10-03-2025, 01:00 PM
UPDATE 2
मॉल पहुँच कर माया की आँखें चौधियाँ गयी और वह बोली कि मैं तो यहाँ पागल हो जाऊँगी। मैंने कहा कि वह तो तुम पहले से ही हो दुबारा क्या होगी? तो वह मेरी तरफ आँखें तरेर कर बोली कि अच्छा ऐसे विचार है आप के मेरे बारे में।
मैं हँस दिया और हम दोनों कपड़ों की बड़ी दूकान में घुस गये। कुछ वेस्टर्न कपड़ें खरीदने के बाद मैंने माया से कहा कि मैडम कुछ अंडर गारमेंट भी ले लो तो वह बोली कि आप ने अच्छा याद दिलाया। हम अंडर गारमेंट के सेक्शन में आ गये। मैंने सेल्सगर्ल को बुला कर कहा कि मैडम का सही साइज ले कर मैडम को ब्रा दिखायो और पेंटी सेट भी दो। मेरी बात सुन कर माया ने मुझे हैरानी से देखा तो मैंने उस से आँखें चुरा ली।
वह सेल्सगर्ल के साथ चली गयी। काफी देर बाद ट्रायल रुम से बाहर आ कर मेरी बाँह पकड़ कर बोली कि आप को कैसे पता कि मेरा साइज गलत है ? मैं मुस्कराया तो वह बोली कि मैं तो भुल ही जाती हूँ कि आप तो ऑलराउंडर है। मैंने सर झुका कर धन्यवाद दिया तो वह मेरी चुकुटी काट कर बोली कि ऐसा कुछ है जो आप को पता नहीं है ?
मैं हँस गया और बोला कि बहुत कुछ है जो मैं नहीं जानता। वह और मैं बिल देने के लिये काउंटर पर पहुँच गये। उस ने पर्स से कैश निकाल कर भुगतान कर दिया। सामान ले कर हम मॉल से बाहर निकले तो शाम घिर आयी थी, मैंने पुछा कि खाना खाना है तो वह बोली कि होटल में रुम में ऑडर कर देगे।
उस की बात मान कर मैं कार की तरफ चल दिया। सामान कार में रख कर हम दोनों वापस होटल के लिये चल दिये। होटल पहुँच कर सामान ले कर उस के रुम पर आ गये। वह बोली कि बोलों क्या खाना खाना है? मैंने कहा कि जो उसे पसन्द हो, मेरी बात सुन कर वह फोन पर ऑडर करने लग गयी।
इस के बाद मेरी तरफ घुम कर बोली कि उस दिन तो आप ने ऊपर हाथ ही लगाया था फिर भी आप को कैसे पता चला कि मेरी ब्रा का साइज गलत था। मैंने कहा कि तुम्हारें ब्लाउज उतारते ही मुझे पता चल गया था कि तुम्हारा साइज गलत है, वह बोली कि ऐसा कैसे पता चला? मैंने कहा कि नजर है पता चल जाता है। वह हँसी और बोली कि आप की इस बात से मेरी चिन्ता बढ़ गयी है कि मेरा प्रेमी कितनों को जानता है?
मैं उस की बात सुन कर बोला कि दो को ही जानता हूँ एक तुम्हारी बहन यानी मेरी बीवी और अब दूसरी तुम, इस पर तुम विश्वास करो या ना करो लेकिन यही सही है। वह मुस्करायी और बोली कि इस बात पर विश्वास नहीं होता कि कोई व्यक्ति एक बार में ही खुले वक्ष को देख कर बता दे कि ब्रा गलत साइज की पहन रखी है। लेकिन उस दिन तो ब्रा भी नहीं पहन रखी थी।
मैंने उसे बताया कि उस का ब्लाउज उस की छाती पर इतना कसा था कि उस का वक्ष सामने से दबा हुआ था, इसी लिये मैंने कहा कि तुम्हारी ब्रा का साइज गलत है। ब्लाउज का साइज भी गलत था। इतनी सी बात है यह बात पहली बार में ही पकड़ ली थी। मेरी बात सुन कर उस के चेहरे पर संतोष के भाव आये।
मैंने उसे बताया कि मैं देख कर एक-दो एमएम का अंतर भी पकड़ सकता हूँ, तुम्हारा तो इंच से ज्यादा का था। वह हँस कर दोहरी हो गयी और बोली कि आप की माया आप ही जानो, लेकिन मैं तो डर गयी थी कि आप ऐसे विषय पर इतनी जानकारी कैसे रखते है? तभी बेल बजी और वेटर खाना ले कर आया और खाना लगा कर चला गया।
हम दोनों खाना खाने लगे, खाना खाने के बाद मैंने माया से पुछा कि कल का क्या प्रोग्राम है तो वह बोली कि कल मैं दीदी को फोन करके बात करती हूँ फिर पता चलेगा क्या करना है। रात हो रही थी इस लिये मैं उस से विदा ले कर वापस घर चला आया।
सुबह जब ऑफिस पहुँचा तो कुछ देर बाद ही पत्नी का फोन आया कि माया यहाँ आई हुई है और होटल में रुकी हुई है, तुम उसे होटल से लेकर घर छोड़ जाओं, वह मुर्ख मेरे होते हुये होटल में रुकी है। उस से पुछा कि कौन सा होटल है और रुम नंबर क्या है। उस ने सब मुझे बता दिया, मैं ऑफिस से निकल कर होटल पहुँचा और माया का चैक आऊट करा कर उस का सामान गाड़ी में रख कर घर की तरफ चल दिया।
रास्तें में मैंने उस से पुछा कि कपड़ों के थेलें कहाँ है? तो वह बोली कि कपड़ों के टैग वगैरहा हटा कर उन के थेलें फैक दिये है, दीदी को पता नहीं चलना चाहिये कि कल मैं आप के साथ थी, नहीं तो सब कुछ गड़बड़ हो जायेगा। मैं मुस्करा दिया घर पहुँच कर दोनों बहनें गले मिल कर रोने लगी।
पति की मौत के बाद माया पहली बार पत्नी से मिली थी। जब दोनों शांत हो गयी तो मैंने पत्नी से पुछा कि और कोई काम तो नहीं है, नहीं तो मैं वापिस ऑफिस जाऊँ, तो बीवी बोली कि नहीं इसे यहाँ छोड़ना था, अब तुम ऑफिस चले जाओ।
शाम को आते में कुछ काम हुआ तो मैं बता दूँगी। मैं ऑफिस के लिये निकल गया। शाम को जब ऑफिस से निकलने लगा तो पत्नी से फोन करके पुछा कि कहो तो खाना लेता आऊँ तो वह बोली कि मैं भी यही कहने वाली थी जो तुम्हें पसन्द हो लेते आना।
मैं आते में तीन लोगों के लिये खाना लेता आया। जब सब खाना खाने बैठे तो माया बोली कि जीजा जी आप की पसन्द तो बढ़िया है, खाना स्वादिष्ट है। पत्नी बोली कि इन की पसन्द तो लाजवाव है इस के दो राय नहीं है।
मैं चुपचाप अपनी प्रशंसा सुनता रहा। रात तो जब सोने लगे तो पत्नी ने बताया कि अब माया इसी शहर में रहेगी। उसे पास में ही कोई मकान दिलवाना है। ताकि हम उस का ध्यान रख सके। मैं उस की बात सुनता रहा। मैंने कुछ ज्यादा नहीं पुछा, क्योंकि मैं उस के मन में शंक उत्पन्न नहीं करना चाहता था।
सुबह रविवार था सो ऑफिस नहीं जाना था, सुबह बिस्तर में ही था कि माया चाय ले कर आ गयी। यह देख कर बीवी बोली कि तुझें यह सब करने की आवश्यकता नहीं है। माया बोली कि जैसे तुम चाय बना कर लाती वैसे ही मैं भी ले आयी हूँ इस में क्या बात है?
उस की बात सुन कर पत्नी से जबाव नहीं दिया गया। तीनों चाय पीने लगे। चाय पीने के बाद मैं बाहर अखबार लेने चला गया। अखबार ले कर बाहर के कमरे में उसे पढ़ने बैठ गया। तभी माया आयी और बोली कि जीजा जी नाश्ते में क्या खाना है?
उस की बात सुन कर मैं बोला कि माया अब यह ज्यादा हो रहा है अभी तो आयी हो थोड़ा आराम कर लो, बाद में यह सब काम कर लेना। वह बोली कि आप भी दीदी के साथ मिल गये है। मैंने कहा कि हाँ उस के साथ ही हूँ कुछ दिन आराम करो फिर सब कर लेना, अभी तो कुछ दिन दीदी के आथिथ्य का आनंद लो।
तभी पत्नी भी आ गयी और बोली कि अब तो तेरे जीजा जी ने भी कह दिया है, उन की बात तो तुम मानती ही हो। माया बोली कि यह तो आप दोनों गलत बात कर रहे हो। ऐसे तो मैं आलसी बन जाऊँगी। पत्नी बोली कि, तु चिन्ता मत कर बहुत काम करायेंगे हम दोनों।
माया बोली कि अब क्या करुँ ? मैंने कहा कि नहा लो, सामान वगैरहा निकाल कर अलमारी में सजा लो। दीदी के साथ मिल कर घर देख लो। बहुत काम है करने के लिये। दोपहर में मैं तुम्हें काम बताऊँगा।
वह मेरी बात सुन कर मुस्करा कर चली गयी। पत्नी बोली कि आज पहली बार इस के चेहरे पर मुस्कराहट देखी है, तुम्हारी बात मान लेती है। मैंने कहा कि जीजा भी तो हूँ मैं। पत्नी भी चली गयी और मैं अखबार पढ़ने में मग्न हो गया।
कुछ देर बाद मेरे कानों में आवाज पड़ी कि आज क्या सारा अखबार चाटना है? सर उठा कर देखा को माया गिले सिर पर तौलिया लपेटे खड़ी थी। बड़ी सुन्दर लग रही थी। मैंने उसे देखा और अखबार बंद कर के रख दिया। फिर उस को देख कर पुछा कि साली जी बताओ क्या आज्ञा है? वह बोली कि नहा ले नहीं तो ऐसे ही नाश्ता करने के लिये चले। मैंने कहा कि एक दिन तो मिलता है देर से नहाने का, इस लिये ऐसे ही नाश्ता दे दो।
यह कह कर मैं उस के साथ चल दिया। वह आगे चल रही थी और मैं पीछे-पीछे उस की मस्त हथिनी की जैसी चाल देख रहा था। डाइनिग टेबल पर पत्नी नाश्ता लगा कर इंतजार कर रही थी। मुझे देख कर बोली कि अब तुझे पता चला कि तेरे ये पसन्दीदा जीजा जी कैसे है, छुठ्ठी के दिन तो इन से कोई भी काम करवाना बहुत मुश्किल काम है।
मैंने दोनों से माफी माँगी और कहा कि तुम आवाज दे देती, मैं आ जाता। मेरी बात सुन कर दोनों हँस पड़ी कि आप को सच में नहीं पता कि हम दोनों कितनी देर से आप को आवाज दे रहे थें। मैंने कानों को हाथ लगा कर कहा कि सच में, मैं अखबार पढ़ने में इतना डुब गया था कि कुछ भी ध्यान नहीं रहा। यह कह कर मैं मेज पर नाश्तें की प्लेट अपने आगे करके बैठ गया। माया बोली कि अब आप कुछ देर इंतजार करों, चाय दूबारा बनानी पड़ेगी। यह कह कर वह किचन में चली गयी।
पत्नी ने मेरी तरफ आँखें तरेर कर कहा कि आज तो पता नहीं तुम कहाँ खो गये थे। पहले तो ऐसे नहीं थे। मैंने कहा कि यार सच में अखबार पढ़ने में कुछ सुनायी ही नहीं दिया। कुछ देर बाद माया चाय ले कर आ गयी और हम तीनों चाय के साथ नाश्ता करने लगे। पत्नी बोली कि अब पहले नहाने जाना फिर और कोई काम करना। नहीं तो शाम तक ऐसे ही घुमते रहोगे।
उस की बात सुन कर माया बोली कि नहाने में भी बहाने, मैंने उसे देख कर कहा कि भाई आज के दिन हम एक दिन के बादशाह है इस लिये माबदौलत कोई काम नहीं करते है। मेरी बात पर दोनों हँस कर दोहरी हो गयी। मैं उन को हँसता छोड़ कर नहाने भाग गया। लेकिन जब नहा लिया तो पता चला कि तौलिया तो ले कर आया ही नहीं था। अब क्या करुँ ? पत्नी को आवाज लगायी तो माया की आवाज आयी की क्या है?
मैंने कहा कि दीदी को भेज, वह हँस कर पत्नी को बुलाने चली गयी। पत्नी के आने पर मैंने उसे बताया कि मेरा तौलिया बाहर रह गया है उसे दे दो। पत्नी भी हँस कर चली गयी किसी की आवाज आयी तो मैंने हाथ बाहर निकाला तो तौलिये की जगह हाथ पकड़ लिया, मुझे लगा कि पत्नी मजाक कर रही है, मैंने उसे डाट कर कहा कि यार अभी मजाक करने की सुझी है जब तुम्हारी बहन घर में है नहीं तो मैं ऐसे ही बाहर आ जाता, मेरी बात पर किसी परिचित की खनकती हँसी सुनायी दी और हाथ में तौलिया पकड़ा दिया गया।
मैं जब तौलिया लपेट कर बाहर आया तो देखा कि कोने में माया खड़ी मुझे देख रही थी। उस के इस रुप से मुझे डर लगा कि कहीं पत्नी को सब पता ना चल जाये लेकिन इस पर उसे कुछ कहना उचित ना समझ कर मैं बेडरुम में कपड़ें पहनने चला गया। कपड़ें पहन कर निकला तो देखा कि माया अभी तक वहीं खड़ी थी। मुझे देख कर बोली कि गीला तौलिया मुझे दे दे, मैं उसे सुखा कर आती हूँ यह कह कर वह तौलिया मेरे हाथ से ले कर चली गयी।
मैं पत्नी को ढुढ़ने लगा तो वह मुझे मिली नहीं, जब छत पर पहुँचा तो मैडम वहाँ कपड़ें सुखा रही थी। माया भी बहन के साथ कपड़ें सुखाने में मदद कर रही थी। मुझे देख कर दोनों बोली कि अब साहब खुद ही सुखने के लिये आ गये है। मैं हँस पड़ा और बोला कि हाँ ऐसा कह सकती हो।
मुझे कपड़ों में देख कर पत्नी बोली कि कहीं जा रहे हो तो मैं बोला कि बाहर जा रहा हूँ कुछ मगाँना तो नहीं है तो वह बोली कि माया को साथ ले जाओ, इसे यहाँ के बारे में पता चल जायेगा। पनीर लेते आना। फिर वह माया से बोली कि जो सब्जी तुझे पसन्द हो वह भी लेतीआना।
मैं स्कूटर निकाल कर माया को बिठा कर बाजार को चला तो वह बोली कि आप से अच्छा तो मैं चला लेती हूँ, मैंने कहा कि कार ज्यादा चलाने के कारण स्कुटर अब तेज नहीं चलता है। बाजार पहुँच कर मैं माया को साथ ले कर सब्जी खरीदने चल दिया तो माया बोली कि आप किस लिये बाजार आये थे?
मैं चुप रहा तो वह बोली कि क्या मेरे साथ आने के लिये बहाना किया था। मैंने कहा कि नहीं मुझे यहाँ से कुछ खरीदना था सो आना पड़ा तो वह बोली कि अब खरीद क्यों नहीं रहे? मैंने कहा कि पहले तुम सब्जी खरीद लो, पनीर ले लो फिर वापिस जाते में मैं उसे भी खरीद लुगा।
वह चुप रही, उस का सामान खरीदने के बाद मैं वाइन की दूकान के सामने माया को खड़ा करके अंदर चला गया तो माया भी मेरे साथ ही अंदर आ गयी और बोली की बाहर बहुत धुप है। मैंने स्काच की बोतल खरीदी और जब बाहर आया तो माया बोली कि सीधी तरह से नहीं बता सकते थे कि शराब लेनी है। मैंने कहा कि पता नहीं था कि तुम कैसे रियेक्ट करती ? इस लिये झिझक रहा था।
वह बोली कि मैं भी पी लेती हूँ। आगे से ध्यान रखना, मैंने पुछा कोई खास पसन्द तो वह बोली कि रेड वाइन पसन्द है लेकिन आज नहीं, नहीं तो दीदी को जबाव देना मुश्किल हो जायेगा। अब आप के साथ कुछ और मजा आयेगा।
रास्ते भर हम दोनों चुप रहे। पत्नी को सारा सामान दे कर मैं बोतल अलमारी में रखने चला गया। वापस लौटा तो बीवी बोली कि साली से क्या शर्म ? जब पीते हो तो पीते हो। मैंने कहाँ कि मुझे कोई शर्म नहीं है। बात यहीं खत्म हो गयी।
दोपहर के खाने के बाद मैं सोने चला गया। हफ्तें भर की नींद की पूर्ति आज ही हो पाती है। शाम को पत्नी ने झकझौर कर उठाया और कहा कि चलो उठ कर चाय पी लो। मैं उठ कर डाइगरुम में आ गया। मेज पर चाय के साथ पकोड़ें रखे थे। मैंने प्रश्नवाचक निगाहों से पत्नी की तरफ देखा तो वह बोली की तुम्हारी साली ने बनाये है, बोली कि पकोड़ें तो जीजा जी को अच्छे लगते होगे?
मैंने माया कि तरफ देख कर कहा कि पकोड़ों के लिये धन्यवाद तुम्हारी दीदी और पकोड़ों का छत्तीस का आकड़ा है, मेरी इस बात पर पत्नी ने मेरी तरफ आँख तरेर कर देखा। हम तीनों पकोड़ों का आनंद उठाने लगे। पकोड़ें स्वादिष्ट बने थे। खा कर मजा आ गया। पत्नी बोली कि अब तुम्हारी साली तुम्हारें ऐसे शौकों को पुरा करेगी।
पत्नी बोली कि हम दोनों बाजार घुमने जा रहे है। तुम्हें कोई काम तो नहीं है? मैंने ना में सर हिलाया। दोनों तैयार हो कर बाजार चली गयी। मैं अकेला घर में रह गया। मैंने फोन चैक किया कि कहीं माया की कॉल तो नहीं पड़ी है लेकिन कोई कॉल नहीं थी।
बैठ कर टीवी पर पोर्न देखने बैठ गया। सेक्स की ललक जग रही थी लेकिन पता नहीं था कि कब करने का मौका मिलेगा। पत्नी जी की हाँ का कोई पता नहीं था। माया के साथ करने की सोच भी नहीं सकता था। कोई भी जल्दबाजी भारी पड़ सकती थी।
कोई रास्ता ना देख कर पोर्न ही देख कर काम चलाना पड़ रहा था। दो घंटे तक पोर्न देखता रहा। फिर बंद कर दिया कि पता नहीं दोनों कब लौट आये। मेरा सोचना सही निकला, टीवी बंद करते ही घंटी बज गयी, बाहर दोनों सामान से लदी हुई खड़ी थी। दोनों का सामान उन के हाथों से ले कर मैं अंदर आ गया। बीवी बोली कि मैं तो थोड़ा सा सामान लायी हूँ बाकि तो माया का है। मैं कुछ नहीं बोला।
रात को खाना खाने के बाद मैं पैग बना कर टीवी देखने बैठ गया, दोनों बहनें बेडरुम में थी, तभी माया आयी और मेरे गिलास से सिप मार कर बोली कि स्वाद तो अच्छा है, मैंने पुछा कि पैग बनाऊँ तो वह बोली कि नहीं अभी नहीं। वह वापस चली गयी। मैं अपना पैग खत्म कर के दूसरा पैग बना कर बैठ गया। पैग खत्म होने के बाद सोने चला गया। रात को बिस्तर पर पत्नी तैयार मिली और काफी दिनों के बाद दोनों ने जोरदार सेक्स का आनंद उठाया।
अगला दिन सोमवार था सो मैं तो ऑफिस के लिये चला गया। शाम तक मेरी किसी से कोई बात नहीं हुई। जब घर आया तो पत्नी से पुछा कि कैसा दिन बीता तो वह बोली कि पता ही नहीं चला कि दिन कब बीत गया। हम दोनों बातें बनाने में लगी रही, फिर इसे जरुरी सामान दिलाने के लिये बाजार चली गयी। वहाँ से वापस आये तो तुम ऑफिस से आ गये हो, अब चाय पी कर रात के खाने की तैयारी करते है।
रात को खाने पर पत्नी बोली कि मुझे तीन दिन के लिये बहन के पास जाना है, क्या करुँ, मैंने कहा तुम और माया दोनों चली जाओं तो माया बोली कि मैं तो वही से आयी हूँ अब वहाँ नहीं जाना चाहती। उस की बात सुन कर मैं चुप हो गया। पत्नी बोली कि मेरे पीछे माया के होने से तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी, इसी को केवल समय अकेले बिताना पड़ेगा। पत्नी की बात सुन कर माया बोली कि उस की तो मुझे आदत है।
मैंने उसी समय दूसरे दिन की पत्नी की ट्रेन की टिकट बुक करा दी। ट्रेन दोपहर में जाती थी सो अगले दिन ऑफिस से बीच में आ कर पत्नी को ट्रेन में बिठा आया और वापस ऑफिस आ गया। शाम को जब घर पहुँचा तो माया बोली कि दोपहर में आप फोन तो कर सकते थे? मैंने उसे बताया कि मुझे ऑफिस में दम मारने की फुर्सत नहीं मिलती है। इसी वजह से घ्यान में होने के बावजूद फोन करना भुल गया।
मैंने इस के लिये माया से सॉरी कहा तो वह बोली कि सॉरी माँगने की जरुरत नहीं है, जाते समय दीदी सब बता कर गयी है कि इन्हें ऑफिस जा कर घर फोन करने का समय नहीं मिलता है इस लिये चिन्ता मत करना और ना नाराज होना। ये ऐसे ही है। उस की बात सुन कर मैं मुस्करा दिया और बोला कि चलों मेरी प्रशंसा शुरु हो गयी।
मैंने माया से पुछा कि तुम्हें पता है क्यों तुम्हारी दीदी तुम्हें और मुझे अकेला छोड़ गयी है? उस ने ना में सर हिलाया तो मैंने कहा कि वह हम दोनों को चैक करना चाहती है। माया को विश्वास नहीं हुआ, मैंने उसे बताया कि वह जितनी सीधी है, उतनी ही तेज है लेकिन वह तेजी दिखाती नहीं है। इस लिये हम दोनों अच्छें बच्चें बन कर रहेगे। मेरी बात पर वह भी मुस्करा दी और बोली कि होगा तो वही जो दीदी चाहती है। मैंने हाँ में सर हिलाया।
वह बोली कि मुझ से कोई गल्ती हो जाये तो मुझे बता जरुर देना। मैं बोला कि क्या बताऊँगा कि तुम ने नमक कम डाला है या चीनी कम है, छोडो़ं अब हम दोनों की यह सब करने की उम्र नहीं रही। तुम जो करोगी सही करोगी ऐसा मेरा विश्वास है।
मेरी बात पर माया बोली कि मुझ पर इतनी जल्दी इतना विश्वास कैसे हो गया? जैसे तुम को हो गया है, वैसे ही मुझ को हो गया है। मेरी बात पर वह बोली कि दीदी सही कहती है कि आप से बातों में कोई नही जीत सकता।
फिर वह मेरी नाक हिला कर चाय बनाने चली गयी। रात के खाने पर मैंने पुछा कि सारा दिन क्या करा? तो वह बोली कि आप के जाने के बाद नहा धो कर घर साफ करके मैं तो सोने चली गयी और दोपहर तक सोती रही। और सोती रहती लेकिन दीदी के फोन ने जगा दिया। वह पहुँच गयी थी इसी बात की सुचना उन्होनें मुझे दी थी।
इसके बाद मैंने नाश्ता या कहो खाना बनाया और खाने के बाद कपड़ें वगैरहा लगाने लग गयी। पुराना सब वही छोड़ दिया था सो सब कुछ नया लेना पड़ रहा है। इसी में लगी थी कि आप आ गये थे। खाने के बाद हम दोनों कुछ देर बातें करते रहे, मैं बहुत थका था सो सोने चला गया, कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला।
मॉल पहुँच कर माया की आँखें चौधियाँ गयी और वह बोली कि मैं तो यहाँ पागल हो जाऊँगी। मैंने कहा कि वह तो तुम पहले से ही हो दुबारा क्या होगी? तो वह मेरी तरफ आँखें तरेर कर बोली कि अच्छा ऐसे विचार है आप के मेरे बारे में।
मैं हँस दिया और हम दोनों कपड़ों की बड़ी दूकान में घुस गये। कुछ वेस्टर्न कपड़ें खरीदने के बाद मैंने माया से कहा कि मैडम कुछ अंडर गारमेंट भी ले लो तो वह बोली कि आप ने अच्छा याद दिलाया। हम अंडर गारमेंट के सेक्शन में आ गये। मैंने सेल्सगर्ल को बुला कर कहा कि मैडम का सही साइज ले कर मैडम को ब्रा दिखायो और पेंटी सेट भी दो। मेरी बात सुन कर माया ने मुझे हैरानी से देखा तो मैंने उस से आँखें चुरा ली।
वह सेल्सगर्ल के साथ चली गयी। काफी देर बाद ट्रायल रुम से बाहर आ कर मेरी बाँह पकड़ कर बोली कि आप को कैसे पता कि मेरा साइज गलत है ? मैं मुस्कराया तो वह बोली कि मैं तो भुल ही जाती हूँ कि आप तो ऑलराउंडर है। मैंने सर झुका कर धन्यवाद दिया तो वह मेरी चुकुटी काट कर बोली कि ऐसा कुछ है जो आप को पता नहीं है ?
मैं हँस गया और बोला कि बहुत कुछ है जो मैं नहीं जानता। वह और मैं बिल देने के लिये काउंटर पर पहुँच गये। उस ने पर्स से कैश निकाल कर भुगतान कर दिया। सामान ले कर हम मॉल से बाहर निकले तो शाम घिर आयी थी, मैंने पुछा कि खाना खाना है तो वह बोली कि होटल में रुम में ऑडर कर देगे।
उस की बात मान कर मैं कार की तरफ चल दिया। सामान कार में रख कर हम दोनों वापस होटल के लिये चल दिये। होटल पहुँच कर सामान ले कर उस के रुम पर आ गये। वह बोली कि बोलों क्या खाना खाना है? मैंने कहा कि जो उसे पसन्द हो, मेरी बात सुन कर वह फोन पर ऑडर करने लग गयी।
इस के बाद मेरी तरफ घुम कर बोली कि उस दिन तो आप ने ऊपर हाथ ही लगाया था फिर भी आप को कैसे पता चला कि मेरी ब्रा का साइज गलत था। मैंने कहा कि तुम्हारें ब्लाउज उतारते ही मुझे पता चल गया था कि तुम्हारा साइज गलत है, वह बोली कि ऐसा कैसे पता चला? मैंने कहा कि नजर है पता चल जाता है। वह हँसी और बोली कि आप की इस बात से मेरी चिन्ता बढ़ गयी है कि मेरा प्रेमी कितनों को जानता है?
मैं उस की बात सुन कर बोला कि दो को ही जानता हूँ एक तुम्हारी बहन यानी मेरी बीवी और अब दूसरी तुम, इस पर तुम विश्वास करो या ना करो लेकिन यही सही है। वह मुस्करायी और बोली कि इस बात पर विश्वास नहीं होता कि कोई व्यक्ति एक बार में ही खुले वक्ष को देख कर बता दे कि ब्रा गलत साइज की पहन रखी है। लेकिन उस दिन तो ब्रा भी नहीं पहन रखी थी।
मैंने उसे बताया कि उस का ब्लाउज उस की छाती पर इतना कसा था कि उस का वक्ष सामने से दबा हुआ था, इसी लिये मैंने कहा कि तुम्हारी ब्रा का साइज गलत है। ब्लाउज का साइज भी गलत था। इतनी सी बात है यह बात पहली बार में ही पकड़ ली थी। मेरी बात सुन कर उस के चेहरे पर संतोष के भाव आये।
मैंने उसे बताया कि मैं देख कर एक-दो एमएम का अंतर भी पकड़ सकता हूँ, तुम्हारा तो इंच से ज्यादा का था। वह हँस कर दोहरी हो गयी और बोली कि आप की माया आप ही जानो, लेकिन मैं तो डर गयी थी कि आप ऐसे विषय पर इतनी जानकारी कैसे रखते है? तभी बेल बजी और वेटर खाना ले कर आया और खाना लगा कर चला गया।
हम दोनों खाना खाने लगे, खाना खाने के बाद मैंने माया से पुछा कि कल का क्या प्रोग्राम है तो वह बोली कि कल मैं दीदी को फोन करके बात करती हूँ फिर पता चलेगा क्या करना है। रात हो रही थी इस लिये मैं उस से विदा ले कर वापस घर चला आया।
सुबह जब ऑफिस पहुँचा तो कुछ देर बाद ही पत्नी का फोन आया कि माया यहाँ आई हुई है और होटल में रुकी हुई है, तुम उसे होटल से लेकर घर छोड़ जाओं, वह मुर्ख मेरे होते हुये होटल में रुकी है। उस से पुछा कि कौन सा होटल है और रुम नंबर क्या है। उस ने सब मुझे बता दिया, मैं ऑफिस से निकल कर होटल पहुँचा और माया का चैक आऊट करा कर उस का सामान गाड़ी में रख कर घर की तरफ चल दिया।
रास्तें में मैंने उस से पुछा कि कपड़ों के थेलें कहाँ है? तो वह बोली कि कपड़ों के टैग वगैरहा हटा कर उन के थेलें फैक दिये है, दीदी को पता नहीं चलना चाहिये कि कल मैं आप के साथ थी, नहीं तो सब कुछ गड़बड़ हो जायेगा। मैं मुस्करा दिया घर पहुँच कर दोनों बहनें गले मिल कर रोने लगी।
पति की मौत के बाद माया पहली बार पत्नी से मिली थी। जब दोनों शांत हो गयी तो मैंने पत्नी से पुछा कि और कोई काम तो नहीं है, नहीं तो मैं वापिस ऑफिस जाऊँ, तो बीवी बोली कि नहीं इसे यहाँ छोड़ना था, अब तुम ऑफिस चले जाओ।
शाम को आते में कुछ काम हुआ तो मैं बता दूँगी। मैं ऑफिस के लिये निकल गया। शाम को जब ऑफिस से निकलने लगा तो पत्नी से फोन करके पुछा कि कहो तो खाना लेता आऊँ तो वह बोली कि मैं भी यही कहने वाली थी जो तुम्हें पसन्द हो लेते आना।
मैं आते में तीन लोगों के लिये खाना लेता आया। जब सब खाना खाने बैठे तो माया बोली कि जीजा जी आप की पसन्द तो बढ़िया है, खाना स्वादिष्ट है। पत्नी बोली कि इन की पसन्द तो लाजवाव है इस के दो राय नहीं है।
मैं चुपचाप अपनी प्रशंसा सुनता रहा। रात तो जब सोने लगे तो पत्नी ने बताया कि अब माया इसी शहर में रहेगी। उसे पास में ही कोई मकान दिलवाना है। ताकि हम उस का ध्यान रख सके। मैं उस की बात सुनता रहा। मैंने कुछ ज्यादा नहीं पुछा, क्योंकि मैं उस के मन में शंक उत्पन्न नहीं करना चाहता था।
सुबह रविवार था सो ऑफिस नहीं जाना था, सुबह बिस्तर में ही था कि माया चाय ले कर आ गयी। यह देख कर बीवी बोली कि तुझें यह सब करने की आवश्यकता नहीं है। माया बोली कि जैसे तुम चाय बना कर लाती वैसे ही मैं भी ले आयी हूँ इस में क्या बात है?
उस की बात सुन कर पत्नी से जबाव नहीं दिया गया। तीनों चाय पीने लगे। चाय पीने के बाद मैं बाहर अखबार लेने चला गया। अखबार ले कर बाहर के कमरे में उसे पढ़ने बैठ गया। तभी माया आयी और बोली कि जीजा जी नाश्ते में क्या खाना है?
उस की बात सुन कर मैं बोला कि माया अब यह ज्यादा हो रहा है अभी तो आयी हो थोड़ा आराम कर लो, बाद में यह सब काम कर लेना। वह बोली कि आप भी दीदी के साथ मिल गये है। मैंने कहा कि हाँ उस के साथ ही हूँ कुछ दिन आराम करो फिर सब कर लेना, अभी तो कुछ दिन दीदी के आथिथ्य का आनंद लो।
तभी पत्नी भी आ गयी और बोली कि अब तो तेरे जीजा जी ने भी कह दिया है, उन की बात तो तुम मानती ही हो। माया बोली कि यह तो आप दोनों गलत बात कर रहे हो। ऐसे तो मैं आलसी बन जाऊँगी। पत्नी बोली कि, तु चिन्ता मत कर बहुत काम करायेंगे हम दोनों।
माया बोली कि अब क्या करुँ ? मैंने कहा कि नहा लो, सामान वगैरहा निकाल कर अलमारी में सजा लो। दीदी के साथ मिल कर घर देख लो। बहुत काम है करने के लिये। दोपहर में मैं तुम्हें काम बताऊँगा।
वह मेरी बात सुन कर मुस्करा कर चली गयी। पत्नी बोली कि आज पहली बार इस के चेहरे पर मुस्कराहट देखी है, तुम्हारी बात मान लेती है। मैंने कहा कि जीजा भी तो हूँ मैं। पत्नी भी चली गयी और मैं अखबार पढ़ने में मग्न हो गया।
कुछ देर बाद मेरे कानों में आवाज पड़ी कि आज क्या सारा अखबार चाटना है? सर उठा कर देखा को माया गिले सिर पर तौलिया लपेटे खड़ी थी। बड़ी सुन्दर लग रही थी। मैंने उसे देखा और अखबार बंद कर के रख दिया। फिर उस को देख कर पुछा कि साली जी बताओ क्या आज्ञा है? वह बोली कि नहा ले नहीं तो ऐसे ही नाश्ता करने के लिये चले। मैंने कहा कि एक दिन तो मिलता है देर से नहाने का, इस लिये ऐसे ही नाश्ता दे दो।
यह कह कर मैं उस के साथ चल दिया। वह आगे चल रही थी और मैं पीछे-पीछे उस की मस्त हथिनी की जैसी चाल देख रहा था। डाइनिग टेबल पर पत्नी नाश्ता लगा कर इंतजार कर रही थी। मुझे देख कर बोली कि अब तुझे पता चला कि तेरे ये पसन्दीदा जीजा जी कैसे है, छुठ्ठी के दिन तो इन से कोई भी काम करवाना बहुत मुश्किल काम है।
मैंने दोनों से माफी माँगी और कहा कि तुम आवाज दे देती, मैं आ जाता। मेरी बात सुन कर दोनों हँस पड़ी कि आप को सच में नहीं पता कि हम दोनों कितनी देर से आप को आवाज दे रहे थें। मैंने कानों को हाथ लगा कर कहा कि सच में, मैं अखबार पढ़ने में इतना डुब गया था कि कुछ भी ध्यान नहीं रहा। यह कह कर मैं मेज पर नाश्तें की प्लेट अपने आगे करके बैठ गया। माया बोली कि अब आप कुछ देर इंतजार करों, चाय दूबारा बनानी पड़ेगी। यह कह कर वह किचन में चली गयी।
पत्नी ने मेरी तरफ आँखें तरेर कर कहा कि आज तो पता नहीं तुम कहाँ खो गये थे। पहले तो ऐसे नहीं थे। मैंने कहा कि यार सच में अखबार पढ़ने में कुछ सुनायी ही नहीं दिया। कुछ देर बाद माया चाय ले कर आ गयी और हम तीनों चाय के साथ नाश्ता करने लगे। पत्नी बोली कि अब पहले नहाने जाना फिर और कोई काम करना। नहीं तो शाम तक ऐसे ही घुमते रहोगे।
उस की बात सुन कर माया बोली कि नहाने में भी बहाने, मैंने उसे देख कर कहा कि भाई आज के दिन हम एक दिन के बादशाह है इस लिये माबदौलत कोई काम नहीं करते है। मेरी बात पर दोनों हँस कर दोहरी हो गयी। मैं उन को हँसता छोड़ कर नहाने भाग गया। लेकिन जब नहा लिया तो पता चला कि तौलिया तो ले कर आया ही नहीं था। अब क्या करुँ ? पत्नी को आवाज लगायी तो माया की आवाज आयी की क्या है?
मैंने कहा कि दीदी को भेज, वह हँस कर पत्नी को बुलाने चली गयी। पत्नी के आने पर मैंने उसे बताया कि मेरा तौलिया बाहर रह गया है उसे दे दो। पत्नी भी हँस कर चली गयी किसी की आवाज आयी तो मैंने हाथ बाहर निकाला तो तौलिये की जगह हाथ पकड़ लिया, मुझे लगा कि पत्नी मजाक कर रही है, मैंने उसे डाट कर कहा कि यार अभी मजाक करने की सुझी है जब तुम्हारी बहन घर में है नहीं तो मैं ऐसे ही बाहर आ जाता, मेरी बात पर किसी परिचित की खनकती हँसी सुनायी दी और हाथ में तौलिया पकड़ा दिया गया।
मैं जब तौलिया लपेट कर बाहर आया तो देखा कि कोने में माया खड़ी मुझे देख रही थी। उस के इस रुप से मुझे डर लगा कि कहीं पत्नी को सब पता ना चल जाये लेकिन इस पर उसे कुछ कहना उचित ना समझ कर मैं बेडरुम में कपड़ें पहनने चला गया। कपड़ें पहन कर निकला तो देखा कि माया अभी तक वहीं खड़ी थी। मुझे देख कर बोली कि गीला तौलिया मुझे दे दे, मैं उसे सुखा कर आती हूँ यह कह कर वह तौलिया मेरे हाथ से ले कर चली गयी।
मैं पत्नी को ढुढ़ने लगा तो वह मुझे मिली नहीं, जब छत पर पहुँचा तो मैडम वहाँ कपड़ें सुखा रही थी। माया भी बहन के साथ कपड़ें सुखाने में मदद कर रही थी। मुझे देख कर दोनों बोली कि अब साहब खुद ही सुखने के लिये आ गये है। मैं हँस पड़ा और बोला कि हाँ ऐसा कह सकती हो।
मुझे कपड़ों में देख कर पत्नी बोली कि कहीं जा रहे हो तो मैं बोला कि बाहर जा रहा हूँ कुछ मगाँना तो नहीं है तो वह बोली कि माया को साथ ले जाओ, इसे यहाँ के बारे में पता चल जायेगा। पनीर लेते आना। फिर वह माया से बोली कि जो सब्जी तुझे पसन्द हो वह भी लेतीआना।
मैं स्कूटर निकाल कर माया को बिठा कर बाजार को चला तो वह बोली कि आप से अच्छा तो मैं चला लेती हूँ, मैंने कहा कि कार ज्यादा चलाने के कारण स्कुटर अब तेज नहीं चलता है। बाजार पहुँच कर मैं माया को साथ ले कर सब्जी खरीदने चल दिया तो माया बोली कि आप किस लिये बाजार आये थे?
मैं चुप रहा तो वह बोली कि क्या मेरे साथ आने के लिये बहाना किया था। मैंने कहा कि नहीं मुझे यहाँ से कुछ खरीदना था सो आना पड़ा तो वह बोली कि अब खरीद क्यों नहीं रहे? मैंने कहा कि पहले तुम सब्जी खरीद लो, पनीर ले लो फिर वापिस जाते में मैं उसे भी खरीद लुगा।
वह चुप रही, उस का सामान खरीदने के बाद मैं वाइन की दूकान के सामने माया को खड़ा करके अंदर चला गया तो माया भी मेरे साथ ही अंदर आ गयी और बोली की बाहर बहुत धुप है। मैंने स्काच की बोतल खरीदी और जब बाहर आया तो माया बोली कि सीधी तरह से नहीं बता सकते थे कि शराब लेनी है। मैंने कहा कि पता नहीं था कि तुम कैसे रियेक्ट करती ? इस लिये झिझक रहा था।
वह बोली कि मैं भी पी लेती हूँ। आगे से ध्यान रखना, मैंने पुछा कोई खास पसन्द तो वह बोली कि रेड वाइन पसन्द है लेकिन आज नहीं, नहीं तो दीदी को जबाव देना मुश्किल हो जायेगा। अब आप के साथ कुछ और मजा आयेगा।
रास्ते भर हम दोनों चुप रहे। पत्नी को सारा सामान दे कर मैं बोतल अलमारी में रखने चला गया। वापस लौटा तो बीवी बोली कि साली से क्या शर्म ? जब पीते हो तो पीते हो। मैंने कहाँ कि मुझे कोई शर्म नहीं है। बात यहीं खत्म हो गयी।
दोपहर के खाने के बाद मैं सोने चला गया। हफ्तें भर की नींद की पूर्ति आज ही हो पाती है। शाम को पत्नी ने झकझौर कर उठाया और कहा कि चलो उठ कर चाय पी लो। मैं उठ कर डाइगरुम में आ गया। मेज पर चाय के साथ पकोड़ें रखे थे। मैंने प्रश्नवाचक निगाहों से पत्नी की तरफ देखा तो वह बोली की तुम्हारी साली ने बनाये है, बोली कि पकोड़ें तो जीजा जी को अच्छे लगते होगे?
मैंने माया कि तरफ देख कर कहा कि पकोड़ों के लिये धन्यवाद तुम्हारी दीदी और पकोड़ों का छत्तीस का आकड़ा है, मेरी इस बात पर पत्नी ने मेरी तरफ आँख तरेर कर देखा। हम तीनों पकोड़ों का आनंद उठाने लगे। पकोड़ें स्वादिष्ट बने थे। खा कर मजा आ गया। पत्नी बोली कि अब तुम्हारी साली तुम्हारें ऐसे शौकों को पुरा करेगी।
पत्नी बोली कि हम दोनों बाजार घुमने जा रहे है। तुम्हें कोई काम तो नहीं है? मैंने ना में सर हिलाया। दोनों तैयार हो कर बाजार चली गयी। मैं अकेला घर में रह गया। मैंने फोन चैक किया कि कहीं माया की कॉल तो नहीं पड़ी है लेकिन कोई कॉल नहीं थी।
बैठ कर टीवी पर पोर्न देखने बैठ गया। सेक्स की ललक जग रही थी लेकिन पता नहीं था कि कब करने का मौका मिलेगा। पत्नी जी की हाँ का कोई पता नहीं था। माया के साथ करने की सोच भी नहीं सकता था। कोई भी जल्दबाजी भारी पड़ सकती थी।
कोई रास्ता ना देख कर पोर्न ही देख कर काम चलाना पड़ रहा था। दो घंटे तक पोर्न देखता रहा। फिर बंद कर दिया कि पता नहीं दोनों कब लौट आये। मेरा सोचना सही निकला, टीवी बंद करते ही घंटी बज गयी, बाहर दोनों सामान से लदी हुई खड़ी थी। दोनों का सामान उन के हाथों से ले कर मैं अंदर आ गया। बीवी बोली कि मैं तो थोड़ा सा सामान लायी हूँ बाकि तो माया का है। मैं कुछ नहीं बोला।
रात को खाना खाने के बाद मैं पैग बना कर टीवी देखने बैठ गया, दोनों बहनें बेडरुम में थी, तभी माया आयी और मेरे गिलास से सिप मार कर बोली कि स्वाद तो अच्छा है, मैंने पुछा कि पैग बनाऊँ तो वह बोली कि नहीं अभी नहीं। वह वापस चली गयी। मैं अपना पैग खत्म कर के दूसरा पैग बना कर बैठ गया। पैग खत्म होने के बाद सोने चला गया। रात को बिस्तर पर पत्नी तैयार मिली और काफी दिनों के बाद दोनों ने जोरदार सेक्स का आनंद उठाया।
अगला दिन सोमवार था सो मैं तो ऑफिस के लिये चला गया। शाम तक मेरी किसी से कोई बात नहीं हुई। जब घर आया तो पत्नी से पुछा कि कैसा दिन बीता तो वह बोली कि पता ही नहीं चला कि दिन कब बीत गया। हम दोनों बातें बनाने में लगी रही, फिर इसे जरुरी सामान दिलाने के लिये बाजार चली गयी। वहाँ से वापस आये तो तुम ऑफिस से आ गये हो, अब चाय पी कर रात के खाने की तैयारी करते है।
रात को खाने पर पत्नी बोली कि मुझे तीन दिन के लिये बहन के पास जाना है, क्या करुँ, मैंने कहा तुम और माया दोनों चली जाओं तो माया बोली कि मैं तो वही से आयी हूँ अब वहाँ नहीं जाना चाहती। उस की बात सुन कर मैं चुप हो गया। पत्नी बोली कि मेरे पीछे माया के होने से तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी, इसी को केवल समय अकेले बिताना पड़ेगा। पत्नी की बात सुन कर माया बोली कि उस की तो मुझे आदत है।
मैंने उसी समय दूसरे दिन की पत्नी की ट्रेन की टिकट बुक करा दी। ट्रेन दोपहर में जाती थी सो अगले दिन ऑफिस से बीच में आ कर पत्नी को ट्रेन में बिठा आया और वापस ऑफिस आ गया। शाम को जब घर पहुँचा तो माया बोली कि दोपहर में आप फोन तो कर सकते थे? मैंने उसे बताया कि मुझे ऑफिस में दम मारने की फुर्सत नहीं मिलती है। इसी वजह से घ्यान में होने के बावजूद फोन करना भुल गया।
मैंने इस के लिये माया से सॉरी कहा तो वह बोली कि सॉरी माँगने की जरुरत नहीं है, जाते समय दीदी सब बता कर गयी है कि इन्हें ऑफिस जा कर घर फोन करने का समय नहीं मिलता है इस लिये चिन्ता मत करना और ना नाराज होना। ये ऐसे ही है। उस की बात सुन कर मैं मुस्करा दिया और बोला कि चलों मेरी प्रशंसा शुरु हो गयी।
मैंने माया से पुछा कि तुम्हें पता है क्यों तुम्हारी दीदी तुम्हें और मुझे अकेला छोड़ गयी है? उस ने ना में सर हिलाया तो मैंने कहा कि वह हम दोनों को चैक करना चाहती है। माया को विश्वास नहीं हुआ, मैंने उसे बताया कि वह जितनी सीधी है, उतनी ही तेज है लेकिन वह तेजी दिखाती नहीं है। इस लिये हम दोनों अच्छें बच्चें बन कर रहेगे। मेरी बात पर वह भी मुस्करा दी और बोली कि होगा तो वही जो दीदी चाहती है। मैंने हाँ में सर हिलाया।
वह बोली कि मुझ से कोई गल्ती हो जाये तो मुझे बता जरुर देना। मैं बोला कि क्या बताऊँगा कि तुम ने नमक कम डाला है या चीनी कम है, छोडो़ं अब हम दोनों की यह सब करने की उम्र नहीं रही। तुम जो करोगी सही करोगी ऐसा मेरा विश्वास है।
मेरी बात पर माया बोली कि मुझ पर इतनी जल्दी इतना विश्वास कैसे हो गया? जैसे तुम को हो गया है, वैसे ही मुझ को हो गया है। मेरी बात पर वह बोली कि दीदी सही कहती है कि आप से बातों में कोई नही जीत सकता।
फिर वह मेरी नाक हिला कर चाय बनाने चली गयी। रात के खाने पर मैंने पुछा कि सारा दिन क्या करा? तो वह बोली कि आप के जाने के बाद नहा धो कर घर साफ करके मैं तो सोने चली गयी और दोपहर तक सोती रही। और सोती रहती लेकिन दीदी के फोन ने जगा दिया। वह पहुँच गयी थी इसी बात की सुचना उन्होनें मुझे दी थी।
इसके बाद मैंने नाश्ता या कहो खाना बनाया और खाने के बाद कपड़ें वगैरहा लगाने लग गयी। पुराना सब वही छोड़ दिया था सो सब कुछ नया लेना पड़ रहा है। इसी में लगी थी कि आप आ गये थे। खाने के बाद हम दोनों कुछ देर बातें करते रहे, मैं बहुत थका था सो सोने चला गया, कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला।