10-03-2025, 01:21 PM
FINAL UPDATE
मैने माया को कहा कि तुम्हारें लिये मकान भी लेना है। वह बोली कि मुझे अपने से दूर क्यों करना चाहते हो? दूर कौन करना चाहता है, पैसा है तो उसे कही ना कही इन्वेस्ट करना ही पड़ेगा। वहीं सोच रहा था। तुम हम से दूर नहीं जा रही हो यह बात तुम्हारी दीदी ने पहले ही स्पष्ट कर दी थी। वह इस संबंध में आखिरी बात है।
कहों तो साथ वाला प्लाट खरीद ले। वह बोली कि अगर ऐसा हो जाये तो बहुत सही रहेगा। उस को बनवा लेगे। मैंने कहा कि मैं बात करके देखता हूँ। वह बोली कि यह बात मैंने आप पर छोड़ दी है जैसा सही लगे करे।
मैंने पुछा कि और पैसे का क्या करना है तो वह बोली कि मैंने फिक्स कर दिया है उस से हर महीने एक निश्चित रकम आती रहती है। मुझे पहले पता नहीं था कि आप के साथ रह पाऊँगी या नहीं इस लिये ऐसा किया था मैंने कहा कि यह तुम ने सही किया है। और कोई काम रह गया है तो बताओ। वह बोली कि मुझे तो कुछ ध्यान में नहीं आ रहा है।
मैंने माया से कहा कि मन में है कि कहीं विदेश में घुम कर आये कब संभव होगा पता नहीं लेकिन तुम्हारें पेपर तैयार है? वह बोली कि मेरे मन में तो ऐसा विचार कभी आया ही नहीं। मैंने उसे बताया कि पहले तो उस का पता बदलवाना पड़ेगा, फिर उस का पासपोर्ट बनवाना पड़ेगा। वह बोली कि किस नाम से पासपोर्ट बनवाना है। मैंने कहा कि सोच कर बताओ कि क्या करें। वह बोली कि यह काम भी करना पड़ेगा। पता मैं बदलवाती हूँ।
मैंने माया के हाथ अपने हाथ में लेकर उस से पुछा कि इस रिश्ते को कोई नाम देना चाहती है। वह मेरी बात सुन कर मेरी आँखों में देख कर बोली कि क्या कहते हो? मैंने कहा कि तुम से पुछ रहा था। कानुनी रुप से तो कुछ हो नहीं सकता, लेकिन धार्मिक रुप से कुछ किया जा सकता है। वह बोली कि क्या कहुँ इतना मिला है कि अब तुम से कुछ और माँगने की हिम्मत नहीं है। ना दीदी से कुछ कह सकती हूँ।
मैंने कहा कि तुम मेरे जीवन का हिस्सा बन गयी हो। उसे कुछ नाम दूँ या ना दूँ। वह बोली कि जो तुम्हारे मन को संतोष दे वह तुम करो। मैंने तो तुम्हें अपना तन, मन और धन पहली बार में ही उस रात को सौंप दिया था। मैंने उसे अपने गले लगा कर कहा कि तुम्हारें साथ कोई और नाम जुड़ा रहे यह मुझे कष्ट देता है।
वह मेरे कान में बोली कि आज तो जो कुछ माँगुगी वो मिलेगा। मन तो मेरा भी है कि तुम मेरे से शादी कर लो। मैं भुत से बिल्कुल छुट जाऊँ। मैंने उस से पुछा कि बताओ क्या करुँ? वह बोली कि पहले दीदी से पुछना पड़ेगा। मैंने कहा कि वह मना नहीं करेगी। उस ने उस दिन मुझे तुम्हें सौंप दिया था।
वह बोली कि मैं दीदी की गुलाम बन गयी हूँ। मुझे कभी कोई गल्ती करते पाओ तो मुझे रोक देना। अगर तुम से मेरी शादी हो जायेगी तो मेरी जिन्दगी का वह सबसे हसीन लम्हा होगा। जिसे मैं शादी से पहले से चाहती थी वह मेरा हो गया इस से ज्यादा क्या मिलेगा।
हम दोनों ने यह किया कि हम किसी मंदिर में जा कर वरमाला पहना कर विवाह कर लेगें। यह सही रहेगा। किसी को पता भी नहीं चलेगा और दोनों के मन को संतोष भी हो जायेगा। इस विषय पर अब अंतिम निर्णय मेरी पत्नी को लेना था। इस के बाद माया सही अर्थो में मेरी पत्नी बन जायेगी। वह भी इस बात से खुश थी।
उस के नाम से उस के पुर्व पति का नाम हटवा कर मेरा नाम या उस के पिता का नाम लिखवा देगें। इस सब बातों पर माया से बात करके मेरे मन को बहुत शान्ति मिली थी। माया को यह समझ आ गया था। वह बोली कि तुम मेरी इतनी चिन्ता करते हो मुझे पता नहीं था। मैंने कहा कि तुम मेरे लिये शरीर नहीं हो तुम मेरी आत्मा का अंग हो। तुम से मेरा दिल मिला है दोस्त हो, मेरी हमदम हो।
वह यह सुन कर बोली कि तुम आज मुझे चने के झाड़ पर चढ़ा कर मानोगे। मैंने कहा कि जो मेरे मन में था वह सब मैंने तुम्हें बता दिया। वह बोली कि मेरे पास तुम्हारें जैसे शब्द तो नहीं है लेकिन तुम ने मुझे दूसरा जीवन दिया है तुम मेरे प्राणनाथ हो सही अर्थो में। मैं यह सुन कर हँस गया तो वह बोली कि तुम बोलो सो सही मैं बोलुँ तो मजाक। मैंने कहा मजाक नहीं लेकिन प्राणनाथ सुन कर लगा कि 50-60 साल पहले चला गया।
वह बोली कि शब्द पर मत जाओ भावना समझो। मैंने उसे चुम कर कहा कि माया तुम ने मेरी जीवन में भी नया सवेरा सा ला दिया है। मेरी सेक्स लाइफ दूबारा जिन्दा कर दी है। नहीं तो मुझे लगता था कि मैं नामर्द ही हो गया था। वह बोली की ऐसा नामर्द जो बीवी की कमर तोड़ दे वाह।
मैंने कहा कि तुम्हारें साथ ही पता चला कि मैं किसी को साथ इतने लम्बे समय तक सेक्स कर सकता हूँ। नहीं तो लगता था कि मुझ में कोई ना कोई कमी है। वह बोली कि अब तो चिन्ता खत्म हो गयी ना किसी भी दिन आधा घंटे से कम समय नहीं लगता है। शायद दीदी के साथ भी समय बढ़ गया है।
मैंने सर हिलाया तो वह बोली कि अब मान क्यों नहीं रहे हो। मैंने कहा कि दीदी से पुछना। वह बोली कि तुम मुझे मरवाना चाहते हो। मैंने कहा जब तीनों एक साथ हो तब समय नोट करना। वह यह सुन कर मुस्करा दी और बोली कि वह बात तो उसी दिन हुई थी अब आगे नहीं हो सकती है। मुझे शर्म आयेगी। मैंने कहा देखते है कितनी शर्म आती है। वह चुप रही।
बातें करते काफी देर हो गयी थी, माया बोली कि आज बातों से ही पेट भरना है या खाना भी खाना है। मैंने कहा कि चलो खाना बनाते है वह बोली कि यह काम भी आता है। मैंने कहा नहीं आता लेकिन तुम्हारें पीछे तो खड़ा हो ही सकता हूँ। वह मेरी नाक पकड़ कर बोली कि सीधी तरह से नहाने जाओ, पसीने की बदबु आ रही है। मैं खाना बना कर लाती हूँ।
वह किचन में चली गयी। तभी पत्नी का फोन आया वह बोली कि क्या कर रहे हो? तो मैने उसे बताया कि नहाने जा रहा हूँ तो वह हैरानी से बोली किअभी तक क्या कर रहे थे। मैंने उसे बताया कि माया से उस के भविष्य के बारें में बात कर रहा था इस लिये इतनी देर हो गयी। वह बोली कि सही काम किया है तुम ही यह बात कर सकते हो। क्या हल निकला तो मैंने मजाक से कहा कि तुम्हारी सौतन से ब्याह करना है।
वह बोली कि मैं सोच रही थी कि तुम से इस बारें में बात करुँगी लेकिन हिम्मत नहीं पड़ रही थी। अच्छा हुआ कि तुम ने यह बात भी कर ली, बढ़िया करा। मैंने उस से पुछा कि कब आ रही है तो वह बोली कि मेरे बिना मन नहीं लग रहा है तो मैंने उसे बताया कि हाँ ऐसी ही बात है। वह हँस कर बोली कि मेरा मन भी तुम्हारें बिना नहीं लग रहा है। मेरे आने की बुकिंग कर दो। मैंने कहा कि कर के तुम्हें बताता हूँ। मैंने फोन काट दिया।
मैं नहा कर कपडे़ं बदल कर आ गया। कुछ देर बाद माया खाना ले कर आ गयी। हम दोनों खाना खाने लगे। मैंने माया को बताया कि पत्नी का फोन आया था। वह मेरा चेहरा देखने लगी तो मैंने कहा कि मैंने शादी की बात उसे बता दी है वह बोली कि दीदी क्या बोली तो मैंने उसे बताया कि वह बोली कि मैं भी यही बात तुम से करना चाहती थी लेकिन कर नहीं पायी। तुम ने तय कर लिया है तो सही बात है।
माया के चेहरे पर सकुन के भाव आ गये। वह चुपचाप खाना खाने लगी। आज हम तीनों ने जीवन का बहुत बड़ा फैसला लिया था। जो आगे के हमारे भविष्य को प्रभावित करने वाला था। समाज की बड़ी आलोचना सहनी पड़ेगी। यह हम तीनों समझते थे लेकिन हम वो ही करने वाले थे जो हमारे लिये सही था। खाने के बाद पत्नी की आने की बुकिंग कर के उसे बता दिया। वह दो दिन बाद वापस आ रही थी।
रात को जब दोनों सोने लगे तो माया मेरी छाती पर अपना सर रख कर लेट गयी। मैं उस के बाल सहलाने लगा। वह बोली कि तुम कौन हो? मैंने कहा मैं कैसे बताऊँ? वह बोली कि तुम मेरे भगवान हो जो मैं चाहती हूँ तुम वही मेरे कहने से पहले कर देते हो। मैंने कहा कि माया तुम मेरी जिन्दगी में क्यों आयी थी यह तो प्रारब्ध ही जानता है। मैं तो तुम्हारी देखभाल करुँगा यह मेरी जिम्मेदारी है। इसी जिम्मेदारी को तेरी दीदी भी निभा रही है।
वह चुपचाप पड़ी रही। फिर हम दोनों एक-दूसरे को चुमने लगे। आज दोनों बहुत खुश थे। इस लिये शरीर में अलग ही तरह की तरंग सी उठ रही थी। फिर दोनों प्यार करने में लग गये। खुशी के कारण दौड़ बहुत जोरदार हुई और दोनों एक साथ ही मंजिल पर पहुँचे। थक कर चूर होने के बाद दोनों एक-दूसरे की बाँहों में पड़े-पड़े ही सो गये।
सुबह एक नयी आशा ले कर आयी थी। मैं ऑफिस के लिये निकल गया। बीच में घर पर फोन करा तो माया बोली कि शान्ति से काम करो मुझे परेशान मत करो। नहीं तो दीदी से शिकायत कर दूँगी। मैंने कहा कि मैं तो हालचाल पुछने के लिये फोन किया था। वह बोली कि खाना खा कर आराम कर रही हूँ। मैंने फोन काट दिया।
// समाप्त //