10-03-2025, 01:05 PM
UPDATE 4
दोपहर में पत्नी को फोन किया तो वह बोली कि गाड़ी में बैठ गयी हूँ, अगर लेट ना हुई तो 5 बजे तक पहुँच जाऊँगी। मैंने उसे बताया कि मैं उसे स्टेशन पर मिल जाऊँगा। वह बोली कि जब उतर जाऊँगी तो फोन कर दूगी। इस के बाद मैं काम में डुब गया। साढ़े चार बजे माया ने फोन करके मुझे याद दिलाया कि ट्रेन समय पर है आप दीदी को लेने चले जाओ, तब जा कर मुझे याद आया कि मुझे पत्नी को लेने भी जाना है।
मैं ऑफिस से निकल गया। ठीक पांच बजे ही स्टेशन पहुँचा। तभी पत्नी का फोन आया कि कहाँ हो? मैंने कहा कि आ रहा हूँ अभी पहुँचा हूँ। वह बोली कि मैं प्लेटफार्म पर ही आप का इंतजार कर रही हूँ। मैं तेजी से सीढ़ीयाँ चढ़ता हुआ प्लेटफार्म पर पहुँचा और पत्नी को ढुढ़ता हुआ उस के पास पहुँच गया। उस के सामान को ले कर मैं और वो दोनों स्टेशन से बाहर आये और कार में सामान रख कर घर के लिये चल दिये।
रास्तें में पत्नी बोली कि लगता है आज भी तुम यह भुल गये कि तुम्हें मुझे लेने जाना है। मैंने गल्ती मान कर कहा कि हाँ ऐसा ही हुआ था, वह तो माया ने फोन करके याद दिलाया नहीं तो तुम अभी तक मेरा इंतजार ही करती होती। वह बोली कि मुझे पता था, इस लिये माया को कहा कि तुम को फोन कर दे।
अब मुझे पता चला कि दोनों बहनें कितने समन्वय से काम करती है। यह सोच कर मेरे मन के किसी कोने में संतोष हुआ कि चलों आपस में कुछ तो सहमति है दोनों में। कुछ देर में घर पहुँच गये। सामान निकाल कर मैं बाद में घर में घुसा, उससे पहले पत्नी और माया एक-दूसरे के गले मिल चुकी थी।
मैं सामान रखने बेडरुम में चला गया। जब वापस दोनों के पास पहुँचा तो दोनों बातें कर रही थी, मुझे देख कर माया बोली कि दीदी सही कह रही थी, आप काम में इतने डुब गये थे कि दीदी को लेने जाने की बात भुल गये। अच्छा हुआ कि दीदी ने मुझे पहले ही याद दिला दिया था कि यह ऐसे ही है इस लिये तु इन को समय से याद दिला देना।
मैं उस की बात सुन कर मुस्कराया और बोला कि अच्छा हुआ तुम दोनों एक-दूसरें के साथ मिल कर चलती हो, आगे इस से फायदा होगा। पत्नी बोली कि आज ही फायदा हो गया नहीं तो मैं स्टेशन पर बैठ कर बोर होती रहती। माया चाय लेने गयी और पत्नी बोली कि तुम नहीं बदलोगें? मैंने उसे अपना फोन दिखाया और बताया कि मैंने अलार्म लगा रखा था, लेकिन इस से पहले ही माया ने फोन कर दिया। वह बोली कि चलों पहली बार तुम ने अक्लमंदी दिखायी है।
मैं उठ कर कपड़ें बदलने चला गया तभी मुझे याद आया कि खाना तो मैं लाया ही नहीं। यह याद करके मैं दूबारा बाहर जाने लगा तो पत्नी बोली कि कहाँ जा रहे है? मैंने कहा कि खाना बाहर से लाना था, सो लेने जा रहा हूँ, मेरी बात सुन कर पत्नी बोली कि आज मत लाओं, आते में बहन ने खाना बना कर रख दिया था, वह काफी है, बाहर का खाना फिर कभी खा लेगे। उस की बात सही थी।
मैं दूबारा कपड़ें बदलने चला गया। ड्राइगरुम में लौटा तो माया चाय लगा चुकी थी, पकोड़ें भी साथ थे। हम तीनों चाय पीने बैठ गये। माया ने पत्नी से पुछा कि आपकी यात्रा कैसी रही ? पत्नी बोली कि सही थी लेकिन इन के बिना मन नहीं लगा इस लिये जल्दी आ गयी। पहली बार इन के बिना कही गयी थी, मैंने कहा कि इस से तुम्हारी झिझक निकल जायेगी, उस ने मेरी बात से सहमति जतायी। दोनों बहनें बेडरुम में चली गयी और मैं टीवी चला कर बैठ गया। मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब टीवी देखते-देखते सो गया।
पत्नी नें मुझे झकझौर कर उठाया और बोला कि सोना है तो बेडरुम में जा कर सो जाओ, यहाँ क्यों सो रहे हो? मैंने कहा कि मुझे नहीं पता मैं कब सो गया। वह बोली कि तुम थके हुये हो, खाना खा कर जल्दी सो जाओ। मैं उठ कर बैठ गया। कुछ देर बाद माया पत्नी द्वारा लाया गया खाना गरम करके ले आयी, हम सब खाना खाने लगे।
मेरी साली बहुत स्वादिष्ट खाना बनाती थी सो सारा खाना हम चट कर गये। खाने के बाद आईसक्रीम खाने का मन हुआ तो देखा कि माया ने पहले ही उसे ला कर रखा हुआ था, वह आईसक्रीम ले कर आ गयी और हम लोग उस का मजा लेने लगे।
मैंने माया से पुछा कि उसे आईसक्रीम लाने का कैसे ध्यान आया तो वह बोली कि दीदी ने कहा था कि इन को आईसक्रीम बहुत पसन्द है, अगर तुझे समय मिले तो ले आना। सो आज मैं जा कर ले आयी थी। मैंने उसे धन्यवाद कहा और सोने के लिये चला गया। वाकई में मैं बहुत थका हुआ महसुस कर रहा था, इस लिये लेटते ही सो गया। कब पत्नी आ कर सोयी मुझे कुछ पता नहीं चला।
सुबह जब आँख खुली तो देखा कि पत्नी मुझ से लिपट कर सो रही थी। उस की टाँगें मेरे ऊपर रखी थी। उस के चेहरे पर सकुन दिख रहा था सो मैं चुपचाप पड़ा रहा। जब उस ने करवट बदली तो मैं बेड से उठ गया। मुझे बाथरुम जाना था। जब कमरे से बाहर निकला तो देखा कि माया भी उठ कर बाहर निकल रही थी। मुझे देख कर वह मेरे पास आयी और मेरे गाल पर चुम्बन दे कर किचन में चली गयी।
मैं अपने तने हुये लिंग का तनाव दूर करने के लिये बाथरुम में घुस गया। जब बाहर निकला तो माया खड़ी थी। बोली कि दीदी सो रही है बाहर बैठ कर चाय पीते है। मैंने हाँ कहा और हम दोनों बाहर कुर्सियों पर बैठ कर चाय कि चुस्कियां लेने लगे। माया ने चाय पीते हुये पुछा कि कल क्या बात थी, बिल्कुल थके हुये लग रहे थे। मैंने कहा कि पता नहीं लेकिन मेरा दम सा निकल गया था। सो कर ही आराम मिला। माया बोली कि सेहत का ध्यान रखें। इतनी थकान की वजह समझ नहीं आती है। मैंने भी उस की हाँ में हाँ मिलायी।
चाय पीने के बाद मैं अपना ब्लडप्रेशर नापने लगा। माया मुझे ऐसा करते देखती रही। ब्लडप्रेशर सही था। वह बोली कि आप को ब्लडप्रेशर की शिकायत है, मैंने उसे बताया कि है तो नहीं लेकिन हो सकता है इस लिये जाँच लेना सही रहता है।
तेरी दीदी का ब्लडप्रेशर कभी-कभी कम हो जाता है। वह चिन्तित दिखायी देने लगी। मैंने उसे बताया कि चिन्ता मत करों आज डाक्टर के पास जा कर चैक करा कर आता हूँ, मेरी बात सुन कर उस के चेहरे पर से चिन्ता की परछायी दूर हुई।
हमारी बातचीत के दौरान ही पत्नी भी उठ कर आ गयी और बोली कि माया क्या बात है? माया ने पुरी बात उसे बतायी तो वह बोली कि इन की काम में डुबने की आदत इस की वजह है। आराम करना इन के लिये हराम है। मैंने उसे बताया कि आज डाक्टर को दिखाता हूँ, ऐसी थकान होनी नहीं चाहिये, चैकअॅप करा लेता हूँ, मेरी बात सुन कर उसे चैन आया।
ऑफिस जाते समय मैं डाक्टर के पास चला गया, उन्होंनें चैक करके कहा कि कुछ खास दिख नहीं रहा है लेकिन फिर भी चैकअॅप करवा लेते है ताकि पुरी बात पता चल सके इस लिये ब्लड सेम्पल दे कर मैं ऑफिस चला गया। शाम को घर आते समय रिपोर्ट लेने गया तो डाक्टर ने बताया कि विटामिन की कमी निकली है, तथा लगता है बर्नआऊट की स्थिति बन गयी है, आप पुरा आराम करे ताकि शरीर अपने आप को रिजेनरेट कर सके। इतना ज्यादा काम शरीर को नुकसान कर रहा है।
डाक्टर की लिखी दवाईयाँ ले कर मैं घर आ गया। घर पर दोनों बहनें चिन्ता कर रही थी। मैंने उन्हें बताया कि पुरा आराम करने को कहा है, और कुछ दवाईयाँ लिख दी है जो मैं ले आया हूँ।
मेरी बात पर विश्वास ना करके माया ने रिपोर्ट मेरे हाथ से ले कर पढ़ना शुरु कर दी, जब सारी रिपोर्ट पढ़ ली तो पत्नी से बोली कि जीजा जी सही कह रहे है, विटामिन की कमी के कारण थकान हो रही है तथा बर्न आऊट की हालात होने के कारण पुरा रेस्ट करने को कहा है।
वह बोली कि कल से जीजा जी ऑफिस नहीं जा रहे है। मैंने कहा कि मैं अभी ऑफिस में एक हफ्तें की मेडीकल लीव के लिये एप्लाई कर देता हूँ। मेरी बात सुन कर दोनों को चैन पड़ा। अपनी थकान से मैं भी चिन्तातुर था लेकिन अपनी चिन्ता उन दोनों को दिखाना नहीं चाहता था।
कपड़ें बदलने के बाद ड्राइगरुम में सब बैठ कर बातें कर रहे थे तो माया बोली कि दीदी बता रही थी कि आप 14-14 घंटें काम करते है, ऐसे कैसे चलेगा ? इतना काम करने का कोई खास इनाम मिल रहा है? मुझे चुप देख कर वह बोली कि पहले आप का स्वास्थ्य है, बाद में कुछ और है यह बात आप कान में बाँध लो। मैं उस की बात सुन कर हँस गया तो वह बोली कि दीदी को आप चला सकते है लेकिन मैं किसी बात में नहीं आने वाली, पहले सेहत, बाद में कुछ और।
खाना खाने के बाद जब मैं सोने गया तो पत्नी बोली कि आप अपनी सेहत को लेकर इतना लापरवाह क्यों है ? मैंने उस से कहा कि कहाँ लापरवाह हूँ सभी चैकअॅप करवा कर तो आया हूँ, कल तक तो सही था। विश्वास ना हो तो माया से पुछ लो।
वह बोली कि मुझे पता है कि कल सुबह तो तुम सही थे, शाम को ऑफिस से आते ही तुम्हारी हालात खराब थी। ऑफिस में तो कुछ नहीं चल रहा है? मैंने उसे बताया कि कुछ खास नहीं है, ऐसा तो चलता ही रहता है, वह बोली कि कुछ तो चिन्ता है जो तुम्हें अंदर ही अंदर खा रही है लेकिन तुम उसे बता नहीं रहे हो, और कैसे पुछु? मैंने उसे आश्वस्त किया की ऐसा कुछ नहीं है। इस के बाद मैं सो गया।
सुबह जब आँख खुली तो पाया कि पत्नी मुझ से लिपटी सो रही थी। वह ऐसे कम ही सोती थी, शायद परेशान होने के कारण ऐसा कर रही थी। मेरे हिलने के कारण वह भी जग गयी और मुझे चुम कर बोली कि तुम्हें तो रात को कुछ पता ही नहीं था। मैंने उसे बताया कि अभी नींद खुली है, रात को सोने के बाद कुछ पता नहीं है।
वह शायद प्यार करने को तड़प रही थी इस लिये उस के हाथ मेरी पीठ पर घुम रहे थे। एक तो सुबह वैसे ही लिंग में तनाव होता है फिर पत्नी की प्यार की चाहत और लाड़ दोनों संभोग करने के मुड़ में आ गये। ऐसा कम ही होता था कि सुबह संभोग करें, लेकिन आज की बात ही कुछ और थी पत्नी पुरी तरह से गर्म थी और उस के हाथ मेरे शरीर को सहला रहे थे, अब मैं भी उस का साथ दे रहा था, कुछ देर बाद ही उस की गर्मी मेरे शरीर में भी समा गयी।
वासना की आग हम दोनों के शरीर में भड़क गयी थी। मैं उस की गरदन को चुमता हुआ उस के उरोजों को टीशर्ट के ऊपर से ही चुमने लग गया उस की उभरी निप्पलें मुझे उकसा रही थी। फिर मैंने उस की टीशर्ट उतार दी और मेरे होंठ उस के उरोजों को चुसने लगे। पहले एक की चुसाई हुई फिर दूसरे का नंबर लगा।
इस के बाद उस के पेट पर चुम्बन देते हुये उस की नाभी को चुम कर मेरे होंठ उस की जाँघों के मध्य पहुँच गये। पायजामे के ऊपर से ही चुम कर मैंने हाथ से उस का पायजामा उतार दिया और फिर पेंटी भी उतर गयी। अब मेरी उँगली उस की योनि की दोनों फलकों के बीच फिरने लगी। इस के बाद वह अंदर घुस गयी, अंदर पानी भरा हुआ था जो इस बात का द्योतक था कि वह पुरी तरह से उत्तेजित थी।
कुछ देर मैं उस की योनि की नमी में उँगली अंदर बाहर करता रहा फिर अपने कपड़ें उतार कर उस के ऊपर आ गया और लिंग को उस की योनि में डाल दिया। अंदर कोई घर्षण नहीं मिला क्योंकि योनि में द्रव भरा था। मैं धीरे-धीरे ऊपर नीचे हो रहा था, कुछ देर बाद पत्नी मेरे ऊपर आ गयी और मैं नीचे से उस के हिलते उरोजों को होथों से पकड़ कर चुसने लगा। इस से मेरी यौन अग्नि और प्रज्जवलित हो रही थी। पत्नी के थक जाने पर वह बगल में लेट गयी।
इस के बाद मैंने उस की टाँग कंधों पर रख कर योनि में लिंग डालना चाहा तो वह बोली कि ऐसे बहुत दर्द हो रहा है, उस की बात सुन कर मैंने उस की टाँगें नीचे कर दी। हम दोनों पति-पत्नी संभोग में मग्न थे तभी कमरें का दरवाजा खुला और माया चाय के साथ कमरे में घुसी, हमें प्यार करता देख कर वह अचकचा कर जड़ हो गयी और वही खड़ी हो गयी।
जब होश आया तो घुम कर बाहर जाने लगी तो पत्नी ने उसे आवाज दी और कहा कि माया दरवाजा बंद कर दे। माया ने दरवाजा बंद कर दिया। मैं धक्कें लगा रहा था और माया देख रही थी, पत्नी उस से बात कर रही थी। पत्नी बोली कि चाय रख दे। माया ने आदेश का पालन किया। वह आँखे झुकाये खड़ी थी। पत्नी ने उस से पुछा कि इन से प्यार करती है ? उस ने हाँ में गरदन हिलायी। प्यार करना चाहती है ? उसने फिर से गरदन हिलायी।
अब पत्नी की आवाज मेरे कान में पड़ी, तो देख क्या रही है कपड़ें उतार कर आ जा, मेरे बाद तेरे से प्यार करेगें यह। उस की यह बात सुन कर मैं हैरान रह गया कि वह क्या कह रही है। लेकिन मैं कुछ बोला नहीं, जिस बात के लेकर हम दोनों परेशान थे, वह इस तरह से हो रही थी, विश्वास नहीं हो रहा था। माया ने चुपचाप अपना नाइट सुट उतार दिया और ब्रा और पेंटी में आ गयी। पत्नी बोली कि इन्हें पहन कर प्यार करेगी तो उस ने वह भी उतार दिये।
अब वह पुरी तरह से नंगी खड़ी थी, सौन्दर्य की मुर्तिमान प्रतिमा लग रही थी मेरी आँखे पुरी तरह से खुली नहीं थी सो मुझे साफ-साफ नहीं दिख रहा था। माया धीरे से आ कर बेड पर हमारे पास लेट गयी। मैं अपने शरीर में लगी आग में जल रहा था तथा उस से छुटकारा पाना चाहता था इस लिये शरीर कड़ा करके जोर-जोर से धक्कें लगा रहा था फिर ज्वालामुखी फट गया और मैं डिस्चार्ज हो गया। कुछ देर पत्नी के ऊपर लेटा रहा, फिर उस की बगल में लेट गया।