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वन नाईट स्टैंड
#4
UPDATE 3

सुबह अलार्म बजा ही था कि माया चाय ले कर आ गयी। नाइट सुट में सुन्दर लग रही थी । मुझे घूरते देख बोली कि क्या खाने का इरादा है? मैंने कहा कि हाँ इरादा तो है लेकिन अभी मौका नहीं है। वह मेरे पास बेड पर आ कर बैठी और मेरा सर प्यार से हिला कर बोली कि अच्छे बच्चें बन कर रहो नहीं तो शिकायत कर दूँगी। मैंने कहा कि हाँ भई पता है।

मैं चाय पी कर उठ गया और बाथरुम में घुस गया। वहाँ से जब निकल कर वाशरुम में नहाने के लिये गया तो अंदर जा कर देखा कि मेरी तौलिया तथा ब्रीफ और बनियान टंगी हुई थी। यह देख कर मुझे बहुत खुशी हुई क्यों कि यह मैं बहुत पहले से चाहता था लेकिन मेरी पत्नी को ऐसा करना पसन्द नहीं था।

उस का कहना था कि अपना काम है खुद किया करो। मैं तुम्हारा काम क्यों करुँ? मैं उस से बहस नहीं कर सकता था। सो ऐसे ही काम चल रहा था। नहा कर कपड़ें पहन कर निकला तो माया ने पुछा कि अंडर गार्मेंट सही रखे थे।

मैंने प्रश्नवाचक मुद्रा में उसकी तरफ नजर घुमायी तो वह बोली कि ब्रीफ का रंग और बनियान सही थी या नहीं? मैंने कहा दोनों सही थी। मैं ऐसा ही चाहता हूँ तो वह बोली कि आगे से आप को परेशानी नहीं होगी, मैं इस बात का ध्यान रखुँगी। मैं उस के सर पर चपत लगा कर बेडरुम में कपड़ें पहनने चला गया।

नाश्ते की मेज पर बैठा तो मैंने माया से कहा कि वह भी मेरे साथ नाश्ता कर ले तो वह बोली कि मुझे अभी नहाना है, उस के बाद नाश्ता करुँगी। उस ने मेरा लंच बना कर पैक कर दिया था सो मैं उसे लेकर ऑफिस के लिये निकल गया।

ऑफिस पहुँच कर मुझे ध्यान आया कि माया ने कल भी नाश्ता नहीं किया था, इस लिये आज उस से फोन करके पुछ लेना सही रहेगा। मेरी मीटिंग थी लेकिन मैंने घर फोन लगाया और माया से पुछा कि उस ने नाश्ता कर लिया तो वह बोली कि यह आप को कैसे ध्यान आ गया?

मैंने कहा कि यह बाद में बताऊँगा, पहले तुम बताओं तो वह बोली कि नहीं किया है अभी करती हूँ। मैंने पुछा कि दूबारा फोन करुँ तो वह हँस कर बोली कि इतना लाड़ मत करों, मुझ से हजम नहीं होगा। इस के बाद मैं मीटिंग में चला गया।

शाम को ऑफिस से निकला तो वाइन शॉप चला गया और एक रेड वाइन की वॉटल खरीद ली। घर पहुँच कर वाइन की बोतल छुपा कर रख दी । चाय पीते समय मैंने पुछा कि नाश्ता किया तो वह हँसी और बोली कि हाँ नाश्ता भी किया और लंच भी किया था। मुझे पता लग गया है कि आप को मेरी चिन्ता है।

रात के खाने से पहले में स्काच का पैग बना कर पीने बैठा तो मैंने माया से कहा कि वह भी मेरा साथ दे तो वह बोली कि नहीं इतनी हार्ड नहीं पीनी है। मैं उस की बात सुन कर उठा और रेड वाइन की बोतल ला कर उस के हाथ में दे दी, उसे देख कर वह बोली कि मुझे अकेले ही पीनी पड़ेगी। मैंने कहा मैं साथ दे रहा हूँ ना।

मेरी बात सुन कर वह भी गिलास में वाइन डाल कर मेरे साथ बैठ कर पीने लगी। पीते हुये बोली कि आज इतनी सारी बातें कैसे याद रही आपको? मैंने कहा कि दिमाग को मोड़ना पड़ता है, किसी-किसी दिन काम की अधिकता के कारण कुछ सोच ही नही पाता। माया मेरी बात समझ कर बोली कि हाँ यह तो मैं समझ सकती हूँ कि नौकरी करना आसान नहीं है और लोगों से काम करवाना तो और ज्यादा मुश्किल काम है।

मेरे को आप की व्यस्तता से कोई शिकायत नहीं है। लेकिन ऐसे ही कभी-कभी हमें याद कर लिया करें तो अच्छा लगता है। मैंने हाँ में सर हिलाया। हम दोनों नें दो-दो पैग पीये और उस के बाद खाना खाने बैठ गये। थोड़ा बहुत नशा तो चढ़ ही गया था। लेकिन दोनों को पता था कि सीमा का उल्लघन नहीं करना है, सो दोनों चुपचाप अपने-अपने कमरें में जा कर सो गये।

सुबह जब माया चाय लाई तो बोली कि आज सर घुम रहा है, मैंने कहा हैगऑवर है थोड़ी देर में उतर जायेगा तो वह बोली कि कल ज्यादा तो नहीं पी थी। मैंने कहा, नहीं दो ही पैग लिये थे हो सकता है तुम ने बहुत समय के बाद पी है इस लिये ऐसा हुआ है। वह कुछ नहीं बोली और चाय पीती रही। फिर उठी और मेरे माथे को चुम कर चली गयी। मैं भी अपने नित्य के कामों में लग गया।

नाश्ते के समय मैंने उस से कहा कि खाली समय में टीवी पर फिल्म देख ले तो वह बोली कि कल कोशिश की थी लेकिन कुछ हुआ नहीं। मैंने कहा कि मैं आज उस को समझा कर जाता हूँ कि फिल्म कैसे मिलती है। नाश्ते के बाद मैंने माया को समझाया कि फिल्म कैसे ढुढ़ कर देख सकती है वह बोली कि यहाँ तो भंडार भरा है, अब कोई समस्या नहीं आयेगी। मैं जब चलने लगा तो मैंने माया के होंठों पर हल्का सा चुम्बन दे दिया, जैसा में अक्सर जाते समय अपनी पत्नी के होंठों पर दिया करता हूँ। माया के चेहरे पर चमक आ गयी, मैं घर से निकल गया।

शाम को घर आने से पहले माया से पुछा कि कुछ खाना ले कर आऊँ तो वह बोली कि पिज्जा खाना है। मैंने कहा कि कौन सा? तो वह बोली कि जो आप को पसन्द हो। मैं घर आते में बड़ा पिज्जा पैक करा कर ले आया। चाय के बाद मैं नहाने के लिये जाने लगा तो माया बोली कि खाली तौलिया दूँ या कुछ और?

मैंने तौलिया लिया और कपड़ें बदलने बेडरुम में चला गया। कपड़ें बदल रहा था तभी माया कमरे में आयी और मुझे कपड़ें बदलते देख बाहर जाने लगी तो मैंने कहा कि तौलिया तो दे जाओं, उसे ही पहन कर तो जाऊँगा।

वह मुस्करायी और बोली कि यहाँ कौन देख रहा है आप कैसे भी जा सकते हो। मैं उस की तरफ लपका तो वह तौलिया मुझ पर फैंक कर बाहर भाग गयी। मैं नहाने के बाद तौलिया लपेटे ही कमरे में आ रहा था कि माया फिर सामने पड़ गयी और बोली कि इतनी शर्म किस बात की है? मैंने कहा कि कोई शर्म नहीं है बचपन से ऐसी ही आदत है, अब बदलती नहीं है। मैं कमरे में आ कर बारमुदा पहन कर ड्राइगरुम में आ कर बैठ गया।

वह पिज्जा गरम कर के ले आयी। मैंने पैग बनाया तो वह भी वाइन गिलास में डाल कर आ गयी और हम दोनों शराब और पिज्जा की दावत उड़ाने लगे। पिज्जा खा कर मजा आ गया था। माया ने मुझ से पुछा कि आप आज कल मेरे पर ही इतने मेहरबान है या दीदी पर भी ऐसी मेहरबानी होती रहती है ? मैंने जबाव दिया कि दीदी आये तो उन से ही पुछना, वही जबाव देगी।

मैं जब सोने के लिये जाने लगा तो वह मेरे से पीछे से लिपट गयी और बोली कि किस तो कर ही सकते हो। मैंने उसे पकड़ कर अपने सामने किया और उस को होंठों पर जोरदार चुम्बन दे दिया। बात आगे ना बढ़े इस लिये जल्दी से बेडरुम में चला गया, इतनी देर में ही मेरे महाराज में तनाव आ गया था।

कुछ देर और साथ रहते तो सारा कंट्रोल हाथ से निकल जाना था। दरवाजा बंद नहीं किया था। माया मुझे दरवाजे पर दिखायी दी मैंने उसे सॉरी कहा और चद्दर ऊपर कर ली। वह भी चुपचाप चली गयी।

सुबह चाय पीते समय वह बोली कि आप सब कुछ समझते हो लेकिन मुझ से चाहते हो कि मैं आगे बढुँ। मैंने कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन हो सकता है मैं तुम्हारी हाँ का इंतजार कर रहा हूँ, इस पर वह बोली कि और कितनी बार हाँ कहलवाना चाहते हो, मैं तन और मन से आपकी हो चुकी हूँ जो करना है कर सकते है।

मैंने कहा कि तुम कुछ करने की चीज नहीं हो, मेरी दोस्त हो, उससे भी ज्यादा हो, शायद पत्नी से भी अधिक इस लिये कुछ भी कह सकती हो माँग सकती हो, कर सकती हो, मालकिन हो। मेरी बात पर वह हँसी और बोली कि मुझे इतना ऊँचा दर्जा दे कर मेरा सर मत खराब करो। मैं तो बस तुम से थोड़ा सा प्यार चाहती हूँ।

मैंने उसे अपने पास करा और उस को बाँहों में ले कर कहा कि शारीरिक रुप से मिलना ही तो मिलन नहीं है, दिल भी तो मिल रहे है, शरीर भी समय आने पर मिल लेगें। थोड़ा सब्र करों, जल्दबाजी में सब कुछ खराब हो जायेगा। वह चुपचाप सुनती रही। फिर बोली कि तुम मेरे सामने बिना तौलिये के भी नहीं जा सकते, इतनी शर्म क्यों? मैं यह सुन कर हँस पड़ा और बोला कि लो जी आज ही जैसा आप चाहती है कर देते है अब तो खुश हो। उस के चेहरे पर मुस्कान आयी।

वह बोली कि आप के व्यवहार से मुझे लगता है कि आप अपने और मेरे में दूरी रखते है। मैंने उस की नाक पकड़ कर कहा कि माया जी कोई दूरी नहीं है लेकिन कल गल्ती से तुम्हारी दीदी के सामने कुछ ऐसा हो गया तो वह सब समझ जायेगी। इस लिये मैं ऐसा कर रहा हूँ समझा करो, मुझे भी ऐसा करना अच्छा थोड़ी ना लग रहा है लेकिन समय की माँग है इस लिये मन को मसोस रहे है लेकिन आज जैसा आप कहे वैसा ही होगा।

वह बोली कि कोई तौलिया नहीं, नहा कर ऐसे ही यहाँ आना। मैंने कहा जैसी आपकी आज्ञा, लेकिन बाद में जो होगा उस के लिये मैं जिम्मेदार नहीं होऊँगा। वह बोली कि यही तो देखना है कि हम दोनों में कितना दम है कि हम अपने आप को रोक सकते है या नहीं? उसकी बात में दम था आज ही यह देखा जा सकता था कल तो पत्नी को वापस आ जाना था।

मैं नहाने चला गया, नहा कर जब निकाला तो केवल ब्रीफ में था तौलिया मेरे हाथ में था बेड़रुम में आ कर खड़ा हुआ, माया आयी और बोली कि हाँ ऐसे सही लग रहे हो यहाँ पर किस से शर्म है, कोई और देखने वाला नहीं है। वह मुझे देखती रही फिर खुद नहाने चली गयी। कुछ देर बाद जब वह आयी तो मैं उसे देखता रह गया, अपनी उम्र से कम की लग रही थी कहीं पर मांस ज्यादा नहीं था।

छातियां भी ब्रा में कसी थी और कमर 30 की थी और कुल्हें 34 के होगे वह भी पेंटी में कसे फब रहे थे। आज पहली बार मैंने उसे ऐसे देखा था सो देखता रह गया। वह मुस्कराती हूई बोली कि अभी केवल देख कर काम चलाओं। मैं भी मुस्करा दिया, फिर वह मस्त चाल से चलती हुई कमरे से बाहर अपने कमरे के लिये चली गयी। आज हम दोनों नें एक दूसरें को कम वस्त्रों में देख लिया था सो पता चल गया था कि कैसे दिखते है। कुछ तो कामना बढ़नी थी और कुछ को कम होना था।

मैं कपड़ें पहन कर तैयार हो रहा था तो वह भी साड़ी पहन कर आ गयी, साड़ी में तो वह और भी कातिल लग रही थी, मुझ से रहा नहीं गया और मैंने उसे बाँहों में लेकर उस के होंठों पर अपनी छाप लगा दी। उस ने कुछ नहीं कहा शायद वह भी यही चाहती थी लेकिन कह नहीं रही थी।

उस ने नाश्तें के समय पुछा कि दीदी को कैसे पता चलेगा कि हम ने पीछे कुछ किया है या नहीं। मैं बोला कि उसे कपड़ों पर लगे दाग-धब्बों, चादरों और ना जाने किस किस से पता चल सकता है। वह इस घर को बनाने वाली है उसे कुछ भी बदलता है या इधर-उधर होता है पता चल जाता है, शायद उस की छठी इंद्रिय काम करती है।

माया बोली कि हाँ यह बात तो है हम औरतों की छठी इंद्रिय कई बार हमें खतरें का आभास करा देती है। क्या आप को नहीं लगता कि दीदी को शायद पता है कि मैं आप को चाहती हूँ। कितनी शादियों में, कार्यक्रमों में उन से मुलाकात हुई है, वह मेरा आपके प्रति आकर्षण समझ गयी होगी। मैंने हाँ में सर हिलाया और कहा कि हो सकता है उसे पता हो लेकिन सिर्फ एक घटना को छोड़ कर मेरी तुम से कोई ज्यादा देर की मुलाकात नहीं हुई है।

वह बोली कि उस मुलाकात के लिये भी उन्होंनें ही आप को मेरे साथ भेजा था, मैं तो अकेले जा रही थी। मैंने कहा तुम सही कह रही हो। उसे मुझ पर बहुत विश्वास है, तुम्हारी भी चिन्ता करती है इसी लिये मुझे तुम्हारें साथ भेजा था।

हम दोनों इस के बाद चुपचाप नाश्ता करने लगे। माया ने पुछा कि दीदी को कब आना है? तो मैंने उसे बताया कि शाम को आना है मैं ऑफिस से ही चला जाऊँगा उस को लेने। कहो तो रात का खाना भी बाहर से लेता आऊँ तो वह बोली कि जैसी तुम्हारी मर्जी। मैंने कहा कि तुम बताओ, तो वह बोली कि हाँ ऐसा ही सही रहेगा। मैं पीछे से सफाई कर लेती हूँ। इस के बाद मैं ऑफिस के लिये निकल गया।
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RE: वन नाईट स्टैंड - by abhishek.kumar - 10-03-2025, 01:03 PM



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