26-03-2025, 01:08 PM
मेरी शर्म थोड़ी खुल गयी थी तो मैं उसके ऊपर बैठ गयी और उसके होंठ पूरी शिद्दत से चूसने लगी।
मेरे खुले बाल उसके चेहरे पे लटक रहे थे और हम एक दूसरे को चुंबन किए जा रहे थे।
मैं अजय की जांघों पे बैठी थी तो मुझे महसूस होने लगा कि उसके लन्ड में हरकत होने लगी थी और धीरे धीरे वो सख्त होने लगा था।
ऊपर से वो मेरी चूत के पास था तो मुझे और जोश आने लगा था।
अजय ने मेरे बूब्स को दोनों हाथो से पकड़ के दबाना शुरू कर दिया था
मेरे खुले बाल उसके चेहरे पे लटक रहे थे और हम एक दूसरे को चुंबन किए जा रहे थे।
मैं अजय की जांघों पे बैठी थी तो मुझे महसूस होने लगा कि उसके लन्ड में हरकत होने लगी थी और धीरे धीरे वो सख्त होने लगा था।
ऊपर से वो मेरी चूत के पास था तो मुझे और जोश आने लगा था।
अजय ने मेरे बूब्स को दोनों हाथो से पकड़ के दबाना शुरू कर दिया था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
