूछा- क्यूँ पसंद आया ना?
मैंने ‘हम्म’ कहा।
अजय बोला- फिर सोच क्या रही हो शुरू करो।
मैंने कहा- क्या शुरू करूँ?
अजय बोला- अरे, मुंह में लेकर चूसो इसे और क्या!
मैंने कहा- छी … नहीं!
अजय बोला- ऐसे नहीं चलेगा, जैसे मैं कह रहा हूँ, वैसे करो!
और फिर अजय खड़ा हो के मेरे पास आया।
मैं उसकी आंखों में देख रही थी और फिर अजय ने मेरे दोनों कंधों पे हाथ रखे और हल्के से नीचे दबाने लगा और मुझे फर्श तक बैठा दिया और बोला- कुछ नहीं होगा, बहुत मजा आयेगा।
मैंने उसके काले लंड को देखा और बुरा सा मुंह बनाते हुए हल्के से किस किया.
अजय बोला- ऐसे नहीं … मुंह खोलो हल्का सा!
मैंने कहा- नहीं।
उसने बोला- खोलो तो!
मैंने हल्का सा मुंह खोला और फिर अजय ने अपना लंड मेरे होंठों पे रख के दबा दिया।
विरोध में मैंने ‘उम्म’ किया पर उसने मेरा सिर पीछे से पकड़ लिया और अपना लंड मेरे मुंह में धकेलने लगा।
धीरे धीरे उसका सख्त लंड मेरे मुंह में अंदर तक चला गया और मैं म्म … हम्म … हम्म … कर रही थी क्योंकि मैं उसे निकाल नहीं सकती थी.
शुरू में तो मुझे उल्टी सी होने को हुई पर फिर धीरे धीरे मैंने उसे चूसना ही शुरू कर दिया और फिर अजय का साथ देते हुए अंदर बाहर चूसने लगी।
अजय भी उम्महह … उम्म … उमह्ह … करके सिसकारियाँ लेता रहा और मैं उसका लंड 2-3 मिनट तक चूसती रही।
तभी अजय ज़ोर ज़ोर से आह … आहह … नेहा … आहह … करने लगा.
और फिर उसने मेरा सिर अपने लंड पे दबा दिया और उसके लंड से वीर्य छूट गया मेरे मुंह में।
मैंने घिन्न में उम्म … उम्म … किया भी पर फिर भी उसने सब नमकीन नमकीन माल मेरे मुंह में ही भर दिया।
थोड़ा सा वीर्य लीक होते हुए मुंह से साइड में भी निकलने लगा।
खैर जैसे तैसे मेरा लंड चूसना खत्म हुआ और फिर मैं उठ के अलग हो गयी और होंठ साफ करते हुए कहा- अब तो खुश हो?
अजय बोला- बहुत … लाओ अब तुम्हें खुश कर देता हूँ।
मैंने पूछा- कैसे?
उसने बोला- इधर आओ, बताता हूँ।
मैं उसके पास गयी तो उसने फट से मेरी पैंटी नीचे सरका दी और मुझे बेड पे सीधा गिरा दिया।
मैंने पूछा- क्या कर रहे हो।
उसने बोला- अभी बताता हूँ।
और अजय ने मेरी टाँगें चौड़ी करी और मेरी चूत को देखने लगा।
मैंने उत्सुकतावश पूछा- कैसी लगी?
अजय बोला- बहुत सुंदर चूत है तुम्हारी … एकदम सील पैक … और एक बाल नहीं है।
मैंने कहाँ- हाँ वो तो है. आज तक किया जो नहीं कभी।
अजय बोला- कोई नहीं … आज हो जाएगा.
और उसने मेरी चूत को किस किया ज़ोर से!
मेरे शरीर में एकदम से सिरहन सी दौड़ गयी आनंद की और मेरे मुंह से हल्की सी ‘आह …’ निकल गयी।
अजय बोला- क्या हुआ?
मैंने कहा- बहुत मजा सा आया।
अजय बोला- मजा आया ना, अभी और आएगा!
और उसने मेरी चूत को कुत्ते की तरह जीभ से ऊपर-नीचे चाटना शुरू कर दिया ज़ोर ज़ोर से।
मैं अब ऊपर को उचक सी गयी क्योंकि पहली बार मुझे इतना मजा आया था।
मेरे मुंह से हल्की हल्की सीईई … सीईईई … सीईईई … निकलने लगी और अजय मेरी चूत के द्वार को जीभ से कुरेद कुरेद के चाटता रहा।
मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी और मेरी सांसें भी तेज़ हो गयी थी।
मैं हकलाते हुए बोल रही थी- आहह … अजय … आहह … मज्जा आ रहा है … ऐसे ही करते रहो … आहह … स्सस्स … स्स … आह!
अजय बड़ी शिद्दत से मेरी चूत को चाट रहा था.
और तभी मेरी उत्तेजना इतनी बढ़ गयी कि मेरे पूरे शरीर में आनंद की लहर सी मारने लगी.
अगले ही पल मेरी चूत से पानी छूट गया और मेरी सांस फूल गयी।
मैं ज़ोर ज़ोर से हाँफते हुए शांत होने लगी और अजय उठ के साइड में बैठ गया था।
कुछ देर बाद अजय ने पूछा- अब आया मजा?
मैंने कहा- इस बार तो मजा ही आ गया, इतना मजा तो कभी नहीं आया।
अजय बोला- अरे जान, देखती जाओ, अभी तो और मजा आयेगा जब तुम चुदवाओगी मेरे लंड से।
मैंने कहा- रुक जाओ थोड़ी देर, सांस तो लेने दो।
मेरी सफ़ेद ब्रा में फसे मेरे बूब्स सख्त हो चुके थे और बाहर निकलने को तड़प रहे थे।
मैंने भी देर ना करते हुए अपनी ब्रा उतार दी।
उधर अजय ने भी अपने कपड़े उतार दिये और सिर्फ कच्छा छोड़ दिया; उसमें उसका लंड पूरा सख्त हो चुका था।
यह देख के मैंने भी अपने लहंगे का नाड़ा खोला और उसे भी उतार दिया और पैंटी छोड़ दी।
अजय बोला- रुक क्यूँ गयी, ये भी उतारो ना!
मैंने कहा- पहले तुम उतारो।
अजय बोला- नहीं, पहले तुम दिखाओ चूत।
मैंने कहा- पहले तुम दिखाओ अपना लंड।
लेकिन ‘एक मिनट’ बोलकर मैंने खुद ही अजय का कच्छा नीचे खींच दिया और हंसने लगी.
पर जैसे ही उसका लंड उछल के खड़ा हो गया मेरी हंसी आश्चर्य में बदल गयी।
मेरे मुंह से निकला- इतना बड़ा है तुम्हारा!
सच में अजय का लंड बड़ा था, लगभग मेरी हथेली के बराबर तो होगा ही।
अजय ने उसे लहराते हुए पूछा- क्यूँ पसंद आया ना?
मैंने ‘हम्म’ कहा।
अजय बोला- फिर सोच क्या रही हो शुरू करो।
मैंने कहा- क्या शुरू करूँ?
अजय बोला- अरे, मुंह में लेकर चूसो इसे और क्या!
मैंने कहा- छी … नहीं!
अजय बोला- ऐसे नहीं चलेगा, जैसे मैं कह रहा हूँ, वैसे करो!
और फिर अजय खड़ा हो के मेरे पास आया।
मैं उसकी आंखों में देख रही थी और फिर अजय ने मेरे दोनों कंधों पे हाथ रखे और हल्के से नीचे दबाने लगा और मुझे फर्श तक बैठा दिया और बोला- कुछ नहीं होगा, बहुत मजा आयेगा।
मैंने उसके काले लंड को देखा और बुरा सा मुंह बनाते हुए हल्के से किस किया.
अजय बोला- ऐसे नहीं … मुंह खोलो हल्का सा!
मैंने कहा- नहीं।
उसने बोला- खोलो तो!
मैंने हल्का सा मुंह खोला और फिर अजय ने अपना लंड मेरे होंठों पे रख के दबा दिया।
विरोध में मैंने ‘उम्म’ किया पर उसने मेरा सिर पीछे से पकड़ लिया और अपना लंड मेरे मुंह में धकेलने लगा।
धीरे धीरे उसका सख्त लंड मेरे मुंह में अंदर तक चला गया और मैं म्म … हम्म … हम्म … कर रही थी क्योंकि मैं उसे निकाल नहीं सकती थी.
शुरू में तो मुझे उल्टी सी होने को हुई पर फिर धीरे धीरे मैंने उसे चूसना ही शुरू कर दिया और फिर अजय का साथ देते हुए अंदर बाहर चूसने लगी।
अजय भी उम्महह … उम्म … उमह्ह … करके सिसकारियाँ लेता रहा और मैं उसका लंड 2-3 मिनट तक चूसती रही।
तभी अजय ज़ोर ज़ोर से आह … आहह … नेहा … आहह … करने लगा.
और फिर उसने मेरा सिर अपने लंड पे दबा दिया और उसके लंड से वीर्य छूट गया मेरे मुंह में।
मैंने घिन्न में उम्म … उम्म … किया भी पर फिर भी उसने सब नमकीन नमकीन माल मेरे मुंह में ही भर दिया।
थोड़ा सा वीर्य लीक होते हुए मुंह से साइड में भी निकलने लगा।
खैर जैसे तैसे मेरा लंड चूसना खत्म हुआ और फिर मैं उठ के अलग हो गयी और होंठ साफ करते हुए कहा- अब तो खुश हो?
अजय बोला- बहुत … लाओ अब तुम्हें खुश कर देता हूँ।
मैंने पूछा- कैसे?
उसने बोला- इधर आओ, बताता हूँ।
मैं उसके पास गयी तो उसने फट से मेरी पैंटी नीचे सरका दी और मुझे बेड पे सीधा गिरा दिया।
मैंने पूछा- क्या कर रहे हो।
उसने बोला- अभी बताता हूँ।
और अजय ने मेरी टाँगें चौड़ी करी और मेरी चूत को देखने लगा।
मैंने उत्सुकतावश पूछा- कैसी लगी?
अजय बोला- बहुत सुंदर चूत है तुम्हारी … एकदम सील पैक … और एक बाल नहीं है।
मैंने कहाँ- हाँ वो तो है. आज तक किया जो नहीं कभी।
अजय बोला- कोई नहीं … आज हो जाएगा.
और उसने मेरी चूत को किस किया ज़ोर से!
मेरे शरीर में एकदम से सिरहन सी दौड़ गयी आनंद की और मेरे मुंह से हल्की सी ‘आह …’ निकल गयी।
अजय बोला- क्या हुआ?
मैंने कहा- बहुत मजा सा आया।
अजय बोला- मजा आया ना, अभी और आएगा!
और उसने मेरी चूत को कुत्ते की तरह जीभ से ऊपर-नीचे चाटना शुरू कर दिया ज़ोर ज़ोर से।
मैं अब ऊपर को उचक सी गयी क्योंकि पहली बार मुझे इतना मजा आया था।
मेरे मुंह से हल्की हल्की सीईई … सीईईई … सीईईई … निकलने लगी और अजय मेरी चूत के द्वार को जीभ से कुरेद कुरेद के चाटता रहा।
मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी और मेरी सांसें भी तेज़ हो गयी थी।
मैं हकलाते हुए बोल रही थी- आहह … अजय … आहह … मज्जा आ रहा है … ऐसे ही करते रहो … आहह … स्सस्स … स्स … आह!
अजय बड़ी शिद्दत से मेरी चूत को चाट रहा था.
और तभी मेरी उत्तेजना इतनी बढ़ गयी कि मेरे पूरे शरीर में आनंद की लहर सी मारने लगी.
अगले ही पल मेरी चूत से पानी छूट गया और मेरी सांस फूल गयी।
मैं ज़ोर ज़ोर से हाँफते हुए शांत होने लगी और अजय उठ के साइड में बैठ गया था।
कुछ देर बाद अजय ने पूछा- अब आया मजा?
मैंने कहा- इस बार तो मजा ही आ गया, इतना मजा तो कभी नहीं आया।
अजय बोला- अरे जान, देखती जाओ, अभी तो और मजा आयेगा जब तुम चुदवाओगी मेरे लंड से।
मैंने कहा- रुक जाओ थोड़ी देर, सांस तो लेने दो।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
