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लंड की लालसा
#8
भाभी बोली- नेहा, खुल के मजे ले, कुछ नहीं होगा।
और उन्होंने अजय को बोला- कोई कमी नहीं रहनी चाहिए अजय।
अजय बोला- अरे आप चिंता मत करो, कल सुबह आप खुद पूछ लेना नेहा से।
भाभी ने कहा- ठीक है, मजे करो फिर!
और फिर दरवाजा बंद कर के चली गयी।

भाभी तो चली गयी पर मैं वही खड़ी रही और नीचे फर्श को देखती रही.
मुझे बहुत अजीब लग रहा था और शर्म भी आ रही थी। मुझे लगा था मैं अपना पहला सेक्स अपने पति के साथ ही कर पाऊँगी, पर इतनी जल्दी करने को मिल जाएगा ये कभी नहीं सोचा था।

थोड़ी देर तक तो अजय भी ऐसे ही बेड पे बैठा रहा पर फिर बोला- वहीं खड़े रहने का इरादा है क्या मैडम? इधर तो आओ ज़रा, अब क्या शरमाना!
मैं भी फिर धीरे धीरे अजय के पास बेड के किनारे बैठ गयी।

अजय बोला- हाँ तो नेहा जी, बताओ यहाँ क्यूँ आई हो?
मैंने हकलाते हुए कहा- वो … मैं … मेरा वो मन कर रहा है।
अजय बोला- ऐसे नहीं नेहा जी, खुल के बोलो. मुझे समझ नहीं आ रहा।

मैं फिर बोली- वही जो भाभी कर रही हैं नीचे।
अजय बोला- ऐसे नहीं यार, थोड़ा तो खुलो, खुल के बोलो।

मैंने बहुत हल्की आवाज में कहा- सेक्स।
अजय मुस्कुराने लगा और बोला- तुम रहने दो. जाओ सो जाओ, ऐसे मजा नहीं आ रहा मुझे!

मैंने कहा- अरे क्यूँ मजे ले रहे हो, पता तो है तुम्हें कि मुझे क्या करना है।
अजय बोला- मजे ले रहा हूँ तो तुम्हें भी तो मजे दूंगा पूरे! चलो फटाफट बोलो क्यूँ आई हो, और वो भी हिन्दी में!

मैंने थोड़ा झुँझलाते हुए कहा- अरे यार, बुर चुदवाने आई हूँ तुमसे, बस!
अब अजय हंसने लगा और मेरे पास आकर बैठ गया और मुझे देखने लगा।

मैं अब नीचे देखने लगी थी फर्श पे!
फिर अजय मेरे सामने आ के खड़ा हो गया और उसको देखते हुए मैं भी खड़ी हो गयी।

अजय ने मुझे देख के एक शैतानी भरी मुस्कान दी.

और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसने मेरा सिर पीछे से पकड़ा और मेरे गुलाबी होंठों पे अपने होंठ रख के ज़ोर से दबा दिये।

मैं इस पल के लिए जरा भी तैयार नहीं थी।
मेरी आँखें आश्चर्य से फैल गयी थी और हमारे होंठ मिले हुए थे।

इसके बाद अजय मेरे ऊपर गिरता चला गया और हम दोनों बेड पे गिर गए।

अजय मेरे ऊपर था और हमारे होंठ अब भी मिले हुए थे।

फिर धीरे धीरे हम एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे। धीरे धीरे हम पूरे होंठ खोल खोल के एक दूसरे को किस यानि चुंबन कर रहे थे।

उस वक़्त तो मैं कुछ भी नहीं सोच रही थी और बस उस पल में बह रही थी।

लगभग दो मिनट किस कर के अजय मेरे ऊपर से उठ गया और साइड में लेट गया।

मैं अचानक से बहुत खुश हो गयी थी। मेरी बरसों की हवस की भूख जो पूरी होती दिख रही थी।
अजय बोला- कैसा लगा नेहा?
मैंने उत्सुक होते हुए बोला- बहुत मजा आया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: लंड की लालसा - by neerathemall - 26-03-2025, 01:05 PM



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