22-02-2025, 03:22 PM
इधर मानसी की उंगलियाँ मेरे बालों में घूम रही थी और जब उसकी चूत को चबाता था तो वह भी तड़प के मेरे बालों को खींच लेती.
चार पाँच मिनट के बाद मानसी की सिसकारियाँ तेज होने लगी और उसकी चूत ने काम रस छोड़ दिया जिसे मैंने पूरा गटक लिया.
मानसी का काम रस निकालने के बाद वो अपनी सांसों को संयत करते हुए हांफने लगी और मैं उसकी बगल में लेट गया.
एकाएक वह मेरी छाती के ऊपर चढ़ कर बैठ गई और मेरे होंठ चूमने लगी.
उसकी चूत कम रस की वजह से थोड़ी गीली थी जो मेरे पेट पर चिकनाई का काम कर रही थी.
दो मिनट तक मुझे चूमने के बाद मानसी नीचे सरक गई और मेरे लंड को सहलाने लगी.
तब उसने अपने खुले हुए रेशमी बालों को झटक कर एक तरफ किया और मुस्कुराकर धीरे से मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और एकदम नज़ाकत के साथ चूसने लगी.
अपने दूसरे हाथ से वह मेरी छाती को कभी सहलाती, कभी नोचती.
वह इतने प्यार से लंड को चूसने लगी कि मेरी सिसकारी निकलने लगी.
मैं अपने दोनों हाथों से उसके सिर को अपने लंड पर दबाने लगा.
पर उसने दोनों हाथों की उंगलियों से मेरे उंगलियों को फंसाया और मेरे ही चूतड़ों के नीचे दबा दिया.
अब पूरी तन्मयता के साथ वह लंड को अपने गले तक भरने लगी.
जब मेरा लंड पूरा उसके थूक से भर गया तो वह मेरे लंड के ऊपर आई और अपने दोनों हाथों को मेरे छाती पर रखा और धीरे धीरे लंड को अपनी चूत में समाहित करने लगी.
उसके चेहरे पर दर्द और सुख दोनों भाव एक साथ दिखाई देने लगे.
जब लंड पूरा अंदर उसने अपनी चूत में डाल लिया तो करीब 1 मिनट उसने अपने दर्द को काबू करने में लगाया … और फिर धीरे धीरे उपेर नीचे होने लगी.
मैं अपने दोनों हाथों से उसके गद्देदार चूतड़ मसलने लगा.
जब लंड आसानी से अंदर बाहर होने लगा तो मानसी थोड़ा सीधा होकर उछलने लगी जिससे उसके बड़े बड़े स्तन उभर कर नाचने लगे और वह खुद अपने दोनों हाथों से अपने दूध मसलने लगी.
तकरीबन पाँच मिनट तक हम इसी अवस्था में रहे.
फिर जब वह थकने लगी तो मानसी को बेड के किनारे लिटा कर में नीचे फर्श पर खड़ा हो गया और उसकी टाँगों को घुटने के पास से पकड़ कर फैला दिया जिससे उसकी गुलाबी चूत एकदम खुल कर मेरे साने आ गई.
मैंने बिना देरी किए अपना लंड उसकी चूत में उतार दिया और ट्रेन की रफ़्तार से हमारी चुदाई चालू हो गई.
हम दोनों की सिसकारी पूरे कमरे में गूंजने लगी.
दोस्तो, जब भी सेक्स के वक़्त हम आसान या पोज़िशन बदली करते हैं तो शुरू के 10 – 20 सेकंड लड़की को तकलीफ़ होती ही है.
फिर जब एक बार सही से चूत और लंड का तालमेल बैठ जाता है तो चुदाई एकदम आसान हो जाती है और मज़ा भी दोनों को आता है.
इसलिए आसन बदलने के बाद पहले आराम से निशाना सही से लगाओ और चुदाई की दौड़ का भरपूर आनद लो!
जब इस तरह से हमें 5 मिनट हो चुके थे चुदाई करते हुए … तो मानसी ने अपने पैरों को मेरी कमर में लपेटा और अपनी तरफ झटका दिया.
जिससे मैं उसकी छाती पर गिर पड़ा और उसने अपने दोनों हाथों से मेरी गर्दन को पकड़ा अपनी और खींच कर मेरे होठों को चूमने लगी.
लेकिन इस अवस्था में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में नहीं जा पा रहा था.
तब मैंने उसे नीचे उतारा और दीवार के बल ऐसा खड़ा कर दिया जिससे उसकी छाती दीवार की तरफ रहे और उसकी पीठ बाहर मेरी तरफ!
तब मैंने उसकी 1 टाँग को अपने हाथ से पकड़ कर हवा में उठाया तथा उसे अपना चूतड़ बाहर की तरफ निकालने को बोला.
जिससे लंड आसानी से उसकी चूत में चला गया और हमारी चुदाई की गाड़ी फिर से बिना ब्रेक के दौड़ने लगी.
चुदाई करते करते जब जब मानसी अपने चूतड़ दीवार की तरफ करती तो मेरा लंड पूरा अंदर जा नहीं पाता.
तो मैंने दूसरे हाथ तो उसकी चूत को अपने और दबा के रखा और मसलने लगा.
जिससे मानसी बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गई और दो मिनट के बाद उसका झरना बह चला.
लेकिन उसके साथ ही वह रुकी नहीं बल्कि फुर्ती से नीचे झुक कर मेरे लंड को गप्प से मुंह में भर लिया और अपने होंठों से दबोच कर मेरे लंड को चूसने लगी.
इससे बहुत ही ज़्यादा मुझे रगड़ महसूस होने लगी और सिर्फ़ 2 मिनट बाद ही मेरा भी बाँध टूट गया और कुछ झटकों के साथ मेरा पूरा वीर्य मानसी के मुंह में चला गया.
हम दोनों बेड पर पसर कर अपनी अपनी सांसों को संयत करने लगे.
चार पाँच मिनट के बाद मानसी की सिसकारियाँ तेज होने लगी और उसकी चूत ने काम रस छोड़ दिया जिसे मैंने पूरा गटक लिया.
मानसी का काम रस निकालने के बाद वो अपनी सांसों को संयत करते हुए हांफने लगी और मैं उसकी बगल में लेट गया.
एकाएक वह मेरी छाती के ऊपर चढ़ कर बैठ गई और मेरे होंठ चूमने लगी.
उसकी चूत कम रस की वजह से थोड़ी गीली थी जो मेरे पेट पर चिकनाई का काम कर रही थी.
दो मिनट तक मुझे चूमने के बाद मानसी नीचे सरक गई और मेरे लंड को सहलाने लगी.
तब उसने अपने खुले हुए रेशमी बालों को झटक कर एक तरफ किया और मुस्कुराकर धीरे से मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और एकदम नज़ाकत के साथ चूसने लगी.
अपने दूसरे हाथ से वह मेरी छाती को कभी सहलाती, कभी नोचती.
वह इतने प्यार से लंड को चूसने लगी कि मेरी सिसकारी निकलने लगी.
मैं अपने दोनों हाथों से उसके सिर को अपने लंड पर दबाने लगा.
पर उसने दोनों हाथों की उंगलियों से मेरे उंगलियों को फंसाया और मेरे ही चूतड़ों के नीचे दबा दिया.
अब पूरी तन्मयता के साथ वह लंड को अपने गले तक भरने लगी.
जब मेरा लंड पूरा उसके थूक से भर गया तो वह मेरे लंड के ऊपर आई और अपने दोनों हाथों को मेरे छाती पर रखा और धीरे धीरे लंड को अपनी चूत में समाहित करने लगी.
उसके चेहरे पर दर्द और सुख दोनों भाव एक साथ दिखाई देने लगे.
जब लंड पूरा अंदर उसने अपनी चूत में डाल लिया तो करीब 1 मिनट उसने अपने दर्द को काबू करने में लगाया … और फिर धीरे धीरे उपेर नीचे होने लगी.
मैं अपने दोनों हाथों से उसके गद्देदार चूतड़ मसलने लगा.
जब लंड आसानी से अंदर बाहर होने लगा तो मानसी थोड़ा सीधा होकर उछलने लगी जिससे उसके बड़े बड़े स्तन उभर कर नाचने लगे और वह खुद अपने दोनों हाथों से अपने दूध मसलने लगी.
तकरीबन पाँच मिनट तक हम इसी अवस्था में रहे.
फिर जब वह थकने लगी तो मानसी को बेड के किनारे लिटा कर में नीचे फर्श पर खड़ा हो गया और उसकी टाँगों को घुटने के पास से पकड़ कर फैला दिया जिससे उसकी गुलाबी चूत एकदम खुल कर मेरे साने आ गई.
मैंने बिना देरी किए अपना लंड उसकी चूत में उतार दिया और ट्रेन की रफ़्तार से हमारी चुदाई चालू हो गई.
हम दोनों की सिसकारी पूरे कमरे में गूंजने लगी.
दोस्तो, जब भी सेक्स के वक़्त हम आसान या पोज़िशन बदली करते हैं तो शुरू के 10 – 20 सेकंड लड़की को तकलीफ़ होती ही है.
फिर जब एक बार सही से चूत और लंड का तालमेल बैठ जाता है तो चुदाई एकदम आसान हो जाती है और मज़ा भी दोनों को आता है.
इसलिए आसन बदलने के बाद पहले आराम से निशाना सही से लगाओ और चुदाई की दौड़ का भरपूर आनद लो!
जब इस तरह से हमें 5 मिनट हो चुके थे चुदाई करते हुए … तो मानसी ने अपने पैरों को मेरी कमर में लपेटा और अपनी तरफ झटका दिया.
जिससे मैं उसकी छाती पर गिर पड़ा और उसने अपने दोनों हाथों से मेरी गर्दन को पकड़ा अपनी और खींच कर मेरे होठों को चूमने लगी.
लेकिन इस अवस्था में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में नहीं जा पा रहा था.
तब मैंने उसे नीचे उतारा और दीवार के बल ऐसा खड़ा कर दिया जिससे उसकी छाती दीवार की तरफ रहे और उसकी पीठ बाहर मेरी तरफ!
तब मैंने उसकी 1 टाँग को अपने हाथ से पकड़ कर हवा में उठाया तथा उसे अपना चूतड़ बाहर की तरफ निकालने को बोला.
जिससे लंड आसानी से उसकी चूत में चला गया और हमारी चुदाई की गाड़ी फिर से बिना ब्रेक के दौड़ने लगी.
चुदाई करते करते जब जब मानसी अपने चूतड़ दीवार की तरफ करती तो मेरा लंड पूरा अंदर जा नहीं पाता.
तो मैंने दूसरे हाथ तो उसकी चूत को अपने और दबा के रखा और मसलने लगा.
जिससे मानसी बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गई और दो मिनट के बाद उसका झरना बह चला.
लेकिन उसके साथ ही वह रुकी नहीं बल्कि फुर्ती से नीचे झुक कर मेरे लंड को गप्प से मुंह में भर लिया और अपने होंठों से दबोच कर मेरे लंड को चूसने लगी.
इससे बहुत ही ज़्यादा मुझे रगड़ महसूस होने लगी और सिर्फ़ 2 मिनट बाद ही मेरा भी बाँध टूट गया और कुछ झटकों के साथ मेरा पूरा वीर्य मानसी के मुंह में चला गया.
हम दोनों बेड पर पसर कर अपनी अपनी सांसों को संयत करने लगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
