23-03-2025, 08:36 PM
वक्त हर ज़ख्म की दवा है लेकिन सुप्रिया के लिए अभी भी दर्द उसके दिल में था। गंगू की यादें और उसके प्यार की निशानी यानी उसका बेटा अभी भी उसके साथ है। सुप्रिया को वक्त जरूर लगा लेकिन अब वो थोड़ा खुलने लगी। जग्गू ने सुप्रिया के साथ शारीरिक संबंध बनाना बंद कर दिया क्योंकि वो सुप्रिया को वक्त देना चाहता था। सुप्रिया सभीबलोगों से वापिस घुलने मिलने लगी। सुप्रिया ने अब हरिया और अंतू के साथ ज्यादा वक्त बिताना सही समझा। तीनों एक दूसरे के साथ दर्द बताना चाहते थे।
अब रही बात जग्गू और उसके भाई माली की तो दोनों बड़े रंगीन मिजाज के थे। एक दिन की बात है जब अनुप्रिया रात को घर के बाहर बैठी थी। उसे अकेला देख माली उसके पास आया।
"वैसे आज आप अकेली बैठी है सब ठीक तो है न ?" माली ने कहा।
"हां। लेकिन मुझे अकेला देख तुम तो सीधा दौड़े चले आए। दोनों भाई मेरे पीछे पड़ गए हो।"
"पड़े भी तो क्यों न। आखिर एक खूबसूरत औरत हमारे सामने है। जग्गू का पता नहीं लेकिन मैं तो पीछे पड़ चुका हूं।"
"इतना भी पीछे न पड़ो।" अनुप्रिया ने हंसते हुए कहा।
"एक बार जिसके पीछे पड़ गया तो पद गया। फिर चाहे आप हो या सुप्रिया।"
"माली अब बस करो। अभी सुप्रिया दीदी बुरे दौर से गुजरी है। तुम शुरू मत करो।"
"यही तो वक्त है उनको बाहर निकालने का। देखो अनुप्रिया। मेरी जिंदगी बड़ी नहीं है। मुझे भी किसी की बाहों में जीना है। अब मुझे तुम दोनों बहने मिल गई। तुम दोनों के साथ रहना चाहता हूं।"
"देखो माली। जग्गू की किस्मत में मेरी दीदी है तो है। वैसे भी अपने दो प्यार को खोकर बड़ी मुश्किल से वो संभली।"
"अब ये सब भूलकर उन्हें मेरा साथ देना चाहिए।और तो आनी ही है लेकिन जब तक जिए प्यार से जिए। मुझे तुम दोनों में से एक चाहिए। और मैने तय कर लिया कि बाकी की जिंदगी मुझे मजे से जीनी है।"
"तुम भी न। सच में पागल हो।"
"और मैं भी पागल हूं।" पीछे से जग्गू ने कहा।
अनुप्रिया बोली "अरे मैं। तो भूल ही गई थी कि आप भी मेरे पीछे पड़े है।"
जग्गू माली को बोला "तुम अंदर जाकर रसोईघर में सुप्रिया की मदद करो और मैं अभी आता हूं।"
माली चला गया। जग्गू अनुप्रिया के बगल बैठ गया। दोनों एक दूसरे को देखने लगे।
"क्या हुआ जग्गू। आप चुप कैसे बैठ गए ?" अनुप्रिया ने कहा।
"अनुप्रिया मै सोच रहा हूं कि आखिर में सुप्रिया को कैसे ठीक किया जाए। काफी फिक्र हो रही है मुझे।"
"उसे वक्त दो। उसके साथ बैठो। या फिर अपने दोनों दोस्त हरिया और अंतू के पास भेजो। जब दोनों तरफ से दुखी लोग मिलते है तो दर्द कम हो जाता है।"
"अरे वह ये तो तुमने बहुत अच्छी बात कही।"
"और रात के अकेलेपन में दीदी को अपने साथ रखो। आप उनके साथ रात को सो जाया करो। दोनों बात करो और एक दूसरे को समझो।"
"सही कहा सुप्रिया। मैं आज से सुप्रिया का सारा सामान अपने कमरे में रख देता हूं। आज हम दोनों एक ही कमरे में रहेंगे।"
"और बच्चे को मेरे पास रख दो। उसका ख्याल मै रखूंगी।"
"सच कहूं अनुप्रिया तो तुम समझदार हो।"
"वो तो मैं हूं ही।"
दोनों हंसने लगे। रात का खाना खाकर सुप्रिया हरिया और अंतू के घर चली गई खाना लेकर। दोनों बूढ़े भाई घर के अंदर थे। घर में एक कमरा और रसोईघर था। ठंडी का मौसम था और चारों तरफ कोहरा था। ठंड बहुत ज्यादा थी। सुप्रिया ने घर का दरवाजा खटखटाया। सामने हरिया ने दरवाजा खोला। काले रंग की साड़ी और ब्लैक sleveless ब्लाउज में सुप्रिया खड़ी थी।
"कैसी हो तुम सुप्रिया ?" हरिया ने पूछा।
"मैं ठीक हूं लेकिन अंतू कैसे है ?"
"उनको आज बुखार है। सुबह से कुछ नहीं खाया। नींद भी नहीं आ रही। डॉक्टर ने अच्छे से सोने को कहा।
"पहले खाना दोनो खालों फिर कुछ करते है।"
सुप्रिया दोनों को रसोईघर में खाना देकर वापिस घर गई और जग्गू से बोली कि शायद वो वहां उनके घर थोड़ी देर रहेगी। अगर दो घंटे से ज्यादा वक्त लगा तो समझ लेना कि वो वहां ही सो जाएगी। जग्गू भी मान गया। सुप्रिया वापिस आई तो देखा कि हरिया ने खाना खा लिया लेकिन अंतू ने नहीं।
सुप्रिया पूछी "अपने खाना क्यों नहीं खाया ?"
अंतू बोला "पता नहीं मन नहीं खाने का।"
"क्यों ?"
हरिया बोला "आज सुबह से ज्यादा तेज बुखार है। सुबह से खा नहीं रहा।"
सुप्रिया खाने की थाली हाथ में लेते हुए बोली "मै खिला देती हूं। और सुनो अंतू चुप चाप खा लो। थोड़ा सा ही सही।"
सुप्रिया की मधुर आवाज में खो गया अंतू। सुप्रिया ने दो रोटी अंतू को खिलाया और उसके बाद अंतू ने खाने से मना किया। सुप्रिया ने जोर नहीं दिया। दोनों बूढ़े अपने कमरे चले गए। सुप्रिया ने बर्तन धोया। पानी इतना ठंडा था कि बात ही न पूछो। कैसे करके बर्तन साफ करके सुप्रिया दोनों को देखने आई। सुप्रिया की ठंड से हालत खराब थी। देख कि दोनों बुड्ढों के पास एक बड़ा स रजाई है। कमरे का बिस्तर बहुत बड़ा था। अंतू सो नहीं पा रहा था।
सुप्रिया पूछी "अंतू तुम्हे नींद नहीं आ रही है ?"
हरिया: पूरा शरीर गरम है और कमजोरी भी है। पता नहीं कैसे सो पाएगा। डॉक्टर ने बोला अच्छे से सोने को। पता नहीं सोएगा कैसे ? अगर नहीं सोएगा तो ठीक नहीं होगा।"
सुप्रिया : एक काम करो। मुझे सुलाने दो। मैं कोशिश करती हूं।
सुप्रिया अंतू के बगल बैठी। तुरंत हरिया बोला "सुप्रिया ठंडी है। हमारे बीच में आ जाओ। रजाई के अंदर आ जाओ। वरना तुम्हे ठंड लग जाएगी।"
सुप्रिया बोली "ठीक है।"
हरिया : सुप्रिया सबसे पहले घर का दरवाजा बंद कर दो। उसके बाद कमरे का दरवाजा बंद करके आ जाओ।"
सुप्रिया ने सभी दरवाजा बंद करके कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। हरिया ने रजाई से बाहर निकला रखी सुप्रिया अंदर आ सके। सुप्रिया रजाई में घुसी।दोनों बूढ़े के बीच वो आई। बिस्तर इतना बड़ा था कि तीनों बहुत ज्यादा आराम से लेट गए। सुप्रिया अंतू के सिर पर हाथ घूमने लगी और दूसरे हाथ से उसके छाती को हल्के से थपथपा रही थी। अंतू को नींद आने लगा और कुछ ही देर बाद वो गहरी नींद में सोने लगा।
हरिया : सुप्रिया आज रात यहां ही सो जाओ वरना फिर उठ गया तो सुलाना मुश्किल हो जाएगा।
सुप्रिया :आज मै यहां सो जाऊंगी। और तुम्हे नींद नहीं आ रही ?
हरिया: आ तो नहीं रही लेकिन कोशिश कर रहा हूं सोने की।
सुप्रिया ने देखा कि अंतू ने अपना एक हाथ सुप्रिया के पेट पर रख दिया और सो रहा था। उसका सिर सुप्रिया के कंधे पर था। गरम सांसें सुप्रिया के बदन पर लग रहा था। सुप्रिया ने उसे कुछ न कहा क्योंकि वो उसकी नींद खराब नहीं करना चाहती थी। अंतू की गरम सांसें उसके ठंडे शरीरी को गरम कर रहा था और वो सुप्रिया को आराम दे रहा था क्योंकि ठंडी सच में बहुत थी। इस गहरी ठंडी में हरिया को नींद आई। उसका एक हाथ सुप्रिया के हाथ पर पड़ा। सुप्रिया के हाथ को हरिया ने कसकर थाम लिया। सुप्रिया ने कुछ न कहा। हरिया पूरी तरह से सुप्रिया की तरफ मुड़कर सो रहा था। दोनों बुड्ढों की गरम सांसें सुप्रिया महसूस कर रही थी। सुप्रिया को भी नींद आ गया। सुप्रिया ने अपना दूसरा हाथ अंतू के हाथ पर रख दिया। रात बहुत गहरी थी और बदल भी च गया। बिन मौसम की बारिश होनेवाली थी।
उधर घर में जग्गू माली बच्चा और अनुप्रिया थे। अनुप्रिया बच्चे को लेकर सो रही थी। घर के आंगन में लालटेन था और कुल चार कमरे थे। सभी अलग अलग कमरे में थे। जग्गू गहरी नींद में था। अनुप्रिया भी सो रही थी।
वही सुप्रिया के कानों में बारिश की आवाज आई। बरसात थोड़ी तेज हो गई। एक तो ठंडी का मौसम उसपर से बारिश ठंडी को और बढ़ा दिया। बारिश की आवाज से जागी सुप्रिया ने देखा कि उसके पेट पर अभी भी अंतू का हाथ था। लेकिन अब दोनों बुड्ढे की भी नींद बारिश की वजह से खुल गई। सुप्रिया ने देखा कि रात के 3 बजे थे। अंतू की तबियत पर सुधार थोड़ा बहुत दिखा। करीब 6 घंटे की अच्छे से नींद लेने के बाद अंतू की कमजोरी कम हुई।
सुप्रिया : अंतू आप उठ गए ? आइए मैं सुला देतीं हूं।
हरिया (थोड़ा सा आलस लेते हुए ): अब वो नहीं सोनेवाले। एक बार बड़े भाई उठ गए तो फिर सोते नहीं। शायद काफी आराम पहुंचा उन्हें।
अंतू नाजाने क्यों जगते हुए भी सुप्रिया के शरीर को छू रहा था। लेकिन इस ठंडी में सुप्रिया भी कोई विरोध नहीं कर रही थी। वैसे पूरे घर में एक ही रजाई था इसीलिए तीनों को साथ में ही रहना होगा। हरिया बाहर गया थोड़ी देर बारिश को देखने। नींद जो अब उड़ गई। लेकिन सुप्रिया और अंतू अभी भी बिस्तर पर थे। शायद ठंडी से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं हो रही थी। अंतराज्य के अंदर ही सुप्रिया के पेट को सहला रहा था।
सुप्रिया : अंतू क्या कर रहे हो तुम ?
अंतू : कुछ नहीं।
कमरे में अंधेरा बहुत था। अंतू सुप्रिया के कान के पास आकर बोला "तुम और नजदीक आ जाओ। रजाई के बाहर रह जाओगी वरना।"
सुप्रिया बोली "तुम भी आ जाओ। वरना ठंड लग जाएगी।"
दोनों अब बहुत ज्यादा एक दूसरे के करीब थे। दोनों एक दूसरे को तरफ मुंह करके लेते थे। अंतू बोला "तुम आ गई तो जैसे अच्छा लगा। इतने दिनों बाद अच्छी नींद आई।"
सुप्रिया हल्के से अंतू के सिर पर हाथ रखते हुए बोली "तुम बस आराम करो।"
अंतू चिल्लाते हुए कहा हरिया से "अरे o हरिया जरा लालटेन लेकर आ कमरे मे "
हरिया बाहर आग लगाकर सेक ले रहा था। लालटेन लेकर कमरे में आया। वैसे अंतू अब सुप्रिया को देखना चाहता था इसीलिए लालटेन मंगवाया। लालटेन आते ही हरिया ने कहा कि वो बाहर सेक लेगा। वहां उसे अच्छा लग रहा है। इतना कहकर चल गया।
अंतू बोला "सुप्रिया जाओ दरवाजे को अंदर से बंद करो आ जाओ वापिस।"
सुप्रिया उठकर दरवाजा बंद कर दी और वापिस बिस्तर पर आ गई। अंतू लगातार सुप्रिया को देख रहा था। सुप्रिया भी अंतू को देख रही थी।
सुप्रिया : तो लगता है कि आप सोने नहीं वाले।
अंतू : हां।
सुप्रिया : तो फिर क्या करे ?
अंतू : बाते करे ?
सुप्रिया जानती थी कि अंतू को अभी किसी से बात करने की जरूरत है। वैसे भी 20 साल से अकेला आदमी लोगों से बात करने की इच्छा रखता ही है।
सुप्रिया : वैसे आपके परिवार में कौन कौन है ?
अंतू : मेरा एक बेटा है जो 60 साल का है। उसके 3 बेटी है। सभी की शादी हो गई।
सुप्रिया : क्या आपके बच्चे आपसे मिलते नहीं।
अंतू (उदास होकर) : कैसे मिलेंगे ? बेटे ने तो संसार त्याग दिया।
सुप्रिया : मतलब ?
अंतू : मेरा बेटा संसार के मोह माया को छोड़कर सन्यासी बन गया।
सुप्रिया : आखिरी बार कब मुलाकात हुई ?
अंतू : 10 साल पहले
सुप्रिया : मेरे ये समझ में नहीं आ रहा है कि वो संन्यासी क्यों बने ?
अंतू : जब उसके बीवी की मौत हुई तो वो अकेला पड़ गया और तो और तकलीफ में जीने लगा। इस दर्द भरी जिंदगी से छुटकारा पाने का एक ही रास्ता उसे मिला और वो था ईश्वर के हवाले खुद को कर देना। फिर क्या सन्यासी बनकर घर छोड़कर चला गया।
सुप्रिया : अपने उसे रोका नहीं ?
अंतू : नहीं। क्योंकि मुझे अपने बेटे को दर्द से मुक्त करना था।
सुप्रिया : परिवार के बिना कैसा लगता है आपको ?
अंतू : आदत हो गई परिवार बिना रहने की। वैसे भी इस बूढ़े को जरूरत भी किसी की पड़े तो क्यों भीख मांगे ? खुद ही अपने हाल में जिऊंगा और अकेले ही जीवन चलाऊंगा।
सुप्रिया : ऐसा न कहिए आप। आप अब यहां आ गए। हम सब आपके साथ है। और तो और मैने देखा कि आप में काफी बेहतर बदलाव आ रहा है।
अंतू : तुमने मेरा साथ दिया इसीलिए। वरना वक्त लगता खुद को लोगों के साथ जोड़ने में।
सुप्रिया : शायद ऊपरवाले ने हम सभी को एक दूसरे के लिए यहां रखा है।
अंतू : वैसे एक बात कहूं तुमसे ?
सुप्रिया : कहिए
अंतू : बुरा मत मानना लेकिन तुम्हे देखता हूं तो सच में जीने का मन करता है। तुम मुझे पसंद हो।
इतना कहकर अंतू हल्के से सुप्रिया के हाथ को पकड़ लिया और कहा "तुम मेरे साथ रहेगी सुप्रिया ?"
सुप्रिया हाथ वापिस लेते हुए बोली "अभी ही तो मैं विधवा हुई हूं और पता नहीं मुझमें किसी के होने का हिम्मत भी है या नहीं।"
अंतू आगे बोला "देखो सुप्रिया मेरे पास जिंदगी के कुछ ही दिन बचे है। सच कहूं तो मुझे किसी का प्यार लेकर मारना है। मुझे भी जाते जाते एक परिवार देखना है। मेरा अपना कोई परिवार हो।"
"इसमें मैं क्या कर सकती हूं ?"
अंतू ने सुप्रिया के गले लग गया और कहा "जो करना है मुझे करने दो।"
बहुत दिनों बाद सुप्रिया को किसी ने बाहों में भर। सुप्रिया को कुछ समझ में न आया। अंतू ने सुप्रिया को लीटा दिया और साड़ी के पल्लू को उसके बदन से हटा दिया।ब्लाउज पेटीकोट में सुप्रिया जैसे अप्सरा। सुप्रिया को समझ में नहीं आ रहा था कि वो करे तो क्या करे। अंतू सुप्रिया के पेट पर सिर रख दिया और कहा "मुझे तुम्हारे साथ आज रात गुजारनी है।"
सुप्रिया बोली "ये सही नहीं अंतू। तुम मुझे छोड़ दो।"
अंतू सुप्रिया के पेट को चूमते हुए कहा "माफ करना सुप्रिया लेकिन मैं अब स्वार्थी हो गया हूं। मुझे भी काम का आनंद चाहिए। मरने से पहले मुझे भी किसी खूबसूरत औरत के साथ जिस्मानी संबंध बनाना है।"
"मैं जानती हूं अंतू कि तुम्हे अपनी प्यास बुझानी है लेकिन अभी वक्त सही नहीं है।"
"हम दोनों को वक्त ने दर्द दिया और अभी हमें सब कुछ भूलकर साथ में संबंध बनाना चाहिए।"
अंतू रुक गया और कहा "तुम्हारी दो शादी हुई और बदकिस्मती से दोनों नहीं चली। सोचो अगर ऐसे ही रहेगी तो दुखी रहेगी। जब गंगू बाहर चला जाता था तब तुमने मेरे दोस्त जग्गू के साथ रिश्ता बनाया और देखा तुमने कितनी खुश थी तुम । देखो सुप्रिया अब तुम्हे खुद को आजाद करना होगा। तुम हम चार बूढ़ों से भी प्यार करो कोई गलत नहीं इसमें। बस वो प्यार दिल से हो। हम भी तुम्हे उतना दिल देकर प्यार करेंगे। अब हमारे अलावा यहां कोई नहीं। पूरी दुनिया से हम अलग यहां गांव में रहते है। सोचो कोई बंदिश नहीं। और तो और अगर हम एक दूसरे की जरूरत को पूरा नहीं करेंगे तो कैसे जिएंगे इस वीराने गांव में ?
दोनों चुप रहे लगी देर तक। उसके बाद सुप्रिया पूछी "अगर मैने तुम्हारे भाई जग्गू और माली के साथ रिश्ता बनाया तब क्या कहोगे ?"
"क्या दिल से बनाओगी ?"
"हा। लेकिन अगर बनाया तो क्या मैं गलत हुई ?"
"बिल्कुल नहीं। हम चारों बूढ़े है और नजाने कब मर जाए। यह तुम्हारा कर्तव्य है कि हम चारों को प्यार करो और हमारे साथ जिस्मानी रिश्ता भी बनाओ।"
सुप्रिया फिर से चुप रह गई। कुछ देर सोचने के बाद एक मुस्कान के साथ उठी और अपने ब्लाउज और ब्रा उतरकर फेक दिया। अंतू ये देखकर खुश हुआ।
सुप्रिया बोली "आज के बाद मेरा तन मन तुम चारों के लिए। अब मैं खुद तुमसे कहती हूं। जो चाहे करो मेरे साथ।"
अंतू खुश होकर सुप्रिया को अपनी और खींचा। सुप्रिया सीधा बिस्तर पर गिर गई। अंतू सुप्रिया के स्तन को दबाते हुए कहा "आज मै नहीं हरिया भी तुम्हारे साथ वो सब कुछ करेगा जो एक प्रेमी करता है।"
अंतू ने दरवाजा खोला और हरिया को लेकर आया। अंतू और हरिया ऊपर से नग्न अवस्था में लेती सुप्रिया को देख रहे थे। पेटीकोट के अलावा सारे कपड़े उसके बदन से उतर चुके थे।
हरिया बोला "क्या मैं सुप्रिया के साथ कुछ भी कर सकता हूं ?"
अंतू बोला "हां भाई। जो करना है कर इसके साथ।"
हरिया सुप्रिया के पेट को चूमते हुए "क्या इसे चूम सकता हूं ?"
अंतू : हां। जी भरके चूम ले।
हरिया और सुप्रिया एक दूसरे की आंखों में आंखे डालते हुए देख रहे थे। हरिया सुप्रिया के होंठ को चूम रहा था। सुप्रिया भरपूर साथ दे रही थी। फिर हरिया सुप्रिया की पेटीकोट के रस्सी पर हाथ रखकर बोला "क्या इसके बदन से सारे कपड़े उतर सकता हूं ?"
अंतू : उतर दो मेरे भाई क्योंकि इतनी सुंदर सी अप्सरा के बदन पर हर वक्त कपड़ा अच्छा नहीं लगता।
हरिया ने सुप्रिया के बदन से सारे कपड़े उतर दिए। अंतू सुप्रिया के दोनों स्तन से खेल रहा था। हरिया सुप्रिया के योनि पर अपनी जुबान डालकर चूसने लगा। सुप्रिया जैसे कामुक होने लगी। काफी हफ्तों बाद वो sex करने जा रही है। सुप्रिया की योनि में हरिया उंगली डालकर फिर चूसने लगा। अंतू स्तन को चूम छत रहा था। अंतू फिर होठ को चूसने लगा। हरिया अभी भी योनि का आनंद ले रहा था।
"आह्ह्ह हरिया आराम से " सुप्रिया ने उत्तेजना में कहा।
अंतू बोला "सुप्रिया तुम बहुत खूबसूरत हो। तुम्हे पाना जैसा एक सपना सा लग रहा है।"
सुप्रिया बोली "ये सपना नहीं हकीकत है।"
अंतू : सुप्रिया खुशनसीब था गंगू और उसका दोस्त सरजू तुम्हारे प्रेमी रहे। और गंगू सबसे ज्यादा क्योंकि उसका अंश तुम्हारा बेटा है।"
सुप्रिया : प्यार बस हो गया मुझे उनसे। लेकिन aaaahh......"
अंतू : क्या कहना चाहती हो सुप्रिया ?"
"अब से मैं तुम चारों से कभी भी जिस्मानी सुख लूंगी। अब कोई न डर और समाज का शर्म। अब बस हर रोज मुझमें तुम दोनों समा जाओगे।"
हरिया बोला "भाई आज इसके अंदर तुम पहले अपना प्रेमवर्षा बरसाओगे"
अंतू : हां मुझे भी गंगू और सरजू की तरह सुप्रिया को बिस्तर पर प्यार करना है। जग्गू ने सच में हमें यहां बुलाकर बहुत नेक काम किया।
अंतू सुप्रिया के योनि में लिंग डालकर धक्का मारने लगा। हरिया सुप्रिया के दोनों हाथों को कसकर पकड़ते हुए कहा "भाई आज से ये हमारी है और इसके हर चीज पर हमारा हक है।"
अंतू जोश में इतना जोर जोर से धक्का मारने लगा कि सुप्रिया चीखने लगी। हरिया सुप्रिया के मुंह को कसके हाथों से दबाते हुए कहा "कुछ देर और सुप्रिया उसके बाद तुम इस प्रेम की दीवानी हो जाओगी।"
अंतू जोश में आकर सुप्रिया के कंधे पर अपने दांत गदा दिया और काटने लगा। सुप्रिया इस मीठे दर्द से उकसा रही थी। हरिया से रहा नहीं गया और अपनी उंगली सुप्रिया के मुंह में डालकर बोला "भाई मुझे सुप्रिया से प्यार हो गया है।"
सुप्रिया मुंह से हरिया के उंगली को चूस रही थी। हरिया ने अपना लिंग सुप्रिया के मुंह में डालकर धक्का मारने लगा। दोनों लिंग के धक्कों से सुप्रिया का हाल बेहाल हो गया।
अंतू करीब 20 मिनट तक लिंग से धक्का देते रहा और आखिर में अपने लिंग को बाहर निकालकर वीर्य सुप्रिया के पेट पर डाल दिया। सुप्रिया के बगल अंतू थककर ले गया। सुप्रिया के पेट को साफ करके हरिया ने तुरंत अपना लिंग डाल दिया सुप्रिया को योनि में और करीब आधे घंटे तक संभोग किया। फिर अपने वीर्य को सुप्रिया की योनि में डाल दिया। दोनों बूढ़े के बीच नग्न अवस्था में सुप्रिया लेती थी। दोनों ने सुप्रिया को बाहों में भर लिया था।
सुप्रिया अपना सब कुछ अंतू पर लुटाते हुए।
![[Image: 4bfec871c9b5eaf86fedb888b495f0d2-high.webp]](https://i.ibb.co/cXVVMmd3/4bfec871c9b5eaf86fedb888b495f0d2-high.webp)
अगली सुबह की शुरुआत हरिया की बाहों में।
![[Image: 0c7d5dbdda9e60eee00e748e87190c71-high.webp]](https://i.ibb.co/wh9Kzd2p/0c7d5dbdda9e60eee00e748e87190c71-high.webp)
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अब रही बात जग्गू और उसके भाई माली की तो दोनों बड़े रंगीन मिजाज के थे। एक दिन की बात है जब अनुप्रिया रात को घर के बाहर बैठी थी। उसे अकेला देख माली उसके पास आया।
"वैसे आज आप अकेली बैठी है सब ठीक तो है न ?" माली ने कहा।
"हां। लेकिन मुझे अकेला देख तुम तो सीधा दौड़े चले आए। दोनों भाई मेरे पीछे पड़ गए हो।"
"पड़े भी तो क्यों न। आखिर एक खूबसूरत औरत हमारे सामने है। जग्गू का पता नहीं लेकिन मैं तो पीछे पड़ चुका हूं।"
"इतना भी पीछे न पड़ो।" अनुप्रिया ने हंसते हुए कहा।
"एक बार जिसके पीछे पड़ गया तो पद गया। फिर चाहे आप हो या सुप्रिया।"
"माली अब बस करो। अभी सुप्रिया दीदी बुरे दौर से गुजरी है। तुम शुरू मत करो।"
"यही तो वक्त है उनको बाहर निकालने का। देखो अनुप्रिया। मेरी जिंदगी बड़ी नहीं है। मुझे भी किसी की बाहों में जीना है। अब मुझे तुम दोनों बहने मिल गई। तुम दोनों के साथ रहना चाहता हूं।"
"देखो माली। जग्गू की किस्मत में मेरी दीदी है तो है। वैसे भी अपने दो प्यार को खोकर बड़ी मुश्किल से वो संभली।"
"अब ये सब भूलकर उन्हें मेरा साथ देना चाहिए।और तो आनी ही है लेकिन जब तक जिए प्यार से जिए। मुझे तुम दोनों में से एक चाहिए। और मैने तय कर लिया कि बाकी की जिंदगी मुझे मजे से जीनी है।"
"तुम भी न। सच में पागल हो।"
"और मैं भी पागल हूं।" पीछे से जग्गू ने कहा।
अनुप्रिया बोली "अरे मैं। तो भूल ही गई थी कि आप भी मेरे पीछे पड़े है।"
जग्गू माली को बोला "तुम अंदर जाकर रसोईघर में सुप्रिया की मदद करो और मैं अभी आता हूं।"
माली चला गया। जग्गू अनुप्रिया के बगल बैठ गया। दोनों एक दूसरे को देखने लगे।
"क्या हुआ जग्गू। आप चुप कैसे बैठ गए ?" अनुप्रिया ने कहा।
"अनुप्रिया मै सोच रहा हूं कि आखिर में सुप्रिया को कैसे ठीक किया जाए। काफी फिक्र हो रही है मुझे।"
"उसे वक्त दो। उसके साथ बैठो। या फिर अपने दोनों दोस्त हरिया और अंतू के पास भेजो। जब दोनों तरफ से दुखी लोग मिलते है तो दर्द कम हो जाता है।"
"अरे वह ये तो तुमने बहुत अच्छी बात कही।"
"और रात के अकेलेपन में दीदी को अपने साथ रखो। आप उनके साथ रात को सो जाया करो। दोनों बात करो और एक दूसरे को समझो।"
"सही कहा सुप्रिया। मैं आज से सुप्रिया का सारा सामान अपने कमरे में रख देता हूं। आज हम दोनों एक ही कमरे में रहेंगे।"
"और बच्चे को मेरे पास रख दो। उसका ख्याल मै रखूंगी।"
"सच कहूं अनुप्रिया तो तुम समझदार हो।"
"वो तो मैं हूं ही।"
दोनों हंसने लगे। रात का खाना खाकर सुप्रिया हरिया और अंतू के घर चली गई खाना लेकर। दोनों बूढ़े भाई घर के अंदर थे। घर में एक कमरा और रसोईघर था। ठंडी का मौसम था और चारों तरफ कोहरा था। ठंड बहुत ज्यादा थी। सुप्रिया ने घर का दरवाजा खटखटाया। सामने हरिया ने दरवाजा खोला। काले रंग की साड़ी और ब्लैक sleveless ब्लाउज में सुप्रिया खड़ी थी।
"कैसी हो तुम सुप्रिया ?" हरिया ने पूछा।
"मैं ठीक हूं लेकिन अंतू कैसे है ?"
"उनको आज बुखार है। सुबह से कुछ नहीं खाया। नींद भी नहीं आ रही। डॉक्टर ने अच्छे से सोने को कहा।
"पहले खाना दोनो खालों फिर कुछ करते है।"
सुप्रिया दोनों को रसोईघर में खाना देकर वापिस घर गई और जग्गू से बोली कि शायद वो वहां उनके घर थोड़ी देर रहेगी। अगर दो घंटे से ज्यादा वक्त लगा तो समझ लेना कि वो वहां ही सो जाएगी। जग्गू भी मान गया। सुप्रिया वापिस आई तो देखा कि हरिया ने खाना खा लिया लेकिन अंतू ने नहीं।
सुप्रिया पूछी "अपने खाना क्यों नहीं खाया ?"
अंतू बोला "पता नहीं मन नहीं खाने का।"
"क्यों ?"
हरिया बोला "आज सुबह से ज्यादा तेज बुखार है। सुबह से खा नहीं रहा।"
सुप्रिया खाने की थाली हाथ में लेते हुए बोली "मै खिला देती हूं। और सुनो अंतू चुप चाप खा लो। थोड़ा सा ही सही।"
सुप्रिया की मधुर आवाज में खो गया अंतू। सुप्रिया ने दो रोटी अंतू को खिलाया और उसके बाद अंतू ने खाने से मना किया। सुप्रिया ने जोर नहीं दिया। दोनों बूढ़े अपने कमरे चले गए। सुप्रिया ने बर्तन धोया। पानी इतना ठंडा था कि बात ही न पूछो। कैसे करके बर्तन साफ करके सुप्रिया दोनों को देखने आई। सुप्रिया की ठंड से हालत खराब थी। देख कि दोनों बुड्ढों के पास एक बड़ा स रजाई है। कमरे का बिस्तर बहुत बड़ा था। अंतू सो नहीं पा रहा था।
सुप्रिया पूछी "अंतू तुम्हे नींद नहीं आ रही है ?"
हरिया: पूरा शरीर गरम है और कमजोरी भी है। पता नहीं कैसे सो पाएगा। डॉक्टर ने बोला अच्छे से सोने को। पता नहीं सोएगा कैसे ? अगर नहीं सोएगा तो ठीक नहीं होगा।"
सुप्रिया : एक काम करो। मुझे सुलाने दो। मैं कोशिश करती हूं।
सुप्रिया अंतू के बगल बैठी। तुरंत हरिया बोला "सुप्रिया ठंडी है। हमारे बीच में आ जाओ। रजाई के अंदर आ जाओ। वरना तुम्हे ठंड लग जाएगी।"
सुप्रिया बोली "ठीक है।"
हरिया : सुप्रिया सबसे पहले घर का दरवाजा बंद कर दो। उसके बाद कमरे का दरवाजा बंद करके आ जाओ।"
सुप्रिया ने सभी दरवाजा बंद करके कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। हरिया ने रजाई से बाहर निकला रखी सुप्रिया अंदर आ सके। सुप्रिया रजाई में घुसी।दोनों बूढ़े के बीच वो आई। बिस्तर इतना बड़ा था कि तीनों बहुत ज्यादा आराम से लेट गए। सुप्रिया अंतू के सिर पर हाथ घूमने लगी और दूसरे हाथ से उसके छाती को हल्के से थपथपा रही थी। अंतू को नींद आने लगा और कुछ ही देर बाद वो गहरी नींद में सोने लगा।
हरिया : सुप्रिया आज रात यहां ही सो जाओ वरना फिर उठ गया तो सुलाना मुश्किल हो जाएगा।
सुप्रिया :आज मै यहां सो जाऊंगी। और तुम्हे नींद नहीं आ रही ?
हरिया: आ तो नहीं रही लेकिन कोशिश कर रहा हूं सोने की।
सुप्रिया ने देखा कि अंतू ने अपना एक हाथ सुप्रिया के पेट पर रख दिया और सो रहा था। उसका सिर सुप्रिया के कंधे पर था। गरम सांसें सुप्रिया के बदन पर लग रहा था। सुप्रिया ने उसे कुछ न कहा क्योंकि वो उसकी नींद खराब नहीं करना चाहती थी। अंतू की गरम सांसें उसके ठंडे शरीरी को गरम कर रहा था और वो सुप्रिया को आराम दे रहा था क्योंकि ठंडी सच में बहुत थी। इस गहरी ठंडी में हरिया को नींद आई। उसका एक हाथ सुप्रिया के हाथ पर पड़ा। सुप्रिया के हाथ को हरिया ने कसकर थाम लिया। सुप्रिया ने कुछ न कहा। हरिया पूरी तरह से सुप्रिया की तरफ मुड़कर सो रहा था। दोनों बुड्ढों की गरम सांसें सुप्रिया महसूस कर रही थी। सुप्रिया को भी नींद आ गया। सुप्रिया ने अपना दूसरा हाथ अंतू के हाथ पर रख दिया। रात बहुत गहरी थी और बदल भी च गया। बिन मौसम की बारिश होनेवाली थी।
उधर घर में जग्गू माली बच्चा और अनुप्रिया थे। अनुप्रिया बच्चे को लेकर सो रही थी। घर के आंगन में लालटेन था और कुल चार कमरे थे। सभी अलग अलग कमरे में थे। जग्गू गहरी नींद में था। अनुप्रिया भी सो रही थी।
वही सुप्रिया के कानों में बारिश की आवाज आई। बरसात थोड़ी तेज हो गई। एक तो ठंडी का मौसम उसपर से बारिश ठंडी को और बढ़ा दिया। बारिश की आवाज से जागी सुप्रिया ने देखा कि उसके पेट पर अभी भी अंतू का हाथ था। लेकिन अब दोनों बुड्ढे की भी नींद बारिश की वजह से खुल गई। सुप्रिया ने देखा कि रात के 3 बजे थे। अंतू की तबियत पर सुधार थोड़ा बहुत दिखा। करीब 6 घंटे की अच्छे से नींद लेने के बाद अंतू की कमजोरी कम हुई।
सुप्रिया : अंतू आप उठ गए ? आइए मैं सुला देतीं हूं।
हरिया (थोड़ा सा आलस लेते हुए ): अब वो नहीं सोनेवाले। एक बार बड़े भाई उठ गए तो फिर सोते नहीं। शायद काफी आराम पहुंचा उन्हें।
अंतू नाजाने क्यों जगते हुए भी सुप्रिया के शरीर को छू रहा था। लेकिन इस ठंडी में सुप्रिया भी कोई विरोध नहीं कर रही थी। वैसे पूरे घर में एक ही रजाई था इसीलिए तीनों को साथ में ही रहना होगा। हरिया बाहर गया थोड़ी देर बारिश को देखने। नींद जो अब उड़ गई। लेकिन सुप्रिया और अंतू अभी भी बिस्तर पर थे। शायद ठंडी से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं हो रही थी। अंतराज्य के अंदर ही सुप्रिया के पेट को सहला रहा था।
सुप्रिया : अंतू क्या कर रहे हो तुम ?
अंतू : कुछ नहीं।
कमरे में अंधेरा बहुत था। अंतू सुप्रिया के कान के पास आकर बोला "तुम और नजदीक आ जाओ। रजाई के बाहर रह जाओगी वरना।"
सुप्रिया बोली "तुम भी आ जाओ। वरना ठंड लग जाएगी।"
दोनों अब बहुत ज्यादा एक दूसरे के करीब थे। दोनों एक दूसरे को तरफ मुंह करके लेते थे। अंतू बोला "तुम आ गई तो जैसे अच्छा लगा। इतने दिनों बाद अच्छी नींद आई।"
सुप्रिया हल्के से अंतू के सिर पर हाथ रखते हुए बोली "तुम बस आराम करो।"
अंतू चिल्लाते हुए कहा हरिया से "अरे o हरिया जरा लालटेन लेकर आ कमरे मे "
हरिया बाहर आग लगाकर सेक ले रहा था। लालटेन लेकर कमरे में आया। वैसे अंतू अब सुप्रिया को देखना चाहता था इसीलिए लालटेन मंगवाया। लालटेन आते ही हरिया ने कहा कि वो बाहर सेक लेगा। वहां उसे अच्छा लग रहा है। इतना कहकर चल गया।
अंतू बोला "सुप्रिया जाओ दरवाजे को अंदर से बंद करो आ जाओ वापिस।"
सुप्रिया उठकर दरवाजा बंद कर दी और वापिस बिस्तर पर आ गई। अंतू लगातार सुप्रिया को देख रहा था। सुप्रिया भी अंतू को देख रही थी।
सुप्रिया : तो लगता है कि आप सोने नहीं वाले।
अंतू : हां।
सुप्रिया : तो फिर क्या करे ?
अंतू : बाते करे ?
सुप्रिया जानती थी कि अंतू को अभी किसी से बात करने की जरूरत है। वैसे भी 20 साल से अकेला आदमी लोगों से बात करने की इच्छा रखता ही है।
सुप्रिया : वैसे आपके परिवार में कौन कौन है ?
अंतू : मेरा एक बेटा है जो 60 साल का है। उसके 3 बेटी है। सभी की शादी हो गई।
सुप्रिया : क्या आपके बच्चे आपसे मिलते नहीं।
अंतू (उदास होकर) : कैसे मिलेंगे ? बेटे ने तो संसार त्याग दिया।
सुप्रिया : मतलब ?
अंतू : मेरा बेटा संसार के मोह माया को छोड़कर सन्यासी बन गया।
सुप्रिया : आखिरी बार कब मुलाकात हुई ?
अंतू : 10 साल पहले
सुप्रिया : मेरे ये समझ में नहीं आ रहा है कि वो संन्यासी क्यों बने ?
अंतू : जब उसके बीवी की मौत हुई तो वो अकेला पड़ गया और तो और तकलीफ में जीने लगा। इस दर्द भरी जिंदगी से छुटकारा पाने का एक ही रास्ता उसे मिला और वो था ईश्वर के हवाले खुद को कर देना। फिर क्या सन्यासी बनकर घर छोड़कर चला गया।
सुप्रिया : अपने उसे रोका नहीं ?
अंतू : नहीं। क्योंकि मुझे अपने बेटे को दर्द से मुक्त करना था।
सुप्रिया : परिवार के बिना कैसा लगता है आपको ?
अंतू : आदत हो गई परिवार बिना रहने की। वैसे भी इस बूढ़े को जरूरत भी किसी की पड़े तो क्यों भीख मांगे ? खुद ही अपने हाल में जिऊंगा और अकेले ही जीवन चलाऊंगा।
सुप्रिया : ऐसा न कहिए आप। आप अब यहां आ गए। हम सब आपके साथ है। और तो और मैने देखा कि आप में काफी बेहतर बदलाव आ रहा है।
अंतू : तुमने मेरा साथ दिया इसीलिए। वरना वक्त लगता खुद को लोगों के साथ जोड़ने में।
सुप्रिया : शायद ऊपरवाले ने हम सभी को एक दूसरे के लिए यहां रखा है।
अंतू : वैसे एक बात कहूं तुमसे ?
सुप्रिया : कहिए
अंतू : बुरा मत मानना लेकिन तुम्हे देखता हूं तो सच में जीने का मन करता है। तुम मुझे पसंद हो।
इतना कहकर अंतू हल्के से सुप्रिया के हाथ को पकड़ लिया और कहा "तुम मेरे साथ रहेगी सुप्रिया ?"
सुप्रिया हाथ वापिस लेते हुए बोली "अभी ही तो मैं विधवा हुई हूं और पता नहीं मुझमें किसी के होने का हिम्मत भी है या नहीं।"
अंतू आगे बोला "देखो सुप्रिया मेरे पास जिंदगी के कुछ ही दिन बचे है। सच कहूं तो मुझे किसी का प्यार लेकर मारना है। मुझे भी जाते जाते एक परिवार देखना है। मेरा अपना कोई परिवार हो।"
"इसमें मैं क्या कर सकती हूं ?"
अंतू ने सुप्रिया के गले लग गया और कहा "जो करना है मुझे करने दो।"
बहुत दिनों बाद सुप्रिया को किसी ने बाहों में भर। सुप्रिया को कुछ समझ में न आया। अंतू ने सुप्रिया को लीटा दिया और साड़ी के पल्लू को उसके बदन से हटा दिया।ब्लाउज पेटीकोट में सुप्रिया जैसे अप्सरा। सुप्रिया को समझ में नहीं आ रहा था कि वो करे तो क्या करे। अंतू सुप्रिया के पेट पर सिर रख दिया और कहा "मुझे तुम्हारे साथ आज रात गुजारनी है।"
सुप्रिया बोली "ये सही नहीं अंतू। तुम मुझे छोड़ दो।"
अंतू सुप्रिया के पेट को चूमते हुए कहा "माफ करना सुप्रिया लेकिन मैं अब स्वार्थी हो गया हूं। मुझे भी काम का आनंद चाहिए। मरने से पहले मुझे भी किसी खूबसूरत औरत के साथ जिस्मानी संबंध बनाना है।"
"मैं जानती हूं अंतू कि तुम्हे अपनी प्यास बुझानी है लेकिन अभी वक्त सही नहीं है।"
"हम दोनों को वक्त ने दर्द दिया और अभी हमें सब कुछ भूलकर साथ में संबंध बनाना चाहिए।"
अंतू रुक गया और कहा "तुम्हारी दो शादी हुई और बदकिस्मती से दोनों नहीं चली। सोचो अगर ऐसे ही रहेगी तो दुखी रहेगी। जब गंगू बाहर चला जाता था तब तुमने मेरे दोस्त जग्गू के साथ रिश्ता बनाया और देखा तुमने कितनी खुश थी तुम । देखो सुप्रिया अब तुम्हे खुद को आजाद करना होगा। तुम हम चार बूढ़ों से भी प्यार करो कोई गलत नहीं इसमें। बस वो प्यार दिल से हो। हम भी तुम्हे उतना दिल देकर प्यार करेंगे। अब हमारे अलावा यहां कोई नहीं। पूरी दुनिया से हम अलग यहां गांव में रहते है। सोचो कोई बंदिश नहीं। और तो और अगर हम एक दूसरे की जरूरत को पूरा नहीं करेंगे तो कैसे जिएंगे इस वीराने गांव में ?
दोनों चुप रहे लगी देर तक। उसके बाद सुप्रिया पूछी "अगर मैने तुम्हारे भाई जग्गू और माली के साथ रिश्ता बनाया तब क्या कहोगे ?"
"क्या दिल से बनाओगी ?"
"हा। लेकिन अगर बनाया तो क्या मैं गलत हुई ?"
"बिल्कुल नहीं। हम चारों बूढ़े है और नजाने कब मर जाए। यह तुम्हारा कर्तव्य है कि हम चारों को प्यार करो और हमारे साथ जिस्मानी रिश्ता भी बनाओ।"
सुप्रिया फिर से चुप रह गई। कुछ देर सोचने के बाद एक मुस्कान के साथ उठी और अपने ब्लाउज और ब्रा उतरकर फेक दिया। अंतू ये देखकर खुश हुआ।
सुप्रिया बोली "आज के बाद मेरा तन मन तुम चारों के लिए। अब मैं खुद तुमसे कहती हूं। जो चाहे करो मेरे साथ।"
अंतू खुश होकर सुप्रिया को अपनी और खींचा। सुप्रिया सीधा बिस्तर पर गिर गई। अंतू सुप्रिया के स्तन को दबाते हुए कहा "आज मै नहीं हरिया भी तुम्हारे साथ वो सब कुछ करेगा जो एक प्रेमी करता है।"
अंतू ने दरवाजा खोला और हरिया को लेकर आया। अंतू और हरिया ऊपर से नग्न अवस्था में लेती सुप्रिया को देख रहे थे। पेटीकोट के अलावा सारे कपड़े उसके बदन से उतर चुके थे।
हरिया बोला "क्या मैं सुप्रिया के साथ कुछ भी कर सकता हूं ?"
अंतू बोला "हां भाई। जो करना है कर इसके साथ।"
हरिया सुप्रिया के पेट को चूमते हुए "क्या इसे चूम सकता हूं ?"
अंतू : हां। जी भरके चूम ले।
हरिया और सुप्रिया एक दूसरे की आंखों में आंखे डालते हुए देख रहे थे। हरिया सुप्रिया के होंठ को चूम रहा था। सुप्रिया भरपूर साथ दे रही थी। फिर हरिया सुप्रिया की पेटीकोट के रस्सी पर हाथ रखकर बोला "क्या इसके बदन से सारे कपड़े उतर सकता हूं ?"
अंतू : उतर दो मेरे भाई क्योंकि इतनी सुंदर सी अप्सरा के बदन पर हर वक्त कपड़ा अच्छा नहीं लगता।
हरिया ने सुप्रिया के बदन से सारे कपड़े उतर दिए। अंतू सुप्रिया के दोनों स्तन से खेल रहा था। हरिया सुप्रिया के योनि पर अपनी जुबान डालकर चूसने लगा। सुप्रिया जैसे कामुक होने लगी। काफी हफ्तों बाद वो sex करने जा रही है। सुप्रिया की योनि में हरिया उंगली डालकर फिर चूसने लगा। अंतू स्तन को चूम छत रहा था। अंतू फिर होठ को चूसने लगा। हरिया अभी भी योनि का आनंद ले रहा था।
"आह्ह्ह हरिया आराम से " सुप्रिया ने उत्तेजना में कहा।
अंतू बोला "सुप्रिया तुम बहुत खूबसूरत हो। तुम्हे पाना जैसा एक सपना सा लग रहा है।"
सुप्रिया बोली "ये सपना नहीं हकीकत है।"
अंतू : सुप्रिया खुशनसीब था गंगू और उसका दोस्त सरजू तुम्हारे प्रेमी रहे। और गंगू सबसे ज्यादा क्योंकि उसका अंश तुम्हारा बेटा है।"
सुप्रिया : प्यार बस हो गया मुझे उनसे। लेकिन aaaahh......"
अंतू : क्या कहना चाहती हो सुप्रिया ?"
"अब से मैं तुम चारों से कभी भी जिस्मानी सुख लूंगी। अब कोई न डर और समाज का शर्म। अब बस हर रोज मुझमें तुम दोनों समा जाओगे।"
हरिया बोला "भाई आज इसके अंदर तुम पहले अपना प्रेमवर्षा बरसाओगे"
अंतू : हां मुझे भी गंगू और सरजू की तरह सुप्रिया को बिस्तर पर प्यार करना है। जग्गू ने सच में हमें यहां बुलाकर बहुत नेक काम किया।
अंतू सुप्रिया के योनि में लिंग डालकर धक्का मारने लगा। हरिया सुप्रिया के दोनों हाथों को कसकर पकड़ते हुए कहा "भाई आज से ये हमारी है और इसके हर चीज पर हमारा हक है।"
अंतू जोश में इतना जोर जोर से धक्का मारने लगा कि सुप्रिया चीखने लगी। हरिया सुप्रिया के मुंह को कसके हाथों से दबाते हुए कहा "कुछ देर और सुप्रिया उसके बाद तुम इस प्रेम की दीवानी हो जाओगी।"
अंतू जोश में आकर सुप्रिया के कंधे पर अपने दांत गदा दिया और काटने लगा। सुप्रिया इस मीठे दर्द से उकसा रही थी। हरिया से रहा नहीं गया और अपनी उंगली सुप्रिया के मुंह में डालकर बोला "भाई मुझे सुप्रिया से प्यार हो गया है।"
सुप्रिया मुंह से हरिया के उंगली को चूस रही थी। हरिया ने अपना लिंग सुप्रिया के मुंह में डालकर धक्का मारने लगा। दोनों लिंग के धक्कों से सुप्रिया का हाल बेहाल हो गया।
अंतू करीब 20 मिनट तक लिंग से धक्का देते रहा और आखिर में अपने लिंग को बाहर निकालकर वीर्य सुप्रिया के पेट पर डाल दिया। सुप्रिया के बगल अंतू थककर ले गया। सुप्रिया के पेट को साफ करके हरिया ने तुरंत अपना लिंग डाल दिया सुप्रिया को योनि में और करीब आधे घंटे तक संभोग किया। फिर अपने वीर्य को सुप्रिया की योनि में डाल दिया। दोनों बूढ़े के बीच नग्न अवस्था में सुप्रिया लेती थी। दोनों ने सुप्रिया को बाहों में भर लिया था।
सुप्रिया अपना सब कुछ अंतू पर लुटाते हुए।
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अगली सुबह की शुरुआत हरिया की बाहों में।
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