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वन नाईट स्टैंड
#2
UPDATE 1

माया से पहली मुलाकात बहुत रोमांचक थी। मुझे वह बहुत रहस्यमय लगी। उस के बारें में ज्यादा पता नहीं कर पाया, इस लिये रहस्य बना ही रहा। एक दिन ऑफिस में काम कर रहा था तभी फोन बजा, जब उठाया तो नंबर देख कर आश्चर्य से भर उठा।
दूसरी तरफ से वही रहस्यमयी आवाज थी, यहाँ रीगल होटल में रुम नम्बर 202 में ठहरी हूँ तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ, बताओं कितनी जल्दी आ सकते हो ? एक ही साँस में इतने सवाल सुन कर पहले तो मैं अचकचा गया, कुछ बोलता इस से पहले ही खनखनाती हूई आवाज ने कहा कि मैं आप का इंतजार कर रही हूँ। इतना कह कर उस ने फोन काट दिया।

मैं हैरान था कि अब क्या होने वाला है, यह यहाँ क्या करने आयी है? और मुझ से क्यों मिलना चाहती है? इन सब सवालों का जवाब मुझे वही जा कर मिलने वाला था। इस लिये मैंने हॉफ-डे ऑफ लिया और कार ले कर होटल रीगल की तरफ चल दिया। आधे घंटे के बाद होटल पहुँच कर दूसरी मंजिल पर रुम नम्बर 202 की बेल बजाई। दरवाजा खुला और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर घसीट लिया गया।

मैं हैरान सा होटल के सूट में खड़ा था मेरा हाथ माया के हाथ में था। वह मेरे से लिपट गयी और मैंने भी उसे बांहों में भर लिया। कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही एक-दूसरें से लिपटें खड़ें रहे, फिर अलग हो गये। मैं कुर्सी पर बैठ गया और वह मेरे सामने बेड पर पाँव ऊपर करके बैठ गयी। अभी तक मैं चुप था, मुझे चुप देख कर माया बोली कि क्या शॉक लग गया है ? मैंने हाँ में गरदन हिलायी तो वह हँसती हूई बोली कि ऐसा क्या किया है मैंने जो इतने हैरान है? मैं अभी भी चुप था।

यह देख कर वह बेड से उठी और मुझे झकझौर कर बोली कि सपना नहीं देख रहे है, सच में मैं ही हूँ। मैंने कहा कि शॉक तो तुम्हारें फोन से लगा था कि तुम अचानक यहाँ कैसे? लेकिन अब विश्वास हो गया है कि तुम ही हो, मायावी माया। मेरी बात पर उस की खनकती हूई हँसी मेरे कानों में घुल गयी। वह बोली कि आप के सिवा मैं किसी के पास नहीं जा सकती हूँ इस लिये यहाँ चली आयी। मुझे अभी तक कुछ समझ नहीं आया था। वह मेरा चेहरा देख कर बोली कि

आप को कुछ पता नहीं है ?

क्या कुछ ?

मेरे बारे में कुछ भी ?

नहीं

मेरी इतनी चिन्ता करते है ?

तुम्हारी चिन्ता नहीं करता

क्यों ?

तुम अपनी चिन्ता खुद कर सकती हो, ऐसा मेरा मानना है

इस लिये मेरे बारे में कुछ पता नहीं रखते

अब बता भी दो, क्या हुआ है ?

सच बोल रहे है

हाँ भई हाँ

मैं आजाद हो गयी हूँ

किस से

अपने बंधन से

कुछ समझा नहीं

इनकी मृत्यु हो गयी है, चार महीने पहले

सॉरी, मुझे पता नहीं था

आप क्यों सॉरी हैं

तुम्हारें साथ बुरा हुआ

कौन कह रहा है कि बुरा हुआ है

मैं कुछ समझा नहीं

उस रात के बाद भी कुछ समझ नहीं आया था आप को

कुछ-कुछ समझ आया था लेकिन इस बारें में ज्यादा पता नहीं कर पाया

अच्छा किया पता नहीं किया, कोई कुछ बताता नहीं

क्या हुआ?

अचानक हार्ट अटैक आया और कुछ कर नहीं पाये।

मैं अब उस संबध से आजाद हूँ, मुझे कोई रोल करने की आवश्यकता नहीं है। सारा बिजनेस मेरे नाम हो गया है और मैंने उसे बेच कर यहाँ बसने का फैसला कर लिया है।

बढिया है

आप को मेरा साथ देना है, मैं आप के पास ही आयी हूँ या यह कहे की आप के सर पर लदने आ गयी हूँ।

कोई बात नहीं है, तुम्हारा साथ जरुर दुँगा, आखिर साली जो हो

खाली साली ?

कोई नाम देना जरुरी है ?

नहीं मुझे किसी नाम की अब जरुरत नहीं है, मुझे बस आप का साथ चाहिये।

इतनी बड़ी बात इतनी आसानी से कैसे कह सकती हो ?

आप के साथ इतने कम समय रह कर ही मैं आप को पहचान गयी हूँ, तभी तो इतना बड़ा फैसला किया है। मेरी नजरें पहचानने में धोखा नहीं खाती है।

पहले क्या करोगी ?

मकान खरीदूँगी, कुछ के बारें में पता किया है, आप के साथ चल कर देख लेती हूँ।

तुम्हारी दीदी को कैसे बताना है ?

वो सब आप मुझ पर छोड़ों, मैं सब संभाल लुँगी। आप तो अपनी कहो।

अब और क्या सुनना चाहती हो ?

जो सुनना चाहती हूँ वह पता है कि नहीं हो सकता है।

क्या नहीं हो सकता है, इतना सब तो हो चुका है।

वह तो अचानक हुआ था, अब जो होगा वह सोच समझ कर होगा।

हाँ यह तो है उस की तैयारी करनी पड़ेगी। सोचना पड़ेगा कि उस का सब पर क्या असर पड़ेगा ?

सोचने का ही काम है अब मेरे पास, और कोई काम नहीं है, पैसे की चिन्ता नहीं है। जीवन को दूबारा पटरी पर लाने की सोच रही हूँ।

वह भी पटरी पर आ जायेगी। चिन्ता मत करों।

यह कह कर मैं कुर्सी से उठा और माया को बेड से उठा कर अपने से आलिंगन बद्ध कर लिया, वह भी लता की तरह मेरे से लिपट गयी। मेरे होंठ उस के होंठों से जुड़ गये और हम दोनों चुम्बनलीन हो गये। मेरी बाँहों का कसाब उस की पीठ पर कस रहा था, वह बोली कि दम मत निकालों, नहीं तो किसी काम की नहीं रहुँगी। यह सुन कर मैंने बाँहों का कसाब ढ़ीला किया। फिर उसे बाँहों से मुक्त कर दिया।

हम दोनों बेड के किनारे पर बैठ गये। कुछ देर चुप रहने के बाद मैंने उस से पुछा कि खाना खा लिया है? तो वह बोली कि नहीं यहाँ आ कर तुम्हारा चेहरा देखे बिना कुछ खाना नहीं था। उस की यह बात सुन कर मैंने उस से कहा कि जब मेरे से इतना प्यार है तो बीच में कभी याद क्यों नहीं किया?

वह बोली कि इस प्यार की वजह से ही तो जिन्दा हूँ नहीं तो कब की मर जाती, लेकिन लाज-शर्म की वजह से और दीदी को धोखा देने के भय से अपने पर काबु रखा, लेकिन अब काबु नहीं रहा। इस लिये आप के पास चली आयी।

मैंने उस की पीठ के पीछे से बाँह कर के उसे अपने से सटा लिया। हम दोनों के पास शब्द खत्म हो गये थे। काफी देर तक दोनों ऐसे ही बैठे रहे। फिर मैंने कहा कि चलों कहीं बाहर चलते है खाना खाने। माया बोली यही सही रहेगा। हम दोनों ने अपने कपड़ें सही किये और रुम का दरवाजा लॉक करके दोनों निकल लिये। होटल से कार ले कर मैं एक रेस्टारेंट में आ गया। यहाँ हम दोनों नें भरपेट खाना खाया।

खाने के बाद माया बोली कि मुझे कुछ कपड़ें खरीदने है कहीं चलो। मैंने कहा चलो चलते है और हम दोनों एक बड़ी मॉल के लिये चल दिये।
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वन नाईट स्टैंड - पार्ट 2 - by abhishek.kumar - 08-03-2025, 01:55 PM



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