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लंड की लालसा
#7
पर मेरा ध्यान बार बार इस बात पे जा रहा था कि भाभी क्या कर रही होगी, कितने मजे ले रही होगी।

जब कुछ देर बाद भी मुझे नींद नहीं आई तो मैं उठ के बैठ गयी और धीरे से दरवाजा खोल के झाँका कि नीचे क्या हो रहा है।
नीचे कोई नहीं था, अजय भी अपने कमरे में सोने जा चुका था और कुणाल और भाभी अपने काम में व्यस्त थे।

पता नहीं क्यूँ … पर मुझे उन दोनों को सेक्स करते हुए देखने की बहुत इच्छा हो रही थी।
मैं दबे पाँव घर से बाहर निकाल के उनके कमरे के पीछे चली आयी।

वहाँ काँच की खिड़की लगी हुई थी पर बाहर अंधेरा होने के कारण सिर्फ बाहर से अंदर देखा जा सकता था, अंदर से बाहर नहीं।
मैं धीरे से खिड़की से उन दोनों को देखने लगी।

अंदर कुणाल और भाभी एक दूसरे के जिस्म का पूरा लुत्फ ले रहे थे, उनकी लाइव चुदाई देख के मेरी हवस के अरमान उमड़ उमड़ के आ रहे थे।
मन तो कर रहा था कि अभी भाभी को हटा के उनकी जगह मैं लेट जाऊँ.

और मैंने अपना लहंगा ऊपर को उठाया और पैंटी नीचे सरका के धीरे धीरे अपनी चूत को सहलाना भी चालू कर दिया था।

मेरे मन में खयाल आ रहे थे कि क्यूँ ना आज मैं अपनी हद से आगे बढ़ जाऊँ। किसी को पता नहीं चलेगा.
पर हल्का हल्का डर भी रही थी, पर डर से ज्यादा हवस थी।

आज मेरे पास मौका था, जगह थी, जबर्दस्त इच्छा थी, और किस्मत से सेक्स करने के लिए लड़का भी था.
मुझे बस थोड़ी से हिम्मत दिखानी थी और सब हो जाता.

ऊपर से भाभी की इतनी जबर्दस्त चुदाई देख के मेरा मन और फिसल रहा था.

मैं 10-15 मिनट तक ऐसे ही उनकी चुदाई देखते हुए अपनी चूत मसल रही थी।

आखिरकार मैंने दुनिया के कायदे कानून भूल कर सिर्फ अपनी दबी हुई इच्छा पूरी करने का फैसला किया।

मैंने अपने कपड़े सही किए और अंदर आ गयी।

इससे पहले मेरा डर फिर हावी होता और मैं अपना इरादा बदल देती … मैं तुरंत भाभी के कमरे के पास गयी और ज़ोर से खटखटाने लगी।
थोड़ी देर में भाभी ने दरवाजा खोला और पूछा- क्या हुआ?
पर मैं फिर थोड़ी हिचकिचा गयी और हकला के बोलने लगी- भाभी वो … ये मैं … वो ये कह रही थी कि उम्म … मैं मैं … भी!

भाभी ने मुसकुराते हुए मेरी बात पूरी करते हुए कहा- चुदवाना चाहती हूँ।
मेरे मुंह से तुरंत निकल गया- हाँ!
और फिर अगले ही पल मैं बोलने लगी- नहीं … वो मैं तो!

भाभी बोली- बस अब ज्यादा बन मत, मैं भी तेरी उम्र से गुज़र चुकी हूँ, मैं तेरे दिल की बात जान सकती हूँ।
मैंने भाभी से पूछा- भाभी, कुछ होगा तो नहीं ना?
भाभी ने कहा- अरे कुछ नहीं होगा, मैं सब संभाल लूँगी. तू जी भर के चुदवा आज पूरी रात।

मैं थोड़ा शर्मिंदा होते हुए नीचे देख के मुस्कुराने लगी।

भाभी बोली- हाँ है ना?
मैंने बहुत दबी आवाज में कहा- हाँ!
भाभी मुस्कुराई और मेरा हाथ पकड़ के ले जाने लगी।

मैंने कहा- कहाँ ले जा रही हो?
भाभी बोली- बस चुप रह … जैसा मैं कहती हूँ, करती रह, बहुत मजा आयेगा।

और भाभी मुझे अजय के कमरे के पास ले आई और गेट खोल के कहा- अजय ये ले … आखिरकार मान ही गयी नेहा … ये ले सम्भाल ले इसे!
उन्होंने मुझे अजय की तरफ हल्का सा धकेल दिया।

अजय भी मुस्कुराने लगा और मैं भी हल्का हल्का नीचे देख के मुस्कुरा रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: लंड की लालसा - by neerathemall - 26-03-2025, 01:04 PM



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