10-03-2025, 01:11 PM
UPDATE 7
पत्नी बोली कि अब तो मुझे थोड़ा आराम मिल पायेगा क्योंकि खाना बनाने में बहुत दिमाग लगता है, अब हम दोनों काम को बाँट कर कर सकती है। खाना खाने के बाद माया आइसक्रीम ले कर आ गयी। मैंने पुछा कि यह किस ने बताया तो वह हँस कर बोली कि अब आप को हर चीज थोड़ी ना बताई जायेगी। मैं चुपचाप आइसक्रीम का मजा लेता रहा। खाने के बाद पत्नी बोली कि मैं तो सोने जा रही हूँ। यह कह कर वह कमरे में चली गयी।
हम दोनों अकेले रह गये। मैंने माया से कहा कि वह भी आराम कर ले तो वह बोली कि मेरा आराम करने का तरीका अलग है। वह मेरे नजदीक बैठ कर बोली कि मुझे तो आप के साथ बैठ कर आराम आता है। मैंने उस से पुछा कि उस का मन लग गया है तो वह बोली कि मन क्यों नहीं लगेगा। सब कुछ तो मेरे मुताबिक हो रहा है। कुछ देर बाद वह मुझे उठा कर अपने साथ कमरे में ले गयी। कमरे में आ कर दरवाजा बंद करके मुझ से लिपट गयी।
मुझे पता था कि उसे मेरे साथ की जरुरत है मैंने भी उसे अपने आगोश में ले लिया। हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही खड़ें रहे। फिर जब मन शान्त हुये तो अलग हो कर बेड पर बैठ गये। यहाँ भी माया ने मेरी बाँह पकड़ रखी थी। उस का सिर मेरे कंधे पर टिका था। मैंने पुछा कि क्या बात है तो वह बोली कि
कुछ नहीं है। बस ऐसे ही।
ऐसे ही क्या?
तुम्हारा साथ।
साथ तो हो
कह नहीं सकती
डर लग रहा है
नहीं तो
फिर क्या बात है?
प्यार करने का मन है
किसी ने रोका है
तुम्हारी हालत से डर लग रहा है
यार कोई चिन्ता की बात नहीं है। तुम्हें सब कुछ तो पता है।
मैंने उस का चेहरा अपने हाथों में ले कर उस के होंठों पर एक तगड़ा चुम्बन ले लिया। इस से वह पिघल सी गयी और मेरी गोद में गिर गयी। मैं उस के बालों में ऊंगलियां फिराने लगा। साड़ी में माया बहुत सुन्दर लग रही थी।
मैंने झुक कर उस के माथे को चुमा और उस के बाद उस की आँखों पर किस किया। इस के बाद मेरे होंठ उस को होंठों से चुपक गये। काफी देर तक हम गरमागरम चुम्बन में रत रहे। मैंने उस के वक्षस्थल के मध्य चुम्बन किया। इस से उस के बदन में सिहरन सी दौड़ गयी।
शायद हम दोनों प्रेमातुर थे और अपने आप को बलपुर्वक रोक रहे थे। उस की बाँहें भी मेरे गले से लिपट गयी। मैं उस के उरोजों के मध्य चुम्बन ले रहा था। इस से उसे उत्तेजना हो रही थी। मैं भी उत्तेजना से भर गया था। अब वही होना था जो होना चाहिये। वही हुआ तुफान आया और आ कर चला गया। हम दोनों अपनी साँसें संभाल कर बेड पर पड़े थे। माया और मैं अब कुछ सन्तुष्ट सा महसुस कर रहे थे।
शाम को जब दोनों उठ कर पत्नी के पास पहुँचे तो वह भी उठ कर बैठी थी। हम दोनों को देख कर बोली कि कुछ आराम किया या नहीं? उस की आवाज का व्यंग्य मुझे समझ आ गया था। लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा। माया भी चुपचाप रही।
हमारी चुप्पी देख कर पत्नी हँस कर बोली कि मैं तो मजाक कर रही थी। मुझे तो गहरी नींद आयी थी, अभी उठी हूँ। मैंने कहा कि हम दोनों सोने की कोशिश कर रहे थे लेकिन नींद नहीं आयी तो ऐसे ही पड़ें रहे। मेरी बात पर पत्नी के होठों पर मुस्कराहट आ गयी।
माया बोली कि चाय के साथ किसी को कुछ खाना तो नहीं हैं? मैंने कहा कि अपनी बहन से पुछों इसकी क्या राय है। पत्नी बोली कि चलों चाय के साथ कुछ बनाते हैं, यह कह कर वह उठ कर माया को पकड़ कर किचन की तरफ चली गयी। मैं कमरे में अकेला रहा गया। मैं भी कमरे से निकल कर ड्राइग रुम में चला आया और एक किताब निकाल कर उसे पलटने लगा। तभी माया आई और बोली कि पढ़ना बंद किजिये और बैठ कर चाय पिजिये। मैंने कहा की जैसी आप की आज्ञा। मेरी बात सुन कर वह बोली कि हाँ आज्ञा तो माननी पड़ेगी।
तभी पत्नी चाय ले कर आ गयी। चाय के साथ आलु प्याज के पकोड़ें थे। हम तीनों चाय और पकोड़ों का मजा लेने लगे। पकोड़ें खाते में मैंने कहा कि देखो आज मुझे नींद नहीं आयी है, दोनों बोली कि हाँ यह तो है आज तुम्हें नींद नहीं आ रही है। इस का मतलब है कि थकान ही कारण थी और कोई बात नहीं थी।
माया बोली कि एक-दो दिन देखते है अगर नींद नहीं आती तो मान लेगे की आप की बात सही है। पत्नी ने भी उस की बात पर सर हिला दिया। मैंने कहा कि हो सकता है मैं एक जैसा काम करते करते थक गया होऊँगा, जिसके कारण थकान हो रही थी। आज सारे दिन मैंने अपनी पसन्द के काम किये है जिस के कारण थकान नहीं हुई है।
दोनों कुछ नहीं बोली। चाय खत्म होने के बाद माया बरतन किचन में रखने चली गयी। पीछे से पत्नी बोली कि चलो तुम को नींद ने आज परेशान नहीं किया, इसी खुशी में शाम को कहीं बाहर चलते है। मैंने कहा बताओ कहाँ चलना है? वह कुछ सोच कर बोली कि किसी मॉल में चलते है कुछ देर घुमेगें, आते में वहीं पर खाना भी खा लेगे। आऊटिंग हो जायेगी। मैंने कहा कि विचार तो सही है दोनों तैयार हो जाओ फिर चलते है।
दोनों तैयार होनें लग गयी, मैं भी कपड़ें पहन कर तैयार हो गया, इस के बाद हम शहर की एक बड़ी मॉल के लिये चल पड़ें। आधे घंटे के बाद मॉल पर पहुँचे। मॉल में भीड़ थी। कुछ देर तो विंड़ो शापिंग की, फिर पत्नी घर का राशन लेने लग गयी, मैंने उसे मना किया की वह अभी ज्यादा सामान ना खरीदे नहीं तो खाना खाने के लिये उसे ऊपर की मंजिल पर ले जाने में परेशानी होगी।
मेरी बात मान कर उस ने ज्यादा सामान नहीं खरीदा और हम हल्की-फूल्की खरीदारी करके ऊपर की मंजिल पर स्थित फुडकोर्ट के लिये चल दिये। फुडकोर्ट में काफी भीड़ थी लेकिन एक मेज खाली मिल गयी और हम तीनों उस पर बैठ गये। पत्नी बोली कि मैं कहीं नहीं जा रही हूँ तुम दोनों जा कर खाना ऑडर कर दो। मैं और माया उठ कर चल दिये, रास्तें में माया बोली कि दीदी को सब पता चल जाता है। मैंने कहा कि मैंने तुम्हें पहले ही बताया था।
हम दोनों नें जा कर पसन्द का खाना ऑडर किया और उसे लेकर पत्नी के पास वापस लौट आये। पत्नी बोली कि देखे क्या लाये हो? हम ने खाना मेज पर लगा दिया और तीनों खाना खाने लगे। पत्नी को खाना पसन्द आया और वह बोली कि खाना तो सही लाये हो। मैंने कहा कि जैसा बना है वैसा लाये है। बस पसन्द किया था।
तुम्हें पसन्द आया तो हम दोनों की मेहनत सफल हो गयी। मेरी बात सुन कर वह बोली कि देखले माया इन्हें हर बात में अपनी तारीफ चाहिये। मैंने हँस कर कहा कि तुम्हें भी तो पसन्द किया था, वह आँख मार कर बोली कि हाँ दिख तो रही है तुम्हारी पसन्द, काफी जोरदार है।
मैं उस की बात पर माया को देख कर हँस पड़ा वह बिचारी हम दोनों के बीच कुछ बोल नहीं पायी। हम खाना खत्म करने में लग गये। खाने के बाद सब लोग फिर से शापिंग करने चल दिये। पत्नी ने और माया ने शापिंग की और मैं उन के साथ लगा रहा। घर लौटते में पत्नी बोली कि आज आप ने कुछ नहीं खरीदा तो मैंने कहा कि तुम दोनों ने तो भरपुर खरीदा है मेरे खरीदने के लिये कुछ बचा ही नहीं। मेरी बात पर दोनों हँस दी और बोली कि बातें बनाना तो कोई आप से सीखे।
घर वापस आ कर जब सोने लगे तो मैं अपने बेडरुम में जा कर लेट गया। शॉपिंग के दौरान मैं काफी थक गया था सो जल्दी सोना चाहता था। नींद आती देख कर मैंने जल्दी से कपड़ें बदलें और सोने के लिये लेट गया। कब आँख लग गयी मुझे पता नहीं चला। सुबह नींद खुली तो देखा कि पत्नी बेड के एक कोने पर सो रही थी। उसे जगाना उचित ना समझ कर मैं उठ कर कमरे के बाहर आ गया।
मन किया तो माया के कमरे का दरवाजा खटखटाया तो वह खुला था, उसे धकेल कर अंदर चला गया। माया भी नींद में थी लेकिन मेरी आहट पा कर उठ गयी और बिस्तर से उठ कर दौड़ कर मेरे गले लग गयी। मेरे हाथ भी उस के बदन पर कस गये। हम दोनों गहरे आलिंगन में डुब गये। काफी देर तक ऐसे ही लिपटे रहे फिर मैंने माया को अलग किया और उस के होंठों पर अपनें होंठों की छाप लगा दी। उस का चेहरा लाल हो गया।
आलिंगन से हम दोनों ने एक-दूसरे के शरीर की गर्मी को अनुभव किया था तथा मन था कि दोनों एक-दूसरे के शरीर को सहलाये और चुमे। मैंने माया को पकड़ कर बिस्तर पर धकेल दिया और उस के ऊपर लेट गया। मेरे शरीर को उस के शरीर की ऊँचाई और गहराई का अनुभव हो रहा था। उस के स्तन उत्तेजना की वजह से कठोर हो कर मेरे ह्रदय में चुभ रहे थे। मेरा लिंग उस की गहराई मे दबा जा रहा था। सुबह की उत्तेजना के कारण लिंग पत्थर की तरह कठोर हो रहा था। मैंने माया को होंठों को अपने होंठों से ढक लिया और उन्हें चुसने लगा।
प्रत्तिउत्तर में उस के होंठ भी मेरे होंठों को चुस रहे थे। इस से हमारे शरीरों में कामाग्नि और प्रज्वलित हो रही थी। जब बर्दास्त से बाहर हो गयी तो मैंने माया की गाउन उस के सर के ऊपर से कर के उतार दी। माया सिर्फ पेंटी पहने हुई थी। उसके उरोज मेरे सामने थे मेरे होठ उन्हें चुमने, चुसने और काटने में लग गये। माया उई आहहहहहह उहहहहह करने लगी लेकिन मुझे पता था कि उसे भी यही सब चाहिये था। उरोजों को चाटने काटने के बाद मेरे होंठ उसी नाभी को चुम कर नीचे की गहराईयों में उतर गये।
पेंटी के ऊपर से भीनी-भीनी खुशबु आ रही थी मैं कुछ देर तक तो योनि को पेंटी के ऊपर से जीभ से सहलाता रहा फिर मैनें उँगली फँसा कर पेंटी नीचे खिसका दी। अब उस की योनि मेरे सामने नंगी थी। मेरी जीभ ने उस के भंग को सहलाना शुरु कर दिया। इस से माया के शरीर में सिहरन दौड़ गयी। इस के बाद मेरी जीभ उस की योनि के होंठों को अलग करके उसकी गहराई मे समा गई। माया आहहहहहह उहहहह उईईईईईईईईईई करने लगी। उत्तेजना के कारण उस का मुँह इधर उधर हो रहा था।
उस ने मेरे बाल पकड़ कर मेरा चेहरा अपनी योनि से सटा दिया। मैं भी उस की योनि के नमकीन पानी का स्वाद लेता रहा फिर उस की केले के सामन मोटी जाँघों को चुमता पंजों तक चला गया फिर उसे उल्टा करके उसके उभारों को चुमता उस की पीठ पर होंठों की छाप लगाता हुँआ उस की गरदन को चुमने लगा।
इस के बाद माया उलट गयी और उस ने अपनी बाँहें मेरी गरदन में डाल कर मुझें अपने से चिपका लिया। उस ने मेरी नाईट सुट की शर्ट उतार दी और मेरे पजामें को नीचे कर दिया। उस के हाथ मेरे कुल्हें को सहला रहे थे। मुझे पता था कि वह क्या चाहती है। मैंने अपनी ब्रीफ नीचे करी और उस के ऊपर बैठ गया। मेरे लिंग ने उसकी योनि में प्रवेश किया तो वहाँ भरपूर नमी थी इस कारण से योनि में कसाव होने के बावजूद लिंग आसानी से अंदर चला गया। दूसरे झटके में पुरा लिंग योनि में था।
इस धक्के से माया ने आह भरी। मैं जल्दी-जल्दी धक्कें लगाने लगा। माया भी नीचे से अपने कुल्हें उठा कर मुझे सहयोग दे रही थी। दोनों की गति तेज हो गयी। जब मैं थक गया तो माया मेरे ऊपर आ गयी और उस के कुल्हें हिल हिल कर मेरे लिंग को अपने अंदर समेट रहे थे। मैं उस के उछलते उरोजों को सहला रहा था। इस के बाद मेरे होंठ उन के कुचाग्रों को चुसने में लग गये। माया आहहहहहहहहहह उईईईईईईईईई आहहहह करने लगी लेकिन उस की आवाज बहुत धीमी थी। वह नहीं चाहती थी कि यह आवाज मेरी पत्नी के कानों तक जाये। कुछ देर बाद वह भी थक कर साथ में लेट गयी।
इस बार मैंने उस के पाँवों को उठा कर अपने कंधों पर रखा और उस को भोगने लगा। इस से माया को दर्द हो रहा था लेकिन वह उसे जाहिर नहीं कर रही थी। जब मेरे लिंग के जोरदार धक्कें उस के कुल्हों पर पड़ने लगे तो उस ने मुझ से कहा कि पाँव नीचे कर दो। मैंने दोनों पाँव नीचे कर दिये और अपने शरीर को एक सीधी रेखा में कर के धक्कें लगाने शुरु कर दिये, शरीर में आग सी धधक रही थी उस से शरीर निजात चाहता था।
कुछ देर बाद मेरी आँखों के सामने अंधेरा सा छा गया और मैं माया के ऊपर लेट गया। मेरे लिंग पर आग सी लगी थी। गर्मागरम वीर्य निकल रहा था। शायद माया भी उसी समय डिस्चार्ज हुई थी उस के द्रव की गर्मी भी मेरे लिंग को महसुस हो रही थी। कुछ देर माया पर पड़ें रहने के बाद जैसे ही मुझे चेतना आई मैं उस के ऊपर से उठ कर बगल में लेट गया। हम दोनों पसीने से नहा गये थे।
दोनों की साँसें धोकनी की तरह चल रही थी। कुछ देर बाद सब कुछ सामान्य हो गया। मैंने माया की तरफ मुँह किया तो वह मुझे ही घुर रही थी। उस ने मुझे देख कर कहा कि कुछ भी धीमा नहीं कर सकते, सारा शरीर तोड़ दिया है। मैंने कहा कि प्यार में रुका नहीं जाता है। वह मुस्कुराई और मुझे चुम कर बोली कि रुकने को कौन कह रहा है, लेकिन गति कुछ तो कम कर सकते हो। नीचे का सारा शरीर दर्द कर रहा है। दीदी को सब पता चल जायेगा।
दीदी को सब पता है अब क्या नया पता चलेगा। उस के साथ भी ऐसा ही होता है। प्यार करते में उत्तेजना पर काबू करना मुश्किल होता है। जब बुढ़े होगे तब देखेगें कि गति कम होती है या नहीं। मेरी बात पर वह हँस दी और बोली कि चलों उठों और कपड़ें पहनों अब सोना नहीं है। मैंने उठ कर कहा कि जो हूकुम सरकार। यह कह कर मैं उठ गया और कपड़ें पहनने लगा।
माया भी कपड़ें पहन कर तैयार हो गयी और बोली कि चाय बनाऊँ या दीदी को जगने पर बनाऊँ? मैंने कहा कि दस मिनट बाद बना लेना, फिर उस को भी उठा देगें। यह कह कर मैं उस की तरफ लपका तो वह मुझे जीभ दिखाती हूई कमरें से बाहर भाग गई। मैं उठ कर तालें खोलने चल दिया। बाहर से अखबार ला कर ड्राइंग रुम में बैठ कर पढ़ने बैठ गया।
कुछ देर बाद माया चाय लेकर आ गयी और बोली कि दीदी को उठा दूँ? मैंने हाँ में गरदन हिलायी तो वह उसे उठाने चली गयी। उस की चाल में हल्की सी लड़खड़ाहट थी। सुबह के प्यार का असर था। मैं चाय पीने ही वाला था कि माया के साथ पत्नी भी आ गयी। वह मुझे देख कर बोली कि अखबार अभी पढ़ा नहीं है? मैंने हँस कर कहा कि तुम्हारा इंतजार हो रहा था कि कब तुम उठ कर आयों और मैं और तुम अखबार पढ़ें। माया तो अखबार पढ़ती नहीं है। माया ने मेरी तरफ आँखें तरेरी तो पत्नी बोली कि इस के पास क्या आफतों की कमी थी?
हम तीनों चाय पीने लगें। मैंने पत्नी से पुछा कि रात को नींद अच्छी आयी थी? तो उस ने जवाब दिया कि मेरी नींद का सवाल नहीं है हमें तो तुम्हारी नींद की चिन्ता है। मैं तो रात की सोई अभी माया के उठाने पर उठी हूँ। तुम बताओ? मैंने उसे बताया कि मैं भी चैन से सोया था लेकिन जल्दी उठ गया था। वह मेरी बात सुन कर मुस्कराई और बोली कि जल्दी उठने का फायदा रहता है।
मैंने कहा कि हाँ यह तो है। माया चाय के कप ले कर वहाँ से भाग गयी। पत्नी बोली कि सुबह तुमने उसे परेशान किया होगा? मैंने कहा कि जैसे तुम्हें परेशान करता हूँ वैसे ही किया। वह बोली कि चलो उसे भी पता चल जायेगा कि उसके जीजा जी किसी भी समय प्यार करने के लिये तैयार रहते है।
मैं हँस कर बोला कि अपनी बात क्यों भुलती हो?
रात में मैडम को समय ही नहीं मिलता।
वह बोली कि सारे दिन की थकी होने के कारण कुछ और होता ही नहीं है। तुम्हें सब पता है।
तो फिर मुझ पर दोषारोपण क्यों?
दोषारोपण कहाँ कर रही हूँ।
एक तो इन से प्यार करो और बातें भी सुनो।
और कौन सुनेगा तुम्हारें सिवा।
हाँ यह तो है, माया को मत सुनाना।
क्यों नहीं वह भी तो परिवार ही हैं।
सो तो है।
मैंने माया से कहा कि मैं और तेरी दीदी रात को थके होने के कारण अक्सर प्यार सुबह ही कर पाते है वह भी सप्ताहंत में। यही तुम्हारें साथ भी रहेगा। मैं थका होने के कारण पुर सप्ताह शायद ही रात में तुम्हें प्यार कर पाऊँ यह बात तुम्हें इस लिये बता रहा हूँ कि अब तुम भी हमारा हिस्सा हो तो जैसा हम करते है वैसा ही तुम्हें करना होगा।
मेरी बात सुन कर माया मुस्करातें हुई बोली कि जैसा दीदी के साथ करते है वैसा ही मेरे साथ करें, मुझे कोई परेशानी नहीं है। यह सुन कर मैंने पत्नी की तरफ देखा तो वह हँस कर बोली की साली अभी जीजा जी के प्रभाव में है इस लिये हाँ में सर हिला रही है।
मैंने कहा कि साली बाद में है पहले तो तुम्हारी बहन है। इस पर दोनों हँस पड़ी और गम्भीरता का माहौल खत्म हो गया। यह समस्या मेरे और पत्नी के बीच बहुत बड़ें झगड़ें का कारण बनती थी, क्योंकि जब मेरा कभी रात को मेरा मन करता था तब पत्नी जी थकी होने के कारण मना कर देती थी। उस समय तो बड़ा गुस्सा आता था लेकिन बाद में मैंने समझौता कर लिया।
आज यह बात माया के सामने भी आ गयी। उसे भी शायद आगे जा कर समस्या होने वाली हो। असली परेशानी तो मेरी थी कि मुझे अब दो-दो औरतों को सन्तुष्ट करना था। दोनों को कब मुझ से प्यार चाहिये यह मैं तय नहीं कर सकता था। लेकिन इस में मैं कुछ कर नहीं सकता था।
पत्नी चली गयी और पीछे माया और मैं रह गये। माया मुझे चुटकी काट कर बोली कि आप कभी चुप क्यों नहीं रहते? क्या जरुरत थी दीदी को कहने की। मैंने उसे बताया कि मैंने नहीं बताया था, उसी ने ताना मारा था, सो उसी का जबाव दिया था। वह बोली कि चुप तो रह नहीं सकते आप। मैं चुप रहा तो माया बोली कि मैं उन के अधिकार क्षेत्र में घुस रही हूँ तो कुछ तो मुझे सब्र करना पड़ेगा। मैंने हाँ में सर हिलाया तो वह हँस कर बोली कि आज के बाद आप उन्हें इस बात में जबाव नहीं देगे। मैं उन से बात करके इस को हल कर लुँगी।
मैंने फिर हाँ में सर हिलाया तो वह बोली कि क्या सर हिला रहे है? बोलते क्यों नहीं? तुमने ही तो अभी मना किया था। वह बोली कि मुझे चलाईये मत। बात को समझिये, दीदी के मान को कोई चोट नहीं लगनी चाहिये। मेरे लिये तो यही बहुत है कि मैं आप के पास हूँ। प्यार तो मिल ही जायेगा। लेकिन दीदी के अधिकार में कोई भी हस्तक्षेप मुझे मंजुर नहीं है। आप को भी यह ध्यान रखना पड़ेगा। उन के मन को ठेस नहीं लगनी चाहिये। जो कुछ उन्होंनें मुझे दिया है मैं उस से उन की आजीवन ऋणी रहुँगी।
मैं चुपचाप उस की बात सुनता रहा। उस की बात किसी हद तक सही थी। मुझे और माया को अपने पर अंकुश लगाना ही पड़ेगा, नहीं तो पत्नी, मेरे और माया के संबंधों में तनाव आ सकता है। ऐसा मैं और माया बिल्कुल नहीं चाहते थे।
इस के बाद सब दैनिक दिनचर्या में व्यस्त हो गये। नाश्ते में मैंने देखा कि आलु के पराठें बने है तो कहा कि आज क्यों बनाये है? तो पत्नी बोली कि मेरा और माया का मन था कि आलु के पराठें खाने है सो बना लिये है। मैं यह सुन कर चुप हो गया और चुपचाप नाश्ता करने लग गया। नाश्ते के दौरान ज्यादा बातचीत नहीं हुई।
नाश्ते के बाद मैं कल की अधुरी पड़ी किताब को पढ़ने बैठ गया। एक घन्टे में मैंने उसे पुरा पढ़ कर खत्म कर दिया। कुछ देर सुस्ता कर मैं घर में घुम कर देखने लगा कि कोई और काम तो पेंडिग नहीं पड़ा है लेकिन ऐसा कुछ मिला नहीं तो बेडरुम में जा कर बेड पर लेट गया। कुछ देर बाद आँख लग गयी।
पत्नी के जगाये जाने पर नींद खुली। पत्नी कह रही थी कि उठ जाओ, खाना बन गया है। मैं उठ कर बैठ गया और फिर उस के साथ चल पड़ा। ड्राइग रुम में माया मेज पर खाना लगा रही थी। मेरी मनपसन्द अरहर की दाल और चावल बने थे। मुझे भुख भी लग रही थी सो खाना खाने बैठ गया।
माया बोली कि दीदी बता रही थी कि आप को दाल चावल बहुत पसन्द है, इस लिये बना लिये है, खा कर बताईयें कि कैसे बने है? मैंने एक चम्मच चावल खा कर कहा कि दाल और चावल बढ़िया बने है। यह सुन कर पत्नी माया से बोली कि तुने बड़ी लड़ाई जीत ली है आदमी के दिल में जाने का रास्ता मुँह से हो कर जाता है।
माया यह सुन कर हँस पड़ी और बोली कि आप कह रही है तो मान लेती हूँ। मैं उन की बात को अनसुना करके खाना खाता रहा। माया सच में खाना बढ़िया बनाती है। मैंने भी सिर हिला कर पत्नी की बात से सहमति जताई। माया के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
खाने के बाद हम तीनों बैठ कर बातें कर रहें थे तभी मैंने कहा कि आज से मैं अकेला सोऊँगा। तुम दोनों एक-साथ सोयो। मेरी बात सुन कर दोनों ने मेरी तरफ अचरज से देखा। मैंने कहा कि मैंने तय किया है कि मुझे ही अपने आप पर नियंत्रण करना होगा, इसी लिये यह निर्णय किया है कि बची छुट्टियों में मैं किसी के साथ नहीं सोऊँगा। हो सकता है सेक्स में ज्यादा लगे रहने के कारण थकान हो रही हो। इस बात को भी जाँच लेते है।
मेरी बात पर माया बोली कि दीदी ने तो पहले ही कहा था लेकिन हम दोनों ने उन की बात नहीं मानी। मैंने कहा कि इस की बात को ही तो अब मैं मान रहा हूँ, ना किसी के साथ सोऊँगा ना ही सेक्स करने की इच्छा होगी। पत्नी के होंठों पर मंद मुस्कान आ गयी। वह बोली कि हम दोनों तुम्हारें बिना रात को सो लेगी। तुम अपनी देख लो। मैंने कहा कि मुझे भी कोई परेशानी नहीं होगी।
इस के बाद इस विषय पर बात बंद हो गयी। शाम को खाना खाने के बाद कुछ देर सब गप्प मारते रहे फिर सोने चल दिये। मैं माया के कमरे में आ गया और लाइट बंद करके लेट गया। कुछ देर मुझे नींद आ गयी। सुबह किसी की आहट से मेरी नींद खुली तो देखा कि माया सिरहाने खड़ी थी। उसे देख कर मैं उठ कर बैठ गया और उसे बैठने का इशारा किया। वह बेड पर बैठ गयी।
रात को नींद आई?
हाँ, अभी तुम्हारें आने की आहट से खुली है।
और कोई परेशानी?
कैसी परेशानी?
थकान, कमजोरी
नहीं, ऐसा कुछ नहीं लग रहा
शायद दीदी की बात सही है कि हम ज्यादा सेक्स कर रहे हैं
हो सकता है, वह ज्यादातर सही होती है
इस बार भी सही है
लगता है
अपनी गल्ती मान क्यों नहीं लेते
कौन सी गल्ती
मुझ से प्यार करने की
ऐसी गल्ती तो बार-बार करुँगा
ऐसी बात
हाँ
बहुत जिद्दी हो
हाँ, हूँ तो
कैसे मानोगे
मान तो गया हूँ, और क्या करुँ?
देखती हूँ कब तक अपने को रोकते हो
अपनी दीदी से पुछो, महीनों तक कुछ नहीं करते
ऐसा क्यों?
जबरदस्ती इस उम्र में नहीं होती, मन नहीं करता
हूँ
क्या हूँ, मेरी दशा में ही जानता हूँ, क्या बताऊँ
समझ सकती हूँ
तुम्हारें आने से लगता है, ज्यादा ही हो गया है
इतना तो कुछ ज्यादा नहीं किया है
हाँ, यह तो सामान्य है
चाय लाऊँ?
हाँ बनाओ, मैं बाहर आता हूँ
माया मेरी बात सुन कर किचन के लिये चली गयी। मैं उठ कर उस के पीछे चल दिया। मुझे किचन में देख कर बोली कि चैन नहीं है, मैंने उसे बताया कि मैं सुबह खाली पेट पानी पीता हूँ सो पीने आया हूँ। वह यह सुन कर मुस्कुरा दी। उस की मुस्कराहट बहुत हसीन थी। मैं दो गिलास पानी पी कर किचन से निकल गया।