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वन नाईट स्टैंड
#6
UPDATE 5

पत्नी ने मुझ से कहा कि माया कुँवारी की तरह है, इस से प्यार आराम से करना, मेरी तरह ताकत मत लगाना इस बात का ध्यान रखना। यह कह कर वह बीच में से उठ कर बेड से उतर गयी और बोली कि मैं कपड़ें पहनने जा रही हूँ, तुम दोनों प्यार करों।

मैंने उसे रोका और कहा कि अभी इतनी जल्दी कहाँ प्यार कर पाऊँगा तो वह बोली कि चलों चाय पीते है। हम तीनों नंगें चाय पीने लग गये। माया चुप थी। पता नहीं क्या सोच रही थी। सकुचायी सी एक तरफ बैठी चाय पीने लगी।

चाय पीने के बाद पत्नी चाय के कप ले कर कमरे का दरवाजा बंद करके चली गयी। लग रहा था कि वह शायद आयेगी नहीं, लेकिन हम दोनों में से कोई श्योर नहीं था। लेकिन कुछ पल पहले का घटना क्रम हैरान करने वाला था, मुझे अभी तक समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ है?

पत्नी ने जो कुछ कहा था, उसका मतलब था कि वह सब कुछ जानती थी और आज शायद उसे इस से बढ़िया मौका नहीं मिला हम दोनों पर सच जाहिर करने का। अब जो होना था सो हो चुका था, उस से आगे बढ़ने का समय था।

मैंने आगे बढ़ कर माया को अपनी बाँहों में ले लिया और वह मेरी बाँहों में समा गयी। हम काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे और अपने शरीरों को महसुस करते रहे। कुछ और करने की जरुरत ही नहीं लग रही थी। फिर मैंने उस के होंठों को चुम लिया जो लरज रहे थे कि कोई उन्हें चुमे।

उस का मुँह जरा सा खुला और मेरे होंठ ने उस के ऊपरी होंठ को कस कर जकड़ लिया और उसे चुसना शुरु कर दिया। फिर नीचे वाले होंठ की बारी आयी, इसके बाद माया की जीभ मेरे मुँह में अठखेलियाँ करने लगी।

मेरे होंठों ने उसी की गरदन पर गहरा चुम्बन लिया और वहाँ अपनी छाप लववाईट के रुप में छोड़ दी। इस के बाद कालर बॉन को चुम कर उस के उरोजों के मध्य चुमते हुये होंठ उस के तने निप्पलों का रस पीने लगे। इतना जोर लग रहा था कि माया आहहहहहहहहहहह करने लग गयी थी।

मेरे हाथ उस के उरोजों की नपायी कर रहे थे, पत्नी की अपेक्षा उस के उरोजों का कसाब ज्यादा था। उस के कारण मुझे ज्यादा मजा आ रहा था। उरोजों का मनचाहा मर्दन करने के बाद मेरा मुँह उस की कमर पर पहुँच गया उस की सपाट कमर पर होंठों की छाप छोड़ कर मैंने उस की नाभी में अपनी गरम साँसे छोड़ी। इस दौरान मेरे हाथ उस की केले के तने के समान भरी हुई जाँघों को सहला रहे थे। जाँघों के मध्य की गहराई में मेरी जीभ ने प्रवेश किया और उस को उसका मनपसन्द स्वाद मिल गया।

मैंने योनि के दोनों लिप्स को अलग करके जीभ को योनि के अंदर गहरे में घुसेड़ दिया। उत्तेजना के कारण माया ने मेरे सर के बाल पकड़ कर मेरा मुँह अपनी जाँघों के बीच में चिपटा लिया। उस के पाँव मेरी कमर पर कस गये थे। शायद यह मजा उसे पहली बार मिल रहा था इस लिये उस का सारा शरीर कांप रहा था।

कुछ देर तक योनि का स्वाद लेने के बाद मैंने अब उस की भरी हुई जाँघों को चुम कर उस के पंजों को चुमा और उस के पाँव की हर उँगली को होंठ में ले कर चुसा। फिर उसे पेट के बल कर के उस के कुल्हों पर होंठों की छाप छोड़ी और उन की गहराईयों में अपनी जीभ फिरायी तो माया तड़फ गयी।

मैं ऊपर की तरफ उस की पीठ को जीभ से चाटता हुआ उस की गरदन के पीछे पहुँचा और उस को चुम कर उसे पलट लिया। मेरा लिंग उस के मुँह पर था सो उस ने हाथ से उसे पकड़ कर सहलाया और धीरे से उस की चोटी को चुमा। लिंग तो अभी पिछले संभोग के कारण ढीला पड़ा था लेकिन उस के चुम्बन से वह फिर से तन गया।

उत्तेजना के कारण लिंग मे से प्रीकम निकल रहा था। माया की जीभ उसे चाट गयी। फिर अचानक माया ने लिंग को पुरा निगल लिया और उसे लालीपॉप की तरह चुसना शुरु कर दिया। अब मेरी आह निकल रही थी। संभोग के लिये दूबारा तैयार होने में समय लगता है लेकिन मैं अब पुरी तरह से दूसरी बार के लिये तैयार था।

मैंने अपना लिंग उस के मुँह से निकाला और उस की जाँघों के बीच बैठ कर उस की योनि को लिंग से दो चार बार सहलाया और लिंग का सुपारा उस की योनि में डाल दिया। योनि तो कसी हुई थी लेकिन लिंग पहली बार में ही अंदर चला गया। दूसरे झटकें में मैंने पुरा लिंग योनि में घुसेड़ दिया, माया ने आहहहहहहहहह उईईईईईईईईईईईई आहहहहहहहहह करना शुरु कर दिया।

पुरा लिंग अंदर डालने के बाद मैं रुका और फिर मैं धीरे-धीरे धक्कें लगाने लगा। माया भी नीचे से अपने कुल्हों को उठा कर मेरा साथ दे रही थी। कुछ देर बाद मैं अपने शरीर को सीधी लकीर में कर के जोर जोर से धक्के लगाने लगा।

माया जोर-जोर से कराहने लगी। माया शायद स्खलित भी हो चुकी थी इसी कारण से कमरे में फच-फच की आवाज आ रही थी। मेरा सारा ध्यान धक्कें लगाने पर था, जोर के प्रहार की वजह से माया ने अपने नाखुन मेरी पीठ के मांस में घुसेड़ दिये थे, मुझे उस से दर्द तो हो रहा था लेकिन मैं उस की परवाह नहीं कर रहा था। मुझे यह भी पता था कि दूसरी बार स्खलित होने में मुझे देर लगेगी और तब तक माया की योनि की हालत खराब हो जायेगी लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था, यात्रा शुरु हो चुकी थी, उसे अब बीच में छोड़ा नहीं जा सकता था।

मैंने आराम करने के लिये लिंग योनि से निकाल लिया, लिंग पुरा द्रव्यों से लिथड़ा हुआ था। मैं माया की बगल में लेट गया और वह मेरे ऊपर आ गयी। उस ने लिंग को हाथ से सहारा दे कर योनि में डाल लिया और अपने कुल्हें ऊपर नीचे करने लगी। उसे इस में मजा आ रहा था मैं भी उस को उरोजों को चुम कर मजा ले रहा था। काफी देर तक इसी आसन में रहने के बाद माया थक गयी और बगल में लेट गयी।

अब मैंने माया को पेट के बल करके उसके कुल्हों को ऊपर करके उसकी योनि में पीछे से लिंग डाल दिया और धक्कें लगाने शुरु किये। यह आसन में पत्नी के साथ नहीं कर पाता था। माया को भी दर्द हो रहा था लेकिन वह कुछ कह नहीं रही थी।

मुझे भी यह कुछ ज्यादा जमा नहीं तो मैंने फिर से उसे पीठ के बल करके उसके अंदर लिंग डाल दिया। हमें संभोग करते 20 मिनट से ज्यादा हो गये थे। माया तो थक सी गयी थी, मेरी भी हालत पतली सी थी अब मैं चाहता था कि स्खलित हो जाऊँ लेकिन हो नहीं पा रहा था।

दोनों पसीने से तरबतर हो गये थे। दोनों के शरीर जल से रहे थे, लेकिन उस से निजात नहीं मिल रही थी। मैंने शरीर एक लकीर में किया और जोर-जोर से ऊपर नीचे करने लगा। अचानक मेरी आँखे मुद गयी और मेरे लिंग पर आग सी लग गयी, माया भी जोर से कराही। मैं पस्त हो कर उस के ऊपर पड़ गया।

चेतना आने के बाद माया के ऊपर से उठ कर उस की बगल में लेट कर उसे अपने सीने से लगा लिया और उस के होंठों को चुम लिया और उस से पुछा कि कैसा हाल है ? माया बोली कि लग रहा है कि जैसे आज ही जीवन का आनंद मिला है। दर्द है लेकिन ऐसा तो होना ही था। तुम तो जान ही निकाल देते हो, दीदी सही कह रही थी। मैंने उसे बाँहों में कस लिया।

कुछ देर बाद दरवाजा खुला और पत्नी अंदर आयी और बोली कि तुम दोनों उठ रहे हो या नहीं ? मुझे तो ऑफिस जाना नहीं था सो मैं बोला कि तुम भी यहीं आ जाओं। वह हम दोनों के पास आ कर बैठ गयी। हम दोनों की हालत देख कर बोली कि सुहागरात वाली हालत है, माया का तो बाजा बजा दिया होगा तुम ने। मैंने कहा कि तुम बहनें मुझे दोष देना बंद करो।

माया बोली कि दीदी सारा शरीर तोड़ दिया है। अभी तो यह बीमार है जब ठीक होते है तो क्या करते होगे? पत्नी बोली कि मैं क्या बताऊँ, अब तु खुद ही सब जान जायेगी। प्यार में इन का साथ मैं तो नहीं दे पाती, अब तेरी बारी है, इन का पुरा साथ देना। हम दोनों के शरीर के नीचे के हिस्सें वीर्य और योनि द्रव्यों से लथपथ थे। मेरा लिंग तो अभी भी पानी छोड़ रहा था।

पत्नी ने उठ कर तौलिया मुझे दिया और कहा कि साफ कर लो फिर नहाने चले जाओ। माया ने भी मेरे बाद तौलिये से शरीर पोछा और उठ कर कपड़ें डाल लिये। फिर शर्माती हुई कमरे से निकल गयी। पत्नी और मैं कमरें में अकेले रह गये। मैंने उस से पुछा कि उसे कैसे पता चला कि मैं माया से प्यार करता हूँ तो वह बोली कि हम औरतों के पास खास शक्ति है, पता चल जाता है। वह तुम्हें चाहती है यह तो मुझे कई सालों से पता है लेकिन मैं उसे गम्भीरता से नहीं लेती थी।

लेकिन आज की परिस्थिति में उसे अकेला नहीं छोड़ सकते है और वह भी सब कुछ छोड़ कर तुम्हारें पास आयी है इस लिये तुम्हारें लगाव को मानना ही सही रहेगा, इस से पहले भी तुम ने कितने लगावों को ठुकराया है लेकिन इस बार ऐसा नहीं था, तुम भी उस से लगाव रख रहे थे, मैं जानबुझ कर तुम दोनों को अकेला छोड़ कर गयी थी।

लेकिन तुम दोनों नें मेरे पीछे कुछ नहीं किया, जो यह बताता है कि तुम दोनों मुझे धोखा नहीं देना चाहते हो, इस लिये मैंने ही तुम दोनों को प्यार करने के लिये ऐसे उकसाया, ऐसा सोचा नहीं था लेकिन सुबह जब हम दोनों प्यार कर रहे थे तभी ध्यान आया कि माया और तुम को अपनी सहमति बता देती हूँ, लेकिन माया ने आ कर वह मौका मुझे दे दिया और बाकि तो तुम्हें पता है।

बताओं मेरी बात कैसी लगी? मैंने उसे अपने से लिपटा कर कहा कि तुम ने मेरी बहुत बड़ी समस्या हल कर दी। तुम बहुत चतुर हो यह तो मैं जानता हूँ लेकिन अपनी सौत के लिये भी ऐसा कर सकती हो, मुझे नहीं पता था। वह वोली कि सब भाग्य का लिखा है।

तुम को सेक्स में ज्यादा रुचि है मुझे कम है अब शायद माया के साथ यह कमी दूर हो जायेगी। लेकिन माया का ध्यान रखना, उस ने जिन्दगी में कोई सुख नहीं देखा है ऐसा कुछ ना हो जिस से उसे दूख पहुँचे। मैंने हाँ में सर हिलाया।

पत्नी ने पुछा कि अब क्या हाल है तुम्हारी तबीयत का? मैंने कहा कि अभी तो सेक्स की गर्मी में कुछ नहीं लग रहा है लेकिन नहा-धो कर देखते है कि क्या हाल होता है ? हमारी बातें चल ही रही थी कि माया नहा कर आ गयी, पत्नी ने माया को पास बुला कर कहा कि मैंने इन को सब बता दिया है, हम तुम दोनों इस बारें में बाद में बातें करेगें। मैं भी नहाने जा रही हूँ। यह कह कर वह उठ कर चली गयी।

माया मेरे से बोली कि आप तो अब कुछ पहन लो कही ठंड़ ना लग जाये। मैंने देखा कि मैं नंग-धड़ग बैठा था। माया ने मेरी ब्रीफ उठा कर दे दी और बारमुड़ा भी मेरे हाथ में दे दिया। मैंने उन्हें डाल लिया। वह बेड के सामने की बेंच पर बैठ गयी और बोली कि आज तो हम दोनों की बहुत बड़ी परेशानी दीदी ने खत्म कर दी।

मैंने कहा कि मैंने तुम्हें कहा था कि तुम्हारी दीदी बहुत चतुर है, वह हर चीज को बहुत सावधानी से करती है। ऐसा ही उस ने इस बार भी किया है। कितनी बड़ी बात उस ने करी है यह तो वह ही जानती है। इसी लिये मैं उस का बहुत सम्मान करता हूँ। माया बोली कि दीदी ने तो मुझे खरीद लिया है। उन के उपकार को मैं कभी नहीं उतार सकती हूँ।
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RE: वन नाईट स्टैंड - by abhishek.kumar - 10-03-2025, 01:07 PM



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