29-06-2019, 08:59 AM
(This post was last modified: 22-11-2020, 05:41 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
चरण सेवा
उनकी तो चाँदी हो गयी।
बस बिना कहे पहले तलुवे ,फिर पैर, ...
साथ में मम्मी की तारीफ़ और छेड़ छाड़ ,
बहुत अच्छी मालिश करते हो , लगता है मेरी समधन किसी मालिश वाले के साथ सोई होंगी तभी पेट से ही सीख के ,...
वो शर्मा रहे थे।
हम दोनों मजे ले रहे थे।
" अरे मम्मी सिर्फ खून में होने से थोड़े ही होता है ,प्रैक्टिस भी तो लगता है खूब की है उन्होंने ,"
मैंने उन्हें मुस्कराते हुए छेड़ा।
" हाँ एकदम बोल न किस का दबाते थे ,अपनी मम्मी का की भौजाई का दबा दबा के सीखा है। " मम्मी ने चिढाया।
मम्मी का दूसरा पैर उनकी जांघ पर था ,जान बूझ कर मम्मी हलके हलके सरकाते आलमोस्ट उनजे तन्नाए बल्ज के पास ,
" अरे शर्मा काहे को रहे हो आखिर दबाने वाली चीज तो दबायी ही जायेगी न , ये मत बोलना की मेरी समधन या तेरी भौजाई दबवाती नहीं है , इत्ते मस्त है दोनों के। "
मम्मी जब उनके मायकेवालियों के पीछे पड़ जाती थीं तो उन्हें रोकना मुश्किल था ,फिर मैं क्यों रोकूंगी।
पैर के बाद उन्होंने मम्मी के कंधे भी दबाये और पीठ भी ,गाउन के अंदर हाथ डाल के ,
लेकिन उसका नतीजा वो हुआ जो न मम्मी चाहती थीं न मैं।
और शायद वो भी नहीं ,मम्मी को नींद आने लगी।
बीच बीच में वो हलके हलके खराटे लेने लगतीं।
" अच्छा चलो तुम दोनों जोर से नींद आ रही है , जाने के पहले लाइट बंद कर देना। मिलते हैं ब्रेक के बाद , " उनकी ओर देख के मुस्करा के बोलीं और करवट बदल के सो गयीं।
गाउन मम्मी का जांघ तक उठ गया।
निकलने के पहले उन्होंने मम्मी का गाउन ठीक किया और चादर ओढा दो।
लाइट मैंने बंद कर दी , पर जैसे वो बाहर निकले मैंने गपुच लिया 'हवा मिठाई "
" हे मम्मी से बच गए लेकिन मुझसे नहीं बचोगे। "
मैंने दबोच के पुच्च पुच्च पंदरह बीस ले डाली उनके चेहरे पे।
उनकी तो चाँदी हो गयी।
बस बिना कहे पहले तलुवे ,फिर पैर, ...
साथ में मम्मी की तारीफ़ और छेड़ छाड़ ,
बहुत अच्छी मालिश करते हो , लगता है मेरी समधन किसी मालिश वाले के साथ सोई होंगी तभी पेट से ही सीख के ,...
वो शर्मा रहे थे।
हम दोनों मजे ले रहे थे।
" अरे मम्मी सिर्फ खून में होने से थोड़े ही होता है ,प्रैक्टिस भी तो लगता है खूब की है उन्होंने ,"
मैंने उन्हें मुस्कराते हुए छेड़ा।
" हाँ एकदम बोल न किस का दबाते थे ,अपनी मम्मी का की भौजाई का दबा दबा के सीखा है। " मम्मी ने चिढाया।
मम्मी का दूसरा पैर उनकी जांघ पर था ,जान बूझ कर मम्मी हलके हलके सरकाते आलमोस्ट उनजे तन्नाए बल्ज के पास ,
" अरे शर्मा काहे को रहे हो आखिर दबाने वाली चीज तो दबायी ही जायेगी न , ये मत बोलना की मेरी समधन या तेरी भौजाई दबवाती नहीं है , इत्ते मस्त है दोनों के। "
मम्मी जब उनके मायकेवालियों के पीछे पड़ जाती थीं तो उन्हें रोकना मुश्किल था ,फिर मैं क्यों रोकूंगी।
पैर के बाद उन्होंने मम्मी के कंधे भी दबाये और पीठ भी ,गाउन के अंदर हाथ डाल के ,
लेकिन उसका नतीजा वो हुआ जो न मम्मी चाहती थीं न मैं।
और शायद वो भी नहीं ,मम्मी को नींद आने लगी।
बीच बीच में वो हलके हलके खराटे लेने लगतीं।
" अच्छा चलो तुम दोनों जोर से नींद आ रही है , जाने के पहले लाइट बंद कर देना। मिलते हैं ब्रेक के बाद , " उनकी ओर देख के मुस्करा के बोलीं और करवट बदल के सो गयीं।
गाउन मम्मी का जांघ तक उठ गया।
निकलने के पहले उन्होंने मम्मी का गाउन ठीक किया और चादर ओढा दो।
लाइट मैंने बंद कर दी , पर जैसे वो बाहर निकले मैंने गपुच लिया 'हवा मिठाई "
" हे मम्मी से बच गए लेकिन मुझसे नहीं बचोगे। "
मैंने दबोच के पुच्च पुच्च पंदरह बीस ले डाली उनके चेहरे पे।