भाग - 20
कुसुम ने दोनों हाथों से राजू के सर को पकड़ कर पीछे किया.. जिससे कुसुम का चूचुक ‘पक्क’ की आवाज़ से राजू के मुँह से बाहर आ गया।
राजू ने कुसुम के चेहरे की तरफ देखा।
दोनों की नजरें आपस में मिलीं.. कुसुम की आँखों में चाहत के साथ-साथ लाखों सवाल थे।
कहाँ तो वो राजू को गेंदामल के खिलाफ इस्तेमाल करके.. गेंदामल की इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ाना चाहती थी और कहाँ आज वो खुद राजू के मूसल लण्ड की गुलाम हो कर रह गई थी जो इस वक़्त तन कर कुसुम की चूत के पास उसकी जाँघों को ठोकर मार रहा था.. जैसे कुसुम की चूत के लिए अपना रास्ता बनाने की कोशिश कर रहा हो।
कुसुम ने राजू की आँखों में देखते हुए, अपने होंठों को उसके होंठों की तरफ बढ़ा दिया और अगले ही पल राजू कुसुम की चूचियों को मसलते हुए, उसके होंठों को चूस रहा था।
कुसुम ने अपने हाथों को राजू की पीठ पर कस कर.. उसे अपने ऊपर खींच लिया।
जैसे ही राजू कुसुम के ऊपर आया.. कुसुम ने अपनी टाँगों को फैला लिया, जिससे राजू का नीचे का धड़ उसकी गुंदाज जाँघों के बीच में आ गया..
राजू ने कुसुम के होंठों से अपने होंठों को हटाया और उसके गर्दन और चूचियों के ऊपर वाले हिस्से को चूमने लगा।
कुसुम के बदन में एक बार फिर से वासना की आग भड़कने लगी।
कुसुम अभी भी उसके पेट पर अपने हाथों को घुमा रही थी और राजू उसके बदन के हर अंग को चूमता और चाटता हुआ नीचे उसके पेट पर आ गया।
कुसुम अब धीमी आवाज़ में सिसकियां भर रही थी।
नींद से अभी-अभी जागी कुसुम को आज तक ऐसे खुमारी नहीं छाई थी.. उसने अपने दोनों हाथों को ऊपर ले जाकर सर के नीचे रखे तकिए को कस कर पकड़ लिया।
उसकी कमर लगातार थरथरा रही थी, उसके पेट में उठ रही लहरों से जाहिर हो रहा था कि कुसुम कितनी गरम हो चुकी है और अब उसकी चूत में फिर से सुनामी आने लगी थी- ओह्ह राजू ओह मेरी जान…. उफफफफफ्फ़ और मत तड़फाओ अपनी गुलाम मालकिन को ओह्ह ओह्ह..
राजू ने एक बार कुसुम के कामुक चेहरे की ओर देखा।
उसका पूरा चेहरा पसीने के सुनहरी बूँदों से भीगा हुआ था और उसके रसीले होंठ थरथरा रहे थे।
फिर उसने अभी जीभ निकाल कर कुसुम की नाभि में घुसा दी।
कुसुम के बदन में करेंट सा दौड़ गया.. उसने तकिए को छोड़ कर राजू के सर को दोनों हाथों से पकड़ लिया।
‘ओह राजू आह्ह.. सीईई नहियिइ ओह मत कर मेरे लालल्ल्ल ओह बसस्स्स उफफ्फ़ क्या कर रहा हाईईईई, ओह्ह छोड़ दे.. रा..जाआ…’
राजू उसकी नाभि और पेट के निचले हिस्से को चूमता हुआ और नीचे उसकी चूत की तरफ जाने लगा..
जब कुसुम को इस बात का अहसास हुआ, तो उसने अपनी जाँघों को भींचना शुरू कर दिया।
कुसुम- ओह्ह राजूऊऊ मत्तत्त कर नाआअ.. मैं मर जाऊँगी.. ओह ओह्ह सीईईईई ओह राजू न.. नहीं ओह्ह ओह्ह ओह्ह..
कुसुम की आवाज़ मानो उसके हलक में अटक गई हो, कुछ पलों के लिए उसकी साँस रुक गई और उसके पूरा बदन ऐसे अकड़ गया.. मानो जैसे उसको दौरा पड़ गया हो।
उसने अपने हाथों से राजू के सर को पीछे करने के कोशिश की, पर उसको लगा जैसे उसके बदन ने उसका साथ छोड़ दिया हो।
कुछ पलों की खामोशी के बाद मानो जैसे कमरे में तूफान आ गया।
कुसुम लगभग चीखते हुए सिसकारियाँ भरने लगी।
कुसुम- ओह्ह ओह्ह आह्ह.. आह्ह.. आह्ह.. बेटा ओह छोड़ दे मुझे.. ओह मैं पागल हो जाऊँगी.. बेटा ओह मेरी फुद्दी को मत कर बेटा ओह्ह..
कुसुम अपनी गाण्ड को बिस्तर से ऊपर उछालते हुए मछली के तरह तड़फ रही थी।
उसकी चूत के कामरस ने इस कदर उसकी चूत को गीला कर रखा था कि उसकी चूत से पानी निकल कर गाण्ड के छेद को नम कर रहा था।
जब मस्ती में आकर कुसुम अपनी गाण्ड को ऊपर की ओर उछालती, तो राजू की जीभ कुसुम की गाण्ड के छेद पर रगड़ खा जाती और कुसुम के बदन में और मस्ती की लहर दौड़ जाती।
कुसुम का पूरा बदन मस्ती में कांप रहा था।
जब कुसुम से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने राजू को कंधों से पकड़ कर ऊपर खींच लिया और अपना हाथ नीचे ले जाकर राजू के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा दिया।
गरम सुपारा चूत के छेद पर लगते ही.. जो सुख की अनुभूति कुसुम को हो रही थी, उसे शब्दों में बयान करना बहुत मुश्किल था।
राजू को ऐसे लग रहा था, जैसे उसके लण्ड का सुपारा किसी दहकते लावा का नदी में चला गया हो।
‘ओह्ह मालकिन आपकी चूत बहुत गरम है.. मेरा लण्ड पिघल जाएगा..’
राजू का बदन भी मस्ती में काँप रहा था, उसने अपनी कमर को आगे की तरफ धकेला, राजू के लण्ड का सुपारा कुसुम की चूत के छेद को फ़ैलाता हुआ अन्दर जा घुसा और कुसुम के मुँह से मस्ती भरी ‘आहह’ निकल गई।
कुसुम ने अपनी बाँहों को राजू की पीठ पर कस लिया और उसके होंठों को जो कि उसकी चूत के कामरस से भीगे हुए थे, अपने होंठों में भर लिया।
राजू ने भी अपनी कुसुम के होंठों को चूसते हुए एक और जोरदार धक्का मार कर अपना पूरा का पूरा लण्ड कुसुम की चूत की गहराईयों में उतार दिया।
कुसुम के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई और राजू की पीठ पर तेजी से अपने हाथों को फेरने लगी।
अब राजू भी लगातार अपने लण्ड को कुसुम की चूत की अन्दर-बाहर कर रहा था और कुसुम भी अपनी गाण्ड को उछाल-उछाल कर अपनी चूत को राजू के लण्ड पर पटक रही थी।
कुसुम जो कि थोड़ी देर पहले मायूस हो गई थी, अब सब कुछ भूल कर एक बार फिर से अपनी जाँघों को फैलाए हुए, राजू के लण्ड को अपनी चूत में ले रही थी।
चुदाई का ये दौर करीब 15 मिनट चला। झड़ने के बाद दोनों जब अलग हुए.. दोनों बहुत थक चुके थे।
अगली सुबह जब कुसुम उठी, तो उसने अपने आप को राजू की बाँहों में एकदम नंगा पाया.. अपनी इस हालत को देख कर कुसुम के होंठों पर मुस्कान आ गई।
उसने राजू के चेहरे की तरफ देखा, जो अभी भी ख़्वाबों की दुनिया में था।
कुसुम ने झुक कर राजू के माथे को चूमा और फिर उसके बालों को सहलाते हुए उसको जगाया।
राजू नींद से जगा और कुसुम की तरफ देखने लगा।
‘अब उठ जा शहजादे.. सुबह हो गई है.. वो चमेली भी आती होगी..’
ये कह कर कुसुम ने एक बार राजू के होंठों को चूमा और फिर बिस्तर से उतर कर अपनी साड़ी पहनने लगी..
पीछे बिस्तर पर लेटा हुआ राजू कुसुम के गदराए बदन को देख रहा था, उसे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं हो रहा था कि कल पूरी रात ये बदन उसकी बाँहों में था और उसने कुसुम को रात को जी भर कर चोदा था।
चमेली के आने का वक्त हो रहा था, इसलिए राजू भी बिस्तर से उतर कर लुँगी पहन कर पीछे बने अपने कमरे में चला गया।
पीछे जाने के बाद उसने अपने कपड़े जो कल रात भीग गई थे, उन्हें सूखने के लिए डाल दिया और दूसरे कपड़े पहन कर शौच के लिए खेतों की तरफ चला गया।
दूसरी तरफ चमेली के घर पर आज उसका पति आया हुआ था।
उसके साथ किसन नाम का एक आदमी भी था।
चमेली ने उनके लिए चाय बनाई और चमेली का पति रघु चमेली को कमरे से बाहर ले आया।
चमेली- क्या है जी, आप आज सुबह-सुबह कैसे आ गए?
रघु- वो दरअसल ये जो किसन बाबू हैं.. पास के गाँव में रहते हैं। इनका एक बेटा है.. सुभाष नाम है उसका, उसने कहीं पर हमारी बेटी रज्जो को देख लिया होगा, अब वो रज्जो से शादी करना चाहता है, घर-बार भी अच्छा है.. ज़मीन जायदाद भी है, अब तुम बोलो क्या कहती हो?
रघु की बात सुन कर चमेली कुछ देर के लिए सोच में पड़ गई, पर घर आए इतने अच्छे रिश्ते को ठुकराना नहीं चाहती थी।
‘जी मुझे तो कोई हरज नहीं है, अगर घर-बार अच्छा है तो रिश्ता तय कर देते हैं.. लेकिन इनकी कोई माँग तो नहीं है?’
रघु- अरे किसन भाई साहब बहुत अच्छे हैं। उन्होंने कहा है कि वो हमारी छोरी को दो कपड़ों में भी अपने बेटे के साथ ब्याह कर ले जाएंगे।
चमेली- ये तो बहुत अच्छी बात है.. आप जल्दी से रिश्ता पक्का कर दीजिए।
दूसरी तरफ राजू नदी की तरफ बढ़ रहा था।
आज उसके चेहरे पर अलग ही मुस्कान थी.. वो अपनी ही धुन में नदी की तरफ बढ़ रहा था, थोड़ी दूर चलने पर अचानक से उसका ध्यान किसी लड़की के हँसने की आवाज़ की ओर गया।
उसे ये आवाज़ कुछ जानी-पहचानी सी लगी.. एक पल के राजू के कदम मानो जैसे रुक गए हों। गन्ने के खेतों के बीच दो लड़कियों के हँसने की आवाज़ आ रही थी.. थोड़ी देर बाद वो आवाज़ नज़दीक आने लगी और एकाएक चमेली की बेटी रज्जो.. अपने पड़ोस में रहने वाली लड़की के साथ खेत से बाहर आई.. दोनों की नजरें आपस में टकरा गईं।
कुसुम ने दोनों हाथों से राजू के सर को पकड़ कर पीछे किया.. जिससे कुसुम का चूचुक ‘पक्क’ की आवाज़ से राजू के मुँह से बाहर आ गया।
राजू ने कुसुम के चेहरे की तरफ देखा।
दोनों की नजरें आपस में मिलीं.. कुसुम की आँखों में चाहत के साथ-साथ लाखों सवाल थे।
कहाँ तो वो राजू को गेंदामल के खिलाफ इस्तेमाल करके.. गेंदामल की इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ाना चाहती थी और कहाँ आज वो खुद राजू के मूसल लण्ड की गुलाम हो कर रह गई थी जो इस वक़्त तन कर कुसुम की चूत के पास उसकी जाँघों को ठोकर मार रहा था.. जैसे कुसुम की चूत के लिए अपना रास्ता बनाने की कोशिश कर रहा हो।
कुसुम ने राजू की आँखों में देखते हुए, अपने होंठों को उसके होंठों की तरफ बढ़ा दिया और अगले ही पल राजू कुसुम की चूचियों को मसलते हुए, उसके होंठों को चूस रहा था।
कुसुम ने अपने हाथों को राजू की पीठ पर कस कर.. उसे अपने ऊपर खींच लिया।
जैसे ही राजू कुसुम के ऊपर आया.. कुसुम ने अपनी टाँगों को फैला लिया, जिससे राजू का नीचे का धड़ उसकी गुंदाज जाँघों के बीच में आ गया..
राजू ने कुसुम के होंठों से अपने होंठों को हटाया और उसके गर्दन और चूचियों के ऊपर वाले हिस्से को चूमने लगा।
कुसुम के बदन में एक बार फिर से वासना की आग भड़कने लगी।
कुसुम अभी भी उसके पेट पर अपने हाथों को घुमा रही थी और राजू उसके बदन के हर अंग को चूमता और चाटता हुआ नीचे उसके पेट पर आ गया।
कुसुम अब धीमी आवाज़ में सिसकियां भर रही थी।
नींद से अभी-अभी जागी कुसुम को आज तक ऐसे खुमारी नहीं छाई थी.. उसने अपने दोनों हाथों को ऊपर ले जाकर सर के नीचे रखे तकिए को कस कर पकड़ लिया।
उसकी कमर लगातार थरथरा रही थी, उसके पेट में उठ रही लहरों से जाहिर हो रहा था कि कुसुम कितनी गरम हो चुकी है और अब उसकी चूत में फिर से सुनामी आने लगी थी- ओह्ह राजू ओह मेरी जान…. उफफफफफ्फ़ और मत तड़फाओ अपनी गुलाम मालकिन को ओह्ह ओह्ह..
राजू ने एक बार कुसुम के कामुक चेहरे की ओर देखा।
उसका पूरा चेहरा पसीने के सुनहरी बूँदों से भीगा हुआ था और उसके रसीले होंठ थरथरा रहे थे।
फिर उसने अभी जीभ निकाल कर कुसुम की नाभि में घुसा दी।
कुसुम के बदन में करेंट सा दौड़ गया.. उसने तकिए को छोड़ कर राजू के सर को दोनों हाथों से पकड़ लिया।
‘ओह राजू आह्ह.. सीईई नहियिइ ओह मत कर मेरे लालल्ल्ल ओह बसस्स्स उफफ्फ़ क्या कर रहा हाईईईई, ओह्ह छोड़ दे.. रा..जाआ…’
राजू उसकी नाभि और पेट के निचले हिस्से को चूमता हुआ और नीचे उसकी चूत की तरफ जाने लगा..
जब कुसुम को इस बात का अहसास हुआ, तो उसने अपनी जाँघों को भींचना शुरू कर दिया।
कुसुम- ओह्ह राजूऊऊ मत्तत्त कर नाआअ.. मैं मर जाऊँगी.. ओह ओह्ह सीईईईई ओह राजू न.. नहीं ओह्ह ओह्ह ओह्ह..
कुसुम की आवाज़ मानो उसके हलक में अटक गई हो, कुछ पलों के लिए उसकी साँस रुक गई और उसके पूरा बदन ऐसे अकड़ गया.. मानो जैसे उसको दौरा पड़ गया हो।
उसने अपने हाथों से राजू के सर को पीछे करने के कोशिश की, पर उसको लगा जैसे उसके बदन ने उसका साथ छोड़ दिया हो।
कुछ पलों की खामोशी के बाद मानो जैसे कमरे में तूफान आ गया।
कुसुम लगभग चीखते हुए सिसकारियाँ भरने लगी।
कुसुम- ओह्ह ओह्ह आह्ह.. आह्ह.. आह्ह.. बेटा ओह छोड़ दे मुझे.. ओह मैं पागल हो जाऊँगी.. बेटा ओह मेरी फुद्दी को मत कर बेटा ओह्ह..
कुसुम अपनी गाण्ड को बिस्तर से ऊपर उछालते हुए मछली के तरह तड़फ रही थी।
उसकी चूत के कामरस ने इस कदर उसकी चूत को गीला कर रखा था कि उसकी चूत से पानी निकल कर गाण्ड के छेद को नम कर रहा था।
जब मस्ती में आकर कुसुम अपनी गाण्ड को ऊपर की ओर उछालती, तो राजू की जीभ कुसुम की गाण्ड के छेद पर रगड़ खा जाती और कुसुम के बदन में और मस्ती की लहर दौड़ जाती।
कुसुम का पूरा बदन मस्ती में कांप रहा था।
जब कुसुम से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने राजू को कंधों से पकड़ कर ऊपर खींच लिया और अपना हाथ नीचे ले जाकर राजू के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा दिया।
गरम सुपारा चूत के छेद पर लगते ही.. जो सुख की अनुभूति कुसुम को हो रही थी, उसे शब्दों में बयान करना बहुत मुश्किल था।
राजू को ऐसे लग रहा था, जैसे उसके लण्ड का सुपारा किसी दहकते लावा का नदी में चला गया हो।
‘ओह्ह मालकिन आपकी चूत बहुत गरम है.. मेरा लण्ड पिघल जाएगा..’
राजू का बदन भी मस्ती में काँप रहा था, उसने अपनी कमर को आगे की तरफ धकेला, राजू के लण्ड का सुपारा कुसुम की चूत के छेद को फ़ैलाता हुआ अन्दर जा घुसा और कुसुम के मुँह से मस्ती भरी ‘आहह’ निकल गई।
कुसुम ने अपनी बाँहों को राजू की पीठ पर कस लिया और उसके होंठों को जो कि उसकी चूत के कामरस से भीगे हुए थे, अपने होंठों में भर लिया।
राजू ने भी अपनी कुसुम के होंठों को चूसते हुए एक और जोरदार धक्का मार कर अपना पूरा का पूरा लण्ड कुसुम की चूत की गहराईयों में उतार दिया।
कुसुम के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई और राजू की पीठ पर तेजी से अपने हाथों को फेरने लगी।
अब राजू भी लगातार अपने लण्ड को कुसुम की चूत की अन्दर-बाहर कर रहा था और कुसुम भी अपनी गाण्ड को उछाल-उछाल कर अपनी चूत को राजू के लण्ड पर पटक रही थी।
कुसुम जो कि थोड़ी देर पहले मायूस हो गई थी, अब सब कुछ भूल कर एक बार फिर से अपनी जाँघों को फैलाए हुए, राजू के लण्ड को अपनी चूत में ले रही थी।
चुदाई का ये दौर करीब 15 मिनट चला। झड़ने के बाद दोनों जब अलग हुए.. दोनों बहुत थक चुके थे।
अगली सुबह जब कुसुम उठी, तो उसने अपने आप को राजू की बाँहों में एकदम नंगा पाया.. अपनी इस हालत को देख कर कुसुम के होंठों पर मुस्कान आ गई।
उसने राजू के चेहरे की तरफ देखा, जो अभी भी ख़्वाबों की दुनिया में था।
कुसुम ने झुक कर राजू के माथे को चूमा और फिर उसके बालों को सहलाते हुए उसको जगाया।
राजू नींद से जगा और कुसुम की तरफ देखने लगा।
‘अब उठ जा शहजादे.. सुबह हो गई है.. वो चमेली भी आती होगी..’
ये कह कर कुसुम ने एक बार राजू के होंठों को चूमा और फिर बिस्तर से उतर कर अपनी साड़ी पहनने लगी..
पीछे बिस्तर पर लेटा हुआ राजू कुसुम के गदराए बदन को देख रहा था, उसे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं हो रहा था कि कल पूरी रात ये बदन उसकी बाँहों में था और उसने कुसुम को रात को जी भर कर चोदा था।
चमेली के आने का वक्त हो रहा था, इसलिए राजू भी बिस्तर से उतर कर लुँगी पहन कर पीछे बने अपने कमरे में चला गया।
पीछे जाने के बाद उसने अपने कपड़े जो कल रात भीग गई थे, उन्हें सूखने के लिए डाल दिया और दूसरे कपड़े पहन कर शौच के लिए खेतों की तरफ चला गया।
दूसरी तरफ चमेली के घर पर आज उसका पति आया हुआ था।
उसके साथ किसन नाम का एक आदमी भी था।
चमेली ने उनके लिए चाय बनाई और चमेली का पति रघु चमेली को कमरे से बाहर ले आया।
चमेली- क्या है जी, आप आज सुबह-सुबह कैसे आ गए?
रघु- वो दरअसल ये जो किसन बाबू हैं.. पास के गाँव में रहते हैं। इनका एक बेटा है.. सुभाष नाम है उसका, उसने कहीं पर हमारी बेटी रज्जो को देख लिया होगा, अब वो रज्जो से शादी करना चाहता है, घर-बार भी अच्छा है.. ज़मीन जायदाद भी है, अब तुम बोलो क्या कहती हो?
रघु की बात सुन कर चमेली कुछ देर के लिए सोच में पड़ गई, पर घर आए इतने अच्छे रिश्ते को ठुकराना नहीं चाहती थी।
‘जी मुझे तो कोई हरज नहीं है, अगर घर-बार अच्छा है तो रिश्ता तय कर देते हैं.. लेकिन इनकी कोई माँग तो नहीं है?’
रघु- अरे किसन भाई साहब बहुत अच्छे हैं। उन्होंने कहा है कि वो हमारी छोरी को दो कपड़ों में भी अपने बेटे के साथ ब्याह कर ले जाएंगे।
चमेली- ये तो बहुत अच्छी बात है.. आप जल्दी से रिश्ता पक्का कर दीजिए।
दूसरी तरफ राजू नदी की तरफ बढ़ रहा था।
आज उसके चेहरे पर अलग ही मुस्कान थी.. वो अपनी ही धुन में नदी की तरफ बढ़ रहा था, थोड़ी दूर चलने पर अचानक से उसका ध्यान किसी लड़की के हँसने की आवाज़ की ओर गया।
उसे ये आवाज़ कुछ जानी-पहचानी सी लगी.. एक पल के राजू के कदम मानो जैसे रुक गए हों। गन्ने के खेतों के बीच दो लड़कियों के हँसने की आवाज़ आ रही थी.. थोड़ी देर बाद वो आवाज़ नज़दीक आने लगी और एकाएक चमेली की बेटी रज्जो.. अपने पड़ोस में रहने वाली लड़की के साथ खेत से बाहर आई.. दोनों की नजरें आपस में टकरा गईं।