10-03-2025, 03:55 PM
"आआआआआहहहह साली रंडी की औलाआआआआद मां की लौड़ीईईईईईईई....." कहते हुए मुझ पर पीछे से कुत्ते की तरह चिपक गया और फचफचा कर अपना गरमागरम वीर्य मेरी गान्ड में छोड़ने लगा। बाप रे बाप, कितना वीर्य छोड़ रहा था वह। फर्र फर्र करके मेरी गान्ड तो भर ही दिया और मेरी गान्ड के बाहर भी रिस कर निकल रहा था। इस उम्र में भी इन बूढ़ों में इतना वीर्य कहां से पैदा होता है यह सोचकर ही मैं अचंभित थी। खैर अंततः खल्लास हो ही गया और एक मुसीबत टली। मेरी गान्ड के अंदर अब मुझे एक अजीब तरह के खालीपन का अहसास हो रहा था। घनश्याम कुत्ते की तरह हांफते हुए बिस्तर पर एक तरफ लुढ़क गया था। मैंने सर घुमा कर उसकी ओर देखा तो पाया कि उसका शेर अब भीगी बिल्ली की तरह अपने ही वीर्य से लिथड़ा हुआ दुबका हुआ था और घनश्याम मुझे अबतक शान से (क्यों कि स्खलन से तात्कालिक तौर पर सुस्त पड़े मेरे शरीर में फिर से मानो जान आ चुकी थी) चुदती देख कर खिसियानी बिल्ली सा पड़ा हुआ था। मुझे यह देखकर थोड़ी घिन भी हो रही थी कि उसके लंड पर वीर्य के साथ थोड़ा पीला पीला मल भी लगा हुआ था और तभी मुझे अहसास हुआ कि इस हरामी का लंड न केवल मेरा मलद्वार को बल्राकि मल के रास्ते को भी खोल कर रख दिया था और मेरे पेट में मरोड़ सा उठने लगा था। हे भगवान, कहीं, चुदाई खत्म होते होते कहीं बिस्तर पर ही मेरा भर्र भर्र भुस्स न हो जाए। फिलहाल तो सिर्फ भुस्स भुस्स करके मेरे अंदर का गैस बाहर निकल रहा था। चूंकि अब मुझपर दुबारा चुदाई का भूत सवार हो चुका था इसलिए इस वक्त मेरी प्राथमिकता यही थी कि इस भूत को ही तृप्त करूं। मैं यह सोच ही रही थी कि,
"साला घंशू तो गया, ओओओओहहहहह बिटिया, मेरा तो हो ही नहीं रहा है, अब तू ही कुछ जोर लगा कि मेरा भी हो जाए।" भलोटिया हांफते हुए बोला।
"ठीक है मेरे प्यारे दादाजी, अब आपकी पोती निकालेगी आपका।" कहकर मैंने कमान पूरी तरह अपने हाथ में ले ली और उसके ऊपर उछलने लगी। उफ उफ, उसके मोटे लंड को अब मैं बड़े आराम से सर्र सर्र अपनी चूत में सरपट दौड़ाने लगी थी। बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं पूरे जोश में थी लेकिन मेरा जोश बड़ी जल्दी ठंढा होने वाला था। मेरे इस नये जोश के आगे वह मोटा भालू ज्यादा देर टिक नहीं सका और फरफरा कर उसके लंड से फौवारा छूटने लगा।
"आआआआह मेरी बिटिया रानी, ओओओओहहहहह तू तो निकली बड़ी सयानी रेएएएएए आआआआआहहहह मां की लौड़ीईईईईईई, गया मैं गया।" कहते हुए फर्र फर्र करके करीब तीस सेकेंड तक फौवारा छोड़ता रहा साला खड़ूस, मादरचोद, कुत्ता कहीं का, बहुत बड़ा चुदक्कड़ बन रहा था हरामी। मुझे बीच मझधार में ही छोड़कर हांफते कांपते हथियार डाल दिया था। वह मुझसे चिपक कर स्थिर रहना चाहता था लेकिन अभी मैं चुदाई के जोश में रुकना नहीं चाहती थी। लेकिन आखिर कब तक। मुझे बड़ी कोफ्त हो रही थी क्योंकि उसका उतना लंबा और मोटा लंड धीरे धीरे छुहारे की शक्ल अख्तियार करने लगा था। मैं ने अपने मन की निराशा को प्रकट नहीं होने दिया और बड़े बेमन से उसके ऊपर से उठने लगी। मुंह से भले ही में कुछ बोली नहीं लेकिन मेरे शरीर की भाषा भलोटिया जैसे खेले खाए औरतखोर से छिपी न रह सकी। वह खिसियाया हुआ था क्योंकि उसे पता था कि मेरे स्खलन से पहले ही उसका पानी निकल गया था और अब चुदाई जारी रखना उस जैसे बुढ़ऊ के वश की बात नहीं थी।
"साला घंशू तो गया, ओओओओहहहहह बिटिया, मेरा तो हो ही नहीं रहा है, अब तू ही कुछ जोर लगा कि मेरा भी हो जाए।" भलोटिया हांफते हुए बोला।
"ठीक है मेरे प्यारे दादाजी, अब आपकी पोती निकालेगी आपका।" कहकर मैंने कमान पूरी तरह अपने हाथ में ले ली और उसके ऊपर उछलने लगी। उफ उफ, उसके मोटे लंड को अब मैं बड़े आराम से सर्र सर्र अपनी चूत में सरपट दौड़ाने लगी थी। बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं पूरे जोश में थी लेकिन मेरा जोश बड़ी जल्दी ठंढा होने वाला था। मेरे इस नये जोश के आगे वह मोटा भालू ज्यादा देर टिक नहीं सका और फरफरा कर उसके लंड से फौवारा छूटने लगा।
"आआआआह मेरी बिटिया रानी, ओओओओहहहहह तू तो निकली बड़ी सयानी रेएएएएए आआआआआहहहह मां की लौड़ीईईईईईई, गया मैं गया।" कहते हुए फर्र फर्र करके करीब तीस सेकेंड तक फौवारा छोड़ता रहा साला खड़ूस, मादरचोद, कुत्ता कहीं का, बहुत बड़ा चुदक्कड़ बन रहा था हरामी। मुझे बीच मझधार में ही छोड़कर हांफते कांपते हथियार डाल दिया था। वह मुझसे चिपक कर स्थिर रहना चाहता था लेकिन अभी मैं चुदाई के जोश में रुकना नहीं चाहती थी। लेकिन आखिर कब तक। मुझे बड़ी कोफ्त हो रही थी क्योंकि उसका उतना लंबा और मोटा लंड धीरे धीरे छुहारे की शक्ल अख्तियार करने लगा था। मैं ने अपने मन की निराशा को प्रकट नहीं होने दिया और बड़े बेमन से उसके ऊपर से उठने लगी। मुंह से भले ही में कुछ बोली नहीं लेकिन मेरे शरीर की भाषा भलोटिया जैसे खेले खाए औरतखोर से छिपी न रह सकी। वह खिसियाया हुआ था क्योंकि उसे पता था कि मेरे स्खलन से पहले ही उसका पानी निकल गया था और अब चुदाई जारी रखना उस जैसे बुढ़ऊ के वश की बात नहीं थी।