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Adultery दुबई के चाचाजी
#8
अगलो दीन मैं सुबह जल्दी ऊटकर देखा ते नेहा भीजल्दी ऊटकर कीचन मे मेरे लीए नाश्ता बनारहीथी। फीर मै तयार होके नाश्ता कीया ओर नेहा से कहा, "नेहा मै आफीस का काम खतम कर को एक हफ्ते बाद ही वापीस आऊंगा, मैं जहां जा रहाहु वहा कोयी फेन नही हैं, तो ईस एक हफ्ते मैं ऊसे फेन भी नही कर पाऊंगा तो तुम्म अपना ओर चाचाजी का खयाल रखना", ऎसा बेलकर मै नीकल गया। फीर मैंने शहर को दुसरी तरफ एक लोज मैं कमरा लोकर वहा रहने लगा ओर वही से आफीस आने जाने लगा। ईस एक हफ्ते के दोरान मैंने नेहा या चाचाजीसे फेन पे कोई बात नही की। एक हफ्ते बाद शनीवार को मैने घर फेन कीया तो नेहा ने फेन उटाया, "मैने नेहा से कहा की मेरा काम यहा खतंम हो गया है तो मै अभी देसरे शहरके बसस्टाप पे हु ओर रात ११ बजेकी गाडीसे नीकलुंगा ओर कल सुबह ८-९ बजे तक घर पहुच जावुंगा", इतना कहकर मैने फेन काट दीया। फीर मै खाना खाया ओर लोज मै आकर ऊन्हे कहा की मै कल सुबह ८ बजे नीकल जाऊंगा, ओर सोने चला गया। अगलो दीन मै सुबह जल्दी ऊटकर अपना सामान प्याक करके लोज वालोका अकाऊंटेंट्स सेटल करके एक आटो लोकर घर की तरफ नीकल गया। जब घर पहुंचा तो नेहा मेरा ईंतजार कर रहीथी, मेरे आतो ही ऊसने मुझे कहा, "तुम सफर से थको होगे तो जाकर नहाले मैने तुम्हारे लीए पानी गरम करके रखा है"। तो मै मेरे कमरे मे चला गया ओर नाहा दोकर बाहर आया ते दोखा नेहा कीचन मे मेरे लीए नाश्ता बनारहीथी। फीर मेने नाश्ता कीया ओर नेहा से कहा, "नेहा मै रातभर को सफर से थक गया हु तो मे सोने जा रहाहु तुम मुझे दुपहर मे खानेके लीएही ऊठन तब तक मुझे डीस्टर्ब मत करना", ऎसा बेलकर मै कमरे मे सोने चला गया। पता नही कब मुझे नींद आगयी मुझे पता भी नही चला। दुपहर मे नेहा आई ओर मुझे ऊठार कहा, "ऊठे खना बन गया है तुम जलदीसे फ्रेश हेके आजाव मै खाना लगा दोती हु"। जब मै फ्रेश हो कर आया तो नेहाने खान लगा दीया था, हम सबने साथ खाना खाया ओर खाने को बाद साथ बैटकर टीवी देखने लगे ओर गप्पे हाकने लगे। चाचाजी ने मेरे काम को बारेमे पुछा ओर कहने लगे, "अरे अमित बेटा मैतो यहा तुम लोगोंके साथ चुटी मनाने आया था मगर तुम तो काम मे बीझी होगये? अब अगलि हफ्ते मै वापीस दुबई चला जाऊंग। तुम अगलि हफ्ते मै दो तीन दीन के लीए छुटी लेलो हम सब घुमने चलते है"। तो मैने भी हा कह दीया, ए सुन के नेहा भी खुश हो गई। हम शाम को घुमने चले गये ओर वहा चाचाजी ने हम दोने को खुब शापींग करवायी, फिर हमने बाहर ही खान खाके घर आ गये। जब हम घर लोटे तो चाचाजी ने कहा, "चलो अमित बेटा मै सोने जा रहा हु तुम एक हफ्ते नही थे तो बहु तुम्हे बहुत मीस्स कर रहीथी, तुम्हे भी बहु सो प्यार भरी बातो करनी होगी", एसा कहते हुए चाचाजी ने मुझे आख मारी। ए सुनकर नेहा शरमा गयी ओर कमरेमे चली गयी, मै चाचाजी का ईशारा समझगया ओर मै भी नेहा के पीछे पीछे कमरेमे चला गया। मै पहले जाकर फ्रेश हेके बाहर आया तो फीर नेहा फ्रेश होने चली गयी, मै चुप चाप बेड पर जाकर बैठ गया। कुछ समय बाद नेहा तयार होके बाथरुंम से बाहर आई तो मै ऊसे देखता ही रह गया। नेहाने एक डिझैनर सील्क नैटी पेहना था जीसमे वो बहुत खुबसुरत दीख रही थी ओर काफी खुश भी दीख रही थी। नेहा को ऊसे मादक नैटी मे देख कर मुझसे रह नही गया ओर मै ऊसपर टुट पडा। मैने जल्दी से नेहा को नंगा कीया ओर ऊसे चोदने लगा, पर मुझे लगा की मै तंग गलीमे नही खुले सडक मे जा रहा हु, क्युकी अब मुझे नेहा की चुत्त काफी खुली हुई लग रही थी। मैने नेहा को दोखा तो ओ आंख बंद कर के मेरा साथ दो रही थी, तो मैने नीचे नेहा की चुत्त देखने लगा तो वे काफी खुली हुई लग रही थी। फीर मेरी नझर जब ऊसके गांड के छेद पर गई इतो मेरे ते होश ही ऊड गये, ऊसकी गांड का छेद पुरा खुला हुवा था ज्यैसे कीसीने ऊसके गांड मे बडा मुहसल डाल दीया हो। फीर मुझे चाचाजी की कही बात याद आई, जब नेहा शापींग कर रहीथी तब चाचाजी ने मुझसे कहाथा, "अमित बेटो अब बहु पुरी तरहा खुल गयी है अब तुम चाहो तो ऊसके घर मे कहीसे भी ओर कैसे भी घुस सकते हो, चिंताकी कोई बात नही होगी, चाहो ते आज रात को घुस के दोख लो"। अब मुझे ऊनकी बात समझ आई की ओ एसा क्यो कहाथा, ऊन्होने नेहाकि चुत्त ओर गांड दोनेका छेद पुरा खुल दीया था। नेहाकि चुत्त ओर गांड दोनेका छेद दोख कर मुझे लगा की चाचाजी हतीयार कीतना बडा होगा की नेहाकि छेद ईतने खुलो हुये है की मुझे नेहा की चुत्त महसुस ही नही हो पा रही थी। ऎसब सोचके मै बहुत ज्यादा ऎक्सैट हो गया ओर जोर जोर से नेहाको चोदने लगा, तब नेहा भी मुझसे कहने लगी की, "आआहाआंन्न…..बहुत मज़ा आ रहा है…..चोदो …चोदो …उईईई माआ.... और चोदो…”। यह कहते हुए नेहा सिसकारियाँ भी लेने लगी, ”..उनन्नज्ग्घह….आअहह….”, ये सब सुनकर मुझसे ओर रहा नही गया ओर कुछ देर बाद मैने अपने गरम वीर्य से नेहा की चूत को भर दिया। फिर मैने  नेहा की चूत से लंड बाहर निकालकर के ऊसके बगल में लेट गया, तो नेहा भी मुझसे लीपट्कर सो गई, हम दोने को कब नींद आगयी पता भी नही चला। अगलो दीन  मै थोडा देरीसे ऊटकर देखा ते नेहा मेरे बगल मै सो रही थी, तो मै जल्दी नाहा दोकर आफीस कामपर नीकल गया। मैने आफीस मे तीन दीन के लीए छुटी लेली, फीर हम सब अगलो दीन एक अछ्छे हील स्टोशन नीकल गये छुटी मनाने। चाचाजी ने वहा हील स्टोशन मे एक बडीयासा मोहंगे वाला प्रायवेट काटोज बुक कीया था, जो नेहा को बहुत पसनंद आया। फीर हम तीनोने वहा अगलो तीन दीन तक बहुत मजा कीया, दीनभर घुमना ओर  खुब शापींग करि तो रात मे मै ओर चाचाजी दारु पीकर टुल्ल हो जातो। हील स्टोशन मे तीन दीन छुटी मनाने के बाद हम वापीस घर आ गये, ओर अगलो दीन रात को चाचाजी वापीस दुबई चले गये। मै ओर नेहा चाचाजी छोडने ऎर्यपेर्ट गये जब चाचाजी जाने लगे तो नेहा ऊनसे लीपटकर ऎसे रोई की जानो ऊसके असलीवाले चाचाजी जा रहे हो। चाचाजी को वापीस दुबई दुबई जानेके बाद भी मै ऊनसे हफ्तेमे एक बार ऊस ईंटरनेट ग्रुप मे चाट करता था। दो महीना एसे ही गुजर गया, ओर एक दीन हमे पता चला की नेहा प्रेग्निंट है। ए सुनकर हम दोने बहुत खुश हुए, ओर ए बात मैने चाचाजी को भी चाट मे बता दी। ईस बात को सुनकर वो भी बहुत खुश हुए ओर मुझे मुबारक बात दी, ओर कहा की ए खुशखबरी दोने के लीए ओ मुझे एक गीफ्ट दोंगे मगर वो गीफ्ट सीर्फ मेरे लीएही होगी, ओर ईस पात का पता बहुको तो क्या कीसी ओर को भी नही लगना चाहीये। तो मैने भी चाचाजी से वादा कीया की ये बात मै कीसीसे नही शेर करुंगा। तब चाचाजी ने कहा की वे मुझे  हर हफ्ते शुक्रवार को ईमोलस भेजोंगे ओर ऊन्होने मुझे वो ईमोलस को अकोलोमे पढ्नोकोलीए कहा, तो मैने भी हाः कर दी। ओर मै चाचाजी को ईमोलस का ईंतजार करनो लगा।




अगलो भाग मे मै चाचाजी को ईमोलस को बारोमे बतऊंगा की ऊसमे क्या था.....
ಇ೦ತಿ ನಿಮ್ಮ,

ಕಾಮರಾಜ

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RE: दुबई के चाचाजी - by kamraj85 - 03-03-2025, 08:53 AM



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