31-12-2018, 03:39 PM
भाग - 19
जैसे ही कुसुम ने अपने होंठों को उसके होंठों पर रखा.. उसने कुसुम के दोनों होंठों को चूसना शुरू कर दिया और नीचे अपनी कमर को पूरी रफ़्तार से हिलाते हुए.. राजू अपना लण्ड कुसुम की चूत में अन्दर-बाहर करता जा रहा था।
उधर कुसुम भी अपनी गाण्ड को बिस्तर से ऊपर उठा कर राजू का लण्ड अपनी चूत में ले रही थी।
फिर तो जैसे कुसुम की चूत से सैलाब उमड़ पड़ा।
उसका पूरा बदन अकड़ गया और उसने अपने नाख़ून राजू की पीठ में गड़ा दिए।
चमेली की खिली हुई के चूत के मुक़ाबले में कुसुम की कसी हुई चूत में राजू का लण्ड भी और टिक नहीं पाया और एक के बाद एक वीर्य की बौछार कर उसकी चूत की दीवारों को भिगोने लगा।
वासना का तूफ़ान ठंडा पड़ चुका था, पर अब भी दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूस रहे थे।
कुसुम (राजू के होंठों से अपने होंठों को अलग करते हुए, उखड़ी हुई साँसों के साथ)- राजू बेटा आज तूने मुझे वो सुख दिया है, जिसके लिए मैं कई सालों से तड़फ रही हूँ। आज से तुम मेरे नौकर नहीं.. मैं तुम्हारी दासी बन कर रहूँगी.. तुझे दुनिया की हर वो चीज़ मिलेगी.. जिस पर तुम हाथ रख दोगे.. ये तुमसे कुसुम का वादा है।
राजू- वो मालकिन मुझे वो..
कुसुम- हाँ.. बोल मेरे राजा अगर कुछ चाहिए तो…
राजू- नहीं.. वो मैं कह रहा था कि आप मुझे रोज ये सब करने देंगीं?
कुसुम- ओह्ह… मेरे लाल बस इतनी सी बात कहने के लिए इतना परेशान क्यों हो रहा है? सीधा क्यों नहीं कहता कि तू मुझे रोज चोदना चाहता है.. है ना..? बोल..
राजू (शरमाते हुए)- हाँ.. मालकिन।
कुसुम- चोद लेना मेरे राजा.. जब तुम्हारा दिल करे.. पर दिन में थोड़ा ध्यान रखना.. किसी को पता नहीं चलना चाहिए, चल छोड़ ये सब अभी तो आज पूरी रात पड़ी है।
यह कहते हुए कुसुम ने राजू को अपने ऊपर से हटा कर बिस्तर पर लेटा दिया और खुद उसके टाँगों के बीच में जाकर घुटनों के बल बैठ गई।
राजू का अधखड़ा लण्ड अभी भी काफ़ी लंबा और मोटा लग रहा था, जिसे देख कर कुसुम की आँखों में एक बार फिर से वासना जाग उठी।
उसने अपने काम-रस से भीगे राजू के लण्ड को मुठ्ठी में पकड़ लिया और तेज़ी से हिलाने लगी।
राजू- ओह्ह मालकिन धीरे ओह्ह..
कुसुम ने लंड की तरफ मुस्कुराते हुए राजू की तरफ देखा और फिर अपनी कमर पर इकठ्ठे हुए पेटीकोट से राजू के गीले लण्ड को साफ़ किया और फिर झुक कर उसके लण्ड के सुपारे को अपने होंठों के बीच में दबा लिया।
राजू का पूरा बदन काँप गया, उसने कुसुम के सर को दोनों हाथों से कस कर पकड़ लिया।
‘ये क्या कर रही हैं मालकिन आप.. ओह..’
कुसुम ने राजू की बात पर ध्यान दिए बिना.. उसके लण्ड को चूसना शुरू कर दिया।
राजू मस्ती में ‘आहह ओह्ह’ कर रहा था।
एक बार फिर से राजू के लण्ड में तनाव आना चालू हो गया था।
जिसे देख कर कुसुम की चूत की फांकें एक बार फिर से कुलबुलाने लगीं और वो और तेज़ी से राजू के लण्ड को चूसते हुए, अपने मुँह के अन्दर-बाहर करने लगी।
उसके हाथ लगातार राजू के अन्डकोषों को सहला रहे थे और राजू के हाथ लगातार कुसुम के खुले हुए बालों में घूम रहे थे।
कुसुम बार-बार अपनी मस्ती से भरी अधखुली आँखों से राजू के चेहरे को देख रही थी जो आँखें बंद किए हुए अपने लण्ड को चुसवा रहा था।
कुसुम ने राजू के लण्ड को मुँह से निकाला और राजू के अन्डकोषों को मुँह में भर चूसना चालू कर दिया, ‘ओह्ह बस मालकिन.. ओह्ह..’राजू को ऐसा लगा मानो उसकी साँस अभी बंद हो जाएगीं, उसका दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था।
जब राजू से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने कुसुम को उसके बालों से पकड़ कर खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया। कुसुम की चूचियाँ राजू छाती में आ धँसीं।
दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे, राजू ने अभी भी कुसुम के बालों को कस कर पकड़ा हुआ था, पर कुसुम के होंठों पर फिर भी मुस्कान फैली हुई थी।
नीचे राजू का लण्ड कुसुम की चूत के ऊपर रगड़ खा रहा था।
कुसुम राजू की आँखों में देखते हुए अपना एक हाथ नीचे ले गई और राजू के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर टिका दिया और राजू के आँखों में देखते हुए धीरे-धीरे अपनी चूत को राजू के लण्ड पर दबाने लगी।
कुसुम के थूक से सना हुआ राजू का लण्ड उसकी चूत के छेद को फ़ैलाते हुए अन्दर घुसने लगा।
राजू को ऐसे लग रहा था, जैसे उसके लण्ड का सुपारा किसी चूत में नहीं.. बल्कि किसी तपती हुई भट्टी के अन्दर जा रहा हो।
राजू की आँखें एक बार फिर से बंद हो गईं।
कुसुम ने राजू के दोनों हाथों को पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख कर अपने हाथों से दबा दिया और अपनी चूत को तब तक राजू के लण्ड पर दबाती रही, जब तक कि राजू का पूरा 8 इंच लंबा लण्ड उसकी चूत की गहराईयों में समा कर उसकी बच्चेदानी के छेद से न जा टकराया।
कुसुम (काँपती हुई आवाज़ मैं)- ओह्ह राजू तेरा लण्ड कितना बड़ा है….ओह.. देख ना कैसे मेरी चूत को खोल रखा है.. ओह राजू..
कुसुम की चूत तो जैसे पहले से एक और जबरदस्त चुदाई के लिए तैयार थी और अपने अन्दर कामरस की नदी बहा रही थी।
राजू का लण्ड अब जड़ तक कुसुम की चूत में घुसा हुआ था और कुसुम की चूत से कामरस बह कर राजू के अन्डकोषों तक आ रहा था।
राजू आँखें बंद किए हुए.. कुसुम की चूचियों को अपने हाथों से मसल रहा था, बीच में वो उसके चूचकों को अपनी उँगलियों के बीच में दबा कर खींच देता, जिससे कुसुम एकदम से सिसक उठती और उसकी कमर अपने आप ही आगे की ओर झटका खा जाती।
ज्यों ही लण्ड चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता उसी पल कुसुम के बदन में मस्ती की लहर दौड़ जाती।
‘हाँ.. राजू उफ्फ और ज़ोर से मसल, मेरे चूचुकों को ओह्ह ओह आह्ह..राजू.. चोद डाल मुझे… देख ना मेरी फुद्दी कैसे पानी छोड़ रही है.. तेरे लण्ड के लिए.. ओह राजू ओह्ह हाँ.. ऐसे ही और ज़ोर से मसल.. ओह ओह आह्ह..’
कुसुम अपनी कमर को हिलाते हुए सिसकारी भर रही थी और अपने दोनों हाथों को राजू के हाथों पर दबा रही थी।
राजू भी जोश में आकर नीचे लेटे हुए ऊपर की ओर धक्के लगाने की कोशिश कर रहा था.. पर दुबले-पतले राजू का बस नहीं चल रहा था.. ऊपर जवानी से भरपूर कुसुम जैसे गदराई हुई औरत जो उसके लण्ड पर उछल रही थी।
राजू तो बस अब आँखें बंद किए हुए कुसुम की कसी चूत के मज़े लूट रहा था।
कुसुम अब एकदम गर्म हो चुकी थी, उसने राजू के हाथों से अपने हाथ हटाए और राजू के ऊपर झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया।
जैसे ही राजू के हाथ आज़ाद हुए.. राजू अपने हाथों को उसकी गाण्ड पर ले गया और उसके चूतड़ों को ज़ोर-ज़ोर से मसल कर दोनों तरफ फ़ैलाने लगा।
कुसुम ने अपने होंठों को राजू के होंठों से हटाया और राजू के सर के दोनों तरफ अपनी हथेलियों को टिका कर अपनी गाण्ड को पूरी रफ़्तार से ऊपर-नीचे करके, अपनी चूत को राजू के लण्ड पर पटकने लगी।
राजू का लण्ड हर चोट के बाद करीब आधा बाहर आता और फिर पूरी रफ़्तार के साथ कुसुम की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अन्दर घुस जाता।
कुसुम तो मानो आज ऐसे निहाल हो गई थी, जैसे उससे स्वर्ग मिल गया हो।
कुसुम- हाँ.. राजू ओह्ह और ज़ोर से मसल मेरीईई गाण्ड को.. ओह्ह ह राजू देख मेरी फुद्दी फिर पानी छोड़ने वाली है आह्ह.. राजाआअ ओह ओह आह्ह.. आह्ह.. आह्ह..
कुसुम का बदन एक बार फिर से अकड़ने लगा और उसकी चूत से पानी की नदी बह निकली।
राजू भी नीचे लेटे हुए कमर हिलाते हुए झड़ गया।
कुसुम झड़ कर निढाल होकर राजू के ऊपर ही लुढ़क गई।
जब कुसुम की साँसें दुरस्त हुईं तो कुसुम राजू के ऊपर से उठ कर उसके बगल में लेट गई।
पूरे कमरे में अब चुदाई की खुशबू छाई हुई थी।
कुसुम ने करवट के बल लेटते हुए, राजू को अपने से चिपका लिया और राजू ने भी उसे अपनी बाँहों में भरते हुए, अपने चेहरे को कुसुम की चूचियों में दबा दिया।
कुसुम आज कई सालों बाद झड़ी थी.. वो भी एक के बाद एक.. दो बार।
अब उससे अपना बदन हल्का महसूस हो रहा था, होंठों पर संतुष्टि भरी मुस्कान और दिल में सुकून था।
अब ना तो राजू कुछ बोल रहा था और ना ही कुसुम।
दोनों एक-दूसरे के आगोश में खोए हुए कब सो गए, पता ही नहीं चला।
रात के 3 बजे के करीब राजू की नींद टूटी, शायद.. अभी वो पूरी तरह से जगा हुआ था।
राजू के हिलने के कारण कुसुम की नींद भी उखड़ गई।
लालटेन की रोशनी में उसने अपने आपको राजू की बाँहों में एकदम नंगा पाया।
राजू अब भी उसकी चूचियों को मुँह में दबाए हुए ऊंघ रहा था जिसे देख कर एक बार फिर कुसुम के होंठों पर प्यार भरी मुस्कान फ़ैल गई।
उसने बड़े ही प्यार से एक बार राजू के माथे को चूमा और फिर उसके बालों को प्यार से सहलाने लगी, वो मन ही मन सोच रही थी कि इस रात की सुबह कभी ना हो..
पर यह शायद मुमकिन नहीं था और शायद कल गेंदामल भी वापिस आ सकता था और जो प्यास उसकी आज कई सालों बाद बुझी है, शायद फिर पता नहीं कब तक उसे इस जवान लण्ड के लिए प्यासा रहना पड़े।
यही सोचते हुए.. कुसुम लगातार अपने हाथ की उँगलियों को राजू के बालों में घुमाए जा रही थी, जिससे राजू जो कि अभी गहरी नींद में नहीं था.. पूरी तरह से जाग गया।
उसने अपनी आँखें खोल कर कुसुम की तरफ देखा.. उसके होंठ कुसुम की गुंदाज चूचियों के चूचुकों के बेहद करीब थे।
राजू से रहा नहीं गया और उसने कुसुम के बाएं चूचुक को मुँह में भर कर ज़ोर से चूसना चालू कर दिया।
अपने कड़क चूचुक पर राजू के रसीले होंठ महसूस करते ही.. उसके बदन में सनसनी दौड़ गई।
जैसे ही कुसुम ने अपने होंठों को उसके होंठों पर रखा.. उसने कुसुम के दोनों होंठों को चूसना शुरू कर दिया और नीचे अपनी कमर को पूरी रफ़्तार से हिलाते हुए.. राजू अपना लण्ड कुसुम की चूत में अन्दर-बाहर करता जा रहा था।
उधर कुसुम भी अपनी गाण्ड को बिस्तर से ऊपर उठा कर राजू का लण्ड अपनी चूत में ले रही थी।
फिर तो जैसे कुसुम की चूत से सैलाब उमड़ पड़ा।
उसका पूरा बदन अकड़ गया और उसने अपने नाख़ून राजू की पीठ में गड़ा दिए।
चमेली की खिली हुई के चूत के मुक़ाबले में कुसुम की कसी हुई चूत में राजू का लण्ड भी और टिक नहीं पाया और एक के बाद एक वीर्य की बौछार कर उसकी चूत की दीवारों को भिगोने लगा।
वासना का तूफ़ान ठंडा पड़ चुका था, पर अब भी दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूस रहे थे।
कुसुम (राजू के होंठों से अपने होंठों को अलग करते हुए, उखड़ी हुई साँसों के साथ)- राजू बेटा आज तूने मुझे वो सुख दिया है, जिसके लिए मैं कई सालों से तड़फ रही हूँ। आज से तुम मेरे नौकर नहीं.. मैं तुम्हारी दासी बन कर रहूँगी.. तुझे दुनिया की हर वो चीज़ मिलेगी.. जिस पर तुम हाथ रख दोगे.. ये तुमसे कुसुम का वादा है।
राजू- वो मालकिन मुझे वो..
कुसुम- हाँ.. बोल मेरे राजा अगर कुछ चाहिए तो…
राजू- नहीं.. वो मैं कह रहा था कि आप मुझे रोज ये सब करने देंगीं?
कुसुम- ओह्ह… मेरे लाल बस इतनी सी बात कहने के लिए इतना परेशान क्यों हो रहा है? सीधा क्यों नहीं कहता कि तू मुझे रोज चोदना चाहता है.. है ना..? बोल..
राजू (शरमाते हुए)- हाँ.. मालकिन।
कुसुम- चोद लेना मेरे राजा.. जब तुम्हारा दिल करे.. पर दिन में थोड़ा ध्यान रखना.. किसी को पता नहीं चलना चाहिए, चल छोड़ ये सब अभी तो आज पूरी रात पड़ी है।
यह कहते हुए कुसुम ने राजू को अपने ऊपर से हटा कर बिस्तर पर लेटा दिया और खुद उसके टाँगों के बीच में जाकर घुटनों के बल बैठ गई।
राजू का अधखड़ा लण्ड अभी भी काफ़ी लंबा और मोटा लग रहा था, जिसे देख कर कुसुम की आँखों में एक बार फिर से वासना जाग उठी।
उसने अपने काम-रस से भीगे राजू के लण्ड को मुठ्ठी में पकड़ लिया और तेज़ी से हिलाने लगी।
राजू- ओह्ह मालकिन धीरे ओह्ह..
कुसुम ने लंड की तरफ मुस्कुराते हुए राजू की तरफ देखा और फिर अपनी कमर पर इकठ्ठे हुए पेटीकोट से राजू के गीले लण्ड को साफ़ किया और फिर झुक कर उसके लण्ड के सुपारे को अपने होंठों के बीच में दबा लिया।
राजू का पूरा बदन काँप गया, उसने कुसुम के सर को दोनों हाथों से कस कर पकड़ लिया।
‘ये क्या कर रही हैं मालकिन आप.. ओह..’
कुसुम ने राजू की बात पर ध्यान दिए बिना.. उसके लण्ड को चूसना शुरू कर दिया।
राजू मस्ती में ‘आहह ओह्ह’ कर रहा था।
एक बार फिर से राजू के लण्ड में तनाव आना चालू हो गया था।
जिसे देख कर कुसुम की चूत की फांकें एक बार फिर से कुलबुलाने लगीं और वो और तेज़ी से राजू के लण्ड को चूसते हुए, अपने मुँह के अन्दर-बाहर करने लगी।
उसके हाथ लगातार राजू के अन्डकोषों को सहला रहे थे और राजू के हाथ लगातार कुसुम के खुले हुए बालों में घूम रहे थे।
कुसुम बार-बार अपनी मस्ती से भरी अधखुली आँखों से राजू के चेहरे को देख रही थी जो आँखें बंद किए हुए अपने लण्ड को चुसवा रहा था।
कुसुम ने राजू के लण्ड को मुँह से निकाला और राजू के अन्डकोषों को मुँह में भर चूसना चालू कर दिया, ‘ओह्ह बस मालकिन.. ओह्ह..’राजू को ऐसा लगा मानो उसकी साँस अभी बंद हो जाएगीं, उसका दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था।
जब राजू से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने कुसुम को उसके बालों से पकड़ कर खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया। कुसुम की चूचियाँ राजू छाती में आ धँसीं।
दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे, राजू ने अभी भी कुसुम के बालों को कस कर पकड़ा हुआ था, पर कुसुम के होंठों पर फिर भी मुस्कान फैली हुई थी।
नीचे राजू का लण्ड कुसुम की चूत के ऊपर रगड़ खा रहा था।
कुसुम राजू की आँखों में देखते हुए अपना एक हाथ नीचे ले गई और राजू के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर टिका दिया और राजू के आँखों में देखते हुए धीरे-धीरे अपनी चूत को राजू के लण्ड पर दबाने लगी।
कुसुम के थूक से सना हुआ राजू का लण्ड उसकी चूत के छेद को फ़ैलाते हुए अन्दर घुसने लगा।
राजू को ऐसे लग रहा था, जैसे उसके लण्ड का सुपारा किसी चूत में नहीं.. बल्कि किसी तपती हुई भट्टी के अन्दर जा रहा हो।
राजू की आँखें एक बार फिर से बंद हो गईं।
कुसुम ने राजू के दोनों हाथों को पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख कर अपने हाथों से दबा दिया और अपनी चूत को तब तक राजू के लण्ड पर दबाती रही, जब तक कि राजू का पूरा 8 इंच लंबा लण्ड उसकी चूत की गहराईयों में समा कर उसकी बच्चेदानी के छेद से न जा टकराया।
कुसुम (काँपती हुई आवाज़ मैं)- ओह्ह राजू तेरा लण्ड कितना बड़ा है….ओह.. देख ना कैसे मेरी चूत को खोल रखा है.. ओह राजू..
कुसुम की चूत तो जैसे पहले से एक और जबरदस्त चुदाई के लिए तैयार थी और अपने अन्दर कामरस की नदी बहा रही थी।
राजू का लण्ड अब जड़ तक कुसुम की चूत में घुसा हुआ था और कुसुम की चूत से कामरस बह कर राजू के अन्डकोषों तक आ रहा था।
राजू आँखें बंद किए हुए.. कुसुम की चूचियों को अपने हाथों से मसल रहा था, बीच में वो उसके चूचकों को अपनी उँगलियों के बीच में दबा कर खींच देता, जिससे कुसुम एकदम से सिसक उठती और उसकी कमर अपने आप ही आगे की ओर झटका खा जाती।
ज्यों ही लण्ड चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता उसी पल कुसुम के बदन में मस्ती की लहर दौड़ जाती।
‘हाँ.. राजू उफ्फ और ज़ोर से मसल, मेरे चूचुकों को ओह्ह ओह आह्ह..राजू.. चोद डाल मुझे… देख ना मेरी फुद्दी कैसे पानी छोड़ रही है.. तेरे लण्ड के लिए.. ओह राजू ओह्ह हाँ.. ऐसे ही और ज़ोर से मसल.. ओह ओह आह्ह..’
कुसुम अपनी कमर को हिलाते हुए सिसकारी भर रही थी और अपने दोनों हाथों को राजू के हाथों पर दबा रही थी।
राजू भी जोश में आकर नीचे लेटे हुए ऊपर की ओर धक्के लगाने की कोशिश कर रहा था.. पर दुबले-पतले राजू का बस नहीं चल रहा था.. ऊपर जवानी से भरपूर कुसुम जैसे गदराई हुई औरत जो उसके लण्ड पर उछल रही थी।
राजू तो बस अब आँखें बंद किए हुए कुसुम की कसी चूत के मज़े लूट रहा था।
कुसुम अब एकदम गर्म हो चुकी थी, उसने राजू के हाथों से अपने हाथ हटाए और राजू के ऊपर झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया।
जैसे ही राजू के हाथ आज़ाद हुए.. राजू अपने हाथों को उसकी गाण्ड पर ले गया और उसके चूतड़ों को ज़ोर-ज़ोर से मसल कर दोनों तरफ फ़ैलाने लगा।
कुसुम ने अपने होंठों को राजू के होंठों से हटाया और राजू के सर के दोनों तरफ अपनी हथेलियों को टिका कर अपनी गाण्ड को पूरी रफ़्तार से ऊपर-नीचे करके, अपनी चूत को राजू के लण्ड पर पटकने लगी।
राजू का लण्ड हर चोट के बाद करीब आधा बाहर आता और फिर पूरी रफ़्तार के साथ कुसुम की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अन्दर घुस जाता।
कुसुम तो मानो आज ऐसे निहाल हो गई थी, जैसे उससे स्वर्ग मिल गया हो।
कुसुम- हाँ.. राजू ओह्ह और ज़ोर से मसल मेरीईई गाण्ड को.. ओह्ह ह राजू देख मेरी फुद्दी फिर पानी छोड़ने वाली है आह्ह.. राजाआअ ओह ओह आह्ह.. आह्ह.. आह्ह..
कुसुम का बदन एक बार फिर से अकड़ने लगा और उसकी चूत से पानी की नदी बह निकली।
राजू भी नीचे लेटे हुए कमर हिलाते हुए झड़ गया।
कुसुम झड़ कर निढाल होकर राजू के ऊपर ही लुढ़क गई।
जब कुसुम की साँसें दुरस्त हुईं तो कुसुम राजू के ऊपर से उठ कर उसके बगल में लेट गई।
पूरे कमरे में अब चुदाई की खुशबू छाई हुई थी।
कुसुम ने करवट के बल लेटते हुए, राजू को अपने से चिपका लिया और राजू ने भी उसे अपनी बाँहों में भरते हुए, अपने चेहरे को कुसुम की चूचियों में दबा दिया।
कुसुम आज कई सालों बाद झड़ी थी.. वो भी एक के बाद एक.. दो बार।
अब उससे अपना बदन हल्का महसूस हो रहा था, होंठों पर संतुष्टि भरी मुस्कान और दिल में सुकून था।
अब ना तो राजू कुछ बोल रहा था और ना ही कुसुम।
दोनों एक-दूसरे के आगोश में खोए हुए कब सो गए, पता ही नहीं चला।
रात के 3 बजे के करीब राजू की नींद टूटी, शायद.. अभी वो पूरी तरह से जगा हुआ था।
राजू के हिलने के कारण कुसुम की नींद भी उखड़ गई।
लालटेन की रोशनी में उसने अपने आपको राजू की बाँहों में एकदम नंगा पाया।
राजू अब भी उसकी चूचियों को मुँह में दबाए हुए ऊंघ रहा था जिसे देख कर एक बार फिर कुसुम के होंठों पर प्यार भरी मुस्कान फ़ैल गई।
उसने बड़े ही प्यार से एक बार राजू के माथे को चूमा और फिर उसके बालों को प्यार से सहलाने लगी, वो मन ही मन सोच रही थी कि इस रात की सुबह कभी ना हो..
पर यह शायद मुमकिन नहीं था और शायद कल गेंदामल भी वापिस आ सकता था और जो प्यास उसकी आज कई सालों बाद बुझी है, शायद फिर पता नहीं कब तक उसे इस जवान लण्ड के लिए प्यासा रहना पड़े।
यही सोचते हुए.. कुसुम लगातार अपने हाथ की उँगलियों को राजू के बालों में घुमाए जा रही थी, जिससे राजू जो कि अभी गहरी नींद में नहीं था.. पूरी तरह से जाग गया।
उसने अपनी आँखें खोल कर कुसुम की तरफ देखा.. उसके होंठ कुसुम की गुंदाज चूचियों के चूचुकों के बेहद करीब थे।
राजू से रहा नहीं गया और उसने कुसुम के बाएं चूचुक को मुँह में भर कर ज़ोर से चूसना चालू कर दिया।
अपने कड़क चूचुक पर राजू के रसीले होंठ महसूस करते ही.. उसके बदन में सनसनी दौड़ गई।