18-03-2025, 12:41 AM
(18-03-2025, 12:20 AM)deo.mukesh Wrote: भाग 9 : आर्केस्ट्रा वाली रांड और हवस की लहरेंभाग 9: मम्मी का चीरहरण और लंड की भूख (सेक्सी नौटंकी)
ढाबे का माहौल अब पूरी तरह गरम हो चुका था। मम्मी का सेक्सी नाच देखकर रामू, संजू, और बबलू की आँखों में हवस की चमक दोगुनी हो गई थी। उनकी कमर की लचक और चूचियों की उछाल ने ड्राइवरों को पागल कर दिया था। रामू ने ताली बजाते हुए कहा, "साली, तू तो मस्त नाचती है। अब कुछ ऐसा नाच दिखा कि हमारे लंड फिर से खड़े हो जाएँ।" संजू ने हँसते हुए जोड़ा, "हाँ, भोसड़ीवाली, तेरी चूत को चोदने का मूड फिर से बन जाए।"
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ढाबे का माहौल अब किसी रंडीखाने के ऑर्केस्ट्रा से कम नहीं था। टीवी पर भोजपुरी आइटम नंबर—"चूत मरैया बवाल..."—की धुन गूँज रही थी, और मम्मी की मटकती कमर ने रामू, संजू, और बबलू को फिर से हवस में डुबो दिया था। उनका नाच खत्म हुआ ही था कि बबलू ने चिल्लाकर कहा, "साली, तू तो आइटम गर्ल से भी मस्त है। लेकिन ये साड़ी अभी भी क्यों बँधी है? इसे उतार, फिर असली मज़ा लेंगे।"
मम्मी हाँफ रही थीं, उनकी साड़ी पहले से ही कमर तक बँधी थी। उनकी चूचियाँ ब्लाउज़ के एक बचे हुए बटन के पीछे उछल रही थीं, और पेटीकोट उनकी चूत के ठीक ऊपर टिका था। रामू और संजू ने तालियाँ बजाईं। "हाँ, रंडी, नंगी हो जा," रामू ने कहा। "तेरी चूत को फिर से चोदने का मन कर रहा है।"
मम्मी ने एक पल के लिए अपनी आँखें नीची कीं, फिर फिल्मी हीरोइन की तरह नाटक शुरू कर दिया। "नहीं... ये क्या कर रहे हो?" उन्होंने काँपती आवाज़ में कहा और अपनी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़ लिया, जैसे कोई विलेन उनकी इज़्ज़त लूटने आया हो। "मुझे छोड़ दो... मैं शरीफ औरत हूँ..." उनकी आवाज़ में बनावटी डर था, लेकिन उनकी आँखों में शरारत चमक रही थी।
रामू ने हँसते हुए उनकी साड़ी का किनारा पकड़ा और खींचा। "शरीफ औरत?" उसने मज़ाक उड़ाया। "साली, तेरी बुर का रस बता रहा है कि तू कितनी शरीफ है।" मम्मी ने अपने जिस्म को पीछे खींचा और चिल्लाईं, "नहीं... मत करो... मेरी इज़्ज़त मत लूटो!" लेकिन साथ ही वो धीरे-धीरे गोल-गोल घूमने लगीं, ताकि साड़ी उनके जिस्म से आसानी से फिसल सके।
संजू ने दूसरी तरफ से साड़ी पकड़ी और ज़ोर से खींचा। "चुप रह, भोसड़ीवाली," उसने कहा। "तेरी इज़्ज़त तो हम पहले ही चोद चुके हैं।" मम्मी का चीरहरण अब शुरू हो गया था। वो इठलाती हुई घूम रही थीं, उनकी साड़ी उनके जिस्म से एक-एक करके परतें उतर रही थीं। "हाय राम... मेरे साथ ये क्या हो रहा है?" मम्मी ने ड्रामाई अंदाज़ में कहा, लेकिन उनकी कमर की लचक और चूचियों की उछाल बता रही थी कि ये उनका सेक्सी नाटक था।
बबलू ने पास आकर साड़ी का आखिरी छोर पकड़ा और एक झटके में उसे पूरा खींच दिया। "साली, अब नंगी हो जा," उसने चिल्लाया। साड़ी ज़मीन पर गिर गई, और मम्मी सिर्फ टूटे हुए ब्लाउज़ और नीचे बँधे पेटीकोट में रह गईं। उनका ब्लाउज़ अब सिर्फ एक बटन के सहारे था, उनकी भारी चूचियाँ बाहर लटक रही थीं। पेटीकोट उनकी नाभि से इतना नीचे था कि उनकी चूत का ऊपरी हिस्सा झाँक रहा था। उनका ये रूप ड्राइवरों को और सेड्यूस कर रहा था।
मम्मी ने अपने हाथों से चूचियों को ढकने की नौटंकी की और बोलीं, "हाय... मेरी लाज मत लूटो..." लेकिन उनकी उंगलियाँ जानबूझकर अपनी चूचियों को दबा रही थीं। रामू ने हँसते हुए कहा, "साली, तेरी लाज तो तेरा नाच लूट रहा है। अब चुपचाप हमारे लंड चूस।"
तभी दो नए ड्राइवर, जो पहली चुदाई के बाद ढाबे पर आए थे, पास आ गए। एक का नाम था लल्लन—मोटा, काला, और भारी भरकम। दूसरा था छोटू—पतला लेकिन चालाक। दोनों ने मम्मी को नंगा देखा, और उनके लंड उनकी लुंगियों में तन गए। लल्लन ने बबलू से कहा, "ये माल कहाँ से लाए? साली की चूचियाँ तो मस्त हैं।" छोटू ने जोड़ा, "हाँ, इस रंडी को हम भी चखेंगे।"
मम्मी ने नए ड्राइवरों को देखा, और उनकी आँखों में एक नई चमक आई। वो अपने नाटक को छोड़कर इठलाती हुई उनकी तरफ बढ़ीं। "तुम लोग भी?" उन्होंने नशीली आवाज़ में कहा। "मुझे तो पहले ही लूट लिया गया है।" फिर वो घुटनों के बल बैठ गईं और लल्लन की लुंगी खींच दी। उसका मोटा, काला लंड बाहर आया। मम्मी ने उसे हाथ में लिया और चूसना शुरू कर दिया—"म्म्म..."—उनकी जीभ उसकी नसों पर फिसल रही थी।
लल्लन की सिसकारी निकली—"आह्ह... साली, क्या चूसती है!" मम्मी ने फिर छोटू की लुंगी उतारी और उसका पतला लेकिन लंबा लंड अपने मुँह में लिया। वो बारी-बारी से दोनों के लंड चूस रही थीं, और उनकी सिसकारियाँ—"म्म्म... आह्ह..."—हवा में गूँज रही थीं। रामू, संजू, और बबलू पास खड़े होकर तमाशा देख रहे थे। "साली, चार-चार लंड चूस लेगी क्या?" संजू ने हँसते हुए कहा।
जैसे ही मम्मी लल्लन और छोटू के लंड चूस रही थीं, उनके दिमाग में एक और पुरानी याद उमड़ आई—इस बार उनकी एक और सहेली, माया, के साथ। माया गाँव की एक विधवा थी, जो अपनी हवस के लिए मशहूर थी। एक बार मम्मी और माया नदी किनारे नहाने गई थीं। माया ने अपनी साड़ी उतारी और नंगी नहाने लगी। "पदमा , तू भी नंगी हो जा," उसने कहा था। "यहाँ कोई नहीं देखेगा।"
मम्मी ने हिचकिचाते हुए अपनी साड़ी उतारी थी, और माया ने उनकी चूचियों को देखकर कहा था, "तेरे ये मम्मे तो किसी को पागल कर देंगे।" फिर उसने मम्मी को पानी में खींचा और उनकी बुर को छूते हुए कहा, "तेरी चूत को मज़े चाहिए। मैंने तो कई मर्दों के लंड चूसे हैं। तू भी आज़मा।" माया ने हँसते हुए पानी में मम्मी की चूचियों को चूसा था, और मम्मी की सिसकारियाँ—"आह्ह... माया..."—नदी के किनारे गूँज रही थीं।
अब ढाबे पर, मम्मी माया की सलाह को सच कर रही थीं। वो लल्लन और छोटू के लंड चूस रही थीं, और उनकी हवस भरी यादें उनकी बुर को और गीला कर रही थीं। बबलू ने पास आकर कहा, "साली, अब हमारी बारी है।" मम्मी ने लल्लन का लंड मुँह से निकाला और बोलीं, "सबकी बारी आएगी..."—उनकी आवाज़ में नशा था।
मैं छिपे हुए ये सब देख रहा था। मम्मी का चीरहरण, उनका नाटक, और नए ड्राइवरों के लंड चूसना मुझे पागल कर रहा था। रात अभी और गरम होने वाली थी।
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