18-03-2025, 12:20 AM
(17-03-2025, 11:59 PM)deo.mukesh Wrote: भाग 7: चुदाई का तूफान और यादों की बौछार
ढाबे की चारपाई अब चुदाई का अखाड़ा बन चुकी थी। रामू मम्मी की बुर में अपने मोटे लंड को ज़ोर-ज़ोर से पेल रहा था। हर धक्के के साथ मम्मी की चूचियाँ उछल रही थीं, और उनकी सिसकारियाँ—"आह्ह... रामू... और तेज़..."
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भाग 8 : शर्म का टकराव, यादों की हवस, और मटकती कमर
.. मम्मी का सेक्सी नाच और उनकी कमला के साथ वो याद मेरी फैंटेसी को नई ऊँचाइयों पर ले जा रहे थे। रात अभी बाकी थी, और ये खेल और तेज़ होने वाला था।
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भाग 9 : आर्केस्ट्रा वाली रांड और हवस की लहरें
ढाबे का माहौल अब पूरी तरह गरम हो चुका था। मम्मी का सेक्सी नाच देखकर रामू, संजू, और बबलू की आँखों में हवस की चमक दोगुनी हो गई थी। उनकी कमर की लचक और चूचियों की उछाल ने ड्राइवरों को पागल कर दिया था। रामू ने ताली बजाते हुए कहा, "साली, तू तो मस्त नाचती है। अब कुछ ऐसा नाच दिखा कि हमारे लंड फिर से खड़े हो जाएँ।" संजू ने हँसते हुए जोड़ा, "हाँ, भोसड़ीवाली, तेरी चूत को चोदने का मूड फिर से बन जाए।"
मम्मी हाँफ रही थीं, उनकी साड़ी अभी भी कमर तक बँधी थी। वो कोई प्रोफेशनल नाचने वाली तो थीं नहीं, लेकिन ड्राइवरों की फरमाइश और उनकी गालियों ने उनके अंदर की हवस को और भड़का दिया था। तभी बबलू, जो नया ड्राइवर था, उठा और ढाबे के कोने में रखे पुराने टीवी की ओर बढ़ा। "रुक जाओ, भाइयो," उसने कहा। "इस रंडी को असली नाच सिखाते हैं।" उसने टीवी ऑन किया और एक पुरानी कैसेट डाल दी—भोजपुरी का एक अश्लील आइटम नंबर शुरू हो गया।
टीवी से गाना गूँजा—"चढ़ गइल जवानी रसगुल्ला, चूत मरैया बवाल..."—और स्क्रीन पर एक आइटम गर्ल छोटी चोली और लहंगे में मटक रही थी। बबलू ने मम्मी की तरफ देखकर कहा, "चल, भौजी , इस तरह नाच। अपनी चूचियाँ हिला, गांड मटका, और हमें गरम कर।" रामू और संजू तालियाँ बजाने लगे।
मम्मी ने टीवी की ओर देखा। वो प्रोफेशनल तो नहीं थीं, लेकिन गाने की बीट और आइटम गर्ल के स्टेप्स ने उनके जिस्म में बिजली दौड़ा दी। "मैं... मैं ऐसा कैसे करूँ?" उन्होंने शरमाते हुए कहा, लेकिन उनकी आँखें बबलू के तने हुए लंड पर टिक गई थीं। संजू ने पास आकर कहा, "कर ले, रंडी। तेरी साड़ी में तो कुछ दिखेगा नहीं। इसे उतार, फिर नाच।"
रामू और बबलू ने तालियाँ बजाईं। "हाँ, साली, नंगी होकर नाच," रामू ने चिल्लाया। मम्मी एक पल रुकीं, फिर इठलाते हुए गोल-गोल घूमने लगीं। ड्राइवरों ने उनकी साड़ी का किनारा पकड़ा और धीरे-धीरे उसे खींचना शुरू किया। मम्मी ने विरोध नहीं किया—वो घूमती रहीं, और साड़ी उनके जिस्म से फिसलती चली गई। अब वो सिर्फ छोटे ब्लाउज़ और पेटीकोट में थीं।
उनका ब्लाउज़ पहले ही तंग था, और चुदाई के दौरान इसके सारे बटन टूट चुके थे। सिर्फ एक बटन बचा था, जो उनकी भारी चूचियों को मुश्किल से थामे हुए था। उनकी चूचियाँ आधे बाहर लटक रही थीं, और हर हलचल के साथ उछल रही थीं। पेटीकोट उनकी नाभि से बहुत नीचे बँधा था—उनकी चूत के मुँह से बस थोड़ा ऊपर। उनकी गोरी जाँघें और गदराया जिस्म अब आइटम गर्ल जैसा लग रहा था।
टीवी पर अगला गाना शुरू हुआ—"लहंगा उठाके चूत दिखा दे, रस टपके मुँह में डाल दे..."—और मम्मी ने स्टेप्स की नकल शुरू की। वो अपनी कमर को मटकाने लगीं, हाथों को हवा में लहराया, और अपनी चूचियों को जानबूझकर हिलाया। ड्राइवर चिल्लाने लगे—"वाह, साली, क्या माल है!" "मटका और, रंडी!"—और उनका मूड फिर से गरम हो गया। माहौल अब किसी ऑर्केस्ट्रा के रंडी नाच जैसा बन गया था।
जैसे ही मम्मी नाच रही थीं, उनके दिमाग में एक और पुरानी याद उमड़ आई—इस बार उनकी एक और सहेली, राधा, के साथ। राधा मोहल्ले की एक बदनाम औरत थी, जो अपने पति के साथ खुलेआम मज़े लेती थी। एक बार मम्मी उनके घर गई थीं, और राधा ने उन्हें अपने बिस्तर पर बिठाया था। "पदमा , तू अपनी जवानी बर्बाद कर रही है," राधा ने कहा था। "देख, मैं अपने मर्द के साथ क्या-क्या करती हूँ।"
फिर राधा ने अपनी साड़ी उतारी और सिर्फ ब्लाउज़-पेटीकोट में मम्मी के सामने नाचने लगी। "ये देख," उसने कहा और अपनी चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर निकालकर हिलाईं। "मेरा मर्द मुझे रात को नंगी नचाता है, फिर चोदता है। तू भी ऐसा कर।" राधा ने मम्मी की साड़ी खींचने की कोशिश की थी, और मम्मी शरमाकर हँस पड़ी थीं। "पागल है तू," मम्मी ने कहा था, लेकिन उनकी बुर उस दिन गीली हो गई थी। राधा ने हँसते हुए कहा था, "तेरी चूत को नाच और लंड चाहिए, पदमा । ढूँढ ले कोई।"
अब ढाबे पर, राधा की वो बात सच हो रही थी। मम्मी का नाच और तेज़ हो गया—वो अपनी गांड को मटकातीं, अपनी चूचियों को उछालतीं, और ड्राइवरों को उकसातीं। बबलू ने पास आकर कहा, "साली, तू तो सच्ची आइटम गर्ल है। अब हमारी बारी है।" उसने अपना लंड बाहर निकाला और मम्मी की तरफ बढ़ा।
रामू ने टीवी की आवाज़ तेज़ की—"चूत मरैया बवाल..."—और मम्मी की कमर पकड़कर उन्हें अपनी ओर खींचा। "नाच काफी हुआ, रंडी," उसने कहा। "अब फिर से चुदाई शुरू करें?" संजू ने उनकी चूचियों को दबाते हुए कहा, "हाँ भैया, इस भोसड़ीवाली की बुर का रस फिर से चखना है।"
मम्मी हाँफ रही थीं, उनकी यादों में राधा का नाच और ढाबे का माहौल उनकी हवस को भड़का रहा था। वो बोलीं, "ठीक है... लेकिन धीरे..."—उनकी आवाज़ में अब शर्म नहीं, सिर्फ नशा था।
मैं छिपे हुए ये सब देख रहा था। मम्मी का आइटम नंबर और राधा की याद मेरे लिए एक नया तमाशा था। मेरा लंड मेरी पैंट में फटने को तैयार था, और ये रात अब और गरम होने वाली थी।