10-03-2025, 01:14 PM
UPDATE 8
ताले खोल कर बाहर से अखबार उठा कर ले आया। तब तक माया भी चाय ले आयी थी, हम दोनों चाय पीने लगे। मैंने माया से पुछा कि तुम्हारी दीदी सो रही है? हाँ सो रही है मैंने उठाना सही नहीं समझा। सही किया। वह सारे दिन काम करके थक जाती है, इस लिये मैं उसे सुबह जल्दी नहीं उठाता। तुम क्यों जल्दी उठ जाती हो?
मुझे आदत है। चाय के बाद माया ने मेरे हाथ अपने हाथ में लेकर पुछा कि
परेशान तो नहीं हो मेरे आने से?
यह कैसा सवाल है?
मन में आया तो पुछ लिया।
ऐसा सवाल दूबारा मत करना। सिर्फ देह से प्यार नहीं है तुम से प्यार है। लेकिन रोज नहीं कह सकता।
मुझे पता है।
फिर ऐसा सवाल क्यों?
तुम्हारी तबीयत देख कर।
मेरे पर काम को बहुत बोझ है। हाई पोस्ट होने के कारण जिम्मेदारियां भी अधिक होती है, इसी वजह से यह सब हो रहा है। मुझे अब कुछ समय अपने आप को भी देना पड़ेगा ताकि मन और तन दोनों तनाव को सह सके।
बड़ी जल्दी समझ में आया है?
जब जागों तभी सवेरा
बातों में तो कोई नहीं जीत सकता तुम से
दिल तो जीत लिया है
अच्छा जी
हाँ
सुबह सुबह मख्खन बाजी शुरु
सच कहा तो यकीन क्यों नहीं हो रहा?
यकीन तो है लेकिन डर सा लगा रहता है
डरना छोड़ दो
सही कह रहे हो।
जा कर दीदी को जगा दे
माया पत्नी को जगाने चली गयी। कुछ देर बाद दोनों आती दिखायी दी। पत्नी बोली कि माया को तो सोने देते। मैंने थोड़ा इसे जगाया है, इस ने ही मुझे जगाया था। माया बोली कि दीदी मैं जल्दी जग जाती हूँ, पुरानी आदत है। पत्नी बोली कि आदत तो अच्छी है लेकिन मुझ से जगा ही नहीं जाता। मैंने कहा कि तुम्हें जल्दी जगने की जरुरत क्या है। वह कुछ नहीं बोली। माया उस के लिये चाय लाने चली गयी।
पत्नी को कुछ याद आया तो वह बोली कि मैं कल भुल गयी थी, आज तुम्हारी कोई कुलीग आने वाली है तुम्हें देखने। कल दोपहर को फोन आया था, तुम सो रहे थे सो फोन मैंने उठा लिया।
क्या नाम बताया था।
बताया तो था लेकिन याद नहीं आ रहा है।
कब आने को कहा था?
कोई समय तो नहीं बताया था तुम फोन मे देख लो।
मैंने कहा कि चलो देख लेता हूँ। पत्नी मेरा फोन लेने चली गयी। फोन उस के पास ही था।
फोन में देख कर पता चला कि मेरे साथ काम करने वाली का फोन था। मैंने पत्नी को बताया कि शायद वह यह देखने आ रही है कि मैं वास्तव में बीमार हूँ या और कही जॉयन तो नहीं कर लिया है।
ऐसा क्यो?
मैंने कभी इतनी लम्बी लिव नहीं ली है।
कैसी है?
सुन्दर है। जब आये तो देखना, अभी मैं क्या बताऊँ मेरा ख्याल है कि शाम को ऑफिस के बाद आयेगी।
तुम नहा कर तैयार रहना, पता नहीं वह कब आ टपके।
बिना नहाये ज्यादा असर पड़ेगा।
तभी माया चाय लेकर आ गयी हम दोनों के लिये भी चाय लायी थी। बातचीत का बाद का हिस्सा उस के कानों में पड़ा था सो पुछा कि कौन आ रहा है? पत्नी बोली कि इन के ऑफिस की कोई कुलीग है इन्हें देखने आ रही है। मैंने कहा कि हो सकता है वह अकेली ना हो कई लोग हो सकते है। चाय नाश्ते का इंतजाम रखना।
माया बोली कि आप ऑफिस में इतना पापुलर हो? पत्नी ने मजाक से कहा कि सारी लड़किया है, सर के पीछे पागल है। सर यहाँ छो़ड़ देना, यह दे देना। यही सब चलता रहता है।
माया ने उसकी आवाज में तंज पकड़ लिया और बोली
आपको परेशानी नहीं होती?
पहले होती थी, फिर पता चला कि इन पर किसी बात को कोई असर ही नहीं होता तो अब मुझे कोई परेशानी नहीं होती। माया बोली कि मुझे तो हो सकती है। पत्नी बोली कि अब हम दोनों का सामना कौन करेगी? तु निश्चित रह। मैं हँस कर बोला कि तुम दोनों देवियों के सामने किसकी हिम्मत है कि मेरी तरफ नजर भी उठाये। मेरी बात पर हम तीनों ही हँस पड़े।
ऑफिस से जो कुलीग आ रही थी, उस के आने से मैं खुश नही था लेकिन कुछ कर नहीं सकता था। नाश्ते के बाद नहा कर बैठा ही था कि कुलीग का फोन आ गया वह पता पुछ रही थी। उसे पता बता का पत्नी को भी बता दिया कि वह आने वाली है। कुछ देर बाद दरवाजे की घंटी बजी तो पत्नी ने दरवाजा खोला तो कुलीग ने पत्नी को पहचान कर उसे नमस्कार किया और अंदर आ गयी। पत्नी ने कमरे में आ कर मुझे बताया कि उन्हें कमरें में बिठा दिया है।
मैं ड्राइग रुम में पहुँचा तो माधवी मुझे देख कर खड़ी हो गयी। मैंने पत्नी को कहा कि यह माधवी है ऑफिस में मेरी कुलीग है। यह सुन कर माधवी बोली कि मैं कुलीग नहीं जूनियर हूँ सर की आदत है कि सारे जूनियर को इतनी इज्जत देते है। मैंने माधवी से पुछा कि पत्नी को तुम जानती हो तो वह बोली कि एक बार पार्टी में मैम को देखा था। इसी लिये पहचान गयी।
मुझे देख कर बोली कि आप थके-थके से लग रहे है। मैंने कहा कि इसी लिये तो छुट्टियों पर हूँ नहीं तो घर क्यों बैठा होता?
क्या हुआ है आपको?
बहुत थकान हो रही थी और सारे समय नींद आ रही थी, डाक्टर को दिखाया तो उस ने कुछ दिन रेस्ट करने को कहा है। वही कर रहा हूँ। तुम्हें छुट्टी कैसे मिल गयी?
आप को देखने के लिये आधे दिन की छुट्टी ली है।
सब को चिन्ता हो रही थी क्योंकि आप इतनी छुट्टियां नहीं लेते हो। जब मन नहीं माना तो तय किया कि आप को देखने चलती हूँ। सो चली आयी। अच्छा किया, अब सबुत हो गया कि मैं असल में बीमार हूँ मेरी इस बात पर वह हँस पड़ी और बोली कि मैनेजमैन्ट तो चिन्ता करता ही रहता है। उसका यही काम है।
तभी माया नाश्ता ले कर आ गयी। मैंने माधवी से माया का परिचय कराया और उसे बताया कि यह मेरी साली है। माया का परिचय भी माधवी से कराया और उसे बताया कि माधवी मेरी कुलीग है।
माधवी बोली कि आप पुरा आराम करो। शरीर का ध्यान रखना भी जरुरी है। काम भी तभी किया जा सकता है जब तन में जान हो। चारों जनें नाश्ता करते रहे। पत्नी माधवी से बोली कि आप खाना खा कर जाना।
माधवी बोली कि इस की कोई आवश्यकता नहीं है, मैंने कहा कि खाने का समय है, तो खाना खा कर जाईयेगा। मेरी बात सुन कर वह बैठ गयी। मैं कमरे से निकल गया लेकिन मेरे कानों में तीनों औरतों की बातचीत की आवाज पड़ रही थी।
माधवी खाना खा कर चली गयी। उसके जाने के बाद माया बोली कि आप की सारी कुलीग ऐसी ही है? ऐसी कैसी से क्या मतलब? सुन्दर, तेज तर्रार। हाँ नौकरी करने वाली ज्यादातर ऐसी ही होती है। मैंने हँस कर माया से पुछा कि जलन हो रही है? तो वह बोली कि सच बोलुँ तो जलन हो रही है। दीदी आप को कभी डर नहीं लगा। पत्नी बोली कि पहले लगता था लेकिन फिर कुछ दिनों बाद पता चला कि मेरा पति किसी को घास नहीं डालता तो डर चला गया।
माया ने मेरी तरफ देख कर कहा कि बहुत विश्वास है इन पर। पत्नी बोली कि विवाह में यही एक बात है तो उसे मजबुती देती है। माया ने मेरी तरफ देख कर कहा कि मेरे बाद भी आप को ऐसा ही लगता है तो पत्नी बोली कि इस का जवाब मैं नहीं दूँगी तु देगी। तेरी बात कुछ और है। जो मैं कह रही हूँ वही तु भी कुछ दिनों बाद कहेगी। मैं उन दोनों की बात सुन कर मुस्कुराता रहा। माया मुझे देख कर बोली कि देखो दीदी कैसे मुस्कुरा रहे है।
मैंने कहा कि माया जिन्दगी में यही तो कमाया है। मेरी इस बात पर दोनों मुस्करा दी। मैंने हँस कर दोनों को बताया कि माधवी का नाम मेरे साथ कई बार जोड़ने की कोशिश की गयी, लेकिन उस में कोई सच्चाई नहीं होने के कारण चल नहीं पायी। ऑफिसों में यह सब चलता रहता है, मेरी आदत है कि मैं सब से बात करता हूँ, सीनियर होने का रोब नहीं झाड़ता। इसी कारण से स्टाफ में पापुलर हूँ लेकिन मेरी बुराई भी करने वाले है।
मैं इस सब पर ज्यादा ध्यान नहीं देता। पत्नी बोली कि अभी कई दिनों तक माया को नींद नहीं आने वाली है कि इतनी सुन्दर औरत के साथ तुम सारे दिन रहते हो। मैंने कहा कि अभी तो इस से भी सुन्दर लड़कियाँ है मेरी कुलीग। माया बोली कि अब मुझे सताना बंद करो। हम दोनों बोले कि तेरी शक्ल देख कर मजाक कर रहे थे। तुम परेशान ना हो।
हमारी बातों में शाम हो गयी और दोनों जनी चाय बनाने चली गयी। मैं माधवी के घर आने से खुश नहीं था। लेकिन एक बात का संतोष था कि यह ऑफिस में जा कर बतायेगी कि मैं वास्तव में बीमार हूँ तो अफवाहें खत्म हो जायेगी। इस के आने का मेरे को यही एक फायदा होने वाला था।
ऑफिस की बातें अब मुझे परेशान नहीं करती थी। हो सकता था कि माधवी के आने के बाद और कोई भी सर की नजरों में गुड साबित होने के लिये उन के हाल-चाल पुछने आ सकता था जो मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं था लेकिन कुछ कर नहीं सकता था किसी को मना करना और अफवाहों को जन्म देना था।
यही सोचते-सोचते कब समय बीत गया पता नहीं चला। माया कि आवाज से अपनी तंद्रा से निकला। पत्नी बोली कि माधवी के आने से परेशान है और उसी के बारें में सोच रहे हो। मैंने हाँ मे सर हिलाया तो माया बोली कि दीदी आप तो जीजाजी के मन की बात बिना बताये ही समझ जाती हो। पत्नी बोली कि मुझे पता रहता है कि कब इन के मन में क्या चल रहा है। चाय के साथ पापड़ देख कर मैं उन का स्वाद लेने लगा और इस तरह से मेरा पीछा बातों से छुटा।
रात को मैं अकेला ही सोया। सुबह फिर से माया ने मुझे जगाया। हम दोनों छत पर चले गये सूरज अभी निकला नहीं था, मौसम ठंड़ा था। हम दोनों सूर्योदय को देखने लगे। माया मुझ से बोली कि
रात को कैसी नींद आयी थी?
मैंने जवाब दिया कि बढ़िया नींद आयी थी।
इसका मतलब है कि हमारें साथ सोने से परेशानी हो रही थी।
मैंने ऐसा कब कहाँ?
मतलब तो ऐसा ही लग रहा है
ऐसा नहीं है, शायद ज्यादा सेक्स करने की वजह से थकान हो रही होगी
ऐसा हो सकता है?
हाँ हो सकता है
विश्वास नहीं हो रहा
मुझे भी नहीं हो रहा है लेकिन हो सकता है कि तेरी दीदी के साथ सेक्स करने की आदत ना रहने से शरीर सेक्स का आदी नहीं रहा है। इन दिनों रोज सेक्स करने से शरीर थक रहा हो। कोई स्पष्ट कारण नहीं है।
सही कह रहे हो
शायद सही हो सकता हूँ या गलत भी हो सकता हूँ
मेरा ही दोष है
तुम्हारा क्यों है
मैंने तुम से ज्यादा सेक्स की माँग की
तुम ने नहीं मुझे भी सेक्स की जरुरत थी, तुम तैयार थी, इस लिये दोनों सेक्स कर पाये, शायद तुम्हें देख कर तुम्हारी दीदी के अंदर सेक्स की भुख जग गयी है।
यह तो अच्छी बात है
हाँ है तो सही, मेरे लिये बढ़िया है
हाँ तुम्हारी तो मौज है
अगर तुम इसे मौज कहती हो तो मौज है
बुरा मान गये
नहीं लेकिन यह अस्थायी है, शरीर इस को संभाल लेगा
होना तो यही चाहिये, रोज सेक्स करना कोई अति तो नहीं है।
हाँ चिन्ता मत करो, सब सही हो जायेगा
हाँ होना तो चाहिये
चलो अब चाय पिलाओ
चलो नीचे चलते है
चलो
हम दोनों नीचे आ गये। माया और मैं किचन में आ गये। माया चाय बनाने लग गयी और मैं पानी पीने लग गया। इस के बाद मैं बाहर अखबार लेने चला गया। अखबार लेकर ड्राइग रुम में आ गया। तभी पत्नी भी उठ कर आ गयी, बोली कि माया कहाँ है?
इतने में माया चाय ले कर आ गयी। पत्नी की चाय उस में नहीं थी, वह उसके लिये चाय लेने चली गयी। उस के आने के बाद हम तीनों चाय का आनंद लेने लग गये। मैं अखबार पढ़ने लगा। हम तीनों चुपचाप थे। शायद तीनों के पास बात करने के लिये विषय ही नहीं था।
दिन सामान्य रुप से बीत रहा था। दिन के खाने के बाद पत्नी सोने जाने लगी तो मैं उस के साथ बेडरुम में आ गया। पत्नी ने माया को आवाज दे कर बुला लिया। माया के आने के बाद पत्नी ने उस से पुछा कि तुम यहाँ आ कर खुश तो है? पत्नी के सवाल पर माया ने कहा कि हाँ बहुत खुश हूँ। नाखुश होने का कोई कारण नहीं है। मैं हैरान हो कर पत्नी की बात सुन रहा था।
पत्नी ने कहा कि मैंने यह सवाल माया से इस लिये पुछा कि उस के आने के बाद तुम बीमार पड़ गये हो, इस लिये कुछ तनाव सा तो नहीं है। मैंने कहा कि तनाव क्यों होगा। तुम ने उसे स्वीकार कर लिया है। इस से ज्यादा उसे क्या चाहिये? पत्नी ने मुझे देखा और कहा कि हो सकता है कि तुम उस के साथ नहीं सो पा रहे हो इस लिये यह परेशान हो।
माया बोली कि दीदी मैं इतना सब पा कर अपने भाग्य को सराह रही हूँ और जीजा जी के स्वास्थ्य से ज्यादा मेरे लिये कुछ नहीं है। कुछ दिन अगर उन के साथ नहीं सो सकी तो परेशान हो जाऊँ, ऐसा तो कोई कारण नहीं है। पत्नी बोली कि हमें यह तय करना पड़ेगा कि यह किस दिन किस के साथ सोयेगे, ताकि तुझे या इन्हें कोई परेशानी ना हो। मैं चुपचाप उसकी बात सुन रहा था मुझे पता था कि वह मेरे मन की बात जान लेती है इसी लिये वह यह बात कर रही है। इस का कभी ना कभी सामना तो करना ही पड़ेगा तो आज की क्यों नहीं।
माया कुछ नहीं बोली, यह देख कर पत्नी बोली कि सप्ताह में चार दिन तेरे साथ और तीन दिन मेरे साथ सोयेगे। माया ने सहमति में सर हिला दिया। शनिवार को तेरे साथ, संडे को मेरे साथ, सोमवार को तेरे साथ, मंगल को मेरे साथ और बुध को तेरे साथ, ब्रहसपति को मेरे साथ तथा शुक्रवार तो जहाँ इन का मन चाहे। मैं उस की बात सुन कर हँस पड़ा तो वह बोली कि हँसे क्यों? मैंने कहा कि यार मैं शुक्र की बात सुन कर हँसा था।
लेकिन तुम कह सही रही हो। ऐसा ही होगा अगर माया इस के लिये राजी है तो। मेरी बात पर माया बोली कि जो दीदी करेगी वह सही होगा। मुझे मंजुर है। मैंने यह सुन कर मन ही मन में राहत की साँस ली। पत्नी ने मेरी तरफ देखा तो मैंने कहा कि यह सही रहेगा। मेरी बात सुन कर वह बोली कि यह कोई पत्थर की लकीर नहीं है लेकिन इस से तुम्हारी परेशानी खत्म होगी कि आज किस के साथ सोना है? मैंने हाँ में सर हिलाया।
पत्नी यह कह कर चुप हो गयी। माया बोली कि जो दीदी कहेगी मैं वही करुँगी। मैंने अब अपना जीवन तुम दोनों के हवाले कर दिया है जैसा आप चाहोगें मैं वैसा ही करुँगी। बात यही पर खत्म हो गयी।
शाम को पत्नी ने मुझे बताया कि वह अपनी सहेलियों के साथ बाजार जा रही है, उसे आने में देर हो जायेगी। मेरे चेहरे पर आते भावों को देख कर वह बोली कि माया मेरे साथ नहीं जा रही है। इस के बाद वह तैयार होने चली गयी। कुछ देर माया से बात करने के बाद वह चली गयी। अब घर में माया और मैं दोनों अकेले थे। माया मेरे पास आ कर बैठ गयी।
कुछ देर चुपचाप बैठी रही फिर बोली कि अब बताओ तुम्हारी तबियत कैसी है? मैंने कहा कि सही लग रही है कहो तो चैक कर लेते है, मेरी बात को समझ कर वह बोली कि जब देखों शैतानी सुझती रहती है। मैंने मजाक से कहा कि इस में शैतानी कहाँ से आ गयी। वह बोली कि दीदी अभी घर से निकली नहीं है और महाराज अपनी लाईन पर आ गये है।
मैं हँस दिया और बोला कि हर चीज अपने पास ही रखती हो। खुद ही आगे बढ़ कर सेक्स करती हो और मैं कहुँ तो मजाक उड़ाती हो, माया तुम भी कमाल करती हो। वह भी हँसती हुई बोली कि मैं तो हूँ ही कमाल की। फिर वह मेरे से चिपक कर बोली कि बुरा मान गये? मैंने कहा कि बुरा क्यों मानुँगा? अपनी चीज को पाने के लिये किसी से पुछना थोड़ी ना पड़ेगा। वह सर हिला कर बोली हाँ यह तो है। मैंने उसे आलिगंन में बाँध कर कहा कि बताओ क्या करुँ? वह हँस कर बोली कि यह भी मैं बताऊँ?
हाँ, बताना तो पड़ेगा
जो मन करे
मन तो बहुत कुछ करता है
क्या चाहता है
बताऊँगा तो मारोगी
नहीं बताओ तो सही
फिर कभी
अभी क्यों नहीं
सही समय नहीं है
हम दोनों में कुछ दूराव बचा है
नहीं तो लेकिन लगता है बुरा मान जाओगी?
बहाना मत बनाओ
छोड़ो
जैसी तुम्हारी मर्जी, मैं हूँ कौन?
ब्लैकमेलिंग?
जैसा समझो
पीछे से करने का मन है
किसने रोका है
तुम्हारी दीदी के डर से कभी किया नहीं
मैं तो नहीं डरती
चलो किसी दिन ट्राई कर के देखेगे।
यह बात हुई ना
तुम्हें डर नहीं लगता
तुम से क्या डर, पता है तुम मुझे कष्ट नहीं दोगे
इतना विश्वास है मुझ पर
यह पुछने की बात है
नहीं तो
तन, मन सब कुछ तुम पर अर्पित कर दिया है
रोमांटिक हो रही हो
गलत है
नहीं, लेकिन इस की आदत नहीं रही
तो अब आदत डाल लो
डाल लेते है जी, सरकार
मार खानी है
क्यों?
चिढ़ा क्यों रहे हो
सरकार कहने से चिढ़ क्यों रही हो
सरकार तो कोई और है
हाँ यह तो है लेकिन मेरी तो दो-दो सरकार हैं
यह बात है
हाँ
मजे करो
मजे ही तो कर रहे है।