14-03-2025, 05:34 PM
" कहाँ था तू?" राज के रूम में घुस'ते ही वीरू की आँखें एक पल को चमक उठी.. पर अगले ही पल उसको याद आ गया की साडी दुर्गति उसकी ही वजह से हुयी है," तुझे पता है यहाँ क्या हो गया?" विक्की वीरू के पास कुर्सी पर था जबकि स्नेहा उसके बिस्तर पर पालथी मरे बैठी थी.. राज के अन्दर घुसते ही वो खड़ी हो गयी।
राज को माजरा समझ में न आया.. उसके चेहरे पर तोह 12 पहले ही बजे हुए थे.. दो अनजान लोगों को कमरे में पाकर वो भोचक्का सा बारी बारी तीनो की और देखने लगा और कुछ सोचने के बाद उसने विक्की की तरफ हाथ जोड़ दिए," नमस्ते..."
"क्या नमस्ते यार.. कही जाओ तोह बता कर तो जाया करो.. वीरू तुम्हे ढूँढने गया था.. हमारी गाड़ी से इसका एक्सीडेंट हो गया.." विक्की ने सहज भावः से कहा..
"क्या?" राज के पैरों तले की जमीन खिसक गयी...," कब? ... कहाँ..?" उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया.. सचमुच आज का दिन बहुत खराब था..,"क्या हुआ?"
"क्या हुआ के बच्चे.. बात को गोलमोल मत कर... पहले बता.. गया कहाँ था तू इतनी रात को...?" वीरू ने कोहनी का सहारा लेकर उठने की कोशिश की.. पर दर्द बहुत ज्यादा बढ़ गया था.... वह कराह उठा..
"बता दूंगा भाई.. पहले बता तोह क्या हुआ.. ? यहाँ लगी है क्या चोट..?" सड़क पर घिसरने की वजह से वीरू के चेहरे पर भी खरोंच आई थी.. राज ने उस खरोंच के पास हाथ लगाते हुए पूछा...
" इसकी टांग में चोट लगी है... मैं तो कह रही थी हॉस्पिटल चलो.. ये माना ही नही.. कहने लगा राज चिंता करेगा, वापस आने पर.." वीरू के बोलने से पहले ही स्नेहा बोल पड़ी...राज ने देखने के लिए जैसे ही वीरू की जांघ को हिलाने की कोशिश की वो दर्द से बिलबिला उठा," बस कर यार.. अब तोह चैन से पड़ा रहने दे..."
"चल मेडिकल चलते हैं.. यार.. सॉरी.. मुझे बता कर जाना चाहिए था .." राज को कुछ बोलते न बन रहा था...वीरू का दर्द अब कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था.. राज के वापस आने पर अब वीरू को राज की बजाय अपनी चोट की फिकर होने लगी.. उसने नजरें घुमाकर विक्की की और देखा॥"
हाँ हाँ.. चलो यार.. स्नेहा! तुम यही रुक जाओ.. हम इसको ले जाते हैं... अगर वहां ज्यादा टाइम लगा तोह मैं वापस आ जाऊँगा..." विक्की ने स्नेहा की और देखते हुए अपनी बात ख़तम की...
"ठीक है.. ले जाओ!.. मैं तब तक यहीं रूकती हूँ.." स्नेहा को कोई ऐतराज नही था...उसके बाद दोनों वीरू को सहारा देकर गाड़ी में ले गए... स्नेहा ने अपनी ड्रेस change की और लेट गयी... थाने में मुरारी S.H.O. साहब के शयन कक्ष में उसके बिस्तर पर लेते हुए थे .. और S.H.O. कुर्सी पर बैठा उसकी गालियाँ सुन रहा था.." बिजेंदर.... कैसे रहते हो यहाँ पर.. मेरा तोह दम निकला जा रहा है गर्मी में.. यहाँ A.C. क्यूँ नही लगवाया.. बहिन के लौडे मच्छर खा रहे हैं.. वो अलग... क्या घंटा थाना है ये... लाक up में मुजरिम कैसे रहते होंगे.. आख़िर वो भी तोह इन्सान हैं..." मुरारी के मुंह से इंसानियत का जिक्र कुछ फब नही रहा था... वो भयभीत tha कि कल उसका क्या होगा... tough के थाने में...
"क्या करें सर... ये cooler भी ऊपर की कमाई से चल रहा है... सरकार ने तोह बस ये पंखा दे रखा है..." विजेंदर ने छत की और इशारा करते हुए कहा... पंखा मुश्किल से एक मिनट में 50 चक्कर काट रहा था....
"सरकार के भरोसे रहोगे तोह ये भी नही रहेगा.. कुछ दिन बाद.. मेरे तोह चांस ख़तम ही हो गए.. पता नही किस मादरचोद ने बहलाया है मेरी बेटी को... साला सारे करियर का कबाडा हो गया... चल मेरे ऑफिस चलते हैं.. सुबह आ जायेंगे.." मुरारी ने पेट पर हाथ मारते हुए कहा...
"पर अगर किसी ने देख लिया तोह.. मेरी नौकरी जाती रहेगी.. सर.. आपको मीडिया का पता ही है.. कैसे उछालते हैं मामलों को.. कहीं ले देकर भी मामला सेट नही कर सकते..!"
"बहिन की चूत.. मीडिया वालों की.. सालों ने मेरी माँ चोद दी.. इनको तोह फांसी पर लटका देना चाहिए.. वैसे तुझे क्या लगता है..? किसकी चाल हो सकती है..?" मुरारी बैठ गया था ...
"वैसे पक्का तोह कैसे कहें.. पर हो न हो विक्की इस मामले में हो सकता है.. आजकल वो शहर में नही दिख रहा.. मुझसे मिला था तोह आपको सबक सिखाने कि बात कर रहा था.. वो मुल्तिप्लेक्स वाले इस्सुए पर.... वो हर हल में उसको खरीदना चाहता है.."
"उसकी गांड में दम नही है.. जब तक में जिन्दा हूँ.. उसको कोई नही खरीद सकता... पर वो तोह विदेश में है न.. आजकल.. उसकी पार्टी वाले तोह यही कह रहे हैं..?"
" न जी न.. कम से कम जिस दिन ये घटना हुयी.. उस रात को तोह वो इंडिया में ही था .... किसी लड़की के साथ था.. लम्बी सी.."
"तुझे कैसे पता? पहले क्यूँ नही बताया हराम के....! तेरे पास सबूत है कोई..?" मुरारी बिस्तर से उछल पड़ा...
"सबूत तोह नही है.. पर जिस होटल में वो दोनों रुके थे .. उस दिन वो भी वहीँ था .. जिसने मुझे बताया है.. मैंने सोचा आपकी लड़की लम्बी कहाँ होगी.. इसीलिए नजरंदाज कर दिया..." विजेंदर ने ५ फीट के मुरारी को सर से पाँव तक देखा.
" अबे वो 5'8" की है.. जरूर वही होगी.. कौनसा होटल था...?" मुरारी को लगा कोई रास्ता निकल सकता है...
"कोई फायदा नही.. मैंने निजी तौर पर इंकुइरी की थी.. उनका कोई रिकॉर्ड नही है.. वहां ठहरने का..." विजेंदर ने उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया."
साला.. मैं उसको छोडूंगा नही.. तेरे पास no. है उसका..?"
"मैंने तरी किया था .. switch ऑफ़ आ रहा है.. लगातार..!"
"मेरे ड्राईवर का भी कुछ पता नही.. कहीं वो भी तोह शामिल नही है इस गेम में?" मुरारी का दिमाग भन्ना गया..
"अभी तोह आप कल का सोचिये कुछ.. कल आपको कोर्ट ले जाना पड़ेगा.. वो इंस्पेक्टर वहीँ मिलेगा... उसके बाद में कुछ नही कर पाऊंगा..." विजेंदर ने मुरारी से कहा..
"हाँ यार.. उसका तोह कुछ करना ही पड़ेगा.. कुछ लेने देने की बात कर ले न..?" मुरारी बेचैन हो गया..."
वो तोह मैं देख लूँगा.. पर शालिनी के बयानों का क्या करूँ...?.. ये तोह आपको फंसवा ही देंगे... अगर उसने कोर्ट में बोल दिया तोह.. ले भी तोह अपने साथ ही गया कम्बखत... कुछ सोचते भी तोह.." विजेंदर ने सफाई दी।
"उसको तोह मैं देख लूँगा.. कब तक अपने साथ रखेगा साला... पर कल मेरी सिक्युरिटी कस्टडी नही होनी चाहिए... सिक्युरिटी की तरफ से.. इस माम'ले में भी.. और उसमें भी....."
"ठीक है सर! मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूँगा... आप बेफिक्र रहे..." विजेंदर ने कहा॥"
विजेंदर.. यहाँ लड़की नही आ सकती है क्या..? रात गुजारने के लिए.. बड़ी खुस्की सी हो रही है यार॥"
विजेंदर ने बुड्ढे की आंखों में गौर से देखा.. कितना कमीना था वो..," यहाँ कुछ नही हो सकता सर... आप वाला मामला न होता तोह जरुर हो जाता.. ऐसे मामलों में मीडिया वाले रात रात भर चिपके रहते हैं आसपास.. की हम कोई गलती करें और वो उसको ब्रेकिंग न्यूज़ बना दें.. कम से कम आज तोह आप काट ही लीजिये......"
मुरारी ने अपने पेट पर हाथ मारा और अपना मोबाइल निकल लिया.... कहीं डायल करके कान से लगा लिया.."हाँ.. मुरारी जी..."
"सुन बांके.. वो साला विक्की इधर ही है.. आसपास हर जगह फ़ोन कर दो.. दिख जाए तोह बिना पूछे ही उठवा लो साले को...." मुरारी ने कहा॥"
उसको तोह मैंने अभी मेडिकल की पार्किंग में देखा था...... मैं वहीँ से आ रहा हूँ.. 2517 टोयोटा थी.. ब्लैक कलर में.. अभी आधे घंटे पहले की तोह बात है... कहो तोह भेज दूँ.. बन्दों को...?"
मुरारी की आँखें चमक उठी...," पहले क्यूँ नही बताया भोस... जल्दी कर.. निकलना नही चाहिए.. कोई और भी था क्या उसके साथ...?"
"किसी और का तोह पता नही.. वो पार्क करके निकल रहा था.." बांके ने कहा.."जल्दी कर.. उस्सपर नजर रखवा कर किसी अच्छे मौके का इंतज़ार करना.. और हाँ.. अपनी लड़की उसके साथ हो सकती है.. ध्यान से.. मजबूत बन्दों को भेजना.. बहुत सख्त जान है साला..! उठवा ले.. और फ़िर मेरे पास फ़ोन करना.. उस'से पहले उसको कुछ मत कहना.. समझा...!"
"ठीक है मुरारी जी.. आप चिंता न करें.. मैं साथ ही जाऊँगा!"
"शाबाश!" कहकर मुरारी ने फ़ोन काट दिया.. वह खिल सा गया था.... की अचानक tough की याद आते ही उसका कुरूप चेहरा फ़िर से मुरझा गया... "
राज को माजरा समझ में न आया.. उसके चेहरे पर तोह 12 पहले ही बजे हुए थे.. दो अनजान लोगों को कमरे में पाकर वो भोचक्का सा बारी बारी तीनो की और देखने लगा और कुछ सोचने के बाद उसने विक्की की तरफ हाथ जोड़ दिए," नमस्ते..."
"क्या नमस्ते यार.. कही जाओ तोह बता कर तो जाया करो.. वीरू तुम्हे ढूँढने गया था.. हमारी गाड़ी से इसका एक्सीडेंट हो गया.." विक्की ने सहज भावः से कहा..
"क्या?" राज के पैरों तले की जमीन खिसक गयी...," कब? ... कहाँ..?" उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया.. सचमुच आज का दिन बहुत खराब था..,"क्या हुआ?"
"क्या हुआ के बच्चे.. बात को गोलमोल मत कर... पहले बता.. गया कहाँ था तू इतनी रात को...?" वीरू ने कोहनी का सहारा लेकर उठने की कोशिश की.. पर दर्द बहुत ज्यादा बढ़ गया था.... वह कराह उठा..
"बता दूंगा भाई.. पहले बता तोह क्या हुआ.. ? यहाँ लगी है क्या चोट..?" सड़क पर घिसरने की वजह से वीरू के चेहरे पर भी खरोंच आई थी.. राज ने उस खरोंच के पास हाथ लगाते हुए पूछा...
" इसकी टांग में चोट लगी है... मैं तो कह रही थी हॉस्पिटल चलो.. ये माना ही नही.. कहने लगा राज चिंता करेगा, वापस आने पर.." वीरू के बोलने से पहले ही स्नेहा बोल पड़ी...राज ने देखने के लिए जैसे ही वीरू की जांघ को हिलाने की कोशिश की वो दर्द से बिलबिला उठा," बस कर यार.. अब तोह चैन से पड़ा रहने दे..."
"चल मेडिकल चलते हैं.. यार.. सॉरी.. मुझे बता कर जाना चाहिए था .." राज को कुछ बोलते न बन रहा था...वीरू का दर्द अब कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था.. राज के वापस आने पर अब वीरू को राज की बजाय अपनी चोट की फिकर होने लगी.. उसने नजरें घुमाकर विक्की की और देखा॥"
हाँ हाँ.. चलो यार.. स्नेहा! तुम यही रुक जाओ.. हम इसको ले जाते हैं... अगर वहां ज्यादा टाइम लगा तोह मैं वापस आ जाऊँगा..." विक्की ने स्नेहा की और देखते हुए अपनी बात ख़तम की...
"ठीक है.. ले जाओ!.. मैं तब तक यहीं रूकती हूँ.." स्नेहा को कोई ऐतराज नही था...उसके बाद दोनों वीरू को सहारा देकर गाड़ी में ले गए... स्नेहा ने अपनी ड्रेस change की और लेट गयी... थाने में मुरारी S.H.O. साहब के शयन कक्ष में उसके बिस्तर पर लेते हुए थे .. और S.H.O. कुर्सी पर बैठा उसकी गालियाँ सुन रहा था.." बिजेंदर.... कैसे रहते हो यहाँ पर.. मेरा तोह दम निकला जा रहा है गर्मी में.. यहाँ A.C. क्यूँ नही लगवाया.. बहिन के लौडे मच्छर खा रहे हैं.. वो अलग... क्या घंटा थाना है ये... लाक up में मुजरिम कैसे रहते होंगे.. आख़िर वो भी तोह इन्सान हैं..." मुरारी के मुंह से इंसानियत का जिक्र कुछ फब नही रहा था... वो भयभीत tha कि कल उसका क्या होगा... tough के थाने में...
"क्या करें सर... ये cooler भी ऊपर की कमाई से चल रहा है... सरकार ने तोह बस ये पंखा दे रखा है..." विजेंदर ने छत की और इशारा करते हुए कहा... पंखा मुश्किल से एक मिनट में 50 चक्कर काट रहा था....
"सरकार के भरोसे रहोगे तोह ये भी नही रहेगा.. कुछ दिन बाद.. मेरे तोह चांस ख़तम ही हो गए.. पता नही किस मादरचोद ने बहलाया है मेरी बेटी को... साला सारे करियर का कबाडा हो गया... चल मेरे ऑफिस चलते हैं.. सुबह आ जायेंगे.." मुरारी ने पेट पर हाथ मारते हुए कहा...
"पर अगर किसी ने देख लिया तोह.. मेरी नौकरी जाती रहेगी.. सर.. आपको मीडिया का पता ही है.. कैसे उछालते हैं मामलों को.. कहीं ले देकर भी मामला सेट नही कर सकते..!"
"बहिन की चूत.. मीडिया वालों की.. सालों ने मेरी माँ चोद दी.. इनको तोह फांसी पर लटका देना चाहिए.. वैसे तुझे क्या लगता है..? किसकी चाल हो सकती है..?" मुरारी बैठ गया था ...
"वैसे पक्का तोह कैसे कहें.. पर हो न हो विक्की इस मामले में हो सकता है.. आजकल वो शहर में नही दिख रहा.. मुझसे मिला था तोह आपको सबक सिखाने कि बात कर रहा था.. वो मुल्तिप्लेक्स वाले इस्सुए पर.... वो हर हल में उसको खरीदना चाहता है.."
"उसकी गांड में दम नही है.. जब तक में जिन्दा हूँ.. उसको कोई नही खरीद सकता... पर वो तोह विदेश में है न.. आजकल.. उसकी पार्टी वाले तोह यही कह रहे हैं..?"
" न जी न.. कम से कम जिस दिन ये घटना हुयी.. उस रात को तोह वो इंडिया में ही था .... किसी लड़की के साथ था.. लम्बी सी.."
"तुझे कैसे पता? पहले क्यूँ नही बताया हराम के....! तेरे पास सबूत है कोई..?" मुरारी बिस्तर से उछल पड़ा...
"सबूत तोह नही है.. पर जिस होटल में वो दोनों रुके थे .. उस दिन वो भी वहीँ था .. जिसने मुझे बताया है.. मैंने सोचा आपकी लड़की लम्बी कहाँ होगी.. इसीलिए नजरंदाज कर दिया..." विजेंदर ने ५ फीट के मुरारी को सर से पाँव तक देखा.
" अबे वो 5'8" की है.. जरूर वही होगी.. कौनसा होटल था...?" मुरारी को लगा कोई रास्ता निकल सकता है...
"कोई फायदा नही.. मैंने निजी तौर पर इंकुइरी की थी.. उनका कोई रिकॉर्ड नही है.. वहां ठहरने का..." विजेंदर ने उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया."
साला.. मैं उसको छोडूंगा नही.. तेरे पास no. है उसका..?"
"मैंने तरी किया था .. switch ऑफ़ आ रहा है.. लगातार..!"
"मेरे ड्राईवर का भी कुछ पता नही.. कहीं वो भी तोह शामिल नही है इस गेम में?" मुरारी का दिमाग भन्ना गया..
"अभी तोह आप कल का सोचिये कुछ.. कल आपको कोर्ट ले जाना पड़ेगा.. वो इंस्पेक्टर वहीँ मिलेगा... उसके बाद में कुछ नही कर पाऊंगा..." विजेंदर ने मुरारी से कहा..
"हाँ यार.. उसका तोह कुछ करना ही पड़ेगा.. कुछ लेने देने की बात कर ले न..?" मुरारी बेचैन हो गया..."
वो तोह मैं देख लूँगा.. पर शालिनी के बयानों का क्या करूँ...?.. ये तोह आपको फंसवा ही देंगे... अगर उसने कोर्ट में बोल दिया तोह.. ले भी तोह अपने साथ ही गया कम्बखत... कुछ सोचते भी तोह.." विजेंदर ने सफाई दी।
"उसको तोह मैं देख लूँगा.. कब तक अपने साथ रखेगा साला... पर कल मेरी सिक्युरिटी कस्टडी नही होनी चाहिए... सिक्युरिटी की तरफ से.. इस माम'ले में भी.. और उसमें भी....."
"ठीक है सर! मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूँगा... आप बेफिक्र रहे..." विजेंदर ने कहा॥"
विजेंदर.. यहाँ लड़की नही आ सकती है क्या..? रात गुजारने के लिए.. बड़ी खुस्की सी हो रही है यार॥"
विजेंदर ने बुड्ढे की आंखों में गौर से देखा.. कितना कमीना था वो..," यहाँ कुछ नही हो सकता सर... आप वाला मामला न होता तोह जरुर हो जाता.. ऐसे मामलों में मीडिया वाले रात रात भर चिपके रहते हैं आसपास.. की हम कोई गलती करें और वो उसको ब्रेकिंग न्यूज़ बना दें.. कम से कम आज तोह आप काट ही लीजिये......"
मुरारी ने अपने पेट पर हाथ मारा और अपना मोबाइल निकल लिया.... कहीं डायल करके कान से लगा लिया.."हाँ.. मुरारी जी..."
"सुन बांके.. वो साला विक्की इधर ही है.. आसपास हर जगह फ़ोन कर दो.. दिख जाए तोह बिना पूछे ही उठवा लो साले को...." मुरारी ने कहा॥"
उसको तोह मैंने अभी मेडिकल की पार्किंग में देखा था...... मैं वहीँ से आ रहा हूँ.. 2517 टोयोटा थी.. ब्लैक कलर में.. अभी आधे घंटे पहले की तोह बात है... कहो तोह भेज दूँ.. बन्दों को...?"
मुरारी की आँखें चमक उठी...," पहले क्यूँ नही बताया भोस... जल्दी कर.. निकलना नही चाहिए.. कोई और भी था क्या उसके साथ...?"
"किसी और का तोह पता नही.. वो पार्क करके निकल रहा था.." बांके ने कहा.."जल्दी कर.. उस्सपर नजर रखवा कर किसी अच्छे मौके का इंतज़ार करना.. और हाँ.. अपनी लड़की उसके साथ हो सकती है.. ध्यान से.. मजबूत बन्दों को भेजना.. बहुत सख्त जान है साला..! उठवा ले.. और फ़िर मेरे पास फ़ोन करना.. उस'से पहले उसको कुछ मत कहना.. समझा...!"
"ठीक है मुरारी जी.. आप चिंता न करें.. मैं साथ ही जाऊँगा!"
"शाबाश!" कहकर मुरारी ने फ़ोन काट दिया.. वह खिल सा गया था.... की अचानक tough की याद आते ही उसका कुरूप चेहरा फ़िर से मुरझा गया... "