10-03-2025, 01:10 PM
UPDATE 6
माया को कुछ याद आया तो बोली कि अब आप को कैसा लग रहा है? मैंने उसे बताया कि सही लग रहा है, थकान नहीं है। वह बोली कि आप मानसिक रुप से थक गये थे। आराम करेगें तो सही हो जायेगे। मैंने कहा कि शायद तुम सही कह रही हो। मानसिक तनाव ने शरीर को तोड़ दिया है। हमारी बातचीत चलती रहती, तभी पत्नी नहा कर आ गयी।
वह मुझे देख कर बोली कि अब आप का नंबर है नहा कर आओं। हो सके तो हल्के गरम पानी से नहा लेना मैंने पानी गरम कर दिया है। गर्म पानी से नहाने से शरीर खुल जाता है। माया ने तब तक मेरे कपड़ें निकाल लिये थे वह उन्हें बाथरुम में टाँगने चली गयी। मैं बेड से उठा तो मैंने देखा कि बेड की चद्दर का हाल बुरा था वह दागों से भर गयी थी। मैं नहाने के लिये चला गया।
जब नाश्ता करने बैठे तो माहौल अलग था हमारे मनों में जो डर था वह खत्म हो गया था। आगे कैसे बढ़ना था वह समय के गर्भ में था। पत्नी बोली कि आज आप सारे दिन आराम करो, टीवी देखो, फिल्म देखो, म्युजिक सुनों लेकिन कुछ काम मत करो, कुछ सोचों मत। हम दोनों बाजार जा रहे है। कुछ तुम्हारें लिये लाना हो तो बता दो? मैंने कहा कि कुछ याद नहीं आ रहा है अगर याद आया तो फोन कर दूँगा।
पत्नी बोली कि आज पार्टी बनती है क्या पीना है तुम तो बीयर पीते हो, आज हम भी पी कर देख लेते है। कौन सी बीयर लाये? मैंने उसे नाम बता दिया। वह बोली कि और कुछ लाना है तो मैंने कहा कि केक लेते आना, उसे मेरा विचार पसन्द आया। मैं टीवी देखने लग गया और वह दोनों तैयार हो कर बाजार चली गयी। कुछ देर बाद मैं थक गया और वही पर लेट गया। कब नींद आ गयी मुझे पता नहीं चला।
मेरी आँख डोरबेल की आवाज से खुली, जब जा कर दरवाजा खोला तो देखा कि दोनों हाथों में सामान के थेलें लिये खड़ी थी। पत्नी बोली कि बड़ी देर कर दी आते-आते। मैंने बताया कि आँख लग गयी थी, इसी वजह से दरवाजा खोलने में देर हो गयी। घर के अंदर आ कर माया ने जल्दी से सामान रखा और मेरा हाथ पकड़ कर देखा कि कहीं बुखार तो नहीं है लेकिन ऐसा कुछ नहीं था वह बोली कि ब्लडप्रेशर भी नाप लेते है सो मशीन लेने चली गयी।
पत्नी भी उसी के साथ चली गयी, दोनों मशीन ले कर आ गयी और मेरा ब्लडप्रेशर चैक करने लग गयी। वह भी सही था मैंने कहा कि टीवी देख कर आँखें थक गयी थी, इस लिये लेट गया था और नींद आ गयी इस में चिन्ता की कोई बात नहीं है, लेकिन दोनों के माथे से चिन्ता की लकीरें नहीं गयी। दोनों ने तय किया कि अब से एक घर में रहा करेगा। दोनों एक साथ बाहर नहीं जायेगी।
माया कोल्ड ड्रिक लाने के लिये किचन में चली गयी और ड्रिक ले कर आ गयी, दोनों भी काफी थक गयी थी सो ठंड़ा कोल्ड ड्रिक पी कर दोनों को राहत मिली। मैं भी उसे पी कर बढ़िया महसुस कर रहा था। मैंने दोनों से पुछा कि इतनी सारी क्या खरीदारी कर ली? तो जबाव मिला कि कुछ तुम्हारें कपड़ें खरीदे है, कुछ माया के लिये खरीदा है और कुछ मैंने अपने लिये लिया है। माया बोली कि बीयर भी ले आये है। यह सुन कर मुझे खुशी हुई।
पत्नी ने माया के लिये नई साड़ी खरीदी थी। एक साड़ी माया ने पत्नी के लिये खरीदी थी। मैंने माया से कहा कि यह तो साड़ी पहनती नहीं है तो वह बोली कि अब पहनेगी। पत्नी बोली कि कोई साड़ी दिलाते तो है नहीं, ना पहनने का ताना मारते रहते है। मैंने कहा माया तुम गवाह हो, अब मैं साड़ियों की लाइन लगा दूँगा, देखता हूँ कि यह कितनी पहनती है। दोनों हँसने लग गयी। मेरे लिये नाइट सुट भी लाई थी। देखा कि कई जोड़ी ब्रीफ भी खरीदी गयी थी। लेकिन किसी ने बताया नहीं कि क्यों खरीदी है? मैंने भी पुछना सही नहीं समझा।
पत्नी दोपहर का खाना बनाने चली गयी। मैं और माया बात करने लगे। माया बोली कि आप ने अपनी दवाई खा ली है तो मैंने उसे बताया कि सुबह वाली तो खा ली थी, दोपहर वाली खाना खाने के बाद खाता हूँ। माया ने मेरे हाथ अपने हाथ में लेकर उन्हें सहलाया और फिर चली गयी। मैं टीवी पर अपनी मनपसन्द फिल्म लगा कर बैठ गया और उस का मजा लेता रहा।
पत्नी जब दाल-चावल बना कर लायी तो फिल्म खत्म होने को थी। मैंने उसे पॉज कर दिया और मेज पर आ गया। माया भी आ गयी थी। हम सब खाना खाने लगे तो माया बोली कि आप सुबह जुस लिया करो इस लिये हम फल ले कर आये है, आप के खाने की आदत भी बदलनी पड़ेगी ताकि आप को सम्पुर्ण आहार मिल सके किसी चीज की कमी ना हो। मैं उस की बात सुनता रहा।
मैंने पत्नी से पुछा कि माया को साड़ी किस खुशी में दिलवाई है तो जबाव मिला कि है कोई बात, अब हर बात तुम्हें नहीं बतायी जा सकती। मैंने अपना ध्यान खाने में लगा दिया। खाना खाने के बाद खरबुजा खा कर मैं फिर से फिल्म देखने बैठ गया। पत्नी आराम करने चली गयी। माया भी चली गयी लेकिन फिर कुछ देर बाद मेरे साथ आ कर बैठ गयी।
मैं उस का हाथ अपने हाथ में ले कर सहलाता रहा फिर उसे चुम लिया। वह बोली कि दीदी ने बताया नहीं है इस लिये नाराज तो नहीं हो? मैंने कहा कि नहीं लेकिन अनुमान लगा सकता हूँ कि किस लिये दिलाई होगी? वह हँस पड़ी कि बताओ? मैंने कहा कि कल की घटना की खुशी में दिलवाई है या नहीं?
वह शर्माकर बोली कि हाँ यही बात है वह बोली कि तु तो अब सौतन हो गयी हैं, इसी खुशी में नई साड़ी तो बनती है। उन्होंनें हमारे रिश्तें पर मुहर लगा दी है, इसी वजह से मैंने भी अपनी बड़ी बहन को साड़ी दी है। धन्यवाद कहा है।
मैं बोला कि यह तो सही है लेकिन जो मुख्य कारण है उसे किसी ने कुछ नहीं दिया तो वह आँखें तरेर कर बोली कि दो-दो बीवी मिल गयी है इस के बाद तुम्हें और क्या चाहिये? मैंने कहा हाँ भई इतनी बड़ी बात हो गयी है अब और क्या चाहिये। मैं चुपचाप फिल्म देखने लग गया। माया बोली कि और कुछ भी लायी हूँ लेकिन वह बाद में दिखाऊँगी। मैंने कुछ नहीं कहा।
वह कुछ देर बैठ कर वापस चली गयी। मेरे को समझ नहीं आ रहा था कि रात को इन दोनों के साथ सोने का क्या कार्यक्रम रहेगा। बीवी के साथ ना सोओं तो वह नाराज होगी और माया के साथ ना सोओं तो यह नाराज, मैं क्या करुँ यह समझ नहीं आ रहा था। मुझे आशा थी कि पत्नी ही इस समस्या का कोई हल निकाल सकती है। रात को उसी से बात करनी पड़ेगी। यहीं सोचते सोचते मेरी आँख फिर लग गयी। अभी भी कमजोरी कहो या कमी, नींद कुछ ज्यादा ही आ रही थी।
कुछ देर बाद ही माया ने मुझे उठा दिया और हाथ पकड़ कर अपने कमरें में ले गयी और बेड पर बिठा कर बोली कि यहाँ पर सो जाओ। वहाँ दीदी सो रही है तुम्हारे जाने से जाग जायेगी। मैं लेट गया और माया का हाथ पकड़ कर उसे भी लिटा लिया। वह बोली कि रात को करेगें अभी तुम सो जाओ। मैंने कहा कि अब मुझे नींद नहीं आयेगी तो वह बोली कि तुम्हारा क्या करें, बेड पर नींद नहीं आती है और टीवी देखते में सो जाते हो।
मैंने कहा कि मुझे भी नहीं पता क्या बात है लेकिन जो है सो है। वह मुझ से लिपट गयी और बोली कि कल तो तुम ने मेरी जान ही निकाल दी थी। जोड़-जोड़ दर्द कर रहा है। बहुत ताकत है, मैंने उसे बताया कि कोई खास बात तो नहीं थी केवल दूसरी बार संभोग करने पर ज्यादा देर में स्खलित होते है ऐसा ही हुआ था। फिर तुम्हें सेक्स की आदत नहीं है इसी कारण से ज्यादा दर्द हो रहा होगा।
मैंने मजाक में कहा कि सुहागरात में तो ऐसा होता ही है तो उस ने मेरे सीने पर घुसें मारनें शुरु कर दिये। उस की मार से बचने के लिये मैंने उसे अपनी छाती से चिपका लिया। उस के होंठों ने मेरी छाती पर अपनी छाप लगानी शुरु कर दी। फिर उस के होंठ मेरे होंठों से जुड़ गये और हम दोनों लम्बें चुम्बन में डुब गये। जब साँसे फुल गयी तब जा कर अलग हुये।
उस ने कहा कि मेरी चुटकी काटों मुझे लग रहा है कि मैं सपना देख रही हुँ। मैंने उस की बाँह में चुटकी काटी तो वह बोली कि नहीं सपना नहीं है लेकिन सब कुछ सपने जैसा है। तुम को इतने सालों से दूर-दूर से चाहना। तुम्हारें बारें में जानना और फिर मन को मार लेना। क्या-क्या नहीं किया है मैंने। लेकिन सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी तुम्हारी हो पाऊँगी। मैं तो उस रात के मिलन से ही संतुष्ट थी। लेकिन भाग्य ने जैसे हम दोनों को मिलाने का सोच रखा था, सब कुछ होता गया और आज मैं तुम्हारी बगल में हूँ।
तुम ने कभी मेरे बारें में सोचा था। मैंने कहा कि माया मैं कुछ सोचने की अवस्था में नहीं था। उस घटना के बाद तुम इतनी रहस्यमयी हो गयी थी कि मैं तुम्हें समझ नहीं पा रहा था। परिस्थितियाँ भी ऐसी नहीं थी कि कुछ और सोचा जा सके, लेकिन मन में किसी कोने में आस थी कि कभी तो तुम्हारा फोन आयेगा। इस से ज्यादा मत पुछों जो हो रहा है उस के साथ बहों, उस का मजा लो।
वह कुछ बोली नहीं उस के होंठ मेरी गरदन पर अपनी छाप लगाते रहे। मैं इस सब से उत्तेजित हो रहा था, लेकिन रात के लिये अपनी शक्ति बचा कर रखना चाहता था, क्या पता दोनों को संतुष्ट करना पड़ें। माया को तो ज्यादा भुख थी, लेकिन लग रहा था कि उसे देख कर पत्नी की प्यास भी जग गयी थी। मेरे लिये अच्छा भी था और कठिन भी था लेकिन इस का सामना तो करना ही था।
बीमारी की अवस्था में अपने को ज्यादा थका कर हालात खराब नहीं करना चाहता था। इसी लिये माया को उसके मन की करने देता रहा। वह भी शायद मेरे मन की बात समझ गयी थी इस लिये कुछ देर बाद उठ कर चाय बनाने चली गयी। मैं उठ कर बाथरुम चला गया। लिंग तनाव से पुरा तन कर कठोर हो गया था।
उस से पेशाब करना मुश्किल हो गया। उस तनाव को कम करके निकला तो पत्नी के पास गया वह अभी भी लेटी थी, मेरी आहट पर कर उठ कर बैठ गयी और बोली कि नींद आ रही है तो आराम से क्यों नहीं लेटते, सोफे पर अधलेटे सो रहे हो। मैंने उसे बताया कि नींद चली गयी है, इस लिये चाय पीने आ गया हूँ माया चाय बना कर ला रही है। कुछ देर बाद माया चाय ले कर आ गयी।
चाय पीने के बाद पार्टी के लिये खाना बाहर से मँगाना तय हुआ, मीनू भी तय कर लिया गया। सात बजे के बाद खाना ऑडर कर दिया गया। आठ बजे खाना आ गया। इस के बाद बीयर को गिलासों में डाल कर चीयर्स के साथ पार्टी शुरु हो गयी। कुछ देर मैं और पत्नी गाने पर नाचते रहे फिर माया भी मेरे साथ नाचने आ गयी। पत्नी ने मुझे बताया कि माया बहुत अच्छा नाचती है तो वह फिल्मी गाने पर नाचने को तैयार है गयी।
मैं और पत्नी दोनों दर्शक बन कर उसका डान्स देखने लगे। वह वाकये में बहुत बढ़िया डान्स करती थी। कुछ देर बाद वह थक कर बैठ गयी, बीयर का नया दौर शुरु हो गया। बोतलें खाली होती रही। जब खुब नशा चढ़ गया तो पत्नी बोली कि अब पीना बंद, खाना खाते है।
वह और माया मेज पर खाना सजाने लगें। कई तरह की डिश होने के कारण काफी सारा खाना मेज पर था लेकिन शायद नशे और भुख के कारण हम तीनों सारा खाना चट्ट कर गये। खाना खत्म होते होते काफी रात बीत गयी थी।
पत्नी बोली कि मैं तो सोने जा रही हूँ मैंने उस के कान में कहा कि आज मैं माया के साथ सो रहा हुँ तो उस ने सर हिलाया और चली गयी। मैंने और माया ने खाने के बरतन किचन में रखे और मैं दरवाजें पर ताला लगाने चला गया। जब कमरे की तरफ जा रहा था तो माया के कान में कहा कि कपड़ें बदलना नहीं।
वह मुस्कराती हुई चली गयी। नशे के कारण मैं भी झुम सा रहा था लेकिन माया के कमरें में जा कर बेड पर लेट गया। माया कुछ देर बाद आयी और उस ने दरवाजा बंद कर दिया। वह आ कर मेरी बगल में लेट गयी। कुछ देर ऐसे ही लेटी रही फिर बोली
आज क्या इरादा है, जो कपड़ें भी नहीं बदलने दे रहे हो?
इरादा तो नेक है।
है क्या?
कुछ खास नहीं है
लेकिन है
हाँ है तो सही
बताओंगें नहीं
अभी पता चल जायेगा
पास आओ ना
पास तो हुँ
और पास आओं
खुद ही पास आ जाओ
मैं उस को पास खिचँने के लिये खिसका तो मुझे चक्कर से आने लगे, लगा कि शायद नशा हो रहा है लेकिन तभी फैसला किया कि आज रात कुछ नहीं करना है, केवल आराम करना है, यही सोच कर माया को सीने से लगाया और उस के कान में कहा कि आज कुछ नहीं करना, सोते है। वह भी शायद यही चाहती थी सो मेरे सीने में मुँह छुपा कर लेट गयी। कुछ ही देर में हम दोनों गहरी नींद में चले गये। हमें नहीं पता चला कि रात कब बीत गयी।
सुबह के अलार्म से मेरी नींद टुटी तो देखा कि माया अभी भी मेरे से चिपकी सो रही थी उस की बाँहें मेरी कमर पर और पेर मेरे पेरों पर थे। अगर मैं हिलता तो वह जग जाती इस लिये मैं ऐसे ही पड़ा रहा लेकिन कुछ देर बाद उस की आँख भी खुल गयी और मुझे अपने आप को देखता देख कर वह बोली कि क्या देख रहे हो? मैंने कहा कि तुम सोते में अच्छी लग रही थी सो निहार रहा था, वह मुझे नकली मुक्का मारते हूऐ बोली कि चलो हटो, बातें ना बनाओ, मैंने कहा कि सच्ची बात कही है तुम्हारी मर्जी मानो या ना मानों। वह उठी और मेरा चुम्बन ले कर बोली कि
आप इतने रोमांटिक कब से हो गये?
जब से तुम मेरी जिन्दगी में आयी हो रोमान्स वापस आ गया है।
वह बोली कि सुबह-सुबह बटरिग बंद करो कुछ मिलेगा नहीं। मैंने कहा कि बंदा कुछ चाह ही नहीं रहा है। उसे सब कुछ बिना चाहे मिल गया है। माया खड़ी हो कर अपने कपड़ें सही करती हूई बोली कि रात को कपड़ें भी नहीं बदलने दिये। मैंने कहा कि तुम्हें पता चल जायेगा कि क्यों नहीं बदलने दिये थे। लेकिन कल रात थकान के कारण प्रोग्राम बदल दिया था।
वह कुछ-कुछ समझ कर मुस्कराई और बोली कि मैं चाय बना कर लाती हूँ। यह कह कर वह चली गयी। मुझे पता था कि पत्नी अभी सो रही होगी सो उसे जगाना उचित नहीं समझा। मैं भी उठ कर कपड़ें सही कर के बाहर चला आया और दरवाजों पर लगे तालें खोलने लगा। बाहर अभी भी हल्का अंधेरा था सूरज निकला नहीं था, लेकिन अपनी जल्दी उठने की आदत के कारण मैं जल्दी उठ गया था।
मेरी वजह से ही माया भी उठ गयी थी। मैं किचन में पानी पीने गया तो माया चाय बना रही थी मुझे देख कर बोली कि यहाँ क्या कर रहे हो? मैंने कहा कि पानी पीने आया हूँ तो वह बोली कि मुझ से क्यों नहीं कहा? माया मेरी आदत ना बिगाड़ों, यह मेरी रोज की आदत है कि सुबह उठ कर दो गिलास पानी पीता हूँ उस के बाद कुछ और करता हूँ, सो कर रहा हुँ, तुम्हें धीरे-धीरे मेरी सारी आदतें पता चल जायेगी। वह मुस्करा दी। मैं पानी पी कर वापस कमरें में चला गया।
कुछ देर बाद माया चाय लेकर आ गयी और हम दोनों चाय पीने लगे। माया बोली कि कल तो इतनी थकान थी कि रात को एक बार भी आँख नहीं खुली। मैंने कहा कि बीयर और खाने के नशे नें कुछ और करने लायक ही नहीं छोड़ा था। वह हँस कर बोली कि या तो पार्टी कर लो या कुछ और काम।
चाय पीने के बाद मुझे फिर से नींद सी आने लगी तो मैं दोबारा लेट गया। माया बोली कि क्या बात है? मैंने उसे बताया कि कुछ नहीं, बस नींद सी आ रही है वह बोली कि चाय के बाद नींद तो नहीं आनी चाहिये। सोओ मत, मैं अखबार ले कर आती हूँ उसे पढ़ लो नींद चली जायेगी। मुझे उस की राय पसन्द आयी और मैं अखबार लेने बाहर चला गया।
अखबार अभी आया नहीं था। इस लिये वापस लौट आया। कमरे में घुसा सो माया पीछे से मेरे से लिपट गयी और ऐसे ही खड़ी रही। मैंने भी उसे छेड़ा नहीं। शायद वह मेरे शरीर को अनुभव करना चाहती थी। कुछ देर बाद वह अलग हो गयी। इस बार मैंने उसे अपने आलिंगन में कस लिया और हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही खड़ें रहे।
दोनों के शरीर एक-दूसरें की तपन का, उतार चढ़ाव का अनुभव कर रहे थे इस से अधिक कुछ करने की आवश्यकता भी नहीं थी। इस के बाद माया के कान में शायद अखबार गिरने की आवाज आयी थी सो वह अखबार लेने चली गयी, और आ कर मेरे हाथों में अखबार थमा कर बाहर चली गयी। मैं भी बिस्तर पर बैठ कर अखबार पढ़ने में मग्न हो गया।
पत्नी की आवाज सुन कर मैंने सर ऊठा कर देखा तो पत्नी बिस्तर की चद्दर को ध्यान से देख कर बोली कि क्या हुआ? मैंने उसे बताया कि कुछ नहीं हुआ। वह बोली क्यों? मैंने उसे बताया कि नींद बहुत जोर से आ रही थी इसी लिये आते ही सो गये। वह बोली कि नींद तो मुझे भी जोर से आयी थी अभी माया के जगाने पर जगी हूँ, नहीं तो ना जाने कब तक सोती रहती।
वह भी मेरे पास बैठ कर अखबार पढ़ने लगी। हम दोनों को अखबार पढ़ता देख कर माया बोली कि लगता है जीके का कोई एक्जाम देना है आप दोनों को। मैंने उसे बताया कि यह हमारा रोज का रुटिन है, चाय पीते-पीते अखबार पढ़ना। वह बोली की आदत तो बुरी नहीं है। कुछ देर बाद मैं उठ कर नित्यक्रम के लिये चल दिया।
माया बोली कि यह बात है कि बिना चाय पीये और अखबार पढ़े कुछ होता नहीं है। मैंने हँस कर कहा कि तुम कुछ भी कह लो लेकिन सच यहीं है। पत्नी ने माया को हाथ पकड़ कर उसे अपने पास बिठा लिया और मैं बाथरुम में चला गया। वहाँ से आ कर नहाने के लिये चलने लगा तो माया बोली कि आप के कपड़ें और तौलिया अंदर ही है। उस की बात सुन कर पत्नी के होठों पर मुस्कान फैल गयी। मैं बाथरुम में नहाने के लिये घुस गया।
नहा कर जब बाहर आया तो कमरे में देखा कि दोनों बहनें अभी तक बातें कर रही थी। मुझे देख कर बोली कि कपड़ें यहीं बदल लो। मैं अपने कपड़ें निकाल कर पहनने लग गया दोनों मुझे देखती रही। माया बोली कि दीदी यह रोज ऐसा ही करते है। पत्नी बोली कि हाँ इन की इस आदत को बदल नहीं पायी हूँ।
मैंने कहा कि तुम स्त्रियाँ हम पुरुषों को अपने अनुसार तो बदलना चाहती हो लेकिन खुद हमारे अनुरुप नहीं ढ़ल पाती, ऐसा क्यों? मेरी बात सुन कर माया बोली कि क्योकिं हमें पता है कि सही क्या है और गलत क्या। पत्नी नें भी हँस कर गरदन हिला कर उस की बात का समर्थन किया। मैं भी हँस दिया।
इस के बाद माया भी नहाने चली गयी। पीछे से पत्नी ने मुझ से पुछा कि रात को क्या हुँआ? मैंने कहा कि तुम्हें बताया तो था कि कुछ नहीं हुआ, थके होने के कारण हम दोनों सो गये थे। सुबह अलार्म की आवाज से ही नींद खुली थी। वह बोली कि मुझे लग रहा है कि तुम्हें पुरा आराम करना चाहिये। आज से माया मेरे साथ सोयेगी और तुम अकेले सोना। तुम्हारा शरीर बहुत थका हुआ है, शारीरिक संबंध बनाने की शक्ति अभी नहीं है।
मैंने उस की बात से सहमति जतायी और कहा कि कुछ दिन तुम्हारी बात मान कर देखते है। वह बोली कि मेरी बात सही ही होती है। मैंने मन में सोचा कि यह कह तो सही रही है, इस की बात अंत में सही ही निकलती है। मैं बिस्तर पर लेट गया और उस से बोला कि अगर सो जाँऊ तो नाश्ते के लिये जगा लेना, इस पर वह बोली कि मैं कमरा बंद करके जा रही हूँ, तुम आराम से सो जाओ। जब नाश्ता बन जायेगा तो तुम्हें जगा दूँगी। यह कह कर वह कमरा बंद करके चली गयी। मुझे भी नींद आ रही थी इस लिये मैं भी सो गया।
किसी के हिलाने पर मेरी नींद टूटी, आँख खोली तो देखा कि माया मुझे हिला कर जगा रही थी। मैं उठ कर बेड पर बैठ गया। माया मेरे पास बैठ कर बोली कि मुझे समझ नहीं आ रहा कि दो दिन पहले तक तो आप बिल्कुल सही थे। अब क्या हो गया है? क्या मेरे आपके जीवन में आने से तो ऐसा नहीं हुआ है? मैं वैसे भी करमजली हुँ, मेरे भाग्य में कोई सुख लिखा ही नहीं है। यह कह कर वह रोने लगी।
मैंने उससे कहा कि माया तुम बात का पतंगड़ बना रही हो, डाक्टर को दिखा दिया है। कोई चिन्ता की बात नहीं है। यह कह कर मैंने उसे गले से लगा लिया और कहा कि रोना बंद करो। मेरी बात सुन कर वह चुप हो गयी।
फिर हम दोनों नाश्ता करने के लिये ड्राइग रुम में आ गये। पत्नी मेज पर नाश्ता लगा रही थी। माया का चेहरा देख कर बोली कि इसे क्या हुआ है? मैंने कहा कि तुम्हारी बहन है तुम्ही पुछ लो। पत्नी बोली कि पहले नाश्ता करों उस के बाद पुछती हूँ, यह कह कर उस ने माया को पकड़ कर कुर्सी पर बिठा दिया। हम तीनों नाश्ता करने लगे। मैंने कहा कि मेरी नींद को लेकर चिन्ता ना करों। थकान है कुछ दिन के आराम से सही हो जायेगी। नाश्ता खत्म होने तक कोई कुछ नहीं बोला।
नाश्ते के बाद मेरे ऑफिस से फोन आ गया, मैं उस में व्यस्त हो गया। उस के बाद मैंने पत्नी से पुछा कि कहीं चलने का इरादा है तो वह बोली कि नहीं अभी तुम आराम करो। हम दोनों घर के कुछ काम निबटा लेती है, उस के बाद कुछ सोचेगी। मैं अपने मनपसन्द के गाने लगा कर सुनने लगा। पत्नी तथा माया दोनों काम में लग गयी।
अपनी थकान को लेकर मैं भी मन ही मन में बहुत परेशान था लेकिन उन दोनों को अपनी परेशानी दिखाना नहीं चाहता था। मुझे यह भी पता था कि दवाईयों का असर होने में कुछ समय तो लगेगा ही। मन और शरीर को आराम देना ही एकमात्र उपाय नजर आ रहा था। मानसिक उलझन तो पत्नी ने सुलझा दी थी।
हाँ एक जिम्मेदारी बढ़ गयी थी लेकिन उस की तो मुझे आदत थी। तभी मुझे ध्यान आया कि मुझे अपनी दवाई खानी है, मैं उठने ही वाला था कि माया आती दिखायी दी। उस के हाथ में मेरी दवा थी। वह दवाई मेरे हाथ में दे कर बोली कि इसे खा ले। मैंने दवा ली और उसे खा लिया। वह पानी का खाली गिलास ले कर चली गयी। दवा खाने के बाद कुछ देर में बैठा रहा फिर सोचा कि व्यस्त रहने के लिये कुछ काम तो करना पड़ेगा।
यही सोच कर मैं बाथरुम यह देखने चला गया कि कुछ सही तो नहीं करना है, तो पता चला कि कई काम करने है। यह देख कर मैं अपना टूल बॉक्स ला कर खराब चीजों को सही करने लग गया। इन कामों में मेरा मन लगता था यह मुझे पता था। काफी समय लग गया सब कुछ सही करने में।
जब बाथरुम से निकला तो देखा कि पत्नी और माया बाहर खड़ी थी। पत्नी बोली कि देखा माया यह है इन के आराम करने का तरीका। मैंने कहा कि नींद आना रोकने का मुझे यही तरीका समझ आया सो इस काम में लग गया। देखो अब मुझे नींद नहीं आ रही है।
माया बोली कि लगता है आप को काम करने का रोग है, बिना काम के आप रह नहीं सकते। मैंने कहा कि हो सकता है लेकिन यह सब काम मेरी रुटिन में शामिल है छुट्टी के दिन में यह सब करता हूँ अगर विश्वास ना हो तो अपनी बहन से पुछ लें। पत्नी नें हाँ में सर हिलाया। माया बोली कि चलों अब तो बाथरुम खाली कर दो मुझे नहाने जाना है।
मैंने हँस कर कहा कि तुम्हारें ही लिये तो इसे सही कर रहा था अब नहा कर इन का मजा लो। मेरी बात सुन कर दोनों हँस पड़ी और माया कपड़ें लेने चली गयी। पत्नी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेडरुम में ले गयी और बोली कि अब तुम आराम करो। आज का काम हो गया। उस की इस बात पर मैं मुस्करा कर रह गया। बेड पर लेट कर पत्नी से बोला और कोई हूकुम सरकार?
वह बोली कि अपने को आराम दो, ना कि उसे और थकाओ। मैंने इस का कोई जवाब नहीं दिया। हमारी बातचीत चल रही थी कि तभी माया नहा कर आती दीख गयी। उस ने गीले बाल तोलिये से लपेट रखे थे। इस से वह बड़ी सुन्दर लग रही थी।
मुझे अपने को घुरता देख कर उस ने मेरी तरफ आँखें तरेरी। मैंने अपनी नजर उस पर से हटा ली। उस ने पत्नी से पुछा कि कहा बहस चल रही है, पत्नी बोली कि मैं इन को आराम करने को कह रही थी। यह कुछ कह ही नहीं रहें।
मैंने कहा कि मुझे लगा कि खाली बैठने से शायद नींद आ रही है, इसी लिये मैं घर का काम करने बैठ गया था, और कोई बात नहीं है। मुझे अब नींद नहीं आ रही है, शाम तक देखते है कि क्या होता है? मेरी बात पर दोनों कुछ नहीं बोली। मैंने माया को कहा कि वह भी बैठ जाये और ध्यान से मेरी बात सुने और अगर कुछ गलत है तो मुझे बताये।
वह बेड के कोने पर बैठ गयी। फिर बोली कि हो सकता है कि आप की बात सही हो, लेकिन आप ने छुट्टी आराम करने के लिये ली है ना कि काम करने के लिये। मैंने कहा कि तुम दोनों सही कह रही हो, अब मैं कोई काम नहीं करुँगा। लेकिन मुझे कोई ना कोई काम तो करना पड़ेगा जिस से मैं बोर ना होऊँ।
पत्नी बोली कि तुम्हें किताबें पढ़ना बहुत पसन्द है, इतनी बड़ी लाईब्रेरी बना रही है, वह किस दिन काम में आयेगी। उस में से कोई किताब लेकर पढ़ना शुरु कर दो। मुझे उसकी यह राय पसन्द आयी और ड्राइग रुम में जा कर अलमारी में से एक किताब निकाल कर बेडरुम में लौट आया। यह देख कर पत्नी माया से बोली कि अब हम दोनों की सौत आ गयी है, जब तक यह इसे खत्म नहीं कर लेगें तब तक हम दोनों की तरफ ध्यान नहीं देगें।
यह सुन कर माया मुस्करा कर बोली कि इस सौतन का इलाज है। अभी तो इन दोनों को मजें करने दो। मैं बेड पर लेट कर किताब पढ़ने लग गया। किताब आधी खत्म हुई थी कि माया आ कर बोली कि खाना लग गया है खाने आ जाओ। मैं किताब रख कर खाना खाने उस के साथ चल दिया।
मेज पर खाना लगा हुआ था। पत्नी बोली कि आज तुम्ही पसन्द के राजमा चावल बनाये है। मैं राजमा चावल खाने लग गया। राजमा बढ़िया बने थे। मैंने पुछा कि किस ने बनाये है? तो पत्नी ने पुछा कि तुम्हें पता नहीं चला? मैंने ना में सर हिलाया तो वह बोली कि माया ने बनाये है। मैंने कहा कि इस लिये तो पुछा था क्योंकि तुम्हारें हाथ के बने राजमा का स्वाद मुझे पता है। यह नया स्वाद है। माया बोली कि अब आप इतनी तारीफ ना करो। मैंने कहा कि राजमा अगर बढ़िया बना होता है तो मैं तारीफ किये बगैर रह नहीं सकता।
माया को कुछ याद आया तो बोली कि अब आप को कैसा लग रहा है? मैंने उसे बताया कि सही लग रहा है, थकान नहीं है। वह बोली कि आप मानसिक रुप से थक गये थे। आराम करेगें तो सही हो जायेगे। मैंने कहा कि शायद तुम सही कह रही हो। मानसिक तनाव ने शरीर को तोड़ दिया है। हमारी बातचीत चलती रहती, तभी पत्नी नहा कर आ गयी।
वह मुझे देख कर बोली कि अब आप का नंबर है नहा कर आओं। हो सके तो हल्के गरम पानी से नहा लेना मैंने पानी गरम कर दिया है। गर्म पानी से नहाने से शरीर खुल जाता है। माया ने तब तक मेरे कपड़ें निकाल लिये थे वह उन्हें बाथरुम में टाँगने चली गयी। मैं बेड से उठा तो मैंने देखा कि बेड की चद्दर का हाल बुरा था वह दागों से भर गयी थी। मैं नहाने के लिये चला गया।
जब नाश्ता करने बैठे तो माहौल अलग था हमारे मनों में जो डर था वह खत्म हो गया था। आगे कैसे बढ़ना था वह समय के गर्भ में था। पत्नी बोली कि आज आप सारे दिन आराम करो, टीवी देखो, फिल्म देखो, म्युजिक सुनों लेकिन कुछ काम मत करो, कुछ सोचों मत। हम दोनों बाजार जा रहे है। कुछ तुम्हारें लिये लाना हो तो बता दो? मैंने कहा कि कुछ याद नहीं आ रहा है अगर याद आया तो फोन कर दूँगा।
पत्नी बोली कि आज पार्टी बनती है क्या पीना है तुम तो बीयर पीते हो, आज हम भी पी कर देख लेते है। कौन सी बीयर लाये? मैंने उसे नाम बता दिया। वह बोली कि और कुछ लाना है तो मैंने कहा कि केक लेते आना, उसे मेरा विचार पसन्द आया। मैं टीवी देखने लग गया और वह दोनों तैयार हो कर बाजार चली गयी। कुछ देर बाद मैं थक गया और वही पर लेट गया। कब नींद आ गयी मुझे पता नहीं चला।
मेरी आँख डोरबेल की आवाज से खुली, जब जा कर दरवाजा खोला तो देखा कि दोनों हाथों में सामान के थेलें लिये खड़ी थी। पत्नी बोली कि बड़ी देर कर दी आते-आते। मैंने बताया कि आँख लग गयी थी, इसी वजह से दरवाजा खोलने में देर हो गयी। घर के अंदर आ कर माया ने जल्दी से सामान रखा और मेरा हाथ पकड़ कर देखा कि कहीं बुखार तो नहीं है लेकिन ऐसा कुछ नहीं था वह बोली कि ब्लडप्रेशर भी नाप लेते है सो मशीन लेने चली गयी।
पत्नी भी उसी के साथ चली गयी, दोनों मशीन ले कर आ गयी और मेरा ब्लडप्रेशर चैक करने लग गयी। वह भी सही था मैंने कहा कि टीवी देख कर आँखें थक गयी थी, इस लिये लेट गया था और नींद आ गयी इस में चिन्ता की कोई बात नहीं है, लेकिन दोनों के माथे से चिन्ता की लकीरें नहीं गयी। दोनों ने तय किया कि अब से एक घर में रहा करेगा। दोनों एक साथ बाहर नहीं जायेगी।
माया कोल्ड ड्रिक लाने के लिये किचन में चली गयी और ड्रिक ले कर आ गयी, दोनों भी काफी थक गयी थी सो ठंड़ा कोल्ड ड्रिक पी कर दोनों को राहत मिली। मैं भी उसे पी कर बढ़िया महसुस कर रहा था। मैंने दोनों से पुछा कि इतनी सारी क्या खरीदारी कर ली? तो जबाव मिला कि कुछ तुम्हारें कपड़ें खरीदे है, कुछ माया के लिये खरीदा है और कुछ मैंने अपने लिये लिया है। माया बोली कि बीयर भी ले आये है। यह सुन कर मुझे खुशी हुई।
पत्नी ने माया के लिये नई साड़ी खरीदी थी। एक साड़ी माया ने पत्नी के लिये खरीदी थी। मैंने माया से कहा कि यह तो साड़ी पहनती नहीं है तो वह बोली कि अब पहनेगी। पत्नी बोली कि कोई साड़ी दिलाते तो है नहीं, ना पहनने का ताना मारते रहते है। मैंने कहा माया तुम गवाह हो, अब मैं साड़ियों की लाइन लगा दूँगा, देखता हूँ कि यह कितनी पहनती है। दोनों हँसने लग गयी। मेरे लिये नाइट सुट भी लाई थी। देखा कि कई जोड़ी ब्रीफ भी खरीदी गयी थी। लेकिन किसी ने बताया नहीं कि क्यों खरीदी है? मैंने भी पुछना सही नहीं समझा।
पत्नी दोपहर का खाना बनाने चली गयी। मैं और माया बात करने लगे। माया बोली कि आप ने अपनी दवाई खा ली है तो मैंने उसे बताया कि सुबह वाली तो खा ली थी, दोपहर वाली खाना खाने के बाद खाता हूँ। माया ने मेरे हाथ अपने हाथ में लेकर उन्हें सहलाया और फिर चली गयी। मैं टीवी पर अपनी मनपसन्द फिल्म लगा कर बैठ गया और उस का मजा लेता रहा।
पत्नी जब दाल-चावल बना कर लायी तो फिल्म खत्म होने को थी। मैंने उसे पॉज कर दिया और मेज पर आ गया। माया भी आ गयी थी। हम सब खाना खाने लगे तो माया बोली कि आप सुबह जुस लिया करो इस लिये हम फल ले कर आये है, आप के खाने की आदत भी बदलनी पड़ेगी ताकि आप को सम्पुर्ण आहार मिल सके किसी चीज की कमी ना हो। मैं उस की बात सुनता रहा।
मैंने पत्नी से पुछा कि माया को साड़ी किस खुशी में दिलवाई है तो जबाव मिला कि है कोई बात, अब हर बात तुम्हें नहीं बतायी जा सकती। मैंने अपना ध्यान खाने में लगा दिया। खाना खाने के बाद खरबुजा खा कर मैं फिर से फिल्म देखने बैठ गया। पत्नी आराम करने चली गयी। माया भी चली गयी लेकिन फिर कुछ देर बाद मेरे साथ आ कर बैठ गयी।
मैं उस का हाथ अपने हाथ में ले कर सहलाता रहा फिर उसे चुम लिया। वह बोली कि दीदी ने बताया नहीं है इस लिये नाराज तो नहीं हो? मैंने कहा कि नहीं लेकिन अनुमान लगा सकता हूँ कि किस लिये दिलाई होगी? वह हँस पड़ी कि बताओ? मैंने कहा कि कल की घटना की खुशी में दिलवाई है या नहीं?
वह शर्माकर बोली कि हाँ यही बात है वह बोली कि तु तो अब सौतन हो गयी हैं, इसी खुशी में नई साड़ी तो बनती है। उन्होंनें हमारे रिश्तें पर मुहर लगा दी है, इसी वजह से मैंने भी अपनी बड़ी बहन को साड़ी दी है। धन्यवाद कहा है।
मैं बोला कि यह तो सही है लेकिन जो मुख्य कारण है उसे किसी ने कुछ नहीं दिया तो वह आँखें तरेर कर बोली कि दो-दो बीवी मिल गयी है इस के बाद तुम्हें और क्या चाहिये? मैंने कहा हाँ भई इतनी बड़ी बात हो गयी है अब और क्या चाहिये। मैं चुपचाप फिल्म देखने लग गया। माया बोली कि और कुछ भी लायी हूँ लेकिन वह बाद में दिखाऊँगी। मैंने कुछ नहीं कहा।
वह कुछ देर बैठ कर वापस चली गयी। मेरे को समझ नहीं आ रहा था कि रात को इन दोनों के साथ सोने का क्या कार्यक्रम रहेगा। बीवी के साथ ना सोओं तो वह नाराज होगी और माया के साथ ना सोओं तो यह नाराज, मैं क्या करुँ यह समझ नहीं आ रहा था। मुझे आशा थी कि पत्नी ही इस समस्या का कोई हल निकाल सकती है। रात को उसी से बात करनी पड़ेगी। यहीं सोचते सोचते मेरी आँख फिर लग गयी। अभी भी कमजोरी कहो या कमी, नींद कुछ ज्यादा ही आ रही थी।
कुछ देर बाद ही माया ने मुझे उठा दिया और हाथ पकड़ कर अपने कमरें में ले गयी और बेड पर बिठा कर बोली कि यहाँ पर सो जाओ। वहाँ दीदी सो रही है तुम्हारे जाने से जाग जायेगी। मैं लेट गया और माया का हाथ पकड़ कर उसे भी लिटा लिया। वह बोली कि रात को करेगें अभी तुम सो जाओ। मैंने कहा कि अब मुझे नींद नहीं आयेगी तो वह बोली कि तुम्हारा क्या करें, बेड पर नींद नहीं आती है और टीवी देखते में सो जाते हो।
मैंने कहा कि मुझे भी नहीं पता क्या बात है लेकिन जो है सो है। वह मुझ से लिपट गयी और बोली कि कल तो तुम ने मेरी जान ही निकाल दी थी। जोड़-जोड़ दर्द कर रहा है। बहुत ताकत है, मैंने उसे बताया कि कोई खास बात तो नहीं थी केवल दूसरी बार संभोग करने पर ज्यादा देर में स्खलित होते है ऐसा ही हुआ था। फिर तुम्हें सेक्स की आदत नहीं है इसी कारण से ज्यादा दर्द हो रहा होगा।
मैंने मजाक में कहा कि सुहागरात में तो ऐसा होता ही है तो उस ने मेरे सीने पर घुसें मारनें शुरु कर दिये। उस की मार से बचने के लिये मैंने उसे अपनी छाती से चिपका लिया। उस के होंठों ने मेरी छाती पर अपनी छाप लगानी शुरु कर दी। फिर उस के होंठ मेरे होंठों से जुड़ गये और हम दोनों लम्बें चुम्बन में डुब गये। जब साँसे फुल गयी तब जा कर अलग हुये।
उस ने कहा कि मेरी चुटकी काटों मुझे लग रहा है कि मैं सपना देख रही हुँ। मैंने उस की बाँह में चुटकी काटी तो वह बोली कि नहीं सपना नहीं है लेकिन सब कुछ सपने जैसा है। तुम को इतने सालों से दूर-दूर से चाहना। तुम्हारें बारें में जानना और फिर मन को मार लेना। क्या-क्या नहीं किया है मैंने। लेकिन सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी तुम्हारी हो पाऊँगी। मैं तो उस रात के मिलन से ही संतुष्ट थी। लेकिन भाग्य ने जैसे हम दोनों को मिलाने का सोच रखा था, सब कुछ होता गया और आज मैं तुम्हारी बगल में हूँ।
तुम ने कभी मेरे बारें में सोचा था। मैंने कहा कि माया मैं कुछ सोचने की अवस्था में नहीं था। उस घटना के बाद तुम इतनी रहस्यमयी हो गयी थी कि मैं तुम्हें समझ नहीं पा रहा था। परिस्थितियाँ भी ऐसी नहीं थी कि कुछ और सोचा जा सके, लेकिन मन में किसी कोने में आस थी कि कभी तो तुम्हारा फोन आयेगा। इस से ज्यादा मत पुछों जो हो रहा है उस के साथ बहों, उस का मजा लो।
वह कुछ बोली नहीं उस के होंठ मेरी गरदन पर अपनी छाप लगाते रहे। मैं इस सब से उत्तेजित हो रहा था, लेकिन रात के लिये अपनी शक्ति बचा कर रखना चाहता था, क्या पता दोनों को संतुष्ट करना पड़ें। माया को तो ज्यादा भुख थी, लेकिन लग रहा था कि उसे देख कर पत्नी की प्यास भी जग गयी थी। मेरे लिये अच्छा भी था और कठिन भी था लेकिन इस का सामना तो करना ही था।
बीमारी की अवस्था में अपने को ज्यादा थका कर हालात खराब नहीं करना चाहता था। इसी लिये माया को उसके मन की करने देता रहा। वह भी शायद मेरे मन की बात समझ गयी थी इस लिये कुछ देर बाद उठ कर चाय बनाने चली गयी। मैं उठ कर बाथरुम चला गया। लिंग तनाव से पुरा तन कर कठोर हो गया था।
उस से पेशाब करना मुश्किल हो गया। उस तनाव को कम करके निकला तो पत्नी के पास गया वह अभी भी लेटी थी, मेरी आहट पर कर उठ कर बैठ गयी और बोली कि नींद आ रही है तो आराम से क्यों नहीं लेटते, सोफे पर अधलेटे सो रहे हो। मैंने उसे बताया कि नींद चली गयी है, इस लिये चाय पीने आ गया हूँ माया चाय बना कर ला रही है। कुछ देर बाद माया चाय ले कर आ गयी।
चाय पीने के बाद पार्टी के लिये खाना बाहर से मँगाना तय हुआ, मीनू भी तय कर लिया गया। सात बजे के बाद खाना ऑडर कर दिया गया। आठ बजे खाना आ गया। इस के बाद बीयर को गिलासों में डाल कर चीयर्स के साथ पार्टी शुरु हो गयी। कुछ देर मैं और पत्नी गाने पर नाचते रहे फिर माया भी मेरे साथ नाचने आ गयी। पत्नी ने मुझे बताया कि माया बहुत अच्छा नाचती है तो वह फिल्मी गाने पर नाचने को तैयार है गयी।
मैं और पत्नी दोनों दर्शक बन कर उसका डान्स देखने लगे। वह वाकये में बहुत बढ़िया डान्स करती थी। कुछ देर बाद वह थक कर बैठ गयी, बीयर का नया दौर शुरु हो गया। बोतलें खाली होती रही। जब खुब नशा चढ़ गया तो पत्नी बोली कि अब पीना बंद, खाना खाते है।
वह और माया मेज पर खाना सजाने लगें। कई तरह की डिश होने के कारण काफी सारा खाना मेज पर था लेकिन शायद नशे और भुख के कारण हम तीनों सारा खाना चट्ट कर गये। खाना खत्म होते होते काफी रात बीत गयी थी।
पत्नी बोली कि मैं तो सोने जा रही हूँ मैंने उस के कान में कहा कि आज मैं माया के साथ सो रहा हुँ तो उस ने सर हिलाया और चली गयी। मैंने और माया ने खाने के बरतन किचन में रखे और मैं दरवाजें पर ताला लगाने चला गया। जब कमरे की तरफ जा रहा था तो माया के कान में कहा कि कपड़ें बदलना नहीं।
वह मुस्कराती हुई चली गयी। नशे के कारण मैं भी झुम सा रहा था लेकिन माया के कमरें में जा कर बेड पर लेट गया। माया कुछ देर बाद आयी और उस ने दरवाजा बंद कर दिया। वह आ कर मेरी बगल में लेट गयी। कुछ देर ऐसे ही लेटी रही फिर बोली
आज क्या इरादा है, जो कपड़ें भी नहीं बदलने दे रहे हो?
इरादा तो नेक है।
है क्या?
कुछ खास नहीं है
लेकिन है
हाँ है तो सही
बताओंगें नहीं
अभी पता चल जायेगा
पास आओ ना
पास तो हुँ
और पास आओं
खुद ही पास आ जाओ
मैं उस को पास खिचँने के लिये खिसका तो मुझे चक्कर से आने लगे, लगा कि शायद नशा हो रहा है लेकिन तभी फैसला किया कि आज रात कुछ नहीं करना है, केवल आराम करना है, यही सोच कर माया को सीने से लगाया और उस के कान में कहा कि आज कुछ नहीं करना, सोते है। वह भी शायद यही चाहती थी सो मेरे सीने में मुँह छुपा कर लेट गयी। कुछ ही देर में हम दोनों गहरी नींद में चले गये। हमें नहीं पता चला कि रात कब बीत गयी।
सुबह के अलार्म से मेरी नींद टुटी तो देखा कि माया अभी भी मेरे से चिपकी सो रही थी उस की बाँहें मेरी कमर पर और पेर मेरे पेरों पर थे। अगर मैं हिलता तो वह जग जाती इस लिये मैं ऐसे ही पड़ा रहा लेकिन कुछ देर बाद उस की आँख भी खुल गयी और मुझे अपने आप को देखता देख कर वह बोली कि क्या देख रहे हो? मैंने कहा कि तुम सोते में अच्छी लग रही थी सो निहार रहा था, वह मुझे नकली मुक्का मारते हूऐ बोली कि चलो हटो, बातें ना बनाओ, मैंने कहा कि सच्ची बात कही है तुम्हारी मर्जी मानो या ना मानों। वह उठी और मेरा चुम्बन ले कर बोली कि
आप इतने रोमांटिक कब से हो गये?
जब से तुम मेरी जिन्दगी में आयी हो रोमान्स वापस आ गया है।
वह बोली कि सुबह-सुबह बटरिग बंद करो कुछ मिलेगा नहीं। मैंने कहा कि बंदा कुछ चाह ही नहीं रहा है। उसे सब कुछ बिना चाहे मिल गया है। माया खड़ी हो कर अपने कपड़ें सही करती हूई बोली कि रात को कपड़ें भी नहीं बदलने दिये। मैंने कहा कि तुम्हें पता चल जायेगा कि क्यों नहीं बदलने दिये थे। लेकिन कल रात थकान के कारण प्रोग्राम बदल दिया था।
वह कुछ-कुछ समझ कर मुस्कराई और बोली कि मैं चाय बना कर लाती हूँ। यह कह कर वह चली गयी। मुझे पता था कि पत्नी अभी सो रही होगी सो उसे जगाना उचित नहीं समझा। मैं भी उठ कर कपड़ें सही कर के बाहर चला आया और दरवाजों पर लगे तालें खोलने लगा। बाहर अभी भी हल्का अंधेरा था सूरज निकला नहीं था, लेकिन अपनी जल्दी उठने की आदत के कारण मैं जल्दी उठ गया था।
मेरी वजह से ही माया भी उठ गयी थी। मैं किचन में पानी पीने गया तो माया चाय बना रही थी मुझे देख कर बोली कि यहाँ क्या कर रहे हो? मैंने कहा कि पानी पीने आया हूँ तो वह बोली कि मुझ से क्यों नहीं कहा? माया मेरी आदत ना बिगाड़ों, यह मेरी रोज की आदत है कि सुबह उठ कर दो गिलास पानी पीता हूँ उस के बाद कुछ और करता हूँ, सो कर रहा हुँ, तुम्हें धीरे-धीरे मेरी सारी आदतें पता चल जायेगी। वह मुस्करा दी। मैं पानी पी कर वापस कमरें में चला गया।
कुछ देर बाद माया चाय लेकर आ गयी और हम दोनों चाय पीने लगे। माया बोली कि कल तो इतनी थकान थी कि रात को एक बार भी आँख नहीं खुली। मैंने कहा कि बीयर और खाने के नशे नें कुछ और करने लायक ही नहीं छोड़ा था। वह हँस कर बोली कि या तो पार्टी कर लो या कुछ और काम।
चाय पीने के बाद मुझे फिर से नींद सी आने लगी तो मैं दोबारा लेट गया। माया बोली कि क्या बात है? मैंने उसे बताया कि कुछ नहीं, बस नींद सी आ रही है वह बोली कि चाय के बाद नींद तो नहीं आनी चाहिये। सोओ मत, मैं अखबार ले कर आती हूँ उसे पढ़ लो नींद चली जायेगी। मुझे उस की राय पसन्द आयी और मैं अखबार लेने बाहर चला गया।
अखबार अभी आया नहीं था। इस लिये वापस लौट आया। कमरे में घुसा सो माया पीछे से मेरे से लिपट गयी और ऐसे ही खड़ी रही। मैंने भी उसे छेड़ा नहीं। शायद वह मेरे शरीर को अनुभव करना चाहती थी। कुछ देर बाद वह अलग हो गयी। इस बार मैंने उसे अपने आलिंगन में कस लिया और हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही खड़ें रहे।
दोनों के शरीर एक-दूसरें की तपन का, उतार चढ़ाव का अनुभव कर रहे थे इस से अधिक कुछ करने की आवश्यकता भी नहीं थी। इस के बाद माया के कान में शायद अखबार गिरने की आवाज आयी थी सो वह अखबार लेने चली गयी, और आ कर मेरे हाथों में अखबार थमा कर बाहर चली गयी। मैं भी बिस्तर पर बैठ कर अखबार पढ़ने में मग्न हो गया।
पत्नी की आवाज सुन कर मैंने सर ऊठा कर देखा तो पत्नी बिस्तर की चद्दर को ध्यान से देख कर बोली कि क्या हुआ? मैंने उसे बताया कि कुछ नहीं हुआ। वह बोली क्यों? मैंने उसे बताया कि नींद बहुत जोर से आ रही थी इसी लिये आते ही सो गये। वह बोली कि नींद तो मुझे भी जोर से आयी थी अभी माया के जगाने पर जगी हूँ, नहीं तो ना जाने कब तक सोती रहती।
वह भी मेरे पास बैठ कर अखबार पढ़ने लगी। हम दोनों को अखबार पढ़ता देख कर माया बोली कि लगता है जीके का कोई एक्जाम देना है आप दोनों को। मैंने उसे बताया कि यह हमारा रोज का रुटिन है, चाय पीते-पीते अखबार पढ़ना। वह बोली की आदत तो बुरी नहीं है। कुछ देर बाद मैं उठ कर नित्यक्रम के लिये चल दिया।
माया बोली कि यह बात है कि बिना चाय पीये और अखबार पढ़े कुछ होता नहीं है। मैंने हँस कर कहा कि तुम कुछ भी कह लो लेकिन सच यहीं है। पत्नी ने माया को हाथ पकड़ कर उसे अपने पास बिठा लिया और मैं बाथरुम में चला गया। वहाँ से आ कर नहाने के लिये चलने लगा तो माया बोली कि आप के कपड़ें और तौलिया अंदर ही है। उस की बात सुन कर पत्नी के होठों पर मुस्कान फैल गयी। मैं बाथरुम में नहाने के लिये घुस गया।
नहा कर जब बाहर आया तो कमरे में देखा कि दोनों बहनें अभी तक बातें कर रही थी। मुझे देख कर बोली कि कपड़ें यहीं बदल लो। मैं अपने कपड़ें निकाल कर पहनने लग गया दोनों मुझे देखती रही। माया बोली कि दीदी यह रोज ऐसा ही करते है। पत्नी बोली कि हाँ इन की इस आदत को बदल नहीं पायी हूँ।
मैंने कहा कि तुम स्त्रियाँ हम पुरुषों को अपने अनुसार तो बदलना चाहती हो लेकिन खुद हमारे अनुरुप नहीं ढ़ल पाती, ऐसा क्यों? मेरी बात सुन कर माया बोली कि क्योकिं हमें पता है कि सही क्या है और गलत क्या। पत्नी नें भी हँस कर गरदन हिला कर उस की बात का समर्थन किया। मैं भी हँस दिया।
इस के बाद माया भी नहाने चली गयी। पीछे से पत्नी ने मुझ से पुछा कि रात को क्या हुँआ? मैंने कहा कि तुम्हें बताया तो था कि कुछ नहीं हुआ, थके होने के कारण हम दोनों सो गये थे। सुबह अलार्म की आवाज से ही नींद खुली थी। वह बोली कि मुझे लग रहा है कि तुम्हें पुरा आराम करना चाहिये। आज से माया मेरे साथ सोयेगी और तुम अकेले सोना। तुम्हारा शरीर बहुत थका हुआ है, शारीरिक संबंध बनाने की शक्ति अभी नहीं है।
मैंने उस की बात से सहमति जतायी और कहा कि कुछ दिन तुम्हारी बात मान कर देखते है। वह बोली कि मेरी बात सही ही होती है। मैंने मन में सोचा कि यह कह तो सही रही है, इस की बात अंत में सही ही निकलती है। मैं बिस्तर पर लेट गया और उस से बोला कि अगर सो जाँऊ तो नाश्ते के लिये जगा लेना, इस पर वह बोली कि मैं कमरा बंद करके जा रही हूँ, तुम आराम से सो जाओ। जब नाश्ता बन जायेगा तो तुम्हें जगा दूँगी। यह कह कर वह कमरा बंद करके चली गयी। मुझे भी नींद आ रही थी इस लिये मैं भी सो गया।
किसी के हिलाने पर मेरी नींद टूटी, आँख खोली तो देखा कि माया मुझे हिला कर जगा रही थी। मैं उठ कर बेड पर बैठ गया। माया मेरे पास बैठ कर बोली कि मुझे समझ नहीं आ रहा कि दो दिन पहले तक तो आप बिल्कुल सही थे। अब क्या हो गया है? क्या मेरे आपके जीवन में आने से तो ऐसा नहीं हुआ है? मैं वैसे भी करमजली हुँ, मेरे भाग्य में कोई सुख लिखा ही नहीं है। यह कह कर वह रोने लगी।
मैंने उससे कहा कि माया तुम बात का पतंगड़ बना रही हो, डाक्टर को दिखा दिया है। कोई चिन्ता की बात नहीं है। यह कह कर मैंने उसे गले से लगा लिया और कहा कि रोना बंद करो। मेरी बात सुन कर वह चुप हो गयी।
फिर हम दोनों नाश्ता करने के लिये ड्राइग रुम में आ गये। पत्नी मेज पर नाश्ता लगा रही थी। माया का चेहरा देख कर बोली कि इसे क्या हुआ है? मैंने कहा कि तुम्हारी बहन है तुम्ही पुछ लो। पत्नी बोली कि पहले नाश्ता करों उस के बाद पुछती हूँ, यह कह कर उस ने माया को पकड़ कर कुर्सी पर बिठा दिया। हम तीनों नाश्ता करने लगे। मैंने कहा कि मेरी नींद को लेकर चिन्ता ना करों। थकान है कुछ दिन के आराम से सही हो जायेगी। नाश्ता खत्म होने तक कोई कुछ नहीं बोला।
नाश्ते के बाद मेरे ऑफिस से फोन आ गया, मैं उस में व्यस्त हो गया। उस के बाद मैंने पत्नी से पुछा कि कहीं चलने का इरादा है तो वह बोली कि नहीं अभी तुम आराम करो। हम दोनों घर के कुछ काम निबटा लेती है, उस के बाद कुछ सोचेगी। मैं अपने मनपसन्द के गाने लगा कर सुनने लगा। पत्नी तथा माया दोनों काम में लग गयी।
अपनी थकान को लेकर मैं भी मन ही मन में बहुत परेशान था लेकिन उन दोनों को अपनी परेशानी दिखाना नहीं चाहता था। मुझे यह भी पता था कि दवाईयों का असर होने में कुछ समय तो लगेगा ही। मन और शरीर को आराम देना ही एकमात्र उपाय नजर आ रहा था। मानसिक उलझन तो पत्नी ने सुलझा दी थी।
हाँ एक जिम्मेदारी बढ़ गयी थी लेकिन उस की तो मुझे आदत थी। तभी मुझे ध्यान आया कि मुझे अपनी दवाई खानी है, मैं उठने ही वाला था कि माया आती दिखायी दी। उस के हाथ में मेरी दवा थी। वह दवाई मेरे हाथ में दे कर बोली कि इसे खा ले। मैंने दवा ली और उसे खा लिया। वह पानी का खाली गिलास ले कर चली गयी। दवा खाने के बाद कुछ देर में बैठा रहा फिर सोचा कि व्यस्त रहने के लिये कुछ काम तो करना पड़ेगा।
यही सोच कर मैं बाथरुम यह देखने चला गया कि कुछ सही तो नहीं करना है, तो पता चला कि कई काम करने है। यह देख कर मैं अपना टूल बॉक्स ला कर खराब चीजों को सही करने लग गया। इन कामों में मेरा मन लगता था यह मुझे पता था। काफी समय लग गया सब कुछ सही करने में।
जब बाथरुम से निकला तो देखा कि पत्नी और माया बाहर खड़ी थी। पत्नी बोली कि देखा माया यह है इन के आराम करने का तरीका। मैंने कहा कि नींद आना रोकने का मुझे यही तरीका समझ आया सो इस काम में लग गया। देखो अब मुझे नींद नहीं आ रही है।
माया बोली कि लगता है आप को काम करने का रोग है, बिना काम के आप रह नहीं सकते। मैंने कहा कि हो सकता है लेकिन यह सब काम मेरी रुटिन में शामिल है छुट्टी के दिन में यह सब करता हूँ अगर विश्वास ना हो तो अपनी बहन से पुछ लें। पत्नी नें हाँ में सर हिलाया। माया बोली कि चलों अब तो बाथरुम खाली कर दो मुझे नहाने जाना है।
मैंने हँस कर कहा कि तुम्हारें ही लिये तो इसे सही कर रहा था अब नहा कर इन का मजा लो। मेरी बात सुन कर दोनों हँस पड़ी और माया कपड़ें लेने चली गयी। पत्नी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेडरुम में ले गयी और बोली कि अब तुम आराम करो। आज का काम हो गया। उस की इस बात पर मैं मुस्करा कर रह गया। बेड पर लेट कर पत्नी से बोला और कोई हूकुम सरकार?
वह बोली कि अपने को आराम दो, ना कि उसे और थकाओ। मैंने इस का कोई जवाब नहीं दिया। हमारी बातचीत चल रही थी कि तभी माया नहा कर आती दीख गयी। उस ने गीले बाल तोलिये से लपेट रखे थे। इस से वह बड़ी सुन्दर लग रही थी।
मुझे अपने को घुरता देख कर उस ने मेरी तरफ आँखें तरेरी। मैंने अपनी नजर उस पर से हटा ली। उस ने पत्नी से पुछा कि कहा बहस चल रही है, पत्नी बोली कि मैं इन को आराम करने को कह रही थी। यह कुछ कह ही नहीं रहें।
मैंने कहा कि मुझे लगा कि खाली बैठने से शायद नींद आ रही है, इसी लिये मैं घर का काम करने बैठ गया था, और कोई बात नहीं है। मुझे अब नींद नहीं आ रही है, शाम तक देखते है कि क्या होता है? मेरी बात पर दोनों कुछ नहीं बोली। मैंने माया को कहा कि वह भी बैठ जाये और ध्यान से मेरी बात सुने और अगर कुछ गलत है तो मुझे बताये।
वह बेड के कोने पर बैठ गयी। फिर बोली कि हो सकता है कि आप की बात सही हो, लेकिन आप ने छुट्टी आराम करने के लिये ली है ना कि काम करने के लिये। मैंने कहा कि तुम दोनों सही कह रही हो, अब मैं कोई काम नहीं करुँगा। लेकिन मुझे कोई ना कोई काम तो करना पड़ेगा जिस से मैं बोर ना होऊँ।
पत्नी बोली कि तुम्हें किताबें पढ़ना बहुत पसन्द है, इतनी बड़ी लाईब्रेरी बना रही है, वह किस दिन काम में आयेगी। उस में से कोई किताब लेकर पढ़ना शुरु कर दो। मुझे उसकी यह राय पसन्द आयी और ड्राइग रुम में जा कर अलमारी में से एक किताब निकाल कर बेडरुम में लौट आया। यह देख कर पत्नी माया से बोली कि अब हम दोनों की सौत आ गयी है, जब तक यह इसे खत्म नहीं कर लेगें तब तक हम दोनों की तरफ ध्यान नहीं देगें।
यह सुन कर माया मुस्करा कर बोली कि इस सौतन का इलाज है। अभी तो इन दोनों को मजें करने दो। मैं बेड पर लेट कर किताब पढ़ने लग गया। किताब आधी खत्म हुई थी कि माया आ कर बोली कि खाना लग गया है खाने आ जाओ। मैं किताब रख कर खाना खाने उस के साथ चल दिया।
मेज पर खाना लगा हुआ था। पत्नी बोली कि आज तुम्ही पसन्द के राजमा चावल बनाये है। मैं राजमा चावल खाने लग गया। राजमा बढ़िया बने थे। मैंने पुछा कि किस ने बनाये है? तो पत्नी ने पुछा कि तुम्हें पता नहीं चला? मैंने ना में सर हिलाया तो वह बोली कि माया ने बनाये है। मैंने कहा कि इस लिये तो पुछा था क्योंकि तुम्हारें हाथ के बने राजमा का स्वाद मुझे पता है। यह नया स्वाद है। माया बोली कि अब आप इतनी तारीफ ना करो। मैंने कहा कि राजमा अगर बढ़िया बना होता है तो मैं तारीफ किये बगैर रह नहीं सकता।